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भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री कैबिनेट संग करेंगे रामलला के दर्शन, जानिए कौन कब जाएगा 'अयोध्या'

अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए हैं। इसके पश्चात् से प्रभु श्री राम की एक झलक पाने के लिए निरंतर भक्तों की बंपर भीड़ उमड़ी है। अब भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अयोध्या आकर रामलला के दर्शन करेंगे। अलग-अलग प्रदेशों के सीएम अपनी मंत्रिमंडल के साथ करेंगे रामलला के दर्शन करेंगे।

त्रिपुरा के सीएम अपने मंत्रिमंडल के साथ 31 जनवरी को रामलला का दर्शन करेंगे। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित पूरी मंत्रिमंडल एक फरवरी को रामलला के दर्शन करेगें। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी पूरी मंत्रिमंडल के साथ 2 फरवरी को रामलला के दर्शन करेंगे। महाराष्ट्र की मंत्रिमंडल 5 फरवरी को रामलला के दर्शन करेगी। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर मंत्रिमंडल के साथ 9 फरवरी को करेंगे रामलला के दर्शन करेंगे।

राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा अपनी मंत्रिमंडल के साथ 12 फरवरी को करेंगे दर्शन करेंगे। गोवा के सीएम मंत्रिमंडल के साथ 15 फरवरी को रामलला के दर्शन करेंगे। असम के सीएम हेमंता विश्व सरमा अपनी मंत्रिमंडल के साथ 15 फरवरी को दर्शन करेंगे। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल पूरी मंत्रिमंडल के साथ 24 फरवरी को रामलला के दर्शन करेंगे। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव करेंगे मंत्रिमंडल के साथ 4 मार्च को प्रभु श्री राम के दर्शन करेंगे।

भारी गड़बड़ी करके चुनाव जीतती है BJP! दिग्विजय सिंह ने मीडिया के सामने हैक करके दिखाई मशीन


भारतीय जनता पार्टी ने डेढ़ महीने पहले मध्य प्रदेश सहित 3 प्रदेशों में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई है। इसे लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर सवाल उठाए हैं। राज्य के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने गुजरात से आए अतुल पटेल के साथ EVM को हैक कर दिखाया। बचते-बचाते यह दावा भी कर दिया कि EVM हैकिंग से 30 से 40 फीसदी वोटों में हेरफेर हो सकता है। बुधवार को दिग्विजय सिंह ने अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इस के चलते उन्होंने गुजरात से आए अतुल पटेल के साथ EVM का डेमो दिया। इस के चलते डेमो मशीन से वीवीपीएटी या वीवीपैट रसीद पर वोट बदलने का प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा किया कि EVM के सॉफ्टवेयर से वोटों को बदला जा सकता है। उन्होंने बचते-बचाते कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि EVM में वोटों का हेरफेर हो रहा है मगर यह कह रहा हूं कि हेरफेर हो सकता है। 30 से 40 प्रतिशत वोटों में हेरफेर किया जा सकता है। उन्होंने इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता को लेकर भी सवाल उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि 2003 से लेकर आज तक निर्वाचन आयोग ने EVM के सॉफ्टवेयर को पब्लिक डॉमिन में क्यों नहीं डाला है? मशीन के पार्ट्स अलग-अलग जगह से आते हैं। पहले इसमें लगने वाला चिप सिंगल प्रोग्रामेबल था, जिसे अब मल्टीपल प्रोग्रामेबल चिप में परिवर्तित कर दिया है। ऐसा क्यों? चुनाव आयोग इन सवालों का जवाब नहीं दे रहा है। सॉफ्टवेयर कौन डाल रहा है? इसका कोई जवाब नही है। इससे तो ऐसा लग रहा है कि मतदाता नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने वाला तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी। कौन-सी मशीन किस बूथ पर जाएगी, यह रिटर्निंग ऑफिसर तय नहीं करता। यह भी कंप्यूटर तय करता है। बीजेपी को जनता का नहीं मशीन का वोट प्राप्त हो रहा है। EVM से इतना प्रेम है तो हमें EVM से निकलने वाली वीवीपैट (VVPAT) पर्ची हाथ में दे दीजिए। हम उसे डिब्बे में डालेंगे। हमारी मांग संवैधानिक है। न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह हमारी संवैधानिक मांगों का संरक्षण करें।

दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि चुनावों से पहले ही भारतीय जनता पार्टी माहौल बनाती है। इसके माध्यम से नैरेटिव सेट किया जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने पुलवामा को लेकर वोट देने की मांग की। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले मामा (शिवराज सिंह चौहान) ने लाड़ली बहना योजना को वोट देने की बात कही तथा माहौल बनाया। मेरा आरोप है कि चुनाव आयोग भी पीएम नरेंद्र मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी के दबाव में काम कर रहा है। आयोग को मेरे खिलाफ जो कार्रवाई करना है कर लें। जब मोदी जी कोई बयान दें तो उन पर आयोग कोई करवाई नहीं करता है।

दिग्विजय सिंह से पूछे गए सवाल

नैरेटिव की बात है तो कर्नाटक में बजरंग बली के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी क्यों नहीं जीती?

दिग्विजयः हर जगह नहीं करेंगे। इससे उनकी पोल खुल जाएगी। पंजाब में नहीं करेंगे, तमिलनाडु में नहीं करेंगे, केरल में नहीं करेंगे, क्योंकि इन प्रदेशों में उनके पास जनता का समर्थन नहीं है। समर्थन नहीं है तथा करेंगे तो पोल खुल जाएगी। हमारी लड़ाई लोकतंत्र और संविधान के लिए है।

सवालः आप यह लड़ाई कैसे जीतेंगे?

दिग्विजयः जब अन्याय अपनी सीमा को पार कर जाता है तो कोई न कोई प्रकट होता है। फिर कोई न कोई प्रकट होगा तथा लोकतंत्र की जीत होगी।

सवालः आपकी पार्टी तो आपकी ही नहीं सुनती। अगर पहले सुन लेती तो कांग्रेस के हालात आज ऐसे नहीं होते?

दिग्विजयः पार्टी पर बात अलग से करेंगे। आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ इसी मुद्दे पर है कि चुनाव को किस प्रकार से प्रभावित किया जा रहा है। ईवीएम से वोटों में हेरफेर हो रहा है। सॉफ्टवेयर से सबकुछ हो रहा है। आज मैं सिर्फ इसी मुद्दे पर बातचीत करना चाहता हूं।

सवालः मध्य प्रदेश में तो 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब क्या हुआ था?

दिग्विजयः जी हां, विध्य में हमें अच्छी सीट मिलनी थी। वहां पर हमें सिर्फ सात सीट मिली थी। उन्होंने कुछ सीटों पर मशीनों का खेल किया। वहां हमें एक सीट मिली है। इसमें ही खेल कर दिया। यह मेरा आरोप है।

डिटेल में जानिए, कौन है कर्पूरी ठाकुर? जिन्हे मिलेगा 'भारत रत्न' राष्ट्रपति भवन से बयान भी हो गया है जारी

 केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है। इस सिलसिले में राष्ट्रपति भवन की तरफ से बयान जारी कर ये जानकारी दी गई। राष्ट्रपति भवन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि भारत सरकार को बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को दिया जा रहा है। वह भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय के पुरोधा और एक प्रेरणादायक शख्सियत थे। यह सम्मान समाज के वंचित वर्ग के उत्थान में कर्पूरी ठाकुर के जीवनभर के योगदान एवं सामाजिक न्याय के प्रति उनके अथक प्रयासों को श्रद्धांजलि है। 

कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को होने वाली 100वीं जन्म जयंती से पहले उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा की गई है। जदयू ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी। इस घोषणा के पश्चात् जदयू ने मोदी सरकार का आभार जताया है। कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि हमें 36 साल की तपस्या का फल प्राप्त हुआ है। मैं अपने परिवार और बिहार के 15 करोड़ो लोगों की ओर से सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं।

कौन थे कर्पूरी ठाकुर?

कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में हुआ था। पटना से 1940 में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की तथा स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। कर्पूरी ठाकुर ने आचार्य नरेंद्र देव के साथ चलना पसंद किया। तत्पश्चात, उन्होंने समाजवाद का रास्ता चुना एवं 1942 में गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया। इसके चलते उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। वर्ष 1945 में जेल से बाहर आने के पश्चात् कर्पूरी ठाकुर आहिस्ता-आहिस्ता समाजवादी आंदोलन का चेहरा बन गए, जिसका मकसद अंग्रेजों से स्वतंत्रता के साथ-साथ समाज के अंदर पनपे जातीय व सामाजिक पक्षपात को दूर करने का था ताकि दलित, पिछड़े और वंचित को भी एक सम्मान की जिंदगी जीने का हक मिल सके।

कर्पूरी ठाकुर 1952 में ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर जीतकर MLA बने थे। 1967 के बिहार विधानसभा चुनाव में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी बड़ी ताकत बन कर उभरी थी, जिसका परिणाम था कि बिहार में पहली बार गैर-कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। महामाया प्रसाद सिन्हा सीएम बने तो कर्पूरी ठाकुर डिप्टी सीएम बने तथा उन्हें शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा मंत्री रहते हुए छात्रों की फीस समाप्त कर दी थी तथा अंग्रेजी की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी थी। कुछ वक़्त बाद बिहार की राजनीति ने ऐसी करवट ली कि कर्पूरी ठाकुर सीएम बन गए। 

वही इसके चलते वो 6 महीने तक सत्ता में रहे। उन्होंने उन खेतों पर मालगुजारी समाप्त कर दी, जिनसे किसानों को कोई मुनाफा नहीं होता था, साथ ही 5 एकड़ से कम जोत पर मालगुजारी खत्म कर दी गई तथा साथ ही उर्दू को राज्य की भाषा का दर्जा दे दिया। तत्पश्चात, उनकी राजनीतिक ताकत में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई तथा कर्पूरी ठाकुर बिहार की सियासत में समाजवाद का एक बड़ा चेहरा बन गए। उन्होंने मंडल आंदोलन से भी पहले सीएम रहते हुए पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं राम मनोहर लोहिया इनके राजनीतिक गुरु थे।

उत्तराखंड में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड में गठित की चुनाव समिति, करन माहरा को दी गई कमान


 कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए उत्तराखंड प्रदेश चुनाव समिति घोषित कर दी है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की अध्यक्षता में गठित 32 सदस्यीय समिति में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व गणेश गोदियाल भी सम्मिलित हैं।

समिति में कुल 19 में से पांच विधायकों को ही जगह मिली है। अधिकतर वरिष्ठ नेताओं को समिति में लाकर पार्टी ने गुटीय संतुलन साधने का प्रयास भी किया है। प्रदेश के चार फ्रंटल संगठनों के अध्यक्ष भी समिति के सदस्य होंगे।

उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें

उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें हैं। हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा क्षेत्र मैदानी, जबकि अन्य तीनों लोकसभा क्षेत्र पौड़ी, टिहरी एवं अल्मोड़ा पर्वतीय हैं। प्रदेश चुनाव समिति में उत्तराखंड से जुड़े कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रशासन गुरदीप सिंह सप्पल के साथ ही राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन, पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा भी सम्मिलित हैं।

पूर्व कैबिनेट मंत्रियों को भी दी गई जिम्मेदारी

पूर्व कैबिनेट मंत्रियों में नवप्रभात, हीरा सिंह बिष्ट, शूरवीर सिंह सजवाण व डा हरक सिंह रावत के साथ ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, विधायक ममता राकेश, राजेंद्र भंडारी व उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी भी समिति का हिस्सा हैं।

इन्हें मिली समिति में जगह

इसके अतिरिक्त पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन मथुरादत्त जोशी, पौड़ी लोकसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी, वैभव वालिया, पूर्व प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरोजिनी कैंतुरा, गोदावरी थापली, अमरजीत सिंह, राजपाल बिष्ट व राजपाल खरोला को भी समिति में रखा गया है।

28 के अलावा भी रहेंगे सदस्य

इन 28 सदस्यों के अतिरिक्त फ्रंटल संगठनों में प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला, युवक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुमित्तर भुल्लर, सेवा दल की मुख्य संगठक हेमा पुरोहित व एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष विकास नेगी भी समिति के सदस्य रहेंगे।

सड़क पर युवकों को पिटवाने वाले SDM को एमपी के सीएम मोहन यादव ने किया सस्पेंड, बोले- 'ये बर्ताव बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा'

मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में 2 लड़कों को पिटवाने वाले SDM को सीएम मोहन यादव ने निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि दो लड़कों से मारपीट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। बांधवगढ़ SDM को सस्पेंड करने के निर्देश दिए हैं। मध्यप्रदेश में सुशासन की सरकार है। राज्य में आमजन से इस प्रकार का अमानवीय बर्ताव बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

घटना मध्यप्रदेश के उमरिया जिले की है, जहां अपनी गाड़ी को साइड न देना SDM साहब को इतना नागवार गुजरा कि सामने वाली कार में सवार लड़कों को किसी तरह रुकवाकर उन्हें अपने सामने खड़े होकर पिटवाया। दरअसल, कोतवाली की सिविल लाइन चौकी पुलिस को फोन पर खबर प्राप्त हुई कि घघरी नाका के पास तीन गाडियां खड़ी हैं तथा उनमें आपस में विवाद हो रहा है। चौकी से मौके पर भेजे पुलिस दल ने देखा कि SDM बांधवगढ़ अमित सिंह, तहसीलदार विनोद कुमार के वाहन के साथ एक अर्टिगा कार खड़ी थी, जिसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। वाहनों के पास ही दो लड़के घायल पड़े थे जिन्हें पुलिस ने हॉस्पिटल पहुंचाया।

दोनों लड़कों को इस तरह बेरहमी से पीटा गया था कि उनमें से एक शिवम यादव पुलिस को बयान तक नहीं दे पाया। दूसरे युवक प्रकाश दाहिया ने पुलिस को बताया कि वह और शिवम यादव खैरी से चलकर भरौला आ रहे थे। रास्ते में SDM की गाड़ी मिली। शिवम यादव ने गाड़ी रोड से नहीं उतारी तो SDM की गाड़ी पीछा करने लगी। आगे चलने पर उमरिया की तरफ से तहसीलदार की गाड़ी आती नजर आई तथा उनकी अर्टिगा कार के सामने आ गई, जिससे उन्हें गाड़ी रोकनी पड़ी। गाड़ी रुकते ही SDM एवं तहसीलदार अपनी गाड़ियों से उतरे और अपने-अपने ड्राइवरों से युवकों को बाहर निकालकर पिटवाना आरम्भ कर दिया। SDM एवं तहसीलदार के सामने ही उनके ड्राइवरों ने दोनों युवकों को डंडों से पीट पीटकर अधमरा कर दिया।

मीडिया से चर्चा के दौरान कोतवाली टीआई राजेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि युवकों की एमएलसी एवं बयान के आधार पर बांधवगढ़ SDM अमित सिंह, तहसीलदार विनोद कुमार एवं दो अन्य के खिलाफ धारा 341,323,294 के अंतर्गत अपराध दर्ज हो गया है। जिला कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने बताया कि तात्कालिक रूप से SDM अमित सिंह को बांधवगढ़ SDM के पद से हटा दिया है। पुलिस तहकीकात कर रही है। तथ्य सामने आने के पश्चात् आगे की कार्रवाई की जाएगी।

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, जिले की सीमाओं को करना पड़ा सील, उच्च अधिकारियों ने संभाला मोर्चा

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला का दर्शन करने के लिए मंगलवार को भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने लोगों को किसी तरह संभालने की कोशिश की। इसके बाद भी जब भक्त बेकाबू हुए तो हल्का बल प्रयोग कर किसी तरह उन्हें रोका गया। मामला बिगड़ता देख कमिश्नर, आईजी और एडीजी भी मौके पर पहुंचे और हाथों में लाउडस्पीकर लेकर भक्तों से शांति बनाए रखने की अपील करते रहे। कुछ देर में डीजी प्रशांत कुमार और प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद भी राम मंदिर पहुंच गए हैं। खुद भीड़ को संभालने के लिए मोर्चा संभाल लिया। वहीं, भारी भीड़ को देखते हुए दूसरे जिलों से अयोध्या आने वाले रास्तों पर भी गाड़ियों को रोका जा रहा है। उन्हें अयोध्या में भारी भीड़ होने की जानकारी देकर किसी औऱ दिन आने की अपील की जा रही है।

रामलला दर्शन को जुटे लाखों भक्त, पुलिस हलकान, योगी का हवाई सर्वे

राम मंदिर पर मंगलवार की सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ पहुंच गई थी। मंदिर खुलते ही लोग अंदर जाने को आतुर दिखाई दिए। साढ़े 11 बजे मंदिर बंद हुआ तो भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। दो बजे मंदिर खुला तो रामपथ पर भक्त बेकाबू हो गए। हर कोई जल्द से जल्द दर्शन करने को आतुर दिखाई दिया। इससे पुलिस वालों को उन्हें संभालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने में एसएसबी और आरएएफ के जवान भी अपने आप को असहाय महसूर करने लगे।

जन्मभूमि पथ पर पांच सौ मीटर की दूरी में तीन खंडों में रिट्रैक्टबिल गेट लगाकर श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश की गई। लेकिन भीड़ के दबाव में यह गेट टूट गया। इससे काफी श्रद्धालु ही नहीं पुलिसकर्मी भी चोटहिल हुए। बैरीकेडिंग को पार कर श्रद्धालु अंदर घुसे तो 11.30 बजे आरती के लिए कुछ देर मंदिर में दर्शन बंद किया गया लेकिन भीड़ जमी रही तो दोबारा दर्शन शुरू करा दिया गया।

करीब दो बजे अंदर और बाहर दोनों जगह भक्तों की भारी भीड़ बेकाबू होने लगी तो पुलिस ने लाठियां बरसानी शुरू कर दी। भक्तों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और हवा में लाठियां लहराई। इससे भगदड़ भी मची और कई लोग फिसलकर घायल हो गए। भीड़ में फंसी कुछ बुजुर्ग महिलाओं को किसी तरह पुलिस वालों ने बाहर निकाला। 

मंडलायुक्त, एडीजी और आईजी पहुंचे

लाठियां बरसाने से हुई भगदड़ के बाद मंडलायुक्त और आईजी भी पहुंचे और व्यवस्था का जायजा लिया। जन्मभूमि पथ पर भीड़ का दबाव को देखते हुए श्रद्धालुओं को लाउडस्पीकर से धैर्य रखने को खुध एडीजी जोन पीयूष मोडिया अपील करते रहे। मंडलायुक्त गौरव दयाल और आईजी प्रवीण कुमार मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुंचे। अधिकारयों ने व्यवस्था का जायजा लिया। गेट पर मौजूद जिम्मेदारों को आवश्यक निर्देश दिए। इसके बाद राम भक्तों की भारी भीड़ और व भीड़ के बढ़ते दबाव को देखते हुए मुख्य प्रवेश द्वार से लाइन लगाकर एक-एक भक्त को प्रवेश देने का कार्य शुरू कर दिया गया है। अब एक-एक करके राम भक्तों को भीतर प्रवेश दिया जाने लगा। हालांकि कुछ देर बाद ही यह सिलसिला टूट गया और भक्त बेकाबू होकर एक साथ अंदर घुस गए।

भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने फिर चली उल्टी चाल, चीन के जासूसी जहाज को घुसने की दी इजाजत

 भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने एक बार फिर उल्टी चाल चली है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना मित्र बताने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ नई साजिश रची है। उन्होंने चीन के जासूसी जहाज को अपने क्षेत्र में घुसने की इजाजत दे दी। भारत से तनावपूर्ण संबंधों के बीच मालदीव ने चीनी जहाज के माले आने की पुष्टि करते हुए कहा कि मित्र राष्ट्रों के जहाजों का स्वागत है। चीनी जहाज के कुछ हफ्तों में मालदीव पहुंचने की संभावना है। इसने भारत की चिंता बढ़ा दी है भारत की चिंता इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पिछले साल चीन ने अपने जासूसी जहाज को श्रीलंकाई धरती पर उतारा था, तब भी काफी बवाल हुआ था।

मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से मोहम्मद मुइज़ू के उठाए कदम भारत के खिलाफ ही रहे हैं। मालदीव का सर्वेसर्वा बनने से पहले उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय सेना की आलोचना की थी और जीतने पर भारतीय सेना को देश से बाहर करने का वादा भी किया था। राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने किया भी ऐसा ही। मुइज्जू सरकार ने भारत को सेना के वापस चले जाने के लिए 15 फरवरी तक का वक्त दिया है। इतना ही नहीं मालदीव की परंपरा को तोड़ते हुए मालदीव के राष्ट्रपति भारत न जाकर चीन दौरे पर गए। इसी महीने मुइज्जू ने शी जिनपिंग से मुलाकात की थी, यह उनकी पहली राजकीय यात्रा भी थी। 

एक स्वतंत्र खुफिया शोधकर्ता और ओपन सोर्स डेटा के अनुसार, एक चीनी जासूसी जहाज के जल्द ही मालदीव पहुंचने की संभावना है। बता दें कि चीनी जासूसी जहाज पिछले साल श्रीलंकाई धरती पर उतरा था, जिसके बाद चीनी जहाज पर भारत की जासूसी करने के आरोप भी लगे थे। चीन ने इस बार मालदीव के सहारे भारत पर निशाना साधने की कोशिश की है।

चीन के पास रिसर्च और जासूसी क्षेत्रों में जहाजों का सबसे बड़ा बेड़ा है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह वैज्ञानिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करने में सक्षम है। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी पोत जियांग यांग होंग 03 "हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है और माले की ओर कदम बढ़ा चुका है। उधर, मालदीव ने भी पुष्टि कर दी है कि चीनी जहाज को उसने अपने क्षेत्र में आने की इजाजत दे दी है। मालदीव ने आधिकारिक बयान में कहा कि मित्र राष्ट्र चीन का उसके क्षेत्र में स्वागत है। उधर, हिन्द महासागर में चीन की उपस्थिति ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।

चीनी जहाज कब निकला और कब पहुंचेगा मालदीव

शिपस्पॉटिंग पोर्टल Marinetraffic.com के आंकड़ों के अनुसार , जियांग यांग होंग 03 पोत 16 जनवरी को चीनी बंदरगाह से माले के लिए रवाना हुआ था। वर्तमान में जावा सागर में मंडराते हुए जहाज के 8 फरवरी के आसपास मालदीव पहुंचने की उम्मीद है, हालांकि उम्मीद यह भी है कि जहाज 30 जनवरी तक भी पहुंच सकता है। 

हालांकि इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि भारत ने चीन के जासूसी जहाज की यात्रा पर मालदीव के साथ आपत्ति व्यक्त की है या नहीं, लेकिन नई दिल्ली सरकार ने पहले भी ठोस कदम उठाए थे, जब चीनी जहाज ने पड़ोसी देश श्रीलंका का दौरा किया था। रक्षा सूत्रों का कहना है कि भारतीय नौसेना जहाज की गतिविधि पर नजर रख रही है।

महिला प्रीमियर लीग का शेड्यूल जारी, 23 फरवरी से शुरू होगा टूर्नामेंट,मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स के बीच पहला मुकाबला

वुमेंस प्रीमियर लीग के दूसरे सीजन के शेड्यूल का इंताजर सभी फैंस काफी बेसब्री के साथ कर रहे थे।इनका ये इंतजार खत्म हो गया है।वुमेंस प्रीमियर लीग के दूसरे सीजन के शेड्यूल को जारी कर दिया गया है। जिसमें टूर्नामेंट का पहला मुकाबला 23 फरवरी को मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स महिला टीमों के बीच खेला जाएगा।

फाइनल मुकाबला 17 मार्च को

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की तरफ से जारी किए गए शेड्यूल जो क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार है उसमें इस सीजन का दूसरा मैच रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और यूपी वॉरियर्ज के बीच खेला जाएगा। वहीं दूसरे सीजन का फाइनल मुकाबला जहां 17 मार्च को खेला जाएगा तो वहीं 15 मार्च को एलिमिनेटर मैच होगा, जिसमें दोनों ही मैच दिल्ली में ही खेले जाएंगे।

फाइनल सहित कुल 22 मुकाबले खेले जाएंगे

5 टीमों के इस टूर्नामेंट में फाइनल सहित कुल 22 मुकाबले खेले जाएंगे, जिसमें बेंगलुरु और दिल्ली दोनों जगहों पर 11-11 मैच खेले जाएंगे। इसमें 23 फरवरी से 4 मार्च तक बेंगलुरु के मुकाबले होंगे तो वहीं 24 दिन तक पूरा टूर्नामेंट खेला जाएगा। इस बार वुमेंस प्रीमियर लीग के सभी मुकाबले भारतीय समयानुसार शाम 7:30 पर शुरू होंगे।

पिछले साल की तरह कुल पांच टीमें 22 मैच खेलेंगी। हालांकि, इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। दरअसल, पिछले साल यह लीग मुंबई और नवी मुंबई के दो स्टेडियम में खेला गया था। हालांकि, इस बार इस लीग की मेजबानी मुंबई के इतर बेंगलुरु और दिल्ली को दी गई है।इसके मुकाबले बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम और दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेले जाएंगे। दोनों मैदानों को 11-11 मैचों की मेजबानी मिली है।

*जब अयोध्या में हो रहा था प्राण प्रतिष्ठा, जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में लगे बाबरी मस्जिद समर्थक नारे*

दिल्ली का जामिया मिलिया इस्लामिया का विवादों से पुराना नाता है। एक बार फिर से जामिया चर्चा में हैं। एक तरफ जहां 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह हो रहा था। देशभर में जश्न मनाया जा रहा था। इस बीच दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बाबरी मस्जिद के समर्थन में नारे लग रहे थे।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया के अंदर विरोध प्रदर्शन किया गया. यह जानकारी दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को दी.

दक्षिणपूर्व दिल्ली के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजेश देव ने कहा कि जानकारी मिली थी कि सोमवार शाम को ‘फ्रैटरनिटी मूवमेंट’ नामक एक समूह द्वारा परिसर के अंदर विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसका नेतृत्व लुबाबिब बशीर कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर एहतियाती तैनाती की गई है। परिसर के बाहर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया गया। स्थानीय पुलिस परिसर के अंदर नहीं गयी। प्रसारित होने वाले वीडियो परिसर के अंदर के हैं।

यूनिवर्सिटी में ‘स्ट्राइक फॉर बाबरी’ जैसे नारे लगाए जाने का वीडियो सामने आया है। इसके बाद यूनिवर्सिटी के बाहर पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि कुछ छात्र हाथ में पोस्टर लेकर नारेबाजी कर रहे हैं। कथित छात्र ‘बाबरी’ के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। इसके अलावा कॉलेज प्रशासन ने छात्रों को वहां से हटाने की काफी कोशिश भी की।

दिल्ली पुलिस के अनुसार, कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई क्योंकि विरोध परिसर के अंदर हुआ था और पुलिस को कोई आधिकारिक शिकायत नहीं दी गई थी। विश्वविद्यालय इस मामले की आगे जांच कर रहा है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यूनिवर्सिटी के बाहर पुलिस कर्मियों की तैनाती एक एहतियाती कदम है। यह राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह और आगामी गणतंत्र दिवस के मद्देनजर किया गया है।

इस पूरे मामले पर युनिवर्सिटी प्रशासन का कहना था कि छात्रों को प्रोटेस्ट के शुरू होते ही वहां से हटा लिया गया था। इसके अलावा एग्जाम में भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई। सब कुछ सही से हो गया। जामिया ने पहले हाफ में छुट्टी दे दी थी जिससे पहली शिफ्ट के एग्जाम पोस्टपोन हो गए थे। फिलहाल प्रशासन जांच कर रहा है।

*संसद की सुरक्षा में चूक के बाद केन्द्र का बड़ा फैसला, परिसर में तैनात होंगे सीआईएसएफ के 140 जवान*

पिछले साल दिसंबर में संसद की सुरक्षा में सेंध का मामला सामने आया था। जब कुछ लोग रंगीन धुएं के कनस्तरों के साथ लोकसभा और संसद परिसर में घुस गए थे। सुरक्षा की चूक मामले पर विपक्ष ने तब संसद में जमकर हंगामा किया था। अब इस मामले में केन्द्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।सीआईएसएफ अब संसद के अंदर आने-जाने वाले गेस्ट की जांच करेगा।अगले हफ्ते से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र के दौरान संसद के अंदर आने और जाने वाले गेट की सुरक्षा सीआईएसएफ के जवान करेंगे।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संसद परिसर में इसके लिए सीआईएसएफ के 140 जवानों की एक टुकड़ी तैनात की गई है।अगले हफ्ते 31 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र के दौरान आने वाले और उनके सामान की जांच के लिए नई व्यवस्था के तहत संसद परिसर के अंदर सीआईएसएफ के 140 जवानों की एक टुकड़ी तैनात की गई है।

गृह मंत्रालाय ने संसद की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को पिछले महीने 13 दिसंबर को संसद में हुई सुरक्षा उल्लंघन के मद्देनजर लिया है।13 दिसंबर को संसद पर हमले के बरसी के दिन कुछ लोग संसद भवन की दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए थे और उन्होंने रंगीन धुआं फैला दिया था। इस दौरान इन युवकों ने नारेबाजी भी की थी। इस घटना के बाद ही संसद की सुरक्षा की समीक्षा करते हुए विजिटर्स की जांच के लिए सीआईएसएफ को तैनात करने का फैसला लिया गया।

सीआईएसएफ नए और पुराने संसद भवन की हवाईअड्डे की तरह सुरक्षा प्रदान करेगा। संसद भवन में पहुंचनेवाले विजिटर्स और उनके सामानों की जांच एक्स-रे मशीनों, हैंड डिटेक्टर्स के माध्यम से की जाएगी। यहां तक कि जूते को स्कैन करने के भी इंतजाम किए गए हैं। भारी जैकेट और बेल्ट को एक ट्रे पर रखकर एक्स-रे स्कैनर से गुजारा जाएगा।