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NSA Detention of khalistani extπemist Amritpal Singh & 9 others Extended For 1 Year
He has just become an MP from Khadoor Sahib, Punjab and currently lodged in dibrugarh jail, Assam under NSA
Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

BIG NEWS  Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

He has finally left the country.

He claimed that the presence of PM Modi at the Pran Pratishtha ceremony was against the secular fabric of the country

He also published a report where he claimed that archaeologists had never been able to prove that the disputed structure was built after destr0ying a Hindu temple.

He is now crying fouI on Social Media
उत्तराखंड में जमीन खरीदने वाले बाहरी लोगों को लेकर धामी सरकार सख्त, जानें पूरा मामला

#cm_pushkar_singh_dhami_strict_buy_land_outsiders_instructions_investigated 

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में बाहर से आकर जमीन खरीदने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है। सीएम धामी ने राज्य में संदिग्ध बाहरी लोगों की पहचान के लिए सघन सत्यापन अभियान चलाने के निर्देश दिए। कहा, बाहरी राज्यों के लोगों के बारे में यह जान लें कि उनका प्रदेश में भूमि खरीदने का उद्देश्य क्या है और उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो नहीं चल रहा है।सीएम ने ये निर्देश राज्य में संदिग्ध और आपराधिक किस्म के लोगों को प्रदेश में बसने से रोकने के उद्देश्य से दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच के दौरान यदि किसी व्यक्ति पर आपराधिक मामला पाया जाता है तो उसका स्पष्ट उल्लेख हो। आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को भी चिन्हित किया जाए। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सीएम धामी ने बृहस्पतिवार को उन्होंने अपने आवास पर उच्चाधिकारियों की बैठक बुलाई, जिसमें मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, सचिव गृह और कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे। सीएम ने उनसे सत्यापन अभियान के बारे में जानकारी ली और इसे और अधिक प्रभावी ढंग से चलाने के निर्देश दिए।

राहुल गांधी पर कॉमेंट कर बुरे फंसे अजीत भारती, नोटिस देने बेंगलुरू से नोएडा आई कर्नाटक पुलिस

#karnataka_police_reaches_home_of_journalist_ajeet_bharti_in_noida 

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और पत्रकार अजीत भारती की तलाश में कर्नाटक पुलिस गुरुवार को नोएडा के सेक्टर-55 पहुंची थी। आसपास के लोगों और अजीत के परिवार ने सादे कपड़ों में घर के आसपास घूम रहे लोगों को देखकर उन्हें संदिग्ध समझा और इसकी सूचना नोएडा पुलिस को दी। मौके पर पहुंची नोएडा पुलिस कर्नाटक पुलिस के तीन अधिकारी को अपने साथ लेकर थाने आई और वहां पर उनसे पूरे मामले को समझा। इसके बाद कर्नाटक पुलिस के तीन अधिकारी अजीत भारती को एक नोटिस थमा कर वापस लौट गए। नोटिस के तहत अजीत भारती को 7 दिन के अंदर हाजिर होने को कहा गया है।

अयोध्या में राम मंदिर के बारे में कथित तौर पर झूठी खबर फैलाने के आरोप में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अजीत भारती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ दिनों बाद, बेंगलुरु पुलिस नोएडा पहुंची थी। अजीत भारती के मुताबिक कर्नाटक पुलिस जवानों ने स्थानीय यूपी पुलिस को बिना साथ लिए ही उनके आवास पर पहुँच गए थे। तीनों कैब से पहुँचे थे और उन्होंने वर्दी भी नहीं पहन रखी थी। अपने घर के आसपास अजीत भारती और उनके परिवार ने संदिग्ध गतिविधि देख कर स्थानीय पुलिस थाने को सूचना दी।इसके बाद स्थानीय पुलिस यहाँ पहुँची और कर्नाटक पुलिस के इन तीनों जवानों को अपने साथ ले गई। कर्नाटक पुलिस के इन जवानों ने अजीत भारती को हाल ही में उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले में एक नोटिस भी थमाया है। यह नोटिस बेंगलुरु के हाई ग्राउंड थाने से जारी किया गया है।

नोटिस में कहा गया है कि अजीत भारती ने समाज में घृणा और शत्रुता बढ़ाने के उद्देश्य से राहुल गाँधी को लेकर एक वीडियो बनाया है। इसी को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अजीत भारती को कर्नाटक पुलिस ने आदेश दिया है कि वह नोटिस मिलने के सात दिनों के भीतर हाई ग्राउंड थाने में पेश हों।

पत्रकार अजीत भारती ने बीते दिनों एक वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को लेकर कुछ टिप्पणियां की थी। जिसके बाद कर्नाटक पुलिस ने हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन, वसंत नगर, बेंगलुरु में अजीत के खिलाफ मामला दर्ज किया। एफआईआर कर्नाटक के कांक ग्रेस कमेटी के लीगल सेल सचिव और सचिव बेके बोपन्ना ने कराई थी।

दलाई लामा के बाद पीएम मोदी से मिला अमेरिकी कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल, चीन को दिया ये संदेश

#pm_modi_meets_us_congress_mp_team 

अमेरिका के हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मुलाक़ात की थी। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने तिब्बत की स्वायत्तता का मुद्दा उठाया और तिब्बतियों के प्रति अमेरिका के साथ को अटूट बताया। यही नही, दूसरे दिन इसी प्रतिनिधिमंडल ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भू मुलाकात की। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा आधिकारिक है या नहीं? इसे लेकर फ़िलहाल कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी से अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की तस्वीरों ने काफी कुछ कह दिया।

चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को तिब्बत के अध्यात्मिक नेता दलाई लामा से नहीं मिलने की चेतावनी दी थी, हालांकि चीन की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दलाई लामा से मुलाकात की थी। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की दलाई लामा से मुलाकात और फिर पीएम मोदी से मुलाकात राजनीति रूप से काफी अहम मानी जा रही है। पीएम मोदी और अमेरिकी सांसदों के मुलाकात वाली तस्वीर देखकर साफ है कि तिब्बत पर भारत का स्टैंड अमेरिका जैसा ही है। भारत भी तिब्बत की आजादी का पक्षधर रहा है।

यही नहीं, भारत ने बिना कुछ कहे ही चीन को भविष्य के लिए चेता दिया है। भारत की तरफ से पहले भी दोनों देशों के रिश्ते को लेकर नसीहत दी जा चुकी है। अप्रैल महीने में प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूजवीक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा था, कि "भारत के लिए, चीन के साथ संबंध महत्वपूर्ण और सार्थक हैं। मेरा माननाहै, कि हमें अपनी सीमाओं पर लंबे समय से चली आ रही स्थिति को तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है, ताकि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में असामान्यता को पीछे छोड़ा जा सके।" प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, कि "भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध न केवल हमारे दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं।" उन्होंने आगे कहा था, कि "मुझे उम्मीद है, और मेरा माननाहै, कि कूटनीतिक और सैन्य स्तरों पर सकारात्मक और रचनात्मक द्विपक्षीय जुड़ाव के माध्यम से, हम अपनी सीमाओं पर शांति और स्थिरता बहाल करने और बनाए रखने में सक्षम होंगे। 

वहीं, तिब्बत मामले पर अमेरिका ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। अमेरिका यह दिखाना चाहता है कि तिब्बत के लोगों के साथ अमेरिका मजबूती से खड़ा है। अमेरिका चाहता है कि चीन का तिब्बत में कोई दखल न हो। यही वजह है कि अमेरिका ने ‘तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम 2020’ पारित कर दिया है। तिब्बत पर यह अमेरिका की आधिकारिक नीति है कि दलाई लामा का उत्तराधिकार एक पूर्णतः धार्मिक मुद्दा है, जिस पर केवल दलाई लामा और उनके फॉलोअर्स ही फैसला ले सकते हैं। इस पर अब केवल जो बाइडन के सिग्नेचर का इंतजार है।

अमेरिका ने बिल पास करके चीन को यही संदेश देने की कोशिश की है कि वह भी तिब्बत की आजादी का पक्षधर है। यही वजह है कि अमेरिका का तिब्बत के प्रति स्टैंड और अमेरिकी सांसदों का तिब्बत के बाद सीधे पीएम मोदी से मिलना चीन को साफ-साफ ये संदेश है भारत भी उसके साथ है। यही नहीं, प्रतिनिधिमंडल में मौजूद माइकल मैककॉल ने साफ कहा कि हम साथ मिलकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को एक कड़ा संदेश भेज सकते हैं। जब दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र एक साथ खड़े होते हैं तो निरंकुशता और दमन पर स्वतंत्रता की जीत होती है।

First Train crossing the world’s highest railway bridge on the Chenab River in J&K
It took 77 years to connect Jammu and Kashmir through Railways. It took just 3 years for the Modi govt to do this post-370 abrogation
First Train crossing the world’s highest railway bridge on the Chenab River in J&K
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Muslims protesting in Chicago USA, not to buy groceries from Hindu stores which is run by Patels. Because they are funding to RSS.
Muslims protesting in Chicago USA, not to buy groceries from Hindu stores which is run by Patels. Because they are funding to RSS.
Most Important Video by Gurudev @SriSri Wisdom is the Life Jacket
--- Either through wisdom or through devotion one can get over from misery. ~ Gurudev Ravi Shankar
इस मुस्लिम देश ने हिजाब पर लगाया बैन, अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी रखने पर भी है प्रतिबंध

#tajikistan_ban_hijab

“हिजाब” एक ऐसा विषय है जिसपर दुनियाबर के देशों में बहस होती रही है। एक तरफ हिजाब को महिला की आजादी से जोड़कर देका जाता है, तो दूसरी तरफ इसे धर्म से जोड़ा जाता है। ऐसे में जब हिजाब को अधिकांश लोग धर्म से जुड़ा मानते हैं, और जहां की 95 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम हो, वहां हिजाब का बैन हो जाना हैरान करता है। जी हां, एक मुस्लिम देश ने हिजाब को लेकर बड़ा फैसला किया है। ताजिकिस्तान ने अपने नागरिकों को हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया है।

इस संबंध में ताजिकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन ने 19 जून को एक विधेयक का समर्थन किया है। एशिया-प्लस की रिपोर्ट के अनुसार, यह विधेयक संसद के ऊपरी सदन मजलिसी मिल्ली के 18वें सत्र के दौरान पारित किया गया। इस बिल में 'पराये परिधानों' और दो सबसे अहम इस्लामी त्योहारों - ईद अल-फितर और ईद अल-अज़हा के दौरान बच्चों से जुड़ी एक प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। इस प्रथा को इदगरदक के नाम से जाना जाता है जिसके तहत इन दोनों इस्लामी त्योहारों पर बच्चे अपनी गली या गांव के घरों में जाते हैं और लोगों को त्योहार की बधाई देते हैं।

यह प्रस्ताव मजलिसी नमोयंदगोन द्वारा प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद हुआ है। नए संशोधनों के मुताबिक, कानून का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में पहले हिजाब या अन्य धार्मिक कपड़ों को उल्लंघन के रूप में उल्लेख नहीं किया गया था।

ताजिकिस्तान में हिजाब पर आधिकारिक रोक कई सालों के अनौपचारिक प्रतिबंध के बाद आई है। देश ने अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा रखा है। 2007 में शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के लिए इस्लामी परिधान और पश्चिमी शैली की मिनीस्कर्ट दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया था और बाद में इस प्रतिबंध को सभी सार्वजनिक संस्थानों तक बढ़ा दिया था। पिछले कुछ सालों में ताजिक सरकार ने ताजिक राष्ट्रीय पोशाक पहनने को प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, और 2018 में सरकार की तरफ से पारंपरिक परिधान को लेकर गाइडलाइन भी जारी किया गया था। खासकर 2017 में महिलाओं के मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें पारंपरिक पोषाक पहनने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।