अमैयापुर पशु चिकित्सालय हुआ बीमार , क्षेत्र में फैला थना रोग
अमृतपुर फर्रुखाबाद। गंगा एवं रामगंगा के बीच में बसा हुआ भूभाग गंगा पार का क्षेत्र कहलाता है। इस क्षेत्र में 500 से अधिक गांव है और ज्यादातर लोग कृषि एवं पशुपालन पर आधारित होकर जीवन यापन करते हैं। अगर कृषि में नुकसान हो और पशु भी बीमार होने लगे तो इस क्षेत्र के निवासियों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी को थाम कर चलना कठिन हो जाता है। इसीलिए इस क्षेत्र में पशु चिकित्सालय बनवाए गए जिससे पशुओं का समुचित इलाज हो सके और पशुपालकों को नुकसान से बचाया जा सके।
अमृतपुर थाना क्षेत्र में ग्राम अमैयापुर के अंतर्गत आने वाला पशु चिकित्सालय इस समय खुद बीमार हो चुका है। जहां बरसों से तैनात डॉक्टर दोहरे कभी आए तो कभी नहीं आए और कभी आकर भी वापस चले गए मरीज नहीं देखे। यह लोगों की शिकायत बनी रही। इस चिकित्सालय से लाभ उठाने वाले पशुपालक जिसमें पुष्पेंद्र शिवदत्त रामनिवास नेम सिंह मदनपाल रमेश जागेश्वर अनुज पातीराम आदि लोगों ने बताया कि जब वह अपने बीमार पशुओं को लेकर अस्पताल तक जाते हैं तो अस्पताल में ताला लटका हुआ मिलता है। बीमार पशुओं का समुचित इलाज नहीं हो पाता और उन्हें घुमंतू पशु चिकित्सकों को दिखाना पड़ता है। जिससे बीमार पशु समय से पहले ही मौत के मुंह में समा जाते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें हजारों से लेकर लाखों रुपए का नुकसान हो जाता है।
अस्पताल न खुलने और डॉक्टर की गैर मौजूदगी में पशुओं का टीकाकरण नहीं हो पाता। पशुपालकों ने बताया कि इस समय क्षेत्र में थना रोग फैला हुआ है। जिससे पशु बीमार हो रहे हैं और दूध देने की मात्रा भी काम हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार से मोटी सैलरी पाने वाले पशु चिकित्सक अपनी जिम्मेदारियो से भटक चुके हैं। अस्पतालों तक नहीं पहुंचते और ना ही अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। इसी चिकित्सालय में तैनात डॉक्टर दोहरे से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह विधायक कालूराम दोहरे के दामाद है और इस बात का ध्यान मीडिया को रखना चाहिए। इसी के साथ उन्होंने बताया कि एक सप्ताह पहले उनका तबादला हो चुका है।
अब वह अपनी सेवाएं जिला कन्नौज के अंतर्गत देंगे। लेकिन इससे पहले पशुपालकों की शिकायत बनी रही की डॉक्टर दोहरे कभी भी चिकित्सालय में समय से ना आए और ना ही बैठे जिससे उन्हें चिकित्सालय की तरफ से कोई लाभ नहीं हो पाया। उनके बीमार पशु बीमार ही बने रहे या फिर अन्य चिकित्सकों को दिखाना पड़ा। जिला प्रशासन को चाहिए कि वह इस क्षेत्र में कदम उठाए और पशुपालकों की समस्याओं पर ध्यान दें।
जिन अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती है उन्हें वहां तक भेजा जाए और जो डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से भटक रहे हैं उन पर वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। अगर ऐसा होता है तो पशुपालकों में एक जिज्ञासा उत्पन्न होगी और बीमार होकर मर रहे उनके पशुओं का आंकड़ा कम होगा। पशु स्वस्थ होंगे तो पशुपालको को असमय नुकसान से बचाया जा सकेगा।
Jul 08 2024, 18:53