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विपक्षी नेताओं की PM मोदी को लिखी गई चिट्ठी पर भाजपा ने किया पलटवार, कहा- विक्टिम कार्ड खेल रही है आप

 आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर सिसायत तेज हो गई है। ममता बनर्जी, केजरीवाल और अखिलेश यादव समेत 9 विपक्षी नेताओं द्वारा PM मोदी को चिट्ठी लिखी गई है। इस पर अब भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने विपक्ष पर पलटवार किया है।

भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी (AAP) मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के मामले में पीड़ित कार्ड खेल रही है। उन्होंने AAP से पूछा है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को राहत नहीं देकर क्या अदालत मानसिक रूप से परेशान कर रही है।

'भ्रष्टाचार की रक्षा करने वाली पार्टी बन गई है AAP' : शहजाद पूनावाला

शहजाद पूनावाला ने आप पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि एक आम आदमी पार्टी एक ऐसी पार्टी में बदल गई है, जो 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आंदोलन से उठी थी, लेकिन अब भ्रष्टाचार की रक्षा करने वाली और जश्न मनाने वाली पार्टी बन गई है। उन्होंने कहा यह उस राजनीतिक दल का पूर्ण परिवर्तन है, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। आज वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को मानसिक उत्पीड़न के रूप में मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या अदालत भी मानसिक रूप से सिसोदिया को प्रताड़ित नहीं कर रही है।

AAP को देना चाहिए जवाब

भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने एएनआइ से बात करते हुए कहा AAP को आबकारी नीति मामले से संबंधित सवालों का जवाब देना चाहिए। जो लोग आज इस तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त होकर दिल्ली के लोगों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार हैं, वह यह बताए कि शरब घोटाला क्यों किया गया। बता दें कि भाजपा नेता की ये टिप्पणी सिसोदिया की गिरफ्तारी के संबंध में अरविंद केजरीवाल और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र के जवाब में आई है।

सुधांशु त्रिवेदी और कपिल मिश्रा ने विपक्ष पर उठाए सवाल

इसके अलावा भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आप पर हमला बोला। उन्होंने कहा आप सदस्यों का कहना था कि भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में इस्तीफा देना पहला कदम होना चाहिए और बाद में जांच की जानी चाहिए और आज वे जांच एजेंसियों को नकार रहे हैं और धमकी दे रहे हैं। साथ ही कपिल मिश्रा ने कहा मनीष सिसोदिया को बचाने के लिए कई विपक्ष के नेताओं ने लेटर लिखा है, ऐसा ही एक लेटर कसाब को बचाने के लिये भी लिखा गया था। जब ऐसे लेटर आने लगे मतलब अपराध पक्का है, अब बचाने की हड़बड़ाहट है।

पूर्व पाक जनरल ने दिया सनसनीखेज बयान, कहा- 'हुक्मरानों की 'डर्टी पॉलिटिक्स' ने पाकिस्तान को बर्बाद कर दिया'

डेस्क: पाकिस्तान को वहां के हुक्मरानों की 'गंदी' राजनीति ने बर्बाद करके रख दिया, ये बात तो हर ​पाकिस्तानी कहता है। सोशल मीडिया पर कई लोगों को इस तरह बोलते देखा है। यहां तक​ कि सत्ता से बेदखल होने वाली सरकार के राजनेताओं ने भी सत्तारूढ़ पार्टियों के लिए यह शब्द इस्तेमाल किए हैं। ऐसी बातों का लंबा इतिहास रहा है। इन सबके बीच पूर्व पाकिस्तानी जनरल हारून असलम ने एक बड़ा बयान दिया है, जिससे पाकिस्तान में सियासी हलचल मच गई है।

पूर्व पाकिस्तानी जनरल ने असैन्य-सैन्य असंतुलन के लिए राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया। पाकिस्तान के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल हारून असलम ने कहा है कि वह पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के उस संकल्प को अधिक महत्व नहीं देते कि सेना देश की राजनीति से बाहर रहेगी और उन्होंने असैन्य-सैन्य असंतुलन को बढ़ाने के लिए राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया। 

हुक्मरानों ने सैन्य जनरलों पर इतनी 'कृपा' क्यों बरसाई?

असलम ने शनिवार को लंदन में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा आयोजित फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान कांफ्रेंस में एक सेशन को संबोधित किया। पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ ने असलम के हवाले से कहा कि इमरान खान ने जनरल बाजवा को सेवा विस्तार क्यों दिया? आसिफ अली जरदारी ने जनरल अश्फाक परवेज कियानी को सेवा विस्तार क्यों दिया? मेरा मानना है कि सेना को तटस्थ रहना चाहिए और राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए लेकिन याद रखिए कि आप इसे बंद नहीं कर सकते।

पाकिस्तान की पॉलिटिकल लीडरशिप देश बर्बादी के लिए जिम्मेदार

उन्होंने सेना को राजनीति में हस्तक्षेप करने देने के लिए पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सेना हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि असैन्य घटक ने सेना को महत्व दिया। सेवानिवृत्त जनरल बाजवा की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि मैं इसे महत्व नहीं देता हूं। उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया और फिर आखिर में यह कहा। एक निवर्तमान प्रमुख क्या कहता है इसका कोई महत्व नहीं है।

सैन्य असैन्य असंतुलन के लिए इमरान खान की आलोचना की

उन्होंने असैन्य-सैन्य असंतुलन बढ़ाने के लिए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान एवं अन्य असैन्य नेताओं की आलोचना की। बहरहाल, वुडरॉ विल्सन सेंटर के शोधार्थी माइकल कुगेलमैन ने असैन्य नेतृत्व का बचाव किया। उन्होंने कहा, तटस्थ सेना तभी संभव है जब नेता यह फैसला कर लें कि उन्हें सेना के साथ काम करने की आवश्यकता नहीं है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से नेताओं के पास अक्सर कोई विकल्प नहीं होता। उनके और सेना के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने की इच्छा होती है।

यूपी पुलिस ने जारी की सोशल मीडिया पॉलिसी, वर्दी में ‘रील्स’ बनाने वाले पुलिसवालों की खैर नहीं

डेस्क: उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को अपने कर्मचारियों के लिए नई सोशल मीडिया पॉलिसी जारी की। यूपी पुलिस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि पुलिसकर्मियों द्वारा वर्दी में 'अशोभनीय' वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड करने से विभाग की छवि धूमिल हुई है, इसलिए भविष्य में इसे रोकने के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी बनाई गई है। पुलिस विभाग द्वारा जारी इस पॉलिसी में साफ शब्दों में सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई है।

नई पॉलिसी में रील्स बनाने पर कई प्रतिबंध लगे

पॉलिसी में सरकारी कार्य के दौरान सोशल मीडिया का व्यक्तिगत प्रयोग प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही ड्यूटी के दौरान अपने कार्यालय एवं कार्यस्थल पर वर्दी में वीडियो/रील्स इत्यादि बनाने अथवा किसी भी कर्मचारी द्वारा अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर लाइव टेलीकास्ट करने से मना किया गया है। ड्यूटी के बाद भी वर्दी में किसी भी प्रकार की ऐसी वीडियो अथवा रील्स इत्यादि जिससे पुलिस की छवि धूमिल होती हो, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना प्रतिबंधित किया गया है।

सोशल मीडिया मोनेटाइजेशन के लिए लेनी होगी इजाजत

सोशल मीडिया पॉलिसी के मुताबिक, थाना/पुलिस लाइन/दफ्तर इत्यादि के निरीक्षण एवं पुलिस ड्रिल/फायरिंग में भाग लेने का लाइव टेलीकास्ट एवं कार्यवाही से सम्बन्धित वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करना भी प्रतिबंधित है। साथ ही अपने कार्यस्थल से सम्बन्धित किसी वीडियो/रील्स इत्यादि के जरिये शिकायतकर्ता से बातचीत का लाइव टेलीकास्ट/वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने की मनाही है। पुलिस कर्मचारियों को सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पैसे कमाने के लिए सरकार से इजाजत लेनी होगी।

सोशल मीडिया पर ये चीजें करने पर कोई प्रतिबंध नहीं

सोशल मीडिया पर पुलिसकर्मियों को सामान्य नागरिक के रूप में वे सभी चीजें करने की आजादी रहेगी, जिसकी इजाजत उन्हें सरकारी नौकरी से जुड़े नियम देते हैं। पुलिस कर्मचारी सोशल मडिया पर अपनी अभिव्यक्ति के बारे में ‘निजी विचार’ का डिस्क्लेमर लगाकर पोस्ट वगैरह डाल सकते हैं। पुलिसकर्मियों द्वारा ‘सोशल मीडिया पॉलिसी’ के निर्देशों का पालन नहीं किये जाने की स्थिति में नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही गई है।

delhi IGI Airport: एयरपोर्ट पर विमान के शौचालय से दो करोड़ का सोना बरामद, बाथरूम के सिंक में चिपका था पाउच


दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विमान के शौचालय से लगभग 2 करोड़ रुपये मूल्य की चार सोने की छड़ें रविवार को बरामद की गई हैं। उड़ान की छानबीन के दौरान सीमा शुल्क अधिकारियों ने वाशरूम में सिंक के नीचे टेप से चिपका हुआ एक ग्रे पाउच बरामद किया है।

ग्रे पाउच में चार गोल्ड बार्स थे जिनका कुल वजन लगभग 3969 ग्राम था। अधिकारियों ने बताया कि सोने की चार छड़ें जब्त कर ली गई हैं और आगे की जांच चल रही है।

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा की सरकार बनाने की कोशिशों को क्षेत्रीय पार्टी एचएसपीडीपी ने दिया करारा झटका

संगमा ने राज्यपाल से मुलाकात कर 32 विधायकों के समर्थन वाला पत्र सौंपते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया था

मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा की सरकार बनाने की कोशिशों को क्षेत्रीय पार्टी एचएसपीडीपी ने करारा झटका दिया है। क्षेत्रीय पार्टी के दो विधायकों ने संगमा के समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किया था मगर पार्टी ने संगमा को समर्थन देने से इनकार किया है।

संगमा ने शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करके 32 विधायकों के समर्थन वाला पत्र सौंपते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया था। मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 विधायकों का है। ऐसे में नई सरकार के 7 मार्च को शपथग्रहण की संभावना जताई जा रही थी मगर अब मामले में नया मोड़ आ गया है।

संगमा का 32 विधायकों के समर्थन का दावा

मेघालय में इस बार हुए विधानसभा चुनाव में एनपीपी ने 26 सीटों पर जीत हासिल की है। कांग्रेस को 5 सीटों पर जीत मिली है जबकि भाजपा ने 2 सीटें जीती हैं। तृणमूल कांग्रेस को 5 सीटों पर विजय हासिल हुई है जबकि 21 सीटों पर निर्दलीय और अन्य पार्टियों के उम्मीदवार विजयी घोषित किए गए हैं।

एनपीपी के नेता कोनराड संगमा की ओर से शुक्रवार को राज्यपाल को सौंपे गए समर्थन पत्र में है एनपीपी के 26, भाजपा के दो, निर्दलीय दो और क्षेत्रीय पार्टी हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) के दो विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे। भाजपा की ओर से पहले ही संगमा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया गया था। संगमा ने दावा किया था के कुछ अन्य विधायकों के समर्थन के बाद मेरे पास पूर्ण बहुमत है। इस कारण राज्य में जल्द सरकार के गठन की संभावना जताई जा रही थी।

एचएसपीडीपी ने किया समर्थन से इनकार

अब इस पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है क्योंकि एचएसपीडीपी की ओर से पत्र जारी करके कहा गया है कि पार्टी ने दो विधायकों को समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत नहीं किया था। एचएसपीडीपी की अध्यक्ष और सचिव की ओर से इस बाबत कोनराड संगमा को पत्र भी लिखा गया है। इस पत्र में विधायकों को समर्थन के लिए अधिकृत न किए जाने की बात कही गई है। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि संगमा को समर्थन देने के मामले में पार्टी की कोई भूमिका नहीं है और ऐसे में पार्टी अपना समर्थन वापस लेती है।

एचएसपीडीपी की ओर से यह पत्र लिखे जाने के बाद सरकार गठन का मामला फिर अटकता दिख रहा है हालांकि एनपीपी के सूत्रों की ओर से दावा किया गया है कि कोनराड संगमा के पास सरकार गठन के लिए जरूरी नंबर हैं और वे निश्चित रूप से सरकार बनाने में कामयाब होंगे।

संगमा को सरकार बनाने से रोकने की कोशिश

वैसे आने वाले दिनों में मेघालय की राजनीति में उठापटक की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। तृणमूल कांग्रेस समेत कई दलों के विधायकों की शुक्रवार को हुई बैठक में एनपीपी को सरकार बनाने से रोकने का ऐलान किया गया। टीएमसी नेता मुकुल संगमा ने कहा कि एचएसपीडीपी के दो विधायक शुरुआत में बैठक में मौजूद थे। हालांकि उन्होंने बाद में बैठक छोड़ दी।

ऐसे में इन विधायकों की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। एचएसपीडीपी के इनकार के बाद विधायकों की ओर से पूरे प्रकरण को लेकर अभी कोई बयान नहीं दिया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि ये विधायक भी कोई बड़ा खेल कर सकते हैं।

*तोशखाना मामले में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस, घर के बाहर समर्थकों का जमावड़ा*


डेस्क: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस उनके घर पहुंच चुकी है। बताया जा रहा है कि तोशखाना मामले में पूर्व पीएम को गिरफ्तार करने इस्लामाबाद के जमान पार्क स्थित उनके आवास पर पुलिस पहुंची है। पूर्व पीएम पर मिले उपहारों को बेचने और उसे इधर-उधर करने का आरोप है। इसके अलावा कई अन्य मामलों में भी कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है। इस दौरान इमरान के घर के बाहर समर्थक जुट गए हैं। हंगामे की आशंका को देखते हुए भारी पुलिसबल की तैनाती की गई है। इमरान को किसी भी वक्त गिरफ्तार किया जा सकता है।

 पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जब से सत्ता छोड़ी है, तभी से वे सत्तारूढ़ शहबाज शरीफ सरकार के पीछे पड़े हुए हैं। वे लगातार सरकार के विरोध में रैलियां कर रहे हैं। एक रोड शो के दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ। इस कारण वे आगे रैलियां नहीं कर पाए। उन पर जेल जाने की तलवार भी लटकी। लेकिन वे सरकार का लगातार विरोध करते रहे हैं। हाल ही में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने संघीय सरकार के खिलाफ सामूहिक गिरफ्तारियां दी थीं। 

अभी शनिवार को ही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अधिकांश नेताओं और कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया। अदालत के आदेश के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में इन नेताओं और कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया था। इन्हें संघीय सरकार की विफलता के खिलाफ सामूहिक गिरफ्तारी आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

पार्टी की ‘जेल भरो तहरीक’ के लिए पिछले महीने 600 से अधिक पीटीआई नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। यह आंदोलन ‘मौलिक अधिकारों के उल्लंघन, संविधान के दुरुपयोग और देश में आर्थिक बदहाली’’ के खिलाफ था। पीटीआई के उपाध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, पूर्व वित्त मंत्री असद उमर, पंजाब के पूर्व राज्यपाल उमर सरफराज चीमा, सीनेटर आजम स्वाति और वलीद इकबाल जेल से रिहा किए गए प्रमुख नेताओं में शामिल थे। पीटीआई की याचिका पर शुक्रवार को लाहौर उच्च न्यायालय ने पार्टी के नेताओं को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था।

क्या पुलिस गाली दे सकती है? पुलिस के गाली देने पर कौन सी धारा लगती है? ऐसी स्थिति में आम आदमी के क्या अधिकार हैं यहां डिटेल में पढ़िए

पुलिस का गालियों के साथ चोली दामन का साथ माना जा सकता है आपने शायद ही ऐसा कोई पुलिस वाला देखा हो जो गाली ना देता हो। ‘अबे-तबे’ करना तो पुलिस की भाषा में शुमार होता है। कहा जाता है कि पुलिस सामान्य पूछताछ तक में संबंधित व्यक्ति पर लाठी की फटकार और गालियों की बौछार तो यूं ही कर देती है। लेकिन भारतीय कानून पुलिस को गाली का हक नहीं देता। इसके खिलाफ आम आदमी को अधिकार प्राप्त है। गाली क्या होती है? क्या पुलिस गाली दे सकती है? यदि पुलिस गाली दे तो उस पर कौन सी धारा लगती है? ऐसे में यहां पढ़िए, पुलिस ऐसा करे तो आम आदमी क्या कर सकता है।

 गुस्से या रोष में आकर किसी को कहे अपमानजनक शब्द अथवा अपशब्द, जिनसे किसी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचती है, गाली कहलाते हैं। बेशक हमारे समाज में गाली देना अच्छा नहीं माना जाता, लेकिन किसी व्यक्ति की मनोदशा को लेकर मनोवैज्ञानिक उसके गाली देने को बेहतर करार देते हैं। उनके अनुसार किसी व्यक्ति के लिए गाली देना इसलिए अच्छा होता है, क्योंकि इससे उसके भीतर का तनाव एवं दबाव क्षरित हो जाता है। वह तनावमुक्त एवं हल्का महसूस करता है।

क्या पुलिस गाली दे सकती है? 

 जब पुलिस किसी पर कार्रवाई है, किसी संपत्ति का जब्तीकरण करती है, यहां तक कि महज पूछताछ के लिए आती है तो गालियों का इस्तेमाल करती है। या यूं कहें कि गालियों की बौछार करती है तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। टीवी, सिनेमा, वेब सीरीज आदि में भी पुलिस का अंदाज इसी प्रकार का दिखाया जाता है। यदि कोई पुलिस वाला गाली नहीं देता तो लोग उसे पुलिस में मानने को तैयार ही नहीं होते। तो दोस्तों, पहले इसी सवाल पर बात कर लेते हैं कि क्या पुलिस गाली दे सकती है? तो दोस्तों, आपकों स्पष्ट कर दें कि पुलिस गाली नहीं दे सकती है। किसी से किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं कर सकती है। हमारा कानून इसकी इजाजत नहीं देता।

पुलिस के गाली देने पर कौन सी धारा लगती है?

यदि कोई पुलिस वाला किसी व्यक्ति को गाली देता है या उसके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी (IPC) धारा (section) 129 के तहत कार्यवाही की जा सकती है। यह अलग बात है कि बहुत सारे लोगों को इस कानून के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। लिहाजा, वे पुलिस की गालियों को विवशता/मजबूरी के अंदाज में बर्दाश्त करते रहते हुए चलते हैं। पुलिस के गाली देने पर भी लोगों का मुंह बंद रखने का एक बड़ा कारण यह भी है कि वह पुलिस के बदला लेने के तरीकों से डरते हैं।

डर होता है कि यदि वे पुलिस के खिलाफ शिकायत करेंगे तो पुलिस उन्हें बाद में किसी न किसी झूठे इल्जाम में फंसा देगी। या फिर उन पर कोई झूठा आरोप लगा कर उन्हें अंदर कर देगी। हमारे समाज में एक कहावत भी प्रचलित है कि ‘पुलिस की ना दोस्ती, अच्छी ना दुश्मनी’। अधिकांश लोग इसी कहावत पर भरोसा करते हैं और पुलिस से दूर ही रहने में भलाई समझते हैं। आलम यह है कि पुलिस द्वारा लाख प्रताड़ित किए जाने की स्थिति में भी बहुत से लोग उसके खिलाफ मुंह नहीं खोलते। और अपना स्थान बदल देने को बेहतर समझते हैं।

अगर पुलिस गाली दे तो क्या करें?

 लोग पुलिस की गाली से त्रस्त जरूर होते हैं और पुलिस के तौर-तरीकों के खिलाफ आवाज उठाना चाहते हैं। शिकायत करना चाहते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि यदि पुलिस गाली दे तो उन्हें क्या करना चाहिए। यदि आप भी ऐसे ही लोगों में हैं तो हम आपको बताएंगे कि आप पुलिस के गाली देने की स्थिति में क्या कर सकते हैं-

यदि पुलिसकर्मी गाली दे तो सबसे पहले यदि संभव हो, आप इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर लें। इससे आपके पास पुलिस के गाली देने से संबंधित एक पुख्ता सुबूत रहेगा।

इसके पश्चात संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ अपने नजदीकी थाने में थाना इंचार्ज के पास शिकायत दर्ज कराएं। इसमें पूरा वाकया दर्ज करने के साथ ही प्रत्यक्षदर्शियों का भी हवाला दें।

यदि आपको गाली किसी थाना इंचार्ज ने दी है तो उसके खिलाफ एसपी/एसएसपी को शिकायत भेजें।

आप चाहें तो डाक के जरिए भी अपनी शिकायत उन तक पहुंचा सकते हैं।

इस शिकायत की एक कॉपी डीआईजी/आईजी/ एवं डीजीपी को भी प्रेषित करें।

शिकायत मिलने के पश्चात सुबूतों के आधार पर उच्च पुलिस अधिकारी द्वारा जांच बिठाई जाएगी। मामला सही पाए जाने पर संबंधित पुलिस वाले के खिलाफ कार्रवाई होगी।

पुलिस के गाली देने पर उसके खिलाफ शिकायत करते समय किन बातों का ध्यान रखें? 

यदि आप को पुलिस ने गाली दी है और आपने उसके खिलाफ कार्यवाही का मन बना लिया है तो एक बार जरूर याद रखें कि जब भी आप पुलिस के खिलाफ कोई शिकायत करें तो आपके पास पुख्ता सबूत हों। जैसे- आपके पास पुलिसकर्मी के गाली देने की वीडियो रिकॉर्डिंग हो सकती है। इसके अलावा प्रत्यक्षदर्शियों का वीडियो बयान भी आपके लिए बेहद काम का साबित होगा। आपके द्वारा मुहैया कराए गए सुबूतों के आधार पर संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्यवाही आसान हो जाएगी।

क्या पुलिस द्वारा गाली दिए जाने के मामले में संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई होती है?

 आपको लगता है कि पुलिस द्वारा गाली दिए जाने पर संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा दोषी पर किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया जाता तो आप गलत हैं। आपके शिकायत करने और पर्याप्त सबूत देने के बाद उच्च अधिकारियों द्वारा जांच बिठाई जाती है, जिसमें उसके दोषी साबित होने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसका अंदाजा पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक उदाहरण से लगाया जा सकता है।

हाल ही में पुलिस कर्मी पर एक महिला के यौन शोषण का आरोप लगा था। पुलिस कर्मी द्वारा खुद को कुंवारा बताकर विवाह का झांसा देकर महिला से संबंध बनाए जा रहे थे। बाद महिला की एक बच्ची भी हो गई। लेकिन इसके बावजूद पुलिस कर्मी द्वारा उक्त महिला को अपने साथ नहीं रखा जा रहा था। महिला के विवाह के लिए जोर देने पर उसके खिलाफ अपशब्द कहे जा रहे थे। उसके साथ गाली गलौज किया जा रहा था। जिसके बाद महिला ने वहां के एसएसपी से शिकायत की। उन्होंने पुलिस कर्मी को निलंबित कर उसके खिलाफ जांच बैठा दी।

तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस के व्यवहार में बदलाव क्यों नहीं दिखता?

 पुलिस के तौर-तरीकों और उसके व्यवहार में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। इसके बहुत सारे कारण माने जा सकते हैं। एक सबसे बड़ा कारण यह है कि पुलिस के कार्य के घंटे अनियमित होते हैं। पुलिसकर्मी पर्याप्त नींद नहीं ले पाते। थानों में स्टाफ की कमी होती है। उन पर दोहरा काम होता है। उनका वेतनमान भी बहुत अधिक नहीं होता। वे परिवार के साथ आनंददाई समय कम ही गुज़ार पाते हैं। व्यस्तता की यह अंधी दौड़ उन्हें फ्रस्ट्रेशन यानी तनाव का शिकार बना देता है। उनका यही फ्रस्ट्रेशन गालियों के रूप में बाहर निकलता है।

गाली क्या होती है?

क्रोध या रोष में आकर किसी को कह गए अपमानजनक शब्द अथवा अपशब्द, जिनसे किसी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचती है, गाली कहलाते हैं।

क्या पुलिस किसी को गाली दे सकती है?

जी नहीं, पुलिस किसी को गाली नहीं दे सकती है।

यदि पुलिस किसी को गाली देती है तो कौन सी धारा लगती है?

यदि पुलिस किसी को गाली देती है तो आईपीसी की धारा 129 लगती है।

जलती चिताओं की राख, गले में नरमुंड की माला, दांतों तले जिंदा सांप और हड्डियां, झूमते विदेशी पर्यटक; काशी में खेली गयी मसाने की होली


भस्म होली के साथ शुरू हुआ पांच दिनों का महोत्सव, मणिकर्णिका व हरिश्चन्द्र घाट पर दिखी अदभुत नजारा

एक तरफ जलती चिता और मातम मनाते लोग, तो दूसरी तरफ डीजे की धमक और अबीर-गुलाल के साथ चिता की राख से होली खेलते हुए नॉनस्टाप डांस। कोई गले में नरमुंड की माला पहनकर तांडव कर रहा है, तो कोई दांतों तले जिंदा सांप दबाकर नाच रहा है। यह दृश्य सिर्फ और सिर्फ काशी में ही दिख सकता है, कहीं और नहीं। यहां शनिवार को मणिकर्णिका घाट पर मसाने की होली हुई। इसे देखकर विदेशी पर्यटक भी हैरान रह गए। शनिवार सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक बनारसियों के साथ भांग और ठंडई छानकर विदेशी भी मदमस्त दिखाई पड़े। पांच लाख से ज्यादा लोगों ने बाबा विश्वनाथ का गौना कराकर मसाने की होली खेली।

चिताओं के भस्म होली की मान्यता

रंगभरी एकादशी पर भक्तों ने नाचते-गाते, जलती चिताओं, फिजाओं में उड़ते रंग-गुलाल के साथ यह त्योहार मनाया। यहां चारों ओर पसरे मातम के बीच वर्ष में एक दिन ऐसा आता है जब महाश्मशान पर होली खेली जाती है। रंगभरी एकादशी पर महाश्मशान पर खेली गई इस अनूठी होली के पीछे एक प्राचीन मान्यता है कि जब भगवान विश्वनाथ मां पार्वती का गौना कराकर काशी पहुंचे तो उन्होंने अपने गणों के साथ होली खेली थी। लेकिन वो श्मशान पर बसने वाले भूत, प्रेत, पिशाच और अघोरियों के साथ होली नहीं खेल पाए थे। इसीलिए रंगभरी एकादशी से शुरू हुए पंचदिवसीय होली पर्व की अगली कड़ी में विश्वनाथ इन्हीं के साथ चिता-भस्म की होली खेलने महाश्मशान पर आते हैं जिसकी शुरुआत हरिश्चंद्र घाट पर महाश्मशान नाथ की आरती से होती है। इसके बाद पहले शोभायात्रा भी निकाली जाती है।

60 में से 37 सीट लाने के बाद भी एनडीपीपी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन ने अभी तक नागालैण्ड राज्य में सरकार बनाने का दावा नहीं किया पेश

नगालैंड में हाल में संपन्न चुनावों में 60-सदस्यीय विधानसभा में 37 सीट हासिल करने के बावजूद नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी (एनडीपीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठबंधन ने राज्य में सरकार बनाने का अभी तक दावा पेश नहीं किया है।

दोनों दलों के सूत्रों ने कहा कि उनके विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करने से पहले निवर्तमान मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के साथ एक संयुक्त बैठक करेंगे। मौजूदा सरकार का कार्यकाल 12 मार्च को खत्म होगा। रियो ने सरकार गठन पर राय जानने के लिए पार्टी प्रमुख के कार्यालय में एनडीपीपी के नये विधायकों के साथ बंद कमरे में बैठक की। एनडीपीपी के सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर नवनिर्वाचित विधायक सरकार गठन तक एक साथ रह रहे हैं।

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि पार्टी के विधायक रविवार तक एक समन्वय बैठक करेंगे, जिसके बाद एनपीपीपी के विधायकों के साथ एक संयुक्त बैठक होगी। नगालैंड में 60-सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए मतदान सोमवार को हुआ था, जबकि नतीजों की घोषणा बृहस्पतिवार को की गयी। इसमें 37 सीट एनडीपीपी-भाजपा के चुनाव-पूर्व गठबंधन ने जीती, जिनमें से एनडीपीपी ने 25 और भाजपा ने 12 सीट हासिल की। एनडीपीपी ने 2018 में 18 सीट, जबकि भाजपा ने 12 सीट ही जीती थी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सात सीट, एनपीएफ ने पांच और नगा पीपुल्स फ्रंट, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और आरपीआई (आठवले) ने दो-दो सीट जीती। जनता दल (यूनाइटेड) ने एक सीट, जबकि चार निर्दलीय जीते हैं।

भारत में 7 और 8 मार्च को दो दिन होगा होलिका दहन, पढ़ लीजिए क्या हैं शास्त्रोक्त निर्णय, कई राज्यों में बदल जाएंगे नियम


प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 6 मार्च सायं 4:17 से प्रारंभ होकर 7 मार्च की शाम को 6:09 तक रहेगी।

अतः भारत में जहां सूर्यास्त 6:09 के बाद होगा वहां पर होलिका दहन 6 मार्च को और जिन प्रदेशों में सूर्यास्त 6:09 से पूर्व होगा वहां पर दहन 7 मार्च को किया जाएगा।

भारत सरकार ने 7 और 8 मार्च को होलिका दहन व धुलेंडी का अवकाश घोषित किया है।

राजस्थान सहित कई राज्यों में 7 मार्च को सूर्यास्त पूर्व ही पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी। जिससे प्रदोषकाल में पूर्णिमा का अभाव रहेगा। जबकि 6 मार्च को पूर्णिमा सम्पूर्ण प्रदोषकाल में व्याप्त रहेगी।

इसीलिए राजस्थान में 6 मार्च को होलिका दहन और 7 मार्च को धुलेंडी मनाई जाएगी और इसी दिन सरकारी अवकाश रहेगा।

6 मार्च को होलिका दहन वाले स्थान

राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल आदि

7 मार्च को होलिका दहन वाले स्थान

पूर्वी उत्तरप्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, उत्तर पूर्वी छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उड़ीसा, असम सहित सभी पूर्वी प्रदेश

जहां 6 मार्च को होलिका दहन होगा वहाँ 6 मार्च सोमवार की रात यानि 7 मार्च को 1:52 के बाद होलिका दहन होगा। रात्री 2:07 बजे शुभ का चौघड़िया शुरू होगा। पूर्णिमा को भद्रा की आगे की 20 घटी छोड़कर 3 घटी (72 मिनट) यानि 1:52 से 3:04 तक भद्रा पुच्छ मानी जायेगी। उसी मे होलिका दहन होगा। और एक घटी का मान 24 मिनट होता है।

जहाँ 7 मार्च को होलिका दहन होगा वहाँ प्रदोष काल में होलिका दहन होगा।