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*साल दर साल तबाह हो रहा हिमाचल प्रदेश, केवल कुदरत का कहर या मानवीय चूक भी इसके लिए जिम्मेदार?

#himachal_cause_of_disaster

पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश से हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही हो रही है।पिछले दो महीने से राज्य के किसी न किसी क्षेत्र में बादल फट जाने की घटना हो जाती है।बारिश के साथ-साथ बादल फटने की घटनाएं भयानक तबाही मचा रही हैं। इसके अलावा भूस्खलन से पहाड़ टूट रहे हैं, जिसके कारण मंडी, शिमला, कुल्लू और अन्य क्षेत्रों में हालात काफी बिगड़े हुए हैं।हिमाचल प्रदेश में इस हफ्ते हुई तबाही में अब तक कम से कम 70 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 7500 करोड़ का अभी तक नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

दस साल पहले 2013 में केदार नाथ हादसा हुआ था, जिससे पूरा गढ़वाल क्षेत्र चौपट हो गया था। उस समय चूंकि चार धाम यात्रा भी चल रही थी, इसलिए कोई दस हजार के करीब तीर्थ यात्री मारे गये थे।यही अब हिमाचल में हो रहा है। जुलाई में मंडी के आसपास का इलाका नष्ट हुआ था और अगस्त की बारिश ने राजधानी शिमला को ध्वस्त कर दिया।

इन हालात में तबाही के लिए पूरी तरह कुदरत को दोष देना सही नहीं है। कहीं न कही मानवीय चूक भी इसके लिए जिम्मेदार है।हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में इस हफ्ते हुई तबाही के लिए अंधाधुंध निर्माण कार्य को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि बिना नक्शे के गलत तरीके से बन रहे मकान और प्रवासी वास्तुकारों के कारण प्रदेश को आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोग बिना नक्शे का उपयोग किए घर बना रहे हैं। हाल ही में बनी इमारतों में जल निकासी की व्यवस्था बहुत खराब है। वो बिना यह जाने पानी बहा रहे हैं कि पानी कहीं और नहीं बल्कि पहाड़ियों में जा रहा है, जिससे यहां की स्थिति नाजुक हो रही है।राजधानी शिमला पर टिप्णणी करते हुए सीएम ने कहा, शिमला डेढ़ सदी से भी अधिक पुराना शहर है और इसकी जल निकासी व्यवस्था उत्कृष्ट थी। लेकिन अब नालों पर इमारतें बन गई हैं।आजकल जो मकान गिर रहे हैं, वो स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के मानकों से नहीं गुजरे हैं।

शिमला तो ब्रिटिश कालीन भारत की समर कैपिटल हुआ करती थी। गर्मियां शुरू होते ही वायसरॉय कलकत्ता से शिमला आ जाया करते। कालका एक्सप्रेस ट्रेन चलाई ही इसीलिए गई थी। हावड़ा से वाया दिल्ली कालका और फिर टॉय ट्रेन से शिमला।इतना करने के बाद भी ब्रिटिशर्स ने किसी भी पहाड़ी शहर का प्राकृतिक दोहन नहीं किया। क्योंकि उन्हें पता था, कि हिमालय के पहाड़ कच्चे हैं। उनका व्यावसायिक इस्तेमाल किया तो वे ढह जाएंगे। यही कारण है कि जब तक अंग्रेज रहे न यहां कभी बादल फटा न आफत की बारिश आई।

आजादी के बाद से भारत की हर चीजों को लूटने का सिलसिला शुरू हुआ। तो वहीं विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ का भी सिलसिला शुरू हो गया। आज हिमाचल की स्थिति बहुत ख़राब हो चली है। कालका-शिमला रोड को चौड़ा करने के पहले भी कई बार आगाह किया गया था, कि यहां पहाड़ों का खनन ठीक नहीं है। पर तब सरकार नहीं चेती। कालका से शिमला जाते हुए धर्मपुर को इतना व्यावसायिक स्वरूप दे दिया गया है, कि पूरा क्षेत्र बर्बादी के कगार पर है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के एक 2017 में हुए एक शोध से पता चला था कि हिमाचल प्रदेश में कुल 118 हाइड्रो प्रोजेक्ट हैं जिनमें से 67 पहाड़ खिसकने वाले ज़ोन में हैं। राज्य के आदिवासी बहुल ज़िले किन्नौर, कुल्ली और कई अलग हिस्सों में जब हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाये जा रहे थे तब पर्यावरणविदों और प्रभावित स्थानीय नागरिकों ने उनका विरोध भी किया था और कई जन अभियान भी चले थे। हिमालय के पहाड़ अभी छोटे बच्चे की तरह हैं, जो निरंतर बढ़ रहे हैं। माउंट एवरेस्ट की हाइट भी हर साल एक सेंटीमीटर से ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे हिमालय में अवैज्ञानिक व अंधाधुंध कटिंग तबाही का बड़ा कारण है।

दिल्ली से पटना पहुंचे सीएम नीतीश कुमार, बीजेपी और प्रशांत किशोर के बयान का दिया यह जवाब

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली दौरे के बाद आज गुरुवार को पटना वापस आ गए। पटना पहुंचकर सीएम ने कहा कि, हम तो दिल्ली अपने निजी कामों को लेकर गए थे। कल डॉक्टर से बात भी हुई थी, चेकअप भी करना था। दो साल पहले जांच हुआ था। फिर करवाना था। इसी के लिए गए थे। 

वहीं सीएम ने कहा कि, कल अटल जी का जंयती भी था। तो वह सदैव अटल पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि भी दिए। नीतीश कुमार ने कहा कि अटल जी से पुराना संबंध रहा है मेरा। बहुत मानते थे हमको। इतना अच्छा काम करते थे,कभी वो रिश्ता हम नही भूल सकते ।

नीतीश कुमार ने कहा कि, अटल जी के समय में ही भाजपा का नामकरण हुआ। एनडीए नाम रखा गया। कितना अच्छा नाम हैं। 1999 में एनडीए का नामकरण हुआ। तब बहुत मिटिंग होता था। लेकिन जब हम साथ थे तो कभी मिटिंग नही हुआ। लेकिन अब जब I.N.D.I.A की बैठक हो रही है तो एनडीए का मीटिंग होने लगा है। इसी महीने 31, 1 को हमारी फिर मिटिंग होने ही वाली है। 

वहीं भाजपा के बयान सीएम दिल्ली I.N.D.I.A गठबंधन के लोगों से मिलने गए थे लेकिन उन्हें किसी ने टाइम नहीं दिया। जिससे वह वापस आ गए। इसपर सीएम ने कहा कि, किसी से मुलाकात का कोई प्लान नहीं था। वो लोग ऐसे ही बोल रहा है,कोई मतलब ही नहीं है। हमारी बातचीत तो होते ही रहती है।इसी महीने मीटिंग होने ही वाली है। कई विरोधी दल का गठबंधन हुआ तब से ये लोग परेशान है, और कुछ भी बोल रहे हैं। दिल्ली में किसी से बातचीत का कोई प्लान नहीं था,मेरा खुद का समस्या था आंख दिखाना था।

वहीं प्रशांत किशोर और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के बयान पर सीएम बोले की वो क्या बोलता है नही पता आप लोग जनता से पूछिए। संजय जयसवाल के बयान पर सीएम ने कहा कि, यहां कोई अपराधिक घटना नहीं हो रहा है। अपराधिक घटनाएं बहुत कम है। बिना मतलब का सब बोलते रहता है। मीडिया पर सब कब्जा कर लिया है। 2024 वाली लड़ाई देश के हित में होगा।

नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर तंज, कहा-नाम नहीं, कर्म उनकी पहचान

#rahul_gandhi_attacks_modi_governemnt_on_nehru_memorial_name_change

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदल दिया गया है। केंद्र सरकार के इस पैसले के बाद अब इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदलने पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जब राहुल गांधी से इस पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं।

दो साल की सजा पर रोक लगने के बाद राहुल गांधी को सांसदी वापस मिली थी, जिसके बाद से ही वह आक्रामक रवैया अपना रहे हैं और लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।दो दिनों के लेह-लद्दाख की यात्रा पर रवाना होने से पहले पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं।

बता दें कि केंद्र शासित बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार लद्दाख के दौरे में राहुल गांधी लेह और कारगिल जाएंगे। इस दौरान वे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे।कारगिल में अगले महीने हिल काउंसिल के चुनाव होने हैं। इस वजह से राहुल की यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे वहां पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे। कारगिल हिल काउंसिल के चुनाव के लिए कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है।

राहुल गांधी से पहले भी कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मसले को लेकर वार-पलटवार चल रहा है। इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नाम बदलना सरकार के ओछेपन को दिखाता है, पीएम मोदी डर और असुरक्षा से भरे नज़र आते हैं। मौजूदा सरकार का एकमात्र एजेंडा नेहरू और उनकी विरासत को गलत ठहराना और बदनाम करना ही है। लेकिन इन हमलों के बाद भी नेहरू की विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।

स्वतंत्रतता दिवस के मौके पर नई दिल्ली के तीन मूर्ति परिसर स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम का नाम बदलकर पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (पीएमएमएल) कर दिया गया।भले ही स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदल दिया गया हो लेकिन इसका औपचारिक ऐलान जून के महीने में ही कर दिया गया था।अब इसे औपचारिक रूप दे दिया गया है। इस बारे में 15 जून 2023 को राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया था।

इसरो की बड़ी कामयाबी, चंद्रयान 3 से अलग होकर चांद की ओर निकला लैंडर विक्रम, 23 अगस्त को करेगा लैंड

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इसरो को बड़ी सफलता हासिल हुई है। चंद्रयान-3 ने लैंडिंग से पहले अपने अहम पड़ाव को पार कर लिया है।मिशन को आगे बढ़ाते हुए प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर अलग हो गया है। इसके बाद अब लैंडर चांद तक अकेले ही सफ़र करेगा, जहां वह 23 अगस्त को दक्षिणी हिस्से पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।ये 23 अगस्त को शाम 5.25 बजे लैंड करेगा। अगर यह लैंडिंग सफल हो जाती है तो भारत चांद के दक्षिणी हिस्से पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला केवल चौथा देश होगा।

प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब लैंडर चांद की कक्षा में पहुंच गया है। यहां वह 23 अगस्त तक चक्कर लगाएगा। इस दौरान इसकी स्पीड को कम कर दिया जाएगा। इसके बाद उसे चांद की सतह पर लैंड कराया जाएगा। इस दौरान प्रोपल्शन मॉड्यूल रिले सैटेलाइट के रूप में परिवर्तित हो जाएगा। यह चांद की कक्षा के बाहर ही रहेगा और यही चक्कर लगाएगा। 

लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट काफी अहम

अभी जो प्रक्रियाएं हो रही हैं या होने वाली हैं ये चंद्रयान-2 के समय भी सफलतापूर्वक की गई थीं। उस समय भी लैंडर अलग होकर चांद की तरफ बढ़ा था लेकिन 2.1 किमी की दूरी बाकी थी तब स्पीड नियंत्रित नहीं हो पाई और क्रैश लैंडिंग हो गई थी। जब लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट होंगे तो खौफ का समय होगा।दरअसल, जब यान चांद के 100x100 ऑर्बिट में होगा तो लैंडर प्रॉपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाता है। अगला पड़ाव तब आएगा जब लैंडर चांद से 30 किमी की दूरी पर पहुंचेगा। वहां से उसके चांद की सतह पर नीचे उतरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस दौरान उसकी स्पीड कम करने की कोशिश की जाएगी। जब स्पीड हो जाएगी, उसके बाद धीरे-धीरे लैंडर को चांद की ओर भेजा जाएगा और सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी।

चंद्रयान3 के धरती से चांद तक पहुंचने के अहम चरण

14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से रवाना होने के बाद चंद्रयान-3 ने तीन हफ्तों में कई चरणों को पार किया। पांच अगस्त को पहली बार चांद की कक्षा में दाखिल हुआ था। इसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रयान-3 ने अलग-अलग चरण में प्रवेश किया।चंद्रयान3 के धरती से चांद तक पहुंचने के अहम चरणः-

-14 जुलाई 2023: इसरो ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया. इसी दिन एलवीएम3 एम4 ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद की यात्रा को शुरू करवाया।

-25 जुलाई 2023: लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 ने 4 अलग-अलग मैन्युवर पूरे किए और पृथ्वी की कक्षा को पीछे छोड़ा. इस दौरान चंद्रयान-3 को बड़े-बड़े धक्के दिए गए और उसे पृथ्वी की कक्षा से बाहर की ओर धकेला गया।

-1 अगस्त 2023: ये तारीख काफी अहम थी, क्योंकि इस दिन चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर हुआ और चांद की कक्षा की ओर बढ़ा. यहां चंद्रयान-3 की दूरी 288*369328 किमी. थी।

-5 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 ने यहां चांद की कक्षा में प्रवेश किया, ये पूरी तरह सफलता पूर्वक हुआ और चांद की कक्षा में अलग-अलग चरणों की शुरुआत हुई।

-9 अगस्त 2023: यहां से अलग-अलग मैन्युवर को परफॉर्म किया गया, यानी चरण दर चरण चंद्रयान-3 को चांद के करीब धकेलने और उसका वजन कम करने का काम किया गया।

-16 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 ने अपना आखिरी मैन्युवर पूरा किया. अलग-अलग प्रक्रियाओं के बाद यह सबसे अंतिम मैन्युवर था, जिसके बाद अब पूरी कोशिश सफल लैंडिंग कराने की होगी।

-17 अगस्त 2023: लैंडिंग से जुड़ी अहम प्रक्रिया यहां शुरू होगी, प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल यहां से अलग-अलग होगा. लैंडर यहां से चांद की ओर बढ़ेगा और फिर सॉफ्ट लैंडिंग के अलग-अलग चरण पूरे होंगे।

ईडी तय करती है कौन किस पार्टी में जाएगा और कौन मंत्री बनेग”, शरद पवार के इन आरोपों को संजय राउत ने बताया बेहद गंभीर

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मुंबई में शिवसेना यूबीटी (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर एक बार फिर करारा हमला बोला है। संजय राउत ने कहा है कि चुनाव आयोग और सभी केंद्रीय एजेंसियों का इस मोदी सरकार में जमकर दुरुपयोग हो रहा है।

 संजय राउत ने शरद पवार ने ईडी के इस्तेमाल को लेकर दिए गए बयान का हवाला देते हुए निशाना साधा। संजय राउत ने यह भी कहा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उन्हें बताया है कि केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी तय करती है कि कौन किस पार्टी में जाएगा? कौन मंत्री बनेगा यह भी ईडी तय करती है। यह पवार साहब का बहुत गंभीर बयान है।

संजय राउत ने पत्रकारों ने बातचीत में कहा- शरद पवार ने कल बताया कि कैसे शिवसेना को तोड़ा गया और पार्टी का चिन्ह और नाम भी उन्हें दे दिया गया। अब एनसीपी के साथ भी ठीक उसी तरह से हो सकता है। संजय राउत ने कहा कि चुनाव आयोग का अब यही काम रह गया है और इसी शर्त पर पार्टियां तोड़ी जा रही हैं।

संजय राउत ने कहा कि जिस पार्टी को बालासाहेब ठाकरे ने बनाया उस पार्टी का अधिकार आपने (चुनाव आयोग) किसी और (शिन्दे) को दे दिया। अब जिस एनसीपी को शरद पवार ने बनाया, उनके रहते उसका अधिकार आप किसी और को दे रहे हो। यह कौन सा न्याय या कानून है? जिस पार्टी को बालासाहेब ने बनाया उनके बेटे उद्धव के रहते वो पार्टी किसी ऐरे-ग़ैरे (शिंदे) को दे रहे हैं।

संजय राउत ने कहा कि शरद पवार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनके रहते उनके सामने उनकी ही पार्टी किसी और को सौंप रहे हैं। यह इस देश में हो रहा है। चुनाव आयोग समेत सभी सेंट्रल एंजेसियों का मिसयूज किया जा रहा है। 

बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले शरद पवार को लेकर भी राज्य की राजनीति में भूचाल मचा हुआ है। क्या शरद पवार महाविकास अघाड़ी को बाय-बाय कहने वाले हैं? क्या वो बीजेपी में जाने वाले हैं? चाचा-भतीजे के बीच आखिर क्या खिचड़ी पक रही है? इसे लेकर I.N.D.I.A. गठबंधन में हलटल मची हुई है।

गुलाम नबी आजाद का बड़ा बयान, कहा-हिंदू धर्म इस्लाम से पुराना, सभी मुसलमान पहले हिंदू ही थे

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वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उन्होंने इस्लाम और कश्मीर को लेकर बड़ा बयान दिया है।इस वीडियो में गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर के लोगों से कह रहे हैं कि हिंदू धर्म इस्लाम से पुराना है और सभी मुसलमान पहले हिंदू ही थे।

कश्मीर के सभी लोग हिंदू धर्म से कन्वर्टेड-आजाद

ये वीडियो जम्मू कश्मीर के डोडा में एक पब्लिक मीटिंग का है। गुलाम नबी आजाद 9 अगस्त को यहां भाषण देने पहुंचे थे। इस दौरान गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि कश्मीर के सभी लोग हिंदू धर्म से कन्वर्ट होकर मुस्लिम बने हैं। आजाद ने कहा कि बाहर से चंद लोग ही आए होंगे, बाकी सब हिंदू ही हैं। खासकर कश्मीर के मामले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में तो आज से 600 साल पहले कोई मुसलमान नहीं था। यहां केवल कश्मीरी पंडित थे, सब कन्वर्ट होकर मुसलमान बन गए। गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि हम बाहर से नहीं आए हैं, हम इसी मिट्टी की पैदावार हैं हमें इसी मिट्टी में खत्म होना है।

भारत के मुसलमान मूल रूप से हिंदू थे-आजाद

वीडियो में आजाद यह कहते हुए नजर आ रहे हैं, इस्लाम का जन्म 1500 साल पहले हुआ। भारत में कोई भी बाहरी नहीं है। हम सभी इस देश के हैं। भारत के मुसलमान मूल रूप से हिंदू थे। जो बाद में कनवर्ट हो गए।वीडियो में आजाद कहते हैं, हमने हिंदू-मुसलमान मिल के राज्य को ब्राह्मण, दलित, कश्मीरी को जब मिल के सबने इस घर को बनाना है, ये हमारा घर है, यहां कोई बाहर से नहीं आया। यही इसी मिट्टी की पैदावार, इसी मिट्टी में खत्म होना है। 

भाईचारा, शांति और एकता बनाए रखने का आग्रह

इस दौरान आजाद ने लोगों से भाईचारा, शांति और एकता बनाए रखने का आग्रह करते हुए कहा, ‘धर्म को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। लोगों को धर्म के नाम पर वोट नहीं देना चाहिए।

पिछले साल बनाई थी नई पार्टी

बता दें कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाते थे। वह लंबे समय तक कांग्रेस में बड़े ओहदों पर रहे। केंद्र सरकार में मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाली। गुलाम नबी जम्मू-कश्मीर के सीएम और राज्यसभा सांसद भी रहे। गुलाम नबी के राज्यसभा से रिटायर होते वक्त उनकी तारीफ करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी भावुक तक हो गए थे। पिछले साल अगस्त में उन्होंने कांग्रेस छोड़ अपनी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बना ली थी।

चीन ने अमेरिका को दिखाई आंख, ताइवान मुद्दे पर आग से ना खेलने के लिए किया आगाह

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ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तल्खियां लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई ने अमेरिका का दौरा किया था। इसे लेकर चीन नाराज है और वह लगातार अमेरिका के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है।अब चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अमेरिका को आगाह किया है।चीन के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर चेतावनी देते हुए कहा कि ताइवान को लेकर आप आग से खेल रहे हैं।

ताइवान आंतरिक मामला, बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं- ली शांगफू

चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने रूस की धरती से अमेरिका और ताइवान को चेतावनी दी गई है।दरअसल, ली शांगफू ने रूस के मॉस्को में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में कहा कि ताइवान का इस्तेमाल करके चीन को काबू करने की कोई भी कोशिश विफल होगी। ली शांगफू ने ये भी कहा कि ताइवान का चीन की मुख्य भूमि से मिलना अपरिहार्य है और इसे टाला नहीं जा सकता। चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि ताइवान चीन का आंतरिक मामला है और इसमें कोई भी बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं है।

चीन को काबू करने की कोशिश असफल होगी- ली शांगफू

ली शांगफू ने अपने बयान में कहा कि 'ताइवान को लेकर आग से खेलना और ताइवान की मदद से चीन को काबू करने की कोई भी कोशिश निसंदेह असफल होगी।

बता दें कि चीन ताइवान को अपने देश का हिस्‍सा बताता रहा है। वहीं, ताइवान का मानना है कि वो एक आजाद मुल्‍क है। इस मुद्दे पर चीन पहले भी कई मौकों पर तल्‍ख तेवर दिखाता रहा है।2022 अगस्त में अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर भी दोनों देशों के बीच तनाव का पारा और चढ़ गया था।

चांद पर कदम रखने से बस एक कदम दूर है चंद्रयान 3, आज अलग होंगे लैंडर-प्रोपल्शन मॉड्यूल

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिसन मून यानी चंद्रयान-3 पर पूरे देश की ही नहीं दुनियाभर की निगाहें लगी हुई हैं। चंद्रयान 3 अब अपनी अंतिम छलांग लगाने को तैयार है। 17 अगस्त यानी आज से इसकी लैंडिंग से जुड़ी प्रक्रिया शुरू होगी।आज एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा। जी हां, अपने चंद्रयान-3 से प्रॉपल्शन और लैंडर मॉड्यूल अलग होगा। वे आगे की यात्रा अलग-अलग करेंगे। प्रॉपल्शन मॉड्यूल चांद की कक्षा में रहेगा। आगे अपना लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए कदम बढ़ाएगा।

इंजन फेल होने पर भी होगी लैंडिंग

इसरो द्वारा कहा गया है कि आज यानी 17 अगस्त को लैंडिंग माड्यूल, जिसमें लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल हैं, प्रोपल्शन माड्यूल से अलग हो जाएंगे। इसके बाद लैंडर-रोवर की गति घटाने का प्रयास किया जाएगा। 23 अगस्त को यान के लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी।इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का कहना है कि चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। अगर इसका इंजन फेल भी हो जाता है तो ऐसी स्थिति में भी चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग होगी

23 अगस्त को आएगी खुशखबरी

लैंडर के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने और 100 किमी x 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर लैंडर चंद्रमा की सतह तक नीचे जाने के लिए अपने थ्रस्टर्स का उपयोग करेगा। सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए इस नाजुक ऑपरेशन के लिए सटीक नियंत्रण और नेविगेशन की आवश्यकता होती है। 23 अगस्त को निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग का उद्देश्य लैंडर और रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थापित करना है।

14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से रवाना होने के बाद चंद्रयान-3 ने तीन हफ्तों में कई चरणों को पार किया। पांच अगस्त को पहली बार चांद की कक्षा में दाखिल हुआ था। इसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रयान-3 ने अलग-अलग चरण में प्रवेश किया।चंद्रयान3 के धरती से चांद तक पहुंचने के अहम चरणः-

-14 जुलाई 2023: इसरो ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया. इसी दिन एलवीएम3 एम4 ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद की यात्रा को शुरू करवाया।

-25 जुलाई 2023: लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 ने 4 अलग-अलग मैन्युवर पूरे किए और पृथ्वी की कक्षा को पीछे छोड़ा. इस दौरान चंद्रयान-3 को बड़े-बड़े धक्के दिए गए और उसे पृथ्वी की कक्षा से बाहर की ओर धकेला गया।

-1 अगस्त 2023: ये तारीख काफी अहम थी, क्योंकि इस दिन चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर हुआ और चांद की कक्षा की ओर बढ़ा. यहां चंद्रयान-3 की दूरी 288*369328 किमी. थी।

-5 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 ने यहां चांद की कक्षा में प्रवेश किया, ये पूरी तरह सफलता पूर्वक हुआ और चांद की कक्षा में अलग-अलग चरणों की शुरुआत हुई।

-9 अगस्त 2023: यहां से अलग-अलग मैन्युवर को परफॉर्म किया गया, यानी चरण दर चरण चंद्रयान-3 को चांद के करीब धकेलने और उसका वजन कम करने का काम किया गया।

-16 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 ने अपना आखिरी मैन्युवर पूरा किया. अलग-अलग प्रक्रियाओं के बाद यह सबसे अंतिम मैन्युवर था, जिसके बाद अब पूरी कोशिश सफल लैंडिंग कराने की होगी।

-17 अगस्त 2023: लैंडिंग से जुड़ी अहम प्रक्रिया यहां शुरू होगी, प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल यहां से अलग-अलग होगा. लैंडर यहां से चांद की ओर बढ़ेगा और फिर सॉफ्ट लैंडिंग के अलग-अलग चरण पूरे होंगे।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी डीएम को लिखा पत्र


प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के स्कूलों में साफ-सफाई से लेकर खर्च की जानकारी करायें सुनिश्चित

डेस्क : राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के स्कूलों में शौचालयों की प्रतिदिन की सफाई सुनिश्चित कराने को लेकर सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किया गया है। इसको लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को बुधवार को पत्र लिखा है। 

जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में श्री पाठक ने कहा है कि स्कूलों के निरीक्षण में यह बात सामने आई है कि वहां पर शौचालय बने हुए हैं पर अधिकांश उपयोग के लायक नहीं है। इसका मुख्य कारण साफ-सफाई का अभाव है। 

शौचालयों के साथ ही स्कूल परिसर की सफाई की बात उन्होंने अपने पत्र में कहा है। इसके लिए जिला और प्रखंड स्तर पर एजेंसी भी तय कर दी गई है।

जिलाधिकारी इस खर्च को किन-कन मदों से करेंगे, इसकी विस्तृत जानकारी भी श्री पाठक ने अपने पत्र में दी है। इसमें कहा गया है कि खनन सेस के अंतर्गत खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा जिलों को दी जाती है। पिछले वर्ष 126 करोड़ इस मद में जिलों को दी गई थी, जिसमें अब भी 77 करोड़ बची हुई है। 

मनरेगा के अंतर्गत स्वच्छता मद से भी राशि प्राप्त की जा सकती है। राज्य में 13 आकांक्षी जिले हैं, इस मद से राशि ली जा सकती है या नहीं, इस पर भी विचार करें। 

इन मदों से कितने शौचालयों की सफाई की जा सकती है, इसे सूचीबद्ध करें। शेष राशि विभाग द्वारा जिलों को उपलब्ध कराया जाएगा।

राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों के साथ की बैठक, दिए कई जरुरी निर्देश

डेस्क : राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर राजभवन में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों के सकाथ बैठक की और कई दिशा-निर्देश जारी किए। राजभवन में हुई इस बैठक में राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू, बिहार के विभिन्न विवि के कुलपति, राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण एवं अन्य लोग उपस्थित थे।

स्नातक और स्नात्कोत्तर की लंबित परीक्षाओं का आयोजन जल्द कर उसके परीक्षाफल प्रकाशित करने का निर्देश विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने दिया है। 

बैठक में यह बात सामने आई कि अधिकतर विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं लंबित हैं। कुलाधिपति ने एक-एक कर सभी कुलपतियों से उनके विश्वविद्यालय के पठन-पाठन, लंबित परीक्षाएं, परीक्षाफल समेत कर्मियों और शिक्षकों से संबंधित संबंधित तमाम जानकारी ली। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि विद्यार्थियों को परीक्षाफल समेत सभी आवश्यक प्रमाणपत्र सुविधा से प्राप्त हो, यह सुनिश्चत करें। 

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो कि विद्यार्थी अपने प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए ही परेशान हो। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षक व कर्मियों के सेवांत लाभ से जुड़े मामले पर भी बैठक में चर्चा हुई। राज्यपाल ने कुलपतियों से कहा कि सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मियों के पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान समय पर कराएं।

बैठक में नई शिक्षा नीति के चार वर्षीय स्नातक कोर्स पर भी विस्तार से चर्चा हुई। कुलपतियों ने कुलाधिपति को बताया कि इस पर काम हो रहा है। चार वर्षीय स्नातक कोर्स को लेकर छात्रों में किसी प्रकार का संशय न रहे, इसे भी सुनिश्चत करें। सभी को इसकी जानकारी दें। राज्यपाल ने कहा कि पहले की तरह ही तीन वर्ष में स्नातक की डिग्री मिलेगी। वहीं, जो विद्यार्थी चार वर्ष का एडवांस स्नातक कोर्स करना चाहेंगे, वही यह कर सकते हैं।