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अयोध्या से आई रामलला की पहली संपूर्ण तस्वीर, चेहरे पर दिखी मोहक मुस्कान

#ram_mandir_inauguration_ramlala_full_photo 

रामलला के चेहरे वाली एक संपूर्ण तस्वीर सामने आई है। इसमें रामलला की पूरी छवि स्पष्ट नजर आ रही है। यह तस्वीर मूर्ति के निर्माण के दौरान की है। हालांकि बृहस्पतिवार को जब रामलला को गर्भगृह में स्थापित किया गया उस वक्त उनकी प्रतिमा पर कपड़े की पट्टी लिपटी हुई थी और उनका चेहरा ढंका हुआ था। 22 जनवरी को होनेवाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान उनके चेहरे की पट्टी हटाई जाएगी।

रामलला की मूर्ति देखने में अद्भुत है। चेहरे पर मुस्कान भगवान राम की विनम्रता और मधुरता के बारे में बताती है। रामलला का स्वरूप साक्षात राम भगवान की तरह ही प्रतीत होता है। पहली नजर में रामलला की ये मूर्ति देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है। आस्था और आध्यात्म की झलक इस मूर्ति से झलकती है। जो पहली ही नजर में राम भक्तों को आकर्षित करती है।

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है। कल यानी गुरुवार को राम मंदिर की प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित कर दिया है। प्रतिष्ठा समारोह से जुड़े पुजारी अरुण दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान राम की मूर्ति को दोपहर में वैदिक मंत्रोचार के बीच गर्भ गृह में रखा गया। इस दौरान प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान अनिल मिश्रा वहां मौजूद रहे। मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने में करीब 4 घंटे का वक्त लगा। मूर्ति को गर्भगृह में रखे जाने से पहले अनुष्ठानों को भी पूरा किया गया। इनमें अनाज, फल, घी और जल से उनका स्नान भी शामिल रहा। 

हालांकि, गर्भगृह में रखी गई मूर्ति अभी ढकी हुई है जिसको प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन खोला जाएगा। जिस मूर्ति को स्थापित किया गया है उसकी लंबाई 51 इंच है।राम मंदिर में 16 जनवरी को रामलला के लिए अनुष्ठान शुरू हुआ था। राम मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार अनुष्ठान 21 जनवरी तक जारी रहेंगे और रामलला की मूर्ति की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए जरूरी हर अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे. 121 ‘आचार्य’ अनुष्ठान का संचालन कर रहे हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर एक बजे समाप्त होगा। दरअसल, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित हजारों लोग शामिल होंगे

क्या है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी? ईरान में जिनके ठिकानों पर पाकिस्तान ने किया हमला

#whatisbalochlibrationarmy 

पाकिस्तान की एयरफोर्स ने बुधवार देर रात ईरान में बलूच लिबरेशन आर्मी के ठिकानों पर हवाई हमले किए।पाकिस्तान का दावा है कि उन्होंने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में कई आतंकियों को मार गिराया। हालांकि, ईरान ने कहा कि पाकिस्तान की एयरस्ट्राक में 4 बच्चे और 3 महिलाओं सहित 9 लोगों की मौत हुई है। इनमें से कोई भी ईरान का नागरिक नहीं था।मंगलवार रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद पाकिस्तान ने ये कार्रवाई की। ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ये कहते हुए हमले किए थे कि उसके निशाने पर जैश अल-अद्ल नामक संगठन के ठिकाने थे. ईरान का कहना था कि ये संगठन पाकिस्तान की सरजमीं से ईरान में चरमपंथी घटनाओं को अंजाम दे रहा है।

वहीं, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने बी साफ़तौर पर कहा है कि उसके संगठन की मौजूदगी ईरान में नहीं है। बीएलए के प्रवक्ता आज़ाद बलोच की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ईरान के क़ब्ज़े वाले बलूचिस्तान में बीएलए की मौजूदगी नहीं है. पाकिस्तान ने आम नागरिकों पर हमला किया है। आज़ाद बलोच ने कहा, पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसके कब्ज़ाधारी बलों ने ईरान के कब्ज़े वाले बलूचिस्तान (पश्चिमी बलूचिस्तान) में बीएलए और अन्य स्वतंत्रता समर्थक संगठनों को निशाना बनाया है।बीएलए पाकिस्तान के दावों को ख़ारिज करती है।

बलूचिस्तान के लोगों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के व़क्त उन्हें ज़बरदस्ती पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया, जबकि वो ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क़ के तौर पर देखना चाहते थे। ऐसा नहीं हो सका इसलिए इस प्रांत के लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना के साथ संघर्ष चलता रहा और वो आज भी बरकरार है। बलूचिस्तान में कई अलगाववादी समूह हैं लेकिन सबसे बड़ा और सबसे असरदार संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी है। इसका नेतृत्व पहले बलाच मर्री करते थे जो अफगानिस्तान में 2007 में मारे गए थे इसके बाद बीएलए ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया। अब इस संगठन का नेता बशीर जेब बलोच कर रहे हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले राज्य बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाली इस आर्मी ने सरकार और सेना के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष तो लंबे समय से छेड़ रखा है। इनके पास हजारों लड़ाके हैं और बड़ी संख्या में हथियार भी।

 

क्या चाहती है बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ?

बलूचिस्तान के लोग 1944 से ही अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं। 1947 में बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। तभी से बलूच लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना से संघर्ष चल रहा है। पाकिस्तान की सरकार और वहां की आर्मी इस विरोध को बेदर्दी से कुचलती रही। इसी के प्रतिरोध में 70 के दशक में बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी का गठन हुआ। जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के खिलाफ बलूच लोगों ने सशस्त्र विद्रोह कर दिया। लेकिन इसके बाद सैन्य तानाशाह जियाउल हक के पाकिस्तान पर कब्जे बाद बलूच लोगों का विद्रोह काफी हद तक शांत हो गया।

बलूचिस्तान में क्या है विवाद का मसला

बलूचिस्तान आकार के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन बंजर पहाड़ी इलाका होने की वजह से आबादी के हिसाब से देश का सबसे छोटा राज्य है। बलूचिस्तान की सीमा उत्तर में अफगानिस्तान से और पश्चिम में ईरान से सटी हुई है। इसकी एक लंबी तटरेखा भी है जो अरब सागर से सटी हुई है। पाकिस्तान के कब्जे वाला बलूचिस्तान प्राकृतिक तौर पर काफी संपन्न इलाका है। यहां की धरती खनिज संपदा से भरी पड़ी है। पाकिस्तान यहां की खनिज संपदा का दोहन करके पैसे बना रहा है लेकिन बलूचिस्तान के विकास की तरफ कभी ध्यान नहीं देता. यहां के लोग अब भी बेहद गरीबी में जी रहे हैं। जबकि यहां तेल, गैस, तांबे और सोने जैसे कुदरती संपदा की भरमार है। बलूच लोग सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पाकिस्तान के बाकी हिस्सों से काफी अलग हैं। वो खुद को पंजाबियों के हाथों शोषित मानते हैं. पाकिस्तान की आर्मी वहां के लोगों को अपना निशाना बनाती रहती है। जिसका बलूच विरोध करते हैं।

बिलकिस बानो के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, 21 जनवरी तक करना होगा सरेंडर

बिलकिस बानो के 11 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दोषियों ने आत्मसमर्पण करने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी। बता दें कि दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण करने का समय 21 जनवरी को समाप्त हो रहा है।जस्टिस बीवी नगरत्ना की पीठ ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट की ओर से दो सप्ताह में आत्मसमर्पण करने के पिछले आदेश का अनुपालन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा सभी याचिकाएं निराधार हैं और बेतुके आधारों पर हम सरेंडर करने की तारीख नहीं बढ़ा सकते।

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि दोषियों ने जो कारण बताए हैं, उनमें कोई दम नहीं है। पीठ ने आगे कहा, 'हमने सभी के तर्कों को सुना। आवेदकों द्वारा आत्मसमर्पण को स्थगित करने और वापस जेल में रिपोर्ट करने के लिए दिए गए कारणों में कोई दम नहीं है। इसलिए अर्जियां खारिज की जाती हैं।'बिलकिस बानो के 11 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद के स्वास्थ्य के साथ-साथ बूढ़े मां-बाप सहित कई पारिवारिक जिम्मेदारियों हवाला दिया था

बिलकिस बानो मामले के पांच दोषियों ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से आत्मसमर्पण करने के लिए और समय मांगा था। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में गुजरात सरकार द्वारा सजा में दी गई छूट को रद्द कर दिया था। गौरतलब है, साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। 

गुजरात सरकार ने इस हाईप्रोफाइल मामले के ग्यारह दोषियों को सजा में छूट दी थी। लेकिन, शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को इसे रद्द कर दिया था। इसके अलावा, अदालत ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि उसकी एक आरोपी के साथ 'मिलिभगत' थी। दोषियों को 2022 के स्वतंत्रता दिवस पर समय से पहले रिहा किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने दो हफ्ते के भीतर दोषियों को फिर से जेल में डालने का आदेश दिया था।  

केसरभाई वोहानिया, गोविंद जसवन्त नाई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश चांदना और शैलेश भट्ट शामिल हैं। अपनी याचिका में नौ दोषियों ने छह सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा, जबकि एक ने चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा था।

जर्मन सिंगर ने गाया ‘राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी’, लाखों भारतीय हुए फैन, पीएम मोदी ने भी की तारीफ

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अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होने वाला है। इसको लेकर अयोध्या में जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं। वहीं, पूरा देश इस उत्सव के लिए उत्साहित है।सोशल मीडिया पर इन दिनों राम आगमन की धूम है। सोशल मीडिया भी इन दिनों राममय हो गया है। हर तरफ रामभजन की धुन सुनाई दे रही है। इसी बीच जर्मनी की मशहूर सिंगर कैसेंड्रा माई स्पिटमैन का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। कैसेंड्रा माई स्पिटमैन ने राम भजन गाकर इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इसके बाद तो देखते ही देखते इस वीडियो ने सुर्खियां बटोर लीं।

वीडियो में सिंगर 'राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी' गाती नजर आ रही हैं। सोशल मीडिया यूजर्स उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनके गाने पर प्रतिक्रिया भी दी है। एक यूजर ने लिखा कि ‘इनमें भी राम बसते हैं।’ वहीं, दूसरे यूजर ने लिखा, 'जय श्री राम', एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘भगवान राम आप पर अपनी कृपा बनाए रहें।

पीएम मोदी भी कर चुके तारीफ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जर्मन सिंगर कैसेंड्रा मे स्पिटमैन की अपने मन की बात कार्यक्रम में तारीफ कर चुके हैं। सितंबर 2023 में उन्होंने अपने कार्यक्रम में 21 साल की जर्मन सिंगर कैसेंड्रा का जिक्र किया था। वे आंखों से देख नहीं सकतीं। कैसेंड्रा ने पिछले दिनों 'जगत जाना पालम' और 'शिव पंचाक्षर स्त्रोतम' का गायन किया था। इसका जिक्र करते ही पीएम मोदी ने कैसेंड्रा ने की तारीफ की थी। पीएम मोदी ने कैसेंड्रा द्वारा गाए गए इन गानों को अपने कार्यक्रम में जगह दी थी। उन्होंने कहा था, इतनी सुरीली आवाज… और हर शब्द भावनाओं को दर्शाता है। हम ईश्वर के प्रति उनके लगाव को भी महसूस कर सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह आवाज जर्मनी की एक बेटी की है।

अयोध्या विवाद आजादी के बादः केंद्र से लेकर राज्यों तक की राजनीति दशा और दिशा कैसी बदल

#ayodhya_dispute_after_independence

गुलाम भारत में शुरू हुआ अयोध्या विवाद आजादी के बाद भी जस का तस बना रहा।या यूं कह लें समय के साथ और गंभीर होता गया। हालांकि अब देश आजाद हो चुका था, सरकार अपनी थी कानून अपना था, तो लोगों ने उम्मीद जताई कि अब तो बस समाधान होने ही वाला है। हालांकि, अयोध्या में असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। 

भगवान राम की मूर्ति मस्जिद में मिलने के बाद हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री जी. बी. पंत से मामले में फौरन कार्रवाई करने को कहा। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई।जिसके बाद उसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया गया।

ताला उस ढांचे पर लगा था, जिसे विवाददित माना गया, लेकिन लोगों की भावनाओं पर नहीं। लोगों में मन में अपने अराध्य की पूजा करने की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी। इसके बाद 16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद नामक शख्स ने फैजाबाद के सिविल जज के सामने अर्जी दाखिल कर यहां पूजा की इजाजत मांगी। उस वक्त के सिविल जज एन. एन. चंदा ने इजाजत दे दी। मुसलमानों ने इस फैसले के खिलाफ अर्जी दायर की। विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की। यू. सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के. एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया। इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया गया।

मैदान में विश्व हिंदू परिषद के आ जाने से ये जनता की भावनाओं से जुड़ा ये मामला सियासी रंग लेने लगा। विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में 1984 में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। ठीक उसी समय गोरखनाथ धाम के महंथ अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई. अवैद्यनाथ ने अपने शिष्यों और लोगों से कहा था कि उसी पार्टी को वोट देना जो हिंदुओं के पवित्र स्थानों को मुक्त कराए। 

ये वो समय था बीजेपी अब अयोध्या मसले पर खुलकर सामने आ चुकी थी...और लोगों को समर्थन भी इस पार्टी को मिलने लगा था। अयोध्या मामले की कमान संभाली बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने। 25 सितंबर 1990 को बीजेपी की रथयात्रा निकली। बिहार में लोगों के समर्थन से लालू प्रसाद यादव की सरकार घबरा गई, और आडवाणी की रथ को बिहार में रोक दिया गया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी और गोलिकांड भी। 30 अक्टूबर 1990 का वो दिन जब कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था। उस वक्त यूपी में मुलायम सिंह की सरकार थी, मुलायम सिंह ने मस्जिद पर झंडा फहराए जाने के बाद गोली चलाने का आदेश दिया। उस वक्त पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। 1990 में हुए इस गोलीकाड़ के बाद 1991 में सपा के हाथ से यूपी की सत्ता फिसल गई और बीजेपी ने पहली बार सरकार बनाई।

अयोध्या के आंदोलन के इतिहास का सबसे काला दिन 6 दिसंबर 1992 जब बाबरी मस्जिद ढा दी गई थी। जिसके बाद पूरा देश दंगे की आग में दहकने लगा। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। पूरी अयोध्या नगरी धूल धूल हो गई थी। मानो कोई आंधी आई हो। मौजूद कार सेवकों के साथ लोगों की बड़ी संख्या विवादित स्थल के अंदर घुस गई और ढांचे को ढा दिया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे. इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए।

6 दिसंबर की घटना के बाद देश की राजनीति दशा और दिशा बदल दी। देश में सामाजिक और राजनीतिक फिजा में कई बड़े बदलाव हुए। इस दौरान केंद्र से लेकर राज्यों तक कई सरकारें बदलीं, नेतृत्व बदला और राजनीतिक परिदृश्य भी बदले।

फारुक अब्दुल्ला को सता रहा “इंडिया”गठबंधन टूटने का डर, जानें क्या है वजह

#farooq_abdullah_said_india_alliance_seats_sharing

आने वाले समय में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं लोकसभा चुनाव की भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि, विपक्षी गठबंधन “इंडिया” में सीट शेयरिंग पर अब तक फैसला नहीं हो सका है। इसी बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान सामने आया है।अब्दुल्ला ने कहा कि अगर सीट बंटवारे पर जल्द सहमति नहीं बनी तो इंडिया ब्लॉक के लिए खतरा है। 

देश को बचाना है, तो हमें मतभेदों को भूलना होगा-अब्दुल्ला

फारूक अब्दुल्ला ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि सीट शेयरिंग पर गठबंधन में शामिल दलों के बीच सहमति नहीं बन पाती है तो अलासंय में शामिल कुछ पार्टियां अलग गठबंधन बना सकती हैं।जब गठबंधन में सीट-बंटवारे की व्यवस्था पर स्पष्टता की कमी के बारे में सवाल पूछा गया तो अब्दुल्ला ने कहा कि अगर हमें देश को बचाना है, तो हमें मतभेदों को भूलना होगा और देश के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि अगर सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप नहीं दिया गया तो गठबंधन के लिए यह बात एक बड़ा खतरा बन सकती है। इसे समयबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए। यह संभव है कि कुछ दल अलग गठबंधन बनाने के लिए एक साथ आ सकते हैं, जो मुझे सबसे बड़ा खतरा लगता है। अभी भी समय है। हमें इस बारे में जल्द से जल्द सोचना होगा।

पार्टियों को सिर्फ वहीं सीटें मांगनी चाहिए जहां उनका दबदबा-अब्दुल्ला

अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टियों को सिर्फ वहीं सीटें मांगनी चाहिए जहां उनका दबदबा है और जहां वे प्रभावी नहीं हैं वहां सीटें मांगना गलत है। उन्होंने कहा कि खतरे में पड़ा गणतंत्र ही नहीं आने वाली पीढ़ी भी हमें माफ नहीं करेगी। हमारे सामने यह बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, अगर हम अपने अहंकार को छोड़कर एक साथ मिलकर यह नहीं सोचते कि इस देश को कैसे बचाया जाए, तो मुझे लगता है कि यह हमारी ओर से सबसे बड़ी गलती होगी। अब्दुल्ला ने कहा कि पिछली बार तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी वाम दलों के साथ सीटें साझा करने के लिए तैयार नहीं थीं लेकिन इस बार उन्होंने पेशकश की है कि वाम दल वहां से चुनाव लड़ सकते हैं जहां से वह जीत सकते हैं। लोग उनके खिलाफ बयान जारी कर मतभेद बढ़ा रहे हैं।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन इन 5 राज्यों की सरकार ने किया छुट्टी का ऐलान, शराब की दुकानें भी रहेंगी बंद

 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। वही इसको लेकर देश में भी बहुत उत्साह है। वही इस समारोह के दिन कुछ प्रदेशों ने सार्वजनिक छुट्टी का ऐलान किया है। 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। इस दिन अयोध्या में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। देश के कई VVIP इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले हैं। इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए सरकार से लेकर राम मंदिर ट्रस्ट तक के पदाधिकारी जी-जान से जुटे हुए हैं। राम मंदिर ट्रस्ट ने इस मौके के गवाह बनने वाले सभी VVIP लोगों के स्वागत और सम्मान के लिए विस्तृत व्यवस्था की है। उन्हें विशेष उपहार भी प्रदान किए जाएंगे।

22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का प्राथमिक अनुष्ठान लक्ष्मीकांत दीक्षित के नेतृत्व में पुजारियों की एक टीम द्वारा किया जाएगा। मेहमानों के लिए स्मृति चिन्ह के रूप में मंदिर से पूजनीय राम राज मिट्टी एक मुख्य आकर्षण है। दैवीय कृपा के प्रतीक इस पवित्र उपहार का उपयोग घर के बगीचों या फूलों के गमलों में किया जा सकता है, जिससे आध्यात्मिक माहौल में बढ़ोतरी होती है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित न हो पाने वालों को भी भविष्य में यह सार्थक उपहार मिल सकता है। इस ऐतिहासिक मौकों पर देश के कई प्रदेशों ने छुट्टी का ऐलान किया है। ऐलान करने वाले प्रदेशों में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है।

उत्तर प्रदेश

22 जनवरी को सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' कार्यक्रम के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। साथ ही उस दिन पूरे राज्य में शराब की दुकानें भी बंद रहेंगी।

मध्य प्रदेश

 

मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव ने 22 जनवरी को स्कूल की छुट्टी घोषित की है। लोगों को इस दिन को त्योहार की भांति मनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा जा रहा है। मोहन यादव ने शराब एवं भांग की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी करते हुए 22 जनवरी को प्रदेश में 'ड्राई डे' का भी ऐलान किया है। उन्होंने कहा, ''जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए हमने निर्णय लिया है कि 22 जनवरी को प्रदेश में 'ड्राई डे' रहेगा। शराब और भांग की दुकानें बंद रहेंगी।

गोवा

रिपोर्ट के मुताबिक, गोवा सरकार ने भी 22 जनवरी को अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' कार्यक्रम के मद्देनजर सरकारी कर्मचारियों और स्कूलों के लिए छुट्टी का ऐलान किया है। सीएम प्रमोद सावंत ने मंत्रिमंडल बैठक के बाद कहा, "स्कूलों के साथ-साथ सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए सार्वजनिक अवकाश होगा।"

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर में प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाने के लिए राज्य के सभी सरकारी स्कूलों एवं कॉलेजों में 22 जनवरी को छुट्टी घोषित कर दी है। सीएम विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया के जरिए एक्स को इसका ऐलान किया। उन्होंने लिखा, “सियाराम को सब संसार जानता है। मैं आपको यथाशक्ति प्रणाम करता हूं। अयोध्या में प्रभु श्री राम मंदिर के प्रतिष्ठापन के दिन 22 जनवरी को छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी रहेगी।''

हरियाणा

हरियाणा सरकार ने भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर 22 जनवरी को स्कूल बंद रखने का ऐलान किया है। साथ ही प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन प्रदेश में कहीं भी शराब के सेवन की अनुमति नहीं होगी।

ऐसे होंगे रामलला ! सामने आई अयोध्या में विराजित होने वाली प्रतिमा की पहली झलक

22 जनवरी को 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह से पहले, अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह के अंदर स्थापित राम लला की मूर्ति के पहले दृश्य सामने आए हैं। मूर्ति को सफेद कपड़े से ढक दिया गया है। इससे पहले गुरुवार को, राम मंदिर के अभिषेक समारोह के अनुष्ठानों के हिस्से के रूप में राम लला की मूर्ति को गर्भगृह के अंदर स्थापित किया गया था।

पुजारी अरुण दीक्षित ने कहा कि, मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई 51 इंच की मूर्ति को गुरुवार तड़के मंदिर में लाया गया। गुरुवार दोपहर को, राम लला की मूर्ति को गर्भगृह में अभिषेक समारोह के लिए रखा गया। यह प्रार्थना मंत्रोच्चार के बीच किया गया, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, संस्था मंदिर के निर्माण की देखरेख कर रही थी। दीक्षित ने कहा कि 'प्रधान संकल्प' ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा द्वारा किया गया था।

उन्होंने कहा कि, "प्रधान संकल्प' के पीछे विचार यह है कि भगवान राम की 'प्रतिष्ठा' सभी के कल्याण के लिए, राष्ट्र के कल्याण के लिए, मानवता के कल्याण के लिए और उन लोगों के लिए भी की जा रही है, जिन्होंने इस कार्य में योगदान दिया है।" उन्होंने कहा, "इसके अलावा अन्य अनुष्ठान भी किए गए। ब्राह्मणों को वस्त्र भी दिए गए और सभी को काम सौंपा गया।" प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को राम मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में भाग लेंगे, जिसे अगले दिन जनता के लिए खोले जाने की उम्मीद है।

उत्तराखंड : बर्फ से सराबोर हुईं चार धाम समेत देवभूमि की सभी वादियां, औली में लंबे समय बाद हुई बर्फबारी


उत्तराखंड में बुधवार को दोपहर बाद अचानक मौसम बदला और चारधाम समेत ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई। वहीं, औली में लंबे समय बाद बर्फबारी होने से वादियां बर्फ से सराबोर नजर आईं।

ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के साथ ही निचले इलाकों में पाला पड़ने से ठंड बढ़ गई है। वहीं, मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार आज मैदानी इलाकों में कोहरा छाने का अलर्ट है। बुधवार को बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, लाल माटी सहित नीती और माणा घाटियों में बर्फबारी हुई। हनुमान चट्टी तक भी बर्फबारी हुई।

अयोध्या जा रही शबनम शेख के खिलाफ मौलवियों ने जारी किया फतवा, बोली- 'ये मुझे डराना चाहते हैं लेकिन मैं श्री राम की भक्त'

 महाराष्ट्र से अयोध्या पैदल यात्रा कर जा रही 21 वर्षीय शबनम शेख के खिलाफ मौलवियों ने फतवा जारी कर दिया है। इस पर सबनम ने कहा है कि वह भारत की बेटी है। यह देश संविधान से चलता है ना कि सरिया कानून से... मेरी आस्था प्रभु श्री राम भगवान शिव के अतिरिक्त अन्य देवी देवताओं में भी है। मौलाना और मौलवी मुझे डराना चाहते हैं जिससे मेरी यात्रा भंग हो सके मगर मैं श्री राम की भक्त हूं तथा आखिरी क्षण तक रहूंगी। मेरे माता पिता मेरे पहनावे पर कोई कमेंट नहीं करते हैं तो मौलवी और मौलाना फतवा जारी करने वाले कौन होते हैं। 

मुंबई के नालासोपारा की रहने वाली 21 वर्षीय शबनम शेख ने 28 दिनों पहले अयोध्या धाम के लिए यात्रा आरम्भ की थी। शबनम शेख ने कहा- मैं और मेरा पूरा परिवार प्रभु श्री राम का भक्त है। ऐसा नहीं है कि मैं यह सब सिर्फ ट्रेंड में रहने के लिए कर रही हूं। मैं जहां पर रहती हूं वह हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है। मैं हमेशा से हिंदू देवी देवताओं को मानती आ रही हूं। मैंने अजान से पहले मंदिरों की घंटियां एवं पूजा सुनी है। फतवा जारी करने के सवाल को लेकर शबनम शेख ने कहा कि मौलवी एवं मौलाना केवल सवाल खड़ा कर सकते हैं। मौलाना कभी कपड़ों को लेकर तो कभी धर्म को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है। यह कोई इस्लामिक देश नहीं है। भारत में मौलवी-मौलानाओं के फतवे का कोई प्रभाव नहीं होने वाला है। मुझे भारतीय कानून एवं संविधान पर पूरा विश्वास है। मेरे धर्म के कुछ मौलाना एवं मौलवी मेरी इस यात्रा में अड़चन डालना चाहते हैं। शबनम ने बताया कि उनके परिवार में माता पिता और भाई बहन हैं।

शबनम को मध्य प्रदेश पुलिस की तरफ से सुरक्षा दी जा रही है। शबनम के साथ कुछ पुलिसकर्मी चलते हैं। शबनम की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी अलग-अलग थानों के हिसाब से बदलते रहते हैं। शबनम शेख ने बताया कि पुलिस उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रख रही है। पुलिस के जवान उनके साथ बेटी और बहन की भांति बर्ताव करते हैं। उन्हें बहुत अच्छा लगता है। शबनम के साथ दो अन्य लड़के भी हैं जो शबनम का सोशल अकाउंट देखते हैं।