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संघ प्रमुख के बयान पर सियासी बवाल: भूपेश ने कहा–मोहन भागवत की उम्र हो गई है,अब शादी तो करेंगे नहीं, लेकिन संघ के अविवाहितों की शादी करानी चाहिए

रायपुर-  आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान से सिसायी बवाल मच गया है. संघ प्रमुख ने कहा है कि हिंदुओं को कम से कम 3 बच्चे पैदा करना चाहिए. इस बयान पर कांग्रेस नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निशाना साधते हुए कहा कि संघ में जो अविवाहित लोग हैं उन्हें पहले विवाह करना चाहिए. संघ प्रमुख तो बुजुर्ग हो गए हैं. वे शादी नहीं कर सकते हैं, लेकिन उन्हें संघ में अपील करनी चाहिए. हालांकि उनकी बात कही सुनी नहीं जा रही है.

राजीव युवा मितान क्लब को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति गर्म है. मितान क्लब के युवाओं से भूपेश बघेल के संवाद के बाद से बघेल भाजपा नेताओं और खासकर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा के निशाने पर है. पंकज झा एक्स पर पोस्ट करते हुए बघेल पर निशाना साधते हुए कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस से अलग अपनी टीम बनाने में लगे हैं. वे जोगी जी के रास्ते पर चल रहे हैं. अब इस मामले को लेकर बघेल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

झा के बयान पर बघेल का पलटवार, कहा – बयान देने BJP में नेताओं की कमी

भूपेश बघेल ने पंकज झा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कौन मीडिया सलाहकार हैं ? कहां के रहने वाला है ? सरकार छत्तीसगढ़ से चल रही है कि बिहार से ? क्या भाजपा में राजनीतिक बयान देने के लिए नेताओं की कमी हो गई है. वैसे भी भाजपा के कई बड़े नेता खाली बैठे हुए हैं. चाहे अजय चंद्राकर हो, चाहे धरम लाल कौशिक, य़ा फिर अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, नारायण चंदेल, प्रेम प्रकाश पाण्डेय. भाजपा के अंदर का आक्रोश किसी दिन जबरदस्त तरीके से फूटेगा. नाराजगी कांग्रेस में नहीं भाजपा संगठन में बढ़ गई है.

‘प्रदेश में फिर चारा घोटाला को अंजाम देने की तैयारी’

छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष विशेषर पटेल की नियुक्ति पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल खड़ा किया है. बघेल ने कहा कि रमन सरकार के समय भी पटेल गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष थे. उनके कार्यकाल में ही बड़ी संख्या में गायों की मौत हुई थी. गौशालाओं में अनुदान घोटाला का आरोप लगा था. रमन सरकार ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटा भी दिया था. अब फिर से उन्हें नियुक्ति दे दी गई है. क्या फिर से प्रदेश में चारा घोटाला को अंजाम देने की तैयारी है ?

‘किसानों से 21 क्विंटल धान नहीं खरीदना चाहती सरकार’

छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से धान खरीदी जारी है. खरीदी के साथ ही सियासत भी जारी है. पक्ष और विपक्ष के बीच खरीदी की व्यवस्था पर वार और पलटवार भी चल रहा है. एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खरीदी की व्यवस्था पर सवाल उठाया है. बघेल ने कहा कि खरीदी का सिस्टम बहुत ही खराब है. न तो समय पर टोकन कट रहा है और न ही पर्याप्त टोकन मिल रहा है. खरीदी केंद्रों से धान का उठाव भी नहीं हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि सरकार किसानों से 21 क्विंटल धान खरीदना ही नहीं चाहती.

महाराष्ट्र के लिए बीजेपी ने नियुक्त किए पर्यवेक्षक, सीतारमण-विजय रूपाणी को मिली ये बड़ी जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र में चुनाव खत्म होकर नतीजे आए भी हफ्ते से ज्यादा हो गया है। लेकिन एनडीए को बंपर जीत के बाद भी अब तक मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका तक ऐलान नहीं हुआ है।महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी तक सस्पेंस की स्थिति बनी हुई है। यह तो तय है कि मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा, लेकिन कौन होगा इस पर फैसला अभी होना बाकी है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। बीजेपी ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।इनकी मौजूदगी में ही पार्टी विधायक दल के नेता का चयन होगा।

बीजेपी की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में यह घोषणा की गई। भाजपा महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि पार्टी के संसदीय बोर्ड ने महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए इन दोनों नेताओं की नियुक्ति की गई है। 4 दिसंबर को महाराष्ट्र में बीजेपी के विधायक दल की बैठक होनी है। विधायक दल की बैठक में नेता का चुनाव होगा और इसके बाद सरकार गठन के आगे की कार्यवाही होगी।

बीजेपी विधायक दल की बैठक में जिस नेता के नाम पर मुहर लगेगी उसी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की सरकार के गठन का दावा पेश किया जाएगा। महायुति में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। सबकी नजरें इसी बात पर टिकी हैं कि बीजेपी का नेता कौन होगा। सूत्रों की मानें तो देवेंद्र फडणवीस इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।

चुनावी नतीजों की घोषणा के एक हफ्ते से अधिक समय बाद भी महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन नहीं हुआ है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भाजपा के फैसले का समर्थन करेंगे 0उनकी इस घोषणा के बाद लगभग यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री भाजपा से होगा। भाजपा ने घोषणा की है कि नई महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह पांच दिसंबर की शाम दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें शामिल होंगे।

बता दें कि महाराष्ट्र में महायुति ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 230 सीट पर जीत हासिल की है। भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीट पर जीत दर्ज की, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को 41 सीट मिलीं।

मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी को क्या नसीहत दी, भागवत की किस सलाह का दिया हवाला?

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बड़ी नसीहत दी है। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह का हवाला भी दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी पर देश की हर मस्जिद में सर्वेक्षण कराकर समाज को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि ऐसा कर सत्तारूढ़ दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह की अवहेलना कर रहा है। खरगे की टिप्पणी उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मद्देनजर आई है। संभल में एक मस्जिद में यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है कि क्या वहां कोई मंदिर था।

सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे रविवार को दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक महासंघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक विशाल रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी से मोहन भागवत के 2022 के बयान पर ध्यान देने को कहा। खरगे ने आरएसएस प्रमुख का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर का निर्माण करना था और हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, आज देश में हर जगह सर्वे वाले ये पता लगा रहे हैं कि कहां पहले मंदिर थे और कहां मस्जिद थी, लेकिन 2023 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हमारा लक्ष्य राम मंदिर बनाने का था, हर मस्जिद के नीचे शिवालय ढूंढना गलत है। जब बीजेपी-आरएसएस वाले ही ये बातें कह रहे हैं, तो फिर सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा है। हम सभी तो एक हैं।

क्या लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार भी ध्वस्त होगा-खरगे

खरगे ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं 'एक हैं तो सेफ हैं', लेकिन वे किसी को भी सेफ नहीं रहने दे रहे हैं। आप एकता की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य इसे धोखा देते हैं। आपके नेता मोहन भागवत ने कहा है कि अब जब राम मंदिर बन गया है, तो और अधिक पूजा स्थलों की तलाश करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप उनके शब्दों का सम्मान करते हैं, तो और कलह क्यों पैदा करते हैं?' खरगे ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार और चार मीनार जैसी संरचनाओं को भी ध्वस्त कर देगी, जो मुसलमानों की तरफ से बनवाई गई थीं।

आखिर भागवत ने क्या कहा था

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जून 2022 में ज्ञानवापी विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भागवत ने कहा था कि इतिहास वो है जिसे हम बदल नहीं सकते। उनका कहना था कि इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा.... हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? उनका कहना था कि अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है। संघ प्रमुख नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान बोल रहे थे।

ऐतिहासिक जीत के बाद हेमंत सोरेन की ताकतवर वापसी, चौथी बार बने मुख़्यमंत्री

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है और अब वह चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अपनी मजबूत राजनीतिक छवि और आदिवासी समाज के लिए किए गए काम के कारण सोरेन ने एक बार फिर झारखंड की जनता का विश्वास जीता है। उनका यह कार्यकाल न केवल राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह उनके नेतृत्व की एक नई परिभाषा भी स्थापित करेगा।

चुनावी परिणामों के बाद, हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सरकार को एक बार फिर सत्ता में लाया है। पार्टी और सोरेन की जीत ने राज्य की राजनीति में नया जोश और उम्मीद की लहर पैदा की है। चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने जो वादे किए थे, अब उन्हें पूरा करने का समय आ गया है।

चौथे कार्यकाल की शुरुआत

हेमंत सोरेन की चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की तैयारी उनके नेतृत्व में राज्य के विकास की नई दिशा तय करेगी। इस जीत के साथ ही सोरेन का यह कार्यकाल झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर लेकर आया है। उनका मुख्य ध्यान राज्य के आदिवासी समुदाय के कल्याण, ग्रामीण विकास, और सामाजिक समावेशन पर होगा। सोरेन ने पहले भी अपने कार्यकाल में आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, और अब वह इस कार्यकाल में इन्हें और भी प्रभावी बनाने के लिए तैयार हैं। हेमंत सोरेन ने यह स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य राज्य में हर वर्ग के लिए समान विकास सुनिश्चित करना है, खासकर उन समुदायों के लिए जिन्हें पिछली सरकारों द्वारा नजरअंदाज किया गया।

ऐतिहासिक जीत और जनसमर्थन

हेमंत सोरेन की ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि राज्य के लोगों का उन पर अब भी विश्वास कायम है। चुनावी परिणामों में उनकी पार्टी को भारी समर्थन मिला, खासकर आदिवासी और ग्रामीण इलाकों से। सोरेन की छवि एक ऐसे नेता के रूप में रही है जो हमेशा अपने लोगों के लिए खड़ा होता है और उनके हक के लिए लड़ता है। यही कारण है कि उन्हें राज्य के नागरिकों का व्यापक समर्थन मिला है। चुनावों के दौरान सोरेन ने राज्य के विकास, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, और आदिवासी अधिकारों को प्राथमिकता दी थी, और उनका यह विजयी प्रचार उसी पर आधारित था। उनके नेतृत्व में झारखंड में कई अहम योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनसे आम जनता को लाभ हुआ है। 

राज्य के विकास के लिए प्राथमिकताएं

हेमंत सोरेन के चौथे कार्यकाल में कई अहम योजनाओं की शुरुआत होने की उम्मीद है। सोरेन ने पहले ही यह स्पष्ट किया है कि उनका ध्यान झारखंड के आदिवासी और कमजोर वर्गों के कल्याण पर रहेगा। साथ ही, वह राज्य के बुनियादी ढांचे में सुधार, रोजगार सृजन, और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लागू करने के लिए कृतसंकल्पित हैं।

1. आदिवासी कल्याण:

 झारखंड में आदिवासी समुदाय को समाज के हर क्षेत्र में बराबरी का अधिकार मिल सके, इसके लिए सोरेन सरकार कई योजनाएं शुरू करेगी। आदिवासी भूमि अधिकारों की रक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

2. रोजगार सृजन और उद्योगों का विकास: बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए सोरेन सरकार राज्य में नए उद्योगों की स्थापना और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी। इस दिशा में कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा पर भी जोर दिया जाएगा।

3. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार: राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लागू की जाएंगी। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को बेहतर बनाना सरकार की प्राथमिकता होगी।

4. बुनियादी ढांचे का विकास: झारखंड के कई हिस्सों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिसके कारण वहां के लोग मुश्किलों का सामना करते हैं। सोरेन सरकार का ध्यान सड़कों, पानी, बिजली और परिवहन सुविधाओं के सुधार पर रहेगा।

विपक्ष और चुनौतियां

हालांकि हेमंत सोरेन का नेतृत्व झारखंड में लोकप्रिय है, लेकिन उन्हें विपक्षी दलों से कड़ी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य विपक्षी दलों ने सोरेन सरकार पर कई सवाल उठाए हैं, खासकर राज्य में बेरोजगारी, विकास की गति और कानून-व्यवस्था को लेकर। 

सोरेन सरकार को इन आलोचनाओं का प्रभावी ढंग से जवाब देना होगा और यह साबित करना होगा कि उनके नेतृत्व में राज्य का विकास सही दिशा में हो रहा है। राज्य में नक्सलवाद जैसी समस्याएं भी चुनौती बनी हुई हैं, और सोरेन को इन समस्याओं का समाधान करना होगा। 

हेमंत सोरेन की चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की शपथ झारखंड के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। उनकी सरकार का ध्यान राज्य के समग्र विकास, खासकर आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कल्याण पर रहेगा। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए सोरेन सरकार नई पहलें कर सकती है। हालांकि, उन्हें विपक्षी दलों से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अगर वह अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करते हैं, तो झारखंड को एक नई दिशा मिल सकती है। सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के लोग आशावादी हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके चौथे कार्यकाल में राज्य का समग्र विकास होगा।

JMM छोड़ने वाले नेता एक बार फिर फ्लॉप, बाबूलाल सोरेन और सीता सोरेन समेत इन नेता हारे!

झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 में JMM के कई बागी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा. इसमें सीता सोरेन से लेकर बाबू लाल सोरेन तक शामिल हैं. शिकस्त झेलने वालों में कुल 4 नेता हैं. इन नेताओं को चुनाव से पहले JMM से इस्तीफा देना भारी पड़ा है.

बाबूलाल सोरेन- ये पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बेटे हैं. घाटशीला सीट से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था. उन्हें JMM के रामदास सोरेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा. बाबूलाल को 75 हजार 910 वोट मिले तो रामदास को 98 हजार 356 वोट मिले. यानी बाबूलाल को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा.

सीता सोरेन- सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को जामताड़ा सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इरफान अंसारी को 1 लाख 33 हजार 266 वोट मिले तो सीता सोरेन को 89 हजार 590 वोट मिले.

सूरज मंडल- ये कभी शिबू सोरेन का दाहिना हाथ हुए करते थे. बीजेपी में अपना सियासी भविष्य देख रहे थे, लेकिन कुछ कर नहीं पाए.

लोबिन हेम्बर्म- लोबिन JMM से बीजेपी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें बोरियो से टिकट मिला था. लेकिन वो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. उन्हें JMM के धनंजय सोरेन के हाथों शिकस्त मिली. लोबिन के खाते में 78 हजार 044 वोट आए तो धनंजय को 97 हजार 317 वोट मिले.

लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ गठबंधन 81 सदस्यीय विधानसभा की 56 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार झारखंड की सत्ता पर काबिज हुआ. वहीं, चुनाव अभियान के दौरान एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाला NDA महज 24 सीटें हासिल कर सका. विधानसभा चुनावों में JMM और कांग्रेस ने आदिवासी बेल्ट की 27 सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि बीजेपी महज सरायकेला में जीत दर्ज करने में सफल रही, जहां उसने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को मैदान में उतारा था.

चंपई विधानसभा चुनावों से पहले JMM छोड़ BJP में शामिल हो गए थे. उन्होंने हेमंत सोरेन नीत पार्टी पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया था. हालिया विधानसभा चुनावों में आदिवासी बेल्ट की 20 सीटें अकेले JMM की झोली में गईं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पार्टी को लोकलुभावन योजनाओं के अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कथित अन्याय का मुद्दा उठाने से पैदा हुई सहानुभूति लहर का फायदा मिला.

वहीं, JMM की सहयोगी कांग्रेस सात सीटों पर विजयी रही. जबकि, 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी आदिवासी बेल्ट में खाता तक खोलने में नाकाम रही थी. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनावों में उसने छह सीटों पर कब्जा जमाया था.

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

क्या महाराष्ट्र में बीजेपी की प्रचंड जीत राज्य के भविष्य को देगी नई दिशा?

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महाराष्ट्र, जो भारत के सबसे जनसंख्या वाले और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, हमेशा देश की राजनीतिक कथा में एक केंद्रीय स्थान रखता है। हाल ही में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महत्वपूर्ण जीत ने राज्य के शासन, आर्थिक दिशा और राजनीतिक परिदृश्य पर गहरे प्रभाव डालने की संभावना जताई है। महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत राज्य के भविष्य को कैसे आकार दे सकती है, खासकर शासन, आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में।

महाराष्ट्र में बीजेपी की वृद्धि

महाराष्ट्र, जिसका ऐतिहासिक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य काफी समृद्ध रहा है, हमेशा से ही राजनीति का अहम केंद्र रहा है। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) जैसे दल दशकों तक राज्य की राजनीति में हावी रहे हैं, जिनमें शिवसेना ने मुंबई और इसके आस-पास के इलाकों में प्रमुख स्थान बनाए रखा। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने राज्य में अपनी बढ़ती ताकत के संकेत दिए हैं, जिसका नेतृत्व देवेंद्र फडणवीस और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं ने किया।

बीजेपी की हाल की चुनावी जीत एक ऐसे समय पर आई है, जब राज्य कई चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है। बीजेपी की मजबूत राजनीतिक संरचना और राष्ट्रीय पैठ को देखते हुए यह जीत पार्टी के विचारधारा, नेतृत्व और भविष्य की दृष्टि के समर्थन के रूप में देखी जा रही है। यह जीत महाराष्ट्र की राजनीतिक धारा में हो रहे परिवर्तनों का भी प्रतीक है, जहां क्षेत्रीय दलों को बीजेपी की राष्ट्रीय अपील और केंद्रीकृत शासन मॉडल से चुनौती मिल रही है।

आर्थिक प्रभाव: विकास और निवेश

महाराष्ट्र भारत की आर्थिक धुरी है, जो देश के जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन और वित्तीय सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई के घर के रूप में, राज्य देश की आर्थिक प्रगति में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। हालांकि, अपनी आर्थिक ताकतों के बावजूद, महाराष्ट्र को संतुलित क्षेत्रीय विकास, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे की वृद्धि और सामाजिक कल्याण के संदर्भ में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

बीजेपी की जीत राज्य की आर्थिक दिशा पर गहरे प्रभाव डालने वाली है। बीजेपी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगिक वृद्धि और निवेश को आकर्षित करने पर खास जोर दिया जा सकता है। पार्टी ने हमेशा व्यवसाय समर्थक एजेंडे का समर्थन किया है, जिसमें ब्योरोक्रेसी की बाधाओं को कम करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का वादा किया है।

औद्योगिक वृद्धि और निवेश:  

महाराष्ट्र में कई प्रमुख उद्योगों जैसे विनिर्माण, वित्त और प्रौद्योगिकी का वर्चस्व है। बीजेपी के व्यापार समर्थक रुख के कारण राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ सकता है, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र को केंद्र सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी योजनाओं का भी फायदा मिल सकता है, जो देश में स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) और औद्योगिक केंद्रों पर भी पार्टी का ध्यान रहेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जो नई और बढ़ती तकनीकों के लिए उपयुक्त हैं, जैसे बायोटेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक वाहन। मुंबई-पुणे कॉरिडोर जैसे वैश्विक बाजारों के नजदीक स्थित होने के कारण महाराष्ट्र औद्योगिक और निर्यात-आधारित वृद्धि के लिए एक प्रमुख स्थान बन सकता है। बीजेपी के व्यापार-समर्थक नीतियों से महाराष्ट्र को वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

कृषि क्षेत्र का विकास:  

कृषि, जो अभी भी महाराष्ट्र की बड़ी हिस्सेदारी वाले क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करती है, एक ऐसा क्षेत्र है जो सुधार की दिशा में काफी पीछे रहा है। राज्य में जलसंकट, खराब फसल पैदावार और कृषक संकट जैसी समस्याएं सामने आई हैं। बीजेपी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई कृषि सुधारों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रही है, महाराष्ट्र में भी कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए योजनाएं लागू कर सकती है। बीजेपी राज्य में सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने, किसानों की आय को बढ़ाने और कृषि में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दे सकती है। पीएमएवाई (प्रधानमंत्री आवास योजना) और कृषि आधारित उद्योगों जैसे कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण महाराष्ट्र के लिए भी कई योजनाओं की संभावना है।

स्वास्थ्य और शिक्षा:  

महाराष्ट्र का स्वास्थ्य ढांचा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई समस्याओं का सामना कर रहा है। बीजेपी के नेतृत्व में राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, सस्ती चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने और पोषण एवं स्वच्छता जैसे मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया जा सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं जैसे 'आयुष्मान भारत' को राज्य स्तर पर लागू करने के प्रयासों से लाखों परिवारों को लाभ हो सकता है। शिक्षा क्षेत्र में, बीजेपी गुणवत्ता को बेहतर बनाने, डिजिटल शिक्षा के विस्तार और व्यावसायिक प्रशिक्षण में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। खासकर महाराष्ट्र के विविध आर्थिक आधार के मद्देनजर, पार्टी का युवाओं की कौशल विकास पर जोर देना अहम रहेगा। इस कदम से बेरोजगारी दर को कम करने में मदद मिल सकती है और राज्य के युवाओं को भविष्य के उद्योगों के लिए तैयार किया जा सकता है।

क्षेत्रीय असमानताएं:  

महाराष्ट्र में क्षेत्रीय असमानताएं एक बड़ी चुनौती रही हैं। जबकि मुंबई और पुणे ने तेजी से शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का लाभ उठाया है, वहीं विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र अभी भी गरीबी, अविकास और सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। बीजेपी की सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के लिए उचित नीतियों को लागू करना महत्वपूर्ण होगा। हालांकि पार्टी का केंद्रीकृत शासन मॉडल शहरी विकास को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन बीजेपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों को भी समुचित विकास मिले। ग्रामीण महाराष्ट्र में पीएमएवाई, कौशल विकास, और स्थानीय उद्यमिता जैसी योजनाओं के तहत विकास का लाभ मिल सकता है।

राजनीतिक परिदृश्य: गठबंधन और आने वाली चुनौतियाँ

बीजेपी की जीत राज्य की राजनीतिक धारा में बदलाव का संकेत देती है। राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी जैसी क्षेत्रीय ताकतों को कमजोर कर, बीजेपी एक मजबूत विपक्षी बनकर उभरी है। हालांकि, बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से मजबूत विरोध का सामना करना पड़ेगा, खासकर शिवसेना से, जो महाराष्ट्र की राजनीति में प्रभावी है। इसके अलावा, बीजेपी को राज्य में स्थानीय पहचान, आरक्षण नीति और क्षेत्रीय स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने की चुनौती हो सकती है। इन मुद्दों पर सही दिशा में काम करके ही बीजेपी राज्य में स्थिरता और विकास सुनिश्चित कर सकती है।

महाराष्ट्र के लिए एक नई शुरुआत?

बीजेपी की जीत महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। राज्य की विकास योजनाओं, व्यापार-समर्थक नीतियों और बुनियादी ढांचे पर जोर देने से राज्य में आर्थिक वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, राज्य की सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताओं को देखते हुए, पार्टी का असली परीक्षा तभी होगी जब वह इन मुद्दों को हल करने में सक्षम होगी। महाराष्ट्र का भविष्य बीजेपी के हाथों में है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस तरह से इन चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम करती है, ताकि राज्य के समग्र विकास और राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके।

एडीआर और JEC रिपोर्ट के अनुसार जानिए नव निर्वाचित विधायकों में से कितने विधायक करोड़ पति हैं तो कितने पर अपराधिक मामले

झारखंड डेस्क

झारखंड में विधानसभा का चुनाव संपन्‍न हो चुका है। ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रटिक रिफॉर्म्‍स) और JEC (झारखंड इलेक्‍शन वॉच) ने राज्‍य की सभी 81 सीटों पर नवनिर्वाचित विधायकों के आपराधिक, शैक्षणिक एवं वित्‍तीय आंकड़े का विश्‍लेषण किया है।

हालांकि, बेरमो सीट से कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह का शपथ पत्र स्‍पष्‍ट नहीं होने के कारण विश्‍लेषण इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।

झारखंड के नवनिर्वाचित विधायकों की दलवार स्थिति

राजनीतिक दल  नवनिर्वाचित विधायक

JMM             34

BJP              21

INC              16

RJD            04

CPI (M) (L) 02

AJSU (P)     01

JDU            01

LJP (R)        01

JLKM          01

36 नवनिर्वाचित विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले

झारखंड के 80 नवनिर्वाचित विधायकों में से 43 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 36 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 81 में से 44 विधायकों ने अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों की शपथ पत्र के माध्‍यम से घोषणा की थी। इनमें 34 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं, बात करें न‍वनिर्वाचित विधायकों की, तो इनमें 2 के ऊपर हत्‍या से संबंधित, 19 के ऊपर हत्‍या का प्रयास और 5 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर महिला अत्‍याचार से जुड़े मामले दर्ज हैं, जिसमें एक पर दुष्‍कर्म का मामला दर्ज है।

नवनिर्वाचित विधायकों पर आपराधिक व गंभीर आपराधिक मामले

राजनीतिक दल नवनिर्वाचित विधायक आपराधिक मामले

गंभीर आपराधिक मामले

JMM      34 12 (35%) 09 (26%)

BJP     21 13 (62%) 11 (11%)

INC  15 08 (53%) 06 (40%)

RJD   04 04 (100%) 04 (100%)

CPI (M) (L) 02 02 (100%) 02 (100%)

AJSU (P) 01 01 (100%) 01 (100%)

JDU   01 01 (100%) 01 (100%)

LJP (R)  01 01 (100%)  01 (100%)

JLKM    01 01 (100%) 01 (100%)

करोड़पति विधायकों में कांग्रेस के रामेश्‍वर उरांव टॉप पर

ADR और JEW की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 80

में 71, यानी कि 79% नवनिर्वाचित विधायक करोड़पति हैं। इस अनुसार, विजेता उम्‍मीदवारों की औसतन संपत्ति 6.90 करोड़ हुई। इनमें JMM के 34 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 6.28 करोड़, BJP के 21 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 7.57 करोड़, INC के 16 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 5.41 करोड़, RJD के 4 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 16.49 करोड़ और CPI (M) (L) के 2 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 3.91 करोड़ है। सबसे अमीर टॉप थ्री नवनिर्वाचित विधायकों की बात करें, तो लोहरदगा से कांग्रेस के विधायक रामेश्‍वर उरांव टॉप पर हैं। उनकी कुल संपत्ति 42.20 करोड़ हैं। वहीं, 32.15 करोड़ की कुल संपत्ति के साथ पांकी से BJP के कुशवाहा शशिभूषण मेहता दूसरे और गोड्डा से RJD के नवनिर्वाचित विधायक संजय प्रसाद यादव कुल 29.59 करोड़ की संपत्ति के साथ तीसरे स्‍थान पर है.

अधिकतम संपत्ति वाले टॉप 10 नवनिर्वाचित विधायक

विधायक- राजनीतिक दल -विधानसभा क्षेत्र चल संपत्ति

(रुपये में) अचल संपत्ति

(रुपये में) कुल संपत्ति (रुपये में)

डॉ. रामेश्‍वर उरांव

INC लोहरदगा (ST) 2,36,90,436 39,83,45,359 42,20,35,795

कुशवाहा शशिभूषण मेहता BJP पांकी 7,25,46,244 24,90,00,000 32,15,46,244

संजय प्रसाद यादव

RJD गोड्डा 4,03,97,350 25,56,00,000

29,59,97,350

कल्‍पना मुर्मू सोरेन

JMM गांडेय 8,87,05,589 16,46,82,364

25,33,87,953

हेमंत सोरेन

JMM बरहेट (ST) 8,87,05,589 16,46,82,364 25,33,87,953

मो. ताजुद्दीन JMM राजमहल 12,03,39,135 7,36,00,000 19,39,39,135

सुरेश पासवान

RJD देवघर (SC) 76,78,000 18,00,00,000 18,76,78,000

नवीन जायसवाल BJP हटिया 4,42,36,000 14,00,00,000 18,42,36,000

अनंत प्रताप देव

JMM भवनाथपुर 2,14,67,000 14,80,00,000 16,94,67,000

संजय कुमार सिंह यादव RJD हुसैनाबाद 79,64,180 14,80,25,000 15,59,89,180 पर हैं।

महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों  के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी  ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को किया संबोधित
डेस्क:–महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की है। साथ ही यूपी-असम समेत बिहार उपचुनावों में भी बीजेपी ने धमाकेदार सफलता हासिल की है। महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों में सफलात के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस रही।

पीएम मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। वहीं, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है। विभाजनकारी ताकतें हारी हैं, निगेटिव पॉलिटिक्स की पराजय हुई है, आज परिवारवाद की हार हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार निशाना साधते हुए इसे भारतीय राजनीति में “परजीवी पार्टी” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस न केवल अपनी हार का कारण बन रही है, बल्कि अपने सहयोगियों को भी नीचे खींच रही है।

अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा, आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनावों के भी नतीजे आए हैं और लोकसभा की एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा का जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर एक बार फिर भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी भाजपा को सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है।

PM मोदी ने अपने नारे एक हैं तो सेफ हैं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस और उसके ईकोसिस्टम ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर सामाजिक न्याय की भावना को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी जाति के खिलाफ लड़ने के बजाय अब जाति का जहर फैलाने में लगी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का “शाही परिवार” अपनी सत्ताभूख को शांत करने के लिए देश और समाज के हितों की अनदेखी कर रहा है। ये पार्टी न केवल अपनी विचारधारा से भटक गई है, बल्कि अपने पुराने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को भी निराश कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस अब परजीवी पार्टी बनकर रह गई है. कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं अपने साथियों के नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है. ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद को डूबती है और दूसरों को भी डूबो देती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी और उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। अच्छा है यूपी जैसे राज्य में कांग्रेस के सहयोगियों ने उनसे जान छुड़ा ली, वरना वहां भी सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।
आइये जानते हैं झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के सभी 81 विधानसभा सीट का परिणाम


1. बाघमारा सीट : शत्रुध्न महतो (BJP) जीत गए।

2. बगोदर सीट : नागेंद्र महतो (BJP) जीत गए।

3. बहरागोड़ा सीट: समीर कुमार मोहंती (JMM) जीत गए।

4. बरहेट सीट : हेमंत सोरेन (JMM) जीत गए।

5. बरही सीट : मनोज कुमार यादव (BJP) जीत गए।

6. बड़कागांव सीट : रोशन लाल चौधरी (BJP) जीत गए।

7. बरकट्ठा सीट : जानकी प्रसाद यादव (JMM) जीत की और आगे बढ़ रहे है।

8. बेरमो सीट : कुमार जयमंगल (कांग्रेस) जीत गए।

9. भवनाथपुर सीट : अनंत प्रताप देव (JMM) जीत गए।

10. बिश्रामपुर सीट : नरेश प्रसाद सिंह (राजद) से जीत गए।

11. बिशुनपुर सीट : चमरा लिंडा (JMM) जीत गए।

12. बोकारो सीट : श्वेता सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

13. बोरियो सीट : धनंजय सोरेन (JMM) जीत की और बढ़ रहे है।

14. चाईबासा सीट : दीपक बिरुवा (JMM) जीत गए।

15. चक्रधरपुर सीट : सुखराम उड़ाव (JMM) जीत गए

16. चंदनकियारी सीट : उमा कांत रजक (JMM) जीत गए।

17. चतरा सीट : जनार्दन पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी -रामविलास पासवान) जीत गए।

18. छतरपुर सीट : राधा कृष्णा किशोर (कांग्रेस) जीत गए।

19. डाल्टनगंज सीट : आलोक कुमार चौरसिया (BJP) जीत रहे है।

20. देवघर सीट : सुरेश पासवान (राजद) जीत गए।

21. धनबाद : राज सिंहा (बीजेपी) जीत गए।

22. धनवार सीट : बाबूलाल मरांडी (BJP) से जीत रहे है।

23. दुमका सीट : बसंत सोरेन (JMM) जीत गए।

24. डुमरी सीट: जयराम कुमार महतो (JLKM) से जीत गए।

25. गांडेय सीट : कल्पना मुर्मू सोरेन(JMM) जीत गई।

26. गढ़वा सीट : सतेन्द्र नाथ तिवारी (BJP) जीत रहे है।

27. घाटशिला सीट : रामदास सोरेन (JMM) जीत गए।

28. गिरिडीह सीट : निर्भय कुमार शहाबादी (BJP) जीत रहे है।

29. गोड्डा सीट : संजय प्रसाद यादव (राजद) जीत गए।

30. गोमिया सीट : योगेंद्र प्रसाद (JMM) जीत गए।

31. गुमला सीट : भूषण तिर्की (JMM) जीत गए।

32. हटिया सीट : नवीन कुमार जायसवाल ( BJP) जीत रहे है।

33. हजारीबाग सीट : प्रदीप प्रसाद (BJP) जीत रहे है।

34. हुसैनाबाद सीट : संजय कुमार सिंह यादव (राजद) जीत गए।

35. इचागढ़ सीट : सबिता महतो (JMM) जीत रही है।

36. जगन्नाथपुर सीट : सोना राम सिंकू (कांग्रेस) जीत गए।

37. जामा सीट : लुईस मरांडी (JMM) जीत गई।

38. जमशेदपुर पूर्वी : पूर्णिमा साहू (BJP) जीत गई।

39. जमशेदपुर पश्चिमी: सरयू रॉय (जनता दल यूनाइटेड) जीत गए।

40. जामताड़ा सीट : इरफान अंसारी (कांग्रेस) जीत गए।

41. जमुआ सीट : मंजू कुमारी (BJP) जीत गई।

42. जरमुंडी सीट : देवेन्द्र कुंवर (बीजेपी) जीत गए।

43. झरिया सीट : रागिनी सिंह (बीजेपी) जीत गई।

44. जुगसलाई सीट : मंगल कालिंदी (JMM) जीत गए।

45. कांके सीट : सुरेश कुमार बैठा (कांग्रेस) जीत गए।

46. खरसांवा सीट : दशरथ गार्गेय (JMM) जीत गए।

47. खिजरी सीट : राजेश कच्छप (कांग्रेस) जीत गए।

48. खूंटी सीट : राम सूर्या मुंडा ( JMM) जीत गए।

49. कोडरमा सीट : डॉ नीरा यादव (BJP) जीत रही है।

50. कोलेबिरा सीट : नमन बिक्सल कांगड़ी (कांग्रेस) जीत गए।

51. लातेहार सीट : प्रकाश राम (बीजेपी) जीत रहे है।

52. लिटीपारा सीट : हेमलाल मुर्मू (JMM) जीत गए।

53. लोहरदगा सीट : डॉ रामेश्वर उरांव (कांग्रेस) जीत गए।

54. मधुपुर सीट : हफ़ीज़ुल हसन (JMM) जीत रहे है।

55. महागामा सीट : दीपिका पाण्डेय सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

56. महेशपुर सीट : स्टीफन मरांडी (JMM) जीत गए।

57. मझगांव सीट : निरल पूर्ति (JMM) जीत गए।

58. मांडर सीट : शिल्पी नेहा तिर्की (कांग्रेस) जीत गई।

59. मांडू सीट : निर्मल महतो (आजसू) जीत गए।

60. मनिका सीट : रामचंद्र सिंह (कांग्रेस) जीत गए।

61. मनोहरपुर सीट : जगत मांझी (JMM) जीत गए।

62. नाला सीट : रविंद्र नाथ महतो (JMM) जीत गए।

63. निरसा सीट : अरूप चटर्जी (सीपीआई एम एल) जीत गए।

64. पाकुड़ सीट : निशत आलम (कांग्रेस) जीत गई।

65. पांकी सीट : कुशवाहा शशि भूषण मेहता (बीजेपी) जीत गए।

66. पोड़ैयाहाट सीट : प्रदीप यादव (कांग्रेस) जीत गए।

67. पोटका सीट : संजीव सरदार (JMM) जीत गए।

68. राजमहल सीट : मो. ताजुद्दीन (JMM) जीत गए।

69. रामगढ़ सीट : ममता देवी (कांग्रेस) जीत गई।

70. रांची : सी पी सिंह (बीजेपी) जीत गए।

71. सारठ सीट : उदय शंकर सिंह (JMM) जीत गए।

72. सरायकेला सीट : चंपई सोरेन (बीजेपी) जीत गए।

73. शिकारीपाड़ा सीट : आलोक कुमार सोरेन (JMM) जीत गए।

74. सिल्ली सीट : अमित कुमार (JMM) जीत गए।

75. सिमरिया सीट : कुमार उज्जवल (बीजेपी) जीत गए।

76. सिमडेगा सीट : भूषण बाड़ा (कांग्रेस) जीत रहे है।

77. सिंदरी सीट : चंद्रदेव महतो (सीपीआई एम एल एल) जीत गए।

78. सिसई सीट : जिगा सुसारन होरो (JMM) जीत गए।

79. तमाड़ सीट : विकास कुमार मुंडा (JMM) जीत गए।

80. तोरपा सीट : सुदीप गुडिया (JMM) जीत गए।

81. टुंडी सीट : मथुरा प्रसाद महतो (JMM) जीत गए। हलचल

संघ प्रमुख के बयान पर सियासी बवाल: भूपेश ने कहा–मोहन भागवत की उम्र हो गई है,अब शादी तो करेंगे नहीं, लेकिन संघ के अविवाहितों की शादी करानी चाहिए

रायपुर-  आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान से सिसायी बवाल मच गया है. संघ प्रमुख ने कहा है कि हिंदुओं को कम से कम 3 बच्चे पैदा करना चाहिए. इस बयान पर कांग्रेस नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निशाना साधते हुए कहा कि संघ में जो अविवाहित लोग हैं उन्हें पहले विवाह करना चाहिए. संघ प्रमुख तो बुजुर्ग हो गए हैं. वे शादी नहीं कर सकते हैं, लेकिन उन्हें संघ में अपील करनी चाहिए. हालांकि उनकी बात कही सुनी नहीं जा रही है.

राजीव युवा मितान क्लब को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति गर्म है. मितान क्लब के युवाओं से भूपेश बघेल के संवाद के बाद से बघेल भाजपा नेताओं और खासकर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा के निशाने पर है. पंकज झा एक्स पर पोस्ट करते हुए बघेल पर निशाना साधते हुए कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस से अलग अपनी टीम बनाने में लगे हैं. वे जोगी जी के रास्ते पर चल रहे हैं. अब इस मामले को लेकर बघेल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

झा के बयान पर बघेल का पलटवार, कहा – बयान देने BJP में नेताओं की कमी

भूपेश बघेल ने पंकज झा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कौन मीडिया सलाहकार हैं ? कहां के रहने वाला है ? सरकार छत्तीसगढ़ से चल रही है कि बिहार से ? क्या भाजपा में राजनीतिक बयान देने के लिए नेताओं की कमी हो गई है. वैसे भी भाजपा के कई बड़े नेता खाली बैठे हुए हैं. चाहे अजय चंद्राकर हो, चाहे धरम लाल कौशिक, य़ा फिर अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, नारायण चंदेल, प्रेम प्रकाश पाण्डेय. भाजपा के अंदर का आक्रोश किसी दिन जबरदस्त तरीके से फूटेगा. नाराजगी कांग्रेस में नहीं भाजपा संगठन में बढ़ गई है.

‘प्रदेश में फिर चारा घोटाला को अंजाम देने की तैयारी’

छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष विशेषर पटेल की नियुक्ति पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल खड़ा किया है. बघेल ने कहा कि रमन सरकार के समय भी पटेल गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष थे. उनके कार्यकाल में ही बड़ी संख्या में गायों की मौत हुई थी. गौशालाओं में अनुदान घोटाला का आरोप लगा था. रमन सरकार ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटा भी दिया था. अब फिर से उन्हें नियुक्ति दे दी गई है. क्या फिर से प्रदेश में चारा घोटाला को अंजाम देने की तैयारी है ?

‘किसानों से 21 क्विंटल धान नहीं खरीदना चाहती सरकार’

छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से धान खरीदी जारी है. खरीदी के साथ ही सियासत भी जारी है. पक्ष और विपक्ष के बीच खरीदी की व्यवस्था पर वार और पलटवार भी चल रहा है. एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खरीदी की व्यवस्था पर सवाल उठाया है. बघेल ने कहा कि खरीदी का सिस्टम बहुत ही खराब है. न तो समय पर टोकन कट रहा है और न ही पर्याप्त टोकन मिल रहा है. खरीदी केंद्रों से धान का उठाव भी नहीं हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि सरकार किसानों से 21 क्विंटल धान खरीदना ही नहीं चाहती.

महाराष्ट्र के लिए बीजेपी ने नियुक्त किए पर्यवेक्षक, सीतारमण-विजय रूपाणी को मिली ये बड़ी जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र में चुनाव खत्म होकर नतीजे आए भी हफ्ते से ज्यादा हो गया है। लेकिन एनडीए को बंपर जीत के बाद भी अब तक मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका तक ऐलान नहीं हुआ है।महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी तक सस्पेंस की स्थिति बनी हुई है। यह तो तय है कि मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा, लेकिन कौन होगा इस पर फैसला अभी होना बाकी है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। बीजेपी ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।इनकी मौजूदगी में ही पार्टी विधायक दल के नेता का चयन होगा।

बीजेपी की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में यह घोषणा की गई। भाजपा महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि पार्टी के संसदीय बोर्ड ने महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए इन दोनों नेताओं की नियुक्ति की गई है। 4 दिसंबर को महाराष्ट्र में बीजेपी के विधायक दल की बैठक होनी है। विधायक दल की बैठक में नेता का चुनाव होगा और इसके बाद सरकार गठन के आगे की कार्यवाही होगी।

बीजेपी विधायक दल की बैठक में जिस नेता के नाम पर मुहर लगेगी उसी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की सरकार के गठन का दावा पेश किया जाएगा। महायुति में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। सबकी नजरें इसी बात पर टिकी हैं कि बीजेपी का नेता कौन होगा। सूत्रों की मानें तो देवेंद्र फडणवीस इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।

चुनावी नतीजों की घोषणा के एक हफ्ते से अधिक समय बाद भी महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन नहीं हुआ है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भाजपा के फैसले का समर्थन करेंगे 0उनकी इस घोषणा के बाद लगभग यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री भाजपा से होगा। भाजपा ने घोषणा की है कि नई महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह पांच दिसंबर की शाम दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें शामिल होंगे।

बता दें कि महाराष्ट्र में महायुति ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 230 सीट पर जीत हासिल की है। भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीट पर जीत दर्ज की, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को 41 सीट मिलीं।

मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी को क्या नसीहत दी, भागवत की किस सलाह का दिया हवाला?

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बड़ी नसीहत दी है। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह का हवाला भी दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी पर देश की हर मस्जिद में सर्वेक्षण कराकर समाज को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि ऐसा कर सत्तारूढ़ दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह की अवहेलना कर रहा है। खरगे की टिप्पणी उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मद्देनजर आई है। संभल में एक मस्जिद में यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है कि क्या वहां कोई मंदिर था।

सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे रविवार को दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक महासंघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक विशाल रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी से मोहन भागवत के 2022 के बयान पर ध्यान देने को कहा। खरगे ने आरएसएस प्रमुख का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर का निर्माण करना था और हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, आज देश में हर जगह सर्वे वाले ये पता लगा रहे हैं कि कहां पहले मंदिर थे और कहां मस्जिद थी, लेकिन 2023 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हमारा लक्ष्य राम मंदिर बनाने का था, हर मस्जिद के नीचे शिवालय ढूंढना गलत है। जब बीजेपी-आरएसएस वाले ही ये बातें कह रहे हैं, तो फिर सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा है। हम सभी तो एक हैं।

क्या लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार भी ध्वस्त होगा-खरगे

खरगे ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं 'एक हैं तो सेफ हैं', लेकिन वे किसी को भी सेफ नहीं रहने दे रहे हैं। आप एकता की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य इसे धोखा देते हैं। आपके नेता मोहन भागवत ने कहा है कि अब जब राम मंदिर बन गया है, तो और अधिक पूजा स्थलों की तलाश करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप उनके शब्दों का सम्मान करते हैं, तो और कलह क्यों पैदा करते हैं?' खरगे ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार और चार मीनार जैसी संरचनाओं को भी ध्वस्त कर देगी, जो मुसलमानों की तरफ से बनवाई गई थीं।

आखिर भागवत ने क्या कहा था

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जून 2022 में ज्ञानवापी विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भागवत ने कहा था कि इतिहास वो है जिसे हम बदल नहीं सकते। उनका कहना था कि इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा.... हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? उनका कहना था कि अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है। संघ प्रमुख नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान बोल रहे थे।

ऐतिहासिक जीत के बाद हेमंत सोरेन की ताकतवर वापसी, चौथी बार बने मुख़्यमंत्री

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है और अब वह चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अपनी मजबूत राजनीतिक छवि और आदिवासी समाज के लिए किए गए काम के कारण सोरेन ने एक बार फिर झारखंड की जनता का विश्वास जीता है। उनका यह कार्यकाल न केवल राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह उनके नेतृत्व की एक नई परिभाषा भी स्थापित करेगा।

चुनावी परिणामों के बाद, हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सरकार को एक बार फिर सत्ता में लाया है। पार्टी और सोरेन की जीत ने राज्य की राजनीति में नया जोश और उम्मीद की लहर पैदा की है। चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने जो वादे किए थे, अब उन्हें पूरा करने का समय आ गया है।

चौथे कार्यकाल की शुरुआत

हेमंत सोरेन की चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की तैयारी उनके नेतृत्व में राज्य के विकास की नई दिशा तय करेगी। इस जीत के साथ ही सोरेन का यह कार्यकाल झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर लेकर आया है। उनका मुख्य ध्यान राज्य के आदिवासी समुदाय के कल्याण, ग्रामीण विकास, और सामाजिक समावेशन पर होगा। सोरेन ने पहले भी अपने कार्यकाल में आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, और अब वह इस कार्यकाल में इन्हें और भी प्रभावी बनाने के लिए तैयार हैं। हेमंत सोरेन ने यह स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य राज्य में हर वर्ग के लिए समान विकास सुनिश्चित करना है, खासकर उन समुदायों के लिए जिन्हें पिछली सरकारों द्वारा नजरअंदाज किया गया।

ऐतिहासिक जीत और जनसमर्थन

हेमंत सोरेन की ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि राज्य के लोगों का उन पर अब भी विश्वास कायम है। चुनावी परिणामों में उनकी पार्टी को भारी समर्थन मिला, खासकर आदिवासी और ग्रामीण इलाकों से। सोरेन की छवि एक ऐसे नेता के रूप में रही है जो हमेशा अपने लोगों के लिए खड़ा होता है और उनके हक के लिए लड़ता है। यही कारण है कि उन्हें राज्य के नागरिकों का व्यापक समर्थन मिला है। चुनावों के दौरान सोरेन ने राज्य के विकास, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, और आदिवासी अधिकारों को प्राथमिकता दी थी, और उनका यह विजयी प्रचार उसी पर आधारित था। उनके नेतृत्व में झारखंड में कई अहम योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनसे आम जनता को लाभ हुआ है। 

राज्य के विकास के लिए प्राथमिकताएं

हेमंत सोरेन के चौथे कार्यकाल में कई अहम योजनाओं की शुरुआत होने की उम्मीद है। सोरेन ने पहले ही यह स्पष्ट किया है कि उनका ध्यान झारखंड के आदिवासी और कमजोर वर्गों के कल्याण पर रहेगा। साथ ही, वह राज्य के बुनियादी ढांचे में सुधार, रोजगार सृजन, और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लागू करने के लिए कृतसंकल्पित हैं।

1. आदिवासी कल्याण:

 झारखंड में आदिवासी समुदाय को समाज के हर क्षेत्र में बराबरी का अधिकार मिल सके, इसके लिए सोरेन सरकार कई योजनाएं शुरू करेगी। आदिवासी भूमि अधिकारों की रक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

2. रोजगार सृजन और उद्योगों का विकास: बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए सोरेन सरकार राज्य में नए उद्योगों की स्थापना और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी। इस दिशा में कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा पर भी जोर दिया जाएगा।

3. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार: राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लागू की जाएंगी। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को बेहतर बनाना सरकार की प्राथमिकता होगी।

4. बुनियादी ढांचे का विकास: झारखंड के कई हिस्सों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिसके कारण वहां के लोग मुश्किलों का सामना करते हैं। सोरेन सरकार का ध्यान सड़कों, पानी, बिजली और परिवहन सुविधाओं के सुधार पर रहेगा।

विपक्ष और चुनौतियां

हालांकि हेमंत सोरेन का नेतृत्व झारखंड में लोकप्रिय है, लेकिन उन्हें विपक्षी दलों से कड़ी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य विपक्षी दलों ने सोरेन सरकार पर कई सवाल उठाए हैं, खासकर राज्य में बेरोजगारी, विकास की गति और कानून-व्यवस्था को लेकर। 

सोरेन सरकार को इन आलोचनाओं का प्रभावी ढंग से जवाब देना होगा और यह साबित करना होगा कि उनके नेतृत्व में राज्य का विकास सही दिशा में हो रहा है। राज्य में नक्सलवाद जैसी समस्याएं भी चुनौती बनी हुई हैं, और सोरेन को इन समस्याओं का समाधान करना होगा। 

हेमंत सोरेन की चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की शपथ झारखंड के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। उनकी सरकार का ध्यान राज्य के समग्र विकास, खासकर आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कल्याण पर रहेगा। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए सोरेन सरकार नई पहलें कर सकती है। हालांकि, उन्हें विपक्षी दलों से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अगर वह अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करते हैं, तो झारखंड को एक नई दिशा मिल सकती है। सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के लोग आशावादी हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके चौथे कार्यकाल में राज्य का समग्र विकास होगा।

JMM छोड़ने वाले नेता एक बार फिर फ्लॉप, बाबूलाल सोरेन और सीता सोरेन समेत इन नेता हारे!

झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 में JMM के कई बागी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा. इसमें सीता सोरेन से लेकर बाबू लाल सोरेन तक शामिल हैं. शिकस्त झेलने वालों में कुल 4 नेता हैं. इन नेताओं को चुनाव से पहले JMM से इस्तीफा देना भारी पड़ा है.

बाबूलाल सोरेन- ये पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बेटे हैं. घाटशीला सीट से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था. उन्हें JMM के रामदास सोरेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा. बाबूलाल को 75 हजार 910 वोट मिले तो रामदास को 98 हजार 356 वोट मिले. यानी बाबूलाल को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा.

सीता सोरेन- सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को जामताड़ा सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इरफान अंसारी को 1 लाख 33 हजार 266 वोट मिले तो सीता सोरेन को 89 हजार 590 वोट मिले.

सूरज मंडल- ये कभी शिबू सोरेन का दाहिना हाथ हुए करते थे. बीजेपी में अपना सियासी भविष्य देख रहे थे, लेकिन कुछ कर नहीं पाए.

लोबिन हेम्बर्म- लोबिन JMM से बीजेपी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें बोरियो से टिकट मिला था. लेकिन वो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. उन्हें JMM के धनंजय सोरेन के हाथों शिकस्त मिली. लोबिन के खाते में 78 हजार 044 वोट आए तो धनंजय को 97 हजार 317 वोट मिले.

लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ गठबंधन 81 सदस्यीय विधानसभा की 56 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार झारखंड की सत्ता पर काबिज हुआ. वहीं, चुनाव अभियान के दौरान एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाला NDA महज 24 सीटें हासिल कर सका. विधानसभा चुनावों में JMM और कांग्रेस ने आदिवासी बेल्ट की 27 सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि बीजेपी महज सरायकेला में जीत दर्ज करने में सफल रही, जहां उसने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को मैदान में उतारा था.

चंपई विधानसभा चुनावों से पहले JMM छोड़ BJP में शामिल हो गए थे. उन्होंने हेमंत सोरेन नीत पार्टी पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया था. हालिया विधानसभा चुनावों में आदिवासी बेल्ट की 20 सीटें अकेले JMM की झोली में गईं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पार्टी को लोकलुभावन योजनाओं के अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कथित अन्याय का मुद्दा उठाने से पैदा हुई सहानुभूति लहर का फायदा मिला.

वहीं, JMM की सहयोगी कांग्रेस सात सीटों पर विजयी रही. जबकि, 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी आदिवासी बेल्ट में खाता तक खोलने में नाकाम रही थी. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनावों में उसने छह सीटों पर कब्जा जमाया था.

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

क्या महाराष्ट्र में बीजेपी की प्रचंड जीत राज्य के भविष्य को देगी नई दिशा?

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महाराष्ट्र, जो भारत के सबसे जनसंख्या वाले और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, हमेशा देश की राजनीतिक कथा में एक केंद्रीय स्थान रखता है। हाल ही में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महत्वपूर्ण जीत ने राज्य के शासन, आर्थिक दिशा और राजनीतिक परिदृश्य पर गहरे प्रभाव डालने की संभावना जताई है। महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत राज्य के भविष्य को कैसे आकार दे सकती है, खासकर शासन, आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में।

महाराष्ट्र में बीजेपी की वृद्धि

महाराष्ट्र, जिसका ऐतिहासिक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य काफी समृद्ध रहा है, हमेशा से ही राजनीति का अहम केंद्र रहा है। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) जैसे दल दशकों तक राज्य की राजनीति में हावी रहे हैं, जिनमें शिवसेना ने मुंबई और इसके आस-पास के इलाकों में प्रमुख स्थान बनाए रखा। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने राज्य में अपनी बढ़ती ताकत के संकेत दिए हैं, जिसका नेतृत्व देवेंद्र फडणवीस और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं ने किया।

बीजेपी की हाल की चुनावी जीत एक ऐसे समय पर आई है, जब राज्य कई चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है। बीजेपी की मजबूत राजनीतिक संरचना और राष्ट्रीय पैठ को देखते हुए यह जीत पार्टी के विचारधारा, नेतृत्व और भविष्य की दृष्टि के समर्थन के रूप में देखी जा रही है। यह जीत महाराष्ट्र की राजनीतिक धारा में हो रहे परिवर्तनों का भी प्रतीक है, जहां क्षेत्रीय दलों को बीजेपी की राष्ट्रीय अपील और केंद्रीकृत शासन मॉडल से चुनौती मिल रही है।

आर्थिक प्रभाव: विकास और निवेश

महाराष्ट्र भारत की आर्थिक धुरी है, जो देश के जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन और वित्तीय सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई के घर के रूप में, राज्य देश की आर्थिक प्रगति में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। हालांकि, अपनी आर्थिक ताकतों के बावजूद, महाराष्ट्र को संतुलित क्षेत्रीय विकास, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे की वृद्धि और सामाजिक कल्याण के संदर्भ में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

बीजेपी की जीत राज्य की आर्थिक दिशा पर गहरे प्रभाव डालने वाली है। बीजेपी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगिक वृद्धि और निवेश को आकर्षित करने पर खास जोर दिया जा सकता है। पार्टी ने हमेशा व्यवसाय समर्थक एजेंडे का समर्थन किया है, जिसमें ब्योरोक्रेसी की बाधाओं को कम करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का वादा किया है।

औद्योगिक वृद्धि और निवेश:  

महाराष्ट्र में कई प्रमुख उद्योगों जैसे विनिर्माण, वित्त और प्रौद्योगिकी का वर्चस्व है। बीजेपी के व्यापार समर्थक रुख के कारण राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ सकता है, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र को केंद्र सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी योजनाओं का भी फायदा मिल सकता है, जो देश में स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) और औद्योगिक केंद्रों पर भी पार्टी का ध्यान रहेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जो नई और बढ़ती तकनीकों के लिए उपयुक्त हैं, जैसे बायोटेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक वाहन। मुंबई-पुणे कॉरिडोर जैसे वैश्विक बाजारों के नजदीक स्थित होने के कारण महाराष्ट्र औद्योगिक और निर्यात-आधारित वृद्धि के लिए एक प्रमुख स्थान बन सकता है। बीजेपी के व्यापार-समर्थक नीतियों से महाराष्ट्र को वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

कृषि क्षेत्र का विकास:  

कृषि, जो अभी भी महाराष्ट्र की बड़ी हिस्सेदारी वाले क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करती है, एक ऐसा क्षेत्र है जो सुधार की दिशा में काफी पीछे रहा है। राज्य में जलसंकट, खराब फसल पैदावार और कृषक संकट जैसी समस्याएं सामने आई हैं। बीजेपी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई कृषि सुधारों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रही है, महाराष्ट्र में भी कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए योजनाएं लागू कर सकती है। बीजेपी राज्य में सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने, किसानों की आय को बढ़ाने और कृषि में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दे सकती है। पीएमएवाई (प्रधानमंत्री आवास योजना) और कृषि आधारित उद्योगों जैसे कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण महाराष्ट्र के लिए भी कई योजनाओं की संभावना है।

स्वास्थ्य और शिक्षा:  

महाराष्ट्र का स्वास्थ्य ढांचा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई समस्याओं का सामना कर रहा है। बीजेपी के नेतृत्व में राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, सस्ती चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने और पोषण एवं स्वच्छता जैसे मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया जा सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं जैसे 'आयुष्मान भारत' को राज्य स्तर पर लागू करने के प्रयासों से लाखों परिवारों को लाभ हो सकता है। शिक्षा क्षेत्र में, बीजेपी गुणवत्ता को बेहतर बनाने, डिजिटल शिक्षा के विस्तार और व्यावसायिक प्रशिक्षण में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। खासकर महाराष्ट्र के विविध आर्थिक आधार के मद्देनजर, पार्टी का युवाओं की कौशल विकास पर जोर देना अहम रहेगा। इस कदम से बेरोजगारी दर को कम करने में मदद मिल सकती है और राज्य के युवाओं को भविष्य के उद्योगों के लिए तैयार किया जा सकता है।

क्षेत्रीय असमानताएं:  

महाराष्ट्र में क्षेत्रीय असमानताएं एक बड़ी चुनौती रही हैं। जबकि मुंबई और पुणे ने तेजी से शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का लाभ उठाया है, वहीं विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र अभी भी गरीबी, अविकास और सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। बीजेपी की सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के लिए उचित नीतियों को लागू करना महत्वपूर्ण होगा। हालांकि पार्टी का केंद्रीकृत शासन मॉडल शहरी विकास को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन बीजेपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों को भी समुचित विकास मिले। ग्रामीण महाराष्ट्र में पीएमएवाई, कौशल विकास, और स्थानीय उद्यमिता जैसी योजनाओं के तहत विकास का लाभ मिल सकता है।

राजनीतिक परिदृश्य: गठबंधन और आने वाली चुनौतियाँ

बीजेपी की जीत राज्य की राजनीतिक धारा में बदलाव का संकेत देती है। राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी जैसी क्षेत्रीय ताकतों को कमजोर कर, बीजेपी एक मजबूत विपक्षी बनकर उभरी है। हालांकि, बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से मजबूत विरोध का सामना करना पड़ेगा, खासकर शिवसेना से, जो महाराष्ट्र की राजनीति में प्रभावी है। इसके अलावा, बीजेपी को राज्य में स्थानीय पहचान, आरक्षण नीति और क्षेत्रीय स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने की चुनौती हो सकती है। इन मुद्दों पर सही दिशा में काम करके ही बीजेपी राज्य में स्थिरता और विकास सुनिश्चित कर सकती है।

महाराष्ट्र के लिए एक नई शुरुआत?

बीजेपी की जीत महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। राज्य की विकास योजनाओं, व्यापार-समर्थक नीतियों और बुनियादी ढांचे पर जोर देने से राज्य में आर्थिक वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, राज्य की सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताओं को देखते हुए, पार्टी का असली परीक्षा तभी होगी जब वह इन मुद्दों को हल करने में सक्षम होगी। महाराष्ट्र का भविष्य बीजेपी के हाथों में है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस तरह से इन चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम करती है, ताकि राज्य के समग्र विकास और राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके।

एडीआर और JEC रिपोर्ट के अनुसार जानिए नव निर्वाचित विधायकों में से कितने विधायक करोड़ पति हैं तो कितने पर अपराधिक मामले

झारखंड डेस्क

झारखंड में विधानसभा का चुनाव संपन्‍न हो चुका है। ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रटिक रिफॉर्म्‍स) और JEC (झारखंड इलेक्‍शन वॉच) ने राज्‍य की सभी 81 सीटों पर नवनिर्वाचित विधायकों के आपराधिक, शैक्षणिक एवं वित्‍तीय आंकड़े का विश्‍लेषण किया है।

हालांकि, बेरमो सीट से कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह का शपथ पत्र स्‍पष्‍ट नहीं होने के कारण विश्‍लेषण इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।

झारखंड के नवनिर्वाचित विधायकों की दलवार स्थिति

राजनीतिक दल  नवनिर्वाचित विधायक

JMM             34

BJP              21

INC              16

RJD            04

CPI (M) (L) 02

AJSU (P)     01

JDU            01

LJP (R)        01

JLKM          01

36 नवनिर्वाचित विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले

झारखंड के 80 नवनिर्वाचित विधायकों में से 43 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 36 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 81 में से 44 विधायकों ने अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों की शपथ पत्र के माध्‍यम से घोषणा की थी। इनमें 34 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं, बात करें न‍वनिर्वाचित विधायकों की, तो इनमें 2 के ऊपर हत्‍या से संबंधित, 19 के ऊपर हत्‍या का प्रयास और 5 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर महिला अत्‍याचार से जुड़े मामले दर्ज हैं, जिसमें एक पर दुष्‍कर्म का मामला दर्ज है।

नवनिर्वाचित विधायकों पर आपराधिक व गंभीर आपराधिक मामले

राजनीतिक दल नवनिर्वाचित विधायक आपराधिक मामले

गंभीर आपराधिक मामले

JMM      34 12 (35%) 09 (26%)

BJP     21 13 (62%) 11 (11%)

INC  15 08 (53%) 06 (40%)

RJD   04 04 (100%) 04 (100%)

CPI (M) (L) 02 02 (100%) 02 (100%)

AJSU (P) 01 01 (100%) 01 (100%)

JDU   01 01 (100%) 01 (100%)

LJP (R)  01 01 (100%)  01 (100%)

JLKM    01 01 (100%) 01 (100%)

करोड़पति विधायकों में कांग्रेस के रामेश्‍वर उरांव टॉप पर

ADR और JEW की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 80

में 71, यानी कि 79% नवनिर्वाचित विधायक करोड़पति हैं। इस अनुसार, विजेता उम्‍मीदवारों की औसतन संपत्ति 6.90 करोड़ हुई। इनमें JMM के 34 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 6.28 करोड़, BJP के 21 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 7.57 करोड़, INC के 16 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 5.41 करोड़, RJD के 4 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 16.49 करोड़ और CPI (M) (L) के 2 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 3.91 करोड़ है। सबसे अमीर टॉप थ्री नवनिर्वाचित विधायकों की बात करें, तो लोहरदगा से कांग्रेस के विधायक रामेश्‍वर उरांव टॉप पर हैं। उनकी कुल संपत्ति 42.20 करोड़ हैं। वहीं, 32.15 करोड़ की कुल संपत्ति के साथ पांकी से BJP के कुशवाहा शशिभूषण मेहता दूसरे और गोड्डा से RJD के नवनिर्वाचित विधायक संजय प्रसाद यादव कुल 29.59 करोड़ की संपत्ति के साथ तीसरे स्‍थान पर है.

अधिकतम संपत्ति वाले टॉप 10 नवनिर्वाचित विधायक

विधायक- राजनीतिक दल -विधानसभा क्षेत्र चल संपत्ति

(रुपये में) अचल संपत्ति

(रुपये में) कुल संपत्ति (रुपये में)

डॉ. रामेश्‍वर उरांव

INC लोहरदगा (ST) 2,36,90,436 39,83,45,359 42,20,35,795

कुशवाहा शशिभूषण मेहता BJP पांकी 7,25,46,244 24,90,00,000 32,15,46,244

संजय प्रसाद यादव

RJD गोड्डा 4,03,97,350 25,56,00,000

29,59,97,350

कल्‍पना मुर्मू सोरेन

JMM गांडेय 8,87,05,589 16,46,82,364

25,33,87,953

हेमंत सोरेन

JMM बरहेट (ST) 8,87,05,589 16,46,82,364 25,33,87,953

मो. ताजुद्दीन JMM राजमहल 12,03,39,135 7,36,00,000 19,39,39,135

सुरेश पासवान

RJD देवघर (SC) 76,78,000 18,00,00,000 18,76,78,000

नवीन जायसवाल BJP हटिया 4,42,36,000 14,00,00,000 18,42,36,000

अनंत प्रताप देव

JMM भवनाथपुर 2,14,67,000 14,80,00,000 16,94,67,000

संजय कुमार सिंह यादव RJD हुसैनाबाद 79,64,180 14,80,25,000 15,59,89,180 पर हैं।

महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों  के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी  ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को किया संबोधित
डेस्क:–महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की है। साथ ही यूपी-असम समेत बिहार उपचुनावों में भी बीजेपी ने धमाकेदार सफलता हासिल की है। महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों में सफलात के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस रही।

पीएम मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। वहीं, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है। विभाजनकारी ताकतें हारी हैं, निगेटिव पॉलिटिक्स की पराजय हुई है, आज परिवारवाद की हार हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार निशाना साधते हुए इसे भारतीय राजनीति में “परजीवी पार्टी” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस न केवल अपनी हार का कारण बन रही है, बल्कि अपने सहयोगियों को भी नीचे खींच रही है।

अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा, आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनावों के भी नतीजे आए हैं और लोकसभा की एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा का जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर एक बार फिर भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी भाजपा को सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है।

PM मोदी ने अपने नारे एक हैं तो सेफ हैं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस और उसके ईकोसिस्टम ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर सामाजिक न्याय की भावना को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी जाति के खिलाफ लड़ने के बजाय अब जाति का जहर फैलाने में लगी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का “शाही परिवार” अपनी सत्ताभूख को शांत करने के लिए देश और समाज के हितों की अनदेखी कर रहा है। ये पार्टी न केवल अपनी विचारधारा से भटक गई है, बल्कि अपने पुराने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को भी निराश कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस अब परजीवी पार्टी बनकर रह गई है. कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं अपने साथियों के नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है. ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद को डूबती है और दूसरों को भी डूबो देती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी और उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। अच्छा है यूपी जैसे राज्य में कांग्रेस के सहयोगियों ने उनसे जान छुड़ा ली, वरना वहां भी सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।
आइये जानते हैं झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के सभी 81 विधानसभा सीट का परिणाम


1. बाघमारा सीट : शत्रुध्न महतो (BJP) जीत गए।

2. बगोदर सीट : नागेंद्र महतो (BJP) जीत गए।

3. बहरागोड़ा सीट: समीर कुमार मोहंती (JMM) जीत गए।

4. बरहेट सीट : हेमंत सोरेन (JMM) जीत गए।

5. बरही सीट : मनोज कुमार यादव (BJP) जीत गए।

6. बड़कागांव सीट : रोशन लाल चौधरी (BJP) जीत गए।

7. बरकट्ठा सीट : जानकी प्रसाद यादव (JMM) जीत की और आगे बढ़ रहे है।

8. बेरमो सीट : कुमार जयमंगल (कांग्रेस) जीत गए।

9. भवनाथपुर सीट : अनंत प्रताप देव (JMM) जीत गए।

10. बिश्रामपुर सीट : नरेश प्रसाद सिंह (राजद) से जीत गए।

11. बिशुनपुर सीट : चमरा लिंडा (JMM) जीत गए।

12. बोकारो सीट : श्वेता सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

13. बोरियो सीट : धनंजय सोरेन (JMM) जीत की और बढ़ रहे है।

14. चाईबासा सीट : दीपक बिरुवा (JMM) जीत गए।

15. चक्रधरपुर सीट : सुखराम उड़ाव (JMM) जीत गए

16. चंदनकियारी सीट : उमा कांत रजक (JMM) जीत गए।

17. चतरा सीट : जनार्दन पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी -रामविलास पासवान) जीत गए।

18. छतरपुर सीट : राधा कृष्णा किशोर (कांग्रेस) जीत गए।

19. डाल्टनगंज सीट : आलोक कुमार चौरसिया (BJP) जीत रहे है।

20. देवघर सीट : सुरेश पासवान (राजद) जीत गए।

21. धनबाद : राज सिंहा (बीजेपी) जीत गए।

22. धनवार सीट : बाबूलाल मरांडी (BJP) से जीत रहे है।

23. दुमका सीट : बसंत सोरेन (JMM) जीत गए।

24. डुमरी सीट: जयराम कुमार महतो (JLKM) से जीत गए।

25. गांडेय सीट : कल्पना मुर्मू सोरेन(JMM) जीत गई।

26. गढ़वा सीट : सतेन्द्र नाथ तिवारी (BJP) जीत रहे है।

27. घाटशिला सीट : रामदास सोरेन (JMM) जीत गए।

28. गिरिडीह सीट : निर्भय कुमार शहाबादी (BJP) जीत रहे है।

29. गोड्डा सीट : संजय प्रसाद यादव (राजद) जीत गए।

30. गोमिया सीट : योगेंद्र प्रसाद (JMM) जीत गए।

31. गुमला सीट : भूषण तिर्की (JMM) जीत गए।

32. हटिया सीट : नवीन कुमार जायसवाल ( BJP) जीत रहे है।

33. हजारीबाग सीट : प्रदीप प्रसाद (BJP) जीत रहे है।

34. हुसैनाबाद सीट : संजय कुमार सिंह यादव (राजद) जीत गए।

35. इचागढ़ सीट : सबिता महतो (JMM) जीत रही है।

36. जगन्नाथपुर सीट : सोना राम सिंकू (कांग्रेस) जीत गए।

37. जामा सीट : लुईस मरांडी (JMM) जीत गई।

38. जमशेदपुर पूर्वी : पूर्णिमा साहू (BJP) जीत गई।

39. जमशेदपुर पश्चिमी: सरयू रॉय (जनता दल यूनाइटेड) जीत गए।

40. जामताड़ा सीट : इरफान अंसारी (कांग्रेस) जीत गए।

41. जमुआ सीट : मंजू कुमारी (BJP) जीत गई।

42. जरमुंडी सीट : देवेन्द्र कुंवर (बीजेपी) जीत गए।

43. झरिया सीट : रागिनी सिंह (बीजेपी) जीत गई।

44. जुगसलाई सीट : मंगल कालिंदी (JMM) जीत गए।

45. कांके सीट : सुरेश कुमार बैठा (कांग्रेस) जीत गए।

46. खरसांवा सीट : दशरथ गार्गेय (JMM) जीत गए।

47. खिजरी सीट : राजेश कच्छप (कांग्रेस) जीत गए।

48. खूंटी सीट : राम सूर्या मुंडा ( JMM) जीत गए।

49. कोडरमा सीट : डॉ नीरा यादव (BJP) जीत रही है।

50. कोलेबिरा सीट : नमन बिक्सल कांगड़ी (कांग्रेस) जीत गए।

51. लातेहार सीट : प्रकाश राम (बीजेपी) जीत रहे है।

52. लिटीपारा सीट : हेमलाल मुर्मू (JMM) जीत गए।

53. लोहरदगा सीट : डॉ रामेश्वर उरांव (कांग्रेस) जीत गए।

54. मधुपुर सीट : हफ़ीज़ुल हसन (JMM) जीत रहे है।

55. महागामा सीट : दीपिका पाण्डेय सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

56. महेशपुर सीट : स्टीफन मरांडी (JMM) जीत गए।

57. मझगांव सीट : निरल पूर्ति (JMM) जीत गए।

58. मांडर सीट : शिल्पी नेहा तिर्की (कांग्रेस) जीत गई।

59. मांडू सीट : निर्मल महतो (आजसू) जीत गए।

60. मनिका सीट : रामचंद्र सिंह (कांग्रेस) जीत गए।

61. मनोहरपुर सीट : जगत मांझी (JMM) जीत गए।

62. नाला सीट : रविंद्र नाथ महतो (JMM) जीत गए।

63. निरसा सीट : अरूप चटर्जी (सीपीआई एम एल) जीत गए।

64. पाकुड़ सीट : निशत आलम (कांग्रेस) जीत गई।

65. पांकी सीट : कुशवाहा शशि भूषण मेहता (बीजेपी) जीत गए।

66. पोड़ैयाहाट सीट : प्रदीप यादव (कांग्रेस) जीत गए।

67. पोटका सीट : संजीव सरदार (JMM) जीत गए।

68. राजमहल सीट : मो. ताजुद्दीन (JMM) जीत गए।

69. रामगढ़ सीट : ममता देवी (कांग्रेस) जीत गई।

70. रांची : सी पी सिंह (बीजेपी) जीत गए।

71. सारठ सीट : उदय शंकर सिंह (JMM) जीत गए।

72. सरायकेला सीट : चंपई सोरेन (बीजेपी) जीत गए।

73. शिकारीपाड़ा सीट : आलोक कुमार सोरेन (JMM) जीत गए।

74. सिल्ली सीट : अमित कुमार (JMM) जीत गए।

75. सिमरिया सीट : कुमार उज्जवल (बीजेपी) जीत गए।

76. सिमडेगा सीट : भूषण बाड़ा (कांग्रेस) जीत रहे है।

77. सिंदरी सीट : चंद्रदेव महतो (सीपीआई एम एल एल) जीत गए।

78. सिसई सीट : जिगा सुसारन होरो (JMM) जीत गए।

79. तमाड़ सीट : विकास कुमार मुंडा (JMM) जीत गए।

80. तोरपा सीट : सुदीप गुडिया (JMM) जीत गए।

81. टुंडी सीट : मथुरा प्रसाद महतो (JMM) जीत गए। हलचल