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अतीक अहमद के करीबी गुड्डू मुस्लिम की हो रही सरगर्मी से तलाश, यूपी पुलिस उसके हर संदिग्ध ठिकानों पर कर रही छापेमारी


उत्तरप्रदेश की पुलिस किसी भी हाल में गुड्डू मुस्लिम को पकड़ना चाहती है। यूपी पुलिस गुड्डू मुस्लिम के हर संदिग्ध ठिकानों पर पर छापेमारी कर रही है। लेकिन गुड्डू मुस्लिम अचानक से कहां गायब हो गया है। गुड्डू मुस्लिम, उमेश पाल की हत्या के आरोपियों में से एक है।

गुड्डू मुस्लिम के ड्राइवर के करीबी से पूछताछ

पुलिस को उसकी लास्ट लोकेशन उड़ीसा में मिली थी। जिसके बाद पुलिस वहां पहुंच गई मगर तब तक गुड्डू मुस्लिम फरार हो चुका था। पुलिस अभी भी उसकी तलाश कर रही है और हो सकता है कि वह जल्द ही गिरफ्त में हो, क्योंकि पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम के ड्राइवर के करीबी से पूछताछ की है।

बरगढ़ पुलिस के सूत्रों का कहना है कि यूपी एसटीएफ की टीम ने गुड्डू मुस्लिम के ड्राइवर के करीबी राजा खान से पूछताछ की है। इस सिलसिल में पुलिस ने उड़ीसा-छतीसगढ़ के बरगढ़ जिले के सोहेला गांव में एक-दो जगहों पर छापेमारी भी की।

हालांकि एसटीएफ टीम ने ओडिशा में कोई गिरफ्तारी नहीं की मगर राजा खान के सोहेला स्थित घर से कुछ खास चीजें जब्त की हैं। ओडिशा के उत्तरी रेंज के आईजी दीपक कुमार का कहना है कि यूपी एसटीएफ ने कुछ वेरिफिकेशन किए और एक शख्स की जांच की। हम जांच की डिटेल में नहीं गए।

अतीक-अशरफ की गोली मारकर हत्या

असल में अतीक अहमद और अशरफ की 15 अप्रैल को प्रयागराज में कॉल्विन हॉस्पिटल के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोपी लवलेश तिवारी, सोनी सिंह और अरुण मौर्य ने इस घटना को अंजाम दिया था। मौत का यह वीडियो टीवी कैमरों में रिकॉर्ड हो गया था। जो बाद में काफी वायरल भी हुआ।

जब अतीक और अशरफ की हत्या हुई तो उन्हें रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए हस्पिटल लाया गया और तभी मीडिया उनसे सवाल कर रही थी। वे मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। मीडिया उनसे असद अहमद के जनाजे में नहीं जाने के बारे में पूछ रही थी। इतने में मीडियाकर्मी बनकर आए शूटरों ने अतीक के सिर पर पिस्टल रखकर गोली मार दी और फिर अशरफ को भी गोली मार दी। जिसके बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

हीटवेव से खुद को कैसे बचाए, जानिए आसान उपाय

डेस्क: जलवायु परिवर्तन के कारण हाल के वर्षों में भारत में हीटवेव पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ गई हैं. हीटवेव असामान्य रूप से उच्च तापमान की लंबी अवधि होती है, जो अक्सर 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक होती है और ऐसे ही तापमान भारत के विभिन्न हिस्सों में है, खासकर अप्रैल से जून के गर्मियों के महीनों भारत के अधिकतर राज्य इसी तरह के हीटवेव से गुजरते हैं. जिसके कारण भारत के लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं.

गर्मी में तापमान बढ़ने के कारण ज्यादातर लोगों को कुछ ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे- बहुत गर्मी लगना, पसीना निकलना, थकावट, हीटस्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और यहां तक ​​कि यह सब से मौत भी हो सकती है. यह खासकर ऐसे लोगों को अपने चपेट में लेते हैं जो शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं जैसे बुजुर्ग, बच्चें और वैसे भी लोग जो पहले से ही किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. गर्मी से बचना है तो आपको खुद का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखना होगा और इसके लिए आपको पैसे भी खर्च करने होंगे.

शहरों में क्यों हीटवेव से है लोगों का बुरा हाल

शहरीकरण, पेड़ों की कटाई और वायु प्रदूषण सहित विभिन्न पर्यावरणीय कारकों के कारण आजकल हीटवेव पहले की तुलना में ज्यादा से ज्यादा बढ़ा है. कंक्रीट संरचनाओं वाले शहरी क्षेत्र, सीमित हरित स्थान, और बढ़ी हुई गर्मी-अवशोषित सतहें "शहरी ताप द्वीप" प्रभाव का अनुभव कर सकती हैं, जिससे उच्च तापमान हो सकता है.

तापमान और आर्द्रता में वृद्धि के कारण गर्मी के थकावट ज्यादा होती हैं, जिसके कारण डिहाइड्रेशन होने लगती है और सोडियम का लेवल भी शरीर में कम होने लगता है. मरीज़ आमतौर पर गर्मी के जोखिम के इतिहास के साथ-साथ कमजोरी, थकान और मुंह भी सुखने के लक्षण शामिल होते हैं. इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक की बढ़ती खपत के कारण, इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढ़ रहे हैं. माहिम के पी.डी. हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी के सलाहकार डॉ. किशोर साठे के मुताबिक 

कौन और क्या सबसे ज्यादा प्रभावित करता है?

मुंबई सेंट्रल के वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के इंटरनल मेडिसिन डॉ. हनी सावला के मुताबिक 'हीटवेव के कारण कई तरह कि दिक्कतें शरीर में शुरू हो जाती हैं जैसे-डिहाड्रेशन, शरीर में ऐंठन, बहुत ज्यादा थकावट, गर्मी का दौरा आदि शामिल हैं. डिहाइइड्रेश, कार्डियक अरेस्ट के कारण गुर्दे के भी गंभीर छती पहुंच सकती है. बुजुर्ग और छोटे बच्चे को हीटवेव में काफी ज्यादा थकावट होती है.शरीर पर हीट स्ट्रोक के लक्षण साफ दिखाई दे सकते हैं. 

हीटवेव के दौरान क्या होता है?

हीटवेव के दौरान, शरीर में पानी और सोडियम की कमी होती है, जिससे दिमाग, किडनी, लिवर और मांसपेशियों में गंभीर चोट लग सकती है. जिन मरीजों को हीट स्ट्रोक हुआ है, वे अपने बॉडी टेंपरेचर से लेकर मलाशय के तापमान की जांच से गुजरते हैं.

हीटवेव में खुद की सुरक्षा कैसे करें

हीटवेव में एक चीज का ख्याल हमेशा रखना है वह यह कि शरीर को हमेशा ठंडा रखना है. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, फल खाएं इससे आप पूरे दिन हाइड्रेट रहेंगे. गर्मी से संबंधित बीमारियों से बचने के लिए, मौसम की चेतावनी जारी होने पर घर के अंदर रहने, ढीले सूती कपड़े पहनने और बाहर निकलते समय छाता या धूप का चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है. हाइड्रेटेड रहने के लिए सोडियम युक्त तरल पदार्थों का सेवन करें.

मुंबई पुलिस ने सेक्स रैकेट चलाने के मामले में एक भोजपुरी एक्ट्रेस को किया गिरफ्तार, लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें वेश्यावृत्ति में धक


 मुंबई पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है। मामले में एक भोजपुरी एक्ट्रेस को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि यह भोजपुरी एक्ट्रेस एक्टिंग में करियर बनाने के लिए संघर्ष कर रही लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाती थी और उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेलती थी।

 जानिए कौन है यह भोजपुरी एक्ट्रेस

अब तक की जानकारी के मुताबिक, मुंबई पुलिस ने हाई-प्रोफाइल सेक्स रैकेट का पर्दाफाश किया है और मामले में भोजपुरी अभिनेत्री सुमन कुमारी को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, उनकी सामाजिक सेवा शाखा ने यह अभियान चलाया था और छापेमारी के बाद तीन मॉडल को अभिनेत्री के चंगुल से मुक्त करवाया गया है।

हर मॉडल का 50,000 से 80,000 रुपए में होता था सौदा

पुलिस को आरे कॉलोनी इलाके के रॉयल पाम होटल में सेक्स रैकेट चलाने की सूचना मिली थी। पुलिस ने अपराधियों को फंसाने के लिए सुमन कुमारी नाम की एक फर्जी ग्राहक को होटल भेजा। एक ही नाम होने के कारण अभिनेत्री जाल में फंस गई और सौदे के लिए राजी हो गई। वह हर मॉडल के लिए 50,000 से 80,000 रुपए की कीमत की बातचीत करते हुए पकड़ी गई।

पुलिस के मुताबिक, 24 वर्षीय सुमन कुमारी भोजपुरी एक्ट्रेस है, जो ग्राहकों को मॉडल सप्लाई करती थी। ये मॉडल फिल्मों में करियर बनाने के लिए मुंबई आई थीं और संघर्ष के दौर से गुजर रही थीं और इन्हें पैसों की जरूरत थी। सुमन कुमारी ने उनसे संपर्क किया और देह व्यापार में धकेल दिया।

सुमन कुमारी कई भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। लैला मजनू के अलावा, उन्होंने बाप नंबरी बेटा दस नंबरी जैसे भोजपुरी कॉमेडी शो भी किए हैं। इसके अलावा एक्ट्रेस बूम ओटीटी चैनल पर भी काम कर चुकी हैं।

CJI चंद्रचूड़ ने यूपी के डीजीपी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की, बेंच ने कहा, अब पानी सिर से ऊपर जा चुका, पढ़िए, रिपोर्ट

CJI चंद्रचूड़ ने यूपी के डीजीपी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

सुप्रीम कोर्ट ने 21 अप्रैल को आदेश का पालन न करने पर उत्तर प्रदेश सरकार पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने यहां तक कह दिया कि अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है। हमें डीजीपी को तलब करने पर मजबूर ना करें। दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2022 में अपने एक आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार को कहा था कि अर्हता पूरी करने वाले कैदियों को समय पूर्व रिहाई का लाभ दिया जाए।

शुक्रवार (21 अप्रैल को) चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिंम्हा की बेंच उत्तर प्रदेश की जेल में बंद 3 कैदियों की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इन कैदियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए समय पूर्व रिहा करने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इनमें से कुछ कैदी 20-22 साल से जेल में बंद हैं और अब अवमानना का मामला दाखिल कर रहे हैं। उन्हें (राज्य सरकार) को हमारा आदेश मानना होगा। अगर अगली बार इस तरह का कोई मामला हमारे सामने आया तो हम राज्य के डीजीपी को समन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तल्खी दिखाते हुए कहा कि हमने खुद कहा है कि व्यक्तिगत पेशी से छूट है, लेकिन यही चलता रहा तो अगली बार हम व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में बुलाएंगे। हम नहीं चाहते कि अधिकारियों को कोर्ट में आना पड़े, क्योंकि उनके पास सरकार और जनहित के तमाम महत्वपूर्ण काम होते हैं, लेकिन यही रवैया रहा तो उन्हें समन करना होगा।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने जाहिर की तल्खी

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद को अवमानना कार्यवाही की कॉपी सौंपने को कहा और टिप्पणी की कि हर बार जब मैं इस तरह के मामले को देखता हूं, तो सोचता हूं कि डीजीपी को कोर्ट में समन करूंगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यूपी के 2 आईएएस अफसरों को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद हिरासत में लिए जाने के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘एक तरफ तो हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिकारियों के समन करने वाले आदेश पर स्टे लगा रहे हैं, दूसरी तरफ ऐसी चीजें हैं। हम भी इस तरह की चीजें नहीं करना चाहते हैं’।

AAG से बोले- डीजीपी को हमारी नाराजगी के बारे में बता दें

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश की एडिशनल एडवोकेट जनरल को यहां तक कहा कि डीजीपी से हमारी तल्खी के बारे में बता दीजिए। अगर सब कुछ ठीक नहीं किया तो हम उन्हें समन करेंगे। उनसे बात करिए और बताइए…। अन्यथा भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच के लिए डीजीपी को तलब करना कोई छोटा मामला नहीं है।

सितंबर में कोर्ट ने क्या कहा था?

इससे पहले सितंबर 2022 में समय पूर्व रिहाई से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई बंदी समय पूर्व रिहाई की एलिजबिलिटी पूरी करता है तो बिना एप्लीकेशन की भी उसकी रिहाई पर विचार किया जाए। साथ ही जिन कैदियों के आवेदन मिले हैं, उन पर तेजी से काम किया जाए। बाद में इस साल की शुरुआत में भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजी (जेल) को आदेश दिया था कि वह एफिडेविट फाइल कर बताएं कि कोर्ट के 2022 के आदेश के अनुपालन में क्या कदम उठाए गए।

सत्यपाल मलिक के बयान जिसने बढ़ाई सरकार की टेंशन; CBI नोटिस पर बोले- सच बोल कर पाप उजागर किए, इसलिए अा गया बुलावा

 जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सीबीआई ने पूछताछ के लिए नोटिस किया है। इस नोटिस को लेकर देश का सियासी पारा हाई है। कांग्रेस, आप सहित कई विपक्षी दलों ने सीबीआई नोटिस के बहान सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

Satyapal Malik CBI Summon: हाल ही एक इंटरव्यू में पुलवामा हमले पर सरकार की नाकामी को उजागर करने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक Ex-J&K Governor Satyapal Malik को सीबीआई CBI ने पूछताछ के लिए नोटिस किया है। अपने नोटिस में सीबीआई ने सत्यपाल मलिक से भ्रष्टाचार के एक मामले को लेकर पूछताछ में शामिल होने को कहा है। सीबीआई इसी महीने 27 और 28 अप्रैल को सत्यपाल मलिक से पूछताछ कर सकती है। सत्यपाल मलिक को सीबीआई द्वारा नोटिस किए जाने के बाद से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। कांग्रेस, आप सहित कई विपक्षी दलों ने मामले में सवाल उठाए है। कथित इंश्योरेंस घोटाला Satyapal Malik Insurance Scam मामले में सीबीआई सत्यपाल मलिक से अकबर रोड स्थित एक गेस्ट हाउस में पूछताछ करेगी। इस नोटिस को लेकर सत्यपाल मलिक की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है। शुक्रवार रात सत्यपाल मलिक ने ट्वीट करते हुए लिखा मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए, इसलिए बुलावा आया है।

मैंने लोगों के पाप उजागर किए, इसलिए आया बुलावाः सत्यपाल मलिक

इंश्योरेंस घोटाला मामले में सीबीआई का नोटिस जारी होने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सरकार पर निशाना साधा है। शुक्रवार की रात उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘‘मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए हैं। शायद, इसलिए बुलावा आया है।’’ मलिक ने आगे लिखा कि मैं किसान का बेटा हूं, घबराऊंगा नहीं। सच्चाई के साथ खड़ा हूं। हालांकि बाद में सत्यपाल मलिक ने इस ट्विट को डिलीट कर दिया है।

27-29 अप्रैल के बीच सत्यपाल मलिक से होगी पूछताछ-

सीबीआई के नोटिस पर सत्यपाल महिला ने कहा था, ‘‘ CBI को कुछ चीजें जाननी हैं, जिसके लिए मुझे बुलाया है। मैं राजस्थान जा रहा हूं, इसलिए मैंने उन्हें बता दिया है कि मैं 27 से 29 अप्रैल के बीच उपलब्ध रहूंगा।’’ सत्यपाल मलिक भाजपा के पुराने नेता है। वो भाजपा में कई बड़े पदों पर रहे। अलग-अलग समय में चार राज्यों में राज्यपाल भी बनाए गए। इस समय सत्यपाल मलिक भाजपा के पहले नेता हैं जिन्होंने सीधे तौर पर पीएम मोदी पर सवाल उठाए है।

CBI ने सत्यपाल मलिक को किस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया?

सीबीआई ने सत्यपाल मलिक को जिस कथित इंश्योरेंस घोटाला में पूछताछ के लिए नोटिस किया है, वह जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़ी है। सीबीआई ने अपनी FIR में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है। सत्यपाल मलिक राज्यपाल रहते हुए 31 अगस्त 2018 को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

300 करोड़ रुपए के रिश्वत की मलिक ने खुद कही थी बात-

अक्टूबर 2021 में सत्यपाल मलिक ने 300 करोड़ रुपए के रिश्वत की पेशकश किए जाने का चौंकाने वाला दावा किया था। मलिक ने दावा किया था कि RSS नेता से संबंधित एक फाइल को क्लियर करने के लिए उन्हें कथित तौर पर 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।

सत्यपाल महिल के दावे के अनुसार ये रिश्वत दो परियोजनाओं की फाइल को लेकर दी जा रही थी। इसमें एक अनिल अंबानी और दूसरी आरएसएस के एक नेता की। इसी को लेकर सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की थी।

पुलवामा हमले पर सत्यपाल मलिक ने क्या दिया बयान?

14 अप्रैल 2023 को न्यूज वेबसाइट 'द वायर' के वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले पर चौंकाने वाला बयान दिया था। पुलवामा आतंकी हमले के लिए सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि जम्मू से श्रीनगर पहुंचने के लिए CRPF को पांच एयरक्राफ़्ट की ज़रूरत थी। मैंने गृह मंत्रालय से एयरक्राफ़्ट मांगे, लेकिन नहीं दिए गए।

मलिक ने कहा कि एयरक्राफ़्ट दे देते तो ये हमला नहीं होता क्योंकि इतना बड़ा काफ़िला सड़क से नहीं जाता। सत्यपाल मलिक ने इंटरव्यू में कहा कि जब उन्होंने यह जानकारी प्रधानमंत्री को दी तो पीएम ने कहा, "आप इस पर चुप रहिए।

पुलवामा आतंकी हमला, जिसमें गई थी 40 जवानों की जान

14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। उस समय विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी सीआरपीएफ़ के 70 बसों के काफ़िले में चल रही एक बस से भिड़ा दी गई थी। इस आत्मघाती हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक कर कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था।

केंद्र सरकार पर लंबे समय से हमलावर हैं सत्यपाल मलिक

भाजपा में रहते हुए सत्यपाल मलिक बीते लंबे समय से केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। पुलवामा हमले पर सरकार की नाकामी उजागर करने से पहले वो कृषि कानून, एमएसपी, अग्निपथ योजना जैसे योजनाओं पर सवाल उठा चुके हैं। सत्यपाल मलिक के इन बयानों से न केवल केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती रही है बल्कि विपक्ष को भी एक नया मुद्दा मिल जाता है।

सत्यपाल मलिक के वो बयान, जिसने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें

'700 किसान मर गए, दिल्ली से एक चिट्ठी नहीं आई'

मेघालय के राज्यपाल रहते हुए 22 अगस्त 2022 को सत्यपाल मलिक ने यूपी के बागपत आयोजित किसान मजदूर सभा में कहा, "दिल्ली की सीमाओं पर 700 किसान मर गए थे। मुझे कुत्ते ने नहीं काटा था कि मैं गवर्नर होते हुए पंगा लूं, लेकिन जब 700 लोग मर गए तब भी दिल्ली से एक चिट्ठी संवेदना की कहीं नहीं गई। कुतिया भी मरती है तो प्रधानमंत्री उसके प्रति संवेदना भेजते हैं।"

'किसान मामले में पीएम से मिला, वो घमंड में, 5 मिनट में हुई लड़ाई'

जनवरी, 2022 में सत्यपाल मलिक ने कहा, "मैं किसानों के मामले में जब प्रधानमंत्री से मिलने गया तो मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा कि हमारे पांच सौ लोग मर गए हैं। जब कुतिया मरती है तो आप चिट्ठी भेजते हो, तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा कि आपके लिए तो मरे हैं। जो आप राजा बने हुए हो उनकी वजह से।

'जितनी हत्या कश्मीर में एक सप्ताह में होती है उतनी पटना में एक दिन में होती है'

जनवरी 2019 में सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भी देश के दूसरों राज्यों की तरह है। यहां कोई क़त्लेआम नहीं चल रहा। जितनी मौतें कश्मीर में एक हफ्ते में होती है उतने मर्डर तो पटना में एक दिन में हो जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यहां लड़के खुलेआम हथियार लेकर घूमते हैं और राज्य के पुलिसकर्मियों को मारते हैं। आप उन्हें क्यों मार रहे हैं। अगर मारना ही है तो उन्हें मारो जिन्होंने आपके देश और कश्मीर को लूटा है। क्या आपने ऐसे किसी शख़्स को मारा है?"

अग्निपथ योजना हमारी फौज को नीचा दिखाने का काम करेगी'

जून, 2022 में अग्निपथ योजना का विरोध करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा, "अग्निपथ योजना हमारी फ़ौजों को, जवानों को नीचा दिखाने का काम करेगी। उनका करियर ख़त्म कर देगी। चार साल में छह महीने ट्रेनिंग करेंगे। छह महीने छुट्टी पर रहेंगे।" तीन साल वो सिर्फ़ नौकरी करेंगे तो फिर कहां जाएंगे। उनकी तो शादी भी नहीं होगी। उनमें देश के लिए मरने के लिए कैसे जज़्बा होगा? ये बहुत ग़लत किया है, इसे जल्द वापस लेना चाहिए।"

'कश्मीर का गर्वनर दारू पीता हौ और गोल्फ खेलता है'

मार्च, 2020 में सत्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर के गवर्नर पर विवादित बयान दिया था। उत्तर प्रदेश में बागपत के दौरे पर एक जनसभा में उन्होंने कहा था, "गवर्नर का कोई काम नहीं होता। कश्मीर में जो गवर्नर होता है, वो दारू पीता है और गोल्फ़ खेलता है।

 

यूपी के बागपत में जन्म, खुद को लोहियावादी बताते हैं सत्यपाल मलिक

सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश में बागपत के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को हुआ। वो खुद को लोहियावादी बताते हैं। लोहिया के समाजवाद से प्रभावित होकर उन्होंने मेरठ कॉलेज छात्रसंघ से राजनीति की शुरुआत की। सत्यपाल मलिक को राजनीति में लाने का काम चौधरी चरण सिंह ने किया। 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल की टिकट पर बागपत विधानसभा का चुनाव लड़ा और महज़ 28 साल में विधायक बने।

सत्यपाल मलिक का सियासी सफर, एक नजर में

1974- बागपत से विधायक बने

1980- लोकदल ने राज्यसभा सांसद बनाया

1984- कांग्रेस से राज्यसभा सांसद बने

1989- अलीगढ़ से लोकसभा सांसद बने

1996- सपा में शामिल हुए, पर चुनाव हार गए

2004- भाजपा में शामिल हुए, बागपत से चुनाव हारे

2012- बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए

2017- बिहार के राज्यपाल बनाए गए

2018- जम्मू कश्मीर के राज्यपाल

2019- गोवा के राज्यपाल बनाए गए

2020- मेघालय के राज्यपाल बनाए गए

महाराष्ट्र में राजनीतिक बयानबाजी तेज, अजित पवार ने कहा कि वे आज भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार

 महाराष्ट्र में इस वक्त राजनीतिक बयानबाजी तेज चल रही है। इसी बीच एनसीपी नेता अजित पवार का बड़ा बयान सामने आया है। अजित पवार ने कहा, ‘ वो आज भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं।’ उन्होंने शुक्रवार को एक न्यूज पेपर के कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। अजित पवार से जब पूछा गया था कि क्या आप 2024 में मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करेंगे? इस सवाल के जवाब में अजित पवार ने कहा कि 2024 में मुख्यमंत्री पद का दावा करने की क्या जरूरत है, मैं अभी भी दावा कर सकता हूं। 2024 का इंतजार क्यों करना। इस दौरान उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के करिश्मे को इनकार नहीं किया जा सकता है। अजित पवार का यह बयान एनसीपी में दरार की अफवाहों के बीच आया है, जिसमें अजित पवार के भविष्य के राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

एमवीए गठबंधन की बात करते हुए अजीत पवार ने कहा, ‘हम धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशील होने के बारे में बात करते थे, लेकिन 2019 में हम- कांग्रेस और एनसीपी ने सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ गठबंधन किया, (और) इसलिए हम धर्मनिरपेक्षता से अलग हो गए, क्योंकि शिवसेना एक हिंदुत्व पार्टी रही है।’

महाराष्ट्र पिछले साल राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजरा था, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोह ने राज्य में महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया था। एकनाथ शिंदे की सेना ने राज्य में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाया। और हाल ही में ऐसी अटकलें लगाई गई हैं कि अजीत पवार और उनके प्रति वफादार विधायकों का एक समूह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर सकता है।

अजित पवार ने हालांकि ऐसी सभी खबरों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में किसी तरह की दरार और उनके भाजपा से हाथ मिलाने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है।

इस बीच, अजीत पवार अपने पहले के जरूरी कार्यक्रमों का हवाला देते हुए मुंबई में एनसीपी की बैठक में शामिल नहीं हुए। अजीत पवार ने कहा कि वह एनसीपी की बैठक में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि उन्हें उसी समय होने वाले कुछ अन्य कार्यक्रमों के लिए उपस्थित रहना पड़ता है। राकांपा ने यह भी कहा कि अजीत पवार के पार्टी की बैठक में शामिल नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि वह संगठन छोड़ने की योजना बना रहे हैं।

पवार की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे: बीजेपी

शुक्रवार को महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने महा विकास अघाड़ी के नेताओं पर अजित पवार को बदनाम करने और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का आरोप लगाया। बावनकुले ने कहा कि अजीत पवार ने पिछले तीन महीनों में उनसे मुलाकात नहीं की है और न ही उन्होंने सत्ता पक्ष के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है।

बावनकुले ने कहा, ‘एमवीए के नेता अजीत पवार को बदनाम कर रहे हैं। वे पवार की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। सुबह के शपथ ग्रहण से (जब पवार ने 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ गठबंधन किया) अब तक, उन पर सवालिया निशान उठाए जा रहे हैं।’

सूडान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने को लेकर पीएम मोदी ने की उच्च स्तरीय बैठक, कहा-तुरंत बनाएं प्लान*

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंसा प्रभावित सूडान में भारतीयों से संबंधित स्थिति की समीक्षा के लिए शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। सूडान में फंसे भारतीयों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिक्र जताई है और वहां से उनकी जल्द से जल्द निकासी के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया।

पीएम मोदी ने हाई लेवल मीटिंग में सूडान में रह रहे भारतीयों को निकालने के लिए योजना बनाने के निर्देश दिए हैं।पीएम मोदी ने मीटिंग में सूडान में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा का ध्यान रखने को कहा है।पीएम ने सूडान से भारतीयों के लिए आकस्मिक निकासी योजना तैयार करने और उनमें सुरक्षा के हिसाब से तेजी से बदलाव करने और विकल्पों की व्यवहार्यता पर चलने का निर्देश दियापीएम मोदी ने सूडान के पड़ोसियों देशों से भी लगातार हालातों पर संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।

बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, वायु सेना और नौ सेना के प्रमुख, विदेश और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के अलावा वरिष्ठ राजनयिक डिजिटल तरीके से शामिल हुए। जयशंकर फिलहाल गुयाना के दौरे पर हैं।

बता दें कि सूडान में 3000 से अधिक भारतीय इस समय फंसे हैं। राजधानी खार्तूम में संघर्ष की वजह से इनकी निकासी में मुश्किलें आ रही हैं। भारत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि सूडान में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है और वह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और मिस्र सहित विभिन्न देशों के साथ करीबी समन्वय कर रहा है।

सूडान में पिछले सात दिनों से देश की सेना और एक विद्रोही बल के बीच घातक लड़ाई चल ही है जिसमें लगभग 300 लोग मारे गए हैं। अंधाधुंध गोलीबारी के कारण भारतीयों को भोजन, पानी, दवाओं और बिजली की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। कम से कम 50 लाख लोग घरों में शरण लिए हुए हैं और उनके पास बिजली, भोजन या पानी नहीं है और संचार बुरी तरह बाधित है।

उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनावों के दौरान सीतापुर में BJP के प्रत्याशी ने ठुकराया टिकट, जानिए, क्या अतीक-अशरफ मर्डर केस बनी वजह?


उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनावों में एक तरफ बीजेपी का टिकट पाने के लिए एक एक सीट पर 10-10 उम्मीदवार लाइन में हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के ही सीतापुर में उल्टी हवा चल रही है। यहां बीजेपी द्वारा एक घोषित प्रत्याशी ने ना केवल पार्टी का टिकट ठुकरा दिया है, बल्कि उसने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भी कर दिया है। बताया जा रहा है कि प्रत्याशी ने यह कदम प्रयागराज में अतीक अशरफ हत्याकांड के बाद उठाया है।

दरअसल इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर अतीक की हत्या के बाद से बीजेपी के खिलाफ हवा चलने लगी है। बता दें कि नगर पंचायत सीतापुर में अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी ने पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष उरूज आन की पत्नी जैनब जहां को अपना प्रत्याशी बनाया था। बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर वह काफी दिनों से अपना प्रचार प्रसार भी कर रहीं थी। लेकिन नामांकन से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी का टिकट ठुकरा दिया और कलक्ट्रेट पहुंच कर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर दिया है।

उन्होंने खुद तो कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके समर्थकों का मानना है कि अतीक हत्याकांड के बाद चली उल्टी बयार को देखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया है। मामला सीतापुर के पैंतेपुर नगर पंचायत सीट का है। यहां बीजेपी से टिकट के लिए एकमात्र आवेदन पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष उरूज आन की पत्नी जैनब जहां का आया था। ऐसे में पार्टी ने उन्हें टिकट भी दे दिया। यहां पर्चा दाखिल करने की आखिरी तारीख 17 अप्रैल थी। इस दिन अचानक से जैनब जहां ने बीजेपी के टिकट को छोड़ कर निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया।

बता दें कि 16 अप्रैल की शाम तक वह क्षेत्र में बीजेपी का झंडा लेकर प्रचार कर रही थीं। लेकिन अचानक आए उनके फैसले से बीजेपी में हड़कंप मच गया है। सियासी जानकारों की माने तो पैंतेपुर नगर पंचायत क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाला है। यहां पर बीजेपी उम्मीदवार को जीत की बहुत कम उम्मीद थी। ऊपर से अतीक अशरफ हत्याकांड का मामला आ गया। ऐसे में पूरी बयार बीजेपी के खिलाफ हो गई। ऐसे हालात में जैनब जहां ने वोट की गुणा गणित लगाई और ऐन वक्त पर मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने के लिए बीजेपी के टिकट को ठुकरा दिया।

 बता दें कि 2017 निकाय चुनाव चुनावों में यहां से बीजेपी के पंकज सिंह छठें नंबर पर रहे थे। उस समय उन्हें केवल 239 वोट मिले थे. जबकि जैनब जहां के पति उरूज आलम दूसरे नंबर पर थे।

जिस तरह अतीक-अशरफ को मारा, तीनों शूटर्स को उसी तरह मारना चाहते हैं अतीक अहमद के गुर्गे, STF को मिले इनपुट्स

अतीक अहमद और अशरफ की मौत के बाद एसआईटी जांच में जुटी हुई है। अतीक और अशरफ की 15 अप्रैल को तीन शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिन्हें पकड़कर जेल में बंद कर रखा है। इसी बीच एसटीएफ को इनपुट्स मिले हैं कि अतीक के कुछ करीबी जो इस वक्त नैनी जेल में हैं। उन्होंने गुर्गों को निर्देश दिया है किसी भी तरह तीनों शूटर्स को टारगेट किया जाए। पुलिस की मौजूदगी में तीनों शूटर्स पर हमला किया जाए। इसलिए शूटर्स को पुलिस लाइन से कही नहीं लेकर जाया जा रहा है। यहीं पूछताछ हो रही है। एसटीएफ को इनपुट्स मिले हैं कि जिस तरह अतीक़-अशरफ को पुलिस की मौजूदगी में मारा गया, वैसे ही तीनो शूटर्स को टारगेट किया जा सकता है। ताकि अतीक और अशरफ की मौत का बदला लेकर यह संदेश दिया जा सके कि अतीक के गुर्गे जिंदा हैं।

गौरतलब है कि अतीक अहमद और अशरफ की मौत के बाद से ही पुलिस उनसे जुड़े लोगों और करीबियों से जुड़ी जांच में जुटी हुई है। पुलिस सूत्रों के हवाले से खबर है कि अतीक अहमद से जुड़े लोगों या करीबियों के फोन अचानक बंद हो गए हैं। पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन के लिए करीब 1 हजार से ज्यादा नंबर सर्विलेंस पर लिए गए थे। इनमें से कई नंबर शूटरों के थे, कई जान पहचान के लोगों के थे। सभी फ़ोन स्विच ऑफ है या ‘नॉट रिचेबल‘ आ रहे हैं। पुलिस केवल अतीक के करीबियों के नंबर सर्विलेंस पर नहीं लगाए थे, बल्कि कई दूसरे गैंग के शूटरों के भी नंबर सर्विलेंस पर थे। ये सभी नंबर अतीक और अशरफ की हत्या के बाद बंद हो गए। पुलिस नंबर सर्विलेंस पर लगाकर सुराग इकट्ठा कर रही थी। अब इनके दूसरे संपर्कों के जरिए पुलिस नई स्ट्रेटेजी पर काम कर रही है।

बता दें कि अतीक और अशरफ अहमद की अस्पताल में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद गोलीबारी करने वाले तीन आरोपियों ने तुरंत सरेंडर कर दिया था। पुलिस ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। इन आरोपियों से पूछताछ की गई। इसी बीच अतीक और अशरफ की मौत का सीन भी गुरुवार को रीक्रिएट किया गया।

यूपी के अमेठी में नगर निकाय के चुनावी गहमा गहमी के बीच कांग्रेस भी खोल रही अपना पत्ता, अरुण मिश्रा को टिकट देकर खेला ब्राह्मण कार्ड

अमेठी में नगर निकाय चुनाव की गहमा गहमी के बीच अब कांग्रेस ने भी अपने पत्ते खेलने शुरू कर दिए हैं। आज लम्बे इंतजार के बाद कांग्रेस ने गौरीगंज नगर पालिका से अपना पहला प्रत्याशी उतार कर विपक्षी पार्टियों के बीच में चर्चा शुरू करवा दी है। कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय कमेटी द्वारा गौरीगंज नगर पालिका से अरुण मिश्रा को टिकट देकर ब्राह्मण कार्ड खेलने का प्रयास किया है। कांग्रेस द्वारा अरुण मिश्रा को टिकट दिये जाने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय देखा जा रहा है। लेकिन भाजपा ने अभी तक इस नगर पालिका पर प्रत्याशी नहीं उतारे हैं।

कांग्रेस पार्टी द्वारा गौरीगंज नगर पालिका से प्रत्याशी उतारने के बाद इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला हो गया है। इस सीट से सामाजवादी पार्टी सामान्य सीट होंने के बाद भी तारा देवी सरोज को प्रत्याशी घोषित कर दलित कार्ड खेलने का भरसक प्रयास कर रही है।

लेकिन भाजपा द्वारा प्रत्याशी का नाम समाने ना आने पर अभी तक चुनावी समीकरण बनाता नही नजर आ रहा है। इस सीट पर राकेश प्रताप सिंह द्वारा सामान्य सीट पर अपने परिवार के लोगो को चुनाव ना लड़ाना कुछ अलग ही इशारा कर रहा है।

कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड से विपक्ष में खलबली

कांग्रेस पार्टी द्वारा गौरीगंज नगर पालिका चुनाव ब्राह्मण प्रत्याशी घोषित होने के बाद विपक्षियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि गौरीगंज ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है और ब्राह्मणों द्वारा ही जीत हार की भूमिका तय होती है। ये बात अलग है कि कांग्रेस प्रत्याशी अरुण मिश्रा कितना ब्राह्मण वाद के जरिये चुंनाव को भुना पायेगे। लेकिन जब तक भाजपा अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं खड़ा करती है तब तक कुछ कहना आसान नहीं होगा।

चुनावी पंडित हो रहे हैं फेल

चुनावी जानकार हैरान है कि सामान्य सीट पर अपने परिवार से मैदान में ना उतारना कुछ अलग ही संकेत दे रहे हैं। लोग ये भी कयास लगा रहे हैं कि गौरीगंज से सामाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक राकेश प्रताप सिंह बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और अपने घर से ही प्रत्याशी घोषित करवाते हैंं। लेकिन इस चुनाव में मामूली दखल आनंदजी ही दिख रही है तारा सरोज के समर्थन में दिख रहे हैंं। लोग कयास लगा रहे हैं कि किसी दबाव के कारण इस बार अपने घर से प्रत्याशी नहीं लड़ा रहे हैं। अगर इस चुनाव में राकेश प्रताप सिंह के परिवार से दावेदारी की जाती तो चुनाव में रोचक मुकाबला देखने को मिलता।

चुनाव में ये समस्याएं बनेंगी मुदद्दा

नगर पालिका गौरीगंज में साफ सफाई के साथ रेहड़ी पटरी दुकानदारों की दुकान लगाने की सामास्या और सब्जी मंडी के लिये आरक्षित जगह मुद्दा बनेगा। इसके साथ युवाओं के लिये खेल मैदान स्टेडियम की कोई ब्यास्था गौरीगंज नगर पालिका में नही है। गौरीगंज शहर में लोगों के निःशुल्क शौचालय के साथ पानी की भी सामस्या बनेगी। जो प्रत्याशी इन मुद्दों पर बात करेगा इन समस्याओं पर सामाधान का रास्ता बनायेगा उसके लिये ये चुनाव आसान हो सकता है।