पहली बार अयोध्या जाएगा नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य ! राहुल-प्रियंका को लेकर कांग्रेस ने बनाया बड़ा प्लान तो लोग उठाने लगे कई सवाल
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान में मैदान में होंगे। राहुल गांधी, जो वायनाड से कांग्रेस के मौजूदा सांसद हैं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) नेता एनी राजा के खिलाफ होंगे। वायनाड सीट पर मुकाबला खत्म होने के साथ, अब सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश के रायबरेली और अमेठी के चुनावी परिदृश्य पर हैं। अमेठी और रायबरेली के प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों के लिए नामांकन एक ही दिन, 26 अप्रैल को खुलने वाले हैं।
सूत्रों ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी के अमेठी और रायबरेली जाने से पहले अयोध्या जाने और राम मंदिर में प्रार्थना करने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि, नेहरू-गांधी परिवार का कोई भी वंशज आज तक अयोध्या नहीं गया है। पंडित नेहरू से लेकर मौजूदा गाँधी परिवार को निमंत्रण मिलने के बावजूद एक भी सदस्य राम लला के दर्शन करने नहीं गया। माना जाता है कि, इसके पीछे कांग्रेस की विचारधारा भी हो सकती है, जो श्री राम को काल्पनिक मानती है। साथ ही पार्टी को ये डर भी हो सकता है, कि अयोध्या जाने से उसका मुस्लिम वोट बैंक नाराज़ न हो जाए, जो चुनावों में उसे एकतरफा वोट करता रहा है। गौरतलब है कि, कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बाकायदा हलफनामा देते हुए कहा था कि राम रावण का कोई युद्ध हुआ ही नहीं और राम एक काल्पनिक चरित्र हैं। हालाँकि, इसका भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कड़ा विरोध किया था। यदि कांग्रेस सरकार का वो हलफनामा मान लिया जाता, तो राम मंदिर कभी नहीं बनता। क्योंकि, जो काल्पनिक हैं, उनका जन्मस्थान कैसा ? और हिन्दू पक्ष का यही दावा था कि उस जगह पर ही श्री राम का जन्म हुआ था। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि, अभी चुनावी मौसम में कांग्रेस ने हिन्दू वोटों को आकर्षित करने के लिए अयोध्या जाने का प्लान बनाया है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बात की प्रबल संभावना है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, क्रमशः अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ सकते हैं, दोनों सीट गाँधी परिवार का गढ़ हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस मोर्चे पर कोई भी औपचारिक घोषणा या प्रगति 30 अप्रैल से पहले नहीं हो सकती है, लेकिन पार्टी हलकों में अटकलें तेज हैं। यूपी की दो सीटों के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की संभावित उम्मीदवारी के बारे में कांग्रेस नेता चुप्पी साधे हुए हैं।
चर्चा को बढ़ाते हुए, सूत्रों ने यह भी संकेत दिया है कि अमेठी और रायबरेली जाने से पहले राम लला से आशीर्वाद लेने के लिए प्रियंका और राहुल गांधी अयोध्या की संभावित यात्रा कर सकते हैं। हालाँकि, इस घटनाक्रम की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वहीं, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया है कि यदि दोनों नेता चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो बैक-टू-बैक नामांकन की संभावना हो सकती है, जिससे नामांकन दाखिल करने के लिए 1 मई से 3 मई के बीच एक संकीर्ण खिड़की छोड़ दी जाएगी। 3 मई नामांकन का आखिरी दिन है, जिससे कांग्रेस खेमे के भीतर निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है।
वहीं, केंद्रीय मंत्री और अमेठी प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने सोमवार को भेंटुआ और भादर में नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि, ”26 अप्रैल को वायनाड में वोटिंग होने के बाद राहुल गांधी अमेठी को अपना परिवार बताने के लिए आएंगे और यहां समाज में जातिवाद की आग लगाने का काम करेंगे।” केंद्रीय मंत्री ने संकेत दिया कि 26 अप्रैल के बाद राहुल गांधी अमेठी से भी चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें कि, राहुल गांधी ने 2004 में अमेठी से अपनी राजनीतिक शुरुआत की और 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी से हारने से पहले तीन बार सीट जीती। हालांकि, गांधी वायनाड से लोकसभा सीट सुरक्षित करने में कामयाब रहे।
2004 से रायबरेली कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2004 से सोनिया गांधी के पास रायबरेली सीट थी। हालांकि, फरवरी में, सोनिया गांधी राज्यसभा के लिए चुनी गईं और उन्होंने घोषणा की कि वह 2024 के आम चुनावों में रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेंगी। विशेष रूप से, रायबरेली उत्तर प्रदेश की एकमात्र सीट थी जहां कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतने में कामयाब रही। लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या इस साल के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली और अमेठी को कोई गांधी दावेदार मिलेगा। दोनों सीटों पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा।






आज लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए वोटिंग हो रही है। इस चुनाव में बीजेपी ने 400 पार सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। बीजेपी जीत के लिए जमकर चुनाव प्रचार कर रही है। बीजेपी के नेता अपने चुनाव प्रचार के दौरान 'मोदी की गारंटी' के बारे में देश की जनता को बता रहे हैं। पीएम मोदी लगातार चुनावी मंचों से कह रहे कि पिछले 10 साल में जो काम हुए वह तो केवल ट्रेलर है, पूरी फिल्म तो अभी बाकी है। ऐसे में लोगों के मन में सावल उठ रहे हैं कि अगर पिछले 10 सालों में हुआ काम बीजेपी सरकार का ट्रेलर है, तो पूरी पिक्चर कैसी होगी। ऐसे में बीजेपी ने अपने 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में जो वादा किया है, उसे मोदी सरकार के अगले 5 साल का पिक्चर माना जा रहा है। बीजेपी के घोषणा पत्र में अब लोगों से वादा किया गया है कि अगर मोदी सरकार को जनता तीसरे कार्यकाल के लिए चुनती है तो आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के देश के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इसमें शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही सभी पात्र ट्रांसजेंडर को भी आयुष्मान भारत के अंतर्गत कवर मिलेगा। *मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का जिक्र* मोदी सरकार के दौरान 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम लौटे, राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन पूरी दुनिया ने इसे सेलिब्रेट किया। मोदी सरकार में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया गया और आतंकी हमले के खिलाफ 2016 और 2019 में देश की सीमा से बाहर जाकर भारतीय सेना के जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे वीरता पूर्ण कारनामे किए। भाजपा दावा करती रही है कि पीएम मोदी की सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का यह नतीजा रहा है। *मेट्रो नेटवर्क का विस्तार और ज्यादा तेज करने का वादा* मोदी सरकार की तरफ से देशभर में कोविड के काल से ही 80 करोड़ भारतीयों को पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत अनाज दिया जा रहा है। साल 2020 से ही सरकार ने सबके लिए अन्न की सोच के साथ इसे शुरू किया था। वहीं, घोषणा पत्र में भाजपा का वादा है कि गरीब की थाली में अनाज हो इसके लिए अगले 5 साल तक पीएम गरीब कल्याण योजना का और विस्तार किया जाएगा। मोदी सरकार के 10 सालों में देश के 20 शहरों में मेट्रो कनेक्टिविटी और इसका विस्तार किया गया। सरकार की योजना है कि मेट्रो नेटवर्क का विस्तार और ज्यादा तेजी से किया जाएगा। भारत को 2030 तक ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का वादा मोदी सरकार ने अपने दस साल के कार्यकाल में 15 एम्स की स्थापना की और अब इसके और विस्तार के साथ इसके मजबूत ढांचे की रूपरेखा आगे के लिए तैयार की गई है। पिछले 10 सालों में भारत मोबाइल के उत्पादन में दुनिया के दूसरे नंबर के देश में शुमार हो गया है। अब भाजपा के घोषणापत्र में वादा किया गया है कि भारत को 2030 तक ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का लक्ष्य है। भारत को विश्व के न्यूट्री हब के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य देश भर में मोटे अनाज को लेकर एक तरह की क्रांति का संचार मोदी सरकार में किया गया और 2023 में भारत ने इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिल्लेट्स समारोह का प्रतिनिधित्व किया। अब सरकार का अगले पांच साल में भारत को विश्व के न्यूट्री हब के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है। मोदी सरकार ने नवंबर के महीने को जनजातीय गर्व दिवस के रूप में घोषित किया। वहीं, 2025 को जनजातीय गर्व वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की गई है। जब भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म जयंती मनाई जाएगी। देशभर में पिछले 10 सालों में 31,000 हजार किलोमीटर रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि अगले पांच साल में हर वर्ष 5,000 किमी प्रति वर्ष के हिसाब से रेलवे ट्र्रैक बिछाए जाएंगे।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा।लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण की वोटिंग जारी है और इसी बीच आज ही सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले से यह तय कर देगा कि क्या चार जून को जब लोकसभा चुनाव की गिनती होगी तो उस दौरान ईवीएम के वोटों से वीवीपैट की पर्चियों का मिलान होगा या नहीं। बता दें कि कई संगठनों ने याचिका दाखिल करके ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की मांग की है। इस मामले में 24 अप्रैल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ आज यानी शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के साथ अनिवार्य रूप से क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल है। इससे पहले अदालत ने बुधवार को ईवीएम के कामकाज से संबंधित कुछ तकनीकी पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी को बुलाया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई और चुनाव आयोग की ओर से स्पष्टता दिए जाने के बाद बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं अब ईवीएम वोटों की वीवीपैट पर्चियों से 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए। बुधवार को फैसला सुरक्षित रखते हुए शीर्ष कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकता, न ही एक सांविधानिक निकाय के लिए नियंत्रक अथॉरिटी के रूप में कार्य कर सकता है। गलत काम करने वाले के खिलाफ कानून के तहत नतीजे भुगतने के प्रावधान हैं। कोर्ट सिर्फ संदेह के आधार पर परमादेश नहीं दे सकता। अदालत ने कहा कि वह मतदान मशीनों के फायदों पर संदेह करने वालों और मतपत्रों पर वापस जाने की वकालत करने वालों की विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकती।
Apr 26 2024, 15:13
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
3.8k