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भारत ने एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप किया अपने नाम : फाइनल में ईरान को 42- 32 से हराकर भारत ने जीता खिताब


साउथ कोरिया के बुसान में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए एशियाई कबड्डी चैम्पियनशिप 2023 का खिताब जीत लिया। बुसान में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने 42-32 से ईरान को हरा कर एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप अपने नाम किया। 

प्रतियोगिता के 9 संस्करणों में से 8 बार भारत ने यह ख़िताब जीता है। भारतीय टीम शुरुआत में पिछड़ रही थी, हालांकि उन्होंने जल्दी ही बेहतरीन वापसी की और 10वें मिनट में कप्तान पवन सहरावत और असलम इनामदार की सफल रेड की मदद से ईरानी टीम को ऑल आउट कर दिया। भारतीय कप्तान पवन सहरावत ने मैच में एक सुपर 10 भी हासिल किया। पहले हाफ़ में भारतीय टीम ने 23-11 की मज़बूत बढ़त बना ली थी। हालांकि, ईरानी कप्तान मोहम्मदरेज़ा शादलू चियानेह ने दो अंकों की रेड के बाद एक सुपर रेड के साथ 29वें मिनट में भारत को भी पहली बार ऑल आउट किया। 

एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप में छह टीमों ने हिस्सा लिया था। जिसमें भारत, ईरान, जापान, हांगकांग कोरिया, और चीनी ताइपे शामिल थे। भारत ने लीग स्टेज के सभी पांच मैचों में जीत हासिल की और अंक तालिका में शीर्ष नंबर पर रहा। लीग स्टेज में ईरान को सिर्फ़ एक हार का सामना करना पड़ा जो उन्हें भारत से मिली और इस हार के साथ वे अंक तालिका में दूसरा स्थान पर रहा।

हेमंत सरकार के पहल पर अब झारखंड की चिकित्सा व्यवस्था हुई मज़बूत,कई विशेषज्ञों की मिल रही है यहां सेवा


झारखंड में इन दिनों स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सरकार की पहल और सरकार की कार्ययोजना से राज्य की स्वास्थ्य सेवा मज़बूत हुई है.सरकारी और निजी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार भी हुआ है. पहले राज्य में सिर्फ तीन मेडिकल कॉलेज थे, जो अब आठ हो गयी है. रिम्स में नयी सेवा शुरू होने से मरीजों को लाभ मिल रहा है. एम्स देवघर और टाटा कैंसर अस्पताल के कारण राज्य के मरीजों को महानगरों में इलाज के लिए नहीं जाना पड़ रहा. हार्ट और कैंसर सर्जरी के अलावा गंभीर और सामान्य बीमारी का इलाज अब अत्याधुनिक तकनीक से संभव हो पाया है. 

रिम्स में भी खुले कई असाध्य बीमारियों के लिए फैकल्टी

राजधानी स्थित राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आरएमसीएच के रिम्स बनने के बाद सुपरस्पेशियलिटी विंग स्थापित किये गये हैं. कैंसर, हृदय रोग और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों के लिए अलग-अलग विभाग हैं, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम है.

 कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग में ओपेन हार्ट सर्जरी और बच्चों की हार्ट सर्जरी की जा रही है. किडनी मरीजों के लिए डायलिसिस की सुविधा है. वहीं, कैंसर की जटिल सर्जरी भी की जा रही है. राहत की बात यह है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत अधिकतर इलाज मुफ्त में किये जा रहे हैं. सर्जरी में उपयोग होनेवाले इंप्लांट का खर्च भी आयुष्मान भारत योजना से नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है.

केंद्र सरकार से भी मिला देवघर में एम्स के सौगात

इधर, राज्य में एम्स देवघर की स्थापना से मरीजों को बेहतर इलाज मिलने लगा है. ओपीडी में परामर्श के साथ-साथ उनको आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी की सलाह भी दी जा रही है. यहां सुपरस्पेशियलिटी विंग भी स्थापित की गयी है, जहां गंभीर बीमारी का इलाज भी किया जा रहा है.

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए सरकार ने किया 633.01 करोड़ का आवंटन

राज्य में शहरी लोगों को उनके पास के स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सेवा मुहैया कराने के लिए अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को स्थापित किया गया है. अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में आयुष चिकित्सा पद्धति को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां योग प्रशिक्षकों को नियुक्त किया गया है. इलाज का दायरा बढ़ाने के लिए अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इस मद में 633.01 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 125.17 करोड़, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 131.42 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 138 करोड़ का आवंटन किया गया है. इस आवंटित राशि से शहरों में 2000 से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जायेंगे और वहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी.

राँची सदर अस्पताल में : 10 रुपये में सुपरस्पेशियलिटी सेवा

राजधानी में 520 बेड वाले सदर अस्पताल में मरीजों को बेहद सस्ती दरों पर जांच से लेकर उपचार तक की सुविधाएं मिल रही हैं. यहां गंभीर मरीजों को अब केंद्रीयकृत वातानुकूलित व्यवस्था के बीच कई सुपरस्पेशियलिटी सेवाएं मिल रही हैं. इमरजेंसी से लेकर आइसीयू व मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, पैथोलॉजिकल लैब और सेकेंड फ्लोर पर रेडियोलॉजी विभाग की सेवाएं सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं. अत्याधुनिक सर्जरी की सुविधा : सदर अस्पताल में 30 एडल्ट आइसीयू, 30 पीडियाट्रिक और 30 महीने के अंदर के नवजातों के लिए 20 एसएनसीयू की आधुनिक सुविधा उपलब्ध है. हेमेटोलॉजी डिपार्टमेंट में रक्त विकार, ब्लड कैंसर उपचार की सुविधा, जेनेटिक डिसऑर्डर विभाग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया सहित अन्य आनुवांशिक बीमारियों से जुड़े उपचार की सुविधाएं मामूली शुल्क पर दी जा रही हैं.

कई फैकल्टी के स्पेशलिस्ट चिकित्सक की हुई बहाली

बाह्य रोगी विभाग में ऑप्थेल्मोलॉजी, ऑब्स एंड गाइनी, इएनटी, डेंटल, यूरोलॉजी, ऑर्थो, स्किन एंड बीडी, ऑर्थोपेडिक सर्जरी, कार्डियो डायबीटिक, फिजियोथेरेपी, फैमिली प्लानिंग काउंसलिंग, पीडियाट्रिक, इमरजेंसी ओपीडी, पैलियेटिव केयर वार्ड, डेंटल, डायलिसिस, मेंटल हेल्थ, कैंसर स्क्रीनिंग और जनरल सर्जरी विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टर सेवा दे रहे हैं.

कांके की मेडिको सिटी में मिलेगी हर सुविधा

राज्य सरकार रांची के कांके में 350 एकड़ में मेडिको सिटी की स्थापना करने की तैयारी कर रही है. इसमें मेडिकल कॉलेज, 500 बेड के सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल, पारा मेडिकल संस्थान, नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर, फार्मेसी कॉलेज, आयुष अस्पताल आदि की व्यवस्था एक ही कैंपस में होगी. इसमें सभी संस्थान और अस्पताल पीपीपी मोड पर संचालित किये जायेंगे.

जन औषधि व अमृत फार्मेसी से मिल रहीं हैं सस्ती दवाएं

राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र और अमृत फार्मेसी की शुरुआत भी की गयी है. यहां पर 80 से 85 फीसदी तक जेनेरिक दवाओं पर छूट दी जाती है. अमृत फार्मेसी में सर्जिकल आइटम और ब्रांडेड दवाओं पर 20 फीसदी तक छूट दी जाती है.

संक्रामक बीमारियों की जांच के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं

संक्रामक बीमारियों की जांच की सुविधा भी रिम्स में उपलब्ध है. पहले सैंपल भुवनेश्वर और कोलकाता भेजा जाता था. इसके अलावा सभी जिलों में आरटी-पीसीआर और ट्रूनेट के माध्यम से भी जांच सुविधा है. वहीं, रांची और दुमका में कोबास मशीन से भी जांच हो रही है.

राज्य में 8,165 व्यक्ति पर एक डॉक्टर

आबादी के हिसाब से डॉक्टरों के मामले में देश की तुलना में झारखंड अब भी पीछे है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में 1,324 लोगों के इलाज के लिए एक डॉक्टर हैं. वहीं, झारखंड में 8,165 लोगों पर एक डॉक्टर है. इधर, राज्य के एक अस्पताल पर 65,832 लोगों के इलाज का दबाव भी है. राज्य के सरकारी अस्पतालों में कुल बेड की संख्या 11,184 है, जो वर्ष 2001 की तुलना में दोगुनी से अधिक है.

झारखंड, रांची के मोराबादी मैदान में अग्निवीर भर्ती रैली : पहले दिन पांच जिले के युवाओं को मिलेगा मौका


इंडियन आर्मी की ओर से राज्य में 1जुलाई से 9 जुलाई तक अग्निवीर भर्ती रैली शुरू की जा रही है। यह भर्ती रैली राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में लगायी गयी है। इसमें 24 जिला के करीब 13 हजार अभ्यार्थी शामिल होंगे।

गौरतलब है कि बिहार-झारखंड रिक्रूटमेंट जोन के ड्यूटी डायरेक्टर जनरल रिक्रूटमेंट ब्रिगेडियर मुकेश गुरूंग के अनुसार लिखित परीक्षा में पास अभ्यर्थी ही इस रैली में शामिल होंगे। अग्निवीर बहाली में 21 वर्ष या उससे कम उम्र के अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा। शारीरिक शिक्षा में पास अभ्यर्थियों का मेडिकल टेस्ट मोराबादी मैदान में ही किया जाएगा। सभी अभ्यर्थियों को निर्देश दिया गया है कि अपने दस्तावेजों का सत्यापन कराकर रैली में पहुंचें। 

आर्मी भर्ती ऑफिस रांची की ओर से दी गयी जानकारी के मुताबिक आज पहले दिन पांच जिलों के उम्मीदवार बहाली के लिए दौड़ेंगे। आज जिन जिले के उम्मीदवार शामिल होंगे उनमें दुमका, चाईबासा, गढ़वा, जामताड़ा और लोहरदगा शामिल हैं। वही 2 जुलाई को बोकारो, गोड्डा, पश्चिमी सिंहभूम, कोडरमा

3 जुलाई को गिरिडीह, खूंटी, सरायकेला खरसांवा, सिमडेगा

4 जुलाई को गुमला, पलामू

5 जुलाई को चतरा, देवघर, धनबाद

6 जुलाई को हजारीबाग, रामगढ़, साहेबगंज, पाकुड़, लातेहार

7 जुलाई को रांची जिला के अभ्यर्थी शामिल होंगे। 8 जुलाई को क्लर्क व स्टोर कीपर और 9 जुलाई को सभी जिला के लिए ट्रेड्समैन की बहाली होगी।

आज 1 जुलाई से स्कूलों के समय में आया बदलाव, जाने क्या है उनकी टाइमिंग

झारखंड में मानसून के दस्तक दिए करीब 10 दिन हो गए। तापमान में काफी गिरावट भी आई है। बीते दिनों गर्मी को देखते हुए स्कूलों में छुट्टी भी बढ़ाई गई थी।

एक जुलाई से सभी सरकारी व सहायता प्राप्त गैर सरकारी विद्यालयों का समय सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक संचालित होंगे। वर्तमान में प्रात:कालीन व्यवस्था के तहत सभी स्कूल सुबह सात बजे से अपराह्न एक बजे तक संचालित हो रहे थे। शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने कहा है कि स्कूलों में आदर्श दिनचर्या के मुताबिक हर बुधवार व शनिवार को शारीरिक शिक्षा संबंधी क्लास होगी। इसमें पीटी एरोबिक ड्रिल योगा होगा। इसमें सभी शिक्षक शामिल होंगे। शुक्रवार या शनिवार में से कोई एक दिन पुस्तकालय का होगा जिसमें बच्चे 1 घंटे अपनी पसंद की पुस्तके पढ़ेंगे।

राँची: खादगढ़ा बस स्टैंड में गुरुवार को एक घंटे के अंदर 9 बसों के जलने के मामले का पुलिस ने किया उदभेदन,


बस को आग के हवाले करने वाला अपराधी निकला नाबालिग,क्यों किया उसने यह अग्निकांड जानने के लिए पढिये पूरी खबर....?

झारखंड की राजधानी रांची में एक साथ 9 बसों में हुए अग्निकांड से पुलिस ने चौबीस घंटे के भीतर ही पर्दा उठा दिया है. सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस आरोपी के गिरेबान तक पहुंचने में कामयाब हो गयी.

 हैरानी की बात तो ये है कि रांची शहर के सबसे बड़े अग्निकांड को अंजाम देने वाला कोई शातिर अपराधी नहीं, बल्कि एक नाबालिग है. झारखंड के सबसे बड़े बस स्टैंड में नौ बसों को केवल एक नाबालिग ने एक मामूली से लाइटर और स्प्रे की मदद से ख़ाक कर दिया.

 रांची पुलिस ने नामकुम में रहने वाले एक नाबालिग को आज हिरासत में लेकर जब पूछताछ की, तो नाबालिग ने कांड में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है. 

नाबालिग किशोर की शिनाख्त पर पुलिस इस मामले में शामिल कुछ अन्य लोगो की तलाश में भी जुट गयी है.

रांची के एसएसपी कौशल किशोर ने बताया कि नाबालिग युवक के पास से पुलिस ने एक स्प्रे और लाइटर बरामद किया है. इसी लाइटर और स्प्रे के जरिए उसने एक-एक कर 9 बसों को आग के हवाले कर दिया. इस अगलगी में 8 बस तो पूरी तरह जलकर खाक हो गए थे, मगर एक बस जलने से बच गया. पुलिस की पूछताछ में नाबालिग ने यह बताया है कि उसने बस की टंकी के पास पहले इस स्प्रे को मारा और फिर लाइटर से उसमें आग लगा दी. इस वजह से आग तेजी से आगे फैलती चली गई.

विदित हो कि रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड में गुरुवार को एक घंटे के अंतराल में दो बार दो अलग अलग जगहों पर आग लगने से नौ बसे ख़ाक हो गयी थी. इनमे निसान, एलडी मोटर्स, माँ भवानी और राधे श्याम ट्रांसपोटर्स की बसे शामिल है. इसके अलावा एक स्कूल बस भी जलकर स्वाहा हो गयी थी. इस घटना ने पूरे शहर में सनसनी मचा दी थी.

काम से निकाले जाने की वजह से दिया कांड को अंजाम: 

नाबालिग किशोर ने पहले खादगढ़ा बस स्टैंड में ही खलासी का काम करता था. जिसे बाद में बस संचालक द्वारा काम से निकाल दिया गया था. शक इस बात को लेकर भी है कि शायद इस नावालिग ने इसकी भड़ास निकालने के लिए ही आठ बसों को आग के हवाले कर दिया. उसने बड़ी चालाकी से कांड को अंजाम दिया. पहले इसने तीन बसों में आग लगाई. फिर जब सबका ध्यान उन बसों पर था, तो इसने मौका पाकर अन्य पांच बसों को भी आग के हवाले कर दिया.

बहुचर्चित अग्रवाल बंधु हत्याकांड में कोर्ट का आया फैसला, लोकेश चौधरी सहित 3 को आजीवान करावास

राँची: लालपुर के दो सगे भाई हेमंत और महेंद्र अग्रवाल हत्या मामले में कोर्ट का फैसला सामने आया। अपर न्याययुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने न्यूज चैनल के मालिक लोकेश कुमार चौधरी, गार्ड धर्मेंद्र कुमार तिवारी और लोकेश का बॉडीगार्ड सुनील सिंह शामिल हैं।

आज इस मामले में अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने तीनों दोषियों को सजा सुनाई है। अग्रवाल बंधु हत्याकांड मामले में दोषी करार लोकेश कुमार चौधरी समेत 3 को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही सभी पर 20-20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं जुर्माना नहीं देने पर अतिरिक्त एक-एक साल की सजा और भुगतना होगा।

 

बता दे कि लोकेश कुमार चौधरी, लोकेश का बॉडीगार्ड सुनील सिंह और गार्ड धर्मेंद्र कुमार तिवारी को कोर्ट ने दोषी ठहराए जाने के बाद तीनों आरोपी को जेल भेजा था। जबकि चौथा आरोपी ड्राइवर रवि शंकर लाल था जिसे कोर्ट ने निर्दोष ठहराते हुए बरी किया है।

आज हुल दिवस पर विशेष: जानिए संथाल विद्रोह के नायक के वंशज आज किस हाल में है....?

(विनोद आनंद)

आज 30 जून हुल दिवस पर नेताओं का साहिबगंज के बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह में जमघट लग रहा है। खुद राज्य के मुख्यमंन्त्री हेमंत सोरेन यहां आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वनांचल एक्सप्रेस से विदा हो गए हैं।

अन्य पार्टी की नेताओं का भी आगमन हो रहा है।आज समारोह पूर्वक भोगनाडीह गांव के 4 संताल आदिवासी भाइयों सिद्धो, कान्हू, चांद और भैरव को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

 ये चारों भाई ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था।इनका विद्रोह ने अंग्रेजी हुकूमत की नींद हराम कर दी थी। इनकी बीरता और साहस ने इस क्षेत्र के और लोगो को प्रोत्साहित किया और इनके नेतृत्व में एक सशस्त्र क्रांति का शुरुआत हुई । 1855 में आज ही दिन भोलनाडीह गांव के सिद्धू-कान्हू की अगुवाई में झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरु कर दिया । 400 गांवों के 50,000 से अधिक लोग जुट गए। सिद्धो, कान्हू, के नेतृत्व में जंग का ऐलान कर दिया और हमारी माटी छोड़ो का नारा दिया। 

आदिवासियों ने परंपरागत शस्त्र की मदद से इस विद्रोह में हिस्सा लिया था।

1855 में शुरू हुई इस जंग को इतिहास में संताल हुल विद्रोह के नाम से जाना जाता है। ये चारों भाइयों ने इस जंग में अपनी शहादत दी थी।

सिद्धू-कान्हू की तीर-कमान वाली सेना अंग्रजों के बंदूक के आगे टिक नहीं पाई। सिद्धू को अगस्त 1855 में पकड़कर पंचकठिया नामक स्थान पर बरगद के पेड़ पर फांसी दी गई जबकि कान्हू को भोगनाडीह में फांसी दी गई।

इतिहास के इसी अध्याय को याद करते हुए प्रत्येक वर्ष झारखंड सरकार, राज्य के सभी दलों के नेता , उस क्रांति की याद में 30 जून को हूल दिवस मनाते हैं। 

भोगनाडीह में राज्य के मुखिया सहित तमाम बड़े नेताओं का मजमा लगता है। लेकिन दुख तो इस बात की है कि 1855 के संताल विद्रोह के जिस संथाल नायक ने अपनी शहादत दी उनके वंशज के कई परिवार आज भी तंगहाली से अपना जिंदगी गुजार रहे हैं। परिवार के कुछ लोग तो आज सरकारी नौकरी पाकर एक सामान्य जीवन जी रहे हैं ।बाकी लोग आज भी गरीबी और तंगहाली में हैं। जो दो बक्त के रोटी के लिए या तो सरकारी राशन पर निर्भर हैं। या मज़दूरी से जुटने वाले हाज़री पर। खेती के लिए इनके हिस्से में जितनी भी जमीन है, उसमें थोड़ा-बहुत ही अनाज होता है।

ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति आंदोलन में शहीदों हुए इन चारों भाई के वंश के कुल 18 परिवार हैं। इनमें से सात परिवारों के सदस्यों को नौकरी दी जा चुकी है। नौकरी करने वाले के परिवारों की स्थिति अपेक्षाकृत थोड़ी ठीक है। सभी परिवारों को मॉडल आवास, प्रधानमंत्री आवास और अंबेडकर आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराए गए हैं। इन परिवारों में सिदो मुर्मू और कान्हू मुर्मू की चौथी पीढ़ी से लेकर सातवीं पीढ़ी तक के सदस्य शामिल हैं। शहीदों के एक वंशज रसका मुर्मू इन दिनों बीमार हैं।

 उनकी पत्नी शीला हांसदा के अनुसार उनके पति को पेट में ट्यूमर है। होपना मुर्मू के पुत्र लीला मुर्मू गंभीर रूप से बीमार हैं।

आज ही के दिन 30 जून 1855 में शुरू हुआ था संताल विद्रोह

अंग्रेजों द्वारा वसूली जा रही मालगुजारी के खिलाफ 30 जून, 1855 को झारखंड के आदिवासियों ने विद्रोह का बिगुल फूंका था। इसे संताल विद्रोह के नाम से जाना जाता है। सिद्धो मुर्मू और कान्हू मुर्मू ताथ चांद मुर्मू और भैरव मुर्मू के नेतृत्व में इस दिन लगभग 400 गांवों के करीब 50 हजार लोगों ने सिदो-कान्हू के गांव साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में इकह्वा होकर अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था। 

इस विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी थीं। अंग्रेजों ने चांद और भैरव को मार डाला था। इसके बाद सिदो और कान्हू को भोगनाडीह में ही पेड़ से लटकाकर 26 जुलाई 1855 को फांसी दे दी थी। इन्हीं शहीदों की याद में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है। हूल संताली भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है विद्रोह।

शहीद के वंशजों ने सीएम सोरेन को पत्र लिखकर लगाया है गुहार

परेशान वंशज परिवार के मंडल मुर्मू ने बीते 18 जून को ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 13 सूत्री मांग पत्र भेजा है। उन्होंने मांग पत्र में सिदो-कान्हू मुर्मू ,चांद-भैरव मुर्मू व फुलो-झाना मुर्मू की प्रतिमा में हर जगह एकरूपता लाने, वंशज परिवारों को शहीद पेंशन देने, स्वास्थ्य कार्ड की सुविधा देने, वंशज परिवार के बच्चों को अच्छे स्कूल में शिक्षा की सुविधा देने, वंशज परिवार के सदस्य को शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सीधी नौकरी देने, सिंचाई के लिए डीप बोरिंग की व्यवस्था करने का आग्रह किया है।

आखिरकार ईडी कार्यालय पहुंचे जेल अधीक्षक हामिद अख्तर और जेलर

बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक हामिद अख्तर आखिरकार आज शुक्रवार को ईडी ऑफिस पहुंचे। इसके बाद उनसे पूछताछ शुरू कर दी गयी है। पिछले दो सम्मन में हाजिर न होने पर ईडी ने 27 जून को जेल अधीक्षक और जेलर को नये सिरे से समन जारी कर 30 जून को ईडी के रांची जोनल ऑफिस में उपस्थित होने को कहा था। जेल अधीक्षक पर आरोप है कि जेल में नियमों का उल्लंघन कर आरोपियों को आपस में मिलने दिया।

दरअसल 4 मई को देर रात रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन ने जेल में बंद प्रेम प्रकाश से अपनी बैरक में मुलाकात की थी जो नियम के विरुद्ध है। वही आरोपियों से मुलाकात से संबंधी सीसीटीवी फुटेज मांगने पर ED को गलत फुटेज उपलब्ध कराया गया। 

सूत्रों के अनुसार जेलर के पास ही सभी सेल की चाबियां होती है। ऐसे में सेल बंद किए जाने के बाद आदेश से प्रेम प्रकाश के सेल को खोल कर अपर सेल में बंद छवि रंजन से मुलाकात कराई गई। इन सभी सवालों का जवाब आज ईडी जेल अधीक्षक और जेलर से जानना चाहेगी।

रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड में धू-धू कर जलने लगीं 6 बसें


रांची के कांटा टोली चौक स्थित खादगढ़ा बस स्टैंड में गुरुवार को 6 बसे आग से जल कर खाक हो गई। पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है।

खादगढ़ा बस स्टैंड में निशांत ट्रेवल्स, मां भवानी ट्रेवल्स और एलडी मोटर्स के बसों में सुबह अचानक आग लग गई। अभी आग की लपटे ठंडी भी नहीं हुई थी कि ठीक इसके कुछ ही दूरी पर तीन और बसों में आग लग गई। दमकल के वाहन मौके पर पहुंची जिसके बाद एक बस को पूरी तरह जलकर राख होने से बचा लिया गया।

 इस अगलगी के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आग कैसे लगी या फिर आग किसने लगाई। क्योंकि आग का जो पैटर्न है उससे आशंका जाहिर की जा रही है कि आग किसी साजिश के तहत लगाई गई है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि जिन बसों में आग लगी उनमें से कोई भी AC बस नहीं थी। AC बसों में आमतौर पर शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगाने की आशंका होती है।

झारखंड में दवा दुकान खोलने के लिए अब फार्मासिस्ट की डिग्री की जरूरत नहीं : सीएम हेमंत सोरेन


रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के युवाओं के लिए एक बड़ा ऐलान किया है. कल्याण गुरुकुल और कौशल कॉलेज के 500 छात्र-छात्राओं को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब पंचायत स्तर पर भी दवा की दुकानें खुलेंगी, ताकि लोगों को दवा के लिए दूरदराज के इलाकों में जाना नहीं पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि पहले दवा दुकान खोलने के लिए फार्मासिस्ट की डिग्री होनी चाहिए थी, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं है. अब पढ़े-लिखे युवा भी दवा दुकान खोल सकते हैं.

पढ़े-लिखे युवा भी खोल सकते हैं दवा दुकान

राजधानी रांची के नगड़ा टोली स्थित आईटीआई कौशल कॉलेज परिसर में नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले दवा दुकान खोलने के लिए फार्मासिस्ट की डिग्री होनी चाहिए थी, लेकिन अब जब दवा के डब्बे में ही सबकुछ लिखा हुआ है, तो डिग्री की क्या जरूरत है. कहा कि जिसे पढ़ना-लिखना आता हो वो भी दवा दुकान खोल सकते हैे. कहा कि गांव या पंचायत में जो दवा दुकान चला रहे हैं, उसके लिए ऑनलाइन डॉक्टरों से संपर्क करने की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाएगी.

अब तक 30 हजार युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेझा फाउंडेशन और राज्य सरकार मिलकर इस राज्य में यहां के अनुसूचित जाति एवं जनजाति और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बच्चों में स्वावलंबी बनाने को प्रयासरत है. अभी तक 30 हजार युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया है. कहा कि कोरोना काल में भी प्रेझा फाउंडेशन की तरफ से नर्सिंग का नियुक्ति पत्र दिया गया और आज दोबारा यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है

राज्य के 80 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में करते हैं निवास

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड प्रदेश देश के अत्यंत पिछड़े राज्य में से एक है और इस राज्य में 80 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं. जीविका के लिए कई चुनौतियां इस राज्य के साथ जुड़ा हुआ है. गरीबी भी बड़े पैमाने पर है. जब हमने राज्य को अपने हाथ में संभाला उसी समय से हमारी सोच रही है कि आर्थिक आमदनी में कैसे बढ़ोतरी हो और कैसे इसका रास्ता निकाला जाए. कहा कि 15 लाख से अधिक लोग रोजगार की तलाश में बाहर जाते हैं. अच्छी आमदनी के लिए यहां के लोगों का पलानयन होता है. लेकिन, राज्य सरकार इन युवाओं को बाहर ना जाकर अपने यहां ही बेहतर कार्य उपलब्ध कराने को प्रयासरत है. 

अब लड़के भी करेंगे नर्सिंग की पढ़ाई

उन्होंने कहा कि राज्य को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए एयर एंबुलेंस की शुरुआत हुई. जल्द ही चेन्नई के अपोलो अस्पताल का एक नया भवन अस्पताल यहां शुरू होगा. अजीम प्रेमजी से बात हो रही है. जल्द ही नये कॉलेज और नर्सिंग अस्पताल शुरू होंगे. कहा कि आज हजारों बच्चियां नर्सिंग की कोर्सेस लेकर तैयार है. नर्सिंग का कोर्स सिर्फ लड़कियां ही नहीं करेंगी, बल्कि लड़के भी कर सकेंगे. इस पर पहल की जायेगी. बहुत जल्द इस पर काम किया जाएगा. 

जल्द शुरू होगी पैथोलॉजी लैब की ट्रेनिंग

सीएम हेमंत ने कहा कि स्थानीय संस्थानों ने 75 प्रतिशत और 40 हजार वेतनमान के तौर पर काम पर रखना है. स्थानीय संस्थाओं में 75% और 40 हजार से कम वेतनमान वाले स्थानीय लोगों को रखने की बात हम कर रहे हैं. लैब सेंटर खोलने की बात हमने कही है, ताकि यहां की बच्चियों को स्वरोजगार मिल सके. जल्द यहां पर पैथोलॉजी लैब की ट्रेनिंग शुरू की जाएगी, ताकि खून समेत अन्य की जांच के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।