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पावर की परीक्षाःएनसीपी के दोनों गुटों का शक्ति प्रदर्शन आज, दोनों गुटों ने बुलाई बैठक

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महाराष्ट्र में एनसीपी के लिए आज का दिन अहम है। आज ये तस्वीर लगभग साफ हो जाएगी कि पार्टी में किसका पलड़ा भारी है। किस पवार के पास ज्यादा पावर है। बुधवार को शरद पवार और अजित पवार दोनों ने पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है।आज फैसला हो जाएगा कि एनसीपी के 53 विधायकों में से कितने विधायक शरद पवार के साथ हैं और कितने अजित पवार के साथ।

एनसीपी में फूट पड़ने के बाद अब यह सवाल है कि असली एनसीपी कौन है? मुंबई के वाय. बी. चव्हाण सेंटर में शरद पवार ने अपने समर्थकों की बैठक दोपहर 1 बजे बुलाई है, वहीं दूसरी तरफ अजित पवार ने मुंबई के बांद्रा में एम ई टी में अपनी बैठक सुबह 11 बजे बुलाई है। यह बैठक दोनों पार्टियो के लिए काफी अहम होगी, क्योंकि आज तस्वीर साफ हो जाएगी कि असली एनसीपी कौन है। दोनों तरफ से विधायकों और सांसदों के लिए व्हिप जारी किए गए हैं। 

दोनों गुट के अपने-अपने दावे

दोनों तरफ से दावे किए जा रहे हैं। एक तरफ शरद पवार गुट की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि 9 विधायक जिन्होंने शपथ ली है, उनको छोड़कर कोई उनके (अजित) साथ नहीं है। वहीं दूसरी तरफ अजित पवार के खेमे की तरफ से दावा किया जा रहा है कि 40 विधायक उनके साथ हैं।

शरद पवार गुट से प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील ने दावा किया है कि एनसीपी के 53 विधायकों में से मंत्रीपद की शपथ लेने वाले 9 विधायकों को छोड़कर बाकी 44 विधायक शरद पवार के साथ हैं। अजित पवार गुट से प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि अजित पवार के समर्थन में 40 विधायक हैं। अब तक दोनों ही तरफ से बस दावे हुए हैं, दावे के समर्थन में सबूत नहीं दिखाई दिए हैं। न तो राजभवन में अजित पवार ने विधायकों की लिस्ट सौंपते वक्त उनका परेड करा कर दिखाया और न ही शरद पवार गुट ने अपनी किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने समर्थक विधायकों को सामने लाकर दिखाया। ऐसे में अब दोनों तरफ की असली स्ट्रेंथ कितनी है, यह पता करने का एक ही तरीका बचता है। जिसकी मीटिंग में जितने विधायक मौजूद होंगे, वही संबंधित गुट का एक्चुअल स्ट्रेंथ होगा।

क्या है विधायकों का गणित?

बता दें कि विधानपरिषद में एनसीपी के 9 विधायक हैं। शरद पवार के साथ 5 एमएलसी हैं। वहीं अजित के साथ 4 एमएलसी विधायक हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 विधायक हैं। ऐसे में पार्टी तोड़ने के लिए और नए गुट बनाने के लिए करीब 36 विधायक चाहिए लेकिन मौजूदा स्थिति में एक सीट उपचुनाव में है। हारे और एक विधायक नवाब मलिक जेल में हैं यानीकि अब विधायको की संख्या 52 हो गई है।

दिल्ली सरकार और एलजी में फिर ठनी, दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी कर रहे 400 निजी लोगों को बर्खास्त करने पर अरविंद केजरीवाल ने किया ऐल

दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी कर रहे 400 निजी लोगों को बर्खास्त किए जाने को लेकर अरविंद केजरीवाल और एलजी में एक बार फिर ठन गई है। दिल्ली सरकार ने एलजी के इस फैसले को अदालत में चुनौती देने का ऐलान कर दिया है।

उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली सरकार द्वारा अपने विभिन्न विभागों में नियुक्त लगभग 400 निजी व्यक्तियों की सेवाओं को समाप्त करने के बाद, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि वे इस फैसले को अदालत में चुनौती देगी।

एलजी ने सोमवार को दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में लगे 400 निजी व्यक्तियों की सेवा समाप्त कर दी थी। उन्होंने कहा था कि ये व्यक्ति गैर-पारदर्शी तरीके से और सक्षम प्राधिकारी की अनिवार्य मंजूरी के बिना लगे हुए थे।

सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, "एलजी दिल्ली को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। उन्होंने इन 400 प्रतिभाशाली युवा पेशेवरों को केवल इसलिए दंडित करने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ जुड़ने का फैसला किया। जब एलजी ने यह फैसला लिया तो प्राकृतिक न्याय के किसी भी सिद्धांत का पालन नहीं किया गया।"

इसमें आगे कहा गया, "एक भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया और किसी भी स्तर पर कोई स्पष्टीकरण या जवाब नहीं मांगा गया। इस असंवैधानिक फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी।"

बयान में कहा गया, "एलजी के पास ऐसा करने की शक्ति नहीं है। वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य दिल्ली सरकार को पंगु बनाने के लिए हर दिन नए तरीके ढूंढना है ताकि दिल्ली के लोगों को परेशानी हो।"

आगे कहा गया कि हटाए गए ये सभी लोग आईआईएम अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, एनएएलएसएआर, जेएनयू, एनआईटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, कैम्ब्रिज आदि जैसे शीर्ष कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से थे और विभिन्न विभागों में उत्कृष्ट काम कर रहे थे। इन सभी को उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक मानदंडों का पालन करते हुए काम पर रखा गया था।

वहीं, एलजी सक्सेना द्वारा दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत लगभग 400 निजी व्यक्तियों की सेवाएं समाप्त करते हुए कहा गया है कि ये निजी व्यक्ति गैर-पारदर्शी तरीके से और सक्षम प्राधिकारी की अनिवार्य मंजूरी के बिना लगे हुए थे। इन व्यक्तियों की नियुक्तियों में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा निर्धारित एससी/एसटी/ओबीसी उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य आरक्षण नीति का भी पालन नहीं किया गया।

सेवा विभाग ने पाया कि ऐसे कई निजी व्यक्ति पदों के लिए जारी विज्ञापनों में निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव के पात्रता मानदंडों को भी पूरा नहीं करते हैं। संबंधित प्रशासनिक विभागों ने भी इन निजी व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों की सत्यता को सत्यापित नहीं किया, जो कई मामलों में हेराफेरी और धांधली पाई गई।

उपराज्यपाल ने सेवा विभाग के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया कि दिल्ली सरकार के सभी विभाग, निगम, बोर्ड, सोसाइटी और उनके प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अन्य स्वायत्त निकाय इन निजी व्यक्तियों की नियुक्तियों को तुरंत समाप्त कर दें, जिनमें एलजी या सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी नहीं ली गई है। .

हालांकि, यदि कोई प्रशासनिक विभाग इस तरह की व्यस्तताओं को जारी रखना उचित समझता है, तो वह उचित औचित्य के साथ विस्तृत मामलों का प्रस्ताव ला सकता है और उन्हें विचार और अनुमोदन के लिए उपराज्यपाल को प्रस्तुत करने के लिए सेवा विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) को भेज सकता है। .

सेवा विभाग ने 23 विभागों से प्राप्त जानकारी इकट्ठी की थी, जिन्होंने ऐसे निजी व्यक्तियों को विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया है। यह देखा गया कि 45 दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वाली अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण के लिए डीओपीटी द्वारा निर्धारित एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण के प्रावधानों का भी इन संलग्नताओं में पालन नहीं किया गया है।

*अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले शाह फैसल का यू-टर्न, कहा- मेरी तरह अधिकतर कश्मीरियों के लिए ये अतीत की बात*

#ias_officer_shah_faisal_statement_on_article_370 

देश में एक बार फिर अनुच्छेद-370 पर बसह शुरू हो गई है।दरअसल, अनुच्छेद 370 के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को सुनवाई होगी। इसको निरस्त करने को चुनौती देने का मामला साल 2019 में संविधान पीठ को सौंपा गया था लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई है। जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले धारा 370 को हटाए जाने के चार साल बाद देश के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई में पांच जजों की बेंच इस मामले को सुनेगी। इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत होंगे।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, पांच न्यायाधीशों की पीठ दिशानिर्देश पारित करने के लिए आईएएस अधिकारी शाह फैसल की तरफ से दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने भी 370 को खत्म करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

हालांकि, मंगलवार को शाह फैसल ने कहा कि उन्होंने बहुत पहले ही याचिका वापस ले ली है। शाह फैसल ने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया। फैसल ने ट्विटर पर लिखा, ‘मेरी तरह अधिकतर कश्मीरियों के लिए (अनुच्छेद) 370 अतीत की बात है। हिंद महासागर में झेलम और गंगा हमेशा के लिये विलीन हो गई हैं। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। अब सिर्फ आगे बढ़ा जा सकता है।

वहीं, न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए शाह फैसल ने बताया कि उन्होंने बहुत पहले ही याचिका वापस ले ली है। यह सिर्फ याचिकाओं के समूह का शीर्षक है और एक बार आदेश जारी होने के बाद नाम बदल जाएगा। अनुच्छेद 370 एक नियति है। आज का कश्मीर 2019 के कश्मीर से बहुत कम मिलता जुलता है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वर्ष 2010 बैच के अधिकारी फैसल को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने और जम्मू कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के एक वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। उन्होंने सेवा से इस्तीफा देकर एक राजनैतिक दल ‘जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ की शुरुआत की थी। हालांकि, सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और फैसल को बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में तैनात कर दिया गया। फैसल ने वर्ष 2019 में केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी। सरकार ने अप्रैल 2022 में फैसल की इस्तीफा वापस लेने के निवेदन को स्वीकार कर लिया और उनकी सेवा को बहाल कर दिया। इसी महीने में फैसल ने न्यायालय के सामने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले सात याचिकाकर्ताओं की सूची में से नाम हटाने के लिए आवेदन दिया था।

झारखंड के हजारीबाग जिले के रोमी गांव में बड़ा हादसा, कुएं में सुमो कार गिरने से महिला व बच्ची सहित छह लोगों की मौत, चार घायल


झारखंड के हजारीबाग जिला के पदमा ओपी क्षेत्र स्थित रोमी गांव में मंगलवार को बड़ा हादसा हो गया। फोरलेन सड़क किनारे सूर्यपूरा पैक्स के पास स्थित एक कुएं में टाटा सुमो के गिरने से उसमें सवार महिला और बच्ची सहित छह लोगों की मौत हो गई। वहीं, सूर्यपुरा पंचायत के मुखिया सहित चार लोग घायल हो गये। सभी घायलों को बेहतर इलाज के लिए हजारीबाग रेफर कर दिया गया है। बताया गया कि बिहार के दरभंगा से सत्संग में भाग लेकर अपने गांव वापस जा रहे थे। इसी बीच रोमी गांव के पास हादसा हो गया।

कुएं में सुमो कार के गिरने से ड्राइवर सूरज सिंह दीपुगढ़ा के अलावा ओम प्रकाश साव, परमेश्वर कुशवाहा, परमेश्वर कुशवाहा की पत्नी और सात साल की बेटी और गुंजन राणा की मौत हो गयी। सभी हजारीबाग के मंडईखुर्द गांव के रहने वाले थे। वहीं, घायलों में सूर्यपूरा पंचायत के मुखिया सीताराम मेहता, मुकेश मेहता और उसकी मां सहित एक अन्य शामिल हैं।

मंगलवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे सूर्यपूरा पंचायत के मुखिया सीताराम मेहता प्रखंड कार्यालय से वापस अपनी बुलेट से घर जा रहे थे। इसी बीच रोमी स्थित सूर्यपूरा पैक्स के पास पीछे से आ रहे टाटा सूमो कार ने उसे टक्कर मार दिया। इस टक्कर से अनियंत्रित कार सड़क किनारे एक कुएं में लोहे की जाली को तोड़ते हुए जा गिरा। जिससे पूरी कार कुएं के पानी में समा गया। काफी मशक्कत के बाद स्थानीय लोगों की मदद से कुएं में डूबे छह लोगों को बाहर निकाला गया।

हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। एक घंटे बाद जेसीबी की मदद से कुएं में गिरी कार को बाहर निकाला गया।

महाराष्ट्र के मुंबई-आगरा हाईवे पर पलासनेर के नजदीक भीषण सड़क दुर्घटना में 12 की मौत, 10 से अधिक लोग घायल, ब्रेक फेल होने से एक कंटेनर तेज रफ्तार


महाराष्ट्र के मुंबई-आगरा हाईवे पर पलासनेर के नजदीक एक भीषण सड़क दुर्घटना में 12 लोगों की जान चली गई है और 10 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। ब्रेक फेल होने के चलते एक कंटेनर तेज रफ्तार में होटल में घुस गया, जिससे यह हादसा हो गया। मृतकों की तादाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हादसे की सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस टीम पहुंच चुकी है। हादसे वाली जगह पर पास के गांव से आए लोगों की भीड़ जमा हो गई है फायर ब्रिगेड को सूचना दे दी गई है।

स्थानीय लोगों की मदद से लोगों को बाहर निकालने का कार्य जारी है। मुंबई-आगरा हाईवे पर पलासनेर गांव महाराष्ट्र के शिरपुर तहसील के धुले जिले में पड़ता है. यह इलाका मध्य प्रदेश से लगा हुआ है। आज दोपहर 12 बजे पलासनेर के पास यह सड़क दुर्घटना हुई है। दोपहर 12 बजे के आसपास एक कंटेनर मुंबई आगरा हाईवे से होकर पलासनेर गांव के नजदीक से गुजर रहा था। इतने में गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया और यह पास ही एक होटल में जा घुसा। इस हादसे में 12 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया और 10 लोग जख्मी हुए हैं। घायलों में से कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है।

स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को पास के अस्पताल में एडमिट करा दिया गया है. उनका उपचार जारी है. लोगों को घटनास्थल से सुरक्षित बाहर निकाले जाने का काम जारी है।

कंटेनर हाईवे पर बहुत तेज रफ्तार से जा रहा था। ब्रेक फेल होने के बाद जब यह सड़क किनारे के होटल में जा घुसा, उस समय होटल के बाहर कई और वाहन खड़े थे। यह कंटेनर उन्हें कुचलता हुआ होटल में घुस गया इससे होटल के बाहर खड़े वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी की बीते कई सालों से भाजपा नेतृत्व से अनबन, मीडिया रिपोर्ट में दावा, इस बार कट सकता है नाम, पढ़िए, क्या लग रहे कयास

पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी की बीते कई सालों से भाजपा नेतृत्व से अनबन चल रही है। किसान आंदोलन से लेकर कई मुद्दों पर वह नेतृत्व से अलग राय रखते रहे हैं। ऐसे में वह 2024 में लोकसभा का चुनाव भाजपा से लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर कयासों का दौर तेज है। इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वरुण गांधी को पीलीभीत लोकसभा सीट से शायद इस बार टिकट न दिया जाए। उनकी जगह पर जिले के ही एक ओबीसी विधायक को मौका मिल सकता है, जो लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके जरिए भाजपा ओबीसी वर्ग को एक संदेश देने की कोशिश करेगी। 

वरुण गांधी ने कई बार भाजपा नेतृत्व से असहमति जताई है, लेकिन पार्टी ने उन्हें लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा। हालांकि उन्हें कई राज्यों में हुए चुनाव प्रचार में अहमियत नहीं दी गई। यूपी में भी उन्हें कोई अहम भूमिका नहीं सौंपी गई है। इससे साफ है कि नेतृत्व वरुण गांधी को नजरअंदाज कर रहा है। यही नहीं उनकी मां मेनका गांधी भी 2019 में दोबारा बनी मोदी सरकार में किसी पद पर नहीं हैं। इससे पहले 2014-19 के दौरान वह महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं, लेकिन अब वह भी बेटे की तरह ही महज सांसद हैं और भाजपा के किसी बड़े आयोजन में मंच पर भी नहीं दिखतीं।

वरुण गांधी की जगह इस नेता को मिल सकता है मौका

 वरुण गांधी के अलावा मेनका गांधी के भविष्य को लेकर भी सवाल उठते रहते हैं। अब चर्चा है कि पीलीभीत से संजय सिंह गंगवार को भी लोकसभा का टिकट मिल सकता है। वह शहर विधानसभा सीट से दो बार से विधायक हैं। उनकी यूपी भाजपा के संगठन में अच्छी पकड़ है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी करीब माने जाते हैं।

संतोष गंगवार की जगह नए नेता को तैयार करना है मकसद

बरेली-पीलीभीत क्षेत्र से कद्दावर नेता रहे संतोष गंगवार की जगह भाजपा अब उनको ओबीसी नेता के तौर पर प्रमोट करना चाहती है। गंगवार ने 2012 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन 4 हजार वोटों से हार गए थे। इसके बाद 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की। अब 2022 में फिर विजय पा सकते हैं।

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा अब संगठन में कर रही व्यापक फेरबदल, कई राज्यों में बदले प्रदेश अध्यक्ष, और बदलाव के लगाए जा रहे कयास


लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा ने अब संगठन के पेच कसने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को भाजपा ने कई राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए। पंजाब में उसने सुनील जाखड़ को पार्टी की कमान सौंपी है, जो बीते साल ही कांग्रेस छोड़कर आए थे। इसके अलावा तेलंगाना में केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश में डी. पुरंदेश्वरी को अध्यक्ष बनाया गया है। 

झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को सूबे का अध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा ने जिन 4 नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, उनमें से जी. किशन रेड्डी पर्यटन मंत्री हैं। ऐसे में इस बात के भी कयास अब तेज हो गए हैं कि मोदी सरकार की कैबिनेट में भी फेरबदल होगा। आमतौर पर भाजपा एक व्यक्ति एक पद की नीति पर काम करती रही है। ऐसे में जी. किशन रेड्डी को मंत्री पद से हटाया जा सकता है ताकि वह तेलंगाना में पूरा समय दे सकें। भाजपा ने जिन लोगों को अध्यक्ष बनाया है, उनमें से दो सुनील जाखड़ और डी. पुरंदेश्वरी का कांग्रेस से लंबा रिश्ता रहा है।

आंध्र प्रदेश की अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी ने मार्च 2014 में कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इसके अलावा सुनील जाखड़ तो दशकों का रिश्ता तोड़कर बीते साल ही कांग्रेस से भाजपा में आए थे। इसके अलावा झारखंड में पार्टी ने बागी रहे बाबूलाल मरांडी को कमान दी है। फिलहाल वह झारखंड में विपक्ष के नेता हैं और मजबूती से सदन में बात रखते हैं। लेकिन वह एक बार भाजपा का साथ छोड़कर झारखंड विकास मोर्चा भी बना चुके हैं।

अलग पार्टी भी बना चुके हैं बाबूलाल मरांडी

बाबूलाल मरांडी 4 बार लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं। उन्हें राज्य के ईमानदार और कद्दावर नेताओं में से एक माना जाता है। छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े बाबूलाल मरांडी के कई मुद्दों पर भाजपा से मतभेद थे, जिसके चलते उन्होंने नई पार्टी बना ली थी। बाबूलाल मरांडी 2006 में भाजपा से अलग हुए थे, लेकिन 2019 में फिर से अपनी पार्टी का विलय करके घर वापसी कर ली थी।

मिशन 2024 की तैयारी में जुटी बीजेपी में बड़ा फेरबदल, कई राज्यों के अध्यक्ष बदले, जानिए किसे मिली कहां की जिम्मेदारी

#bjp_mission_2024_appoints_new_chief

अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।इससे पहले बीजेपी ने राज्य इकाई में बड़ा बदलाव किया है। बीजेपी ने चार राज्यों में अपने अध्यक्ष बदले हैं। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी को तेलंगाना के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है, पूर्व केंद्रीय मंत्री डी. पुरंदेश्वरी को आंध्र प्रदेश, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को झारखंड और सुनील जाखड़ को पंजाब में पार्टी की कमान दी गई है।

बीजेपी ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के मकसद से चार राज्यों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में वहां संगठनात्मक फेरबदल की अटकलें पहले से लगाई जा रही थी।ऐसे में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को तेलंगाना में कमान सौंपी है। वहीं आंध्र प्रदेश में मौजूदा अध्यक्ष सोमू वीरराजू की जगह अब पुरंदेश्वरी यह जिम्मा संभालेंगी। इसके अलावा राजेंद्र एटीला को तेलंगाना बीजेपी में चुनाव प्रबंधन संमिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

इससे पहले 28 जून को देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की थी। इस बैठक से भी पहले अमित शाह ने नड्डा, बीएल संतोष और आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी अरुण कुमार के साथ कम से कम पांच मैराथन बैठक की थी। प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में इन बदलावों पर चर्चा हुई थी और पीएम ने बदलावों पर अपनी मुहर लगाई थी।

पबजी पार्टनर के प्यार के लिए तीन देशों की सीमाएं लांघकर चार बच्चों संग पाकिस्तान से ग्रेटर नोएडा पहुंची थी, साड़ी, सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर रहत


पबजी पार्टनर के प्यार के लिए पत्नी धर्म की मर्यादा और तीन देशों की सीमाएं लांघकर चार बच्चों संग पाकिस्तान से ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा पहुंची पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ ही गई। यूपी एटीएस ने सोमवार को महिला को चार बच्चों और उसके कथित प्रेमी सचिन के साथ मथुरा के यमुनापार के पानी गांव से पकड़ा है। एटीएस और आईबी समेत तमाम जांच एजेंसियां पाकिस्तानी महिला और उसके भारतीय प्रेमी को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ कर रही हैं। सीमा और सचिन की ऑनलाइन पहचान साल 2020 में हुई थी। वह डेढ़ माह से रबूपुरा में अपनी असल पहचान छुपाकर हिंदू महिलाओं की तरह साड़ी, सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर रह रही थी।

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस बात का पता लगाया जा रहा है कि क्या यह महिला प्रेम प्रसंग के चलते प्रेमी से मिलने भारत आई है या इसका मकसद जासूसी करना था। अभी इस बारे में कुछ पुख्ता जानकारी हाथ नहीं लगी है। महिला के मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। पता लगाया जा रहा है कि भारत में रहने के दौरान महिला ने किससे संपर्क किया। उसके मोबाइल से कुछ राज खुलने की संभावना है।

साड़ी, सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर रहती थी सीमा

पाकिस्तानी महिला सीमा गुलाम हैदर रबूपुरा कस्बे के अंबेडकर मोहल्ले के रहने वाले सचिन के साथ किराये के मकान में रह रही थी। पड़ोसियों ने बताया कि सीमा यहां हिंदू महिलाओं की तरह रही थी, उसका पहनावा भी हिंदू महिलाओं की तरह था। वह साड़ी, सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर रहती थी, जिससे कि उसकी पहचान उजागर ना हो सके। हालांकि, हिंदू रीति-रिवाज में रहते हुए उसने गुपचुप तरीके से ईद का त्योहार भी मनाया था, लेकिन जब यह मामला तूल पकड़ा तो लोगों को महिला के बारे में पता चला।

पुलिस के आने से पहले घर से भागे सचिन और सीमा

 रबूपुरा कस्बे के अंबेडकर मोहल्ले में किराये पर कमरा लेकर सचिन ने पाकिस्तानी महिला सीमा को अपने साथ रखा था, जबकि सचिन का घर भी इसी मोहल्ले में है, लेकिन सीमा को उसने अपने घर पर नहीं रखा। परिजनों के डर की वजह से सचिन सीमा को अपने मोहल्ले में किराये के मकान लेकर रह रहा था। एक जुलाई को अचानक सचिन और सीमा को भनक लग गई कि उनके बारे में पुलिस को कुछ पता चल गया है। इसी बीच आनन-फानन में सचिन और सीमा घर से भाग निकले। सचिन ने मकान मालिक से झूठ बोला कि वह एक हफ्ते के लिए बाहर जा रहे हैं। जैसे ही वह घर से निकले कुछ देर बाद पुलिस मकान मालिक गिरिजेश के घर पहुंच गई और सचिन और सीमा के बारे में पूछताछ करने लगी। इसके बाद पुलिस ने काफी मशक्कत और तलाश के बाद सचिन और सीमा को हिरासत में ले लिया। वहीं, परिजनों ने सचिन से पल्ला झाड़ लिया है। परिजनों का कहना है कि वह काफी दिन से उनके पास नहीं आया।

दुबई में काम करता है सीमा का पति

पुलिस की शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि सीमा हैदर पाकिस्तान के कराची की रहने वाली है। महिला का पति गुलाम रजा दुबई में काम करता है। भारत आने से पहले महिला, पाकिस्तान से अपने बेटे फरहान, फरवा, फराह, फरीहा को लेकर दुबई पहुंची। बच्चों की उम्र चार से सात वर्ष के बीच है। इसके बाद टूरिस्ट वीजा पर 11 मई को हवाई जहाज से नेपाल आई और यहां से बस के रास्ते दिल्ली से यमुना एस्सप्रेसवे होते हुए 13 मई को रबूपुरा के पास फलैदा कट पर पहुंची थी, जहां सचिन उसका इंतजार कर रहा था।

ऑनलाइन गेम पबजी से संपर्क में आई 

 ग्रेटर नोएडा के एडीसीपी अशोक कुमार ने बताया कि पाकिस्तानी महिला सीमा गुलाम हैदर, उसके बच्चे और कथित प्रेमी से पूछताछ की जा रही है।

 एडीसीपी ने बताया कि ऑनलाइन गेम पब्जी के जरिए पाकिस्तानी महिला रबूपुरा के रहने वाले सचिन के सम्पर्क में आई थी। पुलिस की अभी तक की जांच में पता चला है कि महिला नेपाल के जरिये अपने चार बच्चों को लेकर रबूपुरा सचिन के पास रहने के लिए आई थी। वह 13 मई को नेपाल के रास्ते बस से दिल्ली पहुंची और यहां से यमुना एक्सप्रेसवे पर रबूपुरा एरिया के गांव फलैदा कट पर उतरी थी। यहां से सचिन उन्हें लेकर रबूपुर स्थित अंबेडकर नगर मोहल्ले में किराये के मकान पर पहुंचा और यहां करीब 50 दिनों तक दोनों पति-पत्नी बनकर रहे।

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो केस के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नाबालिग महिला पहलवान और उसके पिता को नोटिस किया जारी, एक अगस्त


बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो केस के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नाबालिग महिला पहलवान और उसके पिता को नोटिस जारी किया है। अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा पॉक्सो केस में दायर किये गये कैंसिलेशन रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और इसके बाद शिकायतकर्ता नाबालिग महिला पहलवान और उसके पिता से इस पर जवाब मांगा है। एडिशन सेशन जज छवि कपूर ने पीड़िता/याचिकर्ता को नोटिस जारी किया है। चैंबर में अदालत की कार्रवाई के दौरान सेशन जज ने उन्हें निर्देश दिया कि 1 अगस्त तक वो इसपर जवाब दें। जिसके बाद कोर्ट आगे की सुनवाई करेगी।

भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ एक नाबालिग महिला पहलवान ने शुरू में यौन शोषण का आरोप लगाया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। बाद में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में एक कैंसिलेशन रिपोर्ट दायर की थी और कहा था कि पॉक्सो एक्ट के तहत बृजभूषण पर दर्ज मामले में कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसी के साथ दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस को रद्द किये जाने की गुहार अदालत से लगाई थी। 

बृजभूषण शरण सिंह पर नाबालिग महिला पहलवान के अलावा 6 अन्य महिला पहलवानों ने भी यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस अपनी चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। इस मामले में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के ही राउज एवेन्यू कोर्ट में जब सुनवाई हुई थी तब अदालत ने यौन आरोप से जुड़े केस को एमपी-एमएमलए कोर्ट में भेजा था। इससे पहले 15 जून को दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद के खिलाफ 1000 पन्नों से ज्यादा की चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा धारा 354, 354A, 354D लगाई थी।

एमपी-एमएलए कोर्ट के जज हरजीत सिंह जसपाल ने सुनवाई के दौरान कहा था कि चार्जशीट काफी बड़ी है इसलिए इसे पढ़ने में थोड़ा वक्त लगेगा। अदालत ने दिल्ली पुलिस से सीडीआर रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में 7 जुलाई को सुनवाई होगी। बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने के बाद हंगामा मच गया था। चोटी के पहलवानों में शुमार बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई दिनों तक प्रदर्शन भी किया था।

इन सभी पहलवानों ने बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग की थी। बाद में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रदर्शन करने वाले पहलवानों के बीच बातचीत हुई थी। जिसके बाद पहलवानों ने अपना प्रदर्शन खत्म किया था और बृजभूषण पर चार्जशीट दायर होने के बाद यह भी कहा था कि केंद्र सरकार ने अपना वादा पूरा किया इसलिए वो अपना प्रदर्शन स्थगित कर रहे हैं। इसी के साथ पहलवानों ने ऐलान किया था कि अब इस लड़ाई को सड़क पर नहीं बल्कि कोर्ट में लड़ेंगे।