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“अगर प्रियंका वाराणसी से चुनाव लड़तीं तो मोदी 2-3 लाख वोटों से हार जाते”, राहुल गांधी का बड़ा दावा
#rahul_gandhi_says_if_priyanka_gandhi_contests_varanasi_election_pm_modi_would_lose
लोकसभा चुनाव को खत्म होने और सरकार के गठन के बाद भी हार-जीत पर सियासत जारी है। इस बीच राहुल गांधी ने रायबरेली में आयोजित आभार सभा में पीएम मोदी पर जमकर हमला बोला।रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि अगर प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ जातीं तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो-तीन लाख वोट से चुनाव हार जाते। रायबरेली सीट से चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी रायबरेली की जनता का आभार प्रकट करने के लिए वहां पहुंचे थे।

आभार सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला।राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान की जनता ने अपने वोट से मोदी को जवाब दिया है। लोगों ने ये बताया कि वह नफरत और हिंसा की राजनीति नहीं चाहती।उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि हमें प्रमुख मुद्दों से नहीं भटकना है। देश के जरूरी मुद्दों की ही राजनीति करनी है। हमें नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलनी है।

*नरेंद्र मोदी की साख लगातार गिर रही-राहुल*
उत्तर प्रदेश की रायबरेली और केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला।उन्होंने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख लगातार गिर रही है। उन्होंने कहा कि अगर वाराणसी लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ती तो पीएम मोदी की हार निश्चित थी।

*मोदी-योगी दोनों का प्रभाव लगातार कम हो रहा-राहुल*
राहुल गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे इस बात का सबूत हैं कि अब यहां से मोदी और योगी, दोनों का प्रभाव लगातार कम हो रहा है। लोग अब बीजेपी की तोड़-फोड़ की राजनीति को अच्छी तरह से समझ चुके हैं। राहुलं गांधी ने कहा कि इस बार कांग्रेस पार्टी रायबरेली, अमेठी सहित पूरे हिंदुस्तान में एक होकर लड़ी।

*अयोध्या में मिली हार पर कसा तंज*
फैजाबाद सीट पर भाजपा के हारने पर राहुल गांधी ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि ये अध्योध्या की सीट हार गए हैं। इसके मतलब साफ हैं। मंदिर की प्राण  प्रतिष्ठा में अरबपति लोग बुलाए गए, पूरा बॉलीवुड आया। अंबानी और अडानी आए लेकिन एक गरीब व्यक्ति को वहां आमंत्रित नहीं किया गया। इसके जवाब उस क्षेत्र की जनता ने दिया है। जनता ने अपना महत्व बताया है।
ओडिशा के नए मुख्यमंत्री होंगे मोहन चरण माझी, दो डिप्टी सीएम के नाम का भी ऐलान
#mohan_manjhi_new_chief_minister_of_odisha
ओडिशा का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसकी घोषणा हो गई है। मोहन माझी ओडिशा के नए मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी विधायक दल की बैठक में मोहन चरण माझी के नाम पर मोहर लग गई है। उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। भुवनेश्वर में हुई बैठक में बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव मौजूद रहे। बैठक के बाद रक्षा मंत्री ने घोषणा की कि भाजपा नेता मोहन चरण माझी ओडिशा के नए मुख्यमंत्री होंगे।

बीजेपी यूपी, राजस्थान की तरह ओडिशा में भी दो डिप्टी सीएम वाला फॉर्मूला अमल में लाई है। कनक वर्धन सिंह देव और प्रवती परिदा को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है।विधायक दल की बैठक के बाद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भाजपा नेता मोहन चरण माझी ओडिशा के नए मुख्यमंत्री होंगे। के.वी. सिंह देव और पार्वती परिदा को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। ये फैसला विधायक दल की बैठक में लिया गया है।

विधायक दल का नेता चुनने के बाद अब भाजपा नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा करेंगे। ओडिशा में भी बुधवार को सीएम पद का शपथ ग्रहण समारोह होना है। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद रह सकते हैं। शपथ ग्रहण के लिए भाजपा ने बीजद नेता नवीन पटनायक को भी आमंत्रण दिया है। शपथ ग्रहण समारोह के चलते ओडिशा में 12 जून को आधे दिन की छुट्टी देने का एलान किया गया है।

बता दें कि भाजपा ने ओडिशा विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करते हुए ओडिशा में करीब 24 साल से सत्ता पर काबिज बीजद को सत्ता से बेदखल किया है। ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 78 पर जीत दर्ज की है। वहीं बीजद 51 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस को राज्य में 14, सीपीआईएम को 1 सीट मिली है। वहीं तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं।
1000 रूपये देने के वादे पर घिरे केजरीवाल, आतिशी के घर के बाहर महिलाओं का प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी दलों के किए गए वादें उनकी गले की फांस बनते दिख रहे हैं। पहले ही कांग्रेस की चुनावी वादे “खटाखट” स्कीम से काफी फजीहत हो चुकी है। अब जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी की भी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।

शराब घोटाला मामले में दिल्ली की सीएम अरविंद केजरीवाल जेल में हैं।इधर उनकी सरकार की मंत्री आतिशी के घर के बाहर कई महिलाओं ने प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि चुनाव से पहले आम आमदी पार्टी ने एक-एक हजार रुपये महिलाओं को देने का वादा किया था। लेकिन अभी तक नहीं दिया गया है।

दिल्ली महिला मंच की सदस्यों ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने सीएम केजरीवाल पर झूठे वादे करने का आरोप लगाया। महिलाओं ने दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी के घर के बाहर जमकर नारेबाजी की।

बता दें कि इससे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा का भी महिलाएं घेराव कर चुकी हैं। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस की गारंटी पार्टी0 के लिए परेशानी खड़ी करने लगी है। चुनाव परिणाम आने के दूसरे दिन कांग्रेस के लखनऊ स्थित दफ्तर में अचानक बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं पहुंच गईं। उन्होंने कहा कि अब राहुल गांधी उनके वादों को पूरा करेंगे, वो चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने चुनाव में कहा था कि वो महिलाओं के खाते में प्रतिमाह 8500 रुपए डालेंगे। हम उनके इसी वादे को देखते हुए कार्यालय आए हैं।
पश्चिम बंगाल में दहशत में बीजेपी कार्यकर्ता, घर छोड़ने को मजबूर, पार्टी कार्यालय को बनाया बसेरा*
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पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक हिंसा की संस्कृति अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है।यहां राजनीतिक हिंसा का लंबा इतिहास है, जो कई दशकों से चला आ रहा है और जिस ने राज्य की राजनीति पर जटिल और गहरा प्रभाव डाला है। हाल ही में खत्म हे लोकसभा चुनाव के दौरान भी हिंसक घटनाएं हावी रहीं। अब चुनाव खत्म होने के बाद भी हिंसा भड़कने का खतरा मंडरा रहा है।लगातार हमलों से भयभीत कई भाजपा कार्यकर्ता घर छोड़ने पर मजबूर हैं।इनमें कुछ ने पार्टी कार्यालयों में शरण ली रखी है। 2021 में हुए विधानसभा चुनाव और 2023 के पंचायत चुनाव के बाद भी बीजेपी कार्यकर्ताओं को बेघर होना पड़ा था, आज भी पश्चिम बंगाल में लोग उसी गंभीर स्थिति से गुजर रहे हैं।इसलिए कई भाजपाइयों ने अपने परिवार के साथ सुरक्षित स्थानों में शरण ली है। कई लोग वोट डालने के बाद घर छोड़ कहीं और चले गए। इसे लेकर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल को पत्र लिखा है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और नंदीग्राम से भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को लिखे पत्र में कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 10,000 भाजपा कार्यकर्ता और उनके परिवार असुरक्षित हैं, जिनमें से कई लोग पार्टी कार्यालय में रुके हैं।
मणिपुर, मर्यादा, दूसरों के मत का सम्मान...बहुत कुछ बोल गए भागवत, इशारों-इशारों में किसे दिया संदेश?
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देश में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद नई सरकार का गठन भी हो गया है। चुनावी नतीजों और सरकार के शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बड़ा बयान आया है।सोमवार नागपुर के एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने चुनाव में संघ को घसीटे जाने, चुनाव में मर्यादा, मणिपुर में अशांति, दूसरों के मत का सम्मान जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में बोलते हुए श्री भागवत ने नई सरकार और विपक्ष को भी सलाह दी।

मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के ठीक एक दिन बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर, चुनाव,राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने सभी धर्मों को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान है।संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव परिणाम आ चुके हैं। सरकार भी बन चुकी है। जो हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ? ये लोकतंत्र के नियम हैं, समाज ने अपना मत दे दिया है, संघ के लोग इसमें नहीं पड़ते हैं। हम चुनाव में परिश्रम करते हैं। जो सेवा करता है वो मर्यादा से चलता है। काम करते सब लोग हैं लेकिन कुशलता का ध्यान रखना चाहिए। ऐसी मर्यादा रखकर काम करते हैं। मर्यादा ही अपना धर्म और संस्कृति है।

नागपुर में आरएसएस प्रशिक्षुओं की सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने संसद इसलिए होती है क्योंकि सहमति हो. स्पर्धा की वजह से इसमें दिक्कत आती है. इसलिए बहुमत की बात होती है। चुनाव में संघ जैसे संगठन को भी घसीटा गया। कैसी-कैसी बातें की गईं। तकनीक का सहारा लेकर ऐसा किया गया। विद्या का उपयोग प्रबोधन करने के लिए होता है लेकिन आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल किया गया।

भागवत ने आगे कहा कि सरकार बन गई है। वही सरकार (एनडीए) फिर से आ गई है। पिछले 10 साल में बहुत कुछ अच्छा हुआ है। वैश्विक स्तर पर पहचान अच्छी हुई है। प्रतिष्ठा बढ़ी है। विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं। हमें अभी अन्य समस्याओं से राहत लेनी है।

इसी दौरान मोहन बागवत ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है। आरएसएस प्रमुख ने कहा,मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने चुनावी बयानबाजी से बाहर आकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा,मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है।

संघ प्रमुख के बयान को बीजेपी चीफ जेपी नड्डा के बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि नड्डा ने कुछ दिन पहले कहा था कि अब बीजेपी अब अपने पैरो पर खड़ी है। यही नहीं, इस बार के चुनाव में बीजेपी ने संघ से कोई मदद भी नहीं मांगी थी। पिछले दो चुनावों में संघ यूपी से लेकर बिहार तक काफी एक्टिव था। लेकिन इस बार आरएसएस यूपी से भी दूर रहा। सूत्रों के मुताबिक नड्डा के बयान के बाद तो स्वयंसेवक भी एक्टिव नहीं रहे। अब भागवत के बयान को चुनाव परिणाम के बाद नड्डा के बयान से ही जोड़ा जा रहा है।
यूरोपीय यूनियन के चुनाव में दक्षिणपंथी दलों की बड़ी जीत, इटली की पीएम मेलोनी किंग मेकर
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यूरोपीय संघ (ईयू) के चुनावों में धुर दक्षिणपंथी दलों को बड़ी सफलता मिली है। चुनाव में धुर दक्षिणपंथी दलों ने कई देशों की पारंपरिक सत्तारूढ़ ताकतों को बड़ा झटका दिया है, जिसमें फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी को भी करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जॉर्जिया मेलोनी की पार्टी की सीटें यूरोपीय संघ संसद में दोगुनी हो गई हैं। चुनावी नतीजों के बाद मेलोनी अपने देश के साथ-साथ यूरोप की मजबूत नेता के रूप में भी उभरकर सामने आई हैं।

जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी 'अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' को भले ही अपने उम्मीदवारों से जुड़े घोटाले का सामना करना पड़ा हो लेकिन पार्टी ने देश के चांसलर ओलाफ शोल्ज की ‘‘सोशल डेमोक्रेट्स’ पार्टी को मात देने के लिए पर्याप्त सीट जुटा ली हैं।जर्मनी में ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' के कई शीर्ष उम्मीदवारों का नाम घोटालों में शामिल रहा लेकिन इसके बावजूद पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ा। पार्टी ने 2019 में 11 प्रतिशत मत हासिल किए थे, जो बढ़कर 16.5 प्रतिशत हो गए। वहीं, जर्मनी के सत्तारूढ़ गठबंधन में तीन दलों का संयुक्त मत प्रतिशत मुश्किल से 30 प्रतिशत से ऊपर रहा।

मेलनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी ने ईयू के चुनाव में इटली में 28.8 फीसदी वोट हासिल किए हैं। वो जिस गठबंधन में हैं उसमें शामिल फ्रोजा इटालिया पार्टी को 9.6 फीसदी व लेगा पार्टी को 9.1 फीसदी वोट मिले हैं। अब गठबंधन में मेलनी की स्थिति और मजबूत हुई है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है। जिसके कारण मैक्रों ने राष्ट्रीय संसद को तुरंत भंग कर मध्यावधि चुनावों की घोषणा कर दी। मैक्रों के लिए यह बड़ा राजनीतिक जोखिम है, क्योंकि उनकी पार्टी को और अधिक नुकसान सहना पड़ सकता है। मैक्रों ने अपनी करारी शिकस्त को स्वीकार करते हुए कहा, 'मैं आपका जनादेश स्वीकार करता हूं, आपकी चिंताओं से वाकिफ हुआ हूं और मैं इन्हें हल किये बिना नहीं जाऊंगा।' उन्होंने कहा कि अचानक चुनाव की घोषणा करना केवल उनकी लोकतांत्रिक साख को रेखांकित करता है।
नहीं बचेंगे रियासी बस अटैक के गुनहगार, सेना ने जंगल को घेरा, ड्रोन भी उतारे गए, बड़े पैमाने पर चल रहा ऑपरेशन, एक्शन में मोदी-शाह


जम्‍मू कश्‍मीर के रियासी में रविवार शाम हुए आतंकी हमले के बाद सेना एक्शन में है। रविवार शाम को रियासी जिले में आतंकियों ने बड़ा हमला किया। आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिससे बस खाई में गिर गई। इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गई और 33 अन्य घायल हुए हैं। बस के ड्राइवर ने बड़ा साहस दिखाते हुए बस को वहां से तेजी से भगाता लिया। हालांकि इस बीच उसे भी गोली लग गई और वह बस से कंट्रोल खो बैठा और वह खाई में जा गिरी।

आतंकवादी हमला करने वाले गुनहगारों की तलाश तेज हो गई है। वहीं, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू और रियासी के अस्पतालों में घायलों से मुलाकात की और सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक हाई लेवल बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने आतंकी हमले को काफी गंभीरता से लिया है और सुरक्षाबलों को आतंकियों के खिलाफ सख्‍त कदम उठाने का निर्देश दिया है।




रियासी की सीनियर एसपी मोहिता शर्मा ने बताया, ‘शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों ने घात लगाकर शिव खोड़ी से कटरा के लिए रवाना हुई बस पर गोलीबारी की। हमले के कई घंटे बाद भी आतंकियों का नामो-निशान नहीं मिला है। इस हमले के तार पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ रहे हैं। आतंकियों को खोजने के लिए बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हमले के बाद आतंकी जंगल की तरफ भागे थे। ऐसे में रियासी के जंगल को घेर लिया गया है। वहां कमांडो और ड्रोन भी उतारे गए हैं।


इन आतंकियों से श्रद्धालुओं के ख़ून के एक-एक कतरे का हिसाब लेने के लिए सुरक्षाबल ने जमीन आसमान एक कर दिया है। पुलिस, सेना और सीआरपीएफ की 11 टीमें आतंकवादियों के खात्मे के लिए दो अलग-अलग तरह से संयुक्त रूप से काम कर रही हैं। इस गोलीबारी के बाद भी यात्री चुपचाप लेटे रहे, ताकि आतंकवादियों को ऐसा लगे कि वो सभी मर चुके हैं। मरने वाले यात्रियों में से 4 राजस्थान से थे, जिनमें एक 3 साल का बच्चा भी शामिल था। ये चारों लोग एक ही परिवार के थे। इसके अलावा, मरने वालों में 3 लोग उत्तर प्रदेश के थे। ड्राइवर और कंडक्टर रियासी के ही रहने वाले थे।
SC/ST का आरक्षण दूसरे समुदायों को देना दुखद, ये भाईचारा बिगाड़ने की साजिश - हरियाणा CM नायब सैनी ने दिया बयान



हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने धर्म आधारित आरक्षण को लेकर कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि SC और ST समुदाय का आरक्षण दूसरों को दे दिया गया है और यह समुदायों के बीच भाईचारे को बिगाड़ने की एक सोची-समझी साजिश है। सैनी ने संवाददाताओं से कहा कि, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि SC और ST का आरक्षण धर्म के आधार पर दूसरों को दे दिया गया है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने ऐसा किया है। यह देश में समुदायों के बीच व्याप्त भाईचारे को बिगाड़ने की एक सोची-समझी साजिश है।"

उन्होंने कहा कि, "लोगों ने अब कांग्रेस का असली चेहरा देख लिया है और यह पार्टी देश से खत्म हो जाएगी। झूठ पर उन्होंने जो नींव रखी है, वह ढह जाएगी।" हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 6 जून को विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के नेतृत्व में हरियाणा विधानसभा परिसर में करनाल के विधायक के रूप में शपथ ली। नायब सिंह सैनी ने हाल ही में करनाल विधानसभा क्षेत्र में हुए विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की थी। इससे पहले, वह कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में कार्यरत थे और लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।


उन्होंने हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। इससे पहले सोमवार को हरियाणा कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस प्रमुख उदय भान की अध्यक्षता में एक बैठक की। बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों और आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों पर चर्चा होने की उम्मीद है। बैठक में हरियाणा के विधायकों और सांसदों के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति बनाने की उम्मीद है। पार्टी नेताओं ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने आधार को मजबूत करने के लिए मजबूत और कमजोर बूथों का आकलन किया, साथ ही आभार व्यक्त करने के लिए बैठकें भी कीं। हरियाणा में साल के अंत में चुनाव होने की उम्मीद है।
जेपी नड्डा और 4 महीने बनें रहेंगे बीजेपी अध्यक्ष, मंत्रालय के साथ पार्टी का भी देखेंगे काम
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जेपी नड्डा नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इसके बाद से सभी ये जानना चाहते हैं कि भाजपा का नया अध्यक्ष कौन बनेगा। इस बीच इसको लेकर बड़ी खबर मिल रही है। बताया जा रहा है कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति होने तक जेपी नड्डा अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के अध्यक्ष का चुनाव सितंबर तक हो सकता है। कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति होने तक जेपी नड्डा पार्टी और मंत्रालय दोनों की देखरेख करते रहेंगे।

बीजेपी आलाकमान से जुड़े करीबी सूत्रों ने बताया कि पार्टी जल्द ही कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी। तब तक जेपी नड्डा ही अध्यक्ष बने रहेंगे। उन्होंने बताया कि अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया सितंबर तक पूरी हो सकती है। वहीं कार्यकारी अध्यक्ष को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति तक नड्डा मंत्रालय के साथ पार्टी का भी काम देखते रहेंगे।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चार साल से अधिक समय तक पार्टी का नेतृत्व करने वाले जेपी नड्डा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रभार मनसुख मांडविया के पास था।वर्ष 2019 में बीजेपी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी नड्डा के पास यही विभाग था। अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्री बनने के बाद नड्डा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे।

जेपी नड्डा का बतौर बीजेपी अध्यक्ष तीन साल का कार्यकाल पिछले साल जनवरी में ही पूरा हो गया था, लेकिन फिर चुनावी साल को ध्यान में रखते हुए उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ा दिया गया, जो कि अब पूरा हो गया है।
पहली बार अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बना कोई बौद्ध, मोदी सरकार ने किरेन रिजिजू को सौंपा विभाग



किरेन रिजिजू ने अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ विभाग को संभाल लिया है। अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद जनवरी 2006 में राज्य के गठन के बाद से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का पद संभालने वाले पहले बौद्ध मंत्री बन गए हैं। परम्परागत रूप से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में केवल मुस्लिम राजनेताओं को ही नियुक्त किया जाता था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 2006 में ये मंत्रालय बनाया था, इसके बाद से 2009 तक अब्दुल रहमान अंतुले की नियुक्ति के साथ इस परंपरा की शुरुआत की। इसके बाद कांग्रेस ने गाँधी परिवार के करीबी सलमान खुर्शीद को ये मंत्रालय सौंपा। इसके बाद कांग्रेस ने ही के रहमान खान को अल्पसंख्यक मंत्री बनाया।

2014 में भाजपा सत्ता में आई, तब तक ये परंपरा बन चुकी थी। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में एक मुस्लिम महिला नजमा हेब्तुल्ला को इसका नेतृत्व सौंपा, उनका कार्यकाल लगभग 2 साल का रहा, फिर करीब 6 साल मुख़्तार अब्बास नकवी ने ये पद संभाला। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में स्मृति ईरानी ने कुछ दिन के लिए ये मंत्रालय संभाला। अब देश में पहली बार एक बौद्ध को अल्पसंख्यक मामलों का केंद्रीय मंत्री बनाया गया है, जो अपने आप में ऐतिहासिक है। भारत में बौद्ध समुदाय की आबादी लगभग 1 करोड़ है, वहीं मुस्लिम समुदाय करीब 25 से 30 करोड़ है। 


बता दें कि किरेन रिजिजू, जो पहले कानून मंत्री रह चुके हैं, अब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभालेंगे। केरल के ईसाई राजनेता जॉर्ज कुरियन को इस विभाग का राज्य मंत्री नियुक्त किया गया है। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि भारत में 'धार्मिक अल्पसंख्यकों' में मुस्लिम सबसे बड़े बहुमत में हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को 2006 में यूपीए सरकार द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अलग करके बनाया गया था।