आरएसएस की पत्रिका पांच्यजन्य का गंभीर आरोप, कहा- भारत विरोधी तत्व सुप्रीम कोर्ट का औजार की तरह कर रही इस्तेमाल
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इन दिनों देश में बीबीसी का मुद्दा छाया हुआ है। बीबीसी सुर्खियों में उस वक्त आया, जब साल 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री मोदी की कथित भूमिका को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की गई।जिसे केंद्र सरकार ने प्रोपेगेंडा बताते हुए भारत में दिखाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली इस याचिका को खारिज कर दिया था। अब इस फैसले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट को ही ‘कटघरे’ में खड़ा कर दिया है।
दरअसल, आरएसएस से जुड़ी पत्रिका पांच्यजन्य ने अपने संपादकीय में सुप्रीम कोर्ट पर बड़ा आरोप लगाया गया है।पांच्यजन्य ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट को भारत विरोधी तत्व अपने औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।पत्रिका के एक एडिटोरियल में कहा गया है कि, सर्वोच्च न्यायालय भारत का है, जो भारत के करदाताओं की राशि से चलता है; उसका काम उस भारतीय विधान और विधियों के अनुरूप काम करना है जो भारत के हैं, भारत के लिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय नामक सुविधा का सृजन और उसका रखरखाव हमने अपने देश के हितों के लिए किया है। लेकिन वह भारत विरोधियों के अपना मार्ग साफ करने के प्रयासों में एक औजार की तरह प्रयुक्त हो रहा है।
संपादकीय में आगे गया है कि मानवाधिकार के नाम पर आतंकवादियों को बचाने की कोशिशों, पर्यावरण के नाम पर भारत के विकास में बाधा डालने के बाद अब यह कोशिश की जा रही है कि देश विरोधी ताकतों को देश के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने का अधिकार भी मिलना चाहिए। आगे लिका है कि, भारत में धर्मांतरण करके राष्ट्र को कमजोर करते रहने का अधिकार भी होना चाहिए। और इतना ही नहीं, इस अधिकार के प्रयोग के लिए भारत के ही कानूनों का लाभ भी उन्हें मिलना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते विवादित डॉक्यूमेंट्री के मद्देनजर भारत में बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सोशल मीडिया मंचों पर डॉक्यूमेंट्री की पहुंच को रोकने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक और जत्थे पर अप्रैल में सुनवाई होगी। इस संबंध में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा था। डॉक्यूमेंट्री को बैन किए जाने के खिलाफ कोर्ट में कई याचिकाएं दायर है। याचिकाकर्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार एन राम, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा शामिल हैं।
Feb 16 2023, 14:39