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महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री पर नहीं बनी बात, रामदास आठवले ने दी ये सलाह

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के 3 दिन बाद भी मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया गतिरोध में है। मुख्यमंत्री की भूमिका कौन संभालेगा, इस पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई है। 23 नवंबर को राज्य के चुनाव परिणाम घोषित होने के बावजूद, सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने अभी तक अपने सीएम उम्मीदवार पर कोई निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, यह तय माना जा रहा है कि सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। उधर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर उनको अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

इस बीच बड़ी जानकारी सामने आई है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान की ओर से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम की जानकारी दी गई है। इसके साथ ही उन्हें केंद्रीय मंत्री पद या राज्य में डिप्टी सीएम पद की पेशकश की गई है।

आठवले ने किया फडणवीस का समर्थन

केंद्रीय मंत्री और महायुति के पार्टनर रामदास आठवले ने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी को बड़ा बहुमत मिला है, इसलिए सीएम पद उसे ही मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस सीएम हो सकते हैं। उन्होंने एकनाथ शिंदे को दिल्ली में एडजस्ट करने की सलाह दी। केंद्रीय मंत्री अठावले ने कहा कि जब एकनाथ शिंदे को पता चला कि बीजेपी आलाकमान ने (महाराष्ट्र के) सीएम के रूप में देवेंद्र फड़नवीस को चुना है, तो वह थोड़े नाखुश हैं, जिसे मैं समझ सकता हूं। लेकिन बीजेपी को 132 सीटें मिली हैं और इसलिए मुझे लगता है कि कोई रास्ता निकलना चाहिए। देवेंद्र फडनवीस को सीएम बनाया जाना चाहिए। एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम का पदभार संभाल सकते हैं। अगर वह डिप्टी सीएम बनने के इच्छुक नहीं हैं, तो उन्हें पीएम मोदी की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। महाराष्ट्र के लोग चाहते हैं कि देवेंद्र फड़णवीस सीएम बनें।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए मुख्यमंत्री के लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम लगभग फाइनल हो चुका है।

फडणवीस के CM बनने पर नई सरकार में पहले की ही तरह दो डिप्टी CM होंगे। NCP की ओर से अजित पवार और शिवसेना की ओर से शिंदे किसी नए विधायक का नाम आगे कर सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार का एजेंडा तय करने के लिए तीनों दलों की एक कमेटी बनाई जा सकती है, जिसके मुखिया एकनाथ शिंदे हो सकते हैं। हालांकि शिवसेना प्रवक्ता कृष्ण हेगड़े ने इससे इनकार किया।

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

रद्द होगी मनसे की मान्यता? महाराष्ट्र में करारी हार के बाद बढ़ी राज ठाकरे के मुश्किलें

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महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे की टेंशन बढ़ गई है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) को इस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उनके बेटे अमित ठाकरे तक माहिम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि चुनाव आयोग राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द कर सकती है

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अगर किसी पार्टी का एक विधायक चुना जाता है और उसे कुल वोट का 8% वोट मिल जाए, तो उसकी मान्यता बनी रहती है। अगर 2 विधायक चुने जाते हैं और कुल वोट का 6% वोट मिले, अगर 3 विधायक और कुल वोट का 3% वोट मिले, तो ही चुनाव आयोग की शर्तें पूरी होती हैं और पार्टी की मान्यता बनी रहती है। ये शर्तें पूरी नहीं होने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।

मनसे को कितने % वोट मिले?

इस चुनाव में मनसे को सिर्फ 1.55 वोट मिले हैं और एक भी सीट नहीं मिली है। महाराष्ट्र चुनाव में मनसे की जमानत जब्त हो गई। राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे सहित 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट पर मनसे का खाता नहीं खुला।

इस बीच राज ठाकरे ने आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

किसे कितनी सीटें मिली?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया, मिलकर तय करेंगे सीएम” शिंदे के बयान के क्या हैं मायने?*

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को बंपर बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की राह पर है और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी 131 सीटों पर आगे चल रही है। इससे साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व पर विश्वास किया है। महायुति गठबंधन के लिए जहां रुझान खुश करने वाले हैं, लेकिन साथ ही महायुति गठबंधन में सीएम पद को लेकर भी पेच फंसता दिख रहा है।

बीजेपी का टेंशन बढ़ाने वाला बयान

महाराष्ट्र में आ रहे चुनावी परिणामों के बीच एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने कामों पर मुहर लगा दी है। हमने ढ़ाई साल सिर्फ महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया है, जिसका नतीजा अब सामने आ गया है।

इसी के साथ मुख्यमंत्री शिंदे ने यह कहकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है कि ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी के पास ही मुख्यमंत्री का पद हो, यह जरूरी नहीं है। शिंदे ने कहा है कि हम मिलकर तय करेंगे। अभी कुछ भी फाइनल नहीं है।

साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे-शिंदे

शिंदे ने आगे कहा कि पीएम मोदी हैं, जेपी नड्डा जी हैं, हम सभी साथ मिलकर फैसला करेंगे। एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिस तरह से महायुति ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा है उसी तरह सभी एक साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे।

क्या इस बार भी बीजेपी शिंदे को देगी सीएम की कुर्सी?

बता दें कि 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत किया था, उस वक्त उनके पास सिर्फ 40 विधायक थे। बीजेपी के पास 105 विधायकों का समर्थन था, लेकिन मुख्यमंत्री की कु्र्सी पार्टी ने शिंदे को दे दी।

अभी जो चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। उसमें बीजेपी 130 से ज्यादा सीटों पर बढ़त में है। शिंदे की पार्टी 50 के करीब सीटें जीतती नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2022 की तरह ही बीजेपी इस बार शिंदे को सीएम की कुर्सी दे देगी?

दरअसल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है। इससे साफ है कि सीएम पद को लेकर महायुति में खूब माथापच्ची होगी।

महायुति गठबंधन प्रचंड जीत की ओर, अमित शाह ने शिंदे-फडणवीस-अजित पवार से की बात, शानदार जीत की दी बधाई

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महाराष्ट्र चुनाव परिणाम में अब तक जो रुझान सामने आए हैं, उनमें महायुति ने बहुमत हासिल कर लिया है। महाराष्ट्र में महायुति फिर से सत्ता में आ रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे से फोन पर बात की है। उन्होंने तीनों नेताओं की जीत की बधाई दी है।

एक है तो सेफ है-फडणवीस

महाराष्ट्र के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने पर देवेंद्र फडणवीस ने एक्स पोस्ट की है। उन्होंने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि एक है तो सेफ है, मोदी है तो मुमकिन है।

एकनाथ शिंदे बोले- ये जीत ऐतिहासिक

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, आज मैं महाराष्ट्र के तमाम मतदाताओं को धन्यवाद करता हूं क्योंकि ये जीत ऐतिहासिक है मैंने कहा था कि महायुति को भारी बहुमत मिलेगा. मैं अपनी लाडली बहनों, किसानों और सभी वर्गों को मैं धन्यवाद करता हूं...महायुति ने जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया है इसलिए महायुति को इतनी बड़ी जीत हासिल हुई है।

जनता ने उद्धव ठाकरे को 2019 के विश्वासघात का सबक सिखाया- किरीट सोमैया

भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि लोगों ने विकास और विश्वास के साथ भाजपा नीत महायुति को समर्थन दिया है। वहीं लव जिहाद, वोट जिहाद, लैंड जिहाद का समर्थन करने वाली कांग्रेस को ठुकरा दिया है। संजय राउत के नतीजों पर सवाल उठाने पर भाजपा नेता ने कहा कि साल 2019 में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भाजपा के साथ जो विश्वासघात किया, उसका जनता ने सबक उन्हें सिखा दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने आज शिवसेना उद्धव ठाकरे को विसर्जित कर दिया है, ऐसे में संजय राउत को दुख तो होगा ही।

महाराष्ट्र में कौन कितनी सीटों पर आगे

-बीजेपी- 126

-शिवसेना (शिंदे गुट)- 55

-एनसीपी( अजित गुट)- 39

-कांग्रेस- 21

-शिवसेना (यूबीटी) – 18

-एनसीपी (शरद गुट) -13

परिवारवाद की “जंग” का अखाड़ा बना महाराष्ट्र, कहीं चाचा-भजीता तो कहीं पति-पत्नी बीच मुकाबला

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आज राजनीति केवल देश सेवा का माध्यम नहीं है, ये परिवार को “पालने” का बड़ा जरिया बन चुका है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद की सियासी लड़ाई देखी जा रही है। वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप विरोधियों पर मढ़ने वाले भी चुनावी मौसम में तेवर बदल लेते हैं। महाराष्ट्र चुनाव में राजनीतिक पार्टियां पूरी तहर से परिवारवाद की आंच पर रोटियां सेकते नजर आ रही हैं। इस बार की चुनावी जंग में कहीं भाई-बहन तो कहीं से चाचा-भतीजा और कहीं से पति-पत्नी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

अजित पवार का भतीजे से मुकाबला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे हाई प्रोफाइल मुकाबला चाचा-भतीजे के बीच है। ये जंग राज्य के सबसे पावरफुर पवार परिवार के बीच है। पवार परिवार के बीच हाई-प्रोफाइल मुकाबले में शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) से उम्मीदवार युगेंद्र पवार बारामती सीट पर सत्तारूढ़ राकांपा का प्रतिनिधित्व कर रहे। युगेंद्र पवार अपने चाचा तथा उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अजित पवार सात बार बारामती विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं और एक बार बारामती संसदीय सीट पर भी जीत हासिल की है। यह दूसरी बार है जब पवार खानदान के गढ़ बारामती में परिवार के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा।

2024 के लोकसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को उनकी ननद और राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता सुप्रिया सुले ने बारामती संसदीय सीट से हराया था। पड़ोसी कर्जत-जामखेड़ में अजित पवार के एक अन्य भतीजे रोहित पवार राकांपा (एसपी) उम्मीदवार के तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राम शिंदे के खिलाफ मुकाबले में हैं। रोहित पवार, शरद पवार के पोते हैं।

पति-पत्नी में कौन जीतेगा जंग?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की लड़ाई बेहद रोचक बन गई है, क्योंकि छत्रपति संभाजीनगर के कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र से पति-पत्नी ही एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में आमने-सामने आ गए हैं। कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार हर्षवर्धन जाधव अपनी अलग रह रही पत्नी और शिवसेना उम्मीदवार संजना जाधव के खिलाफ मैदान में हैं।

बता दें कि संजना अपने पति से अलग रह रही है लेकिन अभी दोनों के बीच अभी तलाक नहीं हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना उम्मीदवार संजना जाधव का एक वीडियो भी सामने आया था। इस वीडियो में संजना जाधव रोती हुई नजर आ रही थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि 'मैंने जो कुछ सहा, उसका मुझे कोई इनाम नहीं मिला, लेकिन आप जानते हैं कि मेरी जगह किसने ली। मेरे पिता पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए, हमने सह लिया, क्योंकि एक लड़की के पिता को इसे सहना पड़ता है।

महाराष्ट्र में वंशवाद की सियासत

महाराष्ट्र में चुनावी मैदान में कई परिवारों के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे राजनीति में रिश्तेदारों के बीच तकरार और प्रतिस्पर्धा का नया अध्याय जुड़ रहा है। इसके अलावा एक ही परिवार के कई सदस्य अलग-अलग सीटों से भी अपने पारिवारिक बिरासत को आगे ले जानें की होड़े में। इस लिस्ट में ठाकरे परिवार, राणे परिवार, देशमुख परिवार समेत कई परिवार हैं जो वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।

विलासराव देशमुख के घर में भी परिवारवाद

महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के घर में भी परिवारवाद का बेहतरीन नमूना देखने को मिल रहा है। विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख लातूर शहर से मैदान में हैं तो विलासराव के दूसरे बेटे धीरज देशमुख लातूर ग्रामीण से ताल ठोक रहे हैं।

ठाकरे परिवार भी चुनावी जंग में

ठाकरे परिवार के रिश्तेदार भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से दूर नहीं हैं। मुंबई में ठाकरे परिवार के सदस्य अलग-अलग सीटों से चुनावी मुकाबले में हैं। आदित्य ठाकरे वर्ली से मैदान में हैं तो उनकी मौसी के बेटे वरुण सरदेसाई पार्टी की टिकट पर बांद्रा से चुनाव लड़ रहे हैं। तो आदित्य के चचेरे भाई और राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे एमएनएस के टिकट पर माहिम सीट से मैदान में हैं।

राणे परिवार का भी चुनावी मुकाबला

बीजेपी सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे और निलेश राणे क्रमशः शिवसेना और बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर कुडाल और कणकवली सीट से चुनावी मैदान में हैं।

चुनावी मैदान में गावित परिवार

इस तरह महाराष्ट्र के मंत्री विजयकुमार गावित और उनकी बेटी एवं पूर्व सांसद हिना गावित भी चुनावी मैदान में हैं। मंत्री विजयकुमार गावित बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर नंदुरबार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनकी बेटी हिना गावित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अक्कलकुवा सीट से चुनावी मुकाबले में हैं।

भुजबल और पाटिल परिवार का चुनावी मुकाबला

एनसीपी के मंत्री छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल भी चुनावी मैदान में हैं। छगन भुजबल येवला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि समीर भुजबल नंदगांव सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, NCP-SP प्रदेश प्रमुख जयंत पाटिल इस्लामपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री प्राजक्त तनपुरे पार्टी के टिकट पर राहुरी से चुनाव लड़ रहे हैं।

चनावी मैदान में शेलार परिवार

बीजेपी के मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलार और उनके भाई विनोद शेलार क्रमशः वांद्रे (पश्चिम) और मलाड पश्चिम सीट से चुनावी मुकाबले में हैं।

हंबार्डे परिवार का चुनावी मुकाबला*

नांदेड में संतुकराव हंबार्डे और उनके भाई मोहनराव हंबार्डे भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मुकाबले में हैं। संतुकराव हंबार्डे नांदेड लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं, जबकि मोहनराव हंबार्डे कांग्रेस के टिकट पर नांदेड दक्षिण विधानसभा सीट से चुनावी जंग में हैं।

महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों के लिए वोटिंग जारी, सचिन तेंदुलकर से लेकर अक्षय कुमार तक ने किया अपने मताधिकार का प्रयोग

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव हो रहे हैं। जहां कई बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है. इस बार राज्य के दिग्गज नेताओं पर सबकी नजर रहेगी कि उन्हें जीत मिलेगी या फिर हार का सामना करना पड़ेगा। चुनावी मैदान में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अजित परावर, देवेंद्र फडणवीस से लेकर सीएम एकनाथ शिंदे तक मौजूद है। अब 23 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र चुनाव 2024 के नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा कि किसे मिला जनता का आशीर्वाद मिलता है।

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लोग जुटना शुरू हो गए हैं. महाराष्‍ट्र में केवल एक चरण में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यहां महयुति के सामने महाविकास अघाड़ी गठबंधन की चुनौती है। महाराष्‍ट्र चुनाव में वोट डालने के लिए कुल 9.70 करोड़ रजिस्‍टर्ड वोटर्स हैं। इनमें 5 करोड़ पुरुष और 4.69 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग के आंकड़ों में 6101 लोग थर्ड जेंडर से भी हैं। अब देखना होगा कि कितने लोग इस बार वोट डालने के लिए घरों से निकलते हैं।

सुप्रिया सुले-युगेंद्र पवार ने डाला वोट

पुणे की बारामती सीट पर राकांपा-शरद पवार की सांसद सुप्रिया सुले ने मतदान किया। जहां उनकी पार्टी से इस बार युगेंद्र पवार को खड़ा किया गया है, वहीं इस सीट पर अजित पवार महायुति के उम्मीदवार हैं। सुप्रिया सुले के कुछ देर बाद ही युगेंद्र भी वोट डालने पहुंचे।

शाइना एनसी ने किया मताधिकार का प्रयोग

शिवसेना नेता और मुंबादेवी सीट से उम्मीदवार शाइना एनसी ने सुबह पहुंचकर ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वोट डालने के बाद उन्होंने कहा, "मैं हमारे मुंबई के लोगों से कहूंगी कि आप बाहर आएं और मतदान करें, क्योंकि अगर आप मतदान करते हैं तो आप सवाल कर सकते हैं, प्रश्न चिन्ह उठा सकते हैं। लेकिन जब तक हाथ पर ये निशान नहीं होगा आप कुछ नहीं कर सकते हैं। प्रजातंत्र और लोकतंत्र के इस पर्व में जरूर बाहर आएं और अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाएं।

बॉलीवुड जगत की हस्तियां भी वोटिंग के लिए पहुंचीं

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जारी वोटिंग के बीच सुबह-सुबह अभिनेता अक्षय कुमार वोट डालने पहुंचे। उन्होंने कहा, मतदान केंद्र पर बहुत अच्छा इंतजाम किया है। सफाई रखी हुई है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की है। इसके अलावा फिल्म निर्देशक कबीर खान ने भी मुंबई के एक मतदान केंद्र पहुंचकर वोट डाला। अभिनेता राजकुमार राव ने वोट डालने के बाद कहा, "मतदान बहुत जरूरी है। महाराष्ट्र में सभी लोग जाएं और मतदान करें।

महाराष्‍ट्र चुनाव में युवाओं की भरमार

महाराष्‍ट्र चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की भी कमी नहीं हैं। इस बार 18-19 साल की उम्र के फर्स्ट टाइम वोटर्स की संख्‍या 22.2 लाख है। ये वो युवा हैं, जिन्‍होंने लोकसभा चुनाव के बाद अपना वोटर आईडी कार्ड बनवाया है। इसके अलावा 6.41 लाख विकलांग भी इन चुनावों में वोट डालेंगे।

100 साल की उम्र से ज्‍यादा कितने वोटर्स?

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के आज डाले जा रहे वोटर्स में बुजुर्गों की संख्‍या भी कम नहीं है. यहां 100 साल से ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की भरमार है. चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक महाराष्‍ट्र में 100 या इससे ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की संख्‍या 47,392 है. अब देखना होगा कि अधिक उम्र की इस बाधा को तोड़कर कितने लोग वोट डालने के लिए मैदान में उतरते हैं.

अजित पवार दशकों तक हिंदू विरोधियों के साथ रहे...,महाराष्ट्र में मतदान से पहले फडणवीस का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं। इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से दो गठबंधन के बीच की 'जंग' में तब्दील हो चुका है। एक तरफ जहां महायुति गठबंधन है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी। चुनाव हैं तो इस दौरान चुनावी प्रचार में तमाम तरीके की बायनबाजी भी हो रही है। बीते दिनों ऐसी ही एक बयानबाजी को लेकर अब महायुति गठबंधन के दो बड़े देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक दूसरे के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। योगी के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे ने बीच चुनाव में महाराष्ट्र एनडीए में दरार डाल दी है। इस नारे को लेकर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं।

हाल ही में अजित पवार ने कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे का नारा महाराष्ट्र के लिए नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बटेंगे तो कटेंगे के नारे का समर्थन किया है। साथ ही फडणवीस ने इस नारे को लेकर अजीत पवार पर तीखा हमला किया है।

फडणवीस ने न्यू एजेंसी एएनआई से बातचीत में बंटेंगे तो कटेंगे नारे का महायुति और भाजपा में हो रहे विरोध पर कहा- मुझे योगी जी के नारे में कुछ भी गलत नहीं लगता। इस देश का इतिहास देख लीजिए, जब-जब इस देश को जातियों, प्रांतों और समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है।

फडणवीस ने अजीत पवार को लेकर क्या कहा?

वहीं, महायुति की सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेता अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के नारे का विरोध किया है और कहा है कि ऐसे नारों के लिए महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है। इस पर फडणवीस से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'अजित पवार कई दशकों तक ऐसी पार्टियों के साथ रहे हैं, जो खुद को कथित सेक्युलर बताती हैं। वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं जो हिंदुत्व का विरोध करते हैं, इसलिए उन्हें लोगों की भावनाएं समझने में थोड़ा समय लगेगा।

बटेंगे तो कटेंगे पर अजित ने क्या कहा था?

इससे पहले बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध करते हुए अजित पवार ने कहा था कि यह सबका साथ, सबका विकास नहीं है। अजित ने कहा कि एक तरफ आप सबका साथ और सबका विकास की बात करते हो और दूसरी तरफ बटेंगे तो कटेंगे की बात करते हो। यह कैसे चलेगा? जूनियर पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र का सियासी मिजाज यूपी जैसा नहीं है। यहां लोग काफी समझदार हैं, इसलिए इन नारों का कोई मतलब नहीं है।

बीजेपी के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए का घोषणा-पत्र, जानें पिटारे में क्या-क्या?

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इससे पहले बीजेपी का घोषणा पत्र अमित शाह ने जारी किया था। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं, किसानों पर फोकस किया है। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं को 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान किया है। वहीं 25 लाख के फ्री हेल्थ बीमा का ऐलान भी किया गया है। इसके साथ ही बेरोजगारों को 4 हजार रुपये महीना भत्ता देने का वादा किया गया है।

पांच गारंटी देने का वादा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महा विकास अघाड़ी का घोषणा पत्र ‘महाराष्ट्रनामा’ जारी किया। इस घोषणा को महाविकास आघाड़ी की 5 गारंटियों के इर्द गिर्द रखा गया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 'महाराष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए हमारे पास पांच स्तंभ हैं, जो कृषि और ग्रामीण विकास, उद्योग और रोजगार, शहरी विकास, पर्यावरण और लोक कल्याण पर आधारित हैं।

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन ने पांच गारंटी देने का वादा किया है। इसके मुताबिक पहली गारंटी में महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने तीन हजार रुपये और सभी महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा का वादा शामिल है। दूसरी गारंटी समानता की है। इसके तहत जातीय जनगणना कराई जाएगी और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को भी हटाया जाएगा। तीसरी गारंटी के तहत कुटुंब रक्षा योजना है, जिसमें 25 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त दवाएं देने का वादा है। कृषि समृद्धि योजना के तहत किसानों को तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ, समय पर कर्ज चुकाने पर पचास हजार की प्रोत्साहन राशि देने का भी वादा किया गया है। वहीं युवाओं को वचन में बेरोजगारों को हर महीने चार हजार रुपये की मदद देने का वादा किया गया है।

महिलाओं को मुफ्त बस सेवा का वादा

घोषणा पत्र जारी करते हुए खरगे ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में महाराष्ट्र देश में दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए ठोस निर्भय नीति बनाएंगे। हम महिलाओं को मुफ्त बस सेवा देंगे। किसानों का तीन लाख तक का कर्ज माफ होगा।

शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता

खरगे ने आगे कहा कि हम महाराष्ट्र में भी जातिगत जनगणना कराएंगे। शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे। बीजेपी की योजनाएं हमारी योजनाओं की नकल है। हम सब सर्विस सेक्टर में 12 से 15% की वृद्धि हासिल करने की कोशिश करेंगे। सरकारी सेवा में कांट्रैक्ट बेस्ड आदेश को हम समाप्त करेंगे। खरगे ने कहा कि न्यू इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनेगी जो रोजगार उन्मुख होगा। ढाई लाख खाली पड़े हुए गवर्नमेंट जॉब को भी भरेंगे। इसके लिए एग्जामिनेशन का प्रक्रिया को शुरू करेंगे।

महाराष्ट्र के लिए बीजेपी का घोषणा पत्र जारी, किसानों-महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। राजनीतिक दल जनता को रिझाने के लिए एक से एक दांव चल रहे हैं और एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं।इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी का घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इस घोषणा पत्र में किसानों, महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस किया गया है।

संकल्प पत्र जारी करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह महाराष्ट्र की आकांक्षाओं का संकल्प पत्र है। इसमें किसानों का सम्मान और गरीबों का कल्याणा है। इसके अंदर महिलाओं का स्वाभिमान है। ये महाराष्ट्र की उम्मीदों का संकल्प पत्र है। ये संकल्प पत्र पत्थर की लकीर जैसा है। अघाड़ी की सारी योजनाएं सत्ता के लिए है।इस दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले, मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहे।

फडणवीस ने क्या कहा?

वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संकल्प पत्र जारी करने के बाद कहा कि AI ट्रेनिंग हब हम बनाएगा, सभी स्कूल और कॉलेज में यह ट्रेनिंग दी जाएगी। हम 25 लाख जॉब का निर्माण करेंगे। सीनियर सिटीजन की पेंशन हम 1500 से 2100 करेंगे। फिन टेका और एयरोनॉटिक पर हमारा जायदा फोकस होगा। ताकि नौजवानों को आगे जायदा मौका मिले।

बीजेपी के घोषणापत्र में जनता के लिए क्या है?

-वृद्धावस्था पेंशन धारकों को 2100 रुपये देने का वादा।

-सरकार बनने के 100 दिन के भीतर विजन महाराष्ट्र 2029 जमा करने का वादा।

– आंगनबाड़ी और आशा सेवकों को 15 हजार रुपये वेतन और बीमा कवर दिया जाएगा।

-25 लाख रोजगार पैदा होंगे।

-10 लाख छात्रों को 10 हजार रुपये प्रति माह ट्यूशन फीस दी जाएगी।

-लड़की बहिन योजना में 2100 रु।

-किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा।

-मूल्य विनिमय योजना लागू की जाएगी – यदि कीमत गारंटी मूल्य से कम है, तो हम गारंटी मूल्य पर खरीदेंगे और किसानों को अंतर का भुगतान किया जाएगा।

-आर्थिक सहायता योजना में 1500 रुपये के बदले 2100 रुपये मिलेंगे।

-आवश्यक वस्तुओं की कीमतें स्थिर करने की योजना।

-सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से गरीबों और मध्यम वर्ग का बिजली बिल कम करेंगे।

-किसानों के लिए मूल्य श्रृंखला बनाना।

-50 लाख लखपति दीदी बनाएंगे।

-साइंस में महाराष्ट्र को नंबर एक बनाने का वादा।

-मेक इन महाराष्ट्र के लिए प्रयास।

-फिनटेक और एआई में करेंगे भारी निवेश।

कब होने हैं चुनाव?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने हैं और सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतगणना 23 नवंबर को होगी। 2019 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 105 सीटें, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 122, शिवसेना को 63 और कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं।

महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री पर नहीं बनी बात, रामदास आठवले ने दी ये सलाह

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के 3 दिन बाद भी मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया गतिरोध में है। मुख्यमंत्री की भूमिका कौन संभालेगा, इस पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई है। 23 नवंबर को राज्य के चुनाव परिणाम घोषित होने के बावजूद, सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने अभी तक अपने सीएम उम्मीदवार पर कोई निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, यह तय माना जा रहा है कि सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। उधर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर उनको अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

इस बीच बड़ी जानकारी सामने आई है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान की ओर से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम की जानकारी दी गई है। इसके साथ ही उन्हें केंद्रीय मंत्री पद या राज्य में डिप्टी सीएम पद की पेशकश की गई है।

आठवले ने किया फडणवीस का समर्थन

केंद्रीय मंत्री और महायुति के पार्टनर रामदास आठवले ने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी को बड़ा बहुमत मिला है, इसलिए सीएम पद उसे ही मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस सीएम हो सकते हैं। उन्होंने एकनाथ शिंदे को दिल्ली में एडजस्ट करने की सलाह दी। केंद्रीय मंत्री अठावले ने कहा कि जब एकनाथ शिंदे को पता चला कि बीजेपी आलाकमान ने (महाराष्ट्र के) सीएम के रूप में देवेंद्र फड़नवीस को चुना है, तो वह थोड़े नाखुश हैं, जिसे मैं समझ सकता हूं। लेकिन बीजेपी को 132 सीटें मिली हैं और इसलिए मुझे लगता है कि कोई रास्ता निकलना चाहिए। देवेंद्र फडनवीस को सीएम बनाया जाना चाहिए। एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम का पदभार संभाल सकते हैं। अगर वह डिप्टी सीएम बनने के इच्छुक नहीं हैं, तो उन्हें पीएम मोदी की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। महाराष्ट्र के लोग चाहते हैं कि देवेंद्र फड़णवीस सीएम बनें।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए मुख्यमंत्री के लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम लगभग फाइनल हो चुका है।

फडणवीस के CM बनने पर नई सरकार में पहले की ही तरह दो डिप्टी CM होंगे। NCP की ओर से अजित पवार और शिवसेना की ओर से शिंदे किसी नए विधायक का नाम आगे कर सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार का एजेंडा तय करने के लिए तीनों दलों की एक कमेटी बनाई जा सकती है, जिसके मुखिया एकनाथ शिंदे हो सकते हैं। हालांकि शिवसेना प्रवक्ता कृष्ण हेगड़े ने इससे इनकार किया।

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

रद्द होगी मनसे की मान्यता? महाराष्ट्र में करारी हार के बाद बढ़ी राज ठाकरे के मुश्किलें

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महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे की टेंशन बढ़ गई है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) को इस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उनके बेटे अमित ठाकरे तक माहिम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि चुनाव आयोग राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द कर सकती है

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अगर किसी पार्टी का एक विधायक चुना जाता है और उसे कुल वोट का 8% वोट मिल जाए, तो उसकी मान्यता बनी रहती है। अगर 2 विधायक चुने जाते हैं और कुल वोट का 6% वोट मिले, अगर 3 विधायक और कुल वोट का 3% वोट मिले, तो ही चुनाव आयोग की शर्तें पूरी होती हैं और पार्टी की मान्यता बनी रहती है। ये शर्तें पूरी नहीं होने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।

मनसे को कितने % वोट मिले?

इस चुनाव में मनसे को सिर्फ 1.55 वोट मिले हैं और एक भी सीट नहीं मिली है। महाराष्ट्र चुनाव में मनसे की जमानत जब्त हो गई। राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे सहित 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट पर मनसे का खाता नहीं खुला।

इस बीच राज ठाकरे ने आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

किसे कितनी सीटें मिली?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया, मिलकर तय करेंगे सीएम” शिंदे के बयान के क्या हैं मायने?*

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को बंपर बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की राह पर है और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी 131 सीटों पर आगे चल रही है। इससे साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व पर विश्वास किया है। महायुति गठबंधन के लिए जहां रुझान खुश करने वाले हैं, लेकिन साथ ही महायुति गठबंधन में सीएम पद को लेकर भी पेच फंसता दिख रहा है।

बीजेपी का टेंशन बढ़ाने वाला बयान

महाराष्ट्र में आ रहे चुनावी परिणामों के बीच एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने कामों पर मुहर लगा दी है। हमने ढ़ाई साल सिर्फ महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया है, जिसका नतीजा अब सामने आ गया है।

इसी के साथ मुख्यमंत्री शिंदे ने यह कहकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है कि ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी के पास ही मुख्यमंत्री का पद हो, यह जरूरी नहीं है। शिंदे ने कहा है कि हम मिलकर तय करेंगे। अभी कुछ भी फाइनल नहीं है।

साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे-शिंदे

शिंदे ने आगे कहा कि पीएम मोदी हैं, जेपी नड्डा जी हैं, हम सभी साथ मिलकर फैसला करेंगे। एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिस तरह से महायुति ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा है उसी तरह सभी एक साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे।

क्या इस बार भी बीजेपी शिंदे को देगी सीएम की कुर्सी?

बता दें कि 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत किया था, उस वक्त उनके पास सिर्फ 40 विधायक थे। बीजेपी के पास 105 विधायकों का समर्थन था, लेकिन मुख्यमंत्री की कु्र्सी पार्टी ने शिंदे को दे दी।

अभी जो चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। उसमें बीजेपी 130 से ज्यादा सीटों पर बढ़त में है। शिंदे की पार्टी 50 के करीब सीटें जीतती नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2022 की तरह ही बीजेपी इस बार शिंदे को सीएम की कुर्सी दे देगी?

दरअसल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है। इससे साफ है कि सीएम पद को लेकर महायुति में खूब माथापच्ची होगी।

महायुति गठबंधन प्रचंड जीत की ओर, अमित शाह ने शिंदे-फडणवीस-अजित पवार से की बात, शानदार जीत की दी बधाई

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महाराष्ट्र चुनाव परिणाम में अब तक जो रुझान सामने आए हैं, उनमें महायुति ने बहुमत हासिल कर लिया है। महाराष्ट्र में महायुति फिर से सत्ता में आ रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे से फोन पर बात की है। उन्होंने तीनों नेताओं की जीत की बधाई दी है।

एक है तो सेफ है-फडणवीस

महाराष्ट्र के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने पर देवेंद्र फडणवीस ने एक्स पोस्ट की है। उन्होंने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि एक है तो सेफ है, मोदी है तो मुमकिन है।

एकनाथ शिंदे बोले- ये जीत ऐतिहासिक

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, आज मैं महाराष्ट्र के तमाम मतदाताओं को धन्यवाद करता हूं क्योंकि ये जीत ऐतिहासिक है मैंने कहा था कि महायुति को भारी बहुमत मिलेगा. मैं अपनी लाडली बहनों, किसानों और सभी वर्गों को मैं धन्यवाद करता हूं...महायुति ने जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया है इसलिए महायुति को इतनी बड़ी जीत हासिल हुई है।

जनता ने उद्धव ठाकरे को 2019 के विश्वासघात का सबक सिखाया- किरीट सोमैया

भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि लोगों ने विकास और विश्वास के साथ भाजपा नीत महायुति को समर्थन दिया है। वहीं लव जिहाद, वोट जिहाद, लैंड जिहाद का समर्थन करने वाली कांग्रेस को ठुकरा दिया है। संजय राउत के नतीजों पर सवाल उठाने पर भाजपा नेता ने कहा कि साल 2019 में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भाजपा के साथ जो विश्वासघात किया, उसका जनता ने सबक उन्हें सिखा दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने आज शिवसेना उद्धव ठाकरे को विसर्जित कर दिया है, ऐसे में संजय राउत को दुख तो होगा ही।

महाराष्ट्र में कौन कितनी सीटों पर आगे

-बीजेपी- 126

-शिवसेना (शिंदे गुट)- 55

-एनसीपी( अजित गुट)- 39

-कांग्रेस- 21

-शिवसेना (यूबीटी) – 18

-एनसीपी (शरद गुट) -13

परिवारवाद की “जंग” का अखाड़ा बना महाराष्ट्र, कहीं चाचा-भजीता तो कहीं पति-पत्नी बीच मुकाबला

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आज राजनीति केवल देश सेवा का माध्यम नहीं है, ये परिवार को “पालने” का बड़ा जरिया बन चुका है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद की सियासी लड़ाई देखी जा रही है। वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप विरोधियों पर मढ़ने वाले भी चुनावी मौसम में तेवर बदल लेते हैं। महाराष्ट्र चुनाव में राजनीतिक पार्टियां पूरी तहर से परिवारवाद की आंच पर रोटियां सेकते नजर आ रही हैं। इस बार की चुनावी जंग में कहीं भाई-बहन तो कहीं से चाचा-भतीजा और कहीं से पति-पत्नी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

अजित पवार का भतीजे से मुकाबला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे हाई प्रोफाइल मुकाबला चाचा-भतीजे के बीच है। ये जंग राज्य के सबसे पावरफुर पवार परिवार के बीच है। पवार परिवार के बीच हाई-प्रोफाइल मुकाबले में शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) से उम्मीदवार युगेंद्र पवार बारामती सीट पर सत्तारूढ़ राकांपा का प्रतिनिधित्व कर रहे। युगेंद्र पवार अपने चाचा तथा उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अजित पवार सात बार बारामती विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं और एक बार बारामती संसदीय सीट पर भी जीत हासिल की है। यह दूसरी बार है जब पवार खानदान के गढ़ बारामती में परिवार के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा।

2024 के लोकसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को उनकी ननद और राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता सुप्रिया सुले ने बारामती संसदीय सीट से हराया था। पड़ोसी कर्जत-जामखेड़ में अजित पवार के एक अन्य भतीजे रोहित पवार राकांपा (एसपी) उम्मीदवार के तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राम शिंदे के खिलाफ मुकाबले में हैं। रोहित पवार, शरद पवार के पोते हैं।

पति-पत्नी में कौन जीतेगा जंग?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की लड़ाई बेहद रोचक बन गई है, क्योंकि छत्रपति संभाजीनगर के कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र से पति-पत्नी ही एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में आमने-सामने आ गए हैं। कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार हर्षवर्धन जाधव अपनी अलग रह रही पत्नी और शिवसेना उम्मीदवार संजना जाधव के खिलाफ मैदान में हैं।

बता दें कि संजना अपने पति से अलग रह रही है लेकिन अभी दोनों के बीच अभी तलाक नहीं हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना उम्मीदवार संजना जाधव का एक वीडियो भी सामने आया था। इस वीडियो में संजना जाधव रोती हुई नजर आ रही थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि 'मैंने जो कुछ सहा, उसका मुझे कोई इनाम नहीं मिला, लेकिन आप जानते हैं कि मेरी जगह किसने ली। मेरे पिता पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए, हमने सह लिया, क्योंकि एक लड़की के पिता को इसे सहना पड़ता है।

महाराष्ट्र में वंशवाद की सियासत

महाराष्ट्र में चुनावी मैदान में कई परिवारों के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे राजनीति में रिश्तेदारों के बीच तकरार और प्रतिस्पर्धा का नया अध्याय जुड़ रहा है। इसके अलावा एक ही परिवार के कई सदस्य अलग-अलग सीटों से भी अपने पारिवारिक बिरासत को आगे ले जानें की होड़े में। इस लिस्ट में ठाकरे परिवार, राणे परिवार, देशमुख परिवार समेत कई परिवार हैं जो वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।

विलासराव देशमुख के घर में भी परिवारवाद

महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के घर में भी परिवारवाद का बेहतरीन नमूना देखने को मिल रहा है। विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख लातूर शहर से मैदान में हैं तो विलासराव के दूसरे बेटे धीरज देशमुख लातूर ग्रामीण से ताल ठोक रहे हैं।

ठाकरे परिवार भी चुनावी जंग में

ठाकरे परिवार के रिश्तेदार भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से दूर नहीं हैं। मुंबई में ठाकरे परिवार के सदस्य अलग-अलग सीटों से चुनावी मुकाबले में हैं। आदित्य ठाकरे वर्ली से मैदान में हैं तो उनकी मौसी के बेटे वरुण सरदेसाई पार्टी की टिकट पर बांद्रा से चुनाव लड़ रहे हैं। तो आदित्य के चचेरे भाई और राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे एमएनएस के टिकट पर माहिम सीट से मैदान में हैं।

राणे परिवार का भी चुनावी मुकाबला

बीजेपी सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे और निलेश राणे क्रमशः शिवसेना और बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर कुडाल और कणकवली सीट से चुनावी मैदान में हैं।

चुनावी मैदान में गावित परिवार

इस तरह महाराष्ट्र के मंत्री विजयकुमार गावित और उनकी बेटी एवं पूर्व सांसद हिना गावित भी चुनावी मैदान में हैं। मंत्री विजयकुमार गावित बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर नंदुरबार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनकी बेटी हिना गावित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अक्कलकुवा सीट से चुनावी मुकाबले में हैं।

भुजबल और पाटिल परिवार का चुनावी मुकाबला

एनसीपी के मंत्री छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल भी चुनावी मैदान में हैं। छगन भुजबल येवला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि समीर भुजबल नंदगांव सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, NCP-SP प्रदेश प्रमुख जयंत पाटिल इस्लामपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री प्राजक्त तनपुरे पार्टी के टिकट पर राहुरी से चुनाव लड़ रहे हैं।

चनावी मैदान में शेलार परिवार

बीजेपी के मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलार और उनके भाई विनोद शेलार क्रमशः वांद्रे (पश्चिम) और मलाड पश्चिम सीट से चुनावी मुकाबले में हैं।

हंबार्डे परिवार का चुनावी मुकाबला*

नांदेड में संतुकराव हंबार्डे और उनके भाई मोहनराव हंबार्डे भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मुकाबले में हैं। संतुकराव हंबार्डे नांदेड लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं, जबकि मोहनराव हंबार्डे कांग्रेस के टिकट पर नांदेड दक्षिण विधानसभा सीट से चुनावी जंग में हैं।

महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों के लिए वोटिंग जारी, सचिन तेंदुलकर से लेकर अक्षय कुमार तक ने किया अपने मताधिकार का प्रयोग

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव हो रहे हैं। जहां कई बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है. इस बार राज्य के दिग्गज नेताओं पर सबकी नजर रहेगी कि उन्हें जीत मिलेगी या फिर हार का सामना करना पड़ेगा। चुनावी मैदान में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अजित परावर, देवेंद्र फडणवीस से लेकर सीएम एकनाथ शिंदे तक मौजूद है। अब 23 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र चुनाव 2024 के नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा कि किसे मिला जनता का आशीर्वाद मिलता है।

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लोग जुटना शुरू हो गए हैं. महाराष्‍ट्र में केवल एक चरण में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यहां महयुति के सामने महाविकास अघाड़ी गठबंधन की चुनौती है। महाराष्‍ट्र चुनाव में वोट डालने के लिए कुल 9.70 करोड़ रजिस्‍टर्ड वोटर्स हैं। इनमें 5 करोड़ पुरुष और 4.69 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग के आंकड़ों में 6101 लोग थर्ड जेंडर से भी हैं। अब देखना होगा कि कितने लोग इस बार वोट डालने के लिए घरों से निकलते हैं।

सुप्रिया सुले-युगेंद्र पवार ने डाला वोट

पुणे की बारामती सीट पर राकांपा-शरद पवार की सांसद सुप्रिया सुले ने मतदान किया। जहां उनकी पार्टी से इस बार युगेंद्र पवार को खड़ा किया गया है, वहीं इस सीट पर अजित पवार महायुति के उम्मीदवार हैं। सुप्रिया सुले के कुछ देर बाद ही युगेंद्र भी वोट डालने पहुंचे।

शाइना एनसी ने किया मताधिकार का प्रयोग

शिवसेना नेता और मुंबादेवी सीट से उम्मीदवार शाइना एनसी ने सुबह पहुंचकर ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वोट डालने के बाद उन्होंने कहा, "मैं हमारे मुंबई के लोगों से कहूंगी कि आप बाहर आएं और मतदान करें, क्योंकि अगर आप मतदान करते हैं तो आप सवाल कर सकते हैं, प्रश्न चिन्ह उठा सकते हैं। लेकिन जब तक हाथ पर ये निशान नहीं होगा आप कुछ नहीं कर सकते हैं। प्रजातंत्र और लोकतंत्र के इस पर्व में जरूर बाहर आएं और अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाएं।

बॉलीवुड जगत की हस्तियां भी वोटिंग के लिए पहुंचीं

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जारी वोटिंग के बीच सुबह-सुबह अभिनेता अक्षय कुमार वोट डालने पहुंचे। उन्होंने कहा, मतदान केंद्र पर बहुत अच्छा इंतजाम किया है। सफाई रखी हुई है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की है। इसके अलावा फिल्म निर्देशक कबीर खान ने भी मुंबई के एक मतदान केंद्र पहुंचकर वोट डाला। अभिनेता राजकुमार राव ने वोट डालने के बाद कहा, "मतदान बहुत जरूरी है। महाराष्ट्र में सभी लोग जाएं और मतदान करें।

महाराष्‍ट्र चुनाव में युवाओं की भरमार

महाराष्‍ट्र चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की भी कमी नहीं हैं। इस बार 18-19 साल की उम्र के फर्स्ट टाइम वोटर्स की संख्‍या 22.2 लाख है। ये वो युवा हैं, जिन्‍होंने लोकसभा चुनाव के बाद अपना वोटर आईडी कार्ड बनवाया है। इसके अलावा 6.41 लाख विकलांग भी इन चुनावों में वोट डालेंगे।

100 साल की उम्र से ज्‍यादा कितने वोटर्स?

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के आज डाले जा रहे वोटर्स में बुजुर्गों की संख्‍या भी कम नहीं है. यहां 100 साल से ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की भरमार है. चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक महाराष्‍ट्र में 100 या इससे ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की संख्‍या 47,392 है. अब देखना होगा कि अधिक उम्र की इस बाधा को तोड़कर कितने लोग वोट डालने के लिए मैदान में उतरते हैं.

अजित पवार दशकों तक हिंदू विरोधियों के साथ रहे...,महाराष्ट्र में मतदान से पहले फडणवीस का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं। इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से दो गठबंधन के बीच की 'जंग' में तब्दील हो चुका है। एक तरफ जहां महायुति गठबंधन है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी। चुनाव हैं तो इस दौरान चुनावी प्रचार में तमाम तरीके की बायनबाजी भी हो रही है। बीते दिनों ऐसी ही एक बयानबाजी को लेकर अब महायुति गठबंधन के दो बड़े देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक दूसरे के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। योगी के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे ने बीच चुनाव में महाराष्ट्र एनडीए में दरार डाल दी है। इस नारे को लेकर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं।

हाल ही में अजित पवार ने कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे का नारा महाराष्ट्र के लिए नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बटेंगे तो कटेंगे के नारे का समर्थन किया है। साथ ही फडणवीस ने इस नारे को लेकर अजीत पवार पर तीखा हमला किया है।

फडणवीस ने न्यू एजेंसी एएनआई से बातचीत में बंटेंगे तो कटेंगे नारे का महायुति और भाजपा में हो रहे विरोध पर कहा- मुझे योगी जी के नारे में कुछ भी गलत नहीं लगता। इस देश का इतिहास देख लीजिए, जब-जब इस देश को जातियों, प्रांतों और समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है।

फडणवीस ने अजीत पवार को लेकर क्या कहा?

वहीं, महायुति की सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेता अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के नारे का विरोध किया है और कहा है कि ऐसे नारों के लिए महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है। इस पर फडणवीस से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'अजित पवार कई दशकों तक ऐसी पार्टियों के साथ रहे हैं, जो खुद को कथित सेक्युलर बताती हैं। वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं जो हिंदुत्व का विरोध करते हैं, इसलिए उन्हें लोगों की भावनाएं समझने में थोड़ा समय लगेगा।

बटेंगे तो कटेंगे पर अजित ने क्या कहा था?

इससे पहले बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध करते हुए अजित पवार ने कहा था कि यह सबका साथ, सबका विकास नहीं है। अजित ने कहा कि एक तरफ आप सबका साथ और सबका विकास की बात करते हो और दूसरी तरफ बटेंगे तो कटेंगे की बात करते हो। यह कैसे चलेगा? जूनियर पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र का सियासी मिजाज यूपी जैसा नहीं है। यहां लोग काफी समझदार हैं, इसलिए इन नारों का कोई मतलब नहीं है।

बीजेपी के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए का घोषणा-पत्र, जानें पिटारे में क्या-क्या?

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इससे पहले बीजेपी का घोषणा पत्र अमित शाह ने जारी किया था। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं, किसानों पर फोकस किया है। घोषणा पत्र में एमवीए ने महिलाओं को 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान किया है। वहीं 25 लाख के फ्री हेल्थ बीमा का ऐलान भी किया गया है। इसके साथ ही बेरोजगारों को 4 हजार रुपये महीना भत्ता देने का वादा किया गया है।

पांच गारंटी देने का वादा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महा विकास अघाड़ी का घोषणा पत्र ‘महाराष्ट्रनामा’ जारी किया। इस घोषणा को महाविकास आघाड़ी की 5 गारंटियों के इर्द गिर्द रखा गया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 'महाराष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए हमारे पास पांच स्तंभ हैं, जो कृषि और ग्रामीण विकास, उद्योग और रोजगार, शहरी विकास, पर्यावरण और लोक कल्याण पर आधारित हैं।

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन ने पांच गारंटी देने का वादा किया है। इसके मुताबिक पहली गारंटी में महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने तीन हजार रुपये और सभी महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा का वादा शामिल है। दूसरी गारंटी समानता की है। इसके तहत जातीय जनगणना कराई जाएगी और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को भी हटाया जाएगा। तीसरी गारंटी के तहत कुटुंब रक्षा योजना है, जिसमें 25 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त दवाएं देने का वादा है। कृषि समृद्धि योजना के तहत किसानों को तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ, समय पर कर्ज चुकाने पर पचास हजार की प्रोत्साहन राशि देने का भी वादा किया गया है। वहीं युवाओं को वचन में बेरोजगारों को हर महीने चार हजार रुपये की मदद देने का वादा किया गया है।

महिलाओं को मुफ्त बस सेवा का वादा

घोषणा पत्र जारी करते हुए खरगे ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में महाराष्ट्र देश में दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए ठोस निर्भय नीति बनाएंगे। हम महिलाओं को मुफ्त बस सेवा देंगे। किसानों का तीन लाख तक का कर्ज माफ होगा।

शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता

खरगे ने आगे कहा कि हम महाराष्ट्र में भी जातिगत जनगणना कराएंगे। शिक्षित युवाओं को 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे। बीजेपी की योजनाएं हमारी योजनाओं की नकल है। हम सब सर्विस सेक्टर में 12 से 15% की वृद्धि हासिल करने की कोशिश करेंगे। सरकारी सेवा में कांट्रैक्ट बेस्ड आदेश को हम समाप्त करेंगे। खरगे ने कहा कि न्यू इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनेगी जो रोजगार उन्मुख होगा। ढाई लाख खाली पड़े हुए गवर्नमेंट जॉब को भी भरेंगे। इसके लिए एग्जामिनेशन का प्रक्रिया को शुरू करेंगे।

महाराष्ट्र के लिए बीजेपी का घोषणा पत्र जारी, किसानों-महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। राजनीतिक दल जनता को रिझाने के लिए एक से एक दांव चल रहे हैं और एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं।इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी का घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इस घोषणा पत्र में किसानों, महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस किया गया है।

संकल्प पत्र जारी करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह महाराष्ट्र की आकांक्षाओं का संकल्प पत्र है। इसमें किसानों का सम्मान और गरीबों का कल्याणा है। इसके अंदर महिलाओं का स्वाभिमान है। ये महाराष्ट्र की उम्मीदों का संकल्प पत्र है। ये संकल्प पत्र पत्थर की लकीर जैसा है। अघाड़ी की सारी योजनाएं सत्ता के लिए है।इस दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले, मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहे।

फडणवीस ने क्या कहा?

वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संकल्प पत्र जारी करने के बाद कहा कि AI ट्रेनिंग हब हम बनाएगा, सभी स्कूल और कॉलेज में यह ट्रेनिंग दी जाएगी। हम 25 लाख जॉब का निर्माण करेंगे। सीनियर सिटीजन की पेंशन हम 1500 से 2100 करेंगे। फिन टेका और एयरोनॉटिक पर हमारा जायदा फोकस होगा। ताकि नौजवानों को आगे जायदा मौका मिले।

बीजेपी के घोषणापत्र में जनता के लिए क्या है?

-वृद्धावस्था पेंशन धारकों को 2100 रुपये देने का वादा।

-सरकार बनने के 100 दिन के भीतर विजन महाराष्ट्र 2029 जमा करने का वादा।

– आंगनबाड़ी और आशा सेवकों को 15 हजार रुपये वेतन और बीमा कवर दिया जाएगा।

-25 लाख रोजगार पैदा होंगे।

-10 लाख छात्रों को 10 हजार रुपये प्रति माह ट्यूशन फीस दी जाएगी।

-लड़की बहिन योजना में 2100 रु।

-किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा।

-मूल्य विनिमय योजना लागू की जाएगी – यदि कीमत गारंटी मूल्य से कम है, तो हम गारंटी मूल्य पर खरीदेंगे और किसानों को अंतर का भुगतान किया जाएगा।

-आर्थिक सहायता योजना में 1500 रुपये के बदले 2100 रुपये मिलेंगे।

-आवश्यक वस्तुओं की कीमतें स्थिर करने की योजना।

-सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से गरीबों और मध्यम वर्ग का बिजली बिल कम करेंगे।

-किसानों के लिए मूल्य श्रृंखला बनाना।

-50 लाख लखपति दीदी बनाएंगे।

-साइंस में महाराष्ट्र को नंबर एक बनाने का वादा।

-मेक इन महाराष्ट्र के लिए प्रयास।

-फिनटेक और एआई में करेंगे भारी निवेश।

कब होने हैं चुनाव?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने हैं और सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतगणना 23 नवंबर को होगी। 2019 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 105 सीटें, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 122, शिवसेना को 63 और कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं।