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भोजशाला में मिली काले पत्थर की भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति, तीन महीने से खुदाई जारी, कई प्राचीन अवशेष बरामद

इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) मध्य प्रदेश के धार जिले में ऐतिहासिक स्थल भोजशाला का तीन महीने से सर्वेक्षण कर रहा है। इस सर्वेक्षण के दौरान, जिसमें उन्नत तकनीक और मैनुअल श्रम का उपयोग करके 25 फीट गहराई तक मिट्टी को हटाना शामिल है, ASI ने प्राचीन अवशेष और मूर्तियां खोजी हैं। गौरतलब है कि सर्वेक्षण के 91वें दिन 20 जून 2024 को भगवान कृष्ण की लगभग डेढ़ फीट ऊंची काले पत्थर की मूर्ति के साथ दो अन्य पुरावशेष मिले थे। भोजशाला मुक्ति यज्ञ के अधिकारियों ने कहा है कि इन अवशेषों पर सनातन धर्म के प्रतीक हैं।

भोजशाला के उत्तरी भाग में खुदाई में भगवान कृष्ण की खड़ी मूर्ति मिली है। भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति काले पत्थर की बनी हुई है और ये लगभग डेढ़ फिट की है। मिली पुरावशेषों में से एक में सनातन धर्म के प्रतीक हैं, जबकि दूसरे में दोनों तरफ यक्षों को दर्शाया गया है। इससे पहले, ASI ने सूर्य के आठ चरणों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीकों वाले पत्थर खोजे थे, जिनका माप 1×3.5 वर्ग फीट था। होली के बाद से ही लगातार मेहनत कर रही एएसआई की टीम ने खुदाई के दौरान लगातार मूर्तियां और शिलालेख खोजे हैं। इंदौर उच्च न्यायालय 4 जुलाई को निष्कर्षों की समीक्षा करने वाला है, जिसमें ASI अपनी खोजों के फोटोग्राफिक और वीडियोग्राफिक साक्ष्य तैयार कर रहा है।

भोजशाला के धार्मिक महत्व को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद के बाद यह सर्वेक्षण किया गया है। हिंदू समुदाय का दावा है कि यह उनकी देवी वाग्देवी (माता सरस्वती) का मंदिर है, जिसे राजा भोज ने 1000-1055 के बीच बनवाया था। उनका तर्क है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिर को अपवित्र किया और मौलाना कमालुद्दीन की कब्र बनवाई, जिन पर हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने का आरोप है। नतीजतन, अब इस स्थल का उपयोग मुस्लिम प्रार्थनाओं के लिए किया जाता है। हिंदू देवताओं की दृश्यमान छवियों, स्तंभों पर संस्कृत के श्लोकों और दीवारों पर भगवान विष्णु के कूर्म अवतार के बारे में श्लोकों वाली नक्काशी की ओर इशारा करके अपना दावा जताते हैं।

11 मार्च को कोर्ट के आदेश के बाद 22 मार्च को एएसआई का सर्वेक्षण शुरू हुआ था। मुस्लिम समुदाय ने 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सर्वेक्षण रोकने की मांग की थी। इसके बावजूद 29 अप्रैल को सर्वेक्षण की समयसीमा बढ़ा दी गई। अंतिम रिपोर्ट 4 जुलाई को देनी है, जिसे इंदौर हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा।

NEET और UGC NET परीक्षा गड़बड़ी से आया राजनीतिक भूचाल, उत्तराखंड भी रहा है पेपर लीक का एपिक सेंटर

पेपर लीक प्रकरण इस समय देश का सबसे बड़ा पॉलिटिकल मुद्दा बन गया है. पटना में नीट (NEET) के पेपर लीक से लेकर UGC NET की परीक्षा रद्द किये जाने तक पर राजनीतिक भूचाल मचा हुआ है. उधर राष्ट्रीय स्तर पर पेपर लीक के इस मामले ने उत्तराखंड की भी पुरानी यादें ताजा कर दी हैं. दरअसल एक समय उत्तराखंड भी पेपर लीक के मामलों का एपिक सेंटर रह चुका है. यहां एक या दो नहीं बल्कि कई परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं.

नीट और नेट के रिजल्ट पर हंगामा

 देश में आज NEET (National Eligibility Cumulative Entrance Test) पेपर लीक मामला सुर्खिया बटोर रहा है. अभी पटना में नीट (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) का पेपर लीक होने पर विवाद चल रही रहा था कि UGC NET (University Grants Commission–National Eligibility Test) परीक्षा में भी इसी तरह की शिकायत आने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने इस परीक्षा को रद्द करने का फैसला ले लिया. उधर मामले की जांच सीबीआई को भी सौंप दी गई. हालांकि यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है, लेकिन उत्तराखंड में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है. हालांकि उत्तराखंड के लिए पेपर लीक जैसे मामले कोई नई बात नही हैं.

 उत्तराखंड पेपर लीक के मामलों का एपिक सेंटर भी रह चुका है. यूं तो समय-समय पर कई पेपर लीक होने की चर्चाएं प्रदेश में बनी रही हैं, लेकिन पेपर लीक से जुड़ी सबसे ज्यादा सुर्खियां साल 2021 में रहीं. जब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित कराई जाने वाली स्नातक स्तरीय परीक्षा 2021 में गड़बड़ी होने की बात सामने आयी. पेपर लीक होने की खबर आते ही युवाओं ने सड़कों पर आकर मोर्चा खोल दिया. बॉबी पंवार नाम के युवा के नेतृत्व में हजारों युवा सड़कों पर उतर आए. बस यहीं से प्रदेश में पेपर लीक प्रकरण राष्ट्रीय स्तर पर भी बहस की वजह बन गया. चौंकाने वाली बात यह है कि इसके बाद एक-एक कर कई दूसरी परीक्षाओं में भी पेपर लीक होने की बात सामने आने लगी. इनमें सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा, वन दरोगा भर्ती, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा जैसी भर्तियां शामिल रहीं.

एसटीएफ ने की पेपर लीक की जांच

 इन सभी परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा होने की बात सामने आने के बाद सरकार ने भी एसटीएफ के माध्यम से परीक्षाओं की जांच के आदेश दे दिए. एक परीक्षा की जांच के दौरान अन्य कुछ परीक्षाओं में भी धांधली होने की बात सामने आती रही. इस तरह एक के बाद एक परीक्षाओं पर गड़बड़ी सामने आने से उत्तराखंड पेपर लीक के मामले पूरे देश में चर्चाओं में आ गए.

उत्तराखंड पेपर लीक में हो चुकी हैं 62 गिरफ्तारियां

पेपर लीक को लेकर कई मुकदमे दर्ज किए गए और इसमें तमाम आरोपियों की भी गिरफ्तारी की गई. प्रकरण में उत्तरकाशी के रहने वाले हाकम सिंह को मास्टरमाइंड बनाकर सलाखों के पीछे भी भेजा गया. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में स्नातक स्तरीय परीक्षा में कुल 47 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. वन दरोगा परीक्षा में गड़बड़ी करने के आरोप में आठ लोगों की गिरफ्तारी हुई. इसी तरह सचिवालय रक्षक परीक्षा के लिए एक और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा में गड़बड़ी के लिए छह आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. इस तरह देखा जाए तो कुल 62 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है.

उत्तराखंड का नकल विरोधी कानून

पेपर लीक के ऐसे मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार इसके लिए कठोर कानून लेकर आई. ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान इसमें जोड़ा गया. उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर आजीवन कारावास (Life imprisonment) की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना भी भरना पड़ेगा. इसे गैर जमानती अपराध बनाया गया तो इसमें दोषियों की संपत्ति भी जब्त हो जाएगी.

इस कानून के तहत यदि कोई अभ्यर्थी भर्ती परीक्षा में खुद नकल करते अथवा नकल कराते हुए अनुचित साधनों में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे तीन साल की सजा होगी. इसके साथ ही मिनिमम पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है. दूसरी बार भी यदि वही अभ्यर्थी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में फिर दोषी पाया जाता है, तो उसे इस बार कम से कम 10 साल की जेल होगी. इसके साथ ही उसे मिनिमम 10 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा.

अनशन पर आतिशी, क्या दिल्ली को मिलेगा जल संकट का समाधान?

#atishifastwillcontinueuntilharyanagovtprovideswater

दिल्ली में पानी के ले सत्याग्रह शुरू हो गया है।हरियाणा से रोज 100 मिलियन गैलन पानी दिए जाने की अपनी मांग को लेकर दिल्ली की जल मंत्री आतिशी शुक्रवार यानी 21 जून से भूख हड़ताल कर रही हैं। आज उनके अनशन का दूसरा दिन है। इस दौरान शनिवार को एक वीडियो जारी कर उन्होंने कहा कि अनशन पर बैठने के बाद हरियाणा ने 110 MGD कम पानी दिया है। जब तक दिल्ली के लोगों को पानी नहीं मिलेगा। ये अनशन जारी रहेगा।

अपने वीडियो मैसेज में आतिशी ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं आज मेरे अनशन का दूसरा दिन है। दिल्ली में पानी का गंभीर संकट है। इस भीषण गर्मी में जब ज़्यादा पानी की ज़रूरत थी, तब शहर में पानी की किल्लत हो गई है। दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से पानी मिलता है। पिछले कई दिनों से हरियाणा दिल्ली के लिए कम पानी छोड़ रहा है। मैंने हर संभव रास्ता अपना कर देख लिया लेकिन जब किसी भी रास्ते से हरियाणा सरकार पानी देने को तैयार नहीं हुई तो मेरे पास अनशन पर बैठने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

आतिशी ने कहा कि आज भी पानी की कमी बनी हुई है। कल पूरे दिन भर में 110 MGD पानी कम आया है। जब तक हरियाणा सरकार दिल्ली को पानी नहीं देती, मैं अपना अनशन जारी रखूंगी। जब तक दिल्ली के 28 लाख लोगों को पानी नहीं मिल जाता, मैं कुछ नहीं खाऊंगी।'

उम्मीद है आतिशी की तपस्या सफल होगी- सुनीता केजरीवाल

अनशन बैठने के बाद दिल्ली सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने कहा- हरियाणा सरकार से अपील करने के लिए दिल्ली की मंत्री आतिशी अनिश्चितकालीन समय के लिए सत्याग्रह करने जा रही हैं। वह कुछ भी नहीं खाएंगी, केवल पानी पिएंगी। वह दिल्ली के प्यासे लोगों के लिए ऐसा कर रही हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली के लोगों की पीड़ा को टीवी पर देखकर उन्हें बहुत दुख होता है। उन्हें उम्मीद है कि आतिशी की तपस्या सफल होगी और लोगों को कुछ राहत मिलेगी।

बीजेपी ने लगाया दिल्ली सरकार के संरक्षण में पानी की चोरी का आरोप

इससे पहले दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली सरकार के संरक्षण में पानी की चोरी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार के मंत्री बार-बार झूठ बोल रहे हैं कि हरियाणा से दिल्ली को पूरा पानी नहीं मिल रहा है। वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली को हरियाणा से 17.34% अधिक पानी मिला। दिल्ली में पानी पहुंचने के बाद पानी टैंकर माफिया उसे चुरा लेते हैं। यह संकट आप और उनके भ्रष्टाचार की देन है।

सचदेवा ने कहा कि नौ जून को दिल्ली और हरियाणा के अधिकारियों ने मुनक नहर उससे दिल्ली तक आने वाले पानी निरीक्षण किया था। अधिकारियों ने यह माना था कि हरियाणा से दिल्ली को अधिक पानी मिल रहा है। मुनक से काकोरी आते-आते 20 प्रतिशत पानी बर्बाद या चोरी हो रहा है। उन्होंने सड़क पर खड़े टैंकरों की तस्वीर जारी की।दावा किया कि तस्वरी काकोरी से पहले की है और अवैध रूप से खड़े टैंकर से पानी की चोरी होती है।

अनशन पर आतिशी, क्या दिल्ली को मिलेगा जल संकट का समाधान?*
#atishi_fast_will_continue_until_haryana_govt_provides_water
दिल्ली में पानी के ले सत्याग्रह शुरू हो गया है।हरियाणा से रोज 100 मिलियन गैलन पानी दिए जाने की अपनी मांग को लेकर दिल्ली की जल मंत्री आतिशी शुक्रवार यानी 21 जून से भूख हड़ताल कर रही हैं। आज उनके अनशन का दूसरा दिन है। इस दौरान शनिवार को एक वीडियो जारी कर उन्होंने कहा कि अनशन पर बैठने के बाद हरियाणा ने 110 MGD कम पानी दिया है। जब तक दिल्ली के लोगों को पानी नहीं मिलेगा। ये अनशन जारी रहेगा। अपने वीडियो मैसेज में आतिशी ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं आज मेरे अनशन का दूसरा दिन है। दिल्ली में पानी का गंभीर संकट है। इस भीषण गर्मी में जब ज़्यादा पानी की ज़रूरत थी, तब शहर में पानी की किल्लत हो गई है। दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से पानी मिलता है। पिछले कई दिनों से हरियाणा दिल्ली के लिए कम पानी छोड़ रहा है। मैंने हर संभव रास्ता अपना कर देख लिया लेकिन जब किसी भी रास्ते से हरियाणा सरकार पानी देने को तैयार नहीं हुई तो मेरे पास अनशन पर बैठने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। आतिशी ने कहा कि आज भी पानी की कमी बनी हुई है। कल पूरे दिन भर में 110 MGD पानी कम आया है। जब तक हरियाणा सरकार दिल्ली को पानी नहीं देती, मैं अपना अनशन जारी रखूंगी। जब तक दिल्ली के 28 लाख लोगों को पानी नहीं मिल जाता, मैं कुछ नहीं खाऊंगी।' *उम्मीद है आतिशी की तपस्या सफल होगी- सुनीता केजरीवाल* अनशन बैठने के बाद दिल्ली सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने कहा- हरियाणा सरकार से अपील करने के लिए दिल्ली की मंत्री आतिशी अनिश्चितकालीन समय के लिए सत्याग्रह करने जा रही हैं। वह कुछ भी नहीं खाएंगी, केवल पानी पिएंगी। वह दिल्ली के प्यासे लोगों के लिए ऐसा कर रही हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली के लोगों की पीड़ा को टीवी पर देखकर उन्हें बहुत दुख होता है। उन्हें उम्मीद है कि आतिशी की तपस्या सफल होगी और लोगों को कुछ राहत मिलेगी। *बीजेपी ने लगाया दिल्ली सरकार के संरक्षण में पानी की चोरी का आरोप* इससे पहले दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली सरकार के संरक्षण में पानी की चोरी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार के मंत्री बार-बार झूठ बोल रहे हैं कि हरियाणा से दिल्ली को पूरा पानी नहीं मिल रहा है। वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली को हरियाणा से 17.34% अधिक पानी मिला। दिल्ली में पानी पहुंचने के बाद पानी टैंकर माफिया उसे चुरा लेते हैं। यह संकट आप और उनके भ्रष्टाचार की देन है। सचदेवा ने कहा कि नौ जून को दिल्ली और हरियाणा के अधिकारियों ने मुनक नहर उससे दिल्ली तक आने वाले पानी निरीक्षण किया था। अधिकारियों ने यह माना था कि हरियाणा से दिल्ली को अधिक पानी मिल रहा है। मुनक से काकोरी आते-आते 20 प्रतिशत पानी बर्बाद या चोरी हो रहा है। उन्होंने सड़क पर खड़े टैंकरों की तस्वीर जारी की।दावा किया कि तस्वरी काकोरी से पहले की है और अवैध रूप से खड़े टैंकर से पानी की चोरी होती है।
क्या अब ममता बनर्जी वायनाड में प्रियंका गांधी के लिए करेंगी प्रचार?

इस बात के संकेत हैं कि चुनाव पूर्व विवादों के बाद तृणमूल कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के बीच संबंध सुधर रहे हैं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वायनाड में प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए प्रचार कर सकती है ।

प्रियंका गांधी केरल की सीट से चुनावी राजनीति में कदम रख रही हैं, जहां से उनके भाई राहुल गांधी ने इस महीने की शुरुआत में जीत हासिल की थी। राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड से लोकसभा चुनाव जीते थे - दोनों ही सीटों पर तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश की सीट बरकरार रखी है। 

ममता बनर्जी और कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ा था, क्योंकि सीटों के बंटवारे पर मतभेद के कारण दोनों अलग हो गए थे। हालांकि, दोनों पार्टियां इंडिया ब्लॉक के तहत राष्ट्रीय स्तर पर सहयोगी बनी हुई हैं।दिसंबर में, बनर्जी ने सुझाव दिया था कि प्रियंका गांधी को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए, एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया।

टीएमसी और कांग्रेस के बीच रिश्ते तब खराब हो गए जब कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए सार्वजनिक बयान दिए। बाद में टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के अपने फैसले के लिए चौधरी को जिम्मेदार ठहराया। अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर लोकसभा सीट से टीएमसी के यूसुफ पठान से हार गए। उन्होंने लगातार पांच बार सीट जीती थी।

उनकी हार ने दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती नजदीकियों को बढ़ावा दिया है। तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में से 29 पर जीत हासिल की। ​​2019 के आम चुनावों में इसने 22 सीटें जीती थीं। भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव हार गई, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को बहुमत के आंकड़े को पार करने से रोकने में कामयाब रही। भाजपा ने 240 लोकसभा सीटें जीतीं - बहुमत के आंकड़े से 32 कम। पार्टी ने तेलुगु देशम पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई। भाजपा नेता नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। हालांकि, अपने करियर में पहली बार वह गठबंधन सरकार चला रहे हैं।

पुणे पोर्श कांड का नाबालिग आरोपी सदमे में, उसे समय दिया जाए', बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी अहम टिप्पणी*
#bombay_high_court_comment_pune_porsche_case


महाराष्ट्र के पुणे शहर में लक्जरी कार ‘पोर्शे’ से दो इंजीनियरों की जान लेने वाले नाबालिग आरोपी की रिहाई के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका मुख्य आरोपी किशोर की चाची की ओर से दाखिल की गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि शराब के नशे में हादसे को अंजाम देने वाला किशोर भी सदमे में है। स्वाभाविक रूप से इसका असर उसके दिमाग पर पड़ा होगा। उसे कुछ समय दिया जाना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पोर्श कांड में नाबालिग आरोपी की चाची द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष से सवाल करते हुए कहा कि दो लोगों की जान चली गई। ये बड़ा सदमा था, लेकिन नाबालिग आरोपी भी सदमे में है, उसे कुछ समय दीजिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत पुणे पोर्श कांड के नाबालिग आरोपी को जमानत देने के आदेश में संशोधन किया गया और उसे किस तरह से कारावास में रखा गया। वहीं, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और 25 जून को फैसला सुनाएगी। पिछले हफ्ते नाबालिग आरोपी के माता-पिता ने अदालत से राहत नहीं मिली है। अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। दो दिन पहले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उनके 17 वर्षीय बेटे की रिमांड 25 जून तक बढ़ा दी थी। पिछले हफ्ते किशोर के पिता विशाल अग्रवाल और मां शिवानी अग्रवाल और एक अन्य आरोपी अशफाक मकंदर को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। हादसे के बाद ससून अस्पताल में भेजे गए नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल में कथित हेरफेर के आरोप में दंपत्ति को गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई को पोर्शे कार से हुए हादसे में सॉफ्टवेयर इंजीनियरो अनीस अहुदिया (24) और अश्विनी कोस्टा (24) की मौत हुई थी। दोनों मध्य प्रदेश के मूल निवासी थे और काम के सिलसिले में पुणे में रह रहे थे। पुलिस के मुताबिक, हादसे के समय रिएल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल का नाबालिग बेटा नशे की हालत में लक्जरी कार चला रहा था। पुलिस ने दुर्घटना के बाद 17 साल 8 महीने के आरोपी को हिरासत में लेकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया, लेकिन उसे मामूली शर्तों पर जमानत मिल गई। इसका भारी विरोध हुआ तो पुलिस और सरकार एक्शन मोड में आई। जिसके बाद नाबालिग आरोपी को बोर्ड ने सुधार गृह भेज दिया।
पुणे पोर्श दुर्घटना: आरोपी किशोर के पिता को किशोर न्याय अधिनियम के मामले में जमानत मिली

पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को किशोर के पिता विशाल अग्रवाल को जमानत दे दी, जिसने 19 मई को पुणे के कल्याणी नगर में अपनी पोर्श चलाते समय कथित तौर पर दो इंजीनियरों को कुचल दिया था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 21 मई को गिरफ्तार किए गए अग्रवाल को किशोर न्याय अधिनियम से संबंधित एक मामले में जमानत दी गई। रियलिटी फर्म ब्रह्मा ग्रुप के मालिक पर मोटर वाहन अधिनियम (एमवीए) और किशोर न्याय अधिनियम (जेजेए) की संबंधित धाराओं के तहत ‘अभिभावक के रूप में अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहने’ के लिए मामला दर्ज किया गया था। 

पुलिस ने यह कार्रवाई तब की जब पता चला कि इस साल मार्च में अपने बेटे के लिए खरीदी गई पोर्श कार का पंजीकरण नहीं हुआ था क्योंकि उसने कार पर 44 लाख रुपये का रोड टैक्स नहीं चुकाया था। नाबालिग बेटे के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। मध्य प्रदेश के रहने वाले दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा की मौत हो गई थी, जब 19 मई की सुबह पुणे के कल्याणी नगर में 17 वर्षीय किशोर द्वारा नशे की हालत में चलाई जा रही पोर्श ने उन्हें टक्कर मार दी थी।

14 जून को पुणे की अदालत ने किशोर के माता-पिता और एक अन्य आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। विशाल अग्रवाल और शिवानी अग्रवाल तथा कथित बिचौलिए अश्पक मकंदर पर किशोर के रक्त के नमूने बदलने के आरोप में जांच चल रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि दुर्घटना के समय वह नशे की हालत में नहीं था।

मकंदर पर अग्रवाल और ससून जनरल अस्पताल के डॉक्टरों के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोप है, जहां ऐसे मामलों में रक्त के नमूने एकत्र किए जाते हैं। आरोप है कि किशोर की मां शिवानी अग्रवाल के रक्त के नमूने को प्रतिस्थापन के रूप में इस्तेमाल किया गया।

किशोर को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड ने जमानत दे दी, जिसने आदेश दिया कि उसे उसके माता-पिता और दादा की देखरेख में रखा जाए। उसे सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध भी लिखने को कहा गया। देश भर में हंगामे के बीच, पुलिस ने किशोर न्याय बोर्ड से जमानत आदेश में संशोधन करने की अपील की। ​​22 मई को बोर्ड ने लड़के को हिरासत में लेने का आदेश दिया और उसे निगरानी गृह में भेज दिया। जिसपर HC ने पूछा की क्या जमानत के बाद भी किशोर को हिरासत में रखना कारावास नहीं है ?

जगन मोहन रेड्डी ने कार्यालय ढहाने पर एन चंद्रबाबू नायडू को तानाशाह करार दिया

(वाईएसआरसीपी) प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शनिवार को ताडेपल्ली में अपनी पार्टी के निर्माणाधीन कार्यालय को ढहाने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार की आलोचना की और कहा कि मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू 'प्रतिशोध की राजनीति' को अगले स्तर पर ले गए हैं। उन्होंने टीडीपी नेता को तानाशाह भी कहा।

(वाईएसआरसीपी) ने आरोप लगाया है कि उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए तोड़फोड़ की गई। उन्होंने कहा कि विशाल इमारत का निर्माण लगभग पूरा हो चुका था।

उन्होंने कहा चंद्रबाबू प्रतिशोध की राजनीति को अगले स्तर पर ले गए। रेड्डी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "एक तानाशाह की तरह उन्होंने खुदाई करने वाली मशीनों और बुलडोजरों से वाईएसआरसीपी के केंद्रीय कार्यालय को ध्वस्त करवा दिया, जो लगभग पूरा हो चुका था।"पार्टी ने कहा कि शनिवार सुबह 5.30 बजे तोड़फोड़ शुरू हुई। पार्टी के बयान में कहा गया, "तोड़फोड़ तब भी जारी रही, जब वाईएसआरसीपी ने पिछले दिन (शुक्रवार) उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें सीआरडीए (राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण) की प्रारंभिक कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।"

इसमें कहा गया कि अदालत ने तोड़फोड़ की गतिविधि को रोकने का आदेश दिया था, कहा कि पार्टी के वकील ने बाद में निकाय के आयुक्त को निर्णय से अवगत कराया। वाईएसआरसीपी ने सीआरडीए की कार्रवाई को "अदालत की अवमानना" करार दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार के तहत दक्षिणी राज्य में कानून और न्याय पूरी तरह से गायब हो गया, जिसमें टीडीपी, भाजपा और जनसेना शामिल हैं।

वाईएसआरसीपी प्रमुख ने कहा कि विपक्षी पार्टी प्रतिशोध की राजनीति से नहीं डरेगी। टीडीपी नेता पट्टाभि राम कोम्मारेड्डी ने कहा कि एन चंद्रबाबू नायडू ने कभी राजनीतिक प्रतिशोध का रास्ता नहीं अपनाया।

“कानून और मौजूदा नियमों के अनुसार, किसी भी अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाना चाहिए। आज, वाईएसआरसीपी का पार्टी कार्यालय जो संबंधित विभागों से कोई अनुमति प्राप्त किए बिना अवैध रूप से बनाया जा रहा है, उसे नियमों के अनुसार ध्वस्त किया जा रहा है। इसका किसी भी तरह के राजनीतिक प्रतिशोध से कोई लेना-देना नहीं है जैसा कि वाईएसआरसीपी आरोप लगा रही है। सबसे पहले, उन्हें जवाब देना चाहिए कि उन्होंने जो संविधान लिया है, उसके पास आवश्यक अनुमति है या नहीं... टीडीपी और नारा चंद्रबाबू नायडू ने कभी भी राजनीतिक प्रतिशोध का रास्ता नहीं अपनाया है, ”उन्होंने कहा। यह  विवाद टीडीपी के उस आरोप पर विवाद के बीच आया है जिसमें रेड्डी ने विशाखापत्तनम में ₹500 करोड़ की कीमत का पहाड़ी महल बनवाया है।

8 जुलाई को खोला जाएगा जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, जानें राज्य के कानून मंत्री ने क्या कहा

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पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 8 जुलाई को खोले जाने की खबर है। आगामी रथयात्रा के समय रत्न भंडार खोला जाएगा, यह बात पहले कई बार कही जा चुकी है। रत्न भंडार में कितने आभूषण हैं, उसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। हालांकि, रत्न भंडार कब खोला जाएगा, उस संदर्भ में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। ओड़िशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचन्दन ने बुधवार को इस संबंध में कहा कि रत्न भंडार कब खोला जाएगा, अब तक निर्णय नहीं हुआ है।

कानून मंत्री हरिचन्दन ने कहा कि रत्न भंडार खोलने को लेकर छत्तीस नियोग बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। 8 जुलाई के दिन रत्न भंडार खोलने को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। एक एएसआई अधिकारी ने इस संदर्भ में भ्रम उत्पन्न किया है। उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अपनी गलती छिपाने के लिए इस तरह की टिप्पणी की है। संबंधित एएसआई अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। रत्न भंडार कब खुलेगा, इस पर निर्णय लिया जाएगा।

इससे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक डीबी गरनायक ने बुधवार को बताया कि पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 8 जुलाई को खोला जाएगा. गरनायक के अनुसार, 8 जुलाई को निरीक्षण किया जाएगा। कोर कमेटी और तकनीकी कमेटी की मौजूदगी में रत्न भंडार खोला जाएगा। गरनायक ने कहा कि 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, निरीक्षण किया गया और दरारें देखी गईं, कुछ पत्थर गिर गए थे और कुछ लोहे की छड़ें गायब थीं। स्थिति अच्छी नहीं थी। लेजर स्कैनिंग में बाहरी दीवार और जोड़ों में दरारें पाई गईं थीं। इन दरारों से बारिश का पानी अंदर आ सकता है।

बता दें कि हाल ही में संपन्न चुनावों के दौरान रत्न भंडार को पुनः खोलना राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान रत्न भंडार का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है। मंदिर के रत्न भंडार की चाबी पिछले 6 साल से गायब है।

बता दें कि चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। कलिंग वास्तुकला के आधार पर बने इस मंदिर में एक रत्न भंडार भी बनाया गया है। इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को जेवरात चढ़ाए थे। उन सभी को रत्न भंडार में रखा जाता है। इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमत अरबों-खरबों में बताई जाती है। 

जगन्नाथ मंदिर का यह रत्न भंडार दो भागों में बंटा हुआ है, भीतर भंडार और बाहर भंडार.बाहरी भंडार में भगवान को अक्सर पहनाए जाने वाले जेवरात रखे जाते हैं। वहीं जो जेवरात उपयोग में नहीं लाए जाते हैं, उन्हें भीतरी भंडार में रखा जाता है। रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा अभी भी खुला है, लेकिन भीतरी भंडार की चाबी पिछले छह साल से गायब है। रत्न भंडार को अंतिम बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था और उसमें रखे जेवरात की सूची बनाई गई थी। इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला और उसकी चाबी भी गायब है।

बीजेपी नेता समीर मोहंती ने पिछले साल जुलाई में ओडिशा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल कर रत्न भंडार खोलने के लिए अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की थी। उन्होंने चाबी गायब होने की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी।

भारतवंशी अरबपति हिंदुजा फैमिली के 4 सदस्यों को सजा, स्विस कोर्ट के फैसले के बाद जेल में काटने होंगे 4.5 साल

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एक अरबपति भारतीय बिजनेस फैमिली को अपने नौकरों का शोषण करने के लिए 4.5 साल तक जेल की सजा सुनाई गई। ब्रिटेन में रहने वाले इस परिवार के 4 सदस्यों को जेल में समय बिताना होगा। घरेलू स्टाफ के शोषण करने के मामले में स्विस कोर्ट ने शुक्रवार को हिंदुजा परिवार के 4 सदस्यों के खिलाफ सजा का फैसला सुनाया। सभी दोषियों के खिलाफ साढ़े चार जेल की सजा सुनाई गई। हालांकि, अदालत ने मानव तस्करी जैसे गंभीर केस में सभी को बरी कर दिया।हिंदुजा परिवार के सदस्य प्रकाश और कमल हिंदुजा सहित उनके बेटे अजय और बहू नम्रता पर आरोप है कि वो भारत से कुछ लोगों को जेनेवा के अपने एक मैंशन में काम करने के लिए लाए थे। लेकिन उनसे ज़्यादा देर काम करवाकर केवल 8 डॉलर प्रति दिन के हिसाब से पैसे दिए। प्रशासन का ये भी आरोप है कि हिंदुजा परिवार ने इन लोगों के पासपोर्ट रख लिए थे और इनके कहीं आने-जाने पर पाबंदियां लगा दी थीं।

जेनेवा की एक अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान हिंदुजा परिवार पर घरेलू सहायकों का शोषण करने और दुर्व्यवहार करने के आरोप में दोष सिद्ध हो गए और उन्हें 4.5 साल तक जेल की सजा सुनाई गई है। इस मामले उन पर लगे मानव तस्करी के आरोपों से उन्हें बरी कर दिया गया है।47 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हिंदुजा परिवार पर जिन तीन घरेलू सहायकों ने शोषण के आरोप लगाए थे। उनके और परिवार के बीच कोर्ट के बाहर सेटलमेंट होना लगभग तय हो गया था, फिर भी मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने सुनवाई करना जारी रखा।

मामले की पूरी सुनवाई के दौरान प्रकाश हिंदुजा (78) और कमल हिंदुजा (75) अदालत से नदारद रहे। उन्हें 4.5 साल की सजा सुनाई गई है। जबकि उनके बेटा-बहू को 4 साल की सजा सुनाई गई है. चारों आरोपी जेनेवा की अदालत में मौजूद नहीं थे। इस मामले में एक अन्य आरोपी परिवार के व्यवसाय प्रबंधक नजीब जियाजी को बनाया गया, वह अदालत में मौजूद रहा। उसे 18 महीने की सजा सुनाई गई है जो फिलहाल निलंबित रखी गई है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान जो जानकारियां सामने आईं हैं, उसके अनुसार हिंदुजा परिवार के मेंशन में नौकरों का काम करने वाले स्टाफ के अधिकतर लोग अशिक्षित थे। उनसे 18-18 घंटे तक काम लिया जाता था। वहीं सैलरी के नाम पर उन्हें 250 से 450 डॉलर प्रतिमाह ( 20,000 से 35,000 रुपए प्रति माह) मिलते थे। ये स्विट्जरलैंड के हिसाब से बहुत कम सैलरी है। इतना ही नहीं उन्हें स्विट्जरलैंड की फ्रैंक मुद्रा के बजाय भारतीय रुपए में भुगतान करते थे। इससे अधिक खर्च हिंदुजा परिवार हर महीने अपने कुत्तों पर कर देता था।

हिंदुजा परिवार की जड़ें भारत में हैं और इसी नाम से एक कारोबारी घराना भी चलाता है, जो कई सारी कंपनियों का एक समूह है। इसमें कंस्ट्रक्शन, कपड़े, ऑटोमोबाइल, ऑयल, बैंकिंग और फ़ाइनेंस जैसे सेक्टर भी शामिल हैं। हिंदुजा ग्रुप को संस्थापक परमानंद दीपचंद हिंदुजा अविभाजित भारत में सिंध के प्रसिद्ध शहर शिकारपुर में पैदा हुए थे। 1914 में, उन्होंने भारत की व्यापार और वित्तीय राजधानी, बॉम्बे (अब मुंबई) की यात्रा की। हिंदुजा ग्रुप को वेबसाइट के अनुसार वहां उन्होंने जल्दी ही व्यापार की बारीकियां सीख लीं। सिंध में शुरू हुई व्यापारिक यात्रा 1919 में ईरान में एक दफ़्तर के साथ अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में प्रवेश कर गई। समूह का मुख्यालय 1979 तक ईरान में रहा। इसके बाद यह यूरोप चला गया। शुरू को वर्षों में मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेडिंग हिंदुजा ग्रुप के व्यवसाय के दो स्तंभ थे। ग्रुप के संस्थापक परमानंद दीपचंद हिंदुजा के तीन बेटों - श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाश ने बाद में कामकाज संभाला और कंपनी का देश-विदेश में प्रसार किया। साल 2023 में श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद उनके छोटे भाई गोपीचंद ने उनकी जगह ली और ग्रुप के प्रमुख के तौर पर कामकाज संभाला। स्विटज़रलैंड में मानव तस्करी के केसा का सामना कर रहे प्रकाश को मोनैको में जमा हुआ कारोबार मिला। युनाइटेड किंगडम में हिंदुजा परिवार ने कई सारी कीमती प्रॉपर्टीज़ खरीदी है। सितंबर 2023 में हिंदुजा ग्रुप ने लंदन के व्हाइटहॉल में स्थित ओल्ड वॉर ऑफिस जो पहले ब्रिटेन का रक्षा मंत्रालय भी था, इसी में रैफ़्फ़ल्स नाम का होटल बनाया था। इस होटल की ख़ासियत ये है कि ये ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट से कुछ ही मीटर दूर है। यही ग्रुप कार्लटन हाउस की छत का भी एक हिस्सा के मालिकाना हक रखता है, इस बिल्डिंग में कई दफ़्तर, घर और ईवेंट रूम हैं। साथ ही ये बकिंघम पैलेस से भी काफ़ी नज़दीक है। हिंदुजा ग्रुप का दावा है कि दुनियाभर में 2 लाख लोग उनकी कंपनियों में काम कर रहे हैं।