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రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా చంద్రబాబు లోకేష్ శుభాకాంక్షలు

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు, విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు (75th Constitution, Day celebrations) ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ వేడుకలను వైభవంగా నిర్వహించాలని రాష్ట్ర ప్రభుత్వం (AP Govt.,) నిర్ణయించింది. 1949 నవంబరు 26వ తేదీన కానిస్టిట్యుయెంట్ అసెంబ్లీ ఆఫ్ ఇండియా కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియాను అడాప్ట్ చేసుకుంది. 1950 నవంబరు 26 నుండి భారత రాజ్యాంగం (Constitution of India) అమలులోకి వచ్చింది. అమలులోకి వచ్చి నవంబర్ 26వ తేదికి 75 వసంతాలు పూర్తి అవుతున్న సందర్భంగా రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ఘనంగా నిర్వహించాలని ప్రభుత్వం నిర్ణయించింది. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు (CM Chandrababu), విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ (Minister Lokesh) ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

ఈ సందర్బంగా సీఎం చంద్రబాబు మాట్లాడుతూ.. ‘‘భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ నిర్వహించుకునే 'రాజ్యాంగ దినోత్సవం' సందర్భంగా ప్రజలకు నా శుభాకాంక్షలు. డాక్టర్ బాబా సాహెబ్ అంబేద్కర్ నేతృత్వంలో మనం రూపొందించుకున్న భారత రాజ్యాంగం, ప్రపంచ ప్రజాస్వామ్య దేశాలకే దిక్సూచి అనడంలో సందేహం లేదు. భారతదేశంలో ఎన్నో మతాలు, కులాలు, జాతులు కలిసి మనుగడ సాగిస్తున్నాయంటే అది మన రాజ్యాంగం గొప్పతనమే. అంతటి మహత్తరమైన రాజ్యాంగాన్ని మనకు అందించిన డాక్టర్ అంబేద్కర్ మనకు ప్రాత:స్మరణీయుడు. రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా ఆ మహనీయుడికి నా ఘన నివాళి అర్పిస్తున్నాను. రాజ్యాంగ స్ఫూర్తితో ప్రజాస్వామ్యాన్ని కాపాడుకుంటూ సమానత్వంతో కూడిన అభివృద్ధి సాధించడమే లక్ష్యంగా పురోగమిస్తామని రాష్ట్ర ప్రజలకు హామీ ఇస్తున్నాను’’ అని వ్యాఖ్యానించారు.

ముఖ్యమంత్రి చంద్రబాబు నాయుడు ఉదయం 11.30 గంటలకు సచివాలయానికి వస్తారు.11.30 గంటలకు సచివాలయంలోని 5వ బ్లాక్‌లో రాజ్యాంగ దినోత్సవంలో పాల్గొంటారు.12.30 గంటలకు ఐటీ పాలసీపై సమీక్ష నిర్వహిస్తారు. సాయంత్రం 6 గంటలకు జీ.ఎస్.డబ్ల్యూ.ఎస్ డిపార్ట్ మెంట్‌పై సమీక్ష జరుపుతారు.

రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా మంత్రి నారా లోకేష్ అందరికీ శుభాకాంక్షలు తెలిపారు. ప్రపంచంలోనే అతిపెద్ద ప్రజాస్వామ్యం ఉన్న మనదేశంలో భిన్నత్వంలో ఏకత్వమని, ప్రజల హక్కుల పరిరక్షణ, ప్రజాస్వామ్యస్ఫూర్తిని కాపాడడంలో భారత రాజ్యాంగందే కీలక పాత్ర అని వ్యాఖ్యానించారు. రాజ్యాంగం అమలులోకి వచ్చి 75వ వసంతంలోకి అడుగు పెడుతున్న శుభ సందర్భంలో రాజ్యాంగ నిర్మాతలైన డాక్టర్ బీఆర్ అంబేద్కర్, న్యాయ కోవిదులు, రాజ్యాంగ నిపుణులు, స్వాతంత్య్ర సమరయోధుల సేవలను స్మరించుకోవడం మన కర్తవ్యమని అన్నారు. వచ్చే విద్యా సంవత్సరం నుంచి కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియా ఫర్ చిల్డ్రన్ పేరుతో ప్రత్యేకంగా ఒక పుస్తకం రూపొందించి అందించబోతున్నామని చెప్పారు. ప్రాథమిక హక్కులు, ఇతర అంశాల గురించి విద్యార్థి దశ నుండే సులభంగా అర్ధం అయ్యేలా చెయ్యడమే ఈ పుస్తకం లక్ష్యమని మంత్రి లోకేష్ వెల్లడించారు.

आज मनाया जाएगा संविधान दिवस, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को करेंगी संबोधित

#constitutiondaypresidentdraupadimurmuaddressbothhousesof_parliament

संसद का शीतकालीन सत्र कल से यानी 25 नवंबर से शुरू हो चुका है। शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा।आज यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर सदन में विशेष कार्यक्रम का आयोजन होगा। भारत की राष्ट्रपति ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी।भारत की राष्ट्रपति ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी।

26 नवंबर, को संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ आयोजित की जा रही है। संविधान दिवस का यह कार्यक्रम संविधान सदन (पुराने संसद भवन) के सेंट्रल हॉल में होगा। लोकसभा सचिवालय का कहना है कि भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने का यह 75वां वर्ष है।इस दौरान एक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा। पुस्तकों का विमोचन होगा। इसके साथ ही संविधान के संस्कृत और मैथिली संस्करण का संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में विमोचन किया जाएगा।

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी। सुबह ग्यारह बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन के साथ संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आरंभ होगा। 'भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक' नामक पुस्तक का विमोचन किया जाएगा। 'भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा' शीर्षक से प्रकाशित एक और पुस्तक का विमोचन भी इस दौरान किया जाना है। यहां भारत के संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन भी होगा। संस्कृत में भारत के संविधान का विमोचन और मैथिली में भारत के संविधान का विमोचन भी इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

उपराष्ट्रपति भी दोनों सदनों को संबोधित करेंगे

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के दौरान उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, जगदीप धनखड़; प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी; लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला; केन्द्रीय मंत्री; संसद सदस्य; दिल्ली स्थित मिशनों के प्रमुख और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति भी दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगे।

संविधान पर आधारित शॉर्ट फिल्म दिखाई जाएगी

इस अवसर पर, भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को दर्शाते हुए एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई जाएगी। गौरतलब है कि सोमवार 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र प्रारंभ हो गया है। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक यह सत्र अगले माह 20 दिसंबर तक चलेगा। सत्र के दूसरे दिन यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने के लिए दोनों सत्रों की संयुक्त बैठक बुलाई गई है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की “राह”, महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक, हो रही संविधान की चर्चा

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इस साल मई में हुए हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया था। बीजेपी इसको लेकर आत्मविश्वास से लबरेज थी। हालांकि, उसे मुंह की खानी पड़ी। भाजपा ने सर्वाधिक 240 सीटें हासिल की, लेकिन 400 पार का सपना चकनाचूर हो गया था। जबकि सालों से कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं।इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी विजेता साबित हुई। कांग्रेस पार्टी को 47 सीटों का शुद्ध लाभ हुआ। उसने 2019 में कुल 52 सीटें जीतीं थीं जो अब बढ़कर 99 हो गईं। माना जाता है कि कांग्रेस को संविधान का मुद्दा उठाया फायदेमंद साबित हुआ था।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान ये नैरिटिव जोर शोर से खड़ा किया था कि बीजेपी लोक सभा में 400 सीटें इसलिए जीतना चाहती है कि वो संविधान में संशोधन कर आरक्षण खत्म कर सके। कांग्रेस का ये नैरेटिव का भी कर गया। खासकर उत्तर प्रदेश में तो इसका सबसे ज्यादा असर देखा गया। उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्ग ने बीजेपी का साथ तकरीबन छोड़ ही दिया। नतीजा राहुल और समाजवादी पार्टी के हक में रहा। बीजेपी को राज्य में 29 सीटों का नुकसान हुआ। उस वक्त राहुल गांधी लगातार लाल रंग की संविधान की किताब अपने साथ लिए वोटरों के बीच घूमते रहे। उस वक्त उनका नारा था संविधान को बचाना है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की राह

बीजेपी ने लोकसभा चुनावों से गंभीर सबक लिया। बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को उस मुद्दे को ही “हथिया” लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी रैलियों में अब बीजेपी, कांग्रेस पर संविधान को खत्म करने का आरोप लगा रही है। पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, 'कांग्रेस बाबा साहब के संविधान को खत्म करना चाहती है। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है। बीजेपी को मालूम है कि महाराष्ट्र को बाबा साहेब के अपमान की बात बहुत प्रभावित करती है।

संविधान के नाम पर लाल किताब बांटने का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'कांग्रेस ने फर्जीवाड़े में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कांग्रेस के लोग संविधान के नाम पर अपनी एक अलग लाल किताब बंटवा रहे हैं। कांग्रेस की लाल किताब पर ऊपर तो लिखा है- भारत का संविधान! लेकिन लोगों ने जब भीतर से खोला तो पता चला कि लाल किताब कोरी है।'

उन्होंने आगे कहा, 'संविधान के नाम पर लाल किताब छपवाना, उसमें से संविधान के शब्दों को हटाना। ये संविधान को खत्म करने की कांग्रेस की पुरानी सोच का नमूना है। ये कांग्रेस वाले देश में बाबा साहब का नहीं बल्कि अपना अलग ही संविधान चलाना चाहते हैं। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है।'

संविधान से खिलवाड़ करने का आरोप

पीएम मोदी के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के छतरपुर की चुनावी सभा अपने भाषण का फोकस इसी पर रखा। उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया कि राहुल गांधी संविधान की नकली किताब बांट कर बाबा साहेब का अपमान कर रहे हैं। शाह ने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण और संविधान की बात कर रही है लेकिन संविधान से वही सबसे ज्यादा खिलवाड़ करती है। शाह ने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उलेमाओं के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस दलितों- पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है।

यहां से मिली को मिला मुद्दा

यही नहीं, इस बार राहुल के विरोध में कुछ वीडियो भी बीजेपी के सोशल हैंडलों से शेयर हुए। ये वीडियो महाराष्ट्र का ही बताया गया। नागपुर में राहुल गांधी ने संविधान सम्मेलन का आयोजन किया था और वहां संविधान की प्रतियां बांटी गई थी। राहुल गांधी ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर की ओर से रचित संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। उन्होंने जातिगत जनगणना, ओबीसी आरक्षण और संविधान की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। इस दौरान एक लाल रंग की किताब बांटी गई, जिस पर संविधान लिखा था, लेकिन वह अंदर से खाली थी। इसके बाद से ही बीजेपी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है।

Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.

एक देश, एक चुनावः बिल पास कैसे कराएगी मोदी सरकार, संविधान में करने होंगे 2 संशोधन?

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देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन) करवाने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा। चूंकि, वन नेशन, वन इलेक्‍शन के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की मंशा है, इसलिए यह मामला पेंचीदा हो जाता है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन करने पड़ेंगे, जिसके लिए इसे संसद में बिल के तौर पर पेश करना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्यसभा से इसे पास कराना होगा। इतना ही नहीं, संसद से पास होने के बाद इस बिल को 15 राज्यों की विधानसभा से भी पास कराना होगा। ये सब होने के बाद राष्ट्रपति इस बिल पर मुहर लगाएंगे।सवाल यह है कि क्या यह इतनी आसानी से लागू हो जाएगा?

वन नेशन वन इलेक्शन पर कोविंद समिति के प्रस्ताव को बुधवार को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी। प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद सरकार अब संसद में विधेयक लाएगी और वहीं पर उसका असली टेस्ट होगा। बिल को संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा से पास कराने में सरकार को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन लोकसभा में लड़ाई मुश्किल दिख रही है। निचले सदन में जब बिल पर वोटिंग की बारी आएगी तो सरकार विपक्षी दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है। केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है।

क्या है संसद में नंबर गेम?

लोकसभा चुनाव-2024 के बाद 271 सांसदों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया। इसमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। लोकसभा में एनडीए के आंकड़े की बात करें तो ये 293 है। जब ये बिल लोकसभा में पेश होगा और वोटिंग की बारी आएगी तो उसे पास कराने के लिए सरकार को 362 वोट या दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगर वाईएसआरसीपी, बीजेडी और गैर-एनडीए दलों का साथ मिल जाता है तो भी 362 का आंकड़ा छूने की संभावना नहीं है। बीजेपी को 69 सांसदों की जरूरत पड़ेगी जो उसके साथ खड़े रहें।हालांकि ये स्थिति तब होगी जब वोटिंग के दौरान लोकसभा में फुल स्ट्रेंथ रहती है। लेकिन 439 सांसद (अगर 100 सांसद उपस्थित नहीं रहते हैं) ही वोटिंग के दौरान लोकसभा में रहते हैं तो 293 वोटों की जरूरत होगी। ये संख्या एनडीए के पास है। इसका मतलब है कि अगर विपक्षी पार्टियों के सभी सांसद वोटिंग के दौरान लोकसभा में मौजूद रहते हैं तो संविधान संशोधन बिल गिर जाएगा।

एक देश एक चुनाव का 15 दलों ने किया विरोध

बता दें कि कोविंद समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से एक राष्ट्र एक चुनाव पर राय मांगी थी, जिनमें से 47 ने अपने जवाब भेजे, जबकि 15 ने जवाब नहीं दिया। 47 राजनीतिक पार्टियों में से 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारियों का समर्थन किया, जबकि 15 दल विरोध में रहे। जिन 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया उसमें ज्यादातर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां हैं और या तो उनका उसके प्रति नरम रुख रहा है। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी जो मोदी सरकार 2.0 में साथ खड़ी रहती थी उसका रुख भी अब बदल गया है। वहीं, जिन 15 पार्टियों ने पैनल की सिफारिशों का विरोध किया उसमें कांग्रेस, सपा, आप जैसी पार्टियां हैं।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाया जाएगा 25 जून, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना*
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देश में आपातकाल की घोषणा 25 जून, 1975 में की गई थी।अब केंद्र की मोदी सरकार ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है।केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। खुद केंद्रीय मंत्री ने अधिसूचना की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार के फैसले पर कहा कि यह उन हर व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले हैं। केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना में कहा है कि 25 जून 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया था, ऐसे में अब भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। अधिसूचना में कहा है, आपातकाल की घोषणा की मौजूदा सरकार की ओर से सत्ता का घोर दुरुपयोग किया गया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए गए थे। और जबकि भारत के लोगों को भारत के संविधान पर और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। अधिसूचना में आगे कहा गया है कि इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है और भारत के लोगों को भविष्य में किसी भी तरह से सत्ता के घोर दुरुपयोग का समर्थन नहीं करने के लिए फिर से प्रतिबद्ध किया है। *अमित शाह ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट* केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए देश पर आपातकाल लागू करके हमारे लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को बिना किसी गलती के जेलों में डाल दिया गया था और मीडिया की आवाज भी दबा दी गई थी।उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस दिन उन सभी लोगों के योगदान का याद किया जाएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया था। *पीएम मोदी ने भी किया ट्वीट* 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के भतीजे ने उड़ाया संविधान का मजाक, वीड‍ियो वायरल

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संविधान को लेकर इन दिनों देश की सियासत काफी गर्म है। इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में भी संविधान को बचाने का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी संविधान बदलने पर तुली ही है। यही नहीं, कांग्रेस ने संविधान बचाने के मुद्दे को इस चुनाव में जोर शोर से उठाया है। इस बीच कांग्रेस के ही एक सांसद के परिवार से संविधान का माखौल बनाया जा रहा है।

यूपी की सहारनपुर सीट से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के भतीजे हमजा मसूद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें वो हाथ में संविधान की प्रति लेकर शपथ लेते आ रहा है। हंसते हुए शपथ ले रहे हमजा को ये कहते हुए सुना जा सकता है ‘मैं कुछ-कुछ करके अक्षुण्ण रखूंगा’। मैं वचन लेता हूं और मेरा वचन ही है शासन’। इस दौरान देखा सकता है कि एक युवती इस वीडियो रिकॉर्ड कर रही है।

इतना ही नहीं वे हंसते हुए नजर आ रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हमजा मसूद इमरान मसूद के जुड़वा भाई नौमान मसूद का बेटा है। हमजा मसूद के चाचा इमरान मसूद इस बार सहारनपुर से सांसद चुने गए हैं।

बीजेपी नेता संबित पात्रा ने अपने एक्स अकाउंट पर इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है-“संविधान का अपमान, यही है इंडी गठबंधन की पहचान। संविधान को हाथ में लेकर उसका मजाक बनाते हुए, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के भतीजे का यह वीडियो अत्यंत आपत्तिजनक और शर्मनाक है।”

बता दें कि इमरान करीब ढाई दशक से राजनीति में हैं। साल 2006 में उन्होंने चुनावी राजनीति की शुरूआत नगर पालिका से की थी। इसमें वो जीते और सहारनपुर नगर पालिका परिषद के चेयरमैन बने थे। इसके बाद अगले ही साल वो विधानसभा चुनाव में निर्दलीय ही कूद पड़े। इसमें वो मुजफ्फराबाद विधानसभा सीट से प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे जगरीश राणा को हराया।इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश विधान सभा की विशेषाधिकार समिति में सदस्य बनाया गया था। 2012 में विधानसभा चुनाव वो कांग्रेस के टिकट पर नकुड़ विधानसभा सीट से लड़े. इसमें वह बसपा के डा. धर्म सिंह सैनी से हार गए थे। 2014 के चुनावों में कांग्रेस ने उन्हें सहारनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया, लेकिन मोदी लहर में वह बीजेपी के राघव लखनपाल के सामने बुरी तरह से हार गए थे।

अब संसद में सेंगोल पर छिड़ी बहस, सपा सांसद ने उठाई ये मांग, जानें अखिलेश की प्रतिक्रिया*
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उत्तर प्रदेश स्थित मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने एक नई बहस की शुरूआत कर दी है। 18 वीं लोकसभा सत्र की शुरुआत से ही संसद के अंदर हंगामा हो रहा है और अब लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित किया गया ‘सेंगोल‘ को लेकर विवाद शुरू हो गया है।आज गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए संसद पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का स्वागत सेंगोल से किया गया। अब संसद में विपक्षी सांसदों के बीच यह सेंगोल भी एक मुद्दा बन गया है। दरअसल, समाजवादी पार्टी ने संसद भवन से सेंगोल को हटाए जाने की मांग रख दी है। सांसद आरके चौधरी ने एक चिट्ठी लिख कर मांग की है कि संसद में लगे सेंगोल को हटाया जाए। उन्होंने मांग की है कि उसके स्थान पर संविधान की प्रति स्थापित की जाए। उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने मांग की कि ‘सेंगोल’ को संविधान की प्रति से बदला जाना चाहिए। संसद से सेंगोल को हटाने की मांग करते हुए कहा कि सेंगोल के स्थान पर संविधान की प्रति स्थापित करनी चाहिए क्योंकि, संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सेंगोल का अर्थ है राजदंड यानी राजा का डंडा। आरके चौधरी ने कहा कि देश संविधान से चलता है राजा के डंडे से नहीं। उन्होंने कहा कि संविधान को बचाने के लिए वे सेंगोल को हटाने की मांग करते हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी के सेंगोल को लेकर की गई मांग के बाद से संसद में हड़कंप मच गया है, इसके साथ ही उनकी की जा रही इस मांग को लेकर अन्य लोग भी उन्हें समर्थन देते नजर आ रहे हैं।सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी चौधरी का समर्थन करते नजर आ रहे हैं।अखिलेश यादव ने कहा कि चौधरी ने से मांग इसलिए की होगी क्योंकि जब पहली बार सेंगोल की स्थापना की गई थी तो उस वक्त प्रधानमंत्री ने उसको बकायदा प्रणाम किया था, लेकिन इस बार शपथ लेते समय वह इस बात को भूल गए हैं जिसे याद दिलाने के लिए उन्होंने ऐसी मांग की होगी। उधर, आरके चौधरी की टिप्पणी की भाजपा ने कड़ी आलोचना की है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि समाजवादी पार्टी भारतीय और तमिल संस्कृति के अभिन्न अंग का अपमान करने पर तुली हुई है। उन्होंने सवाल किया कि अगर सेंगोल राजशाही का प्रतीक था, तो पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे क्यों स्वीकार किया? क्या वह उस प्रतीक और राजशाही को स्वीकार कर रहे थे। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद चिराग पासवान ने भी पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने हमेशा ऐतिहासिक प्रतीकों को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ये लोग सकारात्मक राजनीति नहीं कर सकते… ये लोग केवल विभाजन की राजनीति करते हैं।
संविधान की कॉपी हाथ में लेकर राहुल गांधी ने ली शपथ, सदन में गूंजे जय श्रीराम के नारे

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार लोकसभा में सांसद के रूप में शपथ ली। शपथ के लिए जैसे ही रायबरेली सांसद राहुल गांधी का नाम पुकारा गया, सदन के अंदर का माहौल बदल गया। विपक्ष के अधिकांश सदस्यों ने नारे लगाकर उनका स्वागत किया। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं दूसरे विपक्षी दलों के सांसदों ने भी खड़े होकर उनका स्वागत किया। इस दौरान राहुल गांधी संविधान की कॉपी लेकर शपथ ग्रहण करने पहुंचे। शपथ ग्रहण करने के बाद राहुल गांधी ने जय हिंद और जय संविधान का नारा लगाया।

भारत जोड़ो के नारे और हाथ में भारतीय संविधान की प्रति के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज दोपहर लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। शपथ लेते हुए राहुल गांधी ने कहा, “मैं, राहुल गांधी, लोक सभा का सदस्य चुने जाने के बाद, सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखूंगा और मैं जिस कर्तव्य को ग्रहण करने वाला हूं, उसका ईमानदारी से निर्वहन करूंगा। जय हिंद, जय संविधान।”

शपथ लेने के बाद राहुल गांधी ने जय हिंद, जय संविधान का नारा लगाया। शपथ लेकर वह नीचे उतरने लगे लेकिन दोबारा वह स्पीकर से मिलने पहुंचे। कांग्रेस के सदस्य इस दौरान अपने स्थान पर खड़े होकर 'जोड़ो जोड़ो, भारत जोड़ो' के नारे लगाए। राहुल गांधी इस बार दो सीट रायबरेली और वायनाड से लोकसभा चुनाव जीते थे लेकिन उन्होंने वायनाड से इस्तीफा दे दिया। अब वह रायबरेली के सांसद हैं।

18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हुआ है। निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण समारोह 24 और 25 जून को आयोजित किया गया है। समारोह की शुरुआत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से हुई, जिसके बाद उनके मंत्रिपरिषद ने शपथ ली।

गोवा पर भारत का संविधान लागू नहीं होता”, कांग्रेस प्रत्याशी के बयान से बढ़ा विवाद, पीएम मोदी ने बोला हमला

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देश में चुनावी माहौल के बीच बयानबाजियों का दौर जारी है। इस बीच गोवा में कांग्रेस कैंडिडेट विरीएटो फर्नांडिस के बयान पर पर विवाद खड़ा हो गया है।दक्षिण गोवा लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार विरीएटो फर्नांडिस ने दावा किया है कि गोवा वासियों पर भारत का संविधान जबरदस्ती लादा गया था। उन्होंने राज्य के निवासियों के लिए दोहरी नागरिकता की माँग भी की है जिससे वह भारत के साथ ही पुर्तगाल के नागरिक भी बन सकें।

कांग्रेस प्रत्याशी विरीएटो फर्नांडिस ने सोमवार को दावा किया कि 1961 में पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के बाद गोवा पर भारतीय संविधान थोपा गया था। फर्नांडिस ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि गोवा अपना भाग्य खुद तय करेगा। फर्नांडिस ने कहा कि लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गोवा 1987 में एक राज्य बना था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हुई बातचीत का जिक्र करते हुए फर्नांडिस ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी से कहा था कि जब 1961 में गोवा आजाद हुआ था, तो भारतीय संविधान हम पर थोपा गया था।

फर्नांडिस ने सभा में कहा कि हमने (पणजी के पास एक होटल में राहुल गांधी के साथ बैठक के दौरान) गांधी के सामने 12 मांगें रखीं और उनमें से एक दोहरी नागरिकता देने से संबंधित थी। गांधी ने मुझसे पूछा कि क्या मांग संवैधानिक है। हमने कहा-नहीं। फर्नांडिस ने कहा कि कांग्रेस सांसद गांधी ने उनसे कहा कि अगर मांग संवैधानिक नहीं होगी तो उस पर विचार नहीं किया जाएगा।फर्नांडिस ने कहा कि मैंने उन्हें समझाया कि भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। जब 1961 में गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ, तो आपने तत्कालीन केंद्र सरकार का जिक्र करते हुए) हम पर संविधान थोप दिया। हमें इसमें शामिल नहीं किया गया था। फर्नांडिस ने कहा कि उन्हें गांधी के पिता के नाना (नेहरू) का एक भाषण याद है जिसमें उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद गोवा अपना भाग्य खुद तय करेगा कि लेकिन हमारी किस्मत किसी और ने तय की थी।

कांग्रेस प्रत्याशी के इस बयान पर पीएम मोदी ने करारा जवाब दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को जांजगीर-चापा लोकसभा क्षेत्र के बाराद्वार गांव में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर जुबानी हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक और बड़ा खेल शुरू कर दिया है। उनके सांसद ने कहा दक्षिण भारत को अलग देश घोषित कर दें। गोवा के उम्मीदवार कह रहे हैं कि गोवा पर भारत का संविधान लागू नहीं होता। गोवा पर भारत का संविधान थोपा गया है। उन्होंने कांग्रेस के शहजादे के सामने ये बात कही है। यह बाबा साहब अंबेडकर और भारत के संविधान का अपमान है। यह भारत के संविधान के साथ छेड़छाड़ है। जम्मू कश्मीर के लोग भी यही कहा करते थे। जनता के आशीर्वाद से आज उनकी बोलती बंद हो गई है। वहां देश का संविधान चल रहा है। बाबा साहब का संविधान जम्मू कश्मीर में लागू है। कांग्रेस के पास ना कोई विजन है न ही कोई नीति है और न ही गरीबों के कल्याण के लिए उसको एबीसीडी आती है।

फर्नांडिस के इस बयान पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉक्टर प्रमोद सावंत ने गुस्सा जाहिर करते हुए एक्स पर लिखा, मैं कांग्रेस के दक्षिण गोवा उम्मीदवार के बयान पर हैरान हूँ, जिसमें कहा गया है कि भारत का संविधान को गोवावासियों पर जबरदस्ती थोपा गया है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का स्पष्ट तौर पर मानना था कि गोवा भारत का अभिन्न अंग है।

రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా చంద్రబాబు లోకేష్ శుభాకాంక్షలు

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు, విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా 75వ రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు (75th Constitution, Day celebrations) ఘనంగా జరగనున్నాయి. ఈ వేడుకలను వైభవంగా నిర్వహించాలని రాష్ట్ర ప్రభుత్వం (AP Govt.,) నిర్ణయించింది. 1949 నవంబరు 26వ తేదీన కానిస్టిట్యుయెంట్ అసెంబ్లీ ఆఫ్ ఇండియా కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియాను అడాప్ట్ చేసుకుంది. 1950 నవంబరు 26 నుండి భారత రాజ్యాంగం (Constitution of India) అమలులోకి వచ్చింది. అమలులోకి వచ్చి నవంబర్ 26వ తేదికి 75 వసంతాలు పూర్తి అవుతున్న సందర్భంగా రాజ్యాంగ దినోత్సవ వేడుకలు రాష్ట్ర వ్యాప్తంగా ఘనంగా నిర్వహించాలని ప్రభుత్వం నిర్ణయించింది. ఈ సందర్భంగా భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు (CM Chandrababu), విద్య, ఐటి శాఖల మంత్రి నారా లోకేష్ (Minister Lokesh) ప్రజలకు శుభాకాంక్షలు తెలియజేశారు.

ఈ సందర్బంగా సీఎం చంద్రబాబు మాట్లాడుతూ.. ‘‘భారత రాజ్యాంగాన్ని ఆమోదించుకున్న రోజును గుర్తు చేసుకుంటూ నిర్వహించుకునే 'రాజ్యాంగ దినోత్సవం' సందర్భంగా ప్రజలకు నా శుభాకాంక్షలు. డాక్టర్ బాబా సాహెబ్ అంబేద్కర్ నేతృత్వంలో మనం రూపొందించుకున్న భారత రాజ్యాంగం, ప్రపంచ ప్రజాస్వామ్య దేశాలకే దిక్సూచి అనడంలో సందేహం లేదు. భారతదేశంలో ఎన్నో మతాలు, కులాలు, జాతులు కలిసి మనుగడ సాగిస్తున్నాయంటే అది మన రాజ్యాంగం గొప్పతనమే. అంతటి మహత్తరమైన రాజ్యాంగాన్ని మనకు అందించిన డాక్టర్ అంబేద్కర్ మనకు ప్రాత:స్మరణీయుడు. రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా ఆ మహనీయుడికి నా ఘన నివాళి అర్పిస్తున్నాను. రాజ్యాంగ స్ఫూర్తితో ప్రజాస్వామ్యాన్ని కాపాడుకుంటూ సమానత్వంతో కూడిన అభివృద్ధి సాధించడమే లక్ష్యంగా పురోగమిస్తామని రాష్ట్ర ప్రజలకు హామీ ఇస్తున్నాను’’ అని వ్యాఖ్యానించారు.

ముఖ్యమంత్రి చంద్రబాబు నాయుడు ఉదయం 11.30 గంటలకు సచివాలయానికి వస్తారు.11.30 గంటలకు సచివాలయంలోని 5వ బ్లాక్‌లో రాజ్యాంగ దినోత్సవంలో పాల్గొంటారు.12.30 గంటలకు ఐటీ పాలసీపై సమీక్ష నిర్వహిస్తారు. సాయంత్రం 6 గంటలకు జీ.ఎస్.డబ్ల్యూ.ఎస్ డిపార్ట్ మెంట్‌పై సమీక్ష జరుపుతారు.

రాజ్యాంగ దినోత్సవం సందర్భంగా మంత్రి నారా లోకేష్ అందరికీ శుభాకాంక్షలు తెలిపారు. ప్రపంచంలోనే అతిపెద్ద ప్రజాస్వామ్యం ఉన్న మనదేశంలో భిన్నత్వంలో ఏకత్వమని, ప్రజల హక్కుల పరిరక్షణ, ప్రజాస్వామ్యస్ఫూర్తిని కాపాడడంలో భారత రాజ్యాంగందే కీలక పాత్ర అని వ్యాఖ్యానించారు. రాజ్యాంగం అమలులోకి వచ్చి 75వ వసంతంలోకి అడుగు పెడుతున్న శుభ సందర్భంలో రాజ్యాంగ నిర్మాతలైన డాక్టర్ బీఆర్ అంబేద్కర్, న్యాయ కోవిదులు, రాజ్యాంగ నిపుణులు, స్వాతంత్య్ర సమరయోధుల సేవలను స్మరించుకోవడం మన కర్తవ్యమని అన్నారు. వచ్చే విద్యా సంవత్సరం నుంచి కానిస్టిట్యూషన్ ఆఫ్ ఇండియా ఫర్ చిల్డ్రన్ పేరుతో ప్రత్యేకంగా ఒక పుస్తకం రూపొందించి అందించబోతున్నామని చెప్పారు. ప్రాథమిక హక్కులు, ఇతర అంశాల గురించి విద్యార్థి దశ నుండే సులభంగా అర్ధం అయ్యేలా చెయ్యడమే ఈ పుస్తకం లక్ష్యమని మంత్రి లోకేష్ వెల్లడించారు.

आज मनाया जाएगा संविधान दिवस, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को करेंगी संबोधित

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संसद का शीतकालीन सत्र कल से यानी 25 नवंबर से शुरू हो चुका है। शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा।आज यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर सदन में विशेष कार्यक्रम का आयोजन होगा। भारत की राष्ट्रपति ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी।भारत की राष्ट्रपति ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी।

26 नवंबर, को संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ आयोजित की जा रही है। संविधान दिवस का यह कार्यक्रम संविधान सदन (पुराने संसद भवन) के सेंट्रल हॉल में होगा। लोकसभा सचिवालय का कहना है कि भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने का यह 75वां वर्ष है।इस दौरान एक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा। पुस्तकों का विमोचन होगा। इसके साथ ही संविधान के संस्कृत और मैथिली संस्करण का संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में विमोचन किया जाएगा।

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी। सुबह ग्यारह बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन के साथ संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आरंभ होगा। 'भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक' नामक पुस्तक का विमोचन किया जाएगा। 'भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा' शीर्षक से प्रकाशित एक और पुस्तक का विमोचन भी इस दौरान किया जाना है। यहां भारत के संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन भी होगा। संस्कृत में भारत के संविधान का विमोचन और मैथिली में भारत के संविधान का विमोचन भी इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

उपराष्ट्रपति भी दोनों सदनों को संबोधित करेंगे

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के दौरान उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, जगदीप धनखड़; प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी; लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला; केन्द्रीय मंत्री; संसद सदस्य; दिल्ली स्थित मिशनों के प्रमुख और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति भी दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगे।

संविधान पर आधारित शॉर्ट फिल्म दिखाई जाएगी

इस अवसर पर, भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को दर्शाते हुए एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई जाएगी। गौरतलब है कि सोमवार 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र प्रारंभ हो गया है। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक यह सत्र अगले माह 20 दिसंबर तक चलेगा। सत्र के दूसरे दिन यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने के लिए दोनों सत्रों की संयुक्त बैठक बुलाई गई है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की “राह”, महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक, हो रही संविधान की चर्चा

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इस साल मई में हुए हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया था। बीजेपी इसको लेकर आत्मविश्वास से लबरेज थी। हालांकि, उसे मुंह की खानी पड़ी। भाजपा ने सर्वाधिक 240 सीटें हासिल की, लेकिन 400 पार का सपना चकनाचूर हो गया था। जबकि सालों से कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं।इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी विजेता साबित हुई। कांग्रेस पार्टी को 47 सीटों का शुद्ध लाभ हुआ। उसने 2019 में कुल 52 सीटें जीतीं थीं जो अब बढ़कर 99 हो गईं। माना जाता है कि कांग्रेस को संविधान का मुद्दा उठाया फायदेमंद साबित हुआ था।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान ये नैरिटिव जोर शोर से खड़ा किया था कि बीजेपी लोक सभा में 400 सीटें इसलिए जीतना चाहती है कि वो संविधान में संशोधन कर आरक्षण खत्म कर सके। कांग्रेस का ये नैरेटिव का भी कर गया। खासकर उत्तर प्रदेश में तो इसका सबसे ज्यादा असर देखा गया। उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्ग ने बीजेपी का साथ तकरीबन छोड़ ही दिया। नतीजा राहुल और समाजवादी पार्टी के हक में रहा। बीजेपी को राज्य में 29 सीटों का नुकसान हुआ। उस वक्त राहुल गांधी लगातार लाल रंग की संविधान की किताब अपने साथ लिए वोटरों के बीच घूमते रहे। उस वक्त उनका नारा था संविधान को बचाना है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की राह

बीजेपी ने लोकसभा चुनावों से गंभीर सबक लिया। बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को उस मुद्दे को ही “हथिया” लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी रैलियों में अब बीजेपी, कांग्रेस पर संविधान को खत्म करने का आरोप लगा रही है। पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, 'कांग्रेस बाबा साहब के संविधान को खत्म करना चाहती है। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है। बीजेपी को मालूम है कि महाराष्ट्र को बाबा साहेब के अपमान की बात बहुत प्रभावित करती है।

संविधान के नाम पर लाल किताब बांटने का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'कांग्रेस ने फर्जीवाड़े में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कांग्रेस के लोग संविधान के नाम पर अपनी एक अलग लाल किताब बंटवा रहे हैं। कांग्रेस की लाल किताब पर ऊपर तो लिखा है- भारत का संविधान! लेकिन लोगों ने जब भीतर से खोला तो पता चला कि लाल किताब कोरी है।'

उन्होंने आगे कहा, 'संविधान के नाम पर लाल किताब छपवाना, उसमें से संविधान के शब्दों को हटाना। ये संविधान को खत्म करने की कांग्रेस की पुरानी सोच का नमूना है। ये कांग्रेस वाले देश में बाबा साहब का नहीं बल्कि अपना अलग ही संविधान चलाना चाहते हैं। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है।'

संविधान से खिलवाड़ करने का आरोप

पीएम मोदी के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के छतरपुर की चुनावी सभा अपने भाषण का फोकस इसी पर रखा। उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया कि राहुल गांधी संविधान की नकली किताब बांट कर बाबा साहेब का अपमान कर रहे हैं। शाह ने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण और संविधान की बात कर रही है लेकिन संविधान से वही सबसे ज्यादा खिलवाड़ करती है। शाह ने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उलेमाओं के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस दलितों- पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है।

यहां से मिली को मिला मुद्दा

यही नहीं, इस बार राहुल के विरोध में कुछ वीडियो भी बीजेपी के सोशल हैंडलों से शेयर हुए। ये वीडियो महाराष्ट्र का ही बताया गया। नागपुर में राहुल गांधी ने संविधान सम्मेलन का आयोजन किया था और वहां संविधान की प्रतियां बांटी गई थी। राहुल गांधी ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर की ओर से रचित संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। उन्होंने जातिगत जनगणना, ओबीसी आरक्षण और संविधान की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। इस दौरान एक लाल रंग की किताब बांटी गई, जिस पर संविधान लिखा था, लेकिन वह अंदर से खाली थी। इसके बाद से ही बीजेपी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है।

Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.

एक देश, एक चुनावः बिल पास कैसे कराएगी मोदी सरकार, संविधान में करने होंगे 2 संशोधन?

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देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन) करवाने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा। चूंकि, वन नेशन, वन इलेक्‍शन के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की मंशा है, इसलिए यह मामला पेंचीदा हो जाता है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन करने पड़ेंगे, जिसके लिए इसे संसद में बिल के तौर पर पेश करना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्यसभा से इसे पास कराना होगा। इतना ही नहीं, संसद से पास होने के बाद इस बिल को 15 राज्यों की विधानसभा से भी पास कराना होगा। ये सब होने के बाद राष्ट्रपति इस बिल पर मुहर लगाएंगे।सवाल यह है कि क्या यह इतनी आसानी से लागू हो जाएगा?

वन नेशन वन इलेक्शन पर कोविंद समिति के प्रस्ताव को बुधवार को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी। प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद सरकार अब संसद में विधेयक लाएगी और वहीं पर उसका असली टेस्ट होगा। बिल को संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा से पास कराने में सरकार को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन लोकसभा में लड़ाई मुश्किल दिख रही है। निचले सदन में जब बिल पर वोटिंग की बारी आएगी तो सरकार विपक्षी दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है। केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है।

क्या है संसद में नंबर गेम?

लोकसभा चुनाव-2024 के बाद 271 सांसदों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया। इसमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। लोकसभा में एनडीए के आंकड़े की बात करें तो ये 293 है। जब ये बिल लोकसभा में पेश होगा और वोटिंग की बारी आएगी तो उसे पास कराने के लिए सरकार को 362 वोट या दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगर वाईएसआरसीपी, बीजेडी और गैर-एनडीए दलों का साथ मिल जाता है तो भी 362 का आंकड़ा छूने की संभावना नहीं है। बीजेपी को 69 सांसदों की जरूरत पड़ेगी जो उसके साथ खड़े रहें।हालांकि ये स्थिति तब होगी जब वोटिंग के दौरान लोकसभा में फुल स्ट्रेंथ रहती है। लेकिन 439 सांसद (अगर 100 सांसद उपस्थित नहीं रहते हैं) ही वोटिंग के दौरान लोकसभा में रहते हैं तो 293 वोटों की जरूरत होगी। ये संख्या एनडीए के पास है। इसका मतलब है कि अगर विपक्षी पार्टियों के सभी सांसद वोटिंग के दौरान लोकसभा में मौजूद रहते हैं तो संविधान संशोधन बिल गिर जाएगा।

एक देश एक चुनाव का 15 दलों ने किया विरोध

बता दें कि कोविंद समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से एक राष्ट्र एक चुनाव पर राय मांगी थी, जिनमें से 47 ने अपने जवाब भेजे, जबकि 15 ने जवाब नहीं दिया। 47 राजनीतिक पार्टियों में से 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारियों का समर्थन किया, जबकि 15 दल विरोध में रहे। जिन 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया उसमें ज्यादातर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां हैं और या तो उनका उसके प्रति नरम रुख रहा है। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी जो मोदी सरकार 2.0 में साथ खड़ी रहती थी उसका रुख भी अब बदल गया है। वहीं, जिन 15 पार्टियों ने पैनल की सिफारिशों का विरोध किया उसमें कांग्रेस, सपा, आप जैसी पार्टियां हैं।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाया जाएगा 25 जून, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना*
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देश में आपातकाल की घोषणा 25 जून, 1975 में की गई थी।अब केंद्र की मोदी सरकार ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है।केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। खुद केंद्रीय मंत्री ने अधिसूचना की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार के फैसले पर कहा कि यह उन हर व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले हैं। केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना में कहा है कि 25 जून 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया था, ऐसे में अब भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। अधिसूचना में कहा है, आपातकाल की घोषणा की मौजूदा सरकार की ओर से सत्ता का घोर दुरुपयोग किया गया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए गए थे। और जबकि भारत के लोगों को भारत के संविधान पर और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। अधिसूचना में आगे कहा गया है कि इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है और भारत के लोगों को भविष्य में किसी भी तरह से सत्ता के घोर दुरुपयोग का समर्थन नहीं करने के लिए फिर से प्रतिबद्ध किया है। *अमित शाह ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट* केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए देश पर आपातकाल लागू करके हमारे लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को बिना किसी गलती के जेलों में डाल दिया गया था और मीडिया की आवाज भी दबा दी गई थी।उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस दिन उन सभी लोगों के योगदान का याद किया जाएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया था। *पीएम मोदी ने भी किया ट्वीट* 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के भतीजे ने उड़ाया संविधान का मजाक, वीड‍ियो वायरल

#congress_mp_imran_masood_nephew_hamza_made_fun_of_constitution

संविधान को लेकर इन दिनों देश की सियासत काफी गर्म है। इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में भी संविधान को बचाने का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी संविधान बदलने पर तुली ही है। यही नहीं, कांग्रेस ने संविधान बचाने के मुद्दे को इस चुनाव में जोर शोर से उठाया है। इस बीच कांग्रेस के ही एक सांसद के परिवार से संविधान का माखौल बनाया जा रहा है।

यूपी की सहारनपुर सीट से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के भतीजे हमजा मसूद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें वो हाथ में संविधान की प्रति लेकर शपथ लेते आ रहा है। हंसते हुए शपथ ले रहे हमजा को ये कहते हुए सुना जा सकता है ‘मैं कुछ-कुछ करके अक्षुण्ण रखूंगा’। मैं वचन लेता हूं और मेरा वचन ही है शासन’। इस दौरान देखा सकता है कि एक युवती इस वीडियो रिकॉर्ड कर रही है।

इतना ही नहीं वे हंसते हुए नजर आ रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हमजा मसूद इमरान मसूद के जुड़वा भाई नौमान मसूद का बेटा है। हमजा मसूद के चाचा इमरान मसूद इस बार सहारनपुर से सांसद चुने गए हैं।

बीजेपी नेता संबित पात्रा ने अपने एक्स अकाउंट पर इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है-“संविधान का अपमान, यही है इंडी गठबंधन की पहचान। संविधान को हाथ में लेकर उसका मजाक बनाते हुए, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के भतीजे का यह वीडियो अत्यंत आपत्तिजनक और शर्मनाक है।”

बता दें कि इमरान करीब ढाई दशक से राजनीति में हैं। साल 2006 में उन्होंने चुनावी राजनीति की शुरूआत नगर पालिका से की थी। इसमें वो जीते और सहारनपुर नगर पालिका परिषद के चेयरमैन बने थे। इसके बाद अगले ही साल वो विधानसभा चुनाव में निर्दलीय ही कूद पड़े। इसमें वो मुजफ्फराबाद विधानसभा सीट से प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे जगरीश राणा को हराया।इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश विधान सभा की विशेषाधिकार समिति में सदस्य बनाया गया था। 2012 में विधानसभा चुनाव वो कांग्रेस के टिकट पर नकुड़ विधानसभा सीट से लड़े. इसमें वह बसपा के डा. धर्म सिंह सैनी से हार गए थे। 2014 के चुनावों में कांग्रेस ने उन्हें सहारनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया, लेकिन मोदी लहर में वह बीजेपी के राघव लखनपाल के सामने बुरी तरह से हार गए थे।

अब संसद में सेंगोल पर छिड़ी बहस, सपा सांसद ने उठाई ये मांग, जानें अखिलेश की प्रतिक्रिया*
#sp_mp_wants_constitution_to_replace_sengol_in_lok_sabha
उत्तर प्रदेश स्थित मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने एक नई बहस की शुरूआत कर दी है। 18 वीं लोकसभा सत्र की शुरुआत से ही संसद के अंदर हंगामा हो रहा है और अब लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित किया गया ‘सेंगोल‘ को लेकर विवाद शुरू हो गया है।आज गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए संसद पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का स्वागत सेंगोल से किया गया। अब संसद में विपक्षी सांसदों के बीच यह सेंगोल भी एक मुद्दा बन गया है। दरअसल, समाजवादी पार्टी ने संसद भवन से सेंगोल को हटाए जाने की मांग रख दी है। सांसद आरके चौधरी ने एक चिट्ठी लिख कर मांग की है कि संसद में लगे सेंगोल को हटाया जाए। उन्होंने मांग की है कि उसके स्थान पर संविधान की प्रति स्थापित की जाए। उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने मांग की कि ‘सेंगोल’ को संविधान की प्रति से बदला जाना चाहिए। संसद से सेंगोल को हटाने की मांग करते हुए कहा कि सेंगोल के स्थान पर संविधान की प्रति स्थापित करनी चाहिए क्योंकि, संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सेंगोल का अर्थ है राजदंड यानी राजा का डंडा। आरके चौधरी ने कहा कि देश संविधान से चलता है राजा के डंडे से नहीं। उन्होंने कहा कि संविधान को बचाने के लिए वे सेंगोल को हटाने की मांग करते हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी के सेंगोल को लेकर की गई मांग के बाद से संसद में हड़कंप मच गया है, इसके साथ ही उनकी की जा रही इस मांग को लेकर अन्य लोग भी उन्हें समर्थन देते नजर आ रहे हैं।सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी चौधरी का समर्थन करते नजर आ रहे हैं।अखिलेश यादव ने कहा कि चौधरी ने से मांग इसलिए की होगी क्योंकि जब पहली बार सेंगोल की स्थापना की गई थी तो उस वक्त प्रधानमंत्री ने उसको बकायदा प्रणाम किया था, लेकिन इस बार शपथ लेते समय वह इस बात को भूल गए हैं जिसे याद दिलाने के लिए उन्होंने ऐसी मांग की होगी। उधर, आरके चौधरी की टिप्पणी की भाजपा ने कड़ी आलोचना की है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि समाजवादी पार्टी भारतीय और तमिल संस्कृति के अभिन्न अंग का अपमान करने पर तुली हुई है। उन्होंने सवाल किया कि अगर सेंगोल राजशाही का प्रतीक था, तो पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे क्यों स्वीकार किया? क्या वह उस प्रतीक और राजशाही को स्वीकार कर रहे थे। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद चिराग पासवान ने भी पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने हमेशा ऐतिहासिक प्रतीकों को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ये लोग सकारात्मक राजनीति नहीं कर सकते… ये लोग केवल विभाजन की राजनीति करते हैं।
संविधान की कॉपी हाथ में लेकर राहुल गांधी ने ली शपथ, सदन में गूंजे जय श्रीराम के नारे

#rahul_gandhi_member_of_parliament_oath_with_constitution_copy

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार लोकसभा में सांसद के रूप में शपथ ली। शपथ के लिए जैसे ही रायबरेली सांसद राहुल गांधी का नाम पुकारा गया, सदन के अंदर का माहौल बदल गया। विपक्ष के अधिकांश सदस्यों ने नारे लगाकर उनका स्वागत किया। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं दूसरे विपक्षी दलों के सांसदों ने भी खड़े होकर उनका स्वागत किया। इस दौरान राहुल गांधी संविधान की कॉपी लेकर शपथ ग्रहण करने पहुंचे। शपथ ग्रहण करने के बाद राहुल गांधी ने जय हिंद और जय संविधान का नारा लगाया।

भारत जोड़ो के नारे और हाथ में भारतीय संविधान की प्रति के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज दोपहर लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। शपथ लेते हुए राहुल गांधी ने कहा, “मैं, राहुल गांधी, लोक सभा का सदस्य चुने जाने के बाद, सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखूंगा और मैं जिस कर्तव्य को ग्रहण करने वाला हूं, उसका ईमानदारी से निर्वहन करूंगा। जय हिंद, जय संविधान।”

शपथ लेने के बाद राहुल गांधी ने जय हिंद, जय संविधान का नारा लगाया। शपथ लेकर वह नीचे उतरने लगे लेकिन दोबारा वह स्पीकर से मिलने पहुंचे। कांग्रेस के सदस्य इस दौरान अपने स्थान पर खड़े होकर 'जोड़ो जोड़ो, भारत जोड़ो' के नारे लगाए। राहुल गांधी इस बार दो सीट रायबरेली और वायनाड से लोकसभा चुनाव जीते थे लेकिन उन्होंने वायनाड से इस्तीफा दे दिया। अब वह रायबरेली के सांसद हैं।

18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हुआ है। निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण समारोह 24 और 25 जून को आयोजित किया गया है। समारोह की शुरुआत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से हुई, जिसके बाद उनके मंत्रिपरिषद ने शपथ ली।

गोवा पर भारत का संविधान लागू नहीं होता”, कांग्रेस प्रत्याशी के बयान से बढ़ा विवाद, पीएम मोदी ने बोला हमला

#congress_south_goa_candidate_viriato_fernandes_says_constitution_was_forced_on_goans 

देश में चुनावी माहौल के बीच बयानबाजियों का दौर जारी है। इस बीच गोवा में कांग्रेस कैंडिडेट विरीएटो फर्नांडिस के बयान पर पर विवाद खड़ा हो गया है।दक्षिण गोवा लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार विरीएटो फर्नांडिस ने दावा किया है कि गोवा वासियों पर भारत का संविधान जबरदस्ती लादा गया था। उन्होंने राज्य के निवासियों के लिए दोहरी नागरिकता की माँग भी की है जिससे वह भारत के साथ ही पुर्तगाल के नागरिक भी बन सकें।

कांग्रेस प्रत्याशी विरीएटो फर्नांडिस ने सोमवार को दावा किया कि 1961 में पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के बाद गोवा पर भारतीय संविधान थोपा गया था। फर्नांडिस ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि गोवा अपना भाग्य खुद तय करेगा। फर्नांडिस ने कहा कि लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गोवा 1987 में एक राज्य बना था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हुई बातचीत का जिक्र करते हुए फर्नांडिस ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी से कहा था कि जब 1961 में गोवा आजाद हुआ था, तो भारतीय संविधान हम पर थोपा गया था।

फर्नांडिस ने सभा में कहा कि हमने (पणजी के पास एक होटल में राहुल गांधी के साथ बैठक के दौरान) गांधी के सामने 12 मांगें रखीं और उनमें से एक दोहरी नागरिकता देने से संबंधित थी। गांधी ने मुझसे पूछा कि क्या मांग संवैधानिक है। हमने कहा-नहीं। फर्नांडिस ने कहा कि कांग्रेस सांसद गांधी ने उनसे कहा कि अगर मांग संवैधानिक नहीं होगी तो उस पर विचार नहीं किया जाएगा।फर्नांडिस ने कहा कि मैंने उन्हें समझाया कि भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। जब 1961 में गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ, तो आपने तत्कालीन केंद्र सरकार का जिक्र करते हुए) हम पर संविधान थोप दिया। हमें इसमें शामिल नहीं किया गया था। फर्नांडिस ने कहा कि उन्हें गांधी के पिता के नाना (नेहरू) का एक भाषण याद है जिसमें उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद गोवा अपना भाग्य खुद तय करेगा कि लेकिन हमारी किस्मत किसी और ने तय की थी।

कांग्रेस प्रत्याशी के इस बयान पर पीएम मोदी ने करारा जवाब दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को जांजगीर-चापा लोकसभा क्षेत्र के बाराद्वार गांव में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर जुबानी हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक और बड़ा खेल शुरू कर दिया है। उनके सांसद ने कहा दक्षिण भारत को अलग देश घोषित कर दें। गोवा के उम्मीदवार कह रहे हैं कि गोवा पर भारत का संविधान लागू नहीं होता। गोवा पर भारत का संविधान थोपा गया है। उन्होंने कांग्रेस के शहजादे के सामने ये बात कही है। यह बाबा साहब अंबेडकर और भारत के संविधान का अपमान है। यह भारत के संविधान के साथ छेड़छाड़ है। जम्मू कश्मीर के लोग भी यही कहा करते थे। जनता के आशीर्वाद से आज उनकी बोलती बंद हो गई है। वहां देश का संविधान चल रहा है। बाबा साहब का संविधान जम्मू कश्मीर में लागू है। कांग्रेस के पास ना कोई विजन है न ही कोई नीति है और न ही गरीबों के कल्याण के लिए उसको एबीसीडी आती है।

फर्नांडिस के इस बयान पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉक्टर प्रमोद सावंत ने गुस्सा जाहिर करते हुए एक्स पर लिखा, मैं कांग्रेस के दक्षिण गोवा उम्मीदवार के बयान पर हैरान हूँ, जिसमें कहा गया है कि भारत का संविधान को गोवावासियों पर जबरदस्ती थोपा गया है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का स्पष्ट तौर पर मानना था कि गोवा भारत का अभिन्न अंग है।