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वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन, 78 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

#senior_journalist_ved_pratap_vaidik_passed_away

वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन हो गया है। उन्होंने 78 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।बताया जा रहा है कि वह नहाते समय बाथरूम में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

वरिष्ठ पत्रकार वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। डॉ. वैदिक पत्रकारिता ने राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, और हिंदी के क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया। वह एक राजनीतिक विश्लेषक थे। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई के हिंदी उपक्रम भाषा की स्थापना की थी और वह उसके पहले संपादक भी थे। साल 1958 में प्रूफ रीडर के तौर पर वह पत्रकारिता में आए थे।

अंतरराष्ट्रीय मामलों में जानकार होने के साथ ही उनकी रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा पर पकड़ रही। डॉ. वैदिक ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिंदी में लिखा। उन्होंने अपनी पीएचडी के शोधकार्य के दौरान न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मॉस्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।

डॉ. वैदिक को मीडिया और भाषा के क्षेत्र में काम करने के लिए कई सम्मान दिए गए। उन्हें विश्व हिन्दी सम्मान (2003), महात्मा गांधी सम्मान (2008), दिनकर शिखर सम्मान, पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण-पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, हिन्दी अकादमी सम्मान, लोहिया सम्मान, काबुल विश्वविद्यालय पुरस्कार, मीडिया इंडिया सम्मान, लाला लाजपतराय सम्मान आदि दिए गए। वे कई न्यासों, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय। अध्यक्ष, भारतीय भाषा सम्मेलन एव भारतीय विदेश नीति परिषद।

अमेरिका में भारी वित्तीय संकट, धड़ाधड़ बंद हो रहे हैं बैंक, सिलिकॉन वैली के बाद अब सिग्नेचर बैंक पर लटका ताला!

अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है। सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के बाद अब एक और बैंक पर ताला लटक गया है। क्रिप्टो फ्रैंडली कहे जाने वाले सिग्नेचर बैंक को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इस बैंक के पास क्रिप्टोकरेंसी का स्टॉक था और इसके जोखिम के मद्देनजर कुछ समय के लिए न्यूयॉर्क के इस क्षेत्रीय बैंक को बंद रखने का फैसला किया गया है।

110 अरब डॉलर की संपत्ति

बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सिलिकॉन वैली बैंक के बाद सिग्नेचर बैंक अमेरिका में जारी बैंकिंग उथल-पुथल का अगला शिकार बन गया है। न्यूयॉर्क स्टेट के फाइनेंस सर्विस डिपार्टमेंट के अनुसार, फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) ने सिग्नेचर बैंक को अपने नियंत्रण में ले लिया है, जिसके पास पिछले साल के अंत में 110.36 अरब डॉलर की संपत्ति थी, जबकि बैंक में जमा राशि 88.59 अरब डॉलर थी। 

2008 के बाद से तीसरा बड़ा क्राइसिस

अमेरिकी बैंकिंग इतिहास में ये तीसरी सबसे बड़ी विफलता है, इससे दो दिन पहले ही सिलिकॉन वैली बैंक को बंद कर दिया गया था। यह वाशिंगटन म्युचुअल के बाद दूसरा सबसे बड़ा शटडाउन था, जो वित्तीय संकट के दौरान ढह गया था और अब सिग्नेचर बैंक का नंबर आ गया।

बता दें कि अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर का सबसे बड़ा संकट साल 2008 में आया था। उस साल बैंकिंग फर्म लेहमन ब्रदर्स ने खुद को दिवालिया (Default) घोषित कर दिया था। इसके बाद अमेरिका समेत पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छा गई थी और इकोनॉमी की कमर टूट गई थी।

भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 7400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली याचिका

#bhopal_gas_tragedy_supreme_court_dismisses_petition

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों को 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिससंजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले की फिर से सुनवाई करना पीड़ितों के पक्ष में भी नहीं होगा।कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो "पेंडोरा बॉक्स" खुल जाएगा।

भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की रात में हुए इस हादसे में 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हादसे से बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया था पीड़ितों ने अतिरिक्त मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़ितों की ओर से केंद्र ने इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी।केंद्र ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,844 करोड़ रुपये मांगे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र के कदम से निराश है। 50 करोड़ रुपये अभी भी आरबीआई के पास पड़े हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो "पेंडोरा बॉक्स" खुल जाएगा। समझौते के तीन दशक बाद मामले को नहीं खोला जा सकता। कोर्ट ने कहा कि समझोते को सिर्फ धोखेधड़ी के आधार पर रद्द किया जा सकता है, भारत सरकार द्वारा धोखाधड़ी का कोई आधार नहीं दिया गया है।

कोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाए कि सरकार मुआवजे में कमी और बीमा पॉलिसी लेने में विफल रही। यह केंद्र की ओर से घोर लापरवाही है। दो दशकों के बाद इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तर्क प्रस्तुत करने में केंद्र की विफलता पर असंतोष जताया।बता दें कि केंद्र सरकार ने मुआवजे में बढ़ोतरी के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीमकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। सुनवाई में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि भारत सरकार ने 1989 में मामले के निपटारे के समय कभी ये सुझाव नहीं दिया कि पीड़ितों को दिया मुआवजा कम था।

जानकारी के मुताबिक न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर 12 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं।

सीबीआई जांच कराने वाले हम ही थे', ईडी के एक्शन पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने याद दिलाया लालू यादव का पुराना इतिहास

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार के गया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लालू परिवार पर जमकर निशाना साधा। कहा कि चारा घोटाले में सीबीआई की जांच कराने वाले हम ही वकील थे। जब लालू यादव को चारा घोटाले के चार केसो में सजा हुई तो उस वक्त पीएम एचडी देवगौड़ा, गुजराल और मनमोहन सिंह थे। तब भी कहा जा रहा था कि बीजेपी संघ के दबाब में पक्षपात की जा रही है। चारा घोटाले में एक को भी राहत नहीं मिली है।

लालू यादव पर कई घोटालों का आरोप 

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दूसरा अलकतरा घोटाला है जिसमें मंत्री, चीफ इंजीनियर गए। लालू यादव और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार और लूट मामले में कार्रवाई नहीं हो, ऐसे कैसा होगा? तीसरे में रेलवे की संपत्ति बेची गई। दोनों लीज पर दे दी गई थी। इसकी शिकायत जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने किया था। घोटालों की लिस्ट बताते हुए कहा कि अब जमीन के बदले नौकरी घोटाला है। किसको कहां से नौकरी मिली है? इसकी पूरी डिटेल्स है। ज्यादातर उनके समाज के लोगों को ही नौकरी दी गई थी। इतनी प्रॉपर्टी होगी तो सवाल कोई नहीं करेगा क्या? बिहार की जनता नीतीश कुमार से जबाब मांगेगी।

मनीष सिसोदिया पर साधा निशाना

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मनीष सिसोदिया मामले पर कहा कि शराब के नियमों में बदलाव किए गए थे बदले में दक्षिण भारत से कमीशन आई थी। अरविंद केजरीवाल जांच को फेस करें, जितने लोगों के खिलाफ आरोप लगे वह जेल गए हैं। कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार है अगर आप जनता का पैसा लूटेंगे तो कार्रवाई तो होनी ही है।

संसद में संग्राम जारी, लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्‍थगित

#parliament_budget_session

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण कल सोमवार से फिर शुरू हुआ, लेकिन सांसदों के हंगामे की वजह से पहले दिन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी।बजट सत्र के दूसरे चरण का दूसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। अडानी-हिंडनबर्ग विवाद, बढ़ती महंगाई और राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान को लेकर संसद में लगातार गतिरोध बना हुआ है। सांसदों के हंगामा करने की वजह से पहले दिन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन आज भी पार्लियामेंट में संग्राम जारी है। हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी है।

लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही राहुल गांधी के लंदन के दिए गए बयान पर हंगामा शुरू हो गया। सत्‍ता पक्ष राहुल गांधी की माफी की मांग कर रहा है। बीजेपी राहुल गांधी से माफी की मांग पर अड़ा हुआ है तो विपक्ष अदाणी के मुद्दे पर केन्द्र को लगातार घेर रहा है। हंगामा बढ़ने पर लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई है।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कहा, सरकार खुद सदन नहीं चलाना चाहती। ऐसा नजारा कभी देखा है कि सरकार के मंत्रियों ने सदन को ठप करने के लिए किस तरह से कल हंगामा किया। राहुल गांधी माफी क्यों मांगेंगे? उन्होंने क्या गुनाह किया है? माफी तो इन लोगों को मांगनी चाहिए।

सत्र के पहले दिन भाजपा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के माफी मांगने की मांग पर अड़ी रही। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी समेत कई सांसदों ने कहा कि राहुल गांधी को सदन के अंदर आकर माफी मांगनी चाहिए। इसी की वजह से संसद की कार्यवाही पूरे दिन ढंग से चल नहीं पाई।

केंद्रीय कर्मचारियों को लगा बड़ा झटका, नहीं मिलेगा कोरोना के दौरान रुका 18 माह का डीए

#centralemployeeswillnotgetdearnessallowance_da 

कोरोना महामारी के दौरान रोका गया केंद्रीय कर्मचारियों का अठारह महीनों का महंगाई भत्ता या डीए नहीं दिया जाएगा।केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि कोरोना महामारी के दौरान केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का रोका गया 18 माह का महंगाई भत्ता उन्हें नहीं दिया जाएगा। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लिखित में जवाब देते हुए कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की तीन किस्तों का बकाया दिए जाने की कोई योजना नहीं है।

प्रश्नकाल के दौरान केंद्र सरकार से बकाये महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को लेकर सवाल पूछा गया। सरकार ने पूछा गया कि कोरोनाकाल के दौरान केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का 18 महीने का जो महंगाई भत्ता रोका गया है क्या निकट भविष्य में उसे जारी किए जाने की कोई योजना है? इस सवाल पर केंद्र सरकार ने अपनी ओर से सफाई पेश की है। सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि डीए एरियर जारी करने की उसकी कोई योजना नहीं है।

सरकार ने 34,402.32 करोड़ रुपए बचाए

लोक सभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में सरकार ने जानकारी दी है कि कोरोना काल में केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता काटकर सरकार ने जो 34,402.32 करोड़ रुपए बचाए हैं। सरकार ने इस पैसे का कोरोना महामारी से उबरने में उपयोग किया है। पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए काफी धन का प्रावधान करना पड़ा था जिसका असर 2020-21 और उसके बाद भी देखा गया है।बकाये महंगाई भत्ते का एरियर 2020-21 के लिए है जिसे देना उचित नहीं समझा गया है।

अभी सरकार को राजकोषीय घाटा से उबरने मे लगेगा समय

सरकार की ओर से कहा गया कि अभी भी सरकार का वित्तीय घाटा एफआरबीएम एक्ट (FRBM Act) के तहत तय किए गए लेवल से दोगुना है। अभी सरकार को राजकोषीय घाटा से उबरने में कुछ और समय लग सकता है।

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र कालवी का निधन, हार्ट अटैक के बाद ली अंतिम सांस

#karni_sena_founder_lokendra_singh_kalvi_dies 

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का सोमवार देर रात हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया।उन्हें हार्ट अटैक के बाद सोमवार को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देर रात इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।लोकेंद्र कालवी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका जून 2022 में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था।जिसके बाद से ही उनका इलाज चल रहा था।

लोकेंद्र सिंह कालवी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए राजपूत सभा भवन जयपुर में उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा। जिसके बाद कालवी का अंतिम संस्कार नागौर जिले के उनके पैतृक कालवी गांव मे मंगलवार को दोपहर 2.15 बजे किया जाएगा।

राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव के रहने वाले लोकेंद्र सिंह कालवी कालवी के पिता कल्याण सिंह कालवी राजस्थान और केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे। सती आंदोलन में सक्रिय रहे कालवी मानते थे कि वो राजनेता बाद में हैं, राजपूत पहले हैं। अपने पिता के अंदाज में ही लोकेन्द्र सिंह कालवी भी सक्रिय रहे।

करीब साढ़े 18 साल पहले लोकेन्द्र सिंह कालवी ने करणी सेना के गठन की नींव रखी थी। ये सेना राजूपतों के आक्षरण और अपनी संस्कृती को बचाने का कार्य करती है। सबसे ज्यादा सुर्खियों उन्होंने बॉलीवुड मूवी पद्मावत का विरोध करते वक्त बटोरी थीं, जब उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को धमकी दे दी थी।

जम्मू-कश्मीर में एनआईए की बड़ी कार्रवाई, आतंकी गतिविधियों को लेकर छापेमारी जारी

#nia_raids_multiple_locations_in_jammu_kashmir 

जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी (एनआईए)की छापेमारी चल रही है। टेरर फंडिंग मामले में चल रही जांच के तहत मंगलवार सुबह एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर छापेमारी की है। जानकारी के मुताबिक, कुलगाम, पुलवामा, अनंतनाग और शोपियां में संदिग्धों के घरों की तलाशी ली जा रही है।सूत्रों के मुताबिक, रेड के दौरान जमात-ए-इस्लामी से जुड़े अधिकांश लोगों के घरों को सर्च किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक, एनआईए की टीमें शोपियां जिले के वाची इलाके, पुलवामा जिले के नेहामा, कुलगाम और अनंतनाग जिले के फ्रेशल इलाके में छापेमारी कर रही है। एनआईए की ओर से हिरासत में लिए गए एक नए क्षेत्रीय अखबार के साथ काम करने वाले एक स्थानीय पत्रकार के निलूरा पुलवामा स्थिति घर की भी तलाशी ली गई है।

*देश की वो बेटी जिसने सुभाष चंद्र बोस को बचाने के लिए अपने ही पति के प्राण ले लिए*

#neera_arya

दो सौ सालों की गुलामी के बाद भारत आजाद हुआ। हालांकि इस आजादी के लिए बड़ी कीमतें चुकानी पड़ी। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए सैकड़ों जानें कुर्बान हुईं। इनमें कई नायक बनकर उभरे, तो कईयों ने गुमनाम बलिदान दिया। जिन्हें मुश्किल से ही कोई जान पाया। नीरा आर्य एक ऐसा ही नाम हैं।इस बेटी ने देश की आजादी के लिये अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। यहां तक कि अपने नायक, नेताजी सुभाष चंद बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या तक कर दी, जेल में अंग्रेजों ने उनके स्तन तक काट दिए, लेकिन इन्होंने अपनी जुबान नहीं खोली।

नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को उत्तर प्रदेश के बागपत के खेकड़ा में हुआ था। इनके माता-पिता की मृत्यु के बाद इनको हरियाणा के दानवीर चौधरी सेठ छज्जूमल लाम्बाने गोद ले लिया। नीरा व इनके भाई बसन्त ने सेठ को ही अपना धर्मपिता स्वीकार किया। जब नीरा आर्य का जन्म हुआ, उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। कहते हैं, छोटी उम्र से ही नीरा ने अपने देश के लिए आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी थी। 

इन्हें बचपन में वीर भगत सिंह से भी मिलने का मौका मिला। जब वे चौधरी साहब के पास अंग्रेजों से बचने के लिए कई दिनों तक रुके थे। बड़े होकर अपने धर्मपिता सेठ छज्जूमल के आदर्शों पर चलते हुए नेताजी की आजाद हिंद फौज में शामिल हुई। क्रांतिकारी गतिविधियों के दौरान नीरा 'आजाद हिंद फौज' के संपर्क में आईं और 'झांसी रेजिमेंट' का हिस्सा बन गईं। इसके साथ ही देश की पहली जासूस होने का गौरव प्राप्त किया।

कम उम्र में नीरा के पिता ने उनकी शादी श्रीकांत जयरंजन दास से कर दी थी। हालांकि नीरा में देशभक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ। बल्कि नीरा के लिए रूकावटें और बढ़ गई। दरअसल, जहां नीरा अंग्रेजों से अपने देश की आजादी चाहती थीं, वहीं उनके पति ब्रिटिश सरकार के लिए काम कर रहे थे। अंग्रेजों ने नीरा के पति जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और मौका मिलते ही उनकी हत्या करने की जिम्मेदारी थी। अपने पति के मिशन के बारे में जब मीरा को जानकारी हुई तो वो उनके खिलाफ हो गईं। एक दिन जब उनके पति ने सुभाष चंद्र बोस की हत्या करने का प्रयास किया, तो उन्होंने अपने पति को ही मार डाला, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बचा लिया।

पति को मारने के कारण ही नेताजी ने उन्हें नागिनी कहा था।वहीं दूसरी ओर, अंग्रेजों ने इसके लिए नीरा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई गई। 

डॉ. नरेंद्र सिंह आर्य ने इनकी आत्मकथा का एक अंश प्रस्तुत किया जो स्वयं इन्होंने लिखा था ‘‘मैं जब कोलकाता जेल से अंडमान पहुंची तो रात भर हम भारत माता से जुदा होने के दर्द की से पीड़ा से तड़पते रही और सूर्य निकलते ही जेलर ने कड़क आवाज में कहा, तुम्हें छोड़ दिया जाएगा, यदि तुम बता दोगी कि तुम्हारे नेताजी सुभाष कहाँ हैं? वे तो हवाई दुर्घटना में चल बसे, मैंने जवाब दिया, सारी दुनिया जानती है। नेताजी जिंदा हैं....झूठ बोलती हो तुम कि वे हवाई दुर्घटना में मर गए? जेलर ने कहा। हाँ नेताजी जिंदा हैं। तो कहाँ हैं। मेरे दिल में जिंदा हैं वे।जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और उसके इशारे पर लुहार ने मुझे असहनीय पीड़ा देते हुए लोहे के जंबूर से मेरे दोनों स्तन काटने की कोशिश की। इतिहासकारों ने मुताबिक अगर नीरा सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी दे देतीं तो उन्हें जमानत मिल जाती, लेकिन नीरा ने अपना मुंह नहीं खोला। 

नीरा आर्य को आजाद हिंद फौज की प्रथम जासूस होने का गौरव प्राप्त है। नीरा को यह जिम्मेदारी इन्हें स्वयं नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने दी थी। नीरा ने अपनी साथी मानवती आर्या, सरस्वती राजामण और दुर्गा मल्ल गोरखा एवं युवक डेनियल काले के संग नेताजी के लिए अंग्रेजों की जासूसी भी की।जब इन्हें जासूसी के लिए भेजा गया था, तब हमें साफ तौर से बताया गया था कि पकड़े जाने पर हमें खुद को गोली मार लेनी है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद, नीरा जेल से बाहर निकली। इन्होंने जीवन के अंतिम दिनों में फूल बेचकर गुजारा किया। हैदराबाद में फूल बेचकर अपना बाकी का जीवन बिताया। वृद्धावस्था में बीमारी की हालत में चारमीनार के पास उस्मानिया अस्पताल में इन्होंने रविवार 26 जुलाई, 1998 में एक गरीब, असहाय, निराश्रित, बीमार वृद्धा के रूप में मौत का आलिंगन कर लिया।

*कर्नाटक बीजेपी नेता का विवादित बयान, लाउडस्पीकर से अजान पर टिप्पणी करते हुए कहा- क्या अल्लाह बहरा है...*

#azaanrowkseshwarappastatement

कर्नाटक बीजेपी के दिग्गज नेता केएस ईश्वरप्पा ने अजान बड़ा विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं अजान मेरे लिए सिरदर्द बन गई है। भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने पूछा कि क्या अल्लाह बहरे हैं जो उन्हें बुलाने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है। भाजपा नेता के बयान को लेकर एक बार फिर से एक बार फिर अजान को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ने की संभावना है।

भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा की मंगलुरु में एक सभा को संबोधित करते हुए जुबान फिसली। दरअसल, जब केएस ईश्वरप्पा भाषण दे रहे थे तभी पीछे से मस्जिद से अजान होने लगीय़ इसके बाद केएस ईश्वरप्पा ने भाषण के बीच में अजान पर टिप्पणी करनी शुरू कर दी। ईश्वरप्पा ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं, यह (अज़ान) मुझे सिरदर्द देता है। सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है, आज या कल ये खत्म जरूर होगा, किसी को शंका करने की जरूरत नहीं है।

...इसका मतलब है कि अल्लाह बहरा है

भाजपा नेता ने सवाल पूछा कि क्या अजान के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने पर ही अल्लाह नमाज सुनेगा? उन्होंने कहा कि मंदिरों में लड़कियां और महिलाएं प्रार्थना और भजन करती हैं। हम धार्मिक हैं, लेकिन हम लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। अगर आपको लाउडस्पीकर से नमाज अदा करनी है, तो इसका मतलब है कि अल्लाह बहरा है?

लाउडस्पीकर से अजान पर लंबे समय से बहस

बता दें कि लाउडस्पीकर से होने वाली अजान लंबे समय से बहस का मुद्दा बनी हुई है। मशहूर सिंगर सोनू निगम से लेकर राज ठाकरे तक इस पर बयान दे चुके हैं। विवाद के बीच यूपी में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारे गए थे। लाउडस्पीकर बजाने के तय समय का पालन कराया गया। इसके अलावा राज ठाकरे भी महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर के खिलाफ अभियान चला चुके हैं।

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

भले ही लाउडस्पीकर से अजान को लेकर विवाद लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इस बार विवाद को हवा दी है कर्नाटक में बीजेपी के बड़े नेताओं में शामिल ईश्वरप्पा ने। वैसे ईश्वरप्पा इसके पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं। एक बार टीपू सुल्तान को मुस्लिम गुंडा कह दिया था। इस बयान पर खूब हंगामा हुआ था और उन्हें धमकी भी मिली थी। वहीं बीते साल ही ईश्वरप्पा ने एक बयान में कहा था कि आरएसएस का भगवा एक दिन राष्ट्रीय ध्वज बनेगा। उन्होंने कहा था कि भगवा बलिदान का प्रतीक है और हजारों सालों से लोगों के मन में इसके लिए सम्मान है।