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क्या महाराष्ट्र में फिर आने वाला है सियासी भूचाल? शरद पवार का बड़ा बयान, बोले-4 से6 महीनों में बदल दूंगा सरकार

#wait_for_four_six_months_change_the_govt

देश में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में काफी उलटफेर देखा गया। एक तरफ 400 सीटें जीतने का दावा कर रही बीजेपी 250 सीट भी नहीं जीत सकी। वहीं,कांग्रेस 100 के करीब पहुंच गई। यूपी में बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। त्तर प्रदेश की सबसे हम मानी जाने वाली अयोध्या सीट ही भाजपा नहीं बचा सकी। महाराष्ट्र में भी विपक्षी खेमे ने शानदार प्रदर्शन किया। राज्य में 48 में से 41 सीटों पर जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति के दो बड़े नेता उद्धव ठाकरे और शरद पवार को पार्टी में विभाजन का सामना करना पड़ा। हालांकि चुनाव नतीजे उनके पक्ष में आने से वह काफी गदगद हैं और अगला विधानसभा चुनाव में एनडीए को हराने का दंभ भर रहे हैं।

अब राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार ने बड़ा दावा किया है। कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश देने वाले पवार ने बीते दिन किसानों और ग्रामीणों के साथ बैठक कर फिर सरकार बदलने की बात कही।

पुरंदर तालुका में किसानों से बातचीत करते हुए शरद पवार ने कहा कि जब तक सरकार नहीं बदलेगी तब तक किसानों के लिए हम कुछ नहीं कर पाएंगे। पवार ने आगे कहा कि हम जो किसानों के लिए नई नीतियां लाना चाहते हैं, वो सब सरकार बदलने पर ही होगा। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि शिंदे सरकार किसानों के लिए कुछ करना चाहती है। इसलिए मैं कुछ महीनों में सरकार बदल दूंगा।। उन्होंने दावा करते हुए कहा, 'थोड़ा इंतजार कीजिए, मैं सरकार बदलने वाला हूं, लेकिन किसानों की समस्या के लिए सभी को सड़कों पर उतरना होगा।'

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही शरद पवार की पार्टी का कॉन्फिडेंस हाई है। उनके बयान से संकेत साफ हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी राज्य के किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी।

कुवैत अग्निकांड: मंगफ त्रासदी में 42 भारतीयों की मौत,केरल के थे अधिकतर लोग।

दक्षिणी कुवैत के मंगफ इलाके में करीब 195 प्रवासी श्रमिकों के आवास वाली एक इमारत में सुबह-सुबह लगी भीषण आग में करीब 42 भारतीयों की मौत हो गई, जिनमें केरल के कम से कम पांच लोग शामिल हैं और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अल-मंगफ इमारत में मरने वालों की कुल संख्या 49 है और उनमें से 42 भारतीय बताए जा रहे हैं; बाकी पाकिस्तानी, फिलिपिनो, मिस्र और नेपाली नागरिक हैं।विदेश मंत्रालय ने बुधवार देर रात एक बयान में कहा, "कुवैत के मंगफ इलाके में श्रमिक आवास सुविधा में आज सुबह एक दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद आग लगने की घटना में करीब 40 भारतीयों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए।" 

यह घटना कुवैत के इतिहास में सबसे भीषण इमारत में लगी आग थी, और इसने मकान मालिकों और कंपनी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, "जो लागत कम करने के लिए अत्यधिक असुरक्षित परिस्थितियों में बड़ी संख्या में विदेशी मजदूरों को रखने के लिए कानून का उल्लंघन करते हैं”, कुवैत टाइम्स अखबार। पीड़ितों में 48 वर्षीय वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस भी शामिल थे, जो NBTC समूह के सुपरवाइजर थे, जिसके प्रबंध निदेशक केरल के व्यवसायी केजी अब्राहम हैं। वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस कोल्लम के आदिचनल्लूर पंचायत के निवासी थे, और पिछले 18 वर्षों से कुवैत में थे।

केरल के वैयंकारा के निवासी शमीर उमरुद्दीन कुवैत में भारी वाहन चालक के रूप में काम करते थे। ओनमनोरमा ने उनके रिश्तेदारों का हवाला देते हुए बताया कि शमीर उमरुद्दीन ने घबराहट में फ्लैट से छलांग लगा दी होगी। वह उमरुद्दीन और सफीना का दूसरा बेटा था। उसकी शादी सुरुमी से हुई थी। शमीर और उनका परिवार पहले पूयापल्ली ग्राम पंचायत के पय्याकोड़े में रहता था। बाद में वे वैयंकारा चले गए। दो साल पहले उनकी शादी हुई थी। उन्होंने चार दिन पहले कुवैत से अपने माता-पिता और परिवार को फोन किया था। वह नौ महीने पहले घर आया था, ऐसा बताया गया। शमीर के एक रिश्तेदार ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि परिवार को बुधवार सुबह 11 बजे घटना के बारे में पता चला। 

कुवैत में आग लगने की घटना में कासरगोड के मूल निवासी केलू पोनमलेरी की भी मौत हो गई। कासरगोड के त्रिकारीपुर कस्बे के निवासी केलू पोनमलेरी एनबीटीसी ग्रुप में प्रोडक्शन इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी केएन मणि हैं, जो पंचायत कर्मचारी हैं और दो बेटे हैं। दूसरे मृतक की पहचान कासरगोड के 34 वर्षीय रंजीत के रूप में हुई है, जो पिछले 10 सालों से कुवैत में काम कर रहे थे। 

कुवैत के लिए रवाना हुए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह।

कुवैत में स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां रवाना होने से पहले, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि "कुछ शव इतने जल गए हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है।" कीर्ति वर्धन ने कहा, "बाकी स्थिति तब स्पष्ट होगी जब हम वहां पहुंचेंगे।" कुवैत के लिए उड़ान भरने से पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर एएनआई से बात करते हुए, राज्य मंत्री ने कहा, "हमने कल शाम प्रधानमंत्री के साथ बैठक की, यह इस दुखद त्रासदी के बारे में हमारे पास आखिरी अपडेट है...बाकी स्थिति तब स्पष्ट होगी जब हम वहां पहुंचेंगे..." ,जान गंवाने वालों के शवों को वापस लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, "स्थिति यह है कि पीड़ित ज्यादातर जले हुए हैं और कुछ शव इतने जल गए हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। इसलिए पीड़ितों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट किया जा रहा है।"

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुवैत में आग लगने की घटना पर बुधवार शाम विदेश मंत्रालय और अन्य अधिकारियों की टीम के साथ बैठक की। मोदी ने आग दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि उनकी संवेदनाएं घटना के पीड़ितों के परिवार और करीबी लोगों के साथ हैं।

जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आज इटली के लिए रवाना होंगे पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से हो सकती है मुलाकात*
#pm_modi_leave_for_italy_to_attend_g_7_summit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत के लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार पीएम बनकर इतिहास रच दिया है। वहीं पीएम मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर जाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज इटली जा रहे हैं। मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14 जून को होने वाले शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र में भाग लेने के लिए इटली रवाना हो रहे हैं। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने नई दिल्‍ली में बताया कि शुक्रवार को होने वाले सम्‍मेलन में भारत को एक आउटरीच देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत और ग्‍लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्मेलन में विश्व नेताओं के साथ जुड़ने का अवसर होगा। क्वात्रा ने कहा, हमने हमेशा यह माना है कि संवाद और कूटनीति ही इसका समाधान करने का सर्वोत्तम विकल्प है। उन्होंने सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री मोदी के बयान को भी याद किया कि “आज का युग युद्ध का नहीं है”। क्वात्रा ने युद्ध के परिणामों के बारे में बात की, जिसमें भोजन, ईंधन और उर्वरक की उपलब्धता पर पड़ने वाले प्रभाव, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए चुनौतियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यवधान शामिल हैं। *इटली की पीएम मेलोनी के साथ कर सकते हैं बैठक* शिखर सम्मेलन में भारत की यह 11वीं और पीएम मोदी की लगातार पांचवीं भागीदारी होगी। प्रधानमंत्री आउटरीच सत्र में शामिल होंगे। सम्मेलन से अलग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठके करने की संभावना है।साथ ही पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ भी बैठक करेंगे। क्वात्रा ने कहा कि मोदी के इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, बैठक में दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा करने तथा अगले कदमों के लिए दिशा-निर्देश देने की उम्मीद है। *जो बाइडन से मुलाकात कर सकते हैं पीएम मोदी* अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इटली में जी7 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात कर सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी। अमेरिका से इटली के लिए रवाना होते समय जेक सुलिवन ने मीडिया से बात करते हुए यह बात कही। सुलिवन ने कहा कि 'उन्हें (बाइडन) उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी भी इटली आएंगे। भारत ने फिलहाल औपचारिक रूप से उनकी (मोदी) उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है लेकिन हमें उम्मीद है कि दोनों नेता एक-दूसरे से मिल सकते हैं। मुलाकात कैसी होगी फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि कार्यक्रम बेहद व्यस्त है।' भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे और अन्य नेताओं के साथ कार्यक्रम पर विचार किया जा रहा है।
जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आज इटली के लिए रवाना होंगे पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से हो सकती है मुलाकात

#pmmodileaveforitalytoattendg7_summit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत के लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार पीएम बनकर इतिहास रच दिया है। वहीं पीएम मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर जाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज इटली जा रहे हैं। मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14 जून को होने वाले शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र में भाग लेने के लिए इटली रवाना हो रहे हैं।

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने नई दिल्‍ली में बताया कि शुक्रवार को होने वाले सम्‍मेलन में भारत को एक आउटरीच देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत और ग्‍लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्मेलन में विश्व नेताओं के साथ जुड़ने का अवसर होगा। क्वात्रा ने कहा, हमने हमेशा यह माना है कि संवाद और कूटनीति ही इसका समाधान करने का सर्वोत्तम विकल्प है। उन्होंने सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री मोदी के बयान को भी याद किया कि “आज का युग युद्ध का नहीं है”। क्वात्रा ने युद्ध के परिणामों के बारे में बात की, जिसमें भोजन, ईंधन और उर्वरक की उपलब्धता पर पड़ने वाले प्रभाव, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए चुनौतियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यवधान शामिल हैं। 

इटली की पीएम मेलोनी के साथ कर सकते हैं बैठक

शिखर सम्मेलन में भारत की यह 11वीं और पीएम मोदी की लगातार पांचवीं भागीदारी होगी। प्रधानमंत्री आउटरीच सत्र में शामिल होंगे। सम्मेलन से अलग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठके करने की संभावना है।साथ ही पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ भी बैठक करेंगे। क्वात्रा ने कहा कि मोदी के इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, बैठक में दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा करने तथा अगले कदमों के लिए दिशा-निर्देश देने की उम्मीद है।

जो बाइडन से मुलाकात कर सकते हैं पीएम मोदी

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इटली में जी7 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात कर सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी। अमेरिका से इटली के लिए रवाना होते समय जेक सुलिवन ने मीडिया से बात करते हुए यह बात कही। सुलिवन ने कहा कि 'उन्हें (बाइडन) उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी भी इटली आएंगे। भारत ने फिलहाल औपचारिक रूप से उनकी (मोदी) उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है लेकिन हमें उम्मीद है कि दोनों नेता एक-दूसरे से मिल सकते हैं। मुलाकात कैसी होगी फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि कार्यक्रम बेहद व्यस्त है।' भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे और अन्य नेताओं के साथ कार्यक्रम पर विचार किया जा रहा है।

भारत तिब्बत में 30 जगहों के नाम बदलने जा रहा! चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी

#india_rename_30_places_in_tibet 

जैसे को तैसा...ये कहावत तो सुनी होगी सबने। भारत इसी की तर्ज पर चीन को जवाब देने की तैयारी में है।केंद्र में सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कडे़ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। ऐसा ही फैसला तिब्बत को लेकर लिया गया है। द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को काउंटर करने के लिए भारत अब तिब्बत की 30 से ज्यादा जगहों के नाम बदलने जा रहा है।इस फैसले को भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में चीन की नामकरण नीति का जवाब माना जा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी के नेतृत्व में नई NDA सरकार ने तिब्बत के इन स्थानों के नाम बदलने को मंजूरी भी दे दी है। भारतीय सेना जल्द ही जगहों की लिस्ट के साथ चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का नया मैप जारी करेगी।तिब्बत के इलाकों का नाम बदलने के लिए काफी रिसर्च की गई। भारतीय भाषा में पुराने नामों को आधार बनाकर इन जगहों के नए नाम रखे गए हैं। 

रिपोर्ट में ये बताया गया कि भारतीय सेना ने पिछले कुछ हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश के उन इलाकों का दौरा भी किया, जिन्हें चीन अपना बताता है। इस दौरान पत्रकारों के जरिए क्षेत्रीय लोगों से भी बात की गई। उन्होंने चीन के दावों को खारिज करते हुए खुद को भारतीय नागरिक कहा। भारतीय सेना की इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर डिवीजन को इलाकों के नाम बदलने का जिम्मा सौंपा गया था। यह वही डिवीजन है, जो गहरी रिसर्च के बाद चीन की तरफ से रखे गए अरुणाचल प्रदेश के इलाकों के नए नामों को भी खारिज करती है। 

बताया जा रहा है कि भारत सरकार ने जिन जगहों के नामों को बदलने की मंजूरी दी है, उनमें आवासीय क्षेत्र, पहाड़, नदियां, झील और पहाड़ी दर्रे शामिल हैं। द डिप्लोमैट ने पूर्व खुफिया ब्यूरो अधिकारी बेनू घोष के हवाले से कहा कि पीएम मोदी अपनी मजबूत छवि के दम पर इन चुनावों को जीतना चाहते थे। इसलिए ये स्वाभाविक है कि वे अपनी छवि को बनाए रखने के लिए तिब्बती स्थानों के नाम बदलने की अनुमति देंगे। उन्होंने कहा, ये भारत द्वारा तिब्बत पर फिर से सवाल उठाने जैसा होगा।

इस फैसले को भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में चीन की नामकरण नीति का जवाब माना जा रहा है। यह कदम चीन द्वारा अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों के नाम बदलने के जवाब में उठाया गया है, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। चीन ने 1 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर वहां की 30 जगहों के नाम बदल दिए थे। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इनमें 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। हालांकि, इन जगहों के नाम क्या रखे गए, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई। इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया था। पिछले 7 सालों में ऐसा चार बार हुआ, जब चीन ने अरुणाचल की जगहों के नाम बदले। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

भारत में इंसान को हुआ बर्ड फ्लू, यहां मिला दूसरा केस, WHO ने की पुष्टि*
#bird_flu_virus_infecting_humans_also भारत में एक इंसान को बर्ड फ्लू हुआ है।डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी पुष्टि की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक चार साल के बच्चे को H9N2 वायरस के कारण फरवरी में बर्ड फ्लू हुआ था। भारत में अब तक इंसानों में बर्ड फ्लू के दो ही मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, ''पश्चिम बंगाल में चार साल के एक बच्चे में एच9एन2 वायरस से उत्पन्न बर्ड फ्लू से मानव संक्रमण का मामला पाया गया है। मरीज को फरवरी में लगातार सांस की गंभीर बीमारी, तेज बुखार और पेट में ऐंठन के कारण स्थानीय अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया था, हालांकि, इलाज के तीन महीने बाद उसे छुट्टी दे दी गई थी। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मरीज घर में और अपने आस-पास पोल्ट्री के संपर्क में था। हालांकि, उसके परिवार अन्य किसी में सांस की गंभीर बीमारी जैसे लक्षण नहीं मिले हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि भारत में इंसानों में बर्ड फ्लू का यह दूसरा मामला है। इससे पहले 2019 में भारत में पहले व्यक्ति को बर्ड फ्लू हुआ था। दुनियाभर में जिस हिसाब से बर्ड फ्लू के मामले जानवरों में बढ़ रहे हैं और अब इंसान भी संक्रमित हो रहे हैं। उससे नई महामारी का खतरा मंडरा रहा है। कुछ महीनों पहले अमेरिका में पशुओं में बर्ड फ्लू यानी H5N1 वायरस फैलने लगा था। हजारों गायों में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। इसके बाद डेनमार्क और कनाडा में भी जानवरों में ये वायरस मिला था। करीब 26 प्रजातियों में इसकी पुष्टि हुई थी। यह एक चिंता वाली बात थी क्योंकि बर्ड फ्लू का संक्रमण आमतौर पर पक्षियों में ही देखा जाता था। लेकिन उस दौरान लाखों की संख्या में जानवरों में भी यह वायरस मिला रहा था और यह सिलसिला अभी तक जारी है। अब बर्ड फ्लू एक बड़ा खतरा बड़ा बनता नजर आ रहा है। कुछ दिनों पहले मैक्सिको में एक व्यक्ति की मौत इस वायरस से हुई थी। यह बर्ड फ्लू से इंसान की डेथ का पहला मामला था। इस मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर में बर्ड फ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया था। कुछ दिन ही बीते हैं और अब भारत में भी एक बच्चे में इस वायरस की पुष्टि हुई है।
24 साल बाद ओडिशा को मिला नया सीएम, मोहन माझी ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

#mohan_charan_majhi_takes_oath_as_odisha_chief_minister

ओडिशा में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई है। भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए मोहन चरण माझी ने आज बुधवार 12 जून को ओडिशा के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया।ओडिशा में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के शपथ समारोह में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भुवनेश्वर पहुंचे। पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के सीएम नायब सैनी, उत्तराखंज के सीएम पुष्कर धामी, गुजरात के स सीएम भूपेंद्र पटेल, असम के सीएम हिमंत विश्व शर्मा भी भुवनेश्वर पहुंचे।सबसे खास ओडिशा के निचर्तमान सीएम नवीन पटनायक भी शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहे।

मोहन माझी के अलावा 16 अन्य मंत्रियां ने भी शपथ ली। गणेश राम, संपंद स्वेन, प्रदीप बालासमंता, गोकुला नंद मलिक, सूर्यबंशी सुराज को मंत्री स्वतंत्र प्रभार की शपथ दिलाई गई। माझी कैबिनेट में सुरेश पुजारी, रबिनारायण नाइक, नित्यानद गोंड, पृथ्वीराज हरिचंदन, कृष्ण चंद्र महापात्रा, मुकेश महालिंग, बिभूति भूषण जेना, कृष्ण चंद्र पात्रा भी मंत्री के रूप में शामिल किए गए हैं।

बता दें कि इस बार ओडिशा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में बीजू जनता दल के विजयरथ को रोका और बड़ी जीत दर्ज की। 147 में से 78 सीटों पर जीत हासिल कर भारतीय जनता पार्टी ओडिशा में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी। पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना पीएम मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। उधर, बीजू जनता दल को 51 सीटों पर जीत हासिल हुई।

कुवैत की इमारत में लगी भीषण आग, 40 लोगों की मौत, मृतकों में कई भारतीय, पीएम मोदी ने जताया दुख

#kuwait_apartment_blaze_indians_among_over_40_killed

कुवैत के दक्षिणी मंगाफ में एक इमारत में भीषण आग लग गई। इस हादसे में 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग जख्मी हुए हैं। मृतकों में कई भारतीय भी हैं।कुवैत स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, सभी घायलों को इलाज के लिए आसपास के कई अस्पतालों में ले जाया गया है। मंत्रालय ने कहा कि मेडिकल टीमें घायल हुए लोगों को उचित चिकित्सा देने की पूरी कोशिश कर रही हैं। उधर भारतीय दूतावास ने भी हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। हादसे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है।

बताया जा रहा है कि बुधवार सुबह कुवैत के दक्षिणी अहमदी प्रांत के मंगफ इलाके में छह मंजिला इमारत की रसोई में आग लग गई थी। जिस इमारत में यह भीषण आग लगी, उसमें 160 लोग मौजूद थे और सभी एक ही संस्थान में काम करते हैं। बताया गया है कि इन मजदूरों में कई भारत के रहने वाले थे।  कुवैत स्थित भारतीय दूतावास ने इसे लेकर हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। दूतावास का कहना है कि इस अग्निकांड में भारतीयों की मौत के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए +965-65505246 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। दूतावास की तरफ से हर संभव मदद का एलान किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत में हुए अग्निकांड पर शोक प्रकट किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा ‘कुवैत में आग की दुर्घटना दुखद है। मेरी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं, जिन्होंने अपने परिजनों को खो दिया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। कुवैत में भारतीय दूतावास द्वारा इस घटना पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।’

इस दुखद घटना पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को गहरा दुख व्यक्त किया। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया, 'कुवैत शहर में आग लगने की घटना की खबर से गहरा सदमा लगा है। कथित तौर पर 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। हमारे राजदूत घटनास्थल पर गए हैं। हम आगे की जानकारी का इंतजार कर रहे हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना। घायलों के शीघ्र और पूर्ण स्वस्थ होने की कामना करता हूं। हमारा दूतावास इस संबंध में सभी लोगों को पूरी सहायता प्रदान करेगा।"

राष्ट्रपति चुनाव से पहले जो बाइडेन को झटका, बेटा हंटर बाइडन अवैध हथियार केस में दोषी करार

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर बाइडन को डेलावेयर में चल रहे एक मुक़दमे में सभी तीन आरोपों में दोषी पाया गया है। हंटर बाइडन को ड्रग्स के प्रभाव में रहते हुए अवैध रूप से बंदूक रखने के अपराध का दोषी पाया गया है।उन्हें इस मामले में अब जेल भी जाना पड़ सकता है। जिन अपराधों के लिए हंटर बाइडन को दोषी पाया गया है उनमें 25 साल तक की सज़ा हो सकती है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वह किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने वाले किसी पदस्थ अमेरिकी राष्ट्रपति के पहले बच्चे बन गए। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब 5 नवंबर अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। 

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि बाइडेन के बेटे का गन लाइसेंस मामले में दोषी पाया जाना उनके चुनाव प्रचार को किस हद तक प्रभावित कर सकता है। चुनाव से ठीक पहले ऐसा होना बाइडेन की छवि खराब कर सकता है, क्योंकि पहले से ही वे गाजा और यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की नीतियों को लेकर सवालों के घेरे में हैं। वहीं उनके ऊपर चीनी कंपनियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने के भी आरोप हैं।

कोर्ट का फैसला आते ही पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टीम ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देने में ज़्यादा समय न लेते हुए बाइडेन को घेरना शुरू कर दिया है। हंटर बाइडेन के गन लाइसेंस वाले मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रम्प की टीम ने कहा, यह मुकदमा बाइडेन क्राइम फ़ैमिली के असल अपराधों से ध्यान हटाने के अलावा और कुछ नहीं है, जिसमें उन्होंने चीन, रूस और यूक्रेन से करोड़ों डॉलर कमाए गए हैं। 5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन और उनके रिपब्लिकन विरोधी पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने थे। ट्रंप को भी पिछले महीने अदालत ने हश मनी केस में दोषी ठहराया है। 

बता दें कि हंटर बाइडन पहले भी अपने नशे और सेक्स की लत के कारण बदनाम रहे हैं। अमेरिका में एक होटक के कमरे से हंटर बाइडन के नग्न अवस्था में भागने का वीडियो भी वायरल हुआ था। इसके अलावा उनके लैपटॉप से भी काफी बड़े खुलासे हुए थे।

भारत की नजर बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह पर है, क्या चीन को कर सकेगा चित

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चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने का कोई भी मौका भारत चूकना नहीं चाहता। ड्रैगन का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में, भारत ने बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह के प्रबंधन पर अपनी नज़रें गड़ा दी हैं। भारत ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह पर परिचालन के प्रबंधन में गहरी रुचि दिखाई है, साथ ही वहां एक नया टर्मिनल बनाने की योजना भी बनाई है। चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। चीन भी इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह पर नियंत्रण के लिए होड़ कर रहा है।

भारत को पहले ही दो देशों के बंदरगाहों के ऑपरेशनल का अधिकार मिला हुआ है। ईरान में चाबहार बंदरगाह और म्यांमार में सित्तवे बंदरगाह इसमें शामिल हैं। ईरान में चाबहार बंदरगाह और म्यांमार में सित्तवे बंदरगाह पर परिचालन अधिकार पहले से ही रखने वाला भारत अब मोंगला बंदरगाह को अपने पोर्टफोलियो में जोड़कर हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करना चाहता है।मोंगला पोर्ट के संचालन से भारत अपने पड़ोसी चीन की बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला करने में और सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के पश्चिमी और पूर्वी दोनों हिस्सों में बंदरगाहों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। यह मामला दोनों देशों की पार्टनरशिप में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

बांग्लादेश का ये पोर्ट क्यों है अहम

भारत के पास पहले से ही चटगांव और मोंगला दोनों बंदरगाहों पर पूर्वोत्तर राज्यों में माल की ढुलाई की सुविधा है। इससे 1,650 किलोमीटर लंबे चिकन नेक कॉरिडोर को छोड़ना पड़ता है। पिछले महीने, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपने प्रबंध निदेशक सुनील मुकुंदन के नेतृत्व में परिचालन सुविधाओं का विस्तार से अध्ययन करने के लिए मोंगला पोर्ट का दौरा किया, हमारे सहयोगी अखबार ईटी को इसकी जानकारी मिली है। अगर ये वार्ता सफलतापूर्वक आगे बढ़ती है, तो मोंगला ईरान में चाबहार पोर्ट और म्यांमार में सित्तवे के बाद भारत की ओर से लिया जाने वाला तीसरा अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह संचालन होगा।