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26 दिन बाद चीन से आया नेवी अफसर का पार्थिव शरीर , बेसुध पत्नी बोली- आपको सही सलामत भेजा था, बुजुर्ग मां और बच्चों का रो रोकर बुरा हाल


आगरा:- 26 दिन के लंबे इंतजार के बाद चीन से मर्चेंट नेवी अफसर अनिल कुमार का पार्थिव शरीर आगरा स्थित घर पहुंची. एंबुलेंस से जैसे ही डेड बॉडी को घर लाया गया परिजनों में कोहराम मच गया. पत्नी और बुजुर्ग मां और दोनों बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है. बेसुध पत्नी सिर्फ यही बोले जा रही है कि, आपको सही सलामत भेजा था. अब आप इस तरह आए हैं.

परिवार ने मर्चेंट नेवी अफसर की मौत के बाद पार्थिव देह जल्द से जल्द भारत लाने के लिए पीएम मोदी से गुहार लगाई थी. इसके बाद आगरा सांसद और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की. जिसके बाद अब मर्चेंट नेवी अफसर की पार्थिव देह रविवार सुबह भारत लाया जा सका.

बता दें कि, शहर के शाहगंज थाना इलाके के चाणक्य पुरी में साईं धाम रेजीडेंसी में रहने वाले 49 साल के अनिल कुमार श्रीवास्तव मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर थे. अनिल कुमार एमवीजीएच नाइटिंगेल में मुख्य अभियंता थे. जहाज ड्राइंग डॉकिंग के लिए चीन के झेजियांग प्रांत के झोउशान शहर में था.

बीते 11 जून की देर रात अनिल की तबीयत बिगड़ी. जिसके बाद उन्हें झोउशान अस्पताल में भर्ती कराया गया. रातभर इलाज के बाद सुबह अनिल कुमार को अस्पताल से छुटटी मिल गई. लेकिन उसी दिन दोपहर में अनिल के सीने में तकलीफ के बाद दोबारा अस्पताल भर्ती कराया. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

मर्चेंट नेवी अफसर अनिल कुमार के परिवार में पत्नी अंजुलता, बुजुर्ग मां रामकिशोरी श्रीवास्तव और दो बच्चे हैं. उनके मौत की खबर मिलन के बाद से ही परिवार में कोहराम मचा हुआ है.

पत्नी अंजुलता ने पति की कंपनी, भारतीय दूतावास और अन्य अधिकारियों से लगातार संपर्क कर उनसे पति का शव भारत जल्द से जल्द लाने की अपील करती रही. जब कहीं से कोई मदद नहीं मिली तो विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क किया. पीएम मोदी से गुहार लगाई थी. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने जब विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की उसके बाद उम्मीद जगी.

अनिल कुमार श्रीवास्तव का शव घर आने पर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय भी परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे. उन्होंने परिजन से बात की. इस दौरान अनिल कुमार श्रीवास्तव की पत्नी अंजुलता ने चीन सरकार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. कहा कि, चीन सरकार की वजह से ही परिवार 25 दिन से पति की पार्थिव देह आने का इंतजार कर रहा था।

दिल्ली से अपहरण कर छात्र को लाए बागपत, फिर पीट-पीट कर उतार दिया मौत के घाट

बागपत:- दिल्ली के करतारपुर गांव में रहने वाले छात्र हिमांशु शर्मा की बागपत के पाबला गांव में शनिवार को पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी. हत्या का आरोप दोस्तों पर लगा है. पुलिस दो युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.

बताया जा रहा है कि बागपत के पाबला गांव में दिल्ली के करतारपुर में रहने वाले हिमांशु शर्मा (22 वर्ष) को दोस्तों ने फोन करके बुलाया. इसके बाद उन्होंने हत्या की वारदात को अंजाम दिया. 

हिमांशु का ताऊ सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि हिमांशु को पहले दोस्तों ने बेरहमी से पीटा. पिटाई के बाद घायल को बागपत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान हिमांशु शर्मा की मौत हो गई.

पुलिस के मुताबिक, ग्रामीणों ने बताया कि करतारपुर गांव में रहने वाले पाबला गांव के युवकों की भांजी और हिमांशु शर्मा में दोस्ती थी. इससे पाबला गांव के कुछ युवक हिमांशु से नाराज थे. उन्होंने हिमांशु का दिल्ली से अपहरण किया. इसके बाद उसे लेकर बागपत पहुंचे और उसे मौत के घाट उतार दिया. पुलिस सभी एंगल से मामले की जांच कर रही है.

पुलिस ने हिमांशु के परिजनों के भी बयान लिये हैं. इसके अलावा हिरासत में लिये गये दोनों लोगों से भी पुलिस पूछताछ कर रही है. आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर परिजनों ने थाने में हंगामा भी किया. हिमांशु शर्मा बीएस सेकंड ईयर में पढ़ रहा था.

आज का इतिहास:1999 में आज ही के दिन ही भारतीय सैनिक विक्रम बत्रा का हुआ था निधन आइए जानते है 7 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में


नयी दिल्ली : 7 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1981 में आज ही के दिन क्रिकेट के सफलतम खिलाड़ी और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का जन्म हुआ था। 1985 में 7 जुलाई को ही 17 साल में बोरिस बेकर ने विंबलडन जीता था।

1999 में फ्रांसीसी वैज्ञानिकों की ओर से पेचिस के नए टीके की खोज की थी। 2003 में आज ही के दिन यूनाइटेड कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ अर्मेनिया का गठन हुआ था। 

7 जुलाई का इतिहास इस प्रकार है :

2013 में 7 जुलाई को ही विंबलडन टेनिस टूर्नामेंट के फाइनल में नोवाक जोकोविच को हराकर एंडी मरे इस खिताब पर कब्जा जमाने वाले इंग्लैंड के पहले प्लेयर बने थे।

2012 में आज ही के दिन रूस में भयंकर बाढ़ आने से 140 लोगों की मौत हो गई थी।

2008 में आज ही के दिन काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले में 41 लोगों की मृत्यु हो गई थी।

2003 में 7 जुलाई को ही नासा के ऑपर्च्युनिटी अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह के लिए उड़ान भरी थी।

2003 में आज ही के दिन यूनाइटेड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ अर्मेनिया का गठन हुआ था।

1999 में 7 जुलाई को ही फ्रांसीसी साइंटिस्ट द्वारा पेचिस के नए टीके की खोज की गई थी।

1985 में 7 जुलाई को ही बोरिस बेकर ने विंबलड़न जीता था।

1978 में आज ही के दिन सोलोमन द्वीप ने यूनाइटेड किंगडम से अपनी आजादी का ऐलान किया था।

1948 में 7 जुलाई को ही स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय परियोजना हुई थी

1948 में आज ही के दिन दामोदर घाटी निगम की स्थापना हुई थी।

1930 में आज ही के दिन ब्रिटिश लेखक आर्थर कॉनन डॉयल का निधन हुआ था।

1799 में 7 जुलाई को ही महाराजा रणजीत सिंह ने लाहौर पर कब्जा किया था।

7 जुलाई को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1981 में आज ही के दिन क्रिकेट के सफलतम खिलाड़ियों में शुमार और कैप्टन कूल के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले महेंद्र सिंह धोनी का जन्म हुआ था।

1959 में आज ही के दिन भारतीय एवं विदेशी शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित अशोक कुमार सिंह का जन्म हुआ था।

1914 में 7 जुलाई को ही प्रसिद्ध संगीतकार अनिल बिस्वास का जन्म हुआ था।

1883 में 7 जुलाई के दिन ही प्रसिद्ध साहित्यकार चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म हुआ था।

7 जुलाई को हुए निधन

2014 में आज ही के दिन हिंदी और रूसी साहित्‍य के आधुनिक सेतु निर्माताओं में से एक मदन लाल मधु का निधन हुआ था।

2011 में 7 जुलाई को ही उर्दू भाषा के प्रसिद्ध लेखक व शायर अब्दुल क़ावी देसनावी का निधन हुआ था।

1999 में 7 जुलाई के दिन ही भारतीय सैनिक विक्रम बत्रा का निधन हुआ था।

1758 में आज ही के दिन आधुनिक त्रावणकोर के निर्माता राजा मार्तंड वर्मा का निधन हुआ था।

आज 61वें जन्मदिन पर विशेष : कभी वैक्यूम क्लीनर बेचते थे राकेश ओमप्रकाश मेहरा, ऐसे बने नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म मेकर


नयी दिल्ली : राकेश ओम प्रकाश मेहरा एक भारतीय फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक हैं। वह हिंदी सिनेमा में फिल्म रंग दे बसंती और भाग मिल्खा भाग फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। 

पृष्ठभूमि

राकेश ओम प्रकाश का जन्म पंजाबी परिवार में 7 जुलाई 1963 को नई दिल्ली में हुआ था। ऊके पिता दिल्ली के एक होटल में कार्यरत थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल से पूरी की है।  

शादी

वर्ष 1992 में राकेश ओम प्रकाश की शादी पी.एस भारती से हुई। उनके एक बेटा और बेटी है। उनके बेटे का नाम वेदांत मेहरा है।  

करियर

राकेश ओमप्रकश ने अपने करियर की शुरआत साल 1986 में एक एडवरटाइजिंग वेंचर से की। इस एडवरटाइजिंग कंपनी के तहत उन्होंने कई एड बनाये जिनमे कोक,पेप्सी ,टोयटा अमेरिकन एक्सप्रेस,और बीपीएल हैं। उस दौरान उन्होंने मेगास्टार अमिताभ बच्चन अभिनति वीडियो अबे बेबी भी निर्देशित किया था।  

साल 2001 में उन्होंने फिल्म मेगास्टार अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म अक्स का निर्देशन किया। फिल्म ने बॉक्सऑफिस पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया। इस फिल्म में आलोचकों ने अमिताभ के अभिनय की बेहद सरहाना की।  

इसके बाद राकेश ने आमिर खान स्टारर फिल्म रंग दे बसंती निर्देशित की। इस फिल्म ने बॉक्सऑफिस के साथ-साथ वर्डवाइड बेहद अच्छी कमाई की। साथ ही इस फिल्म को फिल्मफेयर और राष्ट्रिय पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इस फिल्म को बेस्ट फॉरिन लैंग्वेज अवार्ड से भी नवाजा गया। और इस फिल्म की स्क्रीनिंग भी ऑस्कर में हुई थी।  

उसके बाद साल 2006 में उन्होंने दिल्ली 6 निर्देशित की यह उनकी अब तक की ऐसी फिल्म थी जिसने बॉक्स-ऑफिस पर खास नहीं की की और साथ ही फ्लॉप साबित हुई। साल 2013 में मेहरा ने भाग मिल्खा भाग निर्देशित की। यह एक बायोपिक थी, इस फिल्म में फरहान अख्तर और सोनम कपूर मुख्य भूमिका में नजर आये थे। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की, साथ ही कई अवार्ड्स भी अपने नाम किये थे। फ़िलहाल मेहरा मार्जिया फिल्म की शूटिंग और पटकथा लेखन में व्यस्त हैं। इस फिल्म से अभिनेता अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर हिंदी सिनेमा में एंट्री करेंगें। 

प्रसिद्ध फ़िल्में

अक्स, भाग मिल्खा भाग, दिल्ली 6, रंग दे बसंती

जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू, इस दिन गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे भगवान, देखें 10 दिन का पूरा शेड्यूल


नयी दिल्ली : भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक जन सामान्य के बीच रहते हैं. इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं. इस तरह जगन्नाथ रथ यात्रा का यह भव्य आयोजन 10 दिन तक चलता है. यह भव्य आयोजउड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज से शुरू हो रही है. इस रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होता है. भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक जन सामान्य के बीच रहते हैं. इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। कहते हैं कि रथ यात्रा के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का पुण्य फल मिल जाता है. आइए आपको घर में भगवान जगन्नाथ की पूजा, महाप्रसाद के साथ-साथ रथ यात्रा का पूरा शेड्यूल बताते हैं.

रथ यात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम जी चलते हैं. बलराम जी के पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं. अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं. स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है, वह पुनर्जन्म चक्र से मुक्त हो जाता है. जो व्यक्ति भगवान के नाम का कीर्तन करता हुआ रथ यात्रा में सम्मिलित होता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद

भगवान जगन्नाथ जी छह बार महाप्रसाद चढ़ाया जाता है. भोजन में सात विभिन्न प्रकार के चावल, चार प्रकार की दाल, नौ प्रकार की सब्जियां और अनेक प्रकार की मिठाइयां परोसी जाती हैं. मीठे व्यंजन तैयार करने के लिए यहां शक्कर की बजाए अच्छे किस्म का गुड़ प्रयोग में लाया जाता है. आलू टमाटर और फूलगोभी का उपयोग मंदिर में नहीं होता है.

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घर में कैसे करें भगवान जगन्नाथ की पूजा?

जिन लोगों के लिए पुरी की रथ यात्रा में जाना संभव नहीं है, वो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना कर सकते हैं. भगवान जगन्नाथ को भोग लगाएं और उनके मंत्रों का जाप करें. घर के पूजा स्थान पर श्री जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की प्रतिकृति स्थापित करें. उन्हें सात्विक भोग लगाएं. भोग में तुलसी दल जरूर डालें. इसके बाद श्री जगन्नाथ जी की स्तुति करें. या हरि नाम या महामंत्र का संकीर्तन करें. इस दिन घर में पूरी तरह सात्विकता बनाए रखें.

जगन्नाथ रथ यात्रा का संभावित कार्यक्रम

रविवार, 7 जुलाई 2024

भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को रथों में विराजमान कराया जाएगा और वे सिंहद्वार से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में देश की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी इस यात्रा में शामिल होकर भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेंगी.

रथ यात्रा के पहले दिन दोपहर के समय तीनों देवी-देवताओं को एक-एक कर मंदिर से बाहर लाया जाएगा. फिर पुरी के शंकराचार्य रथ की पूजा करेंगे. इसके बाद जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध रस्म 'छेरा पहरा' की जाएगी. इसमें उड़ीसा के महाराज गजपति देवी-देवताओं और रथों के चारों ओर सोने की झाड़ू से सफाई करेंगे. इस झाड़ू से रथ का मंडप साफ किया जाएगा. फिर उसी झाड़ू से रथ के लिए रास्ता भी साफ होगा. शाम के समय श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ को खींचना शुरू करेंगे.

सोमवार, 8 जुलाई 2024

8 जुलाई की सुबह फिर से रथ को आगे बढ़ाया जाएगा. पुरी मंदिर के एक अधिकारी ने बताया कि रथ सोमवार को गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे. यदि किसी कारणवश इसमें देरी होती है तो रथ मंगलवार को मंदिर पहुंचेंगे.

8-15 जुलाई 2024

भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर में रहेंगे. यहां उनके लिए कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी इसका पूरी तरह से पालन किया जाता है.

16 जुलाई 2024

इस दिन रथ यात्रा का समापन हो जाएग और तीनों देवी-देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौट जाएंगे.

वाराणसी के लक्खा मेला मे भगवान जगन्नाथ को लगेगा 40 तरह के नानखटाई वाला भोग

वाराणसी: काशी का लक्खा मेला विश्व प्रसिद्ध है. लक्खा मेला में शामिल काशी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है. भगवान जगन्नाथ से जुड़े काशी के इस लक्खा मेला को तीन दिनों तक आयोजित किया जाता है. इस बार यह मेला 7 जुलाई से शुरू होकर 9 जुलाई तक चलेगा. इससे पहले भगवान को विशेष तौर पर 14 दिनों तक भक्तों द्वारा काढ़ा पिलाया जाता है. मान्यता है कि सृष्टि के पालनहार और भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ 14 दिनों तक अस्वस्थ रहते हैं और उसके बाद ही इस मेले का आयोजन शुरू किया जाता है.

काशी के विश्व मशहूर लक्खा मेला की शुरुआत 7 जुलाई से होगी जो अगले तीन दिनों तक आयोजित किया जाएगा. भगवान जगन्नाथ का रथ काशी के रथयात्रा स्थान पर रखा जाएगा, जो इसी मेले के नाम पर रखा गया है. भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं. भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान जगन्नाथ को विशेष तौर पर तुलसी की माला अर्पित की जाती है. इसके अलावा सबसे खास चर्चाओं में रहता है उनको भोग लगाए जाने वाला नान खटाई. नान खटाई को विशेष तौर पर सूजी, मैदा, नारियल और मेवे से तैयार किया जाता है. मेले में आने वाले लोग भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने के साथ-साथ इस नान खटाई को जरूर खरीदते हैं.

फिल्म जगत की ब्यूटी क्वीन थी नसीम बानो, सुंदर थीं तो परिवारवाले पर्दे में रखते , बनी पहली महिला सुपरस्टार, बेटी सायरा के लिए छोड़ी एक्टिंग


नयी दिल्ली : भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर की महिला सुपर स्टार अभिनेत्रियों की जब भी चर्चा होती है, तो सबसे पहले या तो देविका रानी का नाम आता है या फिर विदेशी मूल की रूबी मेयर्स, जिन्होंने अपना नाम बदलकर बाद में सुलोचना कर लिया, उनका नाम आता है। लेकिन, अगर आपने नसीम बानो के बारे में नहीं सुना तो फिर आपने उस दौर की एक ऐसी खूबसूरत अभिनेत्री को मिस कर दिया जो स्कूल भी जाती थी तो पालकी में बैठकर। 

देविका रानी और सुलोचना के चर्चे अपनी तरह से होते थे लेकिन किसी हीरोइन के नाम पर फिल्में देखने का हिंदी सिनेमा में अगर किसी के नाम से शुरू हुआ तो वह नसीम बानो ही थीं। उन्हें हिंदी सिनेमा का पहला ‘फीमेल सुपरस्टार’ भी माना जाता है। 

नसीम बानो का फिल्मी कनेक्शन आज के हिसाब से समझना हो तो ये जानना काफी है कि वह मशहूर अभिनेत्री सायरा बानो की मां थीं और हिंदी सिनेमा के दिग्गज सितारे दिलीप कुमार की सासू मां।  

आइये जानते हैं उनकी जिन्दगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से.

मां बनाना चाहती थीं डॉक्टर

4 जुलाई 1916 को दिल्ली के एक रईस परिवार में जन्मी नसीम बानो का नाम पहले रोशन आरा बेगम था। उनकी मां चाह रही थीं कि नसीम डॉक्टर बने, लेकिन फिल्मों के शौक ने उन्हें मां से बगावत करने पर मजबूर कर दिया। एक बार बम्बई (अब मुंबई) की यात्रा के दौरान नसीम एक फिल्म की शूटिंग देखने गई जहां उनकी मुलाकात सोहराब मोदी से हुई, सोहराब मोदी ने नसीम की खूबसूरती को देखते हुए उन्हें अपनी फिल्म में काम करने का ऑफर दिया, लेकिन मां नहीं चाहती कि नसीम फिल्मों में काम करे। लेकिन नसीम बानो को तो फिल्मों में ही काम करना था। 

वह सुलोचना की बहुत पड़ी प्रसंशक थी, उनकी फिल्में देख देख कर झुकाव फिल्मों की तरफ हुआ था। लेकिन जब मां ने फिल्मो में काम करने से मना कर दिया तो उन्होंने भूख हडताल कर दी। बेटी की जिद के आगे उनकी मां ने हार मान ही ली।

जब स्कूल से निकाल दिया गया

नसीम बानो उन दिनों दिल्ली के क्वीन मैरी स्कूल में पढ़ रही थी। फिल्मों में उन दिनों काम करना निम्न स्तर का पेशा माना जाता था जिसकी वजह से नसीम बानो को स्कूल से निकाल दिया गया और उनकी पढाई अधूरी रह गई। उन्होंने फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत साल 1935 में सोहराब मोदी की फिल्म ‘खून का खून’ से की। 

इस फिल्म में काम देने से पहले सोहराब मोदी ने नसीम बानो के साथ अनुबंध किया कि वह उन्हीं के बैनर 'मिनर्वा मूवीटोन' की ही फिल्में करेंगी।

सोहराब मोदी की बनाई फिल्मों ‘खान बहादुर’, ‘मीठा जहर’, ‘वसंती’ जैसी फिल्में करने के बाद नसीम की खूब चर्चा होने लगी और दूसरे निर्माता भी उन्हें फिल्में ऑफर करने लगे, लेकिन सोहराब मोदी के साथ अनुबंध में रहने की वजह से वह बाहर की फिल्में नहीं कर पा रही थी।

सोहराब मोदी से हुई अनबन

फिल्म ‘शीश महल’ नसीम बानो की सोहराब मोदी के साथ आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म में नसीम बानो के काम की खूब सराहना हुई। इस फिल्म के बाद सोहराब मोदी के साथ अनुबंध को लेकर नसीम बानो और सोहराब मोदी के साथ अनबन हो गई और नसीम बानो हमेशा के लिए सोहराब मोदी की फिल्मों से दूर हो गई। इसके बाद नसीम बानो ने फिल्मिस्तान स्टूडियो की फिल्म ‘चल चल रे नौजवान’ में अशोक कुमार के साथ काम किया।

ताज महल पिक्चर्स की स्थापना

नसीम बानो ने अपने बचपन के दोस्त एहसान-उल-हक से शादी करने के बाद खुद 'ताज महल पिक्चर्स' के नाम से अपने प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत की। साल 1942 में नसीम बानो ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी की पहली फिल्म ‘बेगम’ का निर्माण किया।

उसके बाद उन्होंने ‘मुलाकात’, ‘चांदनी रात’ और ‘अजीब लड़की’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया। बाद में उन्होंने कुछ एक्शन फिल्मों में भी काम किया, लेकिन वो फिल्में चली नहीं। इन्हीं दिनों देश में अंग्रेजों के खिलाफ चल रही आजादी की लड़ाई भी जोर पकड़ने लगी थी।

बंटवारे में पति को छोड़ देश को चुना

भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद नसीम बानो के पति एहसान पाकिस्तान चले गए। वह चाहते थे कि नसीम बानो भी उनके साथ पाकिस्तान चलें लेकिन नसीम बेगम ने पाकिस्तान न जाकर अपने देश भारत में रहने का फैसला किया और अपनी बेटी सायरा बानो और बेटे सुल्तान अहमद के साथ हिंदुस्तान में ही रहीं।

बेटी की बीमारी की खबर से टूट गई नसीम

पाकिस्तान जाने के बाद नसीम बानो के पति फिर कभी वापस हिंदुस्तान नहीं आए। नसीम बेगम ने ही अकेले अपने दोनों बच्चों की परवरिश की और बाद में दोनों बच्चों के साथ लंदन शिफ्ट हो गई। लेकिन वहां पर ज्यादा दिनों तक ठीक से नहीं रह पाई क्योंकि सायरा बानो को खून की बीमारी हो गई थी। कुछ लोगों ने जब कहा कि ये ब्लड कैंसर के लक्षण हैं तो इस बात से नसीम बानो पूरी तरह से टूट गई। बाद में पता चला कि ब्लड कैंसर जैसी कोई बात नहीं है और इलाज से ठीक होने के बाद वह सायरा को लेकर फिर बंबई शिफ्ट हो गईं।

सायरा की राजेन्द्र कुमार से दोस्ती पर एतराज

बंबई आने के बाद सायरा बानो ने भी अपनी मां नसीम बानो की तरह फिल्मों में अपना करियर बनाया। शम्मी कपूर के साथ उन्होंने ‘जंगली’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वह राजेन्द्र कुमार के साथ फिल्में करने लगीं। उन्ही दौरान राजेन्द्र कुमार के साथ उनके संबंधो के खूब चर्चे होने लगे।  

नसीम बानो नहीं चाहती थी कि सायरा का नाम ऐसे व्यक्ति के साथ जुड़े जो तीन बच्चों का पिता हो। बाद में सायरा ने अपने से 22 साल बड़े दिलीप कुमार से 11 अक्टूबर 1966 में शादी कर ली। सायरा बानो ने जब फिल्मों में काम करना शुरू किया तो अपनी बेटी की ड्रेस डिजाइन का काम खुद नसीम बानो ही संभालती थी। 18 जून 2002 को 85 की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली।

दिल्ली:पूरी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा


नई दिल्ली:- विवादों में घिरी नीट यूजी परीक्षा मामले में शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। केंद्र ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि नीट यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत कदम नहीं होगा। इससे लाखों ईमानदार छात्र गंभीर खतरे में आ जाएंगे।

सीबीआई को जांच का आदेश

छात्रों, उनके अभिभावकों और कोचिंग संस्थानों ने सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। अपने हलफनामे में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने सीबीआई से कथित अनियमितताओं के पूरे मामले की व्यापक जांच करने को कहा है।

परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं

हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा कि अखिल भारतीय परीक्षा में गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में पूरी परीक्षा और पहले से घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। 

केंद्र ने कहा कि परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से लाखों ईमानदार छात्र गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएंगे।

अब 8 जुलाई को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट अब 8 जुलाई को विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इसमें 5 मई को आयोजित परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं। 

इन याचिकाओं में परीक्षा को नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

'मां तुझे सलाम...' जब कोहली, रोहित, हार्दिक समेत टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने वानखेड़े स्टेडियम में बांधा समा


मुंबई : 20 वर्ल्ड कप 2024 जीत का जश्न कल यानी गुरुवार 4 जुलाई को मुंबई में जोरों-शोरों से मनाया गया। मरीन ड्राइव पर टीम इंडिया की विक्ट्री परेड पर मुंबई वासियों ने जमकर लुत्फ उठाया। 

इसके बाद भारतीय टीम वानखेड़े स्टेडियम पहुंची जहां सभी खिलाड़ियों को 125 करोड़ के चेक के साथ सम्मानित किया गया।