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देश में हिन्दुओं की वजह से लोकतंत्र कायम व लोकतांत्रिक मूल्य की परंपरा, लेकिन अब बढ़ रही असहिष्णुता : जावेद अख्तर


गीतकार जावेद अख्तर ने दिवाली पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिंदू संस्कृति में सहिष्णुता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत में यदि लोकतंत्र कायम है तो इसकी वजह हिंदू संस्कृति ही है। उन्होंने कहा कि यह सोचना कि हम ही सही हैं और दूसरे लोग गलत हैं, यह हिंदू संस्कृति का हिस्सा नहीं है। हालांकि उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि अब असहिष्णुता बढ़ रही है, लेकिन देश में लोकतंत्र भी इसी वजह से कायम है क्योंकि हिंदू संस्कृति सहिष्णुता वाली है। वह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे की ओर से आयोजित कार्यक्रम दीपोत्सव में हिस्सा ले रहे थे।

इस दौरान उनके साथ मंच पर सलीम खान भी मौजूद थे। दोनों लेखक लंबे समय बाद एक मंच पर नजर आए, जबकि एक दौर में दोनों के बीच मतभेद की खबरें भी आई थीं। सलीम-जावेद की जोड़ी ने शोले जैसी सुपरहिट फिल्म की पटकथा लिखी थी। जावेद अख्तर ने इस मौके पर असहिष्णुता बढ़ने का दावा किया। उन्होंने कहा, 'आज जो फिल्में बन रही हैं, उन्हें परिवार के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता। अभिव्यक्ति की आजादी कम हुई है और यह बात तो मैं लगातार दोहरा रहा हूं। यदि आज हम शोले लिख रहे होते तो मंदिर में अभिनेत्री के साथ धर्मेंद्र के डायलॉग्स पर बवाल मच जाता। इसी तरह संजोग फिल्म में ओमप्रकाश जिस तरह गानों में कृष्ण और सुदामा की कहानी सुनाते हैं, क्या आज वैसा हो सकता है।'

हिंदुओं की सोच विशाल, यही खासियत; क्या अब छोड़ देंगे विरासत?

अकसर राजनीतिक मसलों पर मुखरता से बोलने वाले जावेद अख्तर ने कहा, 'असहिष्णुता आज बढ़ रही है। पहले कुछ लोग होते थे, जो असहिष्णु थे। हिंदू वैसे नहीं थे। हिंदुओं की सबसे बड़ी खासियत यही रही है कि उनकी सोच विशाल रही। यदि यह खासियत खत्म हो गई तो वे भी दूसरे लोगों की तरह हो जाएंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए। हमने तो आपसे ही जीना सीखा है, लेकिन क्या हिंदू ही उन मूल्यों को छोड़ देंगे? उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि आज देश में लोकतंत्र कायम है और इसे बनाए रखने में हिंदू संस्कृति ने मदद की है।

भारत से निकलो तो भूमध्यसागर तक दूसरा लोकतांत्रिक देश नहीं

वह कहते हैं कि आगे देखते हैं कि क्या होता है। फिलहाल तो आप भारत से निकलें तो भूमध्यसागर तक कोई दूसरा देश ऐसा नहीं है, जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था हो। यहां लोकतंत्र इसलिए है क्योंकि जो जैसा चाहे सोच सकता है। जो मूर्ति पूजा करता है, वह भी हिंदू है। जो नहीं करता है, वह भी हिंदू है। यदि कोई एक ही देवता को मानता है तो वह भी हिंदू है। दूसरा यदि 32 करोड़ देवताओं को मानता है तो वह भी हिंदू है। यदि कोई किसी की भी पूजा नहीं करता तो भी वह हिंदू है। यही हिंदू संस्कृति है, जो हमें लोकतांत्रिक मूल्य देती है। उसी की वजह से इस देश में लोकतंत्र जिंदा है।

पाकिस्तान में भारत के एक और दुश्मन का खात्मा, लश्कर-ए-तैय्यबा का आतंकी अकरम गाजी मारा गया

#former_commander_of_lashkar_e_taiba_akram_khan_was_shot_dead_in_pakistan

पाकिस्‍तान से एक और आतंकी के मारे जाने की खबरें आई हैं। खैबर पख्‍तून्‍ख्‍वां में अकरम खान उर्फ गाजी की अज्ञात हमलावरों ने हत्‍या कर दी है।अकरम गाजी की गुरुवार को पाकिस्तान के बाजौर में अज्ञात हमलावरों ने कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई।आतंकी अकरम गाजी ने साल 2018 से 2020 तक लश्कर भर्ती सेल का नेतृत्व किया था। साथ ही वह पाकिस्तान में अपने भारत विरोधी भाषणों के लिए जाना जाता था।

बताया जा रहा है कि अकरम खान उर्फ अकरम गाजी की पाकिस्तान के बाजौर में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।अकरम लश्कर-ए-तैयबा का एक जाना-माना नाम है। वह लंबे समय से चरमपंथी गतिविधियों में शामिल था। साथ ही उसने लश्कर भर्ती सेल का नेतृत्व किया था। वह चरमपंथी हितों के प्रति सहानुभूति रखने वाले व्यक्तियों की पहचान करता था और उन्हें भर्ती करने में एक जिम्मेदार भूमिका निभाता था। 

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले का था मास्टरमाइंड

अकरम की हत्‍या को आईएसआई के साथ ही लश्‍कर के सरगना हाफिज सईद के लिए भी बड़ा झटका बताया जा रहा है। गाजी लश्‍कर के लिए भारत के खिलाफ सबसे महत्‍वपूर्ण आतंकी था। संगठन का मानना था कि वह भारत के खिलाफ घाटी के युवाओं को काफी प्रभावी तरीके से भड़का सकता था। व‍ह अक्‍सर भारत के खिलाफ जहर उगलता था। वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर के सुंजवान में हुए आतंकी हमले का वह मास्टरमाइंड था। अकरम गाजी ने कश्मीर से ख्वाजा शाहिद का अपहरण कर लिया था। बाद में पीओके में नियंत्रण रेखा के पास उसका कटा हुआ सिर पाया गया था। वह भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने के मुख्य सूत्रधारों में से एक था। 

पहले भी पाकिस्तान में हुई आतंकियों की हत्या

पिछले एक सप्ताह में पाकिस्तान में हुई भारत के दुश्मन की लगातार यह दूसरी हत्या है। इससे पहले एक और आतंकी को अज्ञात हमलावरों ने मार गिराया था।इसी साल अक्टूबर में पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ की पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लतीफ पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर से भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक था और 2016 में पठानकोट वायु सेना स्टेशन में घुसने वाले चार आतंकवादियों का हैंडलर था।

भारत-अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता आज, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन पहुंचे दिल्ली, जानें किन मुद्दों पर होगी बात

#indiaus2plus2_dialogue

भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ सालों से एक अलग ही संबंध देखने को मिल रहा है।हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूएस यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों को एक और ऊंचाई दी है। इसी क्रम में भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता आज दिल्ली में होगी। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारत-अमेरिका टू प्लस टू विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता में भाग लेने के लिए बृहस्पतिवार रात दिल्ली पहुंचे हैं।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक्स पर कहा कि, पांचवीं भारत-अमेरिका टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता की सह-अध्यक्षता करने के लिए नयी दिल्ली पहुंचने पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का हार्दिक स्वागत है।

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भी गुरुवार को दिन में ही भारत-अमेरिका वार्ता में भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ और विदेश मंत्री जयशंकर आज नई दिल्ली में पांचवीं भारत-अमेरिका टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन का स्वागत करेंगे। यह वार्ता दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग और साझेदारी को प्रगाढ़ करने पर केंद्रित होगी।

अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, एंटनी ब्लिंकन और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन टू प्लस टू सुरक्षा वार्ता के लिए नई दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। दोनों नेता अपने भारतीय समकक्षों के साथ सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर भी चर्चा की जाएगी।

किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ‘टू प्लस टू’ बैठक के दौरान रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने, टेक्नोलॉजी वैल्यू चैन कॉओपरेशन और दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाने पर बात होगी। इस साल जून और सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका साझेदारी के भविष्य के रोडमैप को कैसे तैयार करना है, इस पर बात की। ‘टू प्लस टू’ बैठक के दौरान इसे आगे ले जाने पर बात की जाएगी। चीन से निपटने के लिए तैयार किए गए क्वाड पर भी दोनों देशों के नेता बात करने वाले हैं। जहां इस बैठक का मुख्य मकसद भारत-अमेरिका के रिश्तों पर बात करना है। वहीं इसमें वैश्विक मुद्दे भी चर्चा के केंद्र में रहने वाले हैं। यूरोप में चल रहा यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट में हो रहे इजरायल-हमास युद्ध पर भी बात की जाएगी। इन मुद्दों पर एक एजेंडा तैयार करने पर भी चर्चाएं चल रही हैं। इसके अलावा भारत-अमेरिका रिश्तों को कैसे मजबूत करना है, इस पर भी बात की जाएगी।

दोनों देशों के संबंध को मिलेगा नया मुकाम

यह वार्ता भारत और अमेरिका के रक्षा व विदेश संबंधों को नया मुकाम देने के लिए होने जा रही है। इससे भारत के चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। अमेरिका अब भारत का स्ट्रैटेजिक पार्टनर बन गया है। ऐसे में दोनों देशों के संबंधों में लगातार गहराई और मजबूती देखने को मिल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के मजबूत संबंधों पर बहुत फोकस किया है।

दिल्ली वालों ने ली “राहत की सांस”, बारिश के बाद 100 से नीचे आया AQI

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दिल्ली में हुई झमाझम बारिश के कारण दिल्ली-एनसीआर में लोगों को वायु प्रदूषण और स्मॉग से राहत मिली है। दिल्ली में आधी रात तक वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में था।हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में हुई बारिश के कारण अब वायु प्रदूषण में काफी गिरावट आ चुकी है। कई स्थानों पर एक्यूआई घटकर 100 से कम हो गया है। दिल्ली के आनंद विहार इलाके में AQI लेवल 175, सेंट्रल दिल्ली में 109, नई दिल्ली में 93, लोधी रोड में 159, गुरुग्राम में 78, ग्रेटर नोएडा में 66 और नोएडा में 168 AQI लेवल दर्ज किया गया है।

दिल्ली में प्रदूषण से बचने के लिए सरकार की कृत्रिम बारिश की तैयारियों के बीच मौसम ने अचानक करवट ली है। दिल्ली-एनसीआर में बारिश हुई है। इससे मौसम में ठंडक का अहसास बढ़ गया है। कल देर रात शुरू हुई बारिश का सिलसिला बीच में बूंदाबांदी में बदल गया था मगर सवेरे के समय एक बार फिर तेज बारिश होने लगी। साथ में बादल गरज रहे थे। और बिजली चमक रही थी। देर रात से सुबह तक हुई बारिश के कारण गाजीपुर बॉर्डर पर जाम के हालात हैं। इससे एक्यूआई में बड़े पैमाने पर सुधार बताया जा रहा है। 

देर रात और सुबह में हुई बारिश के बाद दिल्ली में प्रदूषण कम हो गया है. दिल्ली-एनसीआर में जो वायु प्रदूषण की धुंध छाई रहती थी। वह धुंध अब एकदम साफ हो गई है। समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली के जिया सराय, मुनिरका और आउटर रिंग रोड का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि दिल्ली की आबोहवा में बहुत सुधार हुआ है। जो पेड़ पहले धुंध में दिखते नहीं थे। वह अब बारिश के बाद एक दाम साफ और हरे दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली का वातावरण भी एकदम साफ हो गया है।

इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक गुरुवार को वायु गुणवत्ता गंभीर कैटेगरी में बना हुआ था। गुरुवार को द्वारका सेक्टर 8 में 459, आरके पुरम में 453, न्यू मोतीबाग में 452, नेहरू नगर में 452, नजफगढ़ में 449, आईजीआई एयरपोर्ट में 446, पंजाबी बाग में 445, आईटीओ में 441, वजीरपुर में 439, शादीपुर में 438, बवाना में 437, पटपडगंज में 434, ओखला में 433, जहांगीरपुरी में 433, आनंद विहार में 432, मुंडका में 428, सोनिया विहार में 423, सिरिफोर्ट दिल्ली में 422 और डीटीयू में एक्यूआई 402 दर्ज किया गया जो कि गंभीर कैटेगरी को दर्शाता है।

अमेरिका देगा इजरायल को स्पाइस बम, भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक में किया था इस्तेमाल

#us_plans_precision_bombs_transfer_to_israel

इजराइल और हमास की जंग और भीषण होती जा रही है। इजराइल गाजा पर लगातार हमले कर रहा है।हमास के खत्मे में अमेरिका हर कदम पर इजराइल के साथ खड़ा है। इस बीच बाइडेन प्रशासन ने इजरायल के लिए 320 मिलियन डॉलर के हथियार सौदे को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, इस सौदे के तहत इजरायल को स्पाइस फैमिली ग्लाइडिंग बम असेंबली मिलेगा।

 द वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, प्रशासन ने स्पाइस फैमिली ग्लाइडिंग बम असेंबली के नियोजित ट्रांसफर के बारे में कांग्रेस के नेताओं को 31 अक्टूबर को औपचारिक अधिसूचना भेजी, जो युद्धक विमानों द्वारा दागे जाने वाले एक प्रकार के सटीक निर्देशित हथियार हैं। पत्राचार में कहा गया है कि समझौते के तहत हथियार निर्माता राफेल यूएसए बमों को इजराइली रक्षा मंत्रालय द्वारा उपयोग के लिए अपनी इजराइली मूल कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स को ट्रांसफर करेगा। योजना में हथियारों के उपयोग से संबंधित समर्थन, संयोजन, परीक्षण और अन्य तकनीकी का प्रावधान भी शामिल है। यह उन्हीं हथियारों के 402 मिलियन डॉलर के ट्रांसफर की योजना है, जिसके लिए प्रशासन ने पहली बार 2020 में कांग्रेस की मंजूरी मांगी थी।

द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, हथियारों के सौदे की ये डील स्पाइस फैमिली ग्लाइडिंग बम असेंबली के स्मार्ट बमों के ट्रांसफर पर ही केंद्रित है। ये बम अपनी सटीकता के लिए जाना जाता है। बाइडेन प्रशासन ने स्पाइस फैमिली ग्लाइडिंग बम असेंबली के ट्रांसफर के बारे में जानकारी दी है। इस डील के तहत राफेल यूएसए बमों को इजराइली कंपनी राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम को ट्रांसफर करेगा। डील में हथियारों के उपयोग से संबंधित जानकारी, परीक्षण और तकनीक का भी आदान-प्रदान होना है।

स्पाइस फैमिली ग्लाइडिंग बम एक प्रकार का स्मार्ट बम है, जो अपनी उच्च सटीकता के लिए जाना जाता है। स्पाइस (स्मार्ट, सटीक प्रभाव, कॉस्ट इफेक्टिव) बम हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार हैं। इन बमों को बिना निर्देशित बमों की सटीकता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो उन्हें प्रभावी ढंग से जीपीएस-निर्देशित हथियारों में बदल देते हैं। इन्हें राफेल यूएसए द्वारा डेवलप किया गया है। बता दें राफेल यूएसएस इज़राइल के सबसे प्रमुख हथियार निर्माताओं में से एक की अमेरिकी ब्रांच है।

बता दें कि इन्हीं बमों का इस्तेमाल बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान किया गया था जब इंडियन एयर फोर्स ने 26 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर को निशाना बनाया था।

लोकसभा से निष्कासित होंगी महुआ मोइत्रा! एथिक्स कमेटी ने रिपोर्ट को दी मंजूरी, 6 सांसदों का समर्थन

#ethicscommitteerecommendsmahuamoitra_disqualification

पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। एथिक्स कमेटी में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया। महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव पर पक्ष में छह सांसदों ने वोट किया। वहीं, प्रस्ताव पर विपक्ष में वोट डालने वाले सदस्यों की संख्या 4 रही। बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति (एथिक्स कमेटी) की गुरुवार को बैठक हुई। इस बैठक में रिपोर्ट स्वीकार की गई। इसके पक्ष में 6 सदस्य और विरोध में 4 सदस्य थे। 

कमिटी की बैठक के बाद चेयरमैन विनोद सोनकर ने बताया कि आज की बैठक का सिंगल एजेंडा इस रिपोर्ट को लेकर ही था। इसमें छ: सांसदों ने इसका समर्थन किया और चार सांसदों ने इसका विरोध किया। अब यह जांच रिपोर्ट अपनी कमिटी की के साथ लोकसभा स्पीकर को भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि अब इस मामले में लोकसभा स्पीकर ही कार्रवाई करेंगे।

किसने पक्ष और किसने विपक्ष में डाले वोट

एथिक्स कमेटी की कंपोजिशन के मुताबिक, बहुमत एनडीए का है। कमेटी में चेयरमैन समेत कुल 15 सदस्य हैं। कमेटी में बीजेपी के 7 सदस्य हैं। महुआ मोइत्रा घूसकांड मामले में जांच रिपोर्ट के पक्ष में परनीत कौर (कांग्रेस), हेमंत गोडसे (शिवसेना), सुमेधानंद (बीजेपी), अपराजिता सारंगी (बीजेपी), राजदीप रॉय (बीजेपी) और विनोद कुमार सोनकर (बीजेपी और चेयरमैन) ने वोट किए। जबकि बीएसपी सांसद दानिश अली, पीआर नटराजन (सीपीएम), वैथिलिंगम (कांग्रेस), गिरधारी यादव (जेडीयू) ने इसका विरोध किया। अब कमेटी शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के पास जांच रिपोर्ट भेजेगी। 

एथिक्स कमेटी की पिछली मीटिंग में क्या हुआ था?

एथिक्स कमेटी की 2 नवंबर को हुई मीटिंग के बीच में मोइत्रा समेत अन्य विपक्षी सांसद बाहर आ गए थे। इन्होंने आरोप लगाया था कि बैठक में निजी सवाल किए गए। इसके बाद विनोद सोनकर ने इन आरोपों को खारिज किया था। 

मामला क्या है?

निशिकांत दुबे ने हाल ही में आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने पैसे और महंगे गिफ्ट कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से लिए हैं। इसके लिए उन्होंने अडानी ग्रुप से जुड़े सवाल लोकसभा में किए। इसके बाद दर्शन हीरानंदानी ने भी बोला कि उन्होंने मोइत्रा के पैसे दिए हैं। मोइत्रा ने अडानी ग्रुप के मामले में सवाल पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए लिए।

MP-MLA के खिलाफ आपराधिक मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश, हाइई कोर्ट मॉनिटरिंग करें, ट्रायल के लिए गठित की जाए स्पेशल बेंच

#supreme_court_issues_guidelines_on_criminal_cases_against_mp_mla

सुप्रीम कोर्ट ने एमपी/एमएलए के खिलाफ मामलों के शीघ्र निपटाने से जुड़ी याचिका पर महत्वपूर्ण आदेश दिया है।कोर्ट ने एमपी/ एमएलए के खिलाफ आपराधिक मामलों पर दिशा-निर्देश जारी करते हुए हाईकोर्ट को निगरानी करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ऐसे मामलों पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करें, जिला जज स्पेशल कोर्ट के ट्रायल की निगरानी करें. हाईकोर्ट समय समय पर ट्रायल की रिपोर्ट मांगे। साथ ही सांसदों/विधायकों पर ट्रायल के लिए और स्पेशल कोर्ट हों।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के अनुरोध वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट और निचली अदालतों को कई निर्देश जारी किए।शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके लिए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए निचली अदालतों को एक समान दिशा-निर्देश देना मुश्किल होगा। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था में कहा गया है कि हाईकोर्ट कानून निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेंगे, जिसकी अध्यक्षता या तो मुख्य न्यायाधीश या फिर उनके (मुख्य न्यायाधीश के) द्वारा नामित पीठ द्वारा की जाएगी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उन सभी राज्यों में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट बनाने का आदेश दिया था जहां पर इन लोक प्रतिनिधियों के खिलाफ कुल 65 से अधिक मामले लंबित थे। कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने 12 राज्यों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 02 और उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल) में 01-01 विशेष न्यायालय की स्थापना की। सुप्रीम कोर्ट में बीते दिनों कई याचिकाएं दाखिल की गईं थी जिनमें कहा गया था कि इन अदालतों में तेजी के साथ मामले की सुनवाई नहीं की जा रही है।

कोर्ट ने कहा कि हम विशेष अदालतों में प्रत्येक मामले की निगरानी नहीं कर सकते। मौत की सजा के आरोपों का सामना कर रहे सांसद/ विधायकों के मामलों को प्राथमिकता दी जाए। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गाइडलाइन बनाना हर राज्य के लिए बनाना संभव नहीं, हर राज्य में परिस्थितियां अलग अलग हैं। ये हम हाईकोर्ट पर छोड़ते हैं कि एमपी/एमएलए कोर्ट मॉनिटरिंग करें।

सुप्रीम कोर्ट ने मामलों को सुनते हुए कहा कि जितने भी लंबित मामले हैं उनके बारे में पता किया जाए कि आखिर वो क्यों लंबित हैं, उनके निस्तारण में क्यों तेजी नहीं आ रही हैय़ जांच में कहां रुकावट है और उसको दूर करने के लिए अदालत अपने स्तर पर क्या कदम उठा सकती है जिससे मामलों का जल्द निपटान हो सके।

दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए 'नकली बारिश' करवाएगी केजरीवाल सरकार ! सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने का इंतज़ार

दिल्ली में वायु प्रदूषण से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। सालों से प्रदूषण के लिए पटाखे, पराली जलाने को दोष दे रही दिल्ली सरकार के पास इससे निपटने के लिए कोई ठोस रोडमैप नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने कुछ हटके कदम उठाने का फैसला लिया है। केजरीवाल सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को ऐलान किया है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर द्वारा प्रस्तुत 'कृत्रिम बारिश' परियोजना को लागू करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गुरुवार तक प्रस्ताव मांगा है और शुक्रवार तक सुप्रीम कोर्ट से आवश्यक अनुमति मांगी है। 

राय ने कहा है कि, 'कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग के संबंध में IIT कानपुर के विशेषज्ञों के साथ एक बैठक हुई। हमने उनसे कल तक कृत्रिम बारिश पर प्रस्ताव भेजने के लिए कहा है, ताकि इसे आवश्यक अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जा सके।' कृत्रिम बारिश पर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के साथ एक बैठक के बाद उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि IIT कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ बैठक के दौरान उन्होंने बताया कि 'क्लाउड सीडिंग' का प्रयास केवल तभी किया जा सकता है, जब वातावरण में बादल या नमी हो। राय ने कहा कि, "विशेषज्ञों का अनुमान है कि ऐसी स्थितियां 20-21 नवंबर के आसपास विकसित हो सकती हैं। हमने वैज्ञानिकों से इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।"

 

राय ने सितंबर में IIT-कानपुर के विशेषज्ञों के साथ हुई शुरुआती बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें कृत्रिम बारिश पर एक प्रेजेंटेशन दिया गया था। इस बैठक में 24 सदस्यों और विभिन्न संगठनों के शोधकर्ताओं के सुझाव शामिल थे। राय ने कहा कि, विशेषज्ञों ने वाहन प्रदूषण, धूल प्रदूषण, बायोमास जलने और अन्य प्रकार के प्रदूषण को कम करने के तरीकों पर विचार-मंथन किया। IIT-कानपुर के वैज्ञानिकों ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने और इसमें आने वाली लागत पर एक प्रस्तुति दी। हमने उनसे एक विस्तृत प्रेजेंटेशन तैयार करने का अनुरोध किया है जिसे मुख्यमंत्री को दिखाया जाएगा। हम निश्चित रूप से इस पर विचार करेंगे।'

 

वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के हवाले से कहा गया है कि, 'बादल संघनन की सुविधा के लिए कुछ नाभिक बादलों में छिड़के जाते हैं, जिससे वर्षा होती है। भारत में कृत्रिम बारिश पर शोध चल रहा है, लेकिन अभी तक इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई है।' 

कृत्रिम वर्षा

बता दें कि, क्लाउड सीडिंग एक कृत्रिम विधि है जिसका उपयोग बादलों में कुछ पदार्थों को शामिल करके वर्षा बढ़ाने के लिए किया जाता है जो विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करता है, जिसमें सूखे के प्रभाव को कम करना, जंगल की आग को रोकना, वर्षा में वृद्धि और वायु की गुणवत्ता में वृद्धि शामिल है। क्लाउड सीडिंग के दौरान, सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और सूखी बर्फ जैसे रसायनों को हवाई जहाज और हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके आकाश में छोड़ा जाता है। ये रसायन जलवाष्प को आकर्षित करते हैं, जिससे वर्षा वाले बादलों का निर्माण होता है। इस विधि से बारिश कराने में आमतौर पर लगभग आधा घंटा लगता है। हालाँकि, कृत्रिम बारिश की सफलता विशिष्ट मौसम संबंधी स्थितियों पर निर्भर करती है, जैसे नमी से भरे बादलों की उपस्थिति और उपयुक्त हवा के पैटर्न का इसमें अहम रोल होता है।

पुतिन ने बढ़ाई पाकिस्तानी सेना की पेरशानी! युक्रेन युद्ध के बहाने रूस ने वापस मांगे अपने हेलीकॉप्टर

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रूस और युक्रेन के बीच एक साल से ज्यादा समय से युद्ध जारी है। युक्रेन के साथ जंग ने रूस को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान पहुंचाया है। खुद खराब आर्थिक हालात का सामना कर रहे रूस ने पाकिस्तान की ओर हाथ बढ़ाया है।दरअसल, रूस ने अपने सैन्य हथियारों को पाकिस्तान से वापस करने की मांग की है। खराब आर्थिक हालत और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए रूस की ये मांग मुश्किल बढ़ा सकती हैं।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की ओर से दावा किया गया है कि रूस अपने सहयोगी देशों बेलारूस, मिस्र, ब्राजील और पाकिस्तान ने पूर्व में सप्लाई किए गए हथियारों व युद्धक विमानों के पुर्जों को वापस मांग लिया है। रूस ने इसके लिए यूक्रेन युद्ध का हवाला दिया है। हालांकि आधिकारिक रूप से किसी भी देश की ओर से इस बारे में अभी कोई बयान जारी नहीं किया गया है।

द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की खबर के अनुसार, रूस ने इस्लामाबाद से हेलीकॉप्टर के इंजन वापस करने को कहा है। ये Mi-35M हेलीकॉप्टर के लिए आवश्यक हिस्से हैं, जिसका यूक्रेन में व्यापक तौर पर रूस इस्तेमाल कर रहा है। माना जा रहा है कि लंबे चलने वाले जंग के मद्देनजर रूस ने ऐहतियाती तौर पर यह कदम उठाया है। हालांकि, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है कि रूस ने पाकिस्तान से यह मांग की है या संपर्क किया है।

बता दें कि, रूस ने बीते साल फरवरी में यूक्रेन पर हमला किया था। फरवरी 2022 से अब तक इस युद्ध को 21 महीने का समय हो गया है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से रूस का यह सबसे बड़ा युद्ध साबित हो रहा है। हालांकि रूस इसे कोई जंग ना कहकर एक सैन्य ऑपरेशन कह रहा है लेकिन इसका प्रभाव पूरे क्षेत्र पर पड़ रहा है। बड़ी तादाद में यूक्रेन के लोगों को देश छोड़ना पड़ा है। वहीं उर्जा संकट और खाने पीने के सामानों की कीमतों पर भी इसका असर हुआ है। इस युद्ध में इस दौरान कई मोड़ आए हैं और अभी भी इसके लंबा खिंचने की बात कही जा रही है। ऐसे में रूस अपने सैन्य संसाधनों को जुटाने में लगा है।

सांसदों-विधायकों पर 5175 मामले, कई 5-5 साल से पेंडिंग, CJI का आदेश- स्पेशल कोर्ट बिठाओ, एक साल में निपटाओ !

सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार (9 नवंबर) को उच्च न्यायालयों को अपने-अपने राज्यों में निर्वाचित पार्षदों - सांसदों और विधायकों - के खिलाफ लंबित मामलों के शीघ्र निपटान के लिए स्वत: संज्ञान कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों को मामलों के निपटारे की निगरानी करने के लिए कहा गया है। शीर्ष अदालत लोक सेवकों और न्यायपालिका के सदस्यों से संबंधित आपराधिक मामलों को "एक वर्ष के भीतर'' निपटाने और और दोषी पाए जाने पर उन्हें विधायी, कार्यकारी और/या न्यायिक निकायों में पद धारण करने से "जीवन भर के लिए" वंचित करने के लिए" विशेष अदालतों की स्थापना की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी। 

जनहित याचिका में उच्च न्यायालयों के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ 5,175 मामले अभी भी लंबित हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत या 2,116 मामले कम से कम पांच वर्षों से खुले हैं। याचिकाकर्ताओं के पहले अनुरोध पर, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने घटनाक्रम की निगरानी के लिए इसे प्रत्येक राज्य (जिसमें मामले की सुनवाई हो रही है) के उच्च न्यायालयों पर छोड़ दिया। अदालत ने कहा कि एक समान दिशानिर्देश तैयार करना मुश्किल होगा। दोषी व्यक्तियों पर चुनावी प्रतिबंध के संबंध में दूसरी सुनवाई जारी रहेगी।

याचिका में कहा गया कि "दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर" कोई स्थगन नहीं दिया जाए और देरी के मामले में जमानत रद्द कर दी जाए। निचली अदालतों ने अब कहा है कि जब तक जरूरी न हो, मामलों को स्थगित न किया जाए। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 2015 के एक फैसले के संदर्भ में की गई थी, जिसमें कहा गया था कि, "मौजूदा सांसदों और विधायकों के संबंध में, जिनके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, मुकदमा तेजी से पूरा किया जाएगा, और, किसी भी स्थिति में, आरोप तय होने की तारीख से एक वर्ष से अधिक देर तक नहीं होनी चाहिए।'

अदालत ने यह भी कहा था कि, " जहां तक संभव हो, सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर हो। यदि, कुछ असाधारण परिस्थितियों के कारण, अदालत एक वर्ष के भीतर सुनवाई समाप्त करने में सक्षम नहीं है। तो वह समय सीमा का पालन न करने के कारणों को दर्शाते हुए संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को रिपोर्ट प्रस्तुत करें।" इससे पहले, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, विभिन्न उच्च न्यायालयों ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या (दिसंबर 2018 और नवंबर 2022 तक) बताई थी।

इन आंकड़ों के मुताबिक, ऐसे लंबित मामलों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में है। 2018 में 992 मामले अनसुलझे थे। पिछले साल यह संख्या 1,377 थी और इनमें से 719 मामले पांच साल से अधिक समय से अनिर्णीत थे। बड़े राज्यों में, इतनी अधिक संख्या वाले अन्य राज्य बिहार हैं; नवंबर तक 546 मामले लंबित थे और 381 पांच साल से अधिक समय से अधर में लटके हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित 100 से अधिक मामलों वाले अन्य राज्यों में महाराष्ट्र (169) और ओडिशा (323) हैं, जबकि तमिलनाडु में 60, कर्नाटक में 61, मध्य प्रदेश में 51 और झारखंड में 72 मामले हैं।