व्यक्तिकृत चिकित्सा दिखा सकती है भविष्य की नई राह : डॉ. भट्ट
गोरखपुर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनंत नारायण भट्ट ने कहा है कि पर्सनलाइज्ड मेडिसिन (व्यक्तिकृत चिकित्सा) भविष्य की चिकित्सा व्यवस्था को नई राह दिखा सकती है। मानव जिनोम सिक्वेंसिंग का पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में उपयोग बदलती आवश्यकता के अनुरूप चिकित्सा तंत्र के समयानुकूल सशक्त होने का संकेतक है। पर्सनलाइज्ड मेडिसिन को भविष्य की चिकित्सा व्यवस्था बनाने में आयुर्वेद को बड़ी व महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना होगा।
डॉ. भट्ट रविवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के सम्बद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय की तरफ से आयोजित 'भारतीय चिकित्सा पद्धति में विज्ञान, प्रौद्योगिकी के समन्वित प्रयास से आयुर्वेद चिकित्सा का एकीकरण' विषयक व्याख्यानमाला को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ह्यूमन जिनोम सिक्वेंसिंग की उपयोगिता भविष्य की चिकित्सा व्यवस्था को एक नई दिशा दे सकता है। अपने व्याख्यान में डॉ. भट्ट ने आयुर्वेद के लाभों से सबको अवगत कराया। बताया कि पेट मानव शरीर का दूसरा मस्तिष्क है तथा वात, कफ व पित्त का असंतुलन ही रोग का कारण है। बीमारियों से बचने के लिए वात, कफ व पित्त का नियमन बहुत जरूरी है। उन्होंने आयुर्वेद से संबंधित स्टार्टअप्स के लिए नवाचार पर बल देने के साथ देश में विभिन्न स्थानों पर पंचकर्म केंद्र खोलने की महत्ता पर प्रकाश डाला। डॉ. भट्ट ने रोग के निदान में जर्म थियरी एवं टेरेन थियरी पर भी चर्चा की।
वैदिक ग्रंथों में वर्णित चिकित्सा प्रणाली ही आधुनिक चिकित्सा का आधार : डॉ. रामनाथन
द्वितीय व्याख्यान में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में रसायन विज्ञान विभाग के आचार्य डॉ. वेंकेटनारायण रामनाथन में प्राचीन भारतीय इतिहास और प्रोद्योगिकी में रसायन विज्ञान की भूमिका एवं विविधता से सभी को परिचित कराते हुए कहा कि भारतीय वैदिक एवं प्राचीन ग्रंथो में वर्णित चिकित्सा प्रणाली ही आधुनिक चिकित्सा का आधार है। उन्होंने रसायन शास्त्र के योगदान के महत्व को बताते हुए कहा कि पुरातन स्वर्ण पहचान की परंपरा अभी तक गोल्ड स्टैंडर्ड तकनीक के रूप में प्रयोग हो रही है।
उन्होंने कई धातु जैसे तांबा, जस्ता के शोधन में भारत के पुरातन योगदान का उल्लेख किया जिसे विदेशी सभ्यताओं ने भी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनाया। डॉ. रामनाथन ने जनमानस को अपने पुरातन संस्कृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया। साथ ही प्राचीन ग्रंथो को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने पर बल दिया।
एक अन्य व्याख्यान में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता इसी प्रो. सुनील कुमार ने आयुर्वेद में जैव प्रोद्योगिकी के एकीकरण की महत्ता पर प्रकाश डाला।
महंत अवेद्यनाथ व योगी आदित्यनाथ पर दो ग्रंथों का हुआ विमोचन
कार्यक्रम के शुरुआत में अतिथियों द्वारा महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के हिंदी प्रवक्ता और योगवाणी के संपादक डा. फूलचंद प्रसाद गुप्त द्वारा संकलित और संपादित दो ग्रंथों 'राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ वचनामृत' और 'महंत योगी आदित्यनाथ वचनावली' का लोकार्पण किया गया। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने दीप प्रज्वलित कर किया।
आभार ज्ञापन संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय की सहायक आचार्य डॉ. अनुपमा ओझा व संचालन बीएससी बायोटेक्नोलॉजी प्रथम वर्ष की छात्रा शगुन शाही ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, अधिष्ठाता कृषि विज्ञान संकाय डॉ. विमल कुमार दूबे, प्राचार्या गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्राचार्या डॉ. डीएस अजीथा, आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मंजूनाथ एनएस समेत विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
Apr 24 2023, 21:28