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उत्तरप्रदेश के मथुरा में बीती आधी रात को अचानक पटरी से उतरकर प्लेटफॉर्म पर चढ़ गई ट्रेन, गनीमत रही कि कोई नहीं हुआ हताहत

 उत्तर प्रदेश के मथुरा में पिछली रात रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन पर प्लेटफॉर्म पर चढ़ गई। हालांकि गनीमत रही कि इस के चलते कोई चपेट में नहीं आया। जब ये घटना हुई, उस वक़्त सभी सवारियां ट्रेन से उतर चुकी थीं तथा ट्रेन को बंद कर तय जगह पर खड़ा किया जाना था। उस समय ट्रेन की ब्रेक की जगह एक्सीलेटर दब गया तथा ट्रेन प्लेटफॉर्म पर जा चढ़ी। प्राप्त खबर के मुताबिक, लगभग 10 बजे शटल (लोकल) ट्रेन नई दिल्ली से मथुरा पहुंची थी। यहां सवारियां ट्रेन से उतर चुकी थीं। तत्पश्चात, ट्रेन की शटरिंग (बंद) कर खड़ा करना था। कहा जा रहा है कि चालक को ट्रेन रोकने के लिए ब्रेक लगाने थे, किन्तु एक्सीलेटर दब गया। तत्पश्चात, ट्रेन अवरोधक को तोड़कर स्टेशन के ऊपर चढ़ गई।

वही यह मानवीय भूल थी या टेक्निकल मिस्टेक, अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। इस घटना में किसी के नुकसान होने की खबर नहीं है। इस घटना को लेकर रेलवे प्रशासन का कोई भी अफसर कैमरे के सामने कुछ भी बोलने का तैयार नहीं है। हालांकि, इंजन के हटने के पश्चात् ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। मथुरा रेलवे स्टेशन के निदेशक एसके श्रीवास्तव ने कहा कि 'ट्रेन शकूर बस्ती से आ रही थी। सभी यात्री ट्रेन से उतर गए थे। कुछ बैग इंजन के नीचे नजर आ रहे हैं। स्टेशन निदेशक ने बताया कि प्लेटफॉर्म पर ट्रेन कैसे चढ़ गई, घटना की तहकीकात की जा रही है। घटना के कारण अप-लाइन पर कुछ ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। ट्रेन को प्लेटफॉर्म से हटाने का काम चल रहा है। ट्रेन को हटाने के पश्चात् अप लाइन की गाड़ियों को फिर से आरम्भ किया जाएगा।

वही यह घटना प्लेटफार्म नंबर 2 की है। रेलवे की टीम AMU ट्रेन को प्लेटफार्म से हटाने में जुट गई है। घटना के पश्चात् स्टेशन पर लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई। घटना की खबर प्राप्त होते ही रेलवे के अफसर मौके पर पहुंचे तथा जायजा लिया। रेलवे कर्मचारी व पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। इस मामले को लेकर लोगों का कहना है कि गनीमत रही कि कोई ट्रेन की चपेट में नहीं आया, अन्यथा जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता था।

मणिपुर में फिर बिगड़े हालात! पूरा राज्य घोषित हुआ 'अशांत क्षेत्र', इंटरनेट भी बैन, राज्यपाल के अनुसार अभी और सुरक्षाबलों की है जरूरत

पूर्वोत्तर प्रदेश मणिपुर में एक बार स्थिति बिगड़ गई हैं। सरकार ने पूरे प्रदेश को 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया है। वहीं तनावपूर्ण हालात को देखते हुए इंटरनेट पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। हिंसा की घटनाओं में कमी आने के पश्चात् हाल ही में सरकार ने 23 सितंबर को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी थीं। मणिपुर गृह विभाग की तरफ से आज जारी हुई अधिसूचना के मुताबिक, राज्यपाल की राय है कि विभिन्न चरमपंथी समूहों की हिंसक गतिविधियों के कारण पूरे मणिपुर में नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता है। इनमें इम्फाल, लाम्फेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लामासांग, पाटसोई, वांगोई, पोरोम्पैट, हेइंगांग, लामलाई, इरिलबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरांग, काकचिंग एवं जिरीबाम भी सम्मिलित हैं। हालांकि प्रदेश के 19 पुलिस स्टेशन में शांति है, जिन्हें अशांत क्षेत्र से बाहर रखा गया है।

दरअसल, प्रदेश में दो लापता छात्रों की मौत के पश्चात् हालात फिर तनाव पूर्ण होने लगे हैं। इंफाल शहर और घाटी के दूसरे क्षेत्रों में छात्र उग्र प्रदर्शन पर उतर आए हैं। हिंसा की बड़ी घटनाएं नहीं हुई हैं, मगर स्थिति फिर भी मणिपुर में निरंतर तनावपूर्ण बनी हुई हैं। बुधवार की रात भी इंफाल की सड़कों पर जमकर हंगामा तथा प्रदर्शन हुआ। इंटरनेट सेवाएं बहाल होते ही सोशल मीडिया पर हिंसा की कई वीडियो और ऐसी जानकारियां वायरल होने लगीं, जिनमें सरकार के अनुसार, काफी सारी भ्रामक थीं तथा अफवाहें फैलाने का प्रयास किया जा रहा था। 

मणिपुर से दो लापता छात्रों की तस्वीर तथा उनके मरने की खबर जब सोशल मीडिया पर सामने आई उसके पश्चात् घाटी में स्थिति एक बार फिर खराब हुई। हालात की नजाकत को समझते हुए मणिपुर के विधायकों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस मामले की भी CBI जांच करने की मांग की है। पत्र के तुरंत पश्चात केंद्र सरकार हरकत में आई तथा बृहस्पतिवार की सुबह CBI के बड़े अफसरों के नेतृत्व में पूरी टीम इंफाल की तरफ रवाना हो गई। मणिपुर में हिंसा और यौन हिंसा के कई मामलों की जांच CBI को सौंपी गई है।

गोवा और केरल की तर्ज पर जल्द ही उत्तराखंड पर्यटन पुलिस का होगा गठन, फिलहाल 100 पुलिसकर्मियों को मिलेगी ट्रेनिंग, राज्य के इतिहास भूगोल की रखेगी

 उत्तराखंड में जल्द ही गोवा और केरल की तर्ज पर पर्यटन पुलिस का गठन किया जाएगा। इसके अलावा कुछ और प्रदेशों के पर्यटन पुलिस के ढांचे का अध्ययन भी उत्तराखंड पुलिस कर रही है। इसके बाद शासन को स्थायी पर्यटन पुलिस गठन का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

पर्यटन पुलिस को उन शहरों में स्थायी पोस्टिंग दी जाएगी, जहां वर्षभर पर्यटकों का आना-जाना रहता है। उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश है। यहां पर बहुत से शहर ऐसे हैं जहां पर सालभर पर्यटन और तीर्थाटन के लिए लोग आते हैं। इनसे संवाद स्थापित करने और परेशानियों को दूर करने के लिए पर्यटन पुलिस की जरूरत पर बल दिया जा रहा है।

उत्तराखंड पुलिस कर रही अध्ययन

पिछले साल पर्यटन मंत्रालय की ओर से दिशा-निर्देश जारी हुए थे। इसमें सभी राज्यों को अपने यहां सशक्त पर्यटन पुलिस का गठन करने को कहा गया था। इसके लिए उत्तराखंड पुलिस केरल और गोवा पुलिस के ढांचे का अध्ययन कर रही है।

इसी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी पर्यटन पुलिस का गठन किया जाना है। जल्द ही शासन को पर्यटन पुलिस के ढांचे के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। शासन से मंत्रणा के बाद ही यह तय होगा कि ढांचा कितना बड़ा होगा। पर्यटन पुलिस के लिए अलग से सिलेबस भी तैयार किया जाएगा। पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रेनिंग मोड्यूल भी इसी तरह से तय किया जाएगा कि उससे उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

फिलहाल 100 पुलिसकर्मियों को किया जाता है तैनात

हर साल चारधाम यात्रा में अस्थायी पर्यटन पुलिस चौकियों को स्थापित किया जाता है। इस वर्ष चारधाम यात्रा की शुरुआत में 100 पुलिसकर्मियों को पुलिस लाइन में ट्रेनिंग दी गई थी। पुलिस के इन जवानों को विभिन्न राज्यों की भाषा भी पढ़ाई गई थी। ताकि, दूसरे राज्य के लोगों से संवाद आसानी से स्थापित किया जा सके।

राज्य के इतिहास, भूगोल की जानकारी रखेगी पुलिस

पुलिस केवल पर्यटकों की कानून व्यवस्था के तहत ही मदद नहीं करेगी बल्कि उनकी गाइड की तरह मदद की जाएगी। इसके लिए पुलिसकर्मियों को राज्य के इतिहास, भूगोल की जानकारी भी दी जाएगी। उन्हें यहां के महत्वपूर्ण स्थलों, मंदिरों आदि के बारे में बारीकी से बताया जाएगा।

पुलिस इस वक्त विभिन्न राज्यों की पर्यटन पुलिस ढांचे का अध्ययन कर रही है। ताकि, प्रदेश में एक सशक्त पर्यटन पुलिस बनाई जा सके। फिलहाल पुलिस की ओर से हर साल 100 पुलिसकर्मियों को पर्यटन पुलिस की ट्रेनिंग देकर चारधाम व अन्य महत्वपूर्ण यात्राओं और मेलों में तैनात किया जाता है।

स्वच्छता के बाद अब फिर बजा मध्यप्रदेश के इंदौर शहर का डंका! बना देश का सबसे स्मार्ट शहर, MP बना भारत का बेस्ट स्टेट, राष्ट्रपति से मिला पुरस्कार


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज इंदौर में होने वाली स्मार्ट सिटी की नेशनल काॅफ्रेंस में सम्मिलित होने पहुंची हैं। उन्होंने इंदौर समेत 15 से अधिक शहरों को स्मार्ट सिटी के पुरस्कार वितरित किए। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इंदौर हर दौर में आगे रहने का आदि हो चुका है। इंदौर मालवा का चंदन है। इंदौर सबको दिल से अपनाते हैं। जो आता है, वो यहीं का होकर रह जाता है। सफाई में अनमोल प्रयास इंदौर ने किए। पूरे देश में मिसाल बन चुका है। स्वच्छता का भाव इंदौर के प्रत्येक आदमी में है। इंदौर में स्वच्छता जन आंदोलन का रूप ले चुकी है।

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था प्रत्येक आदमी को अपना सफाई कर्मी होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे अपने आचरण में अपनाया। उन्होंने स्वच्छता को मिशन बनाया। अपने हाथों में झाड़ू उठाई। इंदौर इसका आदर्श उदाहरण है। जब स्वच्छता की भावना गहरे तक पैठ बना लेती है तब कोई शहर इंदौर बनत है।

मध्यप्रदेश ने यदि ये लक्ष्य प्राप्त किए हैं तो जनता के सहयोग से किए है। 1 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने फिर आह्वान किया है। तो एक घंटा स्वच्छता के लिए अवश्य निकालें। राष्ट्रपति ने नेशनल स्मार्ट सिटी अवार्ड में बेस्ट स्मार्ट सिटी का अवॉर्ड इंदौर को दिया। मेयर पुष्य मित्र भार्गव, सांसद शंकर लालवानी ने राष्ट्रपति के हाथों अवॉर्ड लिया। वहीं, दूसरे नम्बर पर सूरत शहर रहा, जबकि तीसरे नंबर पर आगरा रहा। इंदौर को 6 कैटगरी में अवार्ड प्राप्त हुए। ओवरऑल देश में सबसे अधिक पुरस्कार इंदौर ने जीते। बेस्ट स्टेट का खिताब मध्यप्रदेश ने हासिल किया। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार ग्रहण किया। दूसरे नम्बर पर तमिलनाडु, तीसरे नम्बर पर राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश को पुरस्कृत किया गया।

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर को देश के सबसे स्मार्ट शहर का अवार्ड राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रदान किया। वहीं जबलपुर को इकोनॉमिक कैटेगरी में अवॉर्ड प्राप्त हुआ। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रपति को गौंड पेंटिंग भेंट की। स्मार्ट सिटी से जुड़ी तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया। स्मार्ट सिटी अवार्ड 2023 स्पर्धा का ऐलान किया गया। अगले वर्ष 10 जनवरी तक स्मार्ट शहर अपनी प्रविष्टियां भेज सकते है। अगले आयोजन की तिथि 5 अप्रैल 2024 निर्धारित की गई है।

उज्जैन में नाबालिग से दुष्कर्म मामले पर कांग्रेस ने मांगा एक करोड़ मुआवजा, सुरजेवाला बोले- 'महाकाल की नगरी में महापाप. मध्यप्रदेश में गरमाया राज

मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुई मासूम से दरिंदगी के मामले पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है तथा पीड़िता के लिए 1 करोड़ मुआवजे की मांग की है। दरअसल, बड़नगर रोड पर 12 वर्षीय बच्ची पुलिस को घायल अवस्था में मिली थी। उसके कपड़े खून से सने थे तथा पुलिस ने उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया। तत्पश्चात, उसे इंदौर रेफर किया गया तथा चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची के साथ बलात्कार हुआ है। बच्ची पुलिस को अब तक केवल ये बता पाई है कि वो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के पास की रहने वाली है तथा उसकी मां के साथ भी कुछ गलत हुआ है। मगर उसकी मां कहां हैं तथा वो उज्जैन कैसे पहुंची, इस बारे में कुछ भी खबर नहीं मिल पाई है। अब इस मामले पर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए बच्चियों-महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।

कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश बेटियों के लिये सबसे असुरक्षित राज्य बनता जा रहा है। इस सरकार के लिये बेटियों की सुरक्षा सिर्फ विज्ञापन और भाषण का विषय है। उन्होने लिखा है “उज्जैन में एक छोटी बच्ची के साथ अत्यंत क्रूरतापूर्ण दुराचार का मामला देखकर रूह कांप जाती है। 12 वर्ष की बेटी के साथ जिस प्रकार का दुष्कृत्य हुआ तथा जिस प्रकार से वह अर्धनग्न अवस्था में शहर के कई क्षेत्रों में भागती रही तथा फिर बेहोश होकर सड़क पर गिर गई, उससे इंसानियत शर्मसार हो जाती है।

ऐसी जघन्य घटना प्रशासन और समाज के माथे पर कलंक है।

मैं सीएम से जानना चाहता हूं कि क्या आप सिर्फ चुनाव ही लड़ते रहेंगे तथा झूठी घोषणाएं ही करते रहेंगे?

क्या आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनी बेटियों की तस्वीरों से पूरे मध्य प्रदेश के होर्डिंग भर देंगे, किन्तु मासूम बेटियों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देंगे?

जिस बेटी के साथ यह दरिंदगी हुई क्या वह लाडली लक्ष्मी और लाडली बहना नहीं है? मुख्यमंत्री जी उज्जैन में पहले भी दो छोटी बच्चियों के साथ क्रूरतापूर्ण दुष्कृत्य हुआ था। राज्य में ऐसी क्रूर घटनाओं की पुरावृत्ति बताती है कि मध्य प्रदेश में कानून का राज समाप्त हो चुका है। मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री के होते हुए भी मुख्यमंत्री विहीन हो चुका है। अपराधी निरंकुश है और जनता परेशान है।

मैं सीएम से मांग करता हूं कि अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए तथा जाए और पीड़िता को समुचित उपचार के साथ ही एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।”

वहीं रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इस मामले को लेकर भाजपा सरकार पर राज्य को शर्मसार करने का आरोप लगाया है। उन्होने कहा है कि “महाकाल नगरी उज्जैन के महाकाल थाना क्षेत्र में ही बच्ची से दरिंदगी का महापाप ! निकम्मी बीजेपी सरकार में थाने के नज़दीक ही, 12 वर्ष की बच्ची “निर्भया” जैसी हैवानियत का शिकार ! दरिंदगी झेलने के बाद भी खून से लथपथ बच्ची, ढाई घंटे तक अर्धनग्न हालत में सड़कों पर भटकती रही. लेकिन शिवराज सरकार की पुलिस और पूरा सरकारी अमला सोता रहा ! बच्ची ने मां के साथ भी “गलत” होने की बात बताई है, लेकिन पुलिस को अब तक इसका कुछ अता-पता नहीं! दिल दहला देने वाली ये घटना, एक बार फिर मध्य प्रदेश और पूरे देश को शर्मशार करने वाली है! लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में. मध्य प्रदेश को देश में सबसे असुरक्षित बनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज और बीजेपी सरकार के पास. बेटियों के लिए सिर्फ “झूठे वादों” और “फर्जी दावों” के अलावा कुछ नहीं है ! शर्म कीजिए, शिवराज जी !” फिलहाल इस घटना को लेकर पुलिस ने क्षेत्र के CCTV खंगाले हैं तथा तहकीकात जारी है। मगर घटना इतनी जघन्य है जिसने सभी को झकझोर दिया है तथा इसे लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए एक बार फिर महिला अत्याचार का मुद्दा उठाया है।

इराक में भीषण हादसा, शादी समारोह में आग लगने से 100 से अधिक लोगों की मौत, 150 गंभीर रूप से झुलसे, पीड़ितों में दूल्हा दुल्हन भी शामिल

उत्तरी इराक में एक शादी समारोह में आग लगने से कम से कम 100 से अधिक लोगों की मौत और 150 अन्य घायल हो गए। स्थानीय मीडिया के अनुसार, पीड़ितों में दूल्हा और दुल्हन भी शामिल बताए जा रहे है। बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक यह आग इराक के उत्तरी निनेवेह प्रांत के अल-हमदानिया जिले में मंगलवार देर शाम को लगी। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि आग किस कारण लगी, लेकिन शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया है कि आतिशबाजी जलाने के बाद आग लगी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, निनेवेह के डिप्टी गवर्नर हसन अल-अल्लाक ने कहा कि मरने वालों की संख्या 113 है।

इराकी समाचार एजेंसी नीना द्वारा पोस्ट की गई एक तस्वीर में अग्निशामकों को आग को काबू में करने की कोशिश करते हुए देखा जा सकता है और सोशल मीडिया पर स्थानीय पत्रकारों की तस्वीरों में इवेंट हॉल के जले हुए अवशेष दिखाई दे रहे हैं। माना जा रहा है कि इमारत में ज्वलनशील पैनलों ने आग भड़काने में मदद की होगी, जिससे आयोजन स्थल की छत ढह गई।

इराक के नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने कहा, अत्यधिक ज्वलनशील, कम लागत वाली निर्माण सामग्री के उपयोग के परिणामस्वरूप आग लगने से हॉल के कुछ हिस्से ढह गए, जो आग लगने पर कुछ ही मिनटों में ढहे।

जब आग लगी तो सैंकड़ो लोग मना रहे थे जश्न 

रॉयटर्स के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि जब स्थानीय समयानुसार लगभग 10:45 बजे (19:45 GMT) इमारत में आग लगी तो सैकड़ों लोग वहां जश्न मना रहे थे। 34 वर्षीय इमाद योहाना, जो बच निकले, ने कहा, ‘हमने देखा कि आग हॉल से बाहर आ रही थी। जो लोग संभल गए वे बाहर निकल गए और जो नहीं वे फंस गए।

बड़ी संख्या में लोग रक्तदान के लिए अस्पताल पहुंचे

 आधिकारिक बयानों के अनुसार, घटनास्थल पर एम्बुलेंस और मेडिकल टीम भेजी गई हैं। इराक के प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वे ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए सभी प्रयास करें। उनके कार्यालय ने एक्स पर एक पोस्ट में यह बात कही। क्षेत्र की राजधानी मोसुल के पूर्व में स्थित कस्बे हमदानियाह के मुख्य अस्पताल में दर्जनों लोग घायलों की मदद के लिए रक्तदान करने पहुंचे।

क्षेत्र के गवर्नर ने आईएनए को बताया कि घायलों को निनेवे क्षेत्र के अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मौतों और घायलों की संख्या निश्चित नहीं है और बढ़ सकती है।

अफगानिस्तान के रास्ते भारत से भागकर पाकिस्तान भागे पिता-पुत्र, धार्मिक उत्पीड़न का लगाया आरोप

#fatherandsonreachedpakistanfromindia

भारतीय महिला अंजू के बाद अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश करने का एक और मामला सामने आया है। हालांकि, ये मामला सीमा हैदर या अंजू की तरह प्यार-मोहब्बत का नहीं है। ये मामला काफी गंभीर है, जहां भारत से भागकर पाकिस्तान पहुंचे पिता-पुत्र ने धार्मिक तौर पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।दोनों कथित धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए नई दिल्ली में अपना घर छोड़कर भाग आए हैं। बता दें यह पिता पुत्र अवैध रुप से अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में दाखिल हुए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिता मोहम्मद हसनैन (70) और बेटा इशाक अमीर (31) ने बलूचिस्तान प्रांत के चमन में पाकिस्तान-अफगान सीमा के रास्ते अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश किया।यह लोग वर्तमान में कराची में ईधी वेलफेयर ट्रस्ट के आश्रय गृह में रह रहे हैं। यह लोग लगभग 14 दिन पहले दिल्ली से कराची पहुंचे थे। हसनैन ने कहा कि अगर पाकिस्तानी अधिकारी हमें जेल में डाल देंगे, तो हम इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम बिना कानूनी दस्तावेजों के पाकिस्तान आए हैं, लेकिन हम शरण लेने का प्रयास करेंगे।

ऐसे किया भारत से पाक तक का सफऱ

बताया जा रहा है कि हसनैन और अमीर नई दिल्ली के गौतमपुरी इलाके के रहने वाले हैं। दोनों ने आरोप लगाया है कि उन्हें लंबे समय तक प्रताड़ना और धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उत्पीड़न के चलते दोनों ने पाकिस्तान भागने का फैसला किया।हसनैन ने कहा, हमें कराची पहुंचने में 14 दिन लगे, जहां हम पुलिस स्टेशन गए और सरेंडर कर दिया। दोनों 5 सितंबर को नई दिल्ली से दुबई के लिए रवाना हुए थे, जहां उन्हें अफगानिस्तान के दूतावास से वीजा मिला। उन्होंने कहा, हमें वीजा मिला और हम काबुल के लिए रवाना हुए, जहां से हम सड़क मार्ग से कंधार गए और वहां से हम चमन बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान में दाखिल हुए।दोनों एक अफगान एजेंट की मदद से बॉर्डर पार करने में सफल रहे और बाद में उन्होंने टैक्सी ड्राइवर को कराची ले जाने के लिए 60,000 रुपये दिए।

पाक पुलिस ने माना धार्मिक पूर्वाग्रह और उत्पीड़न का शिकार

कराची के पुलिस उप महानिरीक्षक (दक्षिण) असद रजा ने कहा कि दोनों पर जासूस होने का संदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें धार्मिक पूर्वाग्रह और उत्पीड़न का शिकार माना गया है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

हो जाएं सावधान! आ रही एक और महामारी, कोरोना से 7 गुना खतरा, ले सकता है 50 मिलियन लोगों की जान

#whatisdiseasexandismoredangerousthancovid19

आज भी लोगों ने कोरोना महामारी के उस दौरान को नहीं भूला है, जब पूरी दुनिया थम गई थी। एक शहर से निकले वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था और लाखों जीवन काल के गाल में समा गए। सुकून है कि अब कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप खत्म हो गया है। हालांकि, अब दुनिया के सामने एक नया संकट पैदा हो गया है।कोरोना महामारी के बाद एक और नई संभावित बीमारी का खतरा बढ़ गया है।वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने इस एंटीसिपेटेड महामारी को डिसीज “X“नाम दिया है।

महामारी 5 करोड़ लोगों की जान ले सकती है

ब्रिटेन की वैक्सीन टास्कफोर्स के चीफ डेम केट बिंघम का कहना है कि अगली महामारी 5 करोड़ लोगों की जान ले सकती है।डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह महामारी कोविड-19 से 7 गुना ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है और जल्द ही फैल सकती है। यानी इसके मामले जल्द सामने आ सकते हैं। यह महामारी मौजूदा वायरस की वजह से ही फैलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वायरस तेजी से म्यूटेट हो रहे हैं।

म्यूटेशन का मतलब होता है कि किसी जीव के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव। जब कोई वायरस खुद की लाखों कॉपी बनाता है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक या जानवर से इंसान में जाता है तो हर कॉपी अलग होती है। कॉपी में यह अंतर बढ़ता जाता है।कुछ समय बाद एक नया स्ट्रेन सामने आता है। यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। वायरस अपना रूप बदलते रहते हैं। सीजनल इन्फ्लूएंजा तो हर साल नए रूप में सामने आता है।

5 करोड़ लोगों की जान ले सकता है आने वाला वायरस

यूके वैक्सीन टास्कफोर्स के अध्यक्ष रह चुकी हेल्थ एक्सपर्ट केट बिंघम ने डेली मेल को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया है कि डिजीज एक्स स्पेनिश फ्लू जितना विनाशकारी हो सकता है।1918-1920 में स्पैनिश फ्लू से दुनिया भर में 5 करोड़ लोगों की जान गई थी और डिसीज एक्स के कारण भी इतनी ही मौतों की आशंका जताई जा सकती है।

मृत्यु दर लगभग 67 प्रतिशत होने की आशंका

केट बिंघम ने कहा, कोविड-19 के मामले में एक तरह से हम भाग्यशाली रहे। इसके कारण दुनिया भर में 20 मिलियन या अधिक मौतें हुईं। अच्छी बात यह है कि वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग ठीक होने में कामयाब रहे। डिजीज एक्स की कल्पना करें तो इसकी इबोला की मृत्यु दर (लगभग 67 प्रतिशत) जितनी ही संक्रामक है। दुनिया में कहीं न कहीं इसकी पुनरावृत्ति हो रही है और देर-सबेर कोई न कोई बीमार महसूस करने लगेगा।

जंगली या घरेलू जानवरों से इंसान हो सकते हैं संक्रमित

स्वास्थ्य विशेषज्ञ केट बिंघम ने जानवरों से मनुष्यों में वायरस के फैलने पर भी प्रकाश डाला है। अनुमान है कि डिजीज एक्स किसी वायरस, बैक्टीरिया या फंगस से फैल सकता है। दुखद यह इसके लिए कोई टीका या उपचार नहीं है, जैसा कि कोरोना वायरस का नहीं था। कुछ एक्सपर्ट मान रहे हैं कि डिजीज एक्स जूनोटिक होगा यानी यह जंगली या घरेलू जानवरों में पैदा होगा और फिर इंसानों को संक्रमित करेगा। इबोला, एचआईवी/एड्स और कोविड-19 जूनोटिक प्रकोप थे।

पांच महीने पहले ही डब्ल्यूएचओ ने दी थी चेतावनी

डब्ल्यूएचओ पांच महीने पहले ही डिजीज एक्स को लेकर चेतावनी दे चुका है। इसे डिजीज का नाम डब्ल्यूएचओ ने ही दिया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, डिजीज एक्स एक नया एजेंट हो सकता है, यह एक वायरस, एक बैक्टीरिया या फंगस हो सकता है। चिंता की बात यह है कि फिलहाल इसका कोई इलाज दुनिया में नहीं होगा। डब्ल्यूएचओ चीफ डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने मई में जिनेवा में हुई वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की मीटिंग में डिजीज एक्स को लेकर चेतावनी दी थी। टेड्रोस ने कहा था कि दुनिया में एक और महामारी कभी भी आ सकती है जिससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो सकती है। इसका सामना करने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होकर तैयार रहना चाहिए।

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब तारों पर इसरो की नजर, एस सोमनाथ ने बताई आगे की प्लानिंग

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान 3 की सफलता और सूर्य का अध्ययन करने वाले आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग के बाद तारों का रहस्य से पर्दा हटाने की तैयारी में है। इसरो ने ऐसे तारों के रहस्य सामने लाने की योजना बनाई है जिन पर पर्यावरण होने की बात कही जाती है या फिर जो सौरमंडल से बाहर स्थित हैं।यह जानकारी इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने मंगलवार को दी।

दिसंबर में हो रही लॉन्च की तैयारी

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इनसा) के तत्वावधान में एक व्याख्यान देते हुए सोमनाथ ने कहा कि एजेंसी शुक्र ग्रह (वीनस) के अध्ययन के लिए एक मिशन भेजने और अंतरिक्ष के जलवायु तथा पृथ्वी पर उसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए दो उपग्रह भेजने की योजना भी बना रही है। उन्होंने कहा कि एक्सपोसैट या एक्स-रे पोलरीमीटर सैटेलाइट इस साल दिसंबर में प्रक्षेपण के लिए तैयार है जो समाप्त होने की प्रक्रिया से गुजर रहे तारों का अध्ययन करने के लिए है।

सौरमंडल से बाहर के ग्रहों और तारों का अध्ययन

सोमनाथ के मुताबिक, हम एक्सोवर्ल्ड्स नामक एक उपग्रह की अवधारणा पर भी विचार कर रहे हैं जो हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रहों और अन्य तारों का चक्कर लगा रहे ग्रहों का अध्ययन करेगा।उन्होंने कहा कि सौरमंडल के बाहर 5,000 से अधिक ज्ञात ग्रह हैं जिनमें से कम से कम 100 पर पर्यावरण होने की बात मानी जाती है। सोमनाथ ने कहा कि मंगल पर एक अंतरिक्षयान उतारने की योजना अवधारणा के स्तर पर है।

भारत में रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले 95% कलपुर्जे घरेलू

इस दौरान इसरो चीफ ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के रॉकेट में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग 95 फीसदी सामग्री, उपकरण और प्रणालियां घरेलू स्रोत से प्राप्त होती हैं। केवल पांच फीसदी विदेश से मंगवाई जाती हैं। इनमें मुख्य रूप से उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक घटक शामिल हैं। उन्होंने कहा, यह उपलब्धि राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, रक्षा प्रयोगशालाओं और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं सहित विभिन्न भारतीय प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग का परिणाम है, जो सामग्री के स्वदेशीकरण, प्रौद्योगिकी क्षमताओं और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

पीएम मोदी ने गुजरात में सीएम रहते हुए दिनों को किया याद, बोले-हमने एक छोटा सा बीज बोया था, आज वो विशाल वटवृक्ष बन गया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उन दिनो को याद किया जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे।पीएम मोदी ने आज को अहमदाबाद की साइंस सिटी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के 20 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।पीएम मोदी ने वाइव्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का उद्घाटन करते हुए कहा कि उन्होंने एक बीज बोया था जो अब वटवृक्ष बन गया है।

पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, गुजरात ने कई संकट झेले है, गुजरात ने भूकंप और अकाल का संकट झेला है, गुजरात ने आर्थिक संकट भी झेला है।उस समय मैं पहली बार विधायक बना था मेरे लिए सब नया था लेकिन चुनौती बड़ी थी। इस बीच गोदरा की घटना हुई लेकिन मेरा गुजरात पर अपने लोगों पर अटूट भरोसा था। हालांकि जो लोग एजेंडा लेकर चलते हैं वो लोग घाटना का विश्लेषण करने पर जुट गए थे। हमारे संकट में भी मैंने प्रण लिया गुजरात को इसे बाहर निकाल कर रहूंगा।आज मैं एक बात और याद दिलाना चाहता हूं। आज दुनिया जीवंत गुजरात की सफलता देख रही है।

ये सिर्फ ब्रांडिंग नहीं बॉन्डिंग है-पीएम मोदी

समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मुझे याद है बरसों पहले मैंने एक बार कहा था कि वाइब्रेंट गुजरात ये सिर्फ ब्रांडिंग का आयोजन भर नहीं है बल्कि इससे बढ़कर यह बॉन्डिंग का आयोजन है। दुनिया के लिए ये सफल समिट एक ब्रांड हो सकती है लेकिन मेरे लिए यह एक मजबूत बॉन्ड का प्रतीक है। 20 साल पहले हमने एक बीज बोया था, जो आज बड़ा एक विशाल और वृहद वाइब्रेंट वटवृक्ष बन गया है।

लोग पहले उपहास करते हैं, फिर विरोध करते हैं, फिर स्वीकार कर लेते हैं-पीएम मोदी

स्वामी विवेकानंद जी की बातों को दोहराते हुए उन्होंने कहा था कि हर काम को तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। पहले लोग उसका उपहास उड़ाते हैं, फिर उसका विरोध करते हैं फिर उसे स्वीकार कर लेते हैं। खासकर तब जब वो आइडिया उस समय से आगे का हो।

पूर्व की केन्द्र सरकार को कोसा

एक बार फिर पीएम मोदी कांग्रेस पर निशाना साधने से नहीं चूके। उन्होंने कहा, जो लोग पहले केंद्र सरकार चलाते थे वे गुजरात के विकास को राजनीति से जोड़ते थे। तत्कालीन केंद्र सरकार के मंत्री वाइब्रेंट गुजरात में आने से इनकार करते थे। वे विदेशी निवेशकों को धमकाते थे और उन्हें रोकने की कोशिश करते थे। मैंने गुजरात को निराशा से निकाला और अब दुनिया गुजरात की सफलता देख रही है।