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होली मिलन के कार्यक्रमों का हुआ आयोजन


सरोजनीनगर/ लखनऊ। शुक्रवार को मेरा आशियाना फाउंडेशन द्वारा होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन बंथरा क्षेत्र की ग्राम‌ सभा लतीफ नगर में‌ किया गया।इस अवसर पर फाग की टोली द्वारा भक्ति गीतों को श्रोताओं के सामने अपने अंदाज में पेश किये गए।

इस अवसर पर कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेश सिंह चौहान तथा रामचंद्र सिंह चंदर , जितेंद्र सिंह पिंकू सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।इसी क्रम में लखनऊ कानपुर हाईवे सड़क के किनारे नदी की पावन धरती पर स्थित श्री रेतेश्वर महादेव मंदिर पर मंदिर के पुजारी बाबा गोविंद दास द्वारा फाग की टोलियों को बुलाकर होली मिलन जैसे कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।जिसमें कई घंटे तक फाग की दोनों टोलियों ने बहुत ही अच्छे तरीके से फाग गीत गाकर लोगों का मन मोह लिया।

इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी द्वारा जल्द ही तुर्की दूतावास को सौंपा जाएगा धनराशि का ड्राफ्ट


लखनऊ। टीम लखनऊ और इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी सहित तमाम समाजिक संगठनों के मिशन हेल्प फॉर तुर्की के तहत आज एक बैठक टीम लखनऊ के केंद्रीय कार्यालय 114 इंसाफ नगर में संपन्न हुई।इस मीटिंग की अध्यक्षता टीम लखनऊ के जनरल सेक्रेटरी मुर्तजा अली ने की और संचालन पत्रकार मोहम्मद जुबेर ने किया।इस मीटिंग में खुसूसी मेहमान के रूप में आमिर खालिद खान मिल्ली काउंसिल के उपाध्यक्ष भी उपस्थित रहे।

इसके साथ ही तमाम संगठनों के जिम्मेदार भी इस मीटिंग में उपस्थित हुए।सभी संगठनों ने 2 महीने से लगातार तुर्की के भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए जो राहत सामग्री और धन राशि इकट्ठा की गई है उस पर विस्तार से चर्चा हुई। मीटिंग के अध्यक्ष मुर्तजा अली ने बताया कि सभी संगठनों के द्वारा एकत्र की गई धनराशि को दिल्ली स्थित टर्की एंबेसी के अंबेसडर को ड्राफ्ट के माध्यम से उन तक जल्द से जल्द पहुंचा दिया जाएगा।

इस मीटिंग में निर्णय लिया गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को भी संगठनों के द्वारा तुर्की के भूकंप पीड़ितों की मदद की जो धनराशि इकट्ठा की गई है उससे उनको भी अवगत कराया जाएगा।मीटिंग में कुदरत उल्ला की तबीयत ठीक न होने की वजह से इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी के सचिव मोहम्मद जुबेर ने बैंक खातों की डिटेल मीटिंग में रखी और उस डिटेल से सभी संगठनों को अवगत कराया।

इस अवसर पर समाजसेवी अब्दुल वहीद के विचार थे कि अभी 2 दिन और जो लोग मदद करना चाहे वह मदद कर सकते हैं। जिस पर सब की राय बनी।मीटिंग के अंत में तुर्की आपदा से पीड़ित लोगो की मदद की शुरुआत करने वाले कुदरत उल्ला खान की सेहत के लिए सभी ने दुआ किया।

इस मीटिंग में मुख्य रूप से अनवर खान,मदद फाउंडेशन सैयद गुफरान अल्वी, शराब बंद शराबबंदी संघर्ष समिति से मोहम्मद कैफ,पीस एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट अल्वी साहब,जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन से पत्रकार तौफीक हुसैन आदि लोग उपस्थित रहे।

इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी द्वारा जल्द ही तुर्की दूतावास को सौंपा जाएगा धनराशि का ड्राफ्ट


लखनऊ। टीम लखनऊ और इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी सहित तमाम समाजिक संगठनों के मिशन हेल्प फॉर तुर्की के तहत आज एक बैठक टीम लखनऊ के केंद्रीय कार्यालय 114 इंसाफ नगर में संपन्न हुई।इस मीटिंग की अध्यक्षता टीम लखनऊ के जनरल सेक्रेटरी मुर्तजा अली ने की और संचालन पत्रकार मोहम्मद जुबेर ने किया।इस मीटिंग में खुसूसी मेहमान के रूप में आमिर खालिद खान मिल्ली काउंसिल के उपाध्यक्ष भी उपस्थित रहे।

इसके साथ ही तमाम संगठनों के जिम्मेदार भी इस मीटिंग में उपस्थित हुए।सभी संगठनों ने 2 महीने से लगातार तुर्की के भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए जो राहत सामग्री और धन राशि इकट्ठा की गई है उस पर विस्तार से चर्चा हुई। मीटिंग के अध्यक्ष मुर्तजा अली ने बताया कि सभी संगठनों के द्वारा एकत्र की गई धनराशि को दिल्ली स्थित टर्की एंबेसी के अंबेसडर को ड्राफ्ट के माध्यम से उन तक जल्द से जल्द पहुंचा दिया जाएगा।

इस मीटिंग में निर्णय लिया गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को भी संगठनों के द्वारा तुर्की के भूकंप पीड़ितों की मदद की जो धनराशि इकट्ठा की गई है उससे उनको भी अवगत कराया जाएगा।मीटिंग में कुदरत उल्ला की तबीयत ठीक न होने की वजह से इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी के सचिव मोहम्मद जुबेर ने बैंक खातों की डिटेल मीटिंग में रखी और उस डिटेल से सभी संगठनों को अवगत कराया।

इस अवसर पर समाजसेवी अब्दुल वहीद के विचार थे कि अभी 2 दिन और जो लोग मदद करना चाहे वह मदद कर सकते हैं। जिस पर सब की राय बनी।मीटिंग के अंत में तुर्की आपदा से पीड़ित लोगो की मदद की शुरुआत करने वाले कुदरत उल्ला खान की सेहत के लिए सभी ने दुआ किया।

इस मीटिंग में मुख्य रूप से अनवर खान,मदद फाउंडेशन सैयद गुफरान अल्वी, शराब बंद शराबबंदी संघर्ष समिति से मोहम्मद कैफ,पीस एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट अल्वी साहब,जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन से पत्रकार तौफीक हुसैन आदि लोग उपस्थित रहे।

ऊर्जा मंत्री द्वारा बिजलीकर्मियों पर लगाये गये तोड़-फोड़ के आरोप का संघर्ष समिति ने किया कड़ा विरोध


लखनऊ।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर 16 मार्च की रात से शुरू हुई हड़ताल का प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा। उत्पादन गृहों की 05 इकाईयाँ ठप हो गयी हैं। पारेषण की कई लाईनें बंद हैं और व्यापक पैमाने पर 33/11 केवी उपकेन्द्रों की आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गयी है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन को हड़ताल के लिए उत्तरदायी ठहराते हुए कहा है कि बिजलीकर्मी ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के द्वारा लगाये गये तोड़-फोड़ के आरोपों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा है कि बिजलीकर्मी विद्युत संयंत्रों को अपनी माँ मानते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे हैं।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि 16 मार्च की रात 10 बजे हड़ताल शुरू होने के बाद उत्पादन गृहों, एसएलडीसी और पारेषण विद्युत उपकेन्द्रों की रात्रि पाली में कार्य करने हेतु एक भी बिजलीकर्मी ड्यूटी पर नहीं गया। हड़ताल शत-प्रतिशत है।

बिजलीकर्मियों के ड्यूटी पर न जाने के बाद प्रशासन और प्रबन्धन ने इवनिंग शिफ्ट के कर्मचारियों को सभी बिजलीघरों में बंधक बना लिया और उनसे जबरन प्रातः 07 बजे तक लगभग 17 घण्टे लगातार काम करवाया। भूखे प्यासे काम करते हुए कई कर्मचारियों की तबियत बिगड़ गयी।

प्रातः इन कर्मचारियों के शिफ्ट से बाहर जाने के बाद बिजली उत्पादन पर भारी प्रतिकूल असर दिखाई दिया।

अनपरा में 210-210 मेगावाट क्षमता की 2 इकाईयाँ, ओबरा में 200-200 मेगा वाट क्षमता की 9 एवं 11 नम्बर इकाई तथा पारीछा में 210 मेगा वाट क्षमता की 3 नम्बर इकाई बंद करनी पड़ी। इसके अतिरिक्त अनपरा में 210 मेगवाट की एक इकाई तथा 500 मेगा वाट की एक इकाई एवं पारीछा में 110 मेगावाट की एक इकाई जो पहले से बंद थी उन्हें बिजली कर्मचारियों के अभाव में हड़ताल के दौरान नहीं चलाया जा सका।

इस प्रकार कुल 1850 मेगा वाट का उत्पादन प्रभावित हुआ है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली घरों में काम करने के लिए एक भी बिजलीकर्मी ड्यूटी पर नहीं गया है और हड़ताल शत-प्रतिशत है।

सीएम योगी के डिजिटल यूपी मिशन से जुड़े युवा, गांव-गांव तक पहुंच रहा इंटरनेट


लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन के अनुरूप सीएम योगी प्रदेश को डिजिटल यूपी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सीएम योगी की इस मंशा को पूरा करने के लिए न सिर्फ प्रदेश का सरकारी तंत्र पूरे तन मन के साथ लगा बल्कि कई निजी स्टार्ट अप कंपनियों ने भी इसमें अपना योगदान दिया। खासतौर पर युवा आंत्रप्रेन्योर भी आगे आए, जिन्होंने सीएम योगी के गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंचाने के सपने को साकार करने के लिए स्टार्टअप की शुरुआत की।

ऐसे ही एक स्टार्टअप ने प्रदेश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों तक डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने के लिए एक 5जी वाईफाई नेटवर्क डेवलप किया है। इस वाईफाई नेटवर्क की खास बात ये है कि लोगों को महीने में 60 जीबी और एक दिन में दो जीबी तक इंटरनेट का यूज करने में कोई चार्ज नहीं देना पड़ रहा है। वहीं इससे ज्यादा का यूज करने पर उन्हे बहुत ही मिनिमम चार्ज देना होता है। इसकी मदद से ग्रामीण भी इंटरनेट क्रांति से जुड़ रहे हैं।

ग्रामीण इलाकों के लिए डेवलप किया ओपन पब्लिक वाईफाई नेटवर्क

सहारनपुर के कुमार सत्यम ने सहारनपुर के जिन ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है वहां डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने के लिए एक वाईफाई नेटवर्क डेवलप किया है। उन्होंने पब्लिक के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के जरिये ओपन पब्लिक वाईफाई नेटवर्क को डेवलप किया है, जिसका प्रयोग कर लोग इंटरनेट के जरिये अपने कामों को ऑनलाइन निपटा रहे हैं। लोगों को महीने में 60 जीबी और एक दिन में दो जीबी तक इंटरनेट का यूज करने में कोई चार्ज नहीं देना पड़ रहा है।

वहीं इससे ज्यादा का यूज करने पर उन्हे बहुत ही मिनिमम चार्ज देना होता है। सत्यम ने बताया कि इस स्टार्टअप को पायलट प्रोजेक्ट के तहत सहारनपुर के मां शाकम्भरी देवी मंदिर और उसके आस-पास के इलाके से शुरुआत की गयी थी। उन्होंने बताया कि गांव की स्ट्रीट लाइट और बिजली के खंभों पर एक विशेष प्रकार की डिवाइस लगाई गई। इस डिवाइस से पूरे गांव में वाई-फाई की सुविधा मिलने लगी। यह प्रणाली उन्होंने खुद विकसित की है। इससे यहां पर ऑप्टिकल फाइबर केबल की जरूरत कम हो गई।

बच्चों को ई एजुकेशन का भी मिल रहा फायदा

उन्होंने बताया कि नेटवर्क में एडवांस एआई के जरिये माइक्रो एस डाटा को फीड किया गया है, जिसमें एनसीआरटी के क्लास 1 से 12 तक के सिलेबस को फीड किया गया है। ऐसे में बच्चे ई एजुकेशन का फायदा भी उठा रहे हैं। यही नहीं लोग अपने मोबाइल से जन सुविधा केंद्र की सुविधा भी ले पा रहे हैं। जन्म तथा मृत्यु सर्टिफिकेट भी खुद बनवा रहे हैं। मां शाकम्भरी देवी मंदिर और उसके आस-पास के 4 हजार लोग इसका लाभ उठा रहे हैं।

इसकी सफलता के बाद सहारनपुर शहर और उसके आस पास के 27 गांवों को ओपेन पब्लिक नेटवर्क (वाईफाई) से कनेक्ट करने का काम तेज गति से चल रहा है। फिलहाल सहारनपुर शहर और आस-पास के कुछ गांव में इसका सुविधा का लाभ लोग उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में इसका लाभ सहारनपुर के 7 हजार से ज्यादा लोग उठाएंगे।

टेली एजुकेशन, ई लाइब्रेरी की भी दी जाएगी सुविधा

आंत्रप्रेन्योर कुमार सत्यम ने बताया कि सहारनपुर के बलवंतपुर गांव में एक मॉडल पंचायत को विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्​देश्य लोगों को विभिन्न तरह की डिजिटल सेवाएं प्रदान करना है। इसके लिए विलेज इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (वाई-आईसीसीसी) का उपयोग किया जाएगा। इस केंद्र के जरिये एआई नेटवर्क, ई-शिक्षा, टेली परामर्श सेवाएं, सीसीटीवी, ई-गवर्नेंस सेवाएं और ई-कॉमर्स का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पंचायत कार्यालय में लाइब्रेरी को विकसित किया जा रहा है।

इसके साथ ही यहां ई लाइब्रेरी, टेली परामर्श के लिए टू-वे कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ टेली-एजुकेशन और एजुकेशन के लिए फोन-आधारित एप्लिकेशन तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही बच्चों को कोडिंग और माइक्रो क्लासेज की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि बलवंतपुर गांव की पंचायत में इस मॉडल को विकसित करने के बाद इसे अन्य गांवों में भी शुरू किया जाएगा। कुमार सत्यम ने बताया कि स्टार्टअप को योगी सरकार की मंशा के अनुसार प्रदेश के उन गांवों में भी शुरू किया जाएगा जहां नेटवर्क की समस्या है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में मुजफ्फरपुर, शामली, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा में भी इसकी शुरुआत की जाएगी।

युवाओं को प्रोत्साहित कर रही योगी सरकार

उल्लेखीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के गांव-गांव को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने में जी-जान से जुटे हुए हैं। प्रदेश के पग-पग पर हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराते हुए गांव-गांव में शासन से जुड़ी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर लगातार प्रयास हो रहे हैं। यही नहीं, सरकार स्टार्टअप और युवाओं के इनोवेटिव आइडिया को भी पूरा सपोर्ट दे रही है, ताकि प्रदेश के पिछड़े इलाकों तक भी डिजिटल क्रांति को पूरी रफ्तार से अंजाम तक पहुंचाया जा सके।

डिजिटल क्रांति की अलग जगाने वाले इन युवा स्टार्टअप आंत्रप्रेन्योर्स को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए योगी सरकार ने भी अपनी योजनाओं के माध्यम से पहल की है। प्रदेश की नई पीढ़ी के हाथों में दो करोड़ स्मार्टफोन और टेबलेट वितरण इसका जीता जागता उदाहरण है जो ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति की अलख जगा रहा है।

बाजरे की खेती से होगी किसानों की बल्ले-बल्ले


लखनऊ।बाजरे की खेती करने वाले किसानों की अब बल्ले-बल्ले होने वाली है। केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय 2026 से 2027 के दौरान बाजरे पर आधारित उत्पादों के प्रोत्साहन पर 800 करोड़ रुपये खर्च करेगा। ये उत्पाद रेडी टू ईट और रेडी टू सर्व दोनों रूपों में होंगे।

सर्वाधिक बाजरा उत्पादक राज्य उप्र को होगा सर्वाधिक लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का सर्वाधिक लाभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली योगी सरकार को मिलेगा। खासकर बाजरा को लेकर। इसकी कई वजहें हैं। मुख्यमंत्री योगी निजी तौर पर खेतीबाड़ी एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में रुचि रखते हैं। इसीलिए उनकी पहल पर इंटरनेशनल मिलेट ईयर को सफल बनाने की कार्ययोजना, इसकी शुरुआत के करीब छह महीने पहले ही बन चुकी थी।

इसके अलावा मोटे अनाजों, खासकर बाजरे की खेती इस राज्य की परंपरा रही है। उत्तर प्रदेश में देश का सर्वाधिक बाजरा पैदा होता है। बेहतर प्रजाति के बीज, फसल संरक्षा के सामयिक उपायों के जरिये इसे और बढ़ाना संभव है। इन संभावनाओं के नाते ही बाजरे की खेती भी संभावनाओं की खेती हो सकती है।

विदेशी मुद्रा भी लाएगा अपना बाजरा

बाजरा सहित अन्य मोटे अनाजों के निर्यात पर भी सरकार का फोकस है। खाद्यान्न उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने उन 30 देशों को चिन्हित किया है, जिनमें निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं। इन सभी मांगों को पूरा करने के लिए मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 21 राज्यों को चिन्हित किया गया है। उल्लेखनीय है कि देश के उत्पादन का करीब 20 फीसदी बाजरा उत्तर प्रदेश में होता है। प्रति हेक्टेयर प्रति किग्रा उत्पादन देश के औसत से अधिक होने के कारण इसकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

तब तो और भी जब अच्छी-खासी पैदावार के बावजूद सिर्फ 1 फीसदी बाजरे का निर्यात होता है। निर्यात होने वाले में अधिकांश साबुत बाजरे होते हैं। लिहाजा प्रसंस्करण के जरिये इसके निर्यात और इससे मिलने वाली विदेशी मुद्रा की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में सर्वाधिक, करीब 29 फीसदी रकबे में बाजरे की खेती होती है। इसके बाद महाराष्ट्र करीब 21 फीसदी रकबे के साथ दूसरे नंबर पर है।

कर्नाटक 13.46 फीसदी, उत्तर प्रदेश 8.06 फीसदी, मध्य प्रदेश 6.11फीसदी, गुजरात 3.94 फीसदी और तमिलनाडु में करीब 4 फीसदी रकबे में बाजरे की खेती होती है।

उत्तर प्रदेश की संभावना इस मामले में बेहतर है, क्योंकि यहां प्रति हेक्टेयर प्रति किग्रा उत्पादन राष्ट्रीय औसत (1195 किग्रा ) की तुलना में 1917 किग्रा है। प्रति हेक्टेयर प्रति किग्रा उत्पादन के मामले में तमिलनाडु नंबर एक (2599 किग्रा) पर है।

खेती के उन्नत तौर तरीके से उत्तर प्रदेश के उपज को भी इस स्तर तक लाया जा सकता है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार लगातार इस बाबत प्रयासरत भी है। साल 2022 तक यूपी में बाजरा की खेती का रकबा कुल 9.80 लाख हेक्टेयर है, जिसे बढ़ाकर 10.19 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। साथ ही उत्पादकता बढ़ाकर 25.53 क्विंटल प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किसानों को इसका वाजिब दाम मिले, इसके लिए सरकार 18 जिलों में प्रति कुन्तल 2350 रुपये की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इसकी खरीद भी कर रही है।

गेहूं, धान, गन्ने के बाद प्रदेश की चौथी फसल है बाजरा

गेहूं, धान और गन्ने के बाद बाजरा उत्तर प्रदेश की चौथी प्रमुख फसल है। खाद्यान्न एवं चारे के रूप में प्रयुक्त होने के नाते यह बहुपयोगी भी है। पोषक तत्वों के लिहाज से इसकी अन्य किसी अनाज से तुलना ही नहीं है, इसलिए इसे "चमत्कारिक अनाज", "न्यूट्रिया मिलेट्स", "न्यूट्रिया सीरियल्स" भी कहा जाता है।

2018 में भारत द्वारा मिलेट वर्ष मनाने के बाद बाजरा सहित अन्य मोटे अनाजों की खूबियों से किसान व अन्य लोग भी जागरूक हुए हैं। नतीजतन बाजरे के प्रति हेक्टेयर उपज, कुल उत्पादन और फसल आच्छादन के क्षेत्र (रकबे) में लगातार वृद्धि हुई।

हर तरह की भूमि में ले सकते हैं फसल

इसकी खेती हर तरह की भूमि में संभव है। न्यूनतम पानी की जरूरत, 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी परागण, मात्र 60 महीने में तैयार होना और लंबे समय तक भंडारण योग्य होना इसकी अन्य खूबियां हैं। चूंकि इसके दाने छोटे एवं कठोर होते हैं, ऐसे में उचित भंडारण से यह दो साल या इससे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है। इसकी खेती में उर्वरक बहुत कम मात्रा में लगता है। साथ ही भंडारण में भी किसी रसायन की जरूरत नहीं पड़ती। लिहाजा यह लगभग बिना लागत वाली खेती है।

पोषक तत्वों का खजाना है बाजरा

बाजरा पोषक तत्वों का खजाना है। खेतीबाड़ी और मौसम के प्रति सटीक भविष्यवाणी करने वाले कवि घाघ भी बाजरे की खूबियों के मुरीद थे। अपने दोहे में उन्होंने कहा है, "उठ के बजरा या हँसि बोले। खाये बूढ़ा जुवा हो जाय"। बाजरे में गेहूं और चावल की तुलना में 3 से 5 गुना पोषक तत्व होते हैं। इसमें ज्यादा खनिज, विटामिन, खाने के लिए रेशे और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। लसलसापन नहीं होता। इससे अम्ल नहीं बन पाता। लिहाजा सुपाच्य होता है। इसमें उपलब्ध ग्लूकोज धीरे-धीरे निकलता है। लिहाजा यह मधुमेह (डायबिटीज) पीड़ितों के लिए भी मुफीद है। बाजरे में लोहा, कैल्शियम, जस्ता, मैग्निशियम और पोटाशियम जैसे तत्व भरपूर मात्रा मे होते हैं।

साथ ही काफी मात्रा में जरूरी फाइबर (रेशा) मिलता है। इसमें कैरोटिन, नियासिन, विटामिन बी6 और फोलिक एसिड आदि विटामिन मिलते हैं। इसमें उपलब्ध लेसीथीन शरीर के स्नायुतंत्र को मजबूत बनाता है। यही नहीं बाजरे में पोलिफेनोल्स, टेनिल्स, फाइटोस्टेरोल्स तथा एंटीऑक्सिडैन्टस प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। यही वजह है कि सरकार ने इसे न्यूट्री सीरियल्स घटक की फसलों में शामिल किया है। अपने पोषण संबंधित इन खूबियों की वजह से बाजरा कुपोषण के खिलाफ जंग में एक प्रभावी हथियार साबित हो सकता है।

फसल के साथ पर्यावरण मित्र भी है बाजरा

बाजरे की फसल पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है। यह जलवायु परिवर्तन के असर को कम करती है। धान की फसल जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है। पानी में डूबी धान की खड़ी फसल में जमीन से ग्रीन हाउस गैस निकलती है। गेहूं तापीय संवेदनशील फसल है। तापमान की वृद्धि का इस पर बुरा असर पड़ता है। क्लाइमेट चेंज के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में एक समय ऐसा भी आ सकता है, जब गेहूं की खेती संभव ही न हो। उस समय बाजरा ही उसका सबसे प्रभावी विकल्प हो सकता है, इसलिए इसकी खेती को भविष्य की भी खेती कहते हैं।

बिना लागत की खेती

बाजरे की खेती में उर्वरकों की जरूरत नहीं पड़ती। इसकी फसल में कीड़े-मकोड़े नहीं लगते। अधिकांश बाजरे की किस्में भंडारण में आसान हैं। साथ ही इसके भंडारण के लिए कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती। इसी तरह नाम मात्र का पानी लगने से सिंचाई में लगने वाले श्रम एवं संसाधन की भी बचत होती है।

भारत के प्रस्ताव पर यूएनओ ने 2023 को घोषित किया ईयर ऑफ मिलेट

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधन में मिलेट रिवोल्यूशन के क्रांति की जरूरत का जिक्र कर चुके हैं। उनकी ही पहल पर 2018 में देश में मिलेट ईयर मनाया गया था। बाद में भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) को इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का अनुरोध किया था। भारत के ही प्रस्ताव पर 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि बढ़ते शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण, बढ़ती आबादी की आवासीय जरूरतों, सड़क, बांध, एयरपोर्ट आदि के लिए जमीन की जरूरत पड़नी ही है। लिहाजा जमीन का रकबा लगातार घटना है। ऊपर से मौसम की अप्रत्याशिता। आने वाले समय में खाद्यान्न एवं पोषण सुरक्षा के साथ क्लाइमेट चेंज के प्रति संवेदनशील धान एवं गेहूं जैसी परंपरागत फसलों के लिए भी गंभीर चैलेंज है। इसका समाधान कम लागत, कम पानी में होने वाले बाजरे जैसे मोटे अनाज ही हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि अपने पौष्टिक गुणों के कारण चमत्कारिक अनाज कहे जाने वाले बाजरे की खेती को यथासंभव प्रोत्साहन दिया जाय। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद अगले 100 दिन, 6 माह, दो साल और पांच साल के काम का लक्ष्य तय करने के लिए सेक्टरवार मंत्री परिषद के समक्ष प्रस्तुतिकरण लिया था।

इसी क्रम में सामाजिक सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान उन्होंने निर्देश दिया था कि न्यूट्रीबेस्ड फूड बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद और वितरण की व्यवस्था की जाए। यह प्रमुख बाजरा उत्पादक 18 जिलों में हो भी रहा है। सीएम योगी के निर्देश पर अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष-2023 में बाजरा एवं ज्वार सहित लुप्तप्राय हो रही कोदो और सावां की फसल को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग ने कई योजनाएं तैयार की हैं। बाजरे की खेती के लिए किसानों को इसकी खूबियों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।

प्रसंस्करण की काफी संभावनाएं

बाजरे से चपातियां, ब्रेड, लड्डू, पास्ता, बिस्कुट, प्रोबायोटिक पेय पदार्थ बनाए जाते हैं। छिलका उतारने के बाद इसका प्रयोग चावल की तरह किया जा सकता है। इसके आटे को बेसन में मिलाकर इडली, डोसा, उत्पम, नूडल्स आदि बनाया जा सकता है।

3.19 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करेंगे 1.44 लाख परीक्षक


लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश में नकलविहीन परीक्षा संपन्न कराने के बाद अब बिना किसी बाधा के बोर्ड परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का भी लक्ष्य रखा है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से पुख्ता तैयारी की गई है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को त्रुटिरहित निरपेक्ष मूल्यांकन के लिए प्रदेश भर में 258 मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें कुल 3.19 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए करीब 1.44 लाख परीक्षकों को नियुक्त किया गया है।

यही नहीं, परीक्षा केंद्रों और परीक्षकों की सुरक्षा के लिए भी चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं। वहीं सीसीटीवी के माध्यम से इसकी निगरानी की भी व्यवस्था की गई है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में रिकॉर्ड समय में बिना किसी बाधा के बोर्ड परीक्षाओं को संपन्न कराने में सफलता प्राप्त की है। 30 वर्षों में पहली बार कोई भी परीक्षा प्रश्नपत्रों के लीक होने, वायरल होने या अन्य किसी वजह से रद नहीं की गई। यही नहीं, सामूहिक नकल की भी कोई घटना नहीं हुई।

258 केंद्रों पर होगा मूल्यांकन कार्य

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए प्रदेश में कुल 258 मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य एक अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान हाईस्कूल की लगभग 1.86 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाएगा, जिसके लिए 89,698 परीक्षकों को नियुक्त किया गया है। वहीं इंटरमीडिएट की 1.33 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 54,235 परीक्षक लगाए गए हैं। इस प्रकार कुल 3.19 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए कुल 1,43,933 परीक्षक नियुक्त किए गए हैं।

परीक्षकों को किया गया प्रशिक्षित

उन्होंने बताया कि उत्तर पुस्तिकाओं का त्रुटिरहित निरपेक्ष मूल्यांकन हो सके इसके लिए इस बार पहली बार मूल्यांकन में लगाए गए जाने वाले परीक्षकों एवं उपप्रधान परीक्षकों के प्रशिक्षण के लिए उनके उपनियंत्रकों का प्रशिक्षण क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर ऑडियो-वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से कराया गया है। क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ में 12 मार्च को, बरेली में 13 मार्च को, गोरखपुर में 14 मार्च को, प्रयागराज में 15 मार्च को और वाराणसी में 16 मार्च को प्रशिक्षण संपन्न हो चुका है। मूल्यांकन केंद्रों के उपनियंत्रक या प्रधानाचार्य क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर प्रशिक्षण लेने के बाद अपने-अपने मूल्यांकन केंद्रों पर मूल्यांकन प्रारंभ होने से पहले उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए नियुक्त परीक्षकों एवं उपप्रधान परीक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।

सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था

सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि मूल्यांकन केंद्रों पर शुचितापूर्ण मूल्यांकन के लिए प्रत्येक मूल्यांकन केंद्र पर एक-एक स्टेटिक मजिस्ट्रेट को लगाया गया है। साथ ही, प्रत्येक जनपद में स्थित सभी मूल्यांकन केंद्रों के पर्यवेक्षण के लिए प्रत्येक जिले के डायट प्राचार्य को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। यही नहीं, मूल्यांकन केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। मूल्यांकन केंद्रों के चारों ओर 100 मीटर की परिधि में धारा 144 लगाई गई है। साथ ही मूल्यांकन अवधि तक कम से कम चार सशस्त्र पुलिस गार्ड की भी तैनाती कराए जाने तथा स्थानीय अभिसूचना इकाइ/पुलिस कर्मियों की सादी वर्दी में तैनाती कराए जाने की व्यवस्था की गई है।

सीसीटीवी कैमरों से होगी निगरानी

जिस तरह इस बार बोर्ड परीक्षाओं को वायस रिकॉर्डर वाले सीसीटीवी कैमरों के अधीन कराया गया था, उसी तरह मूल्यांकन कार्य की भी निगरानी किए जाने का प्रावधान किया गया है। सचिव दिव्यकांत शुक्ल के अनुसार मूल्यांकन कार्य अनिवार्य रूप से वायस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी की निगरानी में होगा। मूल्यांकन की समुचित निगरानी के लिए सभी केंद्रों की जनपद और राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से लगातार मॉनीटरिंग कराए जाने की भी व्यवस्था की गई है।

*सीएम योगी ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुण्यतिथि पर अर्पित की श्रद्धांजलि*


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुण्यतिथि पर उन्हें प्रदेश सरकार और प्रदेश वासियों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कांग्रेस ने इस देश में लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की तब हेमवती नंदन बहुगुणा को मतभेद के चलते मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था, इसके बावजूद बहुगुणा जी ने कभी भी अपने मूल्यों और आदर्शों को नहीं छोड़ा।

सीएम योगी ने बताया कि स्वर्गीय बहुगुणा का जन्म आज के उत्तराखंड के पौड़ी जनपद में हुआ था। बचपन की शिक्षा गांव में प्राप्त करने के उपरांत आगे की पढ़ाई के लिए वे प्रयागराज आए। उच्च शिक्षा के दौरान ही देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ गये। भारत छोड़ो आंदोलन और अन्य आंदोलनों में उन्होंने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। स्वतंत्र भारत में अनेक सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों के साथ जुड़ते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना योग्य और तेजस्वी नेतृत्व दिया।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक व केशव प्रसाद मौर्य, वित्तमंत्री सुरेश खन्ना और मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र मौजूद रहे।

श्रीराम जन्मभूमि में राममंदिर के भूतल का 70 फीसदी काम पूरा,मंदिर पर चढ़ने के लिए अब तक बन चुकी हैं 24 सीढ़ियां


लखनऊ। श्रीराम जन्मभूमि में राममंदिर के भूतल का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। राममंदिर के गर्भगृह में सभी स्तंभ खड़े किए जा चुके हैं। मंदिर पर चढ़ने के लिए अब तक 24 सीढ़ियां बन चुकी हैं। भक्तों को 32 सीढ़ियां चढ़कर रामलला के दर्शन होंगे। मंदिर निर्माण अब आकार लेने लगा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण को लेकर कुछ तस्वीरें और वीडियो जारी किया है। वहीं कुछ नई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की गई है। इन तस्वीरों में मंदिर निर्माण को दिखाया गया है।

राममंदिर का भव्य स्वरूप दूर से ही दिखाई देने लगा है। दर्शन मार्ग से ही निर्माणाधीन मंदिर का दर्शन कर दर्शनार्थी निहाल हो रहे हैं। राममंदिर के गर्भगृह के तीन तरफ की दीवारें खड़ी हो चुकी हैं। 20 फीट ऊंची दीवार मकराना सफेद संगमरमर के स्तंभ के साथ भव्य लग रही है।

इसके पहले सिंहद्वार राममंदिर में प्रवेश के लिए सीढ़ी बनाई जा चुकी है। भूतल निर्माण में गर्भगृह पर 20 फीट ऊंची दीवार और 166 पिलर खड़े कर दिए गए हैं।

वहीं दूसरी तरफ राममंदिर के छत के करीब दो सौ बीम की नक्काशी का काम भी पूरा हो चुका है। बीम की तराशी रामसेवकपुरम व रामघाट स्थित कार्यशाला में हो रही है। जो पत्थर तराशे जा चुके हैं उन्हें रामजन्मभूमि परिसर में पहुंचाया जा रहा है।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि जल्द ही गर्भगृह की बीम डालने का काम शुरू हो जाएगा। निर्धारित समय सीमा के अनुसार ही मंदिर निर्माण का काम आगे बढ़ रहा है।श्रीरामजन्मभूमि परिसर में जारी मंदिर निर्माण कार्य।

डॉ. मृदुला शर्मा को राज्य शिक्षक सम्मान से किया जाएगा सम्मानित


लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार देर शाम राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित होने वाले टीचर्स की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट के अनुसार मेरठ में इस्माइल गर्ल्स इंटर कॉलेज एल ब्लॉक शास्त्रीनगर की प्रिंसिपल डॉ. मृदुला शर्मा को राज्य शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। उनका चयन हुआ है। वहीं यूपी के 14 सरकारी शिक्षकों को इस पुरस्कार केलिए चुना गया है। जिनके नामों की लिस्ट जारी हो चुकी है। सहारनपुर से सुशील कुमार त्यागी को भी चुना गया है।

मेरठ की डॉ. मृदुला शर्मा, सहारनपुर के बीएनडी इंटर कॉलेज के अध्यापक सुशील कुमार त्यागी, मुजफ्फरनगर के जवाहर लाल नेहरू स्मृति इंटर कॉलेज रवापुरी के अध्यापक चंद्र मोहन शर्मा, गाजियाबाद के गार्वमेंट बालिका इंटर कॉलेज के अध्यापक शैलेंद्र चतुर्वेदी का नाम शामिल है।

डॉ. मृदुला शर्मा इस्माइल गर्ल्स नेशनल इंटर कॉलेज एल में 2012 से कार्यरत हैं। छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अन्तर्गत डायमंड ज्वैलरी आदि के कोर्स विद्यालय में निःशुल्क उपलब्ध कराए, जिससे 36 छात्राएं लाभान्वित हुई हैं। सरकार द्वारा चलाई गई सुमंगला योजना, मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना, नेशनल छात्रवृत्ति योजना एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति योजना द्वारा छात्राओं को लाभान्वित भी कराती रहती हैं।