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प्रफुल्ल पटेल का शरद पवार को लेकर बड़ा दावा, कहा-पार्टी संरक्षक को थी बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले की जानकारी

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शरद पवार की पार्टी एनसीपी फिलहाल राजनीति के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। एनसीपी के बड़े नेता और सांसद प्रफुल्ल पटेल भी अजित पवार खेमे के साथ हैं, जिन्हें शरद पवार ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। अजित पवार के शिव सेना (शिंदे गुट)-बीजेपी गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद शरद पवार ने नौ बाग़ी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया। इसके अलावा प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे को भी पार्टी से निकाला गया है। इस बीच एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि पार्टी के 54 विधायकों में से 51 विधायक यह चाहते थे कि एनसीपी, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाए।यही नहीं, उन्होंने ये भी दावा किया है कि बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले पर बीते साल विचार किया गया था और पार्टी संरक्षक पवार को इस क़दम का पता था।

संगठन में कई बड़े मतभेदों के कारण लिया गया ये फैसला- पटेल

अंग्रेज़ी अख़बार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में पटेल ने कहा है कि बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले पर बीते साल विचार किया गया था और पार्टी संरक्षक पवार को इस क़दम का पता था। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से किसी प्रकार का व्यक्तिगत मतभेद होने को प्रफुल्ल पटेल ने ख़ारिज किया है। हालांकि उन्होंने कहा है कि उनके संगठन में कई बड़े मतभेद थे जिसकी वजह से यह फ़ैसला लिया गया।

बीजेपी के साथ सरकार बनाने की कवायद 2022 के मध्य में शुरू हुई- पटेल

प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि बीजेपी के साथ सरकार बनाने की कवायद साल 2022 के मध्य में शुरू हुई थी। पटेल के मुताबिक न सिर्फ पार्टी के विधायक और नेता बल्कि जमीनी कार्यकर्ता भी यह चाहते थे कि एनसीपी बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाए। कई विधायक फंड न मिलने की वजह से परेशान थे। विधायकों ने इस बाबत शरद पवार को पत्र लिखकर अपनी मंशा भी जाहिर की थी। लेकिन शरद पवार ने समय पर फैसला नहीं लिया और एकनाथ शिंदे ने मौके का फायदा उठा लिया और देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली। 

शरद पवार फैसला नहीं ले पाए और शिंदे ने बाजी मार ली!

प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट रूप से तो कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों-इशारों में यह बता दिया कि अगर उस समय शरद पवार ने कार्यकर्ताओं की बात को मान लिया होता तो शायद एकनाथ शिंदे की जगह अजित पवार सीएम होते। लेकिन शरद पवार फैसला नहीं ले पाए और शिंदे ने बाजी मार ली।

पार्टी के हित में निर्णय लिया गया

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हमने जो भी निर्णय लिया वो पार्टी हित में लिया। जनता भी समझदार है वो वोट कैसे देगी, उनको हमपर विश्वास कैसे होगा। तो हम बता दें कि हम सारे एमएलए ने मिलकर बोला कि हमें सरकार के साथ जाना चाहिए। क्या पता पहले एकनाथ शिंदे की वजह से हम सरकार के साथ ना आए हों और अब क्या पता सबको लगा हो कि सरकार को और मजबूत बनाना चाहिए, इसलिए ये फैसला लिया हो।

ईडी-सीबीआई जांच की वजह से लिया गया ये फ़ैसला?

विपक्ष का आरोप है कि ईडी और सीबीआई जांच की वजह से ये फ़ैसला लिया गया है। इस सवाल पर पटेल ने कहा कि राजनीति में इस तरह की अफ़वाहें फैलाई जाती हैं और उनके ख़िलाफ़ एक भी केस नहीं है तो इसका सवाल ही नहीं उठता है। पटेल ने स्वीकार किया है कि उन्हें एक जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन ऐसा नहीं है कि इन परिस्थितियों में ये फ़ैसला लिया गया है।

पीएम मोदी की अगुवाई में एससीओ समिट आज, बैठक में शामिल होंगे रूस, चीन और पाकिस्तान

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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन यानी एससीओ समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से एक साथ मुख़ातिब होंगे।भारत की अध्यक्षता में आज एससीओ समिट होने जा रही है। भारत ने इसे वर्चुअली कराने का फ़ैसला किया है।पहले माना जा रहा था कि इस सम्मेलन का आयोजन आमने-सामने होगा, फिर मई आखिर में ये फैसला लिया गया कि ये वर्चुअली ही होगा।

माना जा रहा है कि आज की बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति, कारोबार और आपसी संपर्क बढ़ाने के उपायों पर बैठक में चर्चा हो सकता है। जबकि यूरेशियन समूह के नए स्थायी सदस्य के रूप में ईरान का स्वागत किया जाएगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में होने वाली एससीओ की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल होंगे। 

इन मुद्दों पर चर्चा संभव

यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब पिछले महीने रूस में वैगनर ग्रुप ने राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और यह प्राइवेट सेना मॉस्को की ओर बढ़ने लगी थी. हालांकि उसका विद्रोह ज्यादा लंबा नहीं रहा और सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से निपट गया। वहीं, घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग, संपर्क और व्यापार बढ़ाने पर चर्चा होने की उम्मीद है।

क्यों हुई थी एससीओ की स्थापना?

एससीओ की स्थापना साल 2001 में शंघाई में हुई थी। एक शिखर सम्मेलन में चीन, रूस, किर्गिज़ गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने इसकी स्थापना इस मकसद से की थी कि पूर्वी एशिया से हिंद महासागर तक पश्चिमी देशों का मुकाबला किया जा सके। हालांकि भारत इसका सदस्य साल 2017 में बना था, इससे पहले वह 2005 में ऑब्जर्वर की भूमिका में था। 

भारत 2017 में इसका पूर्णकालिक सदस्य बना

बता दें कि एससीओ में आठ सदस्य हैं, जिसमें भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कज़ाख़्स्तान और उज़्बेकिस्तान हैं। इसमें भारत साल 2005 में शामिल हुआ था। तब उसकी भूमिका ऑब्जर्वर की थी। इसके बाद साल 2017 में वह इसका पूर्णकालिक सदस्य बन गया।

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में खालिस्तान समर्थकों ने लगाई आग, एफबीआई ने शुरू की मामले की जांच

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अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास में खालिस्तान समर्थकों ने आग लगा दी। हालांकि आग पर काबू पा लिया गया। हादसे में किसी के घायल होने की खबर नहीं है। खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने घटना का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल किया। अमेरिका ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।सिख फॉर जस्टिस के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के 8 जुलाई से विदेश में बने भारतीय दूतावासों को घेरने के ऐलान के अगले ही दिन इस वारदात को अंजाम दिया गया है। एफबीआई इस मामले की जांच में जुट गई है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार दो जुलाई की मध्य रात्रि करीब डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच कुछ खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास में आग लगा दी। आग तेजी से वाणिज्य दूतावास में फैलने लगी। हालांकि तुरंत अग्निशमन विभाग को इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद अग्निशमन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ।

खालिस्तान समर्थकों ने घटना का वीडियो जारी किया

अमेरिका के स्थानीय चैनल दीया टीवी ने बताया कि खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने रात 1:30 से 2:30 बजे के बीच भारतीय वाणिज्य दूतावास में आग लगा दी, लेकिन सैन फ्रांसिस्को अग्निशमन विभाग ने इसे तुरंत बुझा दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि आग की वजह से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। वहीं खालिस्तान समर्थकों ने घटना के संबंध में एक वीडियो भी जारी किया। हालांकि, Street Buzz इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।

कथित तौर पर खालिस्तानी कट्टरपंथी सोशल मीडिया पर अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू और अमेरिका में भारत के महावाणिज्यदूत डॉ. टीवी नागेंद्र प्रसाद को निशाना बनाते हुए पोस्टर्स सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। खालिस्तानी इन दोनों पर कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगा रहे हैं। 

एफबीआई ने शुरू की हमले की जांच 

सैन फ्रांसिस्को के भारतीय दूतावास पर खालिस्तानी हमले के बाद एफबीआई ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है। सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में आगजनी की घटना पर अमेरिका की सरकार ने भी चिंता जाहिर की है और घटना की निंदा की। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में आगजनी की घटना की कड़ी निंदा करता है। अमेरिका स्थित विदेशी राजनयिकों या दूतावासों में तोड़फोड़ या हिंसा करना अपराध है।

पहले भी भारतीय दूतावास पर हो चुका है हमला

बता दें कि कुछ महीने पहले भी सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में खालिस्तान समर्थकों ने हमला किया था। यह घटना मार्च में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह द्वारा सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला करने और उसे क्षतिग्रस्त करने के कुछ महीनों बाद हुई, जिसकी भारत सरकार और भारतीय-अमेरिकियों ने तीखी निंदा की, जिन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी.

आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध, कई राज्यों में उठ रहे विरोध में स्वर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता को लेकर जबसे बयान दिया है, तब से देशभर में इस पर बहस जारी है।लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पूरी सियासत इसी यूनिफार्म सिविल कोड के ईदगिर्द ही नजर आएगी। इसलिए केंद्र सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम करते हुए दिखाई दे रही है।माना जा रहा है कि मोदी सरकार मानसून सत्र में ही यूसीसी विधेयक ला सकती है। विधि आयोग ने हाल ही में लोगों से नागरिक संहिता पर राय मांगी थी। देश भर से अब तक 8.5 लाख लोगों ने इस पर अपना विचार भी साझा किया है। हालांकि इसी बीच समाज के कई वर्गों से भी तीव्र और तीखा विरोध भी सुनने को मिल रहा है। नागरिक संहिता का सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम समाज के साथ आदिवासी समाज में भी नजर आ रहा है। आदिवासी समाज भी केंद्र सरकार की इस कोशिश के विरोध में आवाज बुलंद कर रहा है।

यूसीसी के लागू होने से ये अधिकार खत्म होने का डर

देश के कई आदिवासी संगठन इस आशंका में हैं कि अगर यह कानून लागू हुआ तो उनके रीति-रिवाजों पर भी इसका असर पड़ेगा। झारखंड के भी 30 से अधिक आदिवासी संगठनों ने ये निर्णय लिया है कि वो विधि आयोग के सामने यूनिफॉर्म सिविल कोड के विचार को वापस लेने की मांग रखेंगे। इन आदिवासी संगठनों का मानना है कि यूसीसी के कारण आदिवासियों की पहचान ख़तरे में पड़ जाएगी। आदिवासी संगठनों का कहना है कि समान नागरिक संहिता के आने से आदिवासियों के सभी प्रथागत कानून खत्म हो जाएंगे। छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट, संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों को झारखंड में जमीन को लेकर विशेष अधिकार हैं। आदिवासियों को भय है कि यूसीसी के लागू होने से ये अधिकार खत्म हो जाएंगे।

छत्तीसगढ़ में यूसीसी पर भी आदिवासी संगठनों को ऐतराज

छत्तीसगढ़ में यूसीसी पर भी आदिवासी संगठनों को ऐतराज है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी से सीधा सवाल पूछा है कि इस कानून के लागू होने के बाद आदिवासी संस्कृति और प्रथाओं का क्या होगा। छत्तीसगढ़ में हमारे पास आदिवासी लोग हैं उनकी मान्यताओं और रूढ़िवादी नियमों का क्या होगा, जिनके माध्यम से वे अपने समाज पर शासन करते हैं। अगर यूसीसी लागू हो गया तो उनकी परंपरा का क्या होगा। हिंदुओ में भी कई जाति समूह हैं जिनके अपने नियम हैं।

पूर्वोत्तर के राज्यों में भी यूसीसी का विरोध

पूर्वोत्तर के राज्यों में भी समान नागरिक संहिता का विरोध तेजी से हो रहा है। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मिजोरम, नागालैंड और मेघालय में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है। मिजो नेशनल फ्रंट के नेता थंगमविया ने कहा था कि सिद्धांत के रूप में यूसीसी की चर्चा करना आसान है, लेकिन इसे मिजोरम में लागू नहीं किया जा सकता है। अगर इसे लागू किया गया तो यहां कड़ा विरोध होगा। मेघालय में आदिवासियों की आबादी 86.1 फीसदी है। जानकारी के अनुसार, मेघालय की खासी हिल्स ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने 24 जून को एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि समान नागरिक संहिता खासी समुदाय के रीति-रिवाजों, परंपराओं, प्रथाओं, शादी और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को प्रभावित करेगा। मेघालय में खासी, गारो और जयंतिया समुदाय के अपने नियम हैं। ये तीनों ही मातृसत्तात्मक समुदाय हैं और इनके नियम निश्चित रूप से यूसीसी से टकराएंगे। जबकि नागालैंड में नागालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल के अलावा नागालैंड ट्राइबल काउंसिल ने भी यूसीसी का विरोध करने की घोषणा की है।

आदिवासी अपने रीति-रिवाजों में फेरबदल नहीं चाहते

दरअसल, भारत में अभी शादी, तलाक़, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं। यूसीसी आने के बाद भारत में किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह किए बग़ैर सब पर इकलौता क़ानून लागू होगा। आदिवासी अपने रीति-रिवाजों में फेरबदल नहीं चाह रहे हैं। आदिवासियों का कहना है कि उनके कानून संवैधानिक रूप से संहिताबद्ध नहीं हैं और उन्हें डर है कि यूसीसी उनकी प्राचीन पहचान को कमजोर कर देगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि 'एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा? पीएम मोदी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है। सुप्रीम कोर्ट डंडा मारता है. कहता है कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है।

एनसीपी में जारी उठापटक के बीच राज ठाकरे का बड़ा बयान, कहा-कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बन जाए तो आश्चर्य नहीं होगा

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एनसीपी नेता अजित पवार ने प्रदेश की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया है।अजित पवार के एनडीए में शामिल होते ही वार-पलवार का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे इस पूरे घटनाक्रम को ही ड्रामा करार दिया है। राज ठाकरे ने कहा कि एनसीपी के बड़े नेता पार्टी से जा रहे हों और ऐसा कैसे हो सकता है कि यह बात शरद पवार को पता न हो।राज ठाकरे ने यह भी कहा कि अगर कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री भी बन जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

राज ठाकरे ने कहा कि दिन-ब-दिन राजनीति घिनौनी होती जा रही है। इन लोगों को मतदाताओं से कोई लेना-देना नहीं है। यह लोग सब भूल गये हैं कि पार्टी के कट्टर वोटर क्या सोचेंगे। इस समय महाराष्ट्र में अपने स्वार्थ के लिए समझौता करने की होड़ मची हुई है। राज ठाकरे ने कहा कि लोगों को इन बातों पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। राज ठाकरे ने कहा कि जल्द ही मैं एक सभा का आयोजन करूंगा। मुझे राज्य की जनता से बातचीत करनी। तब मैं हर सवाल का जवाब दूंगा। जल्द ही मेरा महाराष्ट्र दौरा भी शुरू होगा। उस समय मैं एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाऊँगा और लोगों से मिलूंगा।

मनसे चीफ ने मुंबई स्थित अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, शरद पवार भले ही ये क्यों न बोलते हों कि उनका इस घटना से कोई संबंध नहीं है। चाहे वो दिलीप वलसे पाटिल हो या प्रफुल्ल पटेल या छग्गन भुजबल हो ये लोग ऐसे ही नहीं जाएंगे पार्टी से। कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बन जाएंगी तो भी मुझे आश्चर्य नहीं होगा। इन सभी चीजों की शुरुआत सुबह की शपथ विधि से हुई, फिर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की पार्टी हुई। इसीलिए दुश्मन कौन दोस्त कौन? महाराष्ट्र में तो कुछ बचा ही नहीं है।

बता दें कि राज ठाकरे ने इससे पहले एक ट्वीट के जरिए यह दावा किया था कि शरद पवार उद्धव ठाकरे के बोझ को हटाना चाहते थे, आज उसका पहला अंक था। पवार की पहली टीम सत्ता के लिए निकल गई, जितना जल्दी होगा, दूसरी टीम सत्ता में शामिल होगी।

एनआईटी दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ली छात्रों की चुटकी, कहा-‘सबको जवानी अच्छी लगती है’

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केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो चुके हैं।पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर भाजपा विशाल जनसंपर्क अभियान चला रही है।इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर नेशननल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) पहुंचे और दिल्ली के छात्र-छात्राओं के साथ बातचीत की।इस दौरान एस जयशंकर ने छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की भी सलाह दी। इस दौरान वे छात्र-छात्राओं के साथ हल्के-फुल्के अंदाज में नजर आए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर, नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर भाजपा के एक कार्यक्रम में शिरकत करने दिल्ली एनआईटी पहुंचे थे।विदेश मंत्री जयशंकर की बातचीत में एक हल्का-फुल्का मौका भी देखने को मिला जब एक छात्र ने जयशंकर से सवाल किया कि उन्हें कौन सा जीवन सबसे ज्यादा पसंद है- एक नौकरशाह का या एक मंत्री का। इस जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा कि ‘सबको जवानी अच्छी लगती है। ऐसे में पूरा हाल ठहाकों से गूंज उठा। आमतौर पर काफी गंभीर रहने वाले विदेश मंत्री ने भी मुस्कुरा कर छात्र-छात्राओं का साथ दिया।

छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की सलाह

नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा की विशाल जनसंपर्क यात्रा के तहत एनआइटी दिल्ली के छात्रों के साथ बातचीत करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि कोई भी देश प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास को अपनाए बिना प्रगति नहीं कर सकता है। उन्होंने छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की भी सलाह दी। विदेश मंत्री ने पेट्रोलियम उत्पादों और खाद्यान्न की कीमतों पर कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध के प्रभावों का हवाला देते हुए कहा कि वैश्वीकरण ने अंदर और बाहर के बीच की सीमाओं को तोड़ दिया है और आपको समझना चाहिए कि आपके आसपास क्या हो रहा है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की रफ्तार पकड़ चुका

जयशंकर ने कहा, अपनी विदेश यात्राओं में मोदी 149 करोड़ भारतीयों की ताकत और प्रतिभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दुनिया अब भारत और उसके युवाओं की ओर देख रही है।विदेश मंत्री ने भारत को सेमीकंडक्टर विनिर्माण का केंद्र बनाने और एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन स्थापित करने की मोदी सरकार की पहल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को बताया कि किस तरह पीएम मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की रफ्तार पकड़ चुका है और पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।

9 साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में कई बदलाव हुए हैं

बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 वर्षों में कई बदलाव हुए हैं। जयशंकर ने मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि पीएम मोदी की एक अलग छवि है, खासकर लोकतांत्रिक दुनिया में एक वरिष्ठ अनुभवी और विश्वसनीय नेता के रूप में। उन्होंने कहा कि मोदी के विचारों और फैसलों का प्रभाव है।

मनीष सिसोदिया को बड़ा झटका, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

#delhi_high_court_dismissed_the_bail_petition_in_delhi_excise_policy

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के केस में उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इसी मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व मीडिया प्रभारी विजय नायर, हैदराबाद के उद्यमी अभिषेक बोइनपल्ली और बिनाय बाबू की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है। जमानत देने से इनकार करने के राउज एवेन्यू कोर्ट के निर्णय को मनीष समेत सभी आरोपित ने चुनौती दी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट में ईडी ने मनीष सिसोदिया को जमानत देने का विरोध किया था। ईडी ने कहा था मनीष सिसोदिया के पास 18 से ज्यादा मंत्रालय थे। वह बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं। अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

दिल्ली की आबकारी नीति मामले में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 9 मार्च को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से सिसोदिया न्यायिक हिरासत में हैं। इससे पहले सीबीआई ने बीती 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर 8 घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया।

पीएम मोदी का अमेरिका दौरा बाकी प्रधानमंत्रियों से कैसे था अलग? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया

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“कई प्रधानमंत्री अमेरिका दौरे पर गए हैं लेकिन पीएम मोदी का दौरा खास रहा।” ये बयान है भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का। प्रधानमंत्री मोदी की पिछले महीने अमेरिका की यात्रा के बारे में बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा अन्य यात्राओं से अलग कैसे है।यही नहीं, प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जब पीएम मोदी कुछ करते हैं तो उसका असर पूरी दुनिया पर होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में खत्म हुई अमेरिकी यात्रा को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि मैं इस यात्रा को इंदिरा गांधी की वर्ष 1982 की यात्रा से जोड़कर देखता हूं। उन्होंने कहा कि जब मैं उनके साथ नहीं गया था। लेकिन मैं राजीव गांधी के साथ 1985 में गया था। उन्होंने कहा कि पहली यात्रा जिसके दौरान वह वाशिंगटन में शारीरिक रूप से उपस्थित थे, वह 1985 में राजीव गांधी की यात्रा थी। और राजीव गांधी के बाद हुई सभी यात्राओं में से, अगर हम आम तौर पर पूछें कि तीन सबसे महत्वपूर्ण यात्राएं कौन सी थीं, तो लोग कहेंगे, 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा, परमाणु समझौते के लिए डॉ. मनमोहन सिंह की यात्रा और राजीव गांधी की यात्रा , क्योंकि उन्होंने वास्तव में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों को सुचारू बनाने की कोशिश की, जो मुश्किल था।

पीएम मोदी की यह यात्रा बिल्कुल अलग-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा बिल्कुल अलग थी। उन्होंने कहा कि यह भारतीय प्रधानमंत्री की दूसरी राजकीय यात्रा थी। इससे पहले साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमरिका की राजकीय यात्रा पर गए थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने दो बार अमेरिका की संयुक्त संसद को संबोधित किया है। जोकि इससे पहले किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने नहीं किया। इतना ही नहीं सिर्फ चार लोगों ने अमेरिका के संयुक्त संसद को संबोधित किया है। इनमें विंस्टन चर्चिल, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला शामिल हैं।

पीएम मोदी जो करते हैं, उसका पूरी दुनिया पर असर होता है-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमरिकी दौरे को लेकर पीएम मोदी की तारीफ की है और उनकी तुलना देश के बाकी प्रधानमंत्रियों से की है। उन्होंने कहा, वैसे तो देश के कई प्रधानमंत्री अमेरिकी दौरे पर गए लेकिन पीएम मोदी का दौरा कुछ अलग था। ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम मोदी की एक अलग छवि है। जयशंकर ने आगे कहा, पीएम मोदी एक वरिष्ठ, अनुभवी और विश्वसनीय नेता हैं। पीएम मोदी जब कोई कोशिश करते हैं या कोई पद लेते हैं तो उसका असर वैश्विक राजनीति पर पड़ता है। बीते नौ सालों में हमने दुनिया में कई बड़े बदलाव देखे हैं, जिनकी शुरुआत भारत से की गई।

पीएम मोदी के नेतृत्व में हो रहे असली बदलाव-जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि 'पीएम मोदी के नेतृत्व में असली बदलाव हो रहे हैं। विकास का मतलब सिर्फ इतना नहीं है कि पत्थरों का शिलान्यास किया जाए और फिर उनके बारे में भूल जाएं। यह सरकार डिलीवर करती है। अन्य सरकारें सिर्फ बोलती हैं लेकिन हमारा विश्वास है कि लोग खुद बदलाव होते हुए देखें।' विदेश मंत्री ने कहा कि आज विदेश नीति में तकनीक की अहम भूमिका है। आप चाहें या ना चाहें दुनिया आपके यहां तो आएगी ही। यह अवसरों को तौर पर भी आ सकती है और चुनौतियों के तौर पर भी। विदेश मंत्री ने कहा कि बीते नौ सालों में जो आइडिया आए हैं, वह भारत से आए हैं।

बेंगलुरु में टला दूसरा विपक्षी महाजुटान, मानसून सत्र के बाद बैठक तय की जाएगी बैठक की नई तारीख

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महाराष्ट्र की राजनीति में मचे सियासी घमासान के बीच अब 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी नेताओं की बैठक टल गई है।दावा किया जा रहा है कि संसद सत्र के कारण 13-14 जुलाई को होने वाली इस मीटिंग को टाल दिया गया है। साथ ही इसे टालने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि कर्नाटक और बिहार में विधानसभा सत्र चल रहा है। इस कारण कई विपक्षी दलों के कई नेताओं का इस मीटिंग में आ पाना मुश्किल हैं।महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच इस बैठक के टलने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

13 और 14 जुलाई को होनी थी बैठक

गैर-भाजपा विपक्षी दलों की दूसरी बैठक 13 और 14 जुलाई को बेंगलुरु में प्रस्तावित थी। बैठक की अगली तारीख अभी तय नहीं हुई है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि उम्मीद है कि विपक्षी दलों की अगली बैठक संसद के मानसून सत्र के बाद बुलाई जाएगी। संसद का मानसून सत्र इस साल 20 जुलाई से शुरू होकर 20 अगस्त तक चलेगा।

पटना में हुई थी महाजुटान की पहली बैठक

बता दें कि बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक का आयोजन 23 जून को किया गया था।पटना में हुई बैठक में 15 से ज्यादा विपक्षी दल शामिल हुए थे।इसमें ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, एमके स्टालिन समेत छह राज्यों के सीएम और अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, महबूबा मुफ्ती समेत 5 राज्यों के पूर्व सीएम शामिल हुए थे। राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी बैठक में मौजूद रहे थे।बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव और पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी को सत्ता से हटाने को लेकर रणनीति पर चर्चा हुई थी। बैठक के बाद सभी नेताओं ने साझा प्रेस कांफ्रेंस भी की थी।इसमें सभी नेताओं ने कहा था कि अगामी लोकसभा चुनाव में एकजुटता पर सहमति बनी है।

इन मुद्दों पर बनी थी बात

बैठक के बाद बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि बैठक से तीन चीजें क्लीयर हो गई हैं। पहला कि हम एक हैं, दूसरा- साथ-साथ चुनाव लड़ेंगे और तीसरा कि बीजेपी के हर एजेंडे का सामूहिक तौर पर विरोध करेंगे। बैठक में इस बात पर सभी दलों में सैद्धांतिक सहमति बनी थी कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार होगा। जिस दल का जो उम्मीदवार पिछली बार जीता या दूसरे नंबर पर रहा, वह सीट उसी दल को दी जाएगी। बैठक में ये भी तय निर्णय हुआ था कि अब विपक्षी गठबंधन का नाम यूपीए नहीं रहेगा, लेकिन नया नाम क्या होगा, इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका। बैठक में राय बनी थी कि सारी बातें अगली बैठक में ही तय होंगी।

‘बीजेपी को उनकी जगह दिखाएंगे’, भतीजे अजीत की बगावत के बाद शरद पवार की हुंकार

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महाराष्ट्र भीषण सियासी संकट से गुजर रहा है। शिवसेना में टूट के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी बगावत हो गई है। अजित पवार ने अपनी ही पार्टी एनसीपी से बगावत कर दी है।चाचा शरद पवार से अलग होकर वह एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए है। पार्टी के टूट जाने के बाद एनसीपी के चीफ शरद पवार महाराष्ट्र के कराड पहुंचे। यहां सतारा में शरद पवार के समर्थन में कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुटी है।शरद पवार और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने महाराष्ट्र के कराड में पहले पूर्व सीएम यशवंतराव चव्हाण को पुष्पांजलि अर्पित की। फिर शरद पवार ने अपने समर्थकों को संबोधित किया।

देशभर में विपक्ष की सरकार खत्म करने में तुली बीजेपी-पवार

पार्टी में टूट के बाद सतारा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एनसीपी के नेता शरद पवार ने कहा कि सभी को लोकतांत्रित अधिकार के लिए कोशिश करनी चाहिए। राज्य में धार्मिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि देशभर में विपक्ष की सरकार खत्म करने पर तुली हुई है।

चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है-पवार

शरद पवार ने कहा कि हमारी विचारधारा सांप्रदायिकता और जातिवाद के खिलाफ है। महाराष्ट्र में जातिवाद की राजनीति नहीं चलेगी और महाराष्ट्र को अपनी एकता दिखानी होगी। शरद पवार बोले- चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में पार्टी तोड़ने की कोशिश की गई है। बीजेपी कई राज्यों में इस तरह का खेल कर रही है। हम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र की सेवा कर रहे हैं लेकिन कुछ लोगों ने हमारी सरकार गिरा दी। देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी ऐसा ही हुआ। पवार ने कहा कि हमें नई शुरुआत करनी है। 5 जुलाई को पार्टी नेताओं की अहम बैठक बुलाई है।

जो छोडकर गए उनकी सही जगह दिखाऊंगा-पवार

सतारा में शरद पवार ने भतीजे की बगावत पर कहा कि मेरी ताकत अभी बाकी है जो छोडकर गए उनकी सही जगह दिखाऊंगा। उन्होंने कहा, धोखा देने वालों को बाजू में करके फिर महाराष्ट्र में घुमूंगा और नए लोगों के लेकर प्रगति पर लेकर जाने के लिए टीम बनाऊंगा।

पांचवीं बार राज्य के उपमुख्यमंत्री बने

बता दें कि अजीत पवार ने शरद पवार को बहुत बड़ा झटका दिया है। उन्होंने एनसीपी से बगावत कर देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के साथ मिल गए। अजीत पवार अब एनडीए का हिस्सा हो गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने पांचवीं बार राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।