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यूपी-112 का द्वितीय चरण: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झंडी दिखा नए उच्चीकृत पीआरवी को किया रवाना, नई तकनीक के साथ संसाधनों को बढ़ाया गया

लखनऊ। प्रदेश के करोड़ों नागरिकों को सुरक्षा और सम्मान प्रदान करने वाली यूपी-112 के द्वितीय चरण में शामिल नए उच्चीकृत पीआरवी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने झंडी दिखा कर रवाना किया। इस मौके पर मा. मंत्री, वित्त एवं संसदीय कार्य सुरेश कुमार खन्ना, पुलिस महानिदेशक यूपी प्रशांत कुमार की गरिमामयी उपस्थिति रही।

24 एजेंसियों से हुआ है एकीकरण

यूपी-112 के द्वितीय चरण में नई तकनीक के साथ संसाधनों को भी बढ़ाया गया है, ताकि जनमानस को पारदर्शी तरीके से त्वरित पुलिस सहायता प्रदान की जा सके, नागरिकों की मदद का दायरा बढ़ाने के लिए यूपी-112 ने द्वितीय चरण में 15 नई एजेंसियों के साथ एकीकरण किया है। जबकि पहले चरण में 9 एजेंसियों के साथ 112 का एकीकरण था। इस तरह अब 24 एजेंसियों के साथ 112 का एकीकरण हुआ है।

कॉल टेकर्स और पीआरवी की संख्या बढ़ी

दूसरे चरण में कॉल टेकर्स की संख्या बढ़ा कर 825 की गयी है जबकि पहले चरण में कॉल टेकर्स की क्षमता 673 थी. कॉल टेकर्स बढ़ने से अब प्रतिदिन औसतन 28,000 कालर्स की आपात सहायता की जा रही है, जबकि पहले सहायता का ये आंकड़ा 18,500 का था। इसी तरह दूसरे चरण में पीआरवी की संख्या को बढ़ा कर 6278 किया गया है, जबकि पहले चरण में यह संख्या 4800 थी. कॉल टेकर्स की संख्या बढ़ने से जहाँ आपात सेवा लेने वालों की संख्या बढ़ी है वहीं पीआरवी की संख्या बढ़ने से पीड़ित तक जल्द पुलिस सहायता पहुँच रही है. नागरिकों को पीआरवी ट्रेकिंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

तकनीक का हुआ भरपूर प्रयोग

दूसरे चरण में यूपी-112 ने तकनीक का भरपूर प्रयोग किया है, ताकि नागरिकों को पारदर्शी तरीके से त्वरित पुलिस सहायता मिल सके, कॉलर की सटीक लोकेशन पता करने के लिए 112 ELS तकनीक का उपयोग कर रहा है। यूपी पुलिस इस सेवा को प्रयोग करने वाला पहला भारतीय पुलिस संगठन है। पीआरवी पर तैनात कर्मियों को बॉडी वार्न कैमरे दिए गए हैं जिससे पुलिस कर्मी घटना स्थल की फोटो और वीडियो रिकार्ड कर सकते हैं।

PTZ कैमरों से रखी जाएगी नज़र

पीआरवी पर PTZ कैमरे लगाये गए हैं. इससे संवेदनशील घटनाओं की रियल टाइम मोनिटरिंग जिला मुख्यालयों और यूपी-112 द्वारा किये जाने की व्यवस्था है। कैमरों से पारदर्शिता व अपराधों के इन्वेस्टीगेशन में मदद मिलेगी।

कानून का राज सुशासन की पहली शर्त : सीएम योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानून का राज सुशासन की पहली शर्त है। इसके लिए सुरक्षा व संरक्षा का बेहतर वातावरण होना चाहिए। सुरक्षा का वातावरण राज्य का दायित्व है। हमारी पुलिस इसका बखूबी निर्वहन करती है। समय के अनुरूप पुलिस का आधुनिकीकरण कर सकें, यह मांग लंबे समय से चली आ रही थी।

प्रधानमंत्री ने डीजी कॉफ्रेंस में देश भर के पुलिस महानिदेशकों के सामने कानून के परिवर्तन के साथ ही स्मार्ट पुलिसिंग की नई अवधारणा पर आधारित नई दृष्टि दी थी। उन्होंने स्ट्रिक्ट एंड सेंसेटिव, मॉडर्न एंड मोबाइल, अलर्ट एंड अकाउंटबिल, रिलायबल एंड रिस्पांसिव, टेक्नोसेवी व ट्रेंड होने की बात कही थी। यूपी पुलिस ने इन सभी बातों को अक्षरशः उतारने का प्रयास किया है।

उच्चीकृत पीआरवी का सीएम ने किया फ्लैग ऑफ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को अपने सरकारी आवास पर यूपी-112 द्वितीय चरण के तहत उच्चीकृत पीआरवी का फ्लैग ऑफ किया। साथ ही वातानुकूलित हेलमेट का वितरण किया। इस मौके पर सीएम ने कहा कि यह कार्यक्रम स्मार्ट पुलिसिंग की सात वर्ष की प्रक्रिया को नई ऊंचाई की ओर पहुंचाने का अभियान है।

यूपी पुलिस ने देश के अंदर अपनी नई पहचान बनाई

सीएम योगी ने कहा कि पिछले सात वर्ष के अंदर यूपी पुलिस ने देश के अंदर न केवल अपनी नई पहचान बनाई है, बल्कि यूपी को भी नई पहचान दिलाने में महती भूमिका का निर्वहन किया है। सात वर्ष में यूपी में कानून का राज दिखाई दिया है। कानून के राज ने पुलिस को भी सम्मान और विश्वास का प्रतीक बनाया तो राज्य में निवेश, व्यापार की नई संभावनाओं के साथ विकास और रोजगार के नए युग में ले जाने का कार्य किया।

प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ

2017 में सीएम बनने के बाद पहली प्रशासनिक बैठक की, वहां पता चला कि यूपी आबादी में देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन यह छठवीं अर्थव्यवस्था था। जैसे-जैसे प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ तो यूपी देश की दूसरी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा और अब तेजी के साथ देश की बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो रहा है। सीएम ने कहा कि समाज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आधुनिकीकरण पर ध्यान नहीं देंगे तो पुलिस बल पिछड़ जाएगा। ऐसा होने से सबसे खतरनाक असर सामान्य नागरिकों की सुरक्षा पर पड़ेगा। जनता का विश्वास एक बार व्यवस्था से हटा तो उसे बहाल करने में लंबे समय तक कवायद करनी पड़ेगी।

यूपी पुलिस बल के लिए फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट का हुआ गठन

सीएम योगी ने कहा कि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में नए युग में प्रवेश किया है। निवेश, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी कैसी होनी चाहिए, यूपी ने इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह केवल नारे नहीं, जमीनी हकीकत है। हमने बिना भेदभाव पारदर्शी प्रक्रिया से पुलिस बल में पुलिस भर्ती की तो समुचित प्रशिक्षण भी कराया। बड़े महानगरों को छोड़ विकास प्रक्रिया से जुड़े किसी भी सामान्य जनपद में सबसे ऊंची बिल्डिंग पुलिस लाइन के अंदर बन रहे पुलिस के आधुनिक बैरक की है। यहां अवस्थापना सुविधाओं का विकास और ट्रेनिंग की क्षमता को बढ़ाया गया। पुलिस बल के आधुनिकीकरण के अनेक प्रयास हुए। पहली बार यूपी पुलिस बल के लिए फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट का गठन किया गया। गत वर्ष पाठ्यक्रम भी प्रारंभ किया गया है।

फ्लीट में शामिल होंगे 6278 वाहन

सीएम योगी ने कहा कि हमने यूपी-112 के रिस्पांस टाइम को कम करने और पीआरवी-112 की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया। सात वर्ष में फोर व्हीलर के साथ टू व्हीलर भी शामिल किया गया, जिससे गली-मोहल्लों तक पीआरवी आमजन की सेवा के लिए पहुंच सके। कोरोना काल में लॉकडाउन के समय यूपी पुलिस का पीआरवी 112 सुर्खियों में बना था। लोगों ने पुलिस बल के सेवा भाव को देखा था। जिन गली-मोहल्लों में फोर व्हीलर नहीं जा सकती, वहां टू व्हीलर की सुविधा पहुंची। अगले तीन वर्ष का बड़ा कार्यक्रम शासन ने तय किया है। इस फ्लीट में 6278 फोर और टू व्हीलर उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास प्रारंभ किया है। इस वर्ष 1778 फोर-टू व्हीलर को फ्लीट का हिस्सा बनाने वाले हैं।

सीएम योगी ने कानपुर पुलिस के प्रयासों की सराहना की

कानपुर ट्रैफिक पुलिस की ओर से कर्मचारी कल्याण के लिए एसी हेलमेट प्रदान करने की अभिनव पहल की गई। इसका निर्माण हैदराबाद की कंपनी ने किया है। कानपुर मेट्रो में काम कर रही एफकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर ने कानपुर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के लिए सीएसआर गतिविधि के माध्यम से सहयोग दिया है। सीएम ने कानपुर ट्रैफिक पुलिस के आरक्षी सुगौरव तिवारी को हेलमेट पहनाया। सीएम ने कहा कि गर्मी के नए रिकॉर्ड टूटे हैं। अंतिम चरण की चुनाव ड्यूटी के लिए जब पुलिस व कर्मचारी प्रस्थान कर रहे थे तो एक ही दिन में दर्जनों मौतें हुईं। उस समय तापमान बहुत अधिक था।

एसी हेलमेट कुछ हद तक मदद करने में सहभागी बनेगा

लू-भीषण गर्मी में भी यूपी पुलिस लोगों को बेहतर सुविधा देती है। ट्रैफिक पुलिस के जवान चौराहे पर खड़े होकर यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करते है। कई बार ऐसा करते-करते जवान बेहोश हो जाते हैं या कोई अप्रिय घटना हो जाती है। यह एसी हेलमेट कुछ हद तक मदद करने में सहभागी बनेगा। सीएम ने कहा कि कानपुर कमिश्नरेट पुलिस का यह प्रयास सराहनीय है।

सेफ सिटी के लिए गोरखपुर से शुरू हुआ था ऑपरेशन त्रिनेत्र

सीएम योगी ने कहा कि पुलिस कमिश्नर कानपुर जब गोरखपुर के एडीजी थे तो उन्होंने सेफ सिटी का प्रयास प्रारंभ किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय व राज्यों से कहा था कि महिला सुरक्षा के बारे में संवेदनशील बनना होगा। उनकी चिंता को ध्यान में रखते हुए 2016 में सेफ सिटी के लिए यूपी पुलिस ने गोरखपुर से ऑपरेशन त्रिनेत्र की शुरुआत की।इसमें शासन, नगर निकाय, विकास प्राधिकरण, व्यापार मंडल, सामान्य नागरिक का सहयोग मिला। उसके परिणाम हमें देखने को मिलते हैं। इससे घटनाएं नहीं होतीं, यदि हो भी गईं तो कुछ ही घंटों के अंदर अपराधी पुलिस की भेंट चढ़ जाता है। यह बताता है कि हमने टेक्नोलॉजी के साथ मैनपॉवर को ट्रेंड किया है।ऐसे कार्यक्रमों में जनता का भरपूर सहयोग मिलता है।कार्यक्रम में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव (गृह) दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार, एडीजी यूपी 112 नीरा रावत आदि मौजूद रहे।

उत्तर प्रदेश देश का हृदय स्थल, यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं : सीएम योगी


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का हृदयस्थल है। यहां पर्यटन की अनेक संभावनाएं हैं। गत वर्ष उत्तर प्रदेश में 48 करोड़ पर्यटक आए थे। यानी आबादी की लगभग दोगुनी संख्या पर्यटन की दृष्टि से यहां आई थी। अधिकांश पर्यटक धार्मिक पर्यटन के लिए आए थे। 2023 में काशी में यह संख्या 10 करोड़ से अधिक थी। मथुरा-वृंदावन में साढ़े सात करोड़ और अयोध्या में पांच करोड़ से अधिक थी। 500 वर्षों के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम के विराजमान होने के बाद यह संख्या कई गुना बढ़ गई है। औसतन प्रतिदिन डेढ़-दो लाख पर्यटक अयोध्या धाम आ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मरकरी हॉल में ईको टूरिज्म पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।


यूपी में स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ ही हेरिटेज व ईको टूरिज्म की भी संभावनाएं


सीएम योगी ने कहा कि यूपी में कई ऐसे साइट्स हैं, जहां पर्यटक आते हैं। लखनऊ के बगल में नैमिषारण्य, चित्रकूट, शुकतीर्थ, विंध्यवासिनी धाम, मां पाटेश्वरी धाम, मां शाकंभरी धाम सहारनपुर, बौद्ध तीर्थ स्थल कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, संकिसा, जैन व सूफी परंपरा से जुड़े स्थलों में भी स्प्रिचुअल टूरिज्म की अनेक संभावना पहले से है। यह संभावनाएं बताती हैं कि यदि स्प्रिचुअल टूरिज्म के लिए स्थान है तो इसका मतलब यह मानव सृष्टि और जीव सृष्टि का उद्गम स्थल है। इसके सबसे बड़े प्रमाण सोनभद्र के फासिल्स पार्क को देखें। उसकी आयु उतनी ही है, जितनी जीव सृष्टि की है। लगभग डेढ़ सौ करोड़ वर्ष पूर्व के फासिल्स वहां पाए जाते हैं। ऐसे अनेक स्थल, प्राकृतिक सरोवर, ताल मिलेंगे। 15 हजार वर्ग किमी. का क्षेत्रफल केवल वन संपदा है। यूपी में पौराणिक काल के वन हैं।

यूपी के तराई क्षेत्र (बहराइच, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, बलरामपुर, पीलीभीत) में वन सुरक्षित हैं, जबकि उस पार नेपाल में वन समाप्त हो गए हैं। चूका, दुधवा, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, अब चित्रकूट व बिजनौर के अमानगढ़ में टाइगर रिजर्व को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ ही हैरिटेज व ईको टूरिज्म की संभावनाएं भी मौजूद हैं। उन्हीं संभावनाओं को देश-दुनिया के सामने लाने, लोगों का आकर्षण बढ़े, मनोरंजन और ज्ञानवर्धन हो, अतीत व इतिहास के साथ जुड़ने का अवसर प्राप्त हो। साथ ही भावी चेतावनी के प्रति हम सभी जागरूक हो सकें, इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड गठित किया गया है।

देश-प्रदेशवासियों को लंबे समय तक याद आएगी जून की गर्मी

सीएम योगी ने कहा कि जून की गर्मी देश-प्रदेशवासियों को लंबे समय तक याद आएगी। तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा था। लोग असहाय और असमंजस की स्थिति में थे। इसके लिए उत्तरदायी हम सबकी स्वार्थी गतिविधियां ही हैं। स्वयं के स्वार्थ के लिए प्रकृति के दोहन की प्रवृत्ति के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई।



नाइट सफारी बनाने से पहले कुकरैल नदी को जीवित करेंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ में कुकरैल के पास नाइट सफारी बना रहे हैं। इसके पहले कुकरैल नदी को जीवित करेंगे। कभी कुकरैल आदि गंगा गोमती की सहायक नदी थी। पीलीभीत से निकलकर वाराणसी में मां गंगा के साथ इसका मिलन होता है लेकिन कुकरैल नदी को नाला बनाकर लोगों ने अवैध निर्माण कर लिया। चार दशक में कब्जा इतना बढ़ गया कि न केवल यह नदी, बल्कि पर्यावरण के लिए चुनौती बन गया।

हम लोगों ने कुकरैल को नदी बनाने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी। आठ हजार से अधिक अनधिकृत कब्जों को हटाया। दोषियों को दंडित किया और कइयों को पुनर्वास किया। गर्मी में जब नदियों और जल के स्रोत सूख रहे थे तो कुकरैल में जल के नए स्रोत बन रहे थे। ईको टूरिज्म डवलपमेंट बोर्ड आगाह कर रहा है कि मनोरंजन व ज्ञानवर्धन के लिए हम प्रकृति के उपहार का उपयोग करें, लेकिन भावी पीढ़ी को लंबे समय तक उपहार मिलता रहे। इसके संरक्षण की जिम्मेदारी हमें लेनी पड़ेगी।

स्प्रिचुअल की तरह ईको टूरिज्म को बढ़ाने में होंगे सफल

बांदा के कालिंजर, जालौन व बस्ती में ऐसे कार्यक्रम प्रारंभ हुए हैं। यह संभावना पीलीभीत, खीरी, बहराइच, सोनभद्र, चंदौली, चित्रकूट समेत कई जनपदों में भी बन सकती है, जहां पहले से ईको सिस्टम मौजूद है। सरकार कनेक्टिवटी और पॉलिसी के तहत आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा सकती है। अलग-अलग क्षेत्रों व जनपदों में ईको टूरिज्म की संभावनाओं को बोर्ड के साथ जुड़कर आगे बढ़ाएंगे तो स्प्रिचुअल टूरिज्म की तरह हम लोग ईको टूरिज्म को भी आगे बढ़ाने में सफल होंगे।कार्यक्रम में संस्कृति/पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना, वन राज्यमंत्री केपी मलिक, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव (वन-पर्यावरण) मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव (पर्यटन-संस्कृति) मुकेश कुमार मेश्राम, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुधीर कुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।

भ्रष्टाचार में लिप्त 15 इंजीनियरों के खिलाफ विजिलेंस ने किया मुकदमा, 6 एसडीएम पर होगी कार्रवाई
लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति के तहत विजिलेंस ने सिंचाई विभाग और जल निगम के 14 पूर्व और एक वर्तमान अभियंता पर मुकदमा दर्ज किया है। विजिलेंस के लखनऊ सेक्टर ने पिछले 24 घंटे में चार मुकदमे दर्ज किए हैं, जिसमें से एक मुकदमा सिंचाई विभाग के 12 सेवानिवृत्त अधीक्षण एवं मुख्य अभियंताओं पर दर्ज किया गया है। वहीं तीन मुकदमे जल निगम के अभियंताओं के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति से जुड़े हैं।

उप्र वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना के दूसरे चरण के क्रियान्वयन में सरकारी कार्य के लिए शासन द्वारा आवंटित राशि से अधिक का अनुबंध करने की शिकायत पर शासन ने 2019 में विजिलेंस को जांच का आदेश दिया था। आरोप सही पाए जाने पर विजिलेंस ने शासन से इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। 18 अप्रैल 2024 को शासन की अनुमति मिलने पर विजिलेंस, लखनऊ सेक्टर के निरीक्षक रिजवान अब्बास ने 12 सेवानिवृत्त इंजीनियरों पर बुधवार को मुकदमा दर्ज कराया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में परियोजना से संबंधित शासनादेश के निर्देशों का पालन नहीं किया, जिससे शासन को करोड़ों की क्षति हुई।

अलीगढ़ में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता बलराम सिंह यादव, रामगंगा सिंचाई विभाग कानपुर के तत्कालीन मुख्य अभियंता कुणाल कुलश्रेष्ठ, अवध राज यादव, अनिल कुमार, रणवीर सिंह, इटावा सिंचाई कार्यमंडल के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता कुलजीत सिंह, कानपुर सिंचाई कार्यमंडल के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता सुरेश चंद्र शर्मा, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता (सज्जा एवं सामग्री प्रबंध) आदेश कुमार गोयल, शारदा सहायक सिंचाई कार्यमंडल लखनऊ के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शिवमंगल यादव, अधीक्षण अभियंता नीरज कुमार, ललितपुर सिंचाई कार्यमंडल के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता महेंद्र कुमार निगम और झांसी के तत्कालीन मुख्य अभियंता बेतवा नवनीत कुमार।


विजिलेंस ने जल निगम के तीन अभियंताओं के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज किया है। इनमें जल निगम के सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता अजेय रस्तोगी, जल निगम की सीएंडडीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजायन सर्विसेज) इकाई के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक कृष्ण कुमार पटेल (सेवानिवृत्त) और कमलेश कुमार केशरी का नाम शामिल है।

प्रदेश में जमीनों की पैमाइश के काम में लापरवाही मिलने पर छह उप जिलाधिकारियों (एसडीएम) के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। ये एसडीएम आगरा, गाजीपुर और सुल्तानपुर की तहसीलों में तैनात हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व संहिता की धारा-24 के तहत दायर होने वाले सीमांकन वादों (पैमाइश के मामलों) में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जमीन की पैमाइश समय से न होने पर अक्सर ही विवाद बढ़ जाते हैं, जोकि कानून-व्यवस्था के के लिहाज से भी परेशानी का सबब बनते हैं।

समीक्षा में सामने आया कि आगरा की फतेहाबाद, खैरगढ़ व बाह तहसील, गाजीपुर की सदर व सैदपुर और सुल्तानपुर की सदर तहसील में पैमाइश के मामलों का निस्तारण संतोषजनक नहीं है। पांच-पांच साल से मामले लटके हुए हैं। अभियान के तहत मामले निपटाने के निर्देश के बावजूद भी यह स्थिति बनी हुई है।

इसलिए राजस्व विभाग ने फतेहाबाद के एसडीएम जेपी पांडेय, खैरगढ़ के अरुण कुमार यादव, बाह के रतन कुमार वर्मा, सैदपुर के पुष्पेंद्र पटेल और गाजीपुर सदर के एसडीएम चंद्रशेखर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सुल्तानपुर सदर में उस एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई होगी, जिसके कार्यकाल में मामले नहीं निपटे। उस एसडीएम के नाम की जानकारी की जा रही है।
आधार कार्ड की तर्ज पर बनाया जाएगा किसान कार्ड, एक जुलाई से पूरे प्रदेश में किसान रजिस्ट्री की जा रही शुरुआत
लखनऊ । प्रदेश में आधार की तर्ज पर ही किसान कार्ड बनाया जाएगा। इसके लिए एक जुलाई से पूरे प्रदेश में किसान रजिस्ट्री की शुरुआत की जा रही है। इसमें किसान का आधार नंबर, खेत का रकबा, खसरा नंबर आदि का विवरण दर्ज किया जाएगा। इसके बाद एक किसान नंबर जारी होगा। इस नंबर के जरिए ही संबंधित किसान का पूरा विवरण देखा जा सकेगा। रजिस्ट्री का कार्य पूरा होने के बाद किसान कार्ड बनाया जाएगा। रजिस्ट्री से मिलने वाले नंबर के जरिये ही दिसंबर से पीएम किसान सम्मान निधि सहित अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। कृषि विभाग का दावा है कि पूरे प्रदेश में एक साथ किसान रजिस्ट्री शुरू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।

केंद्र सरकार की ओर से एग्रीस्टैक (कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा) विकसित करने की योजना के तहत किसान रजिस्ट्री शुरू की जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से तैयार कराए गए मोबाइल एप पर प्रदेश के हर किसान का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा।  इसके लिए एक जुलाई से 31 जुलाई तक हर गांव में शिविर लगेंगे। इसमें दो कर्मचारी रहेंगे। ये गांव में रहकर संबंधित किसान का नाम, पिता का नाम, स्वामित्व वाले सभी गाटा संख्या, सह खातेदार होने की स्थिति में गाटे में किसान का अंश, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, ईकेवाईसी विवरण आदि दर्ज करेंगे। किसी प्रकार के स्वामित्व हस्तांतरण (विरासत, बैनामा आदि) होने पर किसान रजिस्ट्री में बदलाव किया जा सकेगा। इसमें किसान के हर गाटे में दो सत्र में बोई जाने वाली फसल का विवरण भी शामिल किया जाएगा।


अभी किसान को किसी तरह का ऋण लेने के लिए बार-बार राजस्व रिकॉर्ड देना पड़ता है। किसान रजिस्ट्री होने से उनके नंबर को संबंधित एप पर डालकर उसका पूरा विवरण देखा जा सकेगा। इससे किसान कल्याण की योजनाएं बनाने और उसने क्रियान्वयन में आसानी होगी। लाभार्थियों के सत्यापन, कृषि उत्पाद के विपणन और अन्य वित्तीय मामलों में भी सहूलियत होगी। साथ ही पीएम किसान सम्मान निधि का भुगतान, फसली ऋण के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा, आपदा के दौरान किसानों को क्षतिपूर्ति देने के लिए किसानों के चिह्नित करने में आसानी होगी।
ओम बिरला के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगी 'संसद' की गरिमा : सीएम योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर ओम बिरला को बधाई दी। सीएम योगी ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर लिखा कि जनप्रिय, मृदुभाषी राजनेता ओम बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष चुने जाने पर हृदयतल से बधाई !

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा-पूर्ण विश्वास है कि आपके यशस्वी नेतृत्व में भारतीय लोकतंत्र के मंदिर 'संसद' की गरिमा नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगी। आपके स्वर्णिम कार्यकाल हेतु अनंत मंगलकामनाएं!

गौरतलब है कि ओम बिरला राजस्थान की कोटा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। राजग की तरफ से मंगलवार को उन्हें लोकसभा अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन बुधवार को ध्वनिमत से वे अध्यक्ष चुन लिए गए।

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर योगी सरकार का बड़ा फैसला
लखनऊ । राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आच्छादित राज्य सरकार के ऐसे सरकारी सेवक जिनका चयन ऐसे पद व रिक्तियों के सापेक्ष हुआ हो, जिसका विज्ञापन प्रदेश में नई परिभाषित अंशदान पेंशन योजना लागू किये जाने सम्बन्धी राज्य सरकार की अधिसूचना  28 मार्च, 2005 के पूर्व हो चुका था, को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किये जाने के सम्बन्ध में विकल्प की व्यवस्था।प्रदेश में 28 मार्च 2005 से पहले प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वालों को पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा। कैबिनेट ने मंगलवार को इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इससे करीब 50 हजार शिक्षक लाभांवित होंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार के कार्मिकों एवं परिषदीय विद्यालयों, शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं, राज्य सरकार द्वारा अनुदानित स्वायत्तशासी संस्थाओं, जिनमें राज्य कर्मचारियों की पेंशन योजना की भांति पेंशन योजना लागू रही है और जिनका वित्त पोषण राज्य सरकार की समेकित निधि से किया जाता है, के ऐसे कार्मिक जिनकी नियुक्ति दिनांक 01.04.2005 को अथवा उसके उपरान्त हुई है परन्तु उस नियुक्ति के लिए पद का विज्ञापन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू किये जाने सम्बन्धी अधिसूचना 28.03.2005 के पूर्व प्रकाशित हो चुका था, को पुरानी पेंशन योजना के वरण का एक बार विकल्प उपलब्ध कराये जाने का निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है।

वर्तमान पेंशन योजना की भांति पेंशन योजना लागू

ज्ञातव्य है कि अधिसूचना संख्या-सा-3-379/दस-2005-301(9)-2003 दिनांक 28 मार्च, 2005 द्वारा यह प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार की सेवा में और ऐसे समस्त शासन के नियंत्रणाधीन स्वायत्तशासी संस्थाओं और शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं, जिनमें राज्य कर्मचारियों की वर्तमान पेंशन योजना की भांति पेंशन योजना लागू है और उनका वित्त पोषण राज्य सरकार की समेकित निधि से किया जाता है, में  01 अप्रैल, 2005 अथवा उसके पश्चात कार्यभार ग्रहण करने वाले कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आच्छादित होंगे।


केन्द्र सरकार के कार्यालय ज्ञाप संख्या-57/07/2021-P&PW(B) दिनांक03.03.2023 द्वारा यह आदेश निर्गत किये जा चुके हैं कि केन्द्र सरकार का ऐसा कोई कर्मचारी जिसकी नियुक्ति दिनांक 01.01.2004 को अथवा उसके उपरान्त, ऐसी किसी रिक्ति के सापेक्ष हुई है जिसका विज्ञापन केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू किये जाने सम्बन्धी अधिसूचना दिनांक 22.12.2003 के पूर्व हो चुका था, को पुरानी पेंशन योजना को चुनने का एक बार विकल्प दिया जायेगा।
यूपी ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत

लखनऊ । योगी मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 के भाग-छः में ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र के निर्गम की प्रक्रिया सम्बन्धी प्राविधान हैं। इन प्राविधानों में ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र हेतु सामान्य जन द्वारा धनराशि की अदायगी, ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र के निर्गम की रीति एवं ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र के आकार एवं मुद्रण सम्बन्धी प्राविधान हैं। इनमें ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र की सामान्य जन द्वारा सेल्फ प्रिन्टिंग किए जाने सम्बन्धी कोई प्राविधान नहीं हैं।

जन सामान्य को छोटे मूल्य के ई-स्टाम्प पत्रों की उपलब्धता के दृष्टिगत ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र की सामान्य जन द्वारा सेल्फ प्रिन्टिंग किए जाने सम्बन्धी प्राविधान समाहित करने हेतु उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है। इस व्यवस्था के लागू होने से उत्तर प्रदेश में जन सामान्य को छोटे मूल्य के ई-स्टाम्प प्रमाण पत्रों की सेल्फ प्रिन्टिंग किए जाने की सुविधा प्राप्त होगी।

ज्ञातव्य है कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 10, 74 एवं 75 की प्रदत्त शक्तियों के अधीन उत्तर प्रदेश ई-स्टाम्पिंग नियमावली, 2013 प्रख्यापित की गयी थी। इस नियमावली के प्राविधानों के अन्तर्गत प्रदेश में विविध प्रकार के लेख पत्रों पर नियमानुसार देय स्टाम्प शुल्क की अदायगी के लिए भौतिक स्टाम्प पत्रों के विकल्प के रूप में ई-स्टाम्पिंग प्रणाली स्थापित की गयी है। इस प्रणाली में ई-स्टाम्प प्रमाण पत्रों का निर्गमन भारत सरकार के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लि0 द्वारा केन्द्रीय अभिलेख अनुरक्षण अभिकरण के रूप में किया जा रहा है।
यूपी में 35 करोड़ पौधारोपण के लिए प्रस्ताव स्वीकृत
योगी मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के पर्यावरणीय लाभ एवं कृषकों की आय में सतत् वृद्धि के दृष्टिगत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 35 करोड़ पौधारोपण के लिए प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों, न्यायालय परिसरों,औद्योगिक इकाइयों,सहकारी समितियों,कृषकों,संस्थाओं,व्यक्तियों,निजी एवं शासकीय शिक्षण संस्थाओं,स्थानीय निकायों यथा-ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम, प्राधिकरण आदि,भारत सरकार के विभागों एवं उपक्रमों,रेलवे,रक्षा एवं अन्य को सम्बन्धित शासकीय विभागों,संस्थाओं के माध्यम से वन विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौध (यूकेलिप्टस एवं पॉपलर को छोड़कर) उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।


*पौधशालाओं में 48.52 करोड़ पौध उपलब्ध*

मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय भी लिया गया कि निःशुल्क पौध उपलब्धता के सम्बन्ध में यदि अन्य किसी संशोधन/परिवर्धन (वित्तीय उपाशय को छोड़कर) की आवश्यकता भविष्य में होती है तो उक्त संशोधन/परिवर्धन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किया जा सकेगा।वृक्षारोपण जन आन्दोलन वर्ष 2024-25 का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कृषकों की आय में वृद्धि करना है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 में 35 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 12.60 करोड़ पौधों का रोपण वन एवं वन्य जीव विभाग द्वारा तथा 22.4 करोड़ पौधों का रोपण राजकीय विभागों द्वारा जनसहभागिता से किया जाएगा। वृक्षारोपण 2024-25 के लिए वन एवं वन्य जीव विभाग की पौधशालाओं में 48.52 करोड़ पौध उपलब्ध हैं।

*नन्द बाबा दुग्ध मिशन सोसाइटी के रूल्स एवं बायलॉज अनुमोदित*

मंत्रिपरिषद ने नन्द बाबा दुग्ध मिशन सोसाइटी के रूल्स एवं बायलॉज को अनुमोदित कर दिया है।ज्ञातव्य है कि लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 के आलोक में अगले पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये की लागत द्वारा प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाये रखने एवं गाँवों में दुग्ध सहकारी समितियाँ गठित कर दुग्ध उत्पादकों को गांव में ही उनके दुग्ध की उचित मूल्य पर विक्रय की सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टिगत ’नन्द बाबा दुग्ध मिशन’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मिशन के अन्तर्गत मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन योजना, मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना, नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना, प्रारम्भिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के गठन की योजना, पशु स्वास्थ्य एवं दुग्ध गुणवत्ता परीक्षण किट आदि योजनाएं प्रारम्भ की गयी हैं।

*जीएस विश्वविद्यालय, हापुड़ की स्थापना के सम्बन्ध में*

मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के अन्तर्गत जीएस विश्वविद्यालय, हापुड़, उत्तर प्रदेश की स्थापना किए जाने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 में संशोधन किए जाने हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (पांचवां संशोधन) अध्यादेश-2024 को प्रख्यापित कराए जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
पेपर लीक किया तो होगी उम्रकैद, एक करोड़ रुपये लगेगा जुर्माना

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने परीक्षाओं को पारदर्शी और शुचितापूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए मंगलवार को उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अध्यादेश-2024 को मंजूरी प्रदान की। इस अध्यादेश में पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ दो साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने के प्रावधान किए गए हैं। पेपर लीक अथवा अन्य कारणों से परीक्षा प्रभावित होने पर खर्च की भरपाई साल्वर गैंग से की जाएगी। परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों और सेवा प्रदाताओं को हमेशा के लिए ब्लैक लिस्ट करने का भी प्रावधान किया गया है।


*यूपी सार्वजनिक परीक्षा अध्यादेश को योगी कैबिनेट की मंजूरी*


वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक के फैसलों की जानकारी दी। खन्ना ने बताया कि कैबिनेट के समक्ष कुल 44 प्रस्ताव रखे गए थे, जिसमें 43 को मंजूरी प्रदान की है। अनुमोदित प्रस्तावों में सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों और पेपर लीक रोकथाम अध्यादेश 2024 भी शामिल रहा। वित्त मंत्री ने बताया कि पेपर लीक के संबंध में मंत्रिपरिषद के द्वारा अध्यादेश के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया है।


*यह कानून सभी तरह की परीक्षाओं पर होगा लागू*


इसके तहत यदि कोई संस्था या उससे जुड़े लोग पकड़े जाएंगे तो उन्हें 2 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अध्यादेश के तहत लोकसेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण या निकाय या उनके द्वारा नामित संस्था भी इसमें सम्मिलित हैं। यह अध्यादेश किसी प्रकार की भर्ती परीक्षाओं, नियमितीकरण या पदोन्नति करने वाली परीक्षाएं, डिग्री-डिप्लोमा, प्रमाण पत्रों या शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं पर भी लागू होगा। इसके अंतर्गत फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि दंडनीय अपराध बनाए गए हैं।


*इसमें एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान*


अधिनियम के प्राविधानों के उल्लंघन पर अध्यादेश के अंतर्गत दोषियों को 2 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा, जबकि एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।मंत्री खन्ना ने बताया कि यदि परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को सॉल्वर गिरोह से वसूलने तथा परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली संस्था तथा सेवा प्रदाताओं को सदैव के लिए ब्लैक लिस्ट करने का भी प्राविधान किया गया है। अधिनियम में अपराध की दशा में संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान किया गया है।


*अब इस अध्यादेश को किया जाएगा लागू*


इसके तहत समस्त अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय एवं अशमनीय बनाए गए हैं। जमानत के संबंध में भी कठोर प्राविधान किए गए हैं। वर्तमान में विधानसभा का सत्र न होने के कारण बिल के स्थान पर अध्यादेश का प्रस्ताव किया गया है। मंत्रिपरिषद के द्वारा प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद अध्यादेश की प्रक्रिया को पूरी की जाएगा और इसके बाद इसे लागू किया जाएगा।