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क्यों हर बार जीती हुई बाजी हार रही कांग्रेस? ऐसे तो जनता ही नहीं सहयोगियों का भी छूट जाएगा “हाथ”

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इस साल आम चुनाव के बाद जिस विधानसभा चुनाव पर सबसे अधिक ध्यान केंद्रित था, वह महाराष्ट्र का चुनाव था। महाराष्ट्र न केवल उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक सांसद भेजने वाला राज्य है, बल्कि यहाँ देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी स्थित है। इस कारण से यह चुनाव ख़ास था।महाराष्ट्र में एनडीए ने 'महायुति' के नाम से चुनाव लड़ते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में 'महाविकास अघाड़ी' के बैनर तले इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव में यह स्थिति पलट गई।

इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी ने 132 , एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटें जीती हैं। यानी महायुति ने कुल 230 सीटें हासिल कर सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं। इन्हें कुल 46 सीटें मिली हैं और करारी हार का सामना करना पड़ा है।

महाराष्ट्र चुनाव में कभी अकेले दम पर 200 से ज़्यादी सीटें लाने वाली कांग्रेस इस बार के चुनाव में 16 सीटों के लिए भी संघर्ष करती दिखाई दी। लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद माना जा रहा था कि कांग्रेस कहीं ना कहीं वापसी कर रही है, लेकिन नतीजों ने फिर से कांग्रेस की राजनीति को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। कांग्रेस पहले हरियाणा में हारी और अब महाराष्ट्र में उसे बुरी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार ने एक बार फिर देश के राजनीतिक पटल पर और इंडिया ब्लॉक के भीतर कांग्रेस की कमजोर स्थिति को उजागर कर दिया है। 

बीजेपी के सामने निराशाजनक प्रदर्शन

इस साल जून में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को अपेक्षाकृत सफलता मिली थी जहां इसने कुल 99 सीटें हासिल कीं। यह एक ऐसा आंकड़ा था जिस पर कांग्रेस खेमा अपने पिछले एक दशक के प्रदर्शन को देखते हुए खुश था।

हालांकि, पार्टी की बढ़त मुख्य रूप से उन इलाकों तक ही सीमित रही, जहां इसने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए मजबूत सहयोगियों पर बहुत अधिक निर्भरता दिखाई। इन 99 में से 36 सीटें उन राज्यों में मिलीं, जहां कांग्रेस क्षेत्रीय सहयोगियों की अगुआई में काम कर रही थी। इससे उसे वोट ट्रांसफर से काफी फायदा पहुंचा। हालांकि, उन सीटों पर जहां कांग्रेस ने चाहे सीधे तौर पर या फिर किसी तीसरे पक्ष की मौजूदगी में बीजेपी का सामना किया, उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। ऐसी स्थिति में लड़ी गई 168 सीटों में से कांग्रेस महज 30 सीटें ही निकाल पाई। केरल, पंजाब, तेलंगाना, नागालैंड, मेघालय, लक्षद्वीप और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पार्टी को अतिरिक्त जीत मिली, जहां बीजेपी की मौजूदगी मामूली है या जहां उसके सहयोगी दलों ने मुकाबले में बढ़त बनाई है।

कहां चूक रही है कांग्रेस?

मई के बाद देश के विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए हैं। आम चुनावों के बाद से कांग्रेस को कई चुनावी झटके लगे हैं। पार्टी को पहले हरियाणा में हार मिली, जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन खराब रहा और अब महाराष्ट्र में मिली हार ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आख़िर बार- बार कहां चूक रही है कांग्रेस?

11 साल बाद भी समस्याएं जस की तस

महाराष्ट्र में हार के बाद कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि लंबे समय से लंबित मसलों पर फैसला नहीं लेने का बड़ा खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। वह मानते हैं कि इससे कार्यकर्ताओं में हताशा बढ़ रही है। उनकी बात वाजिब लगती है। मिसाल देखें, पार्टी 11 साल पहले जिन-जिन राज्यों में जिन समस्याओं से जूझ रही थी, आज 11 साल बाद भी उन्हीं समस्याओं से दो-चार हो रही है। हरियाणा, राजस्थान से लेकर कई दूसरी जगह उसे गुटबाजी के चलते नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद भी नेतृत्व इस मसले पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाया।

स्थिति बेहतर करने के लिए कोई गंभीर कोशिश नहीं

बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कांग्रेस हाशिये पर पहुंच चुकी है, लेकिन अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए उसने कोई गंभीर कोशिश नहीं की। कार्यकर्ता मान रहे थे कि मल्लिकार्जुन खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद चीजें साफ होंगी, संगठन के स्तर पर नए चेहरों को मौका मिलेगा और इसका विस्तार भी होगा। लेकिन, बदलाव के नाम पर रस्मअदायगी कर दी गई। पार्टी का एक वर्ग मानता है कि कांग्रेस नेतृत्व ने यथास्थितिवाद को इतना खींच दिया है कि अब अगर बड़ा बदलाव नहीं हुआ तो सीधे उसे ही सख्त सवालों का सामना करना पड़ सकता है।

सहयोगी दलों में असंतोष

कांग्रेस के ढुलमुल रवैये और फैसला न लेने की प्रवृत्ति से अब सहयोगी दल भी नाराज हैं। सहयोगी क्षेत्रीय दलों का मानना है कि कांग्रेस फैसले से लेकर तमाम मसलों में न सिर्फ चीजों को उलझा कर रखती है बल्कि अपनी अव्यावहारिक शर्तें थोपती है। एक क्षेत्रीय दल के वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद जो परिस्थिति बनी, उसमें कांग्रेस की बात मानना सियासी मजबूरी बन गई थी। इससे कांग्रेस कुछ अधिक ही आक्रामक हो गई। लेकिन, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र में हार के बाद क्षेत्रीय दल एक बार फिर कांग्रेस पर दबाव बनाएंगे।

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ప్రజా విజయోత్సవాలు

తెలంగాణ రాష్ట్రంలో రేవంత్ రెడ్డి సర్కార్ ఏర్పడి ఏడాది పూర్తి చేసుకుంటున్న సందర్భంగా ఘనంగా విజయోత్సవాలు నిర్వహించాలని నిర్ణయించింది. అందుకోసం డిప్యూటీ సీఎం భట్టి విక్రమార్క నేతృత్వంలో సబ్ కమిటీని ప్రభుత్వం నియమించింది. సచివాలయంలో ఈ కమిటీ సమావేశమై విజయోత్సవ ఉత్సవాలపై చర్చించింది.

తెలంగాణ (Telangana)లో కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం (Congress Govt.,) ఏర్పడి డిసెంబర్ 7వ తేదీతో ఏడాది పూర్తి అవుతుంది. ఈ నేపథ్యంలో నవంబర్ 14 నుంచి డిసెంబర్ 9 వరకు 26 రోజుల (26 days) పాటు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ప్రజా విజయోత్సవాలు (Public celebrations) నిర్వహించాలని ప్రభుత్వం నిర్ణయించింది. ఆ మేరకు కేబినెట్ సబ్ కమిటీ నిర్ణయం తీసుకుంది. రాష్ట్రంలో రేవంత్ రెడ్డి సర్కార్ (Revanth Govt.,) ఏర్పడి ఏడాది పూర్తి చేసుకుంటున్న సందర్భంగా ఘనంగా విజయోత్సవాలు నిర్వహించాలని నిర్ణయించింది. అందుకోసం డిప్యూటీ సీఎం భట్టి విక్రమార్క నేతృత్వంలో సబ్ కమిటీని ప్రభుత్వం నియమించింది. సచివాలయంలో ఈ కమిటీ సమావేశమై విజయోత్సవ ఉత్సవాలపై చర్చించింది.

ఈ నెల 14వ తేదీ నుంచి డిసెంబర్ 9వ తేదీ వరకు 26 రోజుల పాటు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా పెద్ద ఎత్తున ప్రజా విజయోత్సవాలను నిర్వహించాలని నిర్ణయించినట్లు భట్టి విక్రమార్క తెలిపారు. ప్రజా ప్రభుత్వం సంవత్సర కాలంలో దేశంలోని మరే రాష్ట్ర ప్రభుత్వం చేపట్టలేని విప్లవాత్మక, ఎన్నో అభివృద్ధి సంక్షేమ కార్యక్రమాలను చేపట్టిందని ఆయన పేర్కొన్నారు. ఆ కార్యక్రమాలను పెద్ద ఎత్తున ప్రజల్లోకి తీసుకువెళ్లాలని నిర్ణయించినట్లు తెలిపారు. ప్రభుత్వ గ్యారంటీ పథకాలైన మహిళలకు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం, రూ. 5 వందలకే గ్యాస్ సిలిండర్, 2 వందల యూనిట్ల ఉచిత విద్యుత్, రాజీవ్ ఆరోగ్యశ్రీ, ఇందిరా మహిళా శక్తి తదితర పథకాలతోపాటు ప్రభుత్వం అమలు చేస్తున్న అనేక అభివృద్ధి సంక్షేమ పథకాలపై 26 రోజులపాటు చైతన్య పరిచేలా కార్యక్రమాలు చేయనున్నారు. కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం ఇప్పటికే 50 వేల ఉద్యోగ నియామకాలు చేసిందని, దాదాపు రూ. 18 వేల కోట్ల వ్యవసాయ రుణాలు మాఫీ చేయడంతోపాటు మహిళా సంఘాలకు రూ. 20 వేల కోట్ల వడ్డీ లేని రుణాలు అందజేశామని పేర్కొన్నారు.

మూతపడిన ములుగు జిల్లాలోని కమలాపూర్‌ రేయాన్స్‌ పరిశ్రమను రూ.4 వేల కోట్లతో పునరుద్ధరించబోతున్నామన్నామని భట్టి విక్రమార్క తెలిపారు. వీటిని విస్తృతంగా ప్రచారం చేయాలని నిర్ణయించారు. పండిట్ జవహర్‌లాల్ నెహ్రూ జయంతి ఈ నెల 14న రోజున ప్రారంభమయ్యే ఈ ‘ప్రజా విజయోత్సవాల’ సందర్భంగా రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా అన్ని జిల్లాల కేంద్రంలో సాంస్కృతిక కార్యక్రమాలను నిర్వహిస్తామన్నారు. చివరి రోజైన డిసెంబరు 9న హైదరాబాద్‌లో వేలాది మంది కళాకారులతో ప్రదర్శనలు, లేజర్‌ షోలు, క్రాకర్స్‌ ప్రదర్శనలు ఉంటాయన్నారు. ఇటీవల తెలంగాణ పబ్లిక్‌ సర్వీస్‌ కమిషన్‌ ద్వారా ఎంపికైన గ్రూప్‌-4 అభ్యర్థులకు నియామక పత్రాలను అందజేస్తామని తెలిపారు. వివిధ శాఖలకు సంబంధించిన పాలసీ విధానాలను ప్రకటిస్తారు.

కాగా 26 రోజుల వేడుకల్లో భాగంగా కంపెనీలతో పరిశ్రమల ఏర్పాటుకు ఒప్పందాలు చేసుకుంటారు. స్సోర్ట్స్ యూనివర్శిటీకి ఫౌండేషన్, 16 నర్సింగ్ కళాశాలలు, 28 పారామెడికల్ కాలేజీల ప్రారంభోత్సవం, ఉస్మానియా ఆస్పత్రి నూతన భవన నిర్మాణానికి శంకుస్థాపన చేస్తారు. కొత్తగా ఏర్పాటు చేసిన రాష్ట్ర డిజాస్టర్ రస్పాన్స్ ఫోర్స్ ప్రారంభిస్తారు. పోలీస్ శాఖ ద్వారా డ్రగ్స్ వ్యతిరేక కార్యక్రమాలు, డాగ్ షోలు, పోలీస్ బ్యాండ్ ప్రదన్శలు నిర్వహిస్తారు. అందుకు సంబంధించిన పకడ్బంధి ఏర్పాట్లను చేయాలని సంబంధిత శాఖ కార్యదర్శులను భట్టి విక్రమార్క ఆదేశించారు.

విధ్వంసం సృష్టించి విజయోత్సవాలా

ఎనుముల వారి ఏడాది పాలనలో చెప్పుకోవడానికి ఏమున్నది గర్వకారణం అంటే.. మూసీలో లక్షన్నర కోట్ల మూటల వేట.. కొడంగల్ లిఫ్టులో వేల కోట్ల కాసుల వేట.. బావమరిదికి అమృత్ టెండర్లు, కొడుకులకు వేలకోట్ల కాంట్రాక్టులు కట్టబెట్టే ముఖ్యమంత్రి, మంత్రులు జరుపుకోవాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. “కరప్షన్ కార్నివాల్” అని కేటీఆర్ విమర్శించారు.

రాష్ట్రంలో కోలుకోలేని విధ్వంసం సృష్టించి విజయోత్సవాలు నిర్వహిస్తారా.. ఎనుముల వారి ఏడాది ఏలికలో.. తెలంగాణ (Telangana) బతుకు చీలికలు, పీలికలైందని, కాంగ్రెస్ సర్కారు (Congress Govt.,) కొలువుదీరి సంవత్సరం పూర్తవుతున్న సందర్భంగా నిర్వహించాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. ‘కుంభకోణాల కుంభమేళా’ అంటూ బీఆర్ఎస్ వర్కింగ్ ప్రెసిడెంట్, మాజీ మంత్రి కేటీఆర్ (KTR) ‘ఎక్స్’ సోషల్ మీడియా (Social Media) వేదికగా విమర్శలు (Comments) గుప్పించారు. ఎన్నికల్లో ఇచ్చిన ప్రతి హామీకి పాతరేసిన నేపథ్యంలో జరపాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. ప్రజావంచన వారోత్సవాలని అన్నారు.

ఎనుముల వారి ఏడాది పాలనలో చెప్పుకోవడానికి ఏమున్నది గర్వకారణం అంటే.. మూసీలో లక్షన్నర కోట్ల మూటల వేట.. కొడంగల్ లిఫ్టులో వేల కోట్ల కాసుల వేట.. బావమరిదికి అమృత్ టెండర్లు, కొడుకులకు వేలకోట్ల కాంట్రాక్టులు కట్టబెట్టే ముఖ్యమంత్రి, మంత్రులు జరుపుకోవాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. “కరప్షన్ కార్నివాల్” అని కేటీఆర్ అన్నారు. ఏడాది కాలంగా ప్రతిరోజూ పరిపాలనా వైఫల్యాలకు కేరాఫ్ కాంగ్రెస్ సర్కారని.. సకల రంగాల్లో సంక్షోభం తప్ప సంతోషం లేని సందర్భాలకు చిరునామా రేవంత్ పాలన అని.. మరి ఏ ముఖం పెట్టుకుని విజయోత్సవాలు నిర్వహిస్తారని కేటీఆర్ ప్రశ్నించారు.

ప్రజలకిచ్చిన 6 గ్యారెంటీలు, 420 హామీల్లో ఒక్కటంటే ఒక్క వాగ్దానం కూడా సరిగ్గా అమలుచేయకుండా జనం పైసలతో 25 రోజులపాటు జల్సాలు చేసుకుంటారా.. అని కేటీఆర్ ప్రశ్నించారు. ‘‘రుణమాఫీ కాక, పెట్టుబడి సాయం అందక పేద రైతులు దు:ఖంలో ఉంటే.. మీరు వందల కోట్లతో విజయోత్సవాలు చేసుకుంటారా.. హైడ్రా, మూసీ బాధితులు బాధలో ఉంటే మీరు బాజాభజంత్రీలతో పండుగ చేసుకుంటారా.. ఆడబిడ్డలు రక్షణ లేక అల్లాడుతుంటే మీరు విజయోత్సవాల పేరిట విర్రవీగుతారా.. వృద్ధులు పింఛన్ల పెంపు కోసం వెయ్యి కళ్లతో ఎదురుచూస్తుంటే మీరు దయలేకుండా దావత్‌లు చేసుకుంటారా‘‘ అంటూ కేటీఆర్ ధ్వజమెత్తారు.

బీఆర్ఎస్ భర్తీ చేసిన ఉద్యోగాల ప్రక్రియను కాంగ్రెస్ ఖాతాలో వేసుకోవడం నయవంచన కాదా.. అని కేటీఆర్ ప్రశ్నించారు. పావుశాతం కూడా రుణమాఫీ పూర్తిచేయకుండా వందశాతం చేశామని చెప్పుకోవడం దగా కాదా.. 200 యూనిట్ల ఉచిత విద్యుత్, 500 కే సిలిండర్ పథకాలకు సవాలక్ష ఆంక్షలు పెట్టి మెజారిటీ అర్హులను దూరం చేయడం మోసం కాదా.. 75 ఏళ్ల స్వతంత్య్ర భారత చరిత్రలో అతితక్కువ సమయంలో అత్యధిక ప్రజావ్యతిరేకత మూటగట్టుకున్న తొలి ప్రభుత్వం, ఏకైక రాష్ట్ర ప్రభుత్వం ఇదేనని.. ఈ ముఖ్యమంత్రికి పాలనపై పట్టు కాదు.. ఈ ప్రభుత్వానికి తెలంగాణపై ప్రేమలేదని విమర్శించారు. పేదల ఇళ్లు కూల్చి రోడ్డున పడేసిన కాంగ్రెస్ సర్కారుకు అసలు మనసే లేదని. విజయోత్సవాలు అంటే ఏంటో కూడా తెలియని ఈ అసమర్థ పాలకులకు ఆ పదాన్ని వాడే హక్కే లేదని కేటీఆర్ ఘాటుగా వ్యాఖ్యానించారు.

खरगे की खरी-खरीः 'उतनी ही गारंटी का वादा करें, जितना दे सकें...' कांग्रेस अध्यक्ष को क्यों कहना पड़ा ऐसा?

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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है। हाल ही में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का एक बयान आया था कि राज्य सरकार ‘शक्ति’ गारंटी योजना की समीक्षा करेगी। इस स्कीम के तहत राज्य में महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा मिलती है। ऐसे में खुद कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी ही कांग्रेस सरकार की खिंचाई की है। कर्नाटक में मुफ्त बस योजना पर समीक्षा की बातों पर खरगे ने नाराजगी जताई और कहा कि उतना ही वादा कीजिए, जितनी पूरी हो जाए।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शिवकुमार के इस बयान पर निराशा जाहिर करते हुए कहा था, आपने राज्य के लोगों को कुछ गारंटी दी हैं। उन्हें देखने के बाद मैंने भी महाराष्ट्र में कहा था कि कर्नाटक में 5 गारंटी हैं। अब आपने (शिवकुमार) कह दिया कि आप एक गारंटी छोड़ देंगे। समीक्षा की बात कहकर आपने संदेह पैदा कर दिया है। मैंने उनसे (महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं) कहा कि पांच, छह, सात या आठ गारंटी के वादे मत करते रहो। इसके बजाय ऐसे वादे करो जो आपके बजट के अनुरूप हों। जो लोग आलोचना करना चाहते हैं, उनके लिए इतना ही काफी है। उन्होंने सिद्धारमैया सरकार को अपने वादों पर कायम रहने की हिदायत दी।

खड़ने ने पार्टी नेताओं को चेताया और कहा, यदि आप बजट पर विचार किए बिना वादे करते हैं तो यह दिवालियापन की ओर ले जाएगा।सड़कों पर रेत डालने के भी पैसे नहीं होंगे। अगर यह सरकार असफल हुई तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा।इससे बदनामी होगी और सरकार को अगले दस वर्षों तक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए बजट पर सावधानी से विचार करने की जरूरत है।

खरगे के बयान पर बीजेपी ने घेरा

अब खरगे के इसी बयान को भाजपा ने हाथों-हाथ लपका है। नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने खरगे की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि पहली बार कांग्रेस ने यह स्वीकार किया है कि उसकी चुनावी घोषणाएं, जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए होती हैं।

राहुल गांधी के खटाखट योजनाओं का क्या होगा-रविशंकर

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि खरगे साहब को बहुत ज्ञान आ गया है। बहुत कुछ स्वीकार किया है। मन में सवाल आया। पहला पाठ अपने नेता राहुल गांधी को पढ़ाया कि नहीं, गभीर सवाल उठ रहे हैं। राहुल गांधी के खटाखट योजनाओं का क्या होगा। राहुल गांधी ने हिमाचल में क्या क्या बोला था, अब देखिये क्या हाल हुआ है। टॉयलेट टैक्स लगा दिया और अब वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं।

एक बार फिर कांग्रेस की कलई खुल गई-रविशंकर

कर्नाटक की तरह हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस के घोषित चुनावी गारंटियों का जिक्र करते हुए प्रसाद ने कहा, पहले घोषणा करके फिर शुद्ध भाषा में जनता को बेवकूफ बनाकर वोट लेना। बाद में उस योजना को जमीन पर नहीं उतारना। बस, कागज पर ही रहने देना। कांग्रेस का यह आज का इतिहास नहीं है। गरीबी हटाओ की घोषणा कांग्रेस राज में 1971 में की गई थी। गरीबी हटी क्या? घोषणा करो, कोई पूछने वाला नहीं है। एक बार फिर कांग्रेस की कलई खुल गई है और उसकी सच्चाई सामने आ गई है।

जातिगत जनगणना होगी या नहीं? सेंसस कराए जाने की खबर के बीच कांग्रेस ने पूछे बड़े सवाल

#congressraisesquestionsoncensusjairamramesh

केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अगले साल से जनगणना शुरू होगी। सूत्रों के मुताबिक, 2025 से शुरू होकर 2026 तक चलेगी। इसको लेकर अब कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस जाति जनगणना को लेकर बीजेपी से सवाल पूछ रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करके कहा, जाति जनगणना कराना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

दरअसल, केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकार ने इसके लिए रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल को एक्सटेंशन दे दिया है, जिसके लिए अधिसूचित भी जारी कर दी गई है। इसी बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल के एक्सटेंशन को अभी-अभी अधिसूचित किया गया है। इसका मतलब है कि 2021 में होने वाली जनगणना, जो लंबे समय से विलंबित है, अब आख़िरकार जल्द ही करवाई जाएगी। लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है।

इन दो मुद्दों पर उठाए सवाल

-कांग्रेस नेता ने कहा कि 1951 से हर जनगणना में होती आ रही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के अलावा क्या इस नई जनगणना में जातिगत जनगणना भी शामिल होगी? भारत के संविधान के अनुसार ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

-क्या इस जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रावधान है (जो कहता है कि ऐसे किसी पुनर्गठन का वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना और उसके रिजल्ट का प्रकाशन आधार होगा)? क्या इससे उन राज्यों को नुकसान होगा जो परिवार नियोजन में अग्रणी रहे हैं?

साथ ही कांग्रेस नेता ने सरकार से ये भी मांग की की वो इन दो मुद्दों पर स्पष्टता के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाए। उन्होंने कहा इन सवालों का जवाब देने के लिए सबसे सही यही होगा कि जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए।

ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ప్రధాన అనుచరుడు దారుణ హత్య

జగిత్యాల(Jagithyala) జిల్లాలో దారుణం చోటు చేసుకుంది. ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ప్రధాన అనుచరుడు దారుణ హత్యకు(Brutal murder) గరయ్యాడు.

జిల్లాలో దారుణం చోటు చేసుకుంది. ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ప్రధాన అనుచరుడు దారుణ హత్యకు(Brutal murder) గరయ్యాడు. వివరాల్లోకి వెళ్తే..జగిత్యాల రూరల్ మండలం జాబితాపూర్ గ్రామానికి చెందిన మాజీ ఎంపీటీసీ కాంగ్రెస్ పార్టీ సీనియర్ నాయకుడు(Congress leader Ganga Reddy) మారు గంగారెడ్డిని గుర్తు తెలియని దుండగులు హత్య చేశారు.

జగిత్యాలలో గంగారెడ్డి హత్యకు నిరసనగా ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ధర్నాకు దిగారు. జగిత్యాల ఎమ్మెల్యే సంజయ్ కుమార్ ప్రోద్బలం వల్లే గంగారెడ్డి హత్య అని ఆరోపించారు.

కాగా, సమాచారం అందుకున్న పోలీసులు సంఘటన స్థలానికి చేరుకొని కేసు నమోదు చేసుకొని దార్యప్తు చేపట్టారు. పూర్తి వివరాలు తెలియాల్సి ఉంది.

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका, 6 बार के विधायक कैप्टन अजय यादव ने छोड़ी पार्टी

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हरियाणा में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। दक्षिणी हरियाणा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा भेज दिया है। बता दें कि कैप्टन यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू यादव के समधी भी हैं।

अजय यादव ने अपनी इस्तीफे की जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा कि उन्होंने एआईसीसी ओबीसी विभाग के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपा है। इस पोस्ट में उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को भी टैग किया।

बताई पार्टी से मोहभंग होने की वजह

उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे के कारण को बताते हुए कहा, यह निर्णय मेरे लिए वास्तव में कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का कांग्रेस से 70 वर्षों का गहरा संबंध है। मेरे पिता, स्वर्गीय राव अभय सिंह साल 1952 में विधायक बने और उसके बाद मैंने इस पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मुझे पार्टी के उच्चतम स्तर से खराब व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसके चलते मुझे पार्टी से मोहभंग हुआ।

पार्टी में अपनी अनदेखी से थे नाराज

इसी साल के फरवरी महीने में पूर्व वित्त एवं सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव के कांग्रेस से नाराज होने के खबर सामने आई थी। वे हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज थे। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए यह कहते हुए आवेदन भी नहीं किया था कि वे पार्टी के सीनियर नेता हैं। उन्हें आवेदन करने की जरूरत नहीं है। यदि पार्टी को लगता है कि उनकी उपयोगिता है तो वह उन्हें चुनाव लड़वा सकती है अन्यथा वे स्वयं आगे होकर आवेदन नहीं करेंगे।

अहीरवाल में बड़ा झटका

कैप्टन का कांग्रेस को छोड़ना अहीरवाल में बड़ा झटका है। वे पार्टी के एकमात्र बड़े नेता थे। 2019 में वह कैप्टन अजय सिंह यादव गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े थे, हालांकि वह हार गए थे। कैप्टन अजय सिंह यादव ने ऐसे वक्त पर पार्टी छोड़ी है जब शुक्रवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चुनाव होना है। अहीरवाल में कांग्रेस के पास एक वक्त राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अजय यादव की जोड़ी थी लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के बाद अब कैप्टन अजय सिंह यादव ने भी हाथ छोड़ दिया है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024: प्रधानमंत्री मोदी ने किया उद्घाटन, 6G टेक्नोलॉजी और AI पर फोकस"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित India Mobile Congress 2024 का उद्घाटन किया. इंडिया मोबाइल कांग्रेस के इस 8वें संस्करण में भारत और दुनियाभर की कई टेक कंपनियां अपनी नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी को लोगों के सामने शोकेस करेंगी. आज यानी 15 अक्टूबर से India Mobile Congress का आगाज़ हुआ है और 18 अक्टूबर तक ये इवेंट चलेगा, गौर करने वाली बात यह है कि इस टेक इवेंट में 190 से भी ज्यादा देश हिस्सा लेने वाले हैं.

India Mobile Congress 2024 की इस बार थीम का नाम ही है The Future is Now. थीम के नाम से काफी कुछ क्लियर होता नजर आ रहा है जैसे कि इवेंट के दौरान फ्यूचर में नजर आने वाली इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के बारे में काफी कुछ नया देखने को मिलेगा.

क्या होगा खास?

इस टेक इवेंट में एक नहीं बल्कि बहुत सी चीजों पर फोकस रहेगा जैसे कि 5G के बाद अब भारत में तैयार हो रही 6G Technology पर नए अपडेट्स मिलने की उम्मीद है. 6जी टेक्नोलॉजी के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उर्फ AI टेक्नोलॉजी, क्लाउड एंड एज कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर्स, शाओमी कंपनी का नया स्नैपड्रैगन 4एस जेनरेशन 2 प्रोसेसर पर काम करने वाले फोन की झलक, 900 से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों की लेटेस्ट इनोवेशन भी देखने को मिलेंगी.

इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 के अलावा PM Narendra Modi आज WTSA 2024 यानी वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली का भी उद्घाटन करेंगे. वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली को पहली बार इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन द्वारा भारत में आयोजित किया जा रहा है.

जेनरेटिव एआई का दायरा भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है, इस बात को ध्यान में रखते हुए टेक सेक्टर की कई दिग्गज हस्तियां AI पर विचार रख सकती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल इंडिया मोबाइल कांग्रेस में भारत और दुनियाभर से 50 से ज्यादा स्पीकर्स शामिल होने वाले हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अपने विचार को लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं.

बहराइच में बवालःयुवक की मौत पर प्रदर्शन उग्र, हिंसा के बीच कांग्रेस ने मांगा सीएम का इस्तीफा

#bahraich-violencecongressdemandscmyogi_resignation

उत्तर प्रदेश के बहराइच में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए बवाल ने बड़ा रूप ले लिया है। सोमवार सुबह एक बार फिर से बहराइच में आगजनी और तोड़फोड़ की गई। कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई। बाइक के शोरूम और एक अस्पताल में आग लगा दी गई है। वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया है। दवाइयों को जला दिया गया है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में भी हिंसा बढ़ गई है।

मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, सोमवार सुबह रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद एक समुदाय के लोग भड़क गए। भीड़ हाथ में डंडे और लाठी लेकर सड़क पर उतर आए। बाइक शोरूम और एक अस्पताल में आगजनी और तोड़फोड़ की गई है। अस्पताल के अलावा दुकानों और वाहनों में भी आग लगाई है। यूपी के सीएम योगी ने दंगाइयों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ताजा हालात पर रिपोर्ट मांगी है। अफवाह फैलाने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने हत्या के आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के लिए कहा है।

सीएम योगी को अब वापस मठ चले जाना चाहिए-अजय राय

बहराइच हिंसा को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस पार्टी ने इस हिंसा को लेकर यूपी सरकार पर निशाना साधा, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि बीजेपी सरकार में पूरे प्रदेश में जंगल राज कायम हैं। बहराइच में गोली चली, बनारस में 481 साल में भरत मिलाप के दौरान रामभक्तों पर इस सरकार ने लाठी चलवाई। अब उनके बस का कुछ नहीं रह गया है। सीएम योगी को अब वापस मठ चले जाना चाहिए।

सपा ने की सेना बुलाने की मांग

वहीं, समाजदवादी पार्टी ने बहराइच में आगजनी तोड़फोड़ की घटनाओं को लेकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला किया है। सपा नेता आईपी सिंह ने हिंसा को रोकने के लिए सेना को बुलाने की मांग। आईपी सिंह ने पुलिस अधिकारियों के पास बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं होने पर भी सवाल उठाए और कहा कि सरकार को हिंसा को रोकने के लिए सेना को बुलाना चाहिए। आईपी सिंह ने एक्स पर लिखा- 'इस हिंसा को रोकने के लिए सेना बुलाई जाए। हिंसा के दौरान बिना जीवन रक्षक बुलेट प्रूफ जैकेट आदि के एडीजी स्तर के ऐसे किसी पुलिस अफसर को आगे नहीं बढ़ना चाहिए।'

क्या है पूरा मामला

बहराइच में महसी तहसील के महराजगंज कस्बे में गाने को लेकर हुए विवाद के बाद दूसरे समुदाय के युवकों ने पथराव शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, आज तक इस इलाके में जुलूस या विसर्जन के दौरान कभी हिंसा नहीं हुई थी। इस बार हिंसा की शुरुआत डीजे पर आपत्तिजनक नारे लगाने की वजह से हुई। आरोप ये भी है कि मृतक रामगोपाल ने एक जगह हरा झंडा उखाड़कर भगवा झंडा फहराया था, जिसके बाद आपत्तिजनक नारेबाजी और तेज हो गई। जिस इलाके में नारेबाजी की जा रही थी, वह मुस्लिम बाहुल्य इलाका था। आपत्तिजनक नारेबाजी सुनने के बाद दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई। पत्थरबाजी के दौरान ही दूसरे पक्ष की ओर से फायरिंग की गई, जिसमें रामगोपाल को गोली लगी और वह मर गया। राम गोपाल के अलावा कुछ और लोगों को गोली लगी।

हरियाणा हार पर ओवैसी ने कांग्रेस से किए सवाल, कहा- हम चुनाव नहीं लड़े तो मोदी कैसे जीते?

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हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे आए चार दिन हो गए हैं। अब तो सरकार गठन की तारीख भी तय हो गई है। 17 अक्टूबर को हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी सरकार का शपथ ग्रहण होने वाला है। हालांकि, अब तक राज्य में कांग्रेस की हार की चर्चा खत्म नहीं हुई है। इस बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस को जमकर लपेटा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में एआईएमआईएम चुनाव नहीं लड़ी फिर कैसे बीजेपी जीत गई?

ओवैसी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि मोदी जी हरियाणा का इलेक्शन गलती से जीत गए। अब कैसे जीत गए मैं तो वहां पर नहीं था। वरना बोलते बी टीम-बी टीम। ये लोग गए तो ऐसा किए वैसा किए। मगर ये वहां पर हार गए। हारने वालों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों हारे और किस वजह से हारे?

कांग्रेस को ओवैसी की नसीहत

ओवैसी ने आगे कहा, मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि पार्टी मेरी बात समझने की कोशिश करें। अभी भी समय है, अगर मोदी को हराना है तो सबको साथ लेकर चलना होगा। आप अकेले कुछ नहीं कर सकते।

हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार शानदार जीत हासिल की है। बीजेपी ने कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हरियाणा में बीजेपी ने 90 विधानसभा सीट में से 48 सीट जीतीं, जो सरकार बनाने के लिए 46 के जादुई आंकड़े से कहीं अधिक हैं।

क्यों हर बार जीती हुई बाजी हार रही कांग्रेस? ऐसे तो जनता ही नहीं सहयोगियों का भी छूट जाएगा “हाथ”

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इस साल आम चुनाव के बाद जिस विधानसभा चुनाव पर सबसे अधिक ध्यान केंद्रित था, वह महाराष्ट्र का चुनाव था। महाराष्ट्र न केवल उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक सांसद भेजने वाला राज्य है, बल्कि यहाँ देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी स्थित है। इस कारण से यह चुनाव ख़ास था।महाराष्ट्र में एनडीए ने 'महायुति' के नाम से चुनाव लड़ते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में 'महाविकास अघाड़ी' के बैनर तले इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव में यह स्थिति पलट गई।

इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी ने 132 , एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटें जीती हैं। यानी महायुति ने कुल 230 सीटें हासिल कर सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं। इन्हें कुल 46 सीटें मिली हैं और करारी हार का सामना करना पड़ा है।

महाराष्ट्र चुनाव में कभी अकेले दम पर 200 से ज़्यादी सीटें लाने वाली कांग्रेस इस बार के चुनाव में 16 सीटों के लिए भी संघर्ष करती दिखाई दी। लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद माना जा रहा था कि कांग्रेस कहीं ना कहीं वापसी कर रही है, लेकिन नतीजों ने फिर से कांग्रेस की राजनीति को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। कांग्रेस पहले हरियाणा में हारी और अब महाराष्ट्र में उसे बुरी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार ने एक बार फिर देश के राजनीतिक पटल पर और इंडिया ब्लॉक के भीतर कांग्रेस की कमजोर स्थिति को उजागर कर दिया है। 

बीजेपी के सामने निराशाजनक प्रदर्शन

इस साल जून में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को अपेक्षाकृत सफलता मिली थी जहां इसने कुल 99 सीटें हासिल कीं। यह एक ऐसा आंकड़ा था जिस पर कांग्रेस खेमा अपने पिछले एक दशक के प्रदर्शन को देखते हुए खुश था।

हालांकि, पार्टी की बढ़त मुख्य रूप से उन इलाकों तक ही सीमित रही, जहां इसने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए मजबूत सहयोगियों पर बहुत अधिक निर्भरता दिखाई। इन 99 में से 36 सीटें उन राज्यों में मिलीं, जहां कांग्रेस क्षेत्रीय सहयोगियों की अगुआई में काम कर रही थी। इससे उसे वोट ट्रांसफर से काफी फायदा पहुंचा। हालांकि, उन सीटों पर जहां कांग्रेस ने चाहे सीधे तौर पर या फिर किसी तीसरे पक्ष की मौजूदगी में बीजेपी का सामना किया, उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। ऐसी स्थिति में लड़ी गई 168 सीटों में से कांग्रेस महज 30 सीटें ही निकाल पाई। केरल, पंजाब, तेलंगाना, नागालैंड, मेघालय, लक्षद्वीप और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पार्टी को अतिरिक्त जीत मिली, जहां बीजेपी की मौजूदगी मामूली है या जहां उसके सहयोगी दलों ने मुकाबले में बढ़त बनाई है।

कहां चूक रही है कांग्रेस?

मई के बाद देश के विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए हैं। आम चुनावों के बाद से कांग्रेस को कई चुनावी झटके लगे हैं। पार्टी को पहले हरियाणा में हार मिली, जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन खराब रहा और अब महाराष्ट्र में मिली हार ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आख़िर बार- बार कहां चूक रही है कांग्रेस?

11 साल बाद भी समस्याएं जस की तस

महाराष्ट्र में हार के बाद कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि लंबे समय से लंबित मसलों पर फैसला नहीं लेने का बड़ा खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। वह मानते हैं कि इससे कार्यकर्ताओं में हताशा बढ़ रही है। उनकी बात वाजिब लगती है। मिसाल देखें, पार्टी 11 साल पहले जिन-जिन राज्यों में जिन समस्याओं से जूझ रही थी, आज 11 साल बाद भी उन्हीं समस्याओं से दो-चार हो रही है। हरियाणा, राजस्थान से लेकर कई दूसरी जगह उसे गुटबाजी के चलते नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद भी नेतृत्व इस मसले पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाया।

स्थिति बेहतर करने के लिए कोई गंभीर कोशिश नहीं

बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कांग्रेस हाशिये पर पहुंच चुकी है, लेकिन अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए उसने कोई गंभीर कोशिश नहीं की। कार्यकर्ता मान रहे थे कि मल्लिकार्जुन खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद चीजें साफ होंगी, संगठन के स्तर पर नए चेहरों को मौका मिलेगा और इसका विस्तार भी होगा। लेकिन, बदलाव के नाम पर रस्मअदायगी कर दी गई। पार्टी का एक वर्ग मानता है कि कांग्रेस नेतृत्व ने यथास्थितिवाद को इतना खींच दिया है कि अब अगर बड़ा बदलाव नहीं हुआ तो सीधे उसे ही सख्त सवालों का सामना करना पड़ सकता है।

सहयोगी दलों में असंतोष

कांग्रेस के ढुलमुल रवैये और फैसला न लेने की प्रवृत्ति से अब सहयोगी दल भी नाराज हैं। सहयोगी क्षेत्रीय दलों का मानना है कि कांग्रेस फैसले से लेकर तमाम मसलों में न सिर्फ चीजों को उलझा कर रखती है बल्कि अपनी अव्यावहारिक शर्तें थोपती है। एक क्षेत्रीय दल के वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद जो परिस्थिति बनी, उसमें कांग्रेस की बात मानना सियासी मजबूरी बन गई थी। इससे कांग्रेस कुछ अधिक ही आक्रामक हो गई। लेकिन, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र में हार के बाद क्षेत्रीय दल एक बार फिर कांग्रेस पर दबाव बनाएंगे।

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ప్రజా విజయోత్సవాలు

తెలంగాణ రాష్ట్రంలో రేవంత్ రెడ్డి సర్కార్ ఏర్పడి ఏడాది పూర్తి చేసుకుంటున్న సందర్భంగా ఘనంగా విజయోత్సవాలు నిర్వహించాలని నిర్ణయించింది. అందుకోసం డిప్యూటీ సీఎం భట్టి విక్రమార్క నేతృత్వంలో సబ్ కమిటీని ప్రభుత్వం నియమించింది. సచివాలయంలో ఈ కమిటీ సమావేశమై విజయోత్సవ ఉత్సవాలపై చర్చించింది.

తెలంగాణ (Telangana)లో కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం (Congress Govt.,) ఏర్పడి డిసెంబర్ 7వ తేదీతో ఏడాది పూర్తి అవుతుంది. ఈ నేపథ్యంలో నవంబర్ 14 నుంచి డిసెంబర్ 9 వరకు 26 రోజుల (26 days) పాటు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ప్రజా విజయోత్సవాలు (Public celebrations) నిర్వహించాలని ప్రభుత్వం నిర్ణయించింది. ఆ మేరకు కేబినెట్ సబ్ కమిటీ నిర్ణయం తీసుకుంది. రాష్ట్రంలో రేవంత్ రెడ్డి సర్కార్ (Revanth Govt.,) ఏర్పడి ఏడాది పూర్తి చేసుకుంటున్న సందర్భంగా ఘనంగా విజయోత్సవాలు నిర్వహించాలని నిర్ణయించింది. అందుకోసం డిప్యూటీ సీఎం భట్టి విక్రమార్క నేతృత్వంలో సబ్ కమిటీని ప్రభుత్వం నియమించింది. సచివాలయంలో ఈ కమిటీ సమావేశమై విజయోత్సవ ఉత్సవాలపై చర్చించింది.

ఈ నెల 14వ తేదీ నుంచి డిసెంబర్ 9వ తేదీ వరకు 26 రోజుల పాటు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా పెద్ద ఎత్తున ప్రజా విజయోత్సవాలను నిర్వహించాలని నిర్ణయించినట్లు భట్టి విక్రమార్క తెలిపారు. ప్రజా ప్రభుత్వం సంవత్సర కాలంలో దేశంలోని మరే రాష్ట్ర ప్రభుత్వం చేపట్టలేని విప్లవాత్మక, ఎన్నో అభివృద్ధి సంక్షేమ కార్యక్రమాలను చేపట్టిందని ఆయన పేర్కొన్నారు. ఆ కార్యక్రమాలను పెద్ద ఎత్తున ప్రజల్లోకి తీసుకువెళ్లాలని నిర్ణయించినట్లు తెలిపారు. ప్రభుత్వ గ్యారంటీ పథకాలైన మహిళలకు ఉచిత బస్సు ప్రయాణం, రూ. 5 వందలకే గ్యాస్ సిలిండర్, 2 వందల యూనిట్ల ఉచిత విద్యుత్, రాజీవ్ ఆరోగ్యశ్రీ, ఇందిరా మహిళా శక్తి తదితర పథకాలతోపాటు ప్రభుత్వం అమలు చేస్తున్న అనేక అభివృద్ధి సంక్షేమ పథకాలపై 26 రోజులపాటు చైతన్య పరిచేలా కార్యక్రమాలు చేయనున్నారు. కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వం ఇప్పటికే 50 వేల ఉద్యోగ నియామకాలు చేసిందని, దాదాపు రూ. 18 వేల కోట్ల వ్యవసాయ రుణాలు మాఫీ చేయడంతోపాటు మహిళా సంఘాలకు రూ. 20 వేల కోట్ల వడ్డీ లేని రుణాలు అందజేశామని పేర్కొన్నారు.

మూతపడిన ములుగు జిల్లాలోని కమలాపూర్‌ రేయాన్స్‌ పరిశ్రమను రూ.4 వేల కోట్లతో పునరుద్ధరించబోతున్నామన్నామని భట్టి విక్రమార్క తెలిపారు. వీటిని విస్తృతంగా ప్రచారం చేయాలని నిర్ణయించారు. పండిట్ జవహర్‌లాల్ నెహ్రూ జయంతి ఈ నెల 14న రోజున ప్రారంభమయ్యే ఈ ‘ప్రజా విజయోత్సవాల’ సందర్భంగా రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా అన్ని జిల్లాల కేంద్రంలో సాంస్కృతిక కార్యక్రమాలను నిర్వహిస్తామన్నారు. చివరి రోజైన డిసెంబరు 9న హైదరాబాద్‌లో వేలాది మంది కళాకారులతో ప్రదర్శనలు, లేజర్‌ షోలు, క్రాకర్స్‌ ప్రదర్శనలు ఉంటాయన్నారు. ఇటీవల తెలంగాణ పబ్లిక్‌ సర్వీస్‌ కమిషన్‌ ద్వారా ఎంపికైన గ్రూప్‌-4 అభ్యర్థులకు నియామక పత్రాలను అందజేస్తామని తెలిపారు. వివిధ శాఖలకు సంబంధించిన పాలసీ విధానాలను ప్రకటిస్తారు.

కాగా 26 రోజుల వేడుకల్లో భాగంగా కంపెనీలతో పరిశ్రమల ఏర్పాటుకు ఒప్పందాలు చేసుకుంటారు. స్సోర్ట్స్ యూనివర్శిటీకి ఫౌండేషన్, 16 నర్సింగ్ కళాశాలలు, 28 పారామెడికల్ కాలేజీల ప్రారంభోత్సవం, ఉస్మానియా ఆస్పత్రి నూతన భవన నిర్మాణానికి శంకుస్థాపన చేస్తారు. కొత్తగా ఏర్పాటు చేసిన రాష్ట్ర డిజాస్టర్ రస్పాన్స్ ఫోర్స్ ప్రారంభిస్తారు. పోలీస్ శాఖ ద్వారా డ్రగ్స్ వ్యతిరేక కార్యక్రమాలు, డాగ్ షోలు, పోలీస్ బ్యాండ్ ప్రదన్శలు నిర్వహిస్తారు. అందుకు సంబంధించిన పకడ్బంధి ఏర్పాట్లను చేయాలని సంబంధిత శాఖ కార్యదర్శులను భట్టి విక్రమార్క ఆదేశించారు.

విధ్వంసం సృష్టించి విజయోత్సవాలా

ఎనుముల వారి ఏడాది పాలనలో చెప్పుకోవడానికి ఏమున్నది గర్వకారణం అంటే.. మూసీలో లక్షన్నర కోట్ల మూటల వేట.. కొడంగల్ లిఫ్టులో వేల కోట్ల కాసుల వేట.. బావమరిదికి అమృత్ టెండర్లు, కొడుకులకు వేలకోట్ల కాంట్రాక్టులు కట్టబెట్టే ముఖ్యమంత్రి, మంత్రులు జరుపుకోవాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. “కరప్షన్ కార్నివాల్” అని కేటీఆర్ విమర్శించారు.

రాష్ట్రంలో కోలుకోలేని విధ్వంసం సృష్టించి విజయోత్సవాలు నిర్వహిస్తారా.. ఎనుముల వారి ఏడాది ఏలికలో.. తెలంగాణ (Telangana) బతుకు చీలికలు, పీలికలైందని, కాంగ్రెస్ సర్కారు (Congress Govt.,) కొలువుదీరి సంవత్సరం పూర్తవుతున్న సందర్భంగా నిర్వహించాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. ‘కుంభకోణాల కుంభమేళా’ అంటూ బీఆర్ఎస్ వర్కింగ్ ప్రెసిడెంట్, మాజీ మంత్రి కేటీఆర్ (KTR) ‘ఎక్స్’ సోషల్ మీడియా (Social Media) వేదికగా విమర్శలు (Comments) గుప్పించారు. ఎన్నికల్లో ఇచ్చిన ప్రతి హామీకి పాతరేసిన నేపథ్యంలో జరపాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. ప్రజావంచన వారోత్సవాలని అన్నారు.

ఎనుముల వారి ఏడాది పాలనలో చెప్పుకోవడానికి ఏమున్నది గర్వకారణం అంటే.. మూసీలో లక్షన్నర కోట్ల మూటల వేట.. కొడంగల్ లిఫ్టులో వేల కోట్ల కాసుల వేట.. బావమరిదికి అమృత్ టెండర్లు, కొడుకులకు వేలకోట్ల కాంట్రాక్టులు కట్టబెట్టే ముఖ్యమంత్రి, మంత్రులు జరుపుకోవాల్సింది విజయోత్సవాలు కాదని.. “కరప్షన్ కార్నివాల్” అని కేటీఆర్ అన్నారు. ఏడాది కాలంగా ప్రతిరోజూ పరిపాలనా వైఫల్యాలకు కేరాఫ్ కాంగ్రెస్ సర్కారని.. సకల రంగాల్లో సంక్షోభం తప్ప సంతోషం లేని సందర్భాలకు చిరునామా రేవంత్ పాలన అని.. మరి ఏ ముఖం పెట్టుకుని విజయోత్సవాలు నిర్వహిస్తారని కేటీఆర్ ప్రశ్నించారు.

ప్రజలకిచ్చిన 6 గ్యారెంటీలు, 420 హామీల్లో ఒక్కటంటే ఒక్క వాగ్దానం కూడా సరిగ్గా అమలుచేయకుండా జనం పైసలతో 25 రోజులపాటు జల్సాలు చేసుకుంటారా.. అని కేటీఆర్ ప్రశ్నించారు. ‘‘రుణమాఫీ కాక, పెట్టుబడి సాయం అందక పేద రైతులు దు:ఖంలో ఉంటే.. మీరు వందల కోట్లతో విజయోత్సవాలు చేసుకుంటారా.. హైడ్రా, మూసీ బాధితులు బాధలో ఉంటే మీరు బాజాభజంత్రీలతో పండుగ చేసుకుంటారా.. ఆడబిడ్డలు రక్షణ లేక అల్లాడుతుంటే మీరు విజయోత్సవాల పేరిట విర్రవీగుతారా.. వృద్ధులు పింఛన్ల పెంపు కోసం వెయ్యి కళ్లతో ఎదురుచూస్తుంటే మీరు దయలేకుండా దావత్‌లు చేసుకుంటారా‘‘ అంటూ కేటీఆర్ ధ్వజమెత్తారు.

బీఆర్ఎస్ భర్తీ చేసిన ఉద్యోగాల ప్రక్రియను కాంగ్రెస్ ఖాతాలో వేసుకోవడం నయవంచన కాదా.. అని కేటీఆర్ ప్రశ్నించారు. పావుశాతం కూడా రుణమాఫీ పూర్తిచేయకుండా వందశాతం చేశామని చెప్పుకోవడం దగా కాదా.. 200 యూనిట్ల ఉచిత విద్యుత్, 500 కే సిలిండర్ పథకాలకు సవాలక్ష ఆంక్షలు పెట్టి మెజారిటీ అర్హులను దూరం చేయడం మోసం కాదా.. 75 ఏళ్ల స్వతంత్య్ర భారత చరిత్రలో అతితక్కువ సమయంలో అత్యధిక ప్రజావ్యతిరేకత మూటగట్టుకున్న తొలి ప్రభుత్వం, ఏకైక రాష్ట్ర ప్రభుత్వం ఇదేనని.. ఈ ముఖ్యమంత్రికి పాలనపై పట్టు కాదు.. ఈ ప్రభుత్వానికి తెలంగాణపై ప్రేమలేదని విమర్శించారు. పేదల ఇళ్లు కూల్చి రోడ్డున పడేసిన కాంగ్రెస్ సర్కారుకు అసలు మనసే లేదని. విజయోత్సవాలు అంటే ఏంటో కూడా తెలియని ఈ అసమర్థ పాలకులకు ఆ పదాన్ని వాడే హక్కే లేదని కేటీఆర్ ఘాటుగా వ్యాఖ్యానించారు.

खरगे की खरी-खरीः 'उतनी ही गारंटी का वादा करें, जितना दे सकें...' कांग्रेस अध्यक्ष को क्यों कहना पड़ा ऐसा?

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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है। हाल ही में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का एक बयान आया था कि राज्य सरकार ‘शक्ति’ गारंटी योजना की समीक्षा करेगी। इस स्कीम के तहत राज्य में महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा मिलती है। ऐसे में खुद कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी ही कांग्रेस सरकार की खिंचाई की है। कर्नाटक में मुफ्त बस योजना पर समीक्षा की बातों पर खरगे ने नाराजगी जताई और कहा कि उतना ही वादा कीजिए, जितनी पूरी हो जाए।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शिवकुमार के इस बयान पर निराशा जाहिर करते हुए कहा था, आपने राज्य के लोगों को कुछ गारंटी दी हैं। उन्हें देखने के बाद मैंने भी महाराष्ट्र में कहा था कि कर्नाटक में 5 गारंटी हैं। अब आपने (शिवकुमार) कह दिया कि आप एक गारंटी छोड़ देंगे। समीक्षा की बात कहकर आपने संदेह पैदा कर दिया है। मैंने उनसे (महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं) कहा कि पांच, छह, सात या आठ गारंटी के वादे मत करते रहो। इसके बजाय ऐसे वादे करो जो आपके बजट के अनुरूप हों। जो लोग आलोचना करना चाहते हैं, उनके लिए इतना ही काफी है। उन्होंने सिद्धारमैया सरकार को अपने वादों पर कायम रहने की हिदायत दी।

खड़ने ने पार्टी नेताओं को चेताया और कहा, यदि आप बजट पर विचार किए बिना वादे करते हैं तो यह दिवालियापन की ओर ले जाएगा।सड़कों पर रेत डालने के भी पैसे नहीं होंगे। अगर यह सरकार असफल हुई तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा।इससे बदनामी होगी और सरकार को अगले दस वर्षों तक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए बजट पर सावधानी से विचार करने की जरूरत है।

खरगे के बयान पर बीजेपी ने घेरा

अब खरगे के इसी बयान को भाजपा ने हाथों-हाथ लपका है। नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने खरगे की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि पहली बार कांग्रेस ने यह स्वीकार किया है कि उसकी चुनावी घोषणाएं, जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए होती हैं।

राहुल गांधी के खटाखट योजनाओं का क्या होगा-रविशंकर

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि खरगे साहब को बहुत ज्ञान आ गया है। बहुत कुछ स्वीकार किया है। मन में सवाल आया। पहला पाठ अपने नेता राहुल गांधी को पढ़ाया कि नहीं, गभीर सवाल उठ रहे हैं। राहुल गांधी के खटाखट योजनाओं का क्या होगा। राहुल गांधी ने हिमाचल में क्या क्या बोला था, अब देखिये क्या हाल हुआ है। टॉयलेट टैक्स लगा दिया और अब वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं।

एक बार फिर कांग्रेस की कलई खुल गई-रविशंकर

कर्नाटक की तरह हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस के घोषित चुनावी गारंटियों का जिक्र करते हुए प्रसाद ने कहा, पहले घोषणा करके फिर शुद्ध भाषा में जनता को बेवकूफ बनाकर वोट लेना। बाद में उस योजना को जमीन पर नहीं उतारना। बस, कागज पर ही रहने देना। कांग्रेस का यह आज का इतिहास नहीं है। गरीबी हटाओ की घोषणा कांग्रेस राज में 1971 में की गई थी। गरीबी हटी क्या? घोषणा करो, कोई पूछने वाला नहीं है। एक बार फिर कांग्रेस की कलई खुल गई है और उसकी सच्चाई सामने आ गई है।

जातिगत जनगणना होगी या नहीं? सेंसस कराए जाने की खबर के बीच कांग्रेस ने पूछे बड़े सवाल

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केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अगले साल से जनगणना शुरू होगी। सूत्रों के मुताबिक, 2025 से शुरू होकर 2026 तक चलेगी। इसको लेकर अब कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस जाति जनगणना को लेकर बीजेपी से सवाल पूछ रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करके कहा, जाति जनगणना कराना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

दरअसल, केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकार ने इसके लिए रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल को एक्सटेंशन दे दिया है, जिसके लिए अधिसूचित भी जारी कर दी गई है। इसी बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल के एक्सटेंशन को अभी-अभी अधिसूचित किया गया है। इसका मतलब है कि 2021 में होने वाली जनगणना, जो लंबे समय से विलंबित है, अब आख़िरकार जल्द ही करवाई जाएगी। लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है।

इन दो मुद्दों पर उठाए सवाल

-कांग्रेस नेता ने कहा कि 1951 से हर जनगणना में होती आ रही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के अलावा क्या इस नई जनगणना में जातिगत जनगणना भी शामिल होगी? भारत के संविधान के अनुसार ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

-क्या इस जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रावधान है (जो कहता है कि ऐसे किसी पुनर्गठन का वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना और उसके रिजल्ट का प्रकाशन आधार होगा)? क्या इससे उन राज्यों को नुकसान होगा जो परिवार नियोजन में अग्रणी रहे हैं?

साथ ही कांग्रेस नेता ने सरकार से ये भी मांग की की वो इन दो मुद्दों पर स्पष्टता के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाए। उन्होंने कहा इन सवालों का जवाब देने के लिए सबसे सही यही होगा कि जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए।

ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ప్రధాన అనుచరుడు దారుణ హత్య

జగిత్యాల(Jagithyala) జిల్లాలో దారుణం చోటు చేసుకుంది. ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ప్రధాన అనుచరుడు దారుణ హత్యకు(Brutal murder) గరయ్యాడు.

జిల్లాలో దారుణం చోటు చేసుకుంది. ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ప్రధాన అనుచరుడు దారుణ హత్యకు(Brutal murder) గరయ్యాడు. వివరాల్లోకి వెళ్తే..జగిత్యాల రూరల్ మండలం జాబితాపూర్ గ్రామానికి చెందిన మాజీ ఎంపీటీసీ కాంగ్రెస్ పార్టీ సీనియర్ నాయకుడు(Congress leader Ganga Reddy) మారు గంగారెడ్డిని గుర్తు తెలియని దుండగులు హత్య చేశారు.

జగిత్యాలలో గంగారెడ్డి హత్యకు నిరసనగా ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి ధర్నాకు దిగారు. జగిత్యాల ఎమ్మెల్యే సంజయ్ కుమార్ ప్రోద్బలం వల్లే గంగారెడ్డి హత్య అని ఆరోపించారు.

కాగా, సమాచారం అందుకున్న పోలీసులు సంఘటన స్థలానికి చేరుకొని కేసు నమోదు చేసుకొని దార్యప్తు చేపట్టారు. పూర్తి వివరాలు తెలియాల్సి ఉంది.

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका, 6 बार के विधायक कैप्टन अजय यादव ने छोड़ी पार्टी

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हरियाणा में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। दक्षिणी हरियाणा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा भेज दिया है। बता दें कि कैप्टन यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू यादव के समधी भी हैं।

अजय यादव ने अपनी इस्तीफे की जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा कि उन्होंने एआईसीसी ओबीसी विभाग के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपा है। इस पोस्ट में उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को भी टैग किया।

बताई पार्टी से मोहभंग होने की वजह

उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे के कारण को बताते हुए कहा, यह निर्णय मेरे लिए वास्तव में कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का कांग्रेस से 70 वर्षों का गहरा संबंध है। मेरे पिता, स्वर्गीय राव अभय सिंह साल 1952 में विधायक बने और उसके बाद मैंने इस पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मुझे पार्टी के उच्चतम स्तर से खराब व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसके चलते मुझे पार्टी से मोहभंग हुआ।

पार्टी में अपनी अनदेखी से थे नाराज

इसी साल के फरवरी महीने में पूर्व वित्त एवं सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव के कांग्रेस से नाराज होने के खबर सामने आई थी। वे हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज थे। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए यह कहते हुए आवेदन भी नहीं किया था कि वे पार्टी के सीनियर नेता हैं। उन्हें आवेदन करने की जरूरत नहीं है। यदि पार्टी को लगता है कि उनकी उपयोगिता है तो वह उन्हें चुनाव लड़वा सकती है अन्यथा वे स्वयं आगे होकर आवेदन नहीं करेंगे।

अहीरवाल में बड़ा झटका

कैप्टन का कांग्रेस को छोड़ना अहीरवाल में बड़ा झटका है। वे पार्टी के एकमात्र बड़े नेता थे। 2019 में वह कैप्टन अजय सिंह यादव गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े थे, हालांकि वह हार गए थे। कैप्टन अजय सिंह यादव ने ऐसे वक्त पर पार्टी छोड़ी है जब शुक्रवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चुनाव होना है। अहीरवाल में कांग्रेस के पास एक वक्त राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अजय यादव की जोड़ी थी लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के बाद अब कैप्टन अजय सिंह यादव ने भी हाथ छोड़ दिया है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024: प्रधानमंत्री मोदी ने किया उद्घाटन, 6G टेक्नोलॉजी और AI पर फोकस"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित India Mobile Congress 2024 का उद्घाटन किया. इंडिया मोबाइल कांग्रेस के इस 8वें संस्करण में भारत और दुनियाभर की कई टेक कंपनियां अपनी नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी को लोगों के सामने शोकेस करेंगी. आज यानी 15 अक्टूबर से India Mobile Congress का आगाज़ हुआ है और 18 अक्टूबर तक ये इवेंट चलेगा, गौर करने वाली बात यह है कि इस टेक इवेंट में 190 से भी ज्यादा देश हिस्सा लेने वाले हैं.

India Mobile Congress 2024 की इस बार थीम का नाम ही है The Future is Now. थीम के नाम से काफी कुछ क्लियर होता नजर आ रहा है जैसे कि इवेंट के दौरान फ्यूचर में नजर आने वाली इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के बारे में काफी कुछ नया देखने को मिलेगा.

क्या होगा खास?

इस टेक इवेंट में एक नहीं बल्कि बहुत सी चीजों पर फोकस रहेगा जैसे कि 5G के बाद अब भारत में तैयार हो रही 6G Technology पर नए अपडेट्स मिलने की उम्मीद है. 6जी टेक्नोलॉजी के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उर्फ AI टेक्नोलॉजी, क्लाउड एंड एज कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर्स, शाओमी कंपनी का नया स्नैपड्रैगन 4एस जेनरेशन 2 प्रोसेसर पर काम करने वाले फोन की झलक, 900 से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों की लेटेस्ट इनोवेशन भी देखने को मिलेंगी.

इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 के अलावा PM Narendra Modi आज WTSA 2024 यानी वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली का भी उद्घाटन करेंगे. वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली को पहली बार इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन द्वारा भारत में आयोजित किया जा रहा है.

जेनरेटिव एआई का दायरा भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है, इस बात को ध्यान में रखते हुए टेक सेक्टर की कई दिग्गज हस्तियां AI पर विचार रख सकती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल इंडिया मोबाइल कांग्रेस में भारत और दुनियाभर से 50 से ज्यादा स्पीकर्स शामिल होने वाले हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अपने विचार को लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं.

बहराइच में बवालःयुवक की मौत पर प्रदर्शन उग्र, हिंसा के बीच कांग्रेस ने मांगा सीएम का इस्तीफा

#bahraich-violencecongressdemandscmyogi_resignation

उत्तर प्रदेश के बहराइच में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए बवाल ने बड़ा रूप ले लिया है। सोमवार सुबह एक बार फिर से बहराइच में आगजनी और तोड़फोड़ की गई। कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई। बाइक के शोरूम और एक अस्पताल में आग लगा दी गई है। वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया है। दवाइयों को जला दिया गया है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में भी हिंसा बढ़ गई है।

मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, सोमवार सुबह रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद एक समुदाय के लोग भड़क गए। भीड़ हाथ में डंडे और लाठी लेकर सड़क पर उतर आए। बाइक शोरूम और एक अस्पताल में आगजनी और तोड़फोड़ की गई है। अस्पताल के अलावा दुकानों और वाहनों में भी आग लगाई है। यूपी के सीएम योगी ने दंगाइयों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ताजा हालात पर रिपोर्ट मांगी है। अफवाह फैलाने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने हत्या के आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के लिए कहा है।

सीएम योगी को अब वापस मठ चले जाना चाहिए-अजय राय

बहराइच हिंसा को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस पार्टी ने इस हिंसा को लेकर यूपी सरकार पर निशाना साधा, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि बीजेपी सरकार में पूरे प्रदेश में जंगल राज कायम हैं। बहराइच में गोली चली, बनारस में 481 साल में भरत मिलाप के दौरान रामभक्तों पर इस सरकार ने लाठी चलवाई। अब उनके बस का कुछ नहीं रह गया है। सीएम योगी को अब वापस मठ चले जाना चाहिए।

सपा ने की सेना बुलाने की मांग

वहीं, समाजदवादी पार्टी ने बहराइच में आगजनी तोड़फोड़ की घटनाओं को लेकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला किया है। सपा नेता आईपी सिंह ने हिंसा को रोकने के लिए सेना को बुलाने की मांग। आईपी सिंह ने पुलिस अधिकारियों के पास बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं होने पर भी सवाल उठाए और कहा कि सरकार को हिंसा को रोकने के लिए सेना को बुलाना चाहिए। आईपी सिंह ने एक्स पर लिखा- 'इस हिंसा को रोकने के लिए सेना बुलाई जाए। हिंसा के दौरान बिना जीवन रक्षक बुलेट प्रूफ जैकेट आदि के एडीजी स्तर के ऐसे किसी पुलिस अफसर को आगे नहीं बढ़ना चाहिए।'

क्या है पूरा मामला

बहराइच में महसी तहसील के महराजगंज कस्बे में गाने को लेकर हुए विवाद के बाद दूसरे समुदाय के युवकों ने पथराव शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, आज तक इस इलाके में जुलूस या विसर्जन के दौरान कभी हिंसा नहीं हुई थी। इस बार हिंसा की शुरुआत डीजे पर आपत्तिजनक नारे लगाने की वजह से हुई। आरोप ये भी है कि मृतक रामगोपाल ने एक जगह हरा झंडा उखाड़कर भगवा झंडा फहराया था, जिसके बाद आपत्तिजनक नारेबाजी और तेज हो गई। जिस इलाके में नारेबाजी की जा रही थी, वह मुस्लिम बाहुल्य इलाका था। आपत्तिजनक नारेबाजी सुनने के बाद दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई। पत्थरबाजी के दौरान ही दूसरे पक्ष की ओर से फायरिंग की गई, जिसमें रामगोपाल को गोली लगी और वह मर गया। राम गोपाल के अलावा कुछ और लोगों को गोली लगी।

हरियाणा हार पर ओवैसी ने कांग्रेस से किए सवाल, कहा- हम चुनाव नहीं लड़े तो मोदी कैसे जीते?

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हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे आए चार दिन हो गए हैं। अब तो सरकार गठन की तारीख भी तय हो गई है। 17 अक्टूबर को हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी सरकार का शपथ ग्रहण होने वाला है। हालांकि, अब तक राज्य में कांग्रेस की हार की चर्चा खत्म नहीं हुई है। इस बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस को जमकर लपेटा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में एआईएमआईएम चुनाव नहीं लड़ी फिर कैसे बीजेपी जीत गई?

ओवैसी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि मोदी जी हरियाणा का इलेक्शन गलती से जीत गए। अब कैसे जीत गए मैं तो वहां पर नहीं था। वरना बोलते बी टीम-बी टीम। ये लोग गए तो ऐसा किए वैसा किए। मगर ये वहां पर हार गए। हारने वालों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों हारे और किस वजह से हारे?

कांग्रेस को ओवैसी की नसीहत

ओवैसी ने आगे कहा, मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि पार्टी मेरी बात समझने की कोशिश करें। अभी भी समय है, अगर मोदी को हराना है तो सबको साथ लेकर चलना होगा। आप अकेले कुछ नहीं कर सकते।

हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार शानदार जीत हासिल की है। बीजेपी ने कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हरियाणा में बीजेपी ने 90 विधानसभा सीट में से 48 सीट जीतीं, जो सरकार बनाने के लिए 46 के जादुई आंकड़े से कहीं अधिक हैं।