ट्रंप के टैरिफ वार के बीच भारत की अहम “चाल”, 1 अप्रैल से हटाएगा गुगल टैक्स
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। उससे पहले भारत सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है।भारत सरकार ने 1 अप्रैल से गूगल और मेटा जैसी कंपनियों की ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगाए जाने वाले 6% के गूगल टैक्स (इक्वलाइजेशन लेवी) को हटाने का प्रस्ताव रखा है। इस टैक्स को व्यापक रूप से गूगल टैक्स के रूप में जाना जाता है। भारत सरकार के इस कदम का उद्देश्य संभवतः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शांत करना है।
गूगल टैक्स पर सरकार का प्रस्ताव
ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर कोई देश अमेरिका की टेक कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाएगा तो वह 2 अप्रैल से उन पर जवाबी शुल्क लगाएंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में वित्त विधेयक में 59 संशोधन पेश किए। यह प्रावधान उन्हीं संशोधनों में शामिल है। इक्वलाइजेशन लेवी को हटाने का प्रस्ताव भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत के बीच आया है।
क्या दबाव में लिया गया फैसला?
यह कदम भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा और 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा बराबरी वाला शुल्क लगाए जाने से पहले उठाया गया है। जानकारों का कहना है कि यह कदम भारत के व्यापारिक रुख को लचीला दिखाने का प्रयास है और अमेरिकी विरोध को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। गूगल टैक्स हटाने से भारत अमेरिका के टैरिफ वार से बच पाएगा या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है।
गूगल टैक्स होता क्या है?
भारत में इक्वलाइजेशन लेवी या गूगल टैक्स की शुरुआत 2016 में की गई थी। इसका मकसद था भारत से विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को होने वाली आय पर टैक्स लगाना। गूगल टैक्स एक टैक्स है, जिसे सेवा प्राप्तकर्ता द्वारा पेमेंट के समय लगाया जाता है। शर्त यही होती है कि जिस कंपनी को विज्ञापन के बदले टैक्स दिया जा रहा है वह विदेशी हो। वित्त अधिनियम, 2020 ने इस टैक्स का दायरा 1 अप्रैल, 2020 को या उसके बाद की गई ई-कॉमर्स सप्लाई और सेवाओं तक 2% की दर से बढ़ा दिया था। हालांकि, जुलाई 2024 में प्रस्तुत केंद्रीय बजट में इसे अगस्त 2024 से समाप्त कर दिया गया।
Mar 27 2025, 11:29