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विराट कोहली बने आईसीसी वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर, रचा नया इतिहास

डेस्क: आईसीसी की ओर से इस वक्त साल 2023 के लिए अवार्ड दिए जा रहे हैं। इस बीच आईसीसी ने एक और बड़ा ऐलान कर दिया है। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली को साल 2023 के लिए वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया है। कोहली इससे पहले भी तीन बार ये खिताब जीत चुके हैं। चौथी बार उनके नाम ये अवार्ड आया है। अभी तक दुनिया का कोई भी बल्लेबाज चार बार वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड नहीं जीत पाया है। यानी ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है। 

विराट कोहली के लिए शानदार गया था साल 2023 

विराट कोहली के लिए साल 2023 काफी शानदार गया था। भारत में खेले गए आईसीसी वनडे विश्व कप 2023 के दौरान उन्होंने कई धमाकेदार पारियां खेलीं। इतना ही नहीं विराट कोहली ने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का 49 वनडे शतकों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया था। उन्होंने वनडे में अब 50 सेंचुरी पूरी कर ली हैं। कोहली ने इस साल विश्व कप में 765 रन बनाए, जो किसी भी वनडे विश्व कप के एक सीजन में सबसे ज्यादा हैं। कोहली ने इस साल कुल 1377 रन बनाए। वे अब दुनिया के ऐसे बल्लेबाज बन गए हैं, जिन्होंने आठवीं बार वनडे के एक साल में एक हजार से ज्यादा रन बनाए हैं। 

विराट कोहली का वनडे रिकॉर्ड 

विराट कोहली के वनडे आंकड़ों की बात करें तो उन्होंने अब तक कोहली ने अब तक 292 वनडे मुकाबले खेलकर कुल मिलाकर 13,848 रन बनाए हैं। यहां उनका औसत 58.67 का है और स्ट्राइक रेट 93.58 का। उन्होंने वनडे में 50 शतक के साथ साथ 72 अर्धशतक भी लगाए हैं। उनके नाम इस फॉर्मेट में 1294 चौके और 151 छक्के दर्ज हैं। कोहली का वनडे में सर्वाधिक स्कोर 183 रन है। 

आईसीसी ने चार खिलाड़ियों को किया था नॉमिनेट 

आईसीसी की ओर से वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर के लिए विराट कोहली के अलावा भारत के ही शुभमन गिल और मोहम्मद शमी का भी नाम शामिल किया गया था। इसके साथ ही न्यूजीलैंड के डेरिल मिचेल का भी नाम शामिल था। लेकिन कोहली ने इस सभी को पीछे करते हुए इस खिताब पर कब्जा कर लिया है। अभी कोहली पारिवारिक कारणों के चलते इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही टेस्ट सीरीज से बाहर चल रहे हैं। उम्मीद है कि तीसरे मुकाबले से वापसी करेंगे।

गणतंत्र दिवस पर 31 सीबीआई अधिकारियों को मिलेंगे अवार्ड, इस चर्चित अधिकारी का नाम भी शामिल

डेस्क: 26 जनवरी 2024 को भारत अपने 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इससे पहले राष्ट्रपति से मिलने वाले विभिन्न पुरस्कारों का ऐलान किया गया है। इसी क्रम में सीबीआई से जुड़े रहे 31 अधिकारियों को भी कई अवार्डों का ऐलान हुआ है। इन 31 अधिकारियों में राघवेंद्र वत्स का भी नाम शामिल है। बता दें कि राघवेंद्र ही दिल्ली शराब घोटाले की जांच कर रहे थे और इन्होंने ही मनीष सिसोदिया को जेल पहुंचाया था।

इसके साथ ही कोयला घोटाले के मामलों की जांच करने वाले अमित कुमार IPS(CG-98) और प्रेम कुमार गौतम IPS(UP-05) को भी सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि राष्ट्रपति हर वर्ष देशभर के पुलिस अधिकारियों को उनकी बहादुरी और सूझबूझ के लिए सम्मानित करती हैं। इसी क्रम में इस बार सीबीआई से जुड़े रहे 31 अधिकारी सम्मानित किए जाएंगे।

इन अधिकारियों को मिलेगा राष्ट्रपति मैडल 

इन 31 पुलिस अधिकारियों में अमित कुमार, आईपीएस, जेडी, एसी (मुख्यालय), सीबीआई, नई दिल्ली (अब छत्तीसगढ़ पुलिस में एडीजी), विद्या जयंत कुलकर्णी, आईपीएस, जेडी (चेन्नई जोन), सीबीआई, चेन्नई, जगरूप एस.गुसिन्हा उपमहानिरीक्षक, ईओ-I, सीबीआई, नई दिल्ली, मयूख मैत्रा, एएसपी, एसयू, सीबीआई, कोलकाता, सुभाष चंद्र, एएसआई, एसी-I, सीबीआई, नई दिल्ली और श्रीनिवासन इलिक्कल बाहुल्यन, हेड कांस्टेबल एससीबी, सीबीआई, तिरुवनंतपुरम को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जाएगा।

इन अधिकारियों को पुलिस मैडल से किया जाएगा सम्मानित 

वहीं वीरेश प्रभु संगनाकल, आईपीएस, डीआईजी, बीएसएफबी, सीबीआई, मुंबई, राघवेंद्र वत्स, आईपीएस, डीआईजी, एसी-I, सीबीआई, नई दिल्ली (अब गुजरात पुलिस में आईजीपी), शारदा पांडुरंग राऊत, आईपीएस, डीआईजी, ईओबी, सीबीआई, मुंबई, प्रेम कुमार गौतम, आईपीएस, डीआईजी, एसयू, सीबीआई, नई दिल्ली (अब उत्तर प्रदेश पुलिस में आईजीपी), मनोज चालदान, डीएलए, एसीबी, सीबीआई, मुंबई, श्रीनिवास पिल्लारी, प्रधान सिस्टम विश्लेषक, एसीबी, सीबीआई, कोलकाता, अमित विक्रम भारद्वाज, एएसपी, बीएसएफबी, सीबीआई, मुंबई, प्रकाश कमलप्पा, डिप्टी एसपी, एसीबी, सीबीआई, कोचीन, के.मधुसूदनन, डिप्टी एसपी, एसीबी, सीबीआई, विशाखापत्तनम, अजय कुमार, डिप्टी एसपी, सी एंड सी, नीति प्रभाग, सीबीआई, नई दिल्ली, आकांशा गुप्ता, पुलिस उपाधीक्षक, सीबीआई अकादमी, गाजियाबाद, बलविंदर सिंह, इंस्पेक्टर, एससीबी, सीबीआई, चंडीगढ़ को पुलिस पदक से सम्मानित किया जाएगा।

वहीं चित्ती बाबू एन, इंस्पेक्टर, एसीबी, सीबीआई, हैदराबाद, मनोज कुमार, इंस्पेक्टर, सीबीआई (मुख्यालय), नई दिल्ली, राहुल कुमार, इंस्पेक्टर, ईओबी, सीबीआई, कोलकाता, राजीव शर्मा, इंस्पेक्टर, सीबीआई (मुख्यालय), नई दिल्ली, एस.नंद कुमार, एएसआई, एसयू, सीबीआई, चेन्नई, सुरेश प्रसाद शुक्ला, हेड कांस्टेबल, एसीबी, सीबीआई, जबलपुर,राजेश कुमार, हेड कांस्टेबल, सीबीआई (मुख्यालय), नई दिल्ली, ओम प्रकाश दलौत्रा, हेड कांस्टेबल, एसीबी, सीबीआई, जम्मू, रणधीर सिंह, हेड कांस्टेबल, एसीबी, सीबीआई, जयपुर, पवन कुमार, कांस्टेबल, एससी-I, सीबीआई, नई दिल्ली, तेजपाल सिंह, कांस्टेबल, नीति प्रभाग, सीबीआई, नई दिल्ली, अतुल सरीन, अपराध सहायक, नीति प्रभाग, सीबीआई, नई दिल्ली और सुब्रत मोहंती, आशुलिपिक-द्वितीय, एसीबी, सीबीआई, भुवनेश्वर को भी पुलिस मैडल से सम्मानित किया जायेगा।

भाजपा ने किया लोकसभा चुनाव अभियान का शंखनाद, ये होगा पार्टी का खास 'स्लोगन'

डेस्क: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अब काफी कम समय बाकी रह गया है। सभी दल अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों में लग गए हैं। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी ने भी 2024 लोकसभा चुनाव ने भी लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार अभियान का शंखनाद कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में चुनाव अभियान का शुभारंभ किया। इस दौरान भाजपा का खास चुनावी स्लोगन भी जारी कर दिया गया है। 

'तभी तो सब मोदी को चुनते हैं'

भाजपा ने चुनावी अभियान के लिए खास स्लोगन तैयार किया है। पार्टी ने स्लोगन दिया है- 'सपने नहीं हकीकत को बुनते हैं-तभी तो सब मोदी को चुनते है'। पार्टी का कहना है कि ये स्लोगन असल में जनता के बीच से ही आया है। पार्टी ने कहा कि जनता की भावना को समझते हुए इस स्लोगन को पार्टी ने अपनाया है। पार्टी ने कहा है कि नया स्लोगन पार्टी की मोदी की गारंटी अभियान का पूरक है। 

बड़ी आबादी की भावनाओं से जुड़ा हुआ स्लोगन

नव मतदाता सम्मेलन के दौरान चुनाव अभियान के लॉंचिंग के समय एक खास वीडियो भी जारी किया गया है। इस वीडियो में बताया गया है कि कैसे पीएम मोदी ने करोड़ों भारतीय लोगों के सपनों को हकीकत में बदल दिया है। भाजपा का मानना है कि पार्टी का चुनावी स्लोगन सिर्फ कुछ लोगों नहीं बल्कि बड़ी आबादी की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से इस अभियान को पूरे देश के लोगों तक पहुंचाने की अपील की है। 

आने वाले दिनों की भी प्लानिंग

भाजपा के इस चुनावी अभियान के कई भाग होंगे। अभियान का मुख्य गाना आज रिलीज किया गया है जो कि बेहद इमोशनल अंदाज में पेश किया गया है। आने वाले दिनों में पार्टी द्वारा चरणबद्ध तरीके से डिजिटल होर्डिंग्स, डिस्प्ले बैनर और डिजिटल फ़िल्में आदि भी रिलीज करने की योजना बनाई गई है। अभियान में इस बात पर जोर किया जाएगा कि पीएम मोदी ने वादा पूरा किया है और इस प्रकार वह स्वाभाविक विकल्प हैं।

हिंडनबर्ग के आरोप हुए फुस्स ! जानिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले और राजनितिक बयानबाज़ी पर क्या बोले अडानी ?

अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने हिंडनबर्ग प्रकरण को याद करते हुए कहा कि उनका ports-to-power साम्राज्य "मजबूत होकर उभरा" है। बता दें कि ठीक एक साल पहले अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर ने समूह के खिलाफ तीखी रिपोर्ट पेश की थी, जिससे भारत की सियासत में बवाल मच गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और अदालत में विरोधी दल, अडानी समूह की कोई गलती साबित नहीं कर सका।  हालाँकि, अडानी पर आरोप लगने की जितनी चर्चा हुई थी, उतनी उनके निर्दोष निकलने की नहीं हुई, सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को मीडिया में ज्यादा जगह नहीं मिली। 

अब अडानी ने खुद ही हिंडनबर्ग मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक आर्टिकल लिखा है। उन्होंने लिखा है कि, 'मुझे कोई भ्रम नहीं है कि यह ऐसे हमलों का अंत है। मेरा मानना ​​है कि हम इस अनुभव से मजबूत होकर उभरे हैं और भारत की विकास गाथा में अपना विनम्र योगदान जारी रखने के अपने संकल्प में और अधिक दृढ़ हैं।' उल्लेखनीय है कि 25 जनवरी, 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अपनी रिपोर्ट जारी करने के बाद अडानी समूह की अधिकांश कंपनियों ने अपने घाटे की भरपाई कर ली है।

संदर्भ के लिए, अमेरिकी लघु-विक्रेता की रिपोर्ट में समूह पर धोखाधड़ीपूर्ण प्रथाओं और स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाया गया। इस रिपोर्ट के कारण संयुक्त बाजार पूंजीकरण में 150 बिलियन डॉलर की गिरावट आई थी और यहां तक कि समूह को अपनी प्रमुख कंपनी, अदानी एंटरप्राइजेज के लिए 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हालांकि अडानी समूह ने आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया, लेकिन इससे न केवल अडानी समूह के शेयरों में गिरावट आई बल्कि यह राजनीतिक बहस का मुद्दा भी बन गया।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक जांच शुरू की गई थी, जिसे बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा एक और समानांतर जांच के अलावा, मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन करना पड़ा था। स्थिति के अनुसार, अदानी के खिलाफ हिंडनबर्ग का कोई भी आरोप अब तक साबित नहीं हुआ है। गौतम अडानी ने सुझाव दिया कि हिंडनबर्ग प्रकरण सिर्फ वित्तीय बाजारों पर हमले से कहीं अधिक था। अडानी ने लिखा कि, "शॉर्ट-सेलिंग हमलों का प्रभाव आम तौर पर वित्तीय बाजारों तक ही सीमित होता है। हालांकि, यह एक अद्वितीय द्वि-आयामी हमला था: एक वित्तीय, निश्चित रूप से, और एक जो राजनीतिक क्षेत्र में खेला गया, प्रत्येक दूसरे को नुकसान पहुंचा रहा था।'' 

अडानी ने आगे कहा कि अगर हिंडनबर्ग की योजना सफल हो जाती, तो इससे देश के लिए "विनाशकारी स्थिति" पैदा हो जाती। अडानी ने कहा कि, "अगर हमारे विरोधियों की योजना पूरी तरह से सफल हो जाती, तो डोमिनो प्रभाव कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की संपत्तियों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों से लेकर बिजली आपूर्ति श्रृंखलाओं तक को पंगु बना सकता था - जो किसी भी देश के लिए एक भयावह स्थिति है।" हालाँकि, अदानी ने आगे लिखा कि पिछले साल के परीक्षणों और कठिनाइयों ने हमें मूल्यवान सबक सिखाया है, हमें मजबूत बनाया है और भारतीय संस्थानों में हमारे विश्वास की पुष्टि की है।" अदाणी ने कहा, "हालांकि हम पर यह कुटिल हमला - और हमारे मजबूत जवाबी कदम - निस्संदेह एक केस स्टडी बनेंगे, मुझे अपनी सीख साझा करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि, आज हम थे, कल कोई और हो सकता है।"

राहुल गांधी की पूर्णिया रैली में नहीं शामिल होंगे सीएम नीतीश कुमार! बिहार से आई बड़ी खबर

डेस्क: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 30 जनवरी को 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के तहत कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पूर्णिया में होने वाली रैली में नहीं शामिल होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 30 जनवरी को नीतीश का पटना में ही कार्यक्रम है और उनका पूर्णिया की रैली में जाना संभव नहीं है। 

बता दें कि बिहार की सियासत में इन दिनों नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं और INDI अलायंस के साथ-साथ महागठबंधन का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। दरअसल, केंद्र ने मंगलवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया था, जिसके के बाद नीतीश कुमार ने अपने विचारक और गुरु कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित पार्टी की रैली में न सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी का आभार जताया, बल्कि परिवारवाद पर कटाक्ष भी कर दिया।

बिहार की पॉलिटिक्स में 'ऑल इज नॉट वेल'

नीतीश कुमार का परिवारवाद पर हमला बिहार में 'महागठबंधन' में 'ऑल इज नॉट वेल' होने की अटकलों को मजबूत कर गया। अब ताजा अपडेट यह है कि नीतीश कुमार के एक-एक हमले का जवाब लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने 'X' पर दिया है। रोहिणी ने इशारों-इशारों में नीतीश पर 'बदलती विचारधारा' और 'परिवार में किसी के योग्य न होने' जैसी बातें लिखकर जवाब दिया है। 

रोहिणी ने कहीं नीतीश कुमार का नाम भले न लिया हो, लेकिन जवाब से बहुत कुछ साफ है। दूसरी तरफ जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने नीतीश कुमार के कल दिये गए बयानों पर सफाई दी है। ऐसे में बिहार में सियासी हलचल और तेज होती दिख रही है और यह देखना दिलचस्प हो गया है कि ऊंट किस करवट बैठेगा।

नीतीश कुमार ने यूं परिवारवाद पर साधा था निशाना

रैली में परिवारवाद पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने कहा था, ‘आप सभी को याद रखना चाहिए कि अन्य चीजों के अलावा, कर्पूरी ठाकुर को कभी भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं करने के लिए याद किया जाएगा। कर्पूरी जी ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया। उन्हीं से सीखकर मैंने भी आज तक अपने परिवार के किसी सदस्य को नहीं बढ़ाया है। दूसरे दलों के नेता अपने परिवार वालों को पहले आगे बढ़ाते हैं।’ 

बता दें कि बीजेपी भी इशारा कर चुकी है कि अगर नीतीश महागठबंधन का साथ छोड़कर उसके साथ आने पर बातचीत करते हैं तो इस पर विचार किया जाएगा। राहुल गांधी की रैली में न जाने का फैसला, परिवारवाद पर हमला और रोहिणी के ट्वीट अब नीतीश के भविष्य को लेकर काफी कुछ इशारा कर रहे हैं।

क्यों लग रही हैं नीतीश के पलटी मारने की अटकलें?

बता दें कि देश की सियासत में नीतीश कुमार एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं जो अपने फायदे के लिए पलटी मारने में माहिर हैं। पूरे देश में शायद ही कोई ऐसा नेता होगा जो तुलनात्मक रूप से सीमित जनाधार के बावजूद इतने लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह गया हो। बिहार में आज हुई कैबिनेट की मीटिंग के बाद कोई ब्रीफिंग नहीं हुई। वहीं, कैबिनेट की बैठक में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव काफी शांत दिखे, और किसी से कोई बात नहीं की। इन सब चीजों को देखते हुए एक बार फिर नीतीश के पलटी मारने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है।

सेक्स वर्कर के प्यार में पागल हुआ रेलवे इंजीनियर, फिर अंजाम जो हुआ वो कर देगा हैरान

 मध्य प्रदेश के मंदसोर में हुए रेलवे इंजीनियर के कत्ल का खुलासा करते हुए पुलिस ने मृतक की प्रेमिका तथा उसके अन्य प्रेमी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि मृतक अपनी प्रेमिका को देह व्यापार छोड़ने तथा उस पर शादी करने का दबाव बना रहा था। किन्तु प्रेमिका इसके लिए तैयार नहीं थी। रेलवे इंजीनियर दिक्षांत पंड्या की इन बातों से तंग आकर देह व्यापार करने वाली प्रेमिका ने अपने अन्य प्रेमी के साथ मिलकर एक खौफनाक साजिश रची। अवसर प्राप्त होते ही उसे गोलियों भून दिया। खुद को बचाने के लिए दोषियों ने अपने मोबाइल फोन तथा कपड़ों को जला दिया। 

वही इस घटना का खुलासा करते हुए मंदसोर एसपी अनुराग सुजानिया ने बताया कि गत 21 जनवरी को जिले के भावगढ़ थाना क्षेत्र के खोडाना गांव में तालाब के किनारे लाल रंग की कार में रतलाम रेल मंडल के रेलवे इंजीनियर दिक्षांत पंड्या का शव खून से लथपथ शव मिला था कार तथा उसके शरीर पर गोलियों के निशान थे। शव को कब्जे में लेकर पुलिस ने मामले की तहकीकात आरम्भ की तथा मुखबिर की खबर पर ढोढर की रहने वाली लड़की को गिरफ्त में लेकर पूछताछ आरम्भ की। कड़ाई से की गई पूछताछ में लड़की ने हैरान करने वाले खुलास किया। उसने बताया कि दिक्षांत बीते 6 महिनों से रतलाम में रहने की जिद और गाली- गलोच करता रहता था। जिससे वह बहुत परेशान हो गई थी। 20 जनवरी को दिक्षांत के साथ नीमच के जेतपुरा गांव में शादी कार्यक्रम में गई थी। वह वो रतलाम जाने की जिद करने लगा। 

उसने अपने प्रेमी मोहसिन लाल को इस बार में बताया एवं प्लान बनाकर दिक्षांत को परवलिया गांव ले गए। जहां मोहसिन ने दीक्षांत को कार में चार गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। फिर प्रेमिका ने कार ड्राइव कर लाश को ठिकाने लगया। सबूत मिटाने के लिए उन्होंने कपड़े, मोटरसाइकिल को जला दिया। फिर दोनों फरार हो गए। पुलिस ने दोषियों को पकड़ने के लिए सभी मुखबिरों को अलर्ट किया तथा मोहसीन को राजस्थान के अखेपुर की और जाते वक़्त गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि आरोपी महिला देह व्यापार में लिप्त है तथा बांछड़ा समुदाय की है। आरोपी मोहसीन पर पहले भी अवैध हथियार एवं मादक पदार्थ तस्करी के प्रकरण दर्ज है। फिलहाल पुलिस ने दोनों दोषियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज कर न्यायालय पेश कर रिमांड मांगा है। ‌

'आमंत्रण के बावजूद राम मंदिर नहीं गए राहुल गांधी, देश की जनता माफ नहीं करेगी', ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बोला जोरदार हमला

राहुल गांधी के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर नहीं जाने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें आड़े हाथों लिया है। राहुल पर निशाना साधते हुए सिंधिया ने कहा कि गांधी मंदिर जाने वाले ‘टूरिस्ट’ हैं। कहना था कि अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में राहुल गांधी को आमंत्रित किया गया था लेकिन वह नहीं गए, तत्पश्चात, देश की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि 2019 में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था तथा प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थति में 22 जनवरी को लोकार्पण हुआ, जिसके बाद सालों पुराना इंतजार खत्म हो गया। उनके मुताबिक, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी का दिन विश्व के लिए ऐतिहासिक दिन था क्योंकि प्रभु श्री राम को पुन: स्थापित किया गया। उन्होंने कहा- मां भारती के योग्य पुत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से ही संभव हो पाया है। सिंधिया ने कहा कि देश की जनता की आस्था ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया प्रभु श्री राम के भक्तों की आस्था से जुड़ा हुई है। 

उन्होंने कहा- देश और प्रदेश को विकास के पथ पर लेजाने के लिए हरकिसी को योगदान करने की जरुरत है। सिंधिया ने लोगों से आह्वान किया है कि वह देश को विश्वगुरु के तौर पर स्थापित में करने के लिए योगदान दें। इसके लिए देश के प्रत्येक नागरिक को कड़ी मेहनत करनी होगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि 500 वर्षों के लंबे इंतजार और कई पीढ़ियों के बलिदान के बलिदान के बाद रामलला पुन: स्थापित हुए हैं।

उज्जैन में सरदार पटेल की मूर्ति को ट्रैक्टर चढ़ाकर गिराया, मचा बवाल, दो महापुरुषों की प्रतिमा को लेकर हुआ था हंगामा

 मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर के पास माकड़ोन में दो महापुरुषों की प्रतिमा को लेकर हंगामा हो गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर एक पक्ष ने हमला करके गिरा दिया जो यहां बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगाना चाहते थे। तत्पश्चात, पटेल एवं आंबेडकर समर्थकों में खूब बवाल हुआ। पत्थरबाजी एवं आगजनी की गई। पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है।

उज्जैन जिले की तहसील माकड़ौन में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा को ट्रैक्टर चला कर गिरा दिया गया। तत्पश्चात, दो पक्ष आमने-सामने हो गए। जमकर पथराव हुआ। इस के चलते दुकानों और वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई। हालात बिगड़ते देख उज्जैन एडिशनल एसपी नितेश भार्गव के साथ उज्जैन एवं तराना के साथ माकड़ौन पुलिस बल मौके पर पहुंचा। दोनों पक्षों को समझाइए देने के पश्चात् मामला शांत कराया जा है। हालात देखते हुए भारी पुलिस बल मौके पर उपस्थित है। उज्जैन जिले के माकड़ोन में बुधवार प्रातः भीम आर्मी और पाटीदार समाज के दो पक्ष आमने-सामने आ गए। एक पक्ष ने सदरा पटेल की प्रतिमा पर ट्रैक्टर चढ़ाकर इसे तोड़ दिया। लोहे की रॉड एवं पत्थरों से भी हमला किया गया। तत्पश्चात, दूसरा पक्ष भी टकराव के लिए पहुंच गया। दोनों पक्षों में पथराव और लाठियां चलने लगीं। उग्र भीड़ ने कई गाड़ियों में भी तोड़फोड़ कर दी। कुछ गाड़ियां जला दीं। दुकानों पर भी पथराव किया गया है।

क्या था पूरा मामला

बुधवार रात कुछ लोगों ने माकड़ोन मंडी गेट एवं बस स्टैंड के पास खाली पड़ी जमीन पर सरदार पटेल की प्रतिमा स्थापित कर दी। दूसरे पक्ष के लोग यहां भीमराव आंबेडकर की मूर्ति लगाना चाहते थे। पिछले 2 चुनाव से बीजेपी ने विवादित स्थान पर सरदार पटेल की प्रतिमा लगाने का ऐलान किया था तथा नया बस स्टैंड का नाम डॉ. आंबेडकर रख दिया। भीम आर्मी चाहती है कि यहां डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा लगाई जाए। जबकि, पाटीदार समाज के लोग सरदार पटेल की प्रतिमा लगाने की मांग करते आ रहे थे। एडिशनल एसपी नितेश भार्गव ने बताया कि सूचना खबर होते ही पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे हैं। दोनों पक्षों को समझाइए दी गई है और मामले को शांत कराया है।

और भी घातक हुई नौसेना की BrahMos Missile, 800 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को पल में कर देगी ढेर

भारतीय वायु सेना ने 24 जनवरी, 2024 को एक युद्धपोत से उन्नत ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया। नवीनतम संस्करण में बढ़ी हुई रेंज, मारक क्षमता और बेहतर स्टील्थ तकनीक है, जो इसे नौसेना में एक दुर्जेय हथियार बनाती है। शस्त्रागार। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का यह भूमि हमला संस्करण युद्धपोत से जमीनी उद्देश्यों को सटीक रूप से लक्षित कर सकता है, जो विस्तारित दूरी पर सटीकता के लिए अपनी प्रतिष्ठा की पुष्टि करता है।

उन्नत ब्रह्मोस मिसाइल ने 800 किलोमीटर से अधिक की रेंज में उल्लेखनीय वृद्धि प्रदर्शित की है, जैसा कि समुद्र में 900 किलोमीटर के बहिष्करण क्षेत्र के लिए एयरमेन (एनओटीएएम) को हाल ही में जारी नोटिस से संकेत मिलता है। यह विस्तारित रेंज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल भारतीय नौसेना को सुरक्षित दूरी से दुश्मन के लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता से लैस करती है, जिससे नौसेना संचालन की प्रभावशीलता में काफी वृद्धि होती है।

ब्रह्मोस मिसाइल की स्टील्थ तकनीक में और सुधार हुआ है, जिससे यह हवा के बीच में अपना रास्ता बदल सकती है और चलते लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से नष्ट कर सकती है। 10 मीटर की कम ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता के साथ, मिसाइल दुश्मन के रडार द्वारा पकड़ में नहीं आती है, जिससे यह एक दुर्जेय और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बन जाता है। इसकी असाधारण गति, अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइल से दोगुनी तेजी से उड़ान भरना और 1200 यूनिट ऊर्जा का उत्पादन बड़े लक्ष्यों को नष्ट करने की इसकी क्षमता सुनिश्चित करता है।

ब्रह्मोस मिसाइल में चार नौसैनिक संस्करण हैं, जिनमें एक एंटी-शिप वेरिएंट और लैंड-अटैक वेरिएंट शामिल है, दोनों भारतीय नौसेना में कार्यरत हैं। पनडुब्बियों से लॉन्च किए गए एंटी-शिप वेरिएंट और पनडुब्बियों से लॉन्च किए गए लैंड-अटैक वेरिएंट के सफल परीक्षण किए गए हैं। भारतीय नौसेना ने रणनीतिक रूप से विभिन्न जहाजों में ब्रह्मोस मिसाइल लांचरों को तैनात किया है, जैसे कि राजपूत श्रेणी के विध्वंसक आईएनएस रणवीर - आईएनएस रणविजय, तलवार श्रेणी के युद्धपोत आईएनएस तेग, आईएनएस तरकश और आईएनएस त्रिकंद, साथ ही शिवालिक श्रेणी के युद्धपोत और कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक। नीलगिरि क्लास फ्रिगेट में आगे की तैनाती का भी अनुमान है।

उन्नत ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण एक सटीक और शक्तिशाली नौसैनिक हथियार के रूप में इसकी स्थिति की पुष्टि करता है। विस्तारित रेंज, बढ़ी हुई मारक क्षमता और स्टील्थ प्रौद्योगिकी में सुधार यह सुनिश्चित करते हैं कि भारतीय नौसेना अपने हितों की प्रभावी ढंग से रक्षा कर सकती है और बेजोड़ सटीकता के साथ संभावित खतरों का जवाब दे सकती है। यह तकनीकी प्रगति अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और नौसैनिक युद्ध नवाचार में सबसे आगे रहने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

'रामलला को बनते देखने रोज आते थे ‘हनुमान जी’, प्रतिमा बनाने वाले अरुण योगीराज ने बताए अचंभित करने वाले अनुभव

अयोध्या में विराजमान रामलला की प्रतिमा देश के लोकप्रिय मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई है। वही पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने रामलला के विग्रह को तैयार होने के पश्चात सबसे पहले देखा। ऐसे में प्राण-प्रतिष्ठा के पश्चात् उनसे कई प्रकार के सवाल हो रहे हैं। उनसे उनका अनुभव पूछा जा रहा है। इन सवालों के उत्तर देते हुए उन्होंने अपने इंटरव्यूज में हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं। अरुण योगीराज ने अपने एक इंटरव्यू में चर्चा करते हुए कहा कि ये कार्य उन्होंने स्वयं नहीं किया भगवान ने उनसे करवाया है। वह बोलते हैं कि जब वो रामलला की प्रतिमा को गढ़ रहे थे तो रोज उस प्रतिमा से बात करते थे। वह कहा करते थे, “प्रभु बाकी लोगों से पहले मुझे दर्शन दे दो।” योगीराज की मानें तो जब प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई तो उन्हें लगा ही नहीं कि वो प्रतिमा उनके द्वारा बनाई गई है। उसके हाव-भाव बदल चुके थे। इस बारे में उन्होंने लोगों से कहा भी कि उन्हें नहीं भरोसा हो रहा प्रतिमा उनके द्वारा बनाई गई है। उन्होंने माना कि यदि वो प्रयास भी करें तो दोबारा इस प्रकार का विग्रह कभी नहीं बना सकते।

उन्होंने कहा, “जब मैंने प्रतिमा बनाई तब वो अलग थी। गर्भगृह में जाने के बाद और प्राण-प्रतिष्ठा के पश्चात् वो अलग हो गई। मैंने 10 दिन गर्भगृह में गुजारे। एक दिन जब मैं बैठा था मुझे अंदर से लगा ये तो मेरा काम है ही नहीं। मैं उन्हें पहचान नहीं पाया। अंदर जाते ही उनकी आभा बदल गई। मैं उसे अब दोबारा नहीं बना सकता। जहाँ तक छोटे-छोटे विग्रह बनाने की बात है वो बाद में सोचूँगा।” रामलला की प्रतिमा पर इंटरव्यू देते वक़्त अरुण योगीराज नंगे पाँव बैठे नजर आए। उन्होंने कहा कि राम को दुनिया को दिखाने से पहले स्वयं मानना था कि मूरत में राम हैं। वह बोले, “मैं दुनिया को दिखाने से पहले उनके दर्शन करना चाहता था। मैं उन्हें बोलता था- दर्शन दे दीजिए प्रभु। तो, भगवान मेरी जानकारी जुटाने में स्वयं मदद कर रहे थे। कभी दीपावली के समय कोई जानकारी मिल गई। कुछ तस्वीरें मुझे वो मिल गईं जो 400 वर्ष पुरानी थीं। हनुमान जी भी हमारे दरवाजे पर आते थे गेट खटखटाते थे, सब देखते थे, फिर चले जाते थे।”

अपने अद्भुत अनुभवों को बताते हुए उन्होंने कहा, “प्रतिमा बनाने के चलते हर रोज एक बंदर शाम में 4 से 5 बजे के बीच उस जगह आता था, वो सब देखकर चला जाता था। ठंड में हम दरवाजे बंद करने लगे। जब उसने ऐसा देखा तो वो तेज की दरवाजा खोलता अंदर आता, देखता तथा चला जाता। शायद उनका भी देखने का मन होता होगा।” वही योगीराज से जब पूछा गया कि क्या उन्हें सपने भी आते थे कुछ, तो उन्होंने कहा कि वो बीते 7 महीनों से ढंग से सो ही नहीं पाए हैं। इसलिए वो इस पर कुछ नहीं बोल सकते। उनके जहन में हमेशा था कि जो वो कर रहे हैं वो देश को पसंद आना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी विश्वकर्मा समुदाय सदियों से यही काम करता आया है। उनके स्थानीय क्षेत्र में कहावत भी चलती है- ‘भगवान के स्पर्श से पत्थर फूल बन गए और शिल्प के स्पर्श से पत्थर भगवान बन गए।’

इतना सराहनीय कार्य करने के पश्चात् भी अरुण इस रामलला के विग्रह के लिए सारा श्रेय खुद नहीं लेते। वो बोलते हैं कि भगवान ने उनसे ये करवाया है। वरना वो प्रतिमा कैसे गढ़ पाते। उन्होंने एक अन्य इंटरव्यू में कहा कि उन लोगों ने रामलला को पत्थर से मूरत में देखने के लिए 6 महीने तक इंतजार किया। उन्होंने बताया कि उनकी बनाई राम प्रतिमा 51 इंच की है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैज्ञानिकों की गणित थी इतनी इंच की प्रतिमा हुई तो राम नवमी वाले दिन सूर्य की किरण प्रभु श्री राम के मस्तक पर सीधे पड़ेंगी। इस इंटरव्यू में भी उन्होंने यही बताया कि वो अपने असिस्टेंट्स के जाने के पश्चात् भगवान के विग्रह के पास अकेले बैठते थे तथा यही प्रार्थना करते थे कि प्रभु दूसरों से पहले उन्हें दरश देना।