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अयोध्या और सियासतःएक ऐसा मुद्दा था जिसे बीजेपी ने सालों साल भुनाया

#ayodhya_it_was_an_issue_which_BJP_capitalized_on_for_years

राजनीति मुद्दों पर लड़ी जाती है और अयोध्या एक ऐसा मुद्दा था जिसे बीजेपी ने सालों साल भुनाया। अब तो राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक है, लेकिन लगता नहीं है कि इसपर सियासत कम होने वाली है। राम मंदिर को बीजेपी अपनी सबसे बड़ी सफलता के तौर पर दर्शाती है और माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव में यही राम मंदिर बीजेपी की सियासी नैया को पार करने का सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है। हो सकता है बीजेपी राम मंदिर को आधार बनाकर जनता के सामने वोट मांगने जाए क्योंकि ये उनके मेनिफेस्टो के सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। और संकेत भी कुछ इस प्रकार के मिलने लगे हैं।

भारत की राजनीति को तरह-तरह से तोड़ने मरोड़ने का काम अगर किसी मुद्दे ने सबसे ज़्यादा किया तो वह है अयोध्या मंदिर का मुद्दा। इस रेस में बीजेपी हमेशा से आगे रही। हालांकि इस मुद्दे के सहारे बीजेपी को आगे बढ़ता देख कांग्रेस भी मैदान में कूद पड़ी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर का 'शिलान्यास' करवा डाला। उन्हें उम्मीद थी कि मंदिर पर हो रही राजनीतिक रेस में कांग्रेस बीजेपी को पछाड़ देगी। लेकिन, इस खेल में महारत हासिल कर चुकी बीजेपी को हरवाना मुमकिन कांग्रेस के वश में नहीं था।

अयोध्या मुद्दे ने एक नया तूल पकड़ा जब छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद कारसेवा के नाम पर ध्वस्त कर दी गई। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, इत्यादि, इत्यादि सभी की मौजूदगी में इमारत ध्वस्त हुई और सारी ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री होने के नाते कल्याण सिंह पर आई क्योंकि उसी से कुछ समय पहले वो सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हलफ़नामा पेश कर चुके थे कि वो मस्जिद के स्टेटस को मेंटेन करवाएंगे और उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने देंगे। इस बार राम मंदिर के नाम पर कल्याण सिंह की बारी थी कुर्सी से हाथ धोने की।

बीजेपी ने यदि कुर्सी गवाईं तो राम मंदिर के ही नाम पर कुर्सी वापस भी पाई और समय के साथ बीजेपी की शक्ति बढ़ी। करीब 75 सालों तक इसपर राजनीतिक होती रही और सियासी सरगर्मियों जारी रही। उधर अदालत में सुनवाईयों का दौर भी चलता रहा। आखिरकार 9 नवंबर, 2019 को, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसले को हटा दिया और कहा कि भूमि सरकार के कर रिकॉर्ड के अनुसार है। इसने हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को एक ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया। इसने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक इस मामले पर 40 दिनसुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद 9 नवंबर को 45 मिनट तक पढ़े गए 1045 पन्नों के फैसले ने देश के इतिहास के सबसे अहम और एक सदी से ज्यादा पुराने विवाद का अंत कर दिया। 

कोर्ट ने तो जो फैसला सुनाना था वो सुना दिया, लेकिन शायद जनता ने अपना फैसला पहले ही ले लिया था। कई शताब्दी पुराने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देश ने शांतिपूर्ण और विवेकसम्मत अंदाज में ग्रहण किया। फैसला आने से पहले सबकी सांसें थमी हुई थीं। खून खराबे का इतिहास कहीं दोहराया ना जाए, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। दरअसल जब भी कोई विवाद एक हद से ज्यादा लंबा खिंच जाता है तो समय के साथ उसकी शिथिलता बढ़ती चली जाती है।कुल मिला कर एक देश के रूप में हमने जिस कुशलता, शांतिप्रियता और समझदारी का परिचय देते हुए इस विवाद से अपना पीछा छुड़ाया है वह बताता है कि एक लोकतांत्रिक समाज के रूप में हम पहले से ज्यादा परिपक्व हुए हैं।

वैसे आम लोग चाहे जितनी परिवक्वता दिखा दे, लेकिन आम लोगों का नेतृत्व करने वाली जो संस्थाएं हैं, वे कहां परिपक्व बन सकी हैं। मंदिर के भूमि पूजन के साथ विवाद का अंकुर फूटता नजर आया, जो आज रामलला के प्राण प्रतिष्ठा तक चला आ रहा है। विपक्ष ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से किनारा कर लिया है। और इसे बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम बताया है।कांग्रेस का कहना है कि आरएसएस और बीजेपी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को पूरी तरह से राजनीतिक, नरेंद्र मोदी फंक्शन' बना दिया है। यही कारण है कि कांग्रेस इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं करेगी।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान की वजह से 22 जनवरी को शेयर बाजार में नहीं होगी विशेष ट्रेडिंग, हालांकि सामान्य ट्रेडिंग की अधिसूचना जारी

 राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान की वजह से 22 जनवरी को शेयर बाजार में ट्रेडिंग नहीं होगी। इसकी बजाए शेयर बाजार में शनिवार को सामान्य ट्रेडिंग होगी। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया कि शनिवार, 20 जनवरी को पूर्ण व्यापारिक सत्र आयोजित किया जाएगा। आसान भाषा में समझें तो शनिवार को शेयर बाजार अन्य दिनों की तरह यानी सुबह 9 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक संचालित होंगे।

पहले स्पेशल सेशन की थी योजना

कल यानी शनिवार के लिए पहले स्पेशल सेशन की योजना थी। बीते दिनों बीएसई और एनएसई ने एक सर्कुलर जारी कर इस सेशन के बारे में बताया था। इस स्पेशल सेशन के जरिए स्टॉक एक्सचेंज विषम परिस्थितियों के लिए प्लान बी तैयार रखना चाहते हैं। एनएसई के सर्कुलर के मुताबिक स्पेशल सेशन के दौरान प्राइमरी साइट से डिजास्टर रिकवरी (डीआर) साइट पर स्विच किया जाएगा। प्राइमरी साइट से सेशन सुबह 9.15 बजे से 10 बजे तक और दूसरा डीआर साइट से सुबह 11.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक चलेगा। हालांकि, अब तक स्टॉक एक्सचेंज ने यह साफ नहीं किया है कि शनिवार को स्पेशल सेशन होगा या नहीं।

बंद रहेंगी नोट बदलने/जमा करने की सुविधा

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन केंद्रीय रिजर्व बैंक के कार्यालयों में 2000 का नोट बदलने या जमा करने की सुविधा बंद रहेगी। यह सुविधा 23 जनवरी दिन मंगलवार को फिर से शुरू होगी। बता दें कि पिछले साल 19 मई को रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी।

बैंक रहेंगे बंद

इससे पहले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने केंद्रीय संस्थानों और केंद्रीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों के संबंध में आदेश जारी किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, बीमा कंपनियां और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) में 22 जनवरी (सोमवार) को आधे दिन का अवकाश रहेगा।

मुद्रा बाजार की टाइमिंग में बदलाव

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कारण मुद्रा बाजार 22 जनवरी को दोपहर ढाई बजे तक बंद रहेंगे। यह नौ बजे के बजाय दोपहर ढाई बजे खुलेंगे। आरबीआई ने सर्कुलर में कहा कि केंद्रीय बैंक के दायरे में आने वाले मुद्रा बाजारों के लिए कारोबार का समय सोमवार को अपराह्न ढाई बजे से शाम पांच बजे तक रहेगा। इन बाजारों में नियमित कारोबारी घंटे 23 जनवरी से बहाल कर दिए जाएंगे। बता दें कि राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला की नई मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह सोमवार को होगा।

आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश मामले में निखिल गुप्ता को अमेरिका किया जा सकता है प्रत्यर्पित, चेक गणराज्य की अदालत ने सुनाया फैसला

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खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की साजिश रचने के आरोप में चेक गणराज्य की एक अपीलीय अदालत ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।52 वर्षीय भारतीय नागरिक को अमेरिका की गुजारिश पर 30 जून को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने निखिल गुप्ता पर भाड़े पर हत्या कराने का आरोप लगाया है. इसके तहत अधिकतम 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय न्याय मंत्री पावेल ब्लेज़ेक पर निर्भर था। प्रवक्ता ने कहा कि अगर मंत्री को निचली अदालत के फैसलों पर संदेह है तो उनके पास सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के लिए तीन महीने का समय है।प्राग उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली निखिल गुप्ता की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें फैसला सुनाया गया था कि प्रत्यर्पण की अनुमति है।

कौन है निखिल गुप्ता?

52 वर्षीय निखिल गुप्ता एक भारतीय नागरिक है, जिसे बीती 30 जून को चेक रिपब्लिक की सरकार ने पकड़ा था।अमेरिकी दस्तावेज के अनुसार, निखिल गुप्ता को सरकारी अधिकारी द्वारा मई 2023 को ही साजिश में शामिल किया गया था। निखिल गुप्ता ने अमेरिका में एक अन्य व्यक्ति से संपर्क किया, जिसे माना जा रहा है कि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की हत्या करनी थी। जून में निखिल गुप्ता ने कॉन्ट्रैक्ट किलर को उस व्यक्ति की जानकारी साझा की थी, जिसकी हत्या की जानी थी। न्याय विभाग के दस्तावेजों में हरदीप सिंह निज्जर का नाम भी शामिल है, जिसकी जून में कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दस्तावेजों के अनुसार, निखिल गुप्ता ने हत्या करने वाले व्यक्ति को बताया था कि निज्जर भी उनके निशाने पर था और कई अन्य और भी निशाने पर हैं। निखिन गुप्ता ने 30 जून को चेक रिपब्लिक का दौरा किया था, जहां उसे अमेरिका की विनती पर चेक रिपब्लिक पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और अमेरिका को सौंप दिया।

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार एक साथ तीन जज दलित समुदाय से बनने की संभावना, जानिए, किन जजों के नाम की हुई है सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले को शीर्ष अदालत के जज के रूप में प्रमोट करने की सिफारिश की है। यदि पीबी वराले के नाम को सरकार की हरी झंडी मिल जाती है तो इतिहास में यह पहली बार होगा, जब सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन जज दलित समुदाय से होंगे।

जस्टिस वराले के अलावा सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य दलित समुदाय से आने वाले दो जजों के नाम बी आर गवई और सी टी रविकुमार हैं। जस्टिस वराले को 18 जुलाई, 2008 को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, और 15 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में प्रमोट किया गया था। कॉलेजियम के अनुसार, न्यायमूर्ति वराले ने न्यायाधीश के रूप में काफी अनुभव प्राप्त किया। न्यायमूर्ति वराले उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता में क्रमांक 6 पर है। बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता में, वह सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

शुक्रवार को हुई एक बैठक में, कॉलेजियम जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे, ने इस तथ्य पर विचार किया कि पीबी वराले हाई कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक हैं और हाई कोर्ट के एकमात्र अनुसूचित जाति के मुख्य न्यायाधीश हैं।

कॉलेजियम ने कहा, "हम इस तथ्य से भी अवगत हैं कि वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन जज हैं। इसलिए, कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि जस्टिस प्रसन्ना बी वराले को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया जाए।'' 25 दिसंबर, 2023 को जस्टिस संजय किशन कौल का रिटायरमेंट हो गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जज की जगह खाली हुई थी। इसी वजह से यह सिफारिश की गई है। कॉलेजियम ने कहा कि यह ध्यान में रखते हुए कि न्यायाधीशों का कार्यभार काफी बढ़ गया है, यह सुनिश्चित करना जरूरी हो गया है कि कोर्ट में पूरे न्यायाधीश हों। इसलिए, कॉलेजियम ने एक नाम की सिफारिश करके एकमात्र मौजूदा रिक्ति को भरने का फैसला किया है।

भरी अदालत में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली महिला को पड़ा भारी, चलेगा अवमानना का केस, कोर्ट ने जारी की नोटिस, पढ़िए,

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जज और कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के चलते महिला के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस शुरू किया है। महिला ऑस्ट्रेलिया में रहती है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुई। इस दौरान कोर्ट और जज के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना महिला को इस कदर भारी पड़ गया कि कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना का मामला शुरू कर दिया है। 

दरअसल मामला 10 जनवरी का है जब ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली अनिता कुमारी गुप्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुईं। सुनवाई के दौरान जज नीला बसंल ने मामले में आगे की तारीख देकर अगला मामला उठाया तो अनिता ने जज के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर दिया। 

उसने कहा, आइटम नंबर 10 से पहले अइटम नंबर 11 कैसे उठाया जा सकता है। ये क्या कर रही है। कोर्ट में क्या * चल रहा है। महिला के मुंह से अपशब्द सुनते ही कोर्ट ने महिला को कारण बताओ नोटिस थमा दिया और 16 अप्रैल को अदालत के समक्ष पेश होने का आदेश दिया। इसी के साथ कोर्ट ने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) को यह भी आदेश दिया कि अगर अनिता गुप्ता सुनवाई के लिए तय तारीख से पहले भारत आती हैं तो उनका पासपोर्ट/वीजा जब्त कर लिया जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि गुप्ता को इस कोर्ट के निर्देश के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि अनित गुप्ता ने अभद्र टिप्पणी तब की, जब पक्षों की ओर दलील पेश करने वाले वकील अंतिम बहस के लिए दी गई तारीख पर सहमत हुए थे। कोर्ट ने आदेश में कहा, कोर्ट की गरिमा को कम करने वाली ऐसी अपमानजनक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना ​​का मामला उठाया गया है। इसके अनुसार अनिता कुमारी गुप्ता, जो वर्तमान में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में रह रही हैं, को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है कि क्यों न उन्हें अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत दंडित किया जाए।

कोई जाए न जाए, मैं आशीर्वाद लेने जरूर जाऊंगा..', राम मंदिर पर बोले AAP सांसद हरभजन सिंह

 पूर्व क्रिकेटर और आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह ने शनिवार को कहा कि वह 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में भाग लेंगे, इसके बावजूद कि अधिकांश विपक्षी दलों ने राम मंदिर उद्घाटन पर अपना रुख अपनाया है। 

उन्होंने कहा कि, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन जाना चाहता है या नहीं; चाहे कांग्रेस जाना चाहती हो या नहीं या अन्य (पार्टियाँ) जाना चाहती हों या नहीं, मैं निश्चित रूप से जाऊंगा। एक व्यक्ति के रूप में यह मेरा रुख है जो भगवान में विश्वास करते हैं। अगर किसी को मेरे (राम मंदिर) जाने से कोई समस्या है, तो वे जो चाहें कर सकते हैं।' उनकी यह टिप्पणी विपक्षी दलों द्वारा 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन का बहिष्कार करने के बीच आई है, जिसमें कहा गया है कि भाजपा इस आयोजन का राजनीतिकरण कर रही है और इस बात से इनकार कर रही है कि वे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अभियान हथियार के रूप में मंदिर उद्घाटन का उपयोग करने के लिए पार्टी के एजेंडे को बढ़ावा नहीं देंगे।

हरभजन सिंह ने कहा कि, "यह हमारा सौभाग्य है कि इस समय यह मंदिर बन रहा है, इसलिए हम सभी को जाना चाहिए और आशीर्वाद लेना चाहिए...मैं निश्चित रूप से (भगवान से) आशीर्वाद लेने (राम मंदिर उद्घाटन) में जा रहा हूं।" हरभजन सिंह की टिप्पणी भी उनकी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, जबकि उन्होंने बताया था कि उन्हें अभी तक 'प्राण प्रतिष्ठा' के लिए "औपचारिक निमंत्रण" नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि वह 22 जनवरी के बाद अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता के साथ मंदिर जाएंगे।

केजरीवाल ने कहा कि, "उन्होंने मुझे एक पत्र भेजा था, और जब हमने उन्हें बुलाया, तो उन्होंने कहा कि एक टीम मुझे औपचारिक रूप से आमंत्रित करने आएगी। लेकिन कोई नहीं आया। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। केजरीवाल ने बुधवार (17 जनवरी) को कहा कि बहुत सारे वीआईपी और वीवीआईपी, ''कार्यक्रम में आएंगे और सुरक्षा कारणों से केवल एक व्यक्ति को अनुमति दी जाएगी।'' हालाँकि, AAP प्रमुख ने राम मंदिर उद्घाटन के समानांतर कोई राजनीतिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया और कहा कि मंदिर "भावनाओं... भावना और भक्ति" का मामला है। अरविंद केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, "हर किसी की अपने धर्म के अनुसार अपनी आस्था होती है...इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।"

इससे पहले, आप नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार शंकराचार्यों का समर्थन किया था, जिन्होंने कहा था कि वे राम मंदिर उद्घाटन में शामिल नहीं होंगे, उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठा अनुष्ठान "शास्त्रों के खिलाफ" थे। "सभी चार शंकराचार्य कह रहे हैं कि मंदिर अधूरा है। इसलिए, ऐसे समय में 'प्राण प्रतिष्ठा' (प्रतिष्ठा) वेदों और सनातन धर्म के अनुरूप नहीं है। मुझे लगता है कि उनके शब्दों का सम्मान किया जाना चाहिए। यह तथ्य कि वे समारोह में शामिल नहीं हो रहे हैं, दुखद है।''

'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण पर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी पर सवाल उठाने के बाद यह सौरभ भारद्वाज का भाजपा पर दूसरा हमला था। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि राम मंदिर देश के सभी नागरिकों का है, और भाजपा यह तय करने वाली "कोई नहीं" है कि उद्घाटन समारोह में किसे शामिल होना चाहिए और किसे नहीं। उस समय उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता से 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल न होने और उसके बाद अयोध्या में मंदिर का दौरा करने के अनुरोध के बाद आई थी।

उत्तर भारत के अधिकांश राज्य शीतलहर की चपेट में, अभी राहत के आसार नहीं

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उत्तर भारत में सर्दी का सितम जारी है।उत्तर भारत के अधिकांश राज्य शीतलहर की चपेट में हैं। कहीं गलन तो कहीं कोहरे ने लोगों को परेशान कर रखा है।दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश और बिहार के अधिकतर जगहों पर तापमान 7 से 10 डिग्री के बीच बना हुआ है। मौसम विभाग के मुताबिक, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम यूपी और राजस्थान में तापमान सामान्य से 1 से 3 डिग्री नीचे है।मौसम विभाग ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी के लिए 23 जनवरी तक ठंड व कोहरे को लेकर रेड व ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस दौरान पूर्वी भारत में न्यूनतम तापमान 2-10 डिग्री के बीच सिमटा रहेगा।

इन इलाकों में हो सकती है बारिश

स्काईमेट वेदर रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों और तमिलनाडु के साउथ कोस्ट पर हल्की से मीडियम बारिश संभव है।लक्षद्वीप, साउथ केरल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में हल्की बारिश होने की संभावना है। वहीं, पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में सुबह और रात के वक्त घना कोहरा छा सकता है। वहीं, उत्तराखंड और नॉर्थ राजस्थान में भी एक या दो जगहों पर घने से बहुत घना कोहरा रह सकता है।

इन जगहों पर कोल्ड डे से लेकर गंभीर कोल्ड डे की स्थिति

इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और नॉर्थ-ईस्ट भारत के कुछ इलाकों में सुबह के वक्त घना कोहरा होने की संभावना है। इसके अलावा, पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिमी यूपी और पश्चिमी राजस्थान के कुछ इलाकों में कोल्ड डे से लेकर गंभीर कोल्ड डे की स्थिति हो सकती है। सब-हिमालयन पश्चिम बंगाल, सिक्किम के कुछ इलाकों, ईस्ट राजस्थान और उत्तरी मध्य प्रदेश में एक या दो जगहों पर ठंडे दिन की जैसी स्थिति रह सकती है।

उत्तर भारत में ठिठुरन के लिए पश्चिमी विक्षोभ जिम्मेदार

उत्तर भारत में भीषण सर्दी और घने कोहरे का सबसे बड़ा कारण पश्चिमी विक्षोभ (डब्ल्यूडी) का सक्रिय न होना है। इसके अलावा अल नीनो और जेट स्ट्रीम भी जिम्मेदार है। इन तीन कारकों को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है। आमतौर पर दिसंबर से जनवरी के बीच पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत को प्रभावित करते हैं, लेकिन इस साल सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ की ऐसी कोई भी गतिविधि देखने को नहीं मिली है। इसी का नतीजा था कि दिसंबर 2023 से अब तक पश्चिमी हिमालय के क्षेत्रों में बहुत कम बारिश या हिमपात देखा गया। यह क्षेत्र में सामान्य से करीब 80 फीसदी कम रहा। इसी तरह जनवरी के दौरान 17 तारीख तक क्षेत्र में बारिश करीब न के बराबर रही।

उत्तर भारत में अभी सर्दी और कोहरे के कहर से राहत नहीं

मौसम विभाग ने जो ताजा अपडेट जारी किया है उसके मुताबिक उत्तर भारत में अभी सर्दी और कोहरे के कहर से राहत नहीं मिलेगी। आईएमडी के अनुसार 21 जनवरी तक उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में गंभीर शीतलहर का खतरा बना रहेगा। इसी दौरान पंजाब और हरियाणा में भीषण शीत लहर का कहर जारी रहेगा। हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में शीत लहर की स्थिति बनी रहेगी। 20 और 21 जनवरी को उत्तरी राजस्थान, पश्चिमी यूपी में शीतलहर चल सकती है। साथ ही हिमाचल और उत्तराखंड में पाला पड़ने की भी आशंका जताई गई है। इसी तरह पंजाब,हरियाणा, उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर और मध्य भारत में घना कोहरा छाया रहेगा। जनवरी के अंत तक भीषण सर्दी, शीत लहर और घने कोहरे का प्रकोप जारी रह सकता है।

भारतीय महिला हॉकी टीम का टूटा सपना, पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी

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भारतीय हॉकी फैंस के लिए बुरी खबर है। भारतीय महिला हॉकी टीम इस साल होने वाले पेरिस ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाएगी। भारतीय महिला हॉकी टीम पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई है। क्वालिफर्स मुकाबले में जापान के हाथों 0-1 से मिली हार के बाद भारत ने प्वाइंट्स टेबल में 4 नंबर पर फिनिश किया। 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम नंबर 4 पर फिनिश करने में कामयाब रही थी और उसने फैंस को इस गेम के साथ दोबारा जुड़ने की नई उम्मीद दी थी। लेकिन 3 साल बाद निराशा भरी खबर आ है।

जापान के खिलाफ खेला गए मुकाबले में नंबर तीन के लिए क्वालिफाई करने की लड़ाई थी, जिसमें टीम इंडिया असफल रही। भारत ने मुकाबला गंवाकर नंबर चार पर खत्म किया। प्लेऑप के मुकाबले में भारत की महिला टीम ने अच्छा खेल दिखाया, लेकिन अंत में उन्हें 0-1 से हार की निराशा झेलनी पड़ी। मैच में जापान ने शानदार डिफेंसिव खेल दिखाया और जीत अपने खाते में डाली।

रांची में खेले गए मुकाबले में जापान ने 9वें मिनट में ही बढ़त हासिल कर ली थी, जब उरता काना ने पेनाल्टी कॉर्नर के ज़रिए गोल कर दिया था। इसके बाद मुकाबले का पहला क्वार्टर खत्म हुआ और भारत 0-1 से पीछे रही। लेकिन दूसरे क्वार्टर में हालात बदले और भारत की लालरेम्सैमी ने पेनाल्टी कॉर्नर जीता, लेकिन जापान की गोलकीपर ने शानदार बचाव करते हुए अपनी टीम को मुकाबले में 1-0 से आगे रखा। 

इसके बाद मुकाबले में हाफ टाइम हुआ और भारत 0-1 से पीछे ही रही। फिर तीसरे क्वार्टर के खेल में भी हालात वैसे ही रहे। जापान 1-0 की बढ़त के साथ मुकाबले में आगे रही। अब भारत के पास आखिरी 15 मिनट यानी चौथे क्वार्टर में कम से कम एक गोल करके मैच ड्रॉ करने और जापान को रोकते हुए दो गोल दागकर मुकाबला जीतने का मौका था, जिसमें वो पूरी तरह नाकाम रहे। भारत ने जापान को तो रोककर रखा, लेकिन खुद भी गोल नहीं कर सके।

अयोध्या से आई रामलला की पहली संपूर्ण तस्वीर, चेहरे पर दिखी मोहक मुस्कान

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रामलला के चेहरे वाली एक संपूर्ण तस्वीर सामने आई है। इसमें रामलला की पूरी छवि स्पष्ट नजर आ रही है। यह तस्वीर मूर्ति के निर्माण के दौरान की है। हालांकि बृहस्पतिवार को जब रामलला को गर्भगृह में स्थापित किया गया उस वक्त उनकी प्रतिमा पर कपड़े की पट्टी लिपटी हुई थी और उनका चेहरा ढंका हुआ था। 22 जनवरी को होनेवाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान उनके चेहरे की पट्टी हटाई जाएगी।

रामलला की मूर्ति देखने में अद्भुत है। चेहरे पर मुस्कान भगवान राम की विनम्रता और मधुरता के बारे में बताती है। रामलला का स्वरूप साक्षात राम भगवान की तरह ही प्रतीत होता है। पहली नजर में रामलला की ये मूर्ति देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है। आस्था और आध्यात्म की झलक इस मूर्ति से झलकती है। जो पहली ही नजर में राम भक्तों को आकर्षित करती है।

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है। कल यानी गुरुवार को राम मंदिर की प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित कर दिया है। प्रतिष्ठा समारोह से जुड़े पुजारी अरुण दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान राम की मूर्ति को दोपहर में वैदिक मंत्रोचार के बीच गर्भ गृह में रखा गया। इस दौरान प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान अनिल मिश्रा वहां मौजूद रहे। मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने में करीब 4 घंटे का वक्त लगा। मूर्ति को गर्भगृह में रखे जाने से पहले अनुष्ठानों को भी पूरा किया गया। इनमें अनाज, फल, घी और जल से उनका स्नान भी शामिल रहा। 

हालांकि, गर्भगृह में रखी गई मूर्ति अभी ढकी हुई है जिसको प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन खोला जाएगा। जिस मूर्ति को स्थापित किया गया है उसकी लंबाई 51 इंच है।राम मंदिर में 16 जनवरी को रामलला के लिए अनुष्ठान शुरू हुआ था। राम मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार अनुष्ठान 21 जनवरी तक जारी रहेंगे और रामलला की मूर्ति की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए जरूरी हर अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे. 121 ‘आचार्य’ अनुष्ठान का संचालन कर रहे हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर एक बजे समाप्त होगा। दरअसल, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित हजारों लोग शामिल होंगे

क्या है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी? ईरान में जिनके ठिकानों पर पाकिस्तान ने किया हमला

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पाकिस्तान की एयरफोर्स ने बुधवार देर रात ईरान में बलूच लिबरेशन आर्मी के ठिकानों पर हवाई हमले किए।पाकिस्तान का दावा है कि उन्होंने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में कई आतंकियों को मार गिराया। हालांकि, ईरान ने कहा कि पाकिस्तान की एयरस्ट्राक में 4 बच्चे और 3 महिलाओं सहित 9 लोगों की मौत हुई है। इनमें से कोई भी ईरान का नागरिक नहीं था।मंगलवार रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद पाकिस्तान ने ये कार्रवाई की। ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ये कहते हुए हमले किए थे कि उसके निशाने पर जैश अल-अद्ल नामक संगठन के ठिकाने थे. ईरान का कहना था कि ये संगठन पाकिस्तान की सरजमीं से ईरान में चरमपंथी घटनाओं को अंजाम दे रहा है।

वहीं, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने बी साफ़तौर पर कहा है कि उसके संगठन की मौजूदगी ईरान में नहीं है। बीएलए के प्रवक्ता आज़ाद बलोच की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ईरान के क़ब्ज़े वाले बलूचिस्तान में बीएलए की मौजूदगी नहीं है. पाकिस्तान ने आम नागरिकों पर हमला किया है। आज़ाद बलोच ने कहा, पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसके कब्ज़ाधारी बलों ने ईरान के कब्ज़े वाले बलूचिस्तान (पश्चिमी बलूचिस्तान) में बीएलए और अन्य स्वतंत्रता समर्थक संगठनों को निशाना बनाया है।बीएलए पाकिस्तान के दावों को ख़ारिज करती है।

बलूचिस्तान के लोगों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के व़क्त उन्हें ज़बरदस्ती पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया, जबकि वो ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क़ के तौर पर देखना चाहते थे। ऐसा नहीं हो सका इसलिए इस प्रांत के लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना के साथ संघर्ष चलता रहा और वो आज भी बरकरार है। बलूचिस्तान में कई अलगाववादी समूह हैं लेकिन सबसे बड़ा और सबसे असरदार संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी है। इसका नेतृत्व पहले बलाच मर्री करते थे जो अफगानिस्तान में 2007 में मारे गए थे इसके बाद बीएलए ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया। अब इस संगठन का नेता बशीर जेब बलोच कर रहे हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले राज्य बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाली इस आर्मी ने सरकार और सेना के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष तो लंबे समय से छेड़ रखा है। इनके पास हजारों लड़ाके हैं और बड़ी संख्या में हथियार भी।

 

क्या चाहती है बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ?

बलूचिस्तान के लोग 1944 से ही अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं। 1947 में बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। तभी से बलूच लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना से संघर्ष चल रहा है। पाकिस्तान की सरकार और वहां की आर्मी इस विरोध को बेदर्दी से कुचलती रही। इसी के प्रतिरोध में 70 के दशक में बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी का गठन हुआ। जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के खिलाफ बलूच लोगों ने सशस्त्र विद्रोह कर दिया। लेकिन इसके बाद सैन्य तानाशाह जियाउल हक के पाकिस्तान पर कब्जे बाद बलूच लोगों का विद्रोह काफी हद तक शांत हो गया।

बलूचिस्तान में क्या है विवाद का मसला

बलूचिस्तान आकार के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन बंजर पहाड़ी इलाका होने की वजह से आबादी के हिसाब से देश का सबसे छोटा राज्य है। बलूचिस्तान की सीमा उत्तर में अफगानिस्तान से और पश्चिम में ईरान से सटी हुई है। इसकी एक लंबी तटरेखा भी है जो अरब सागर से सटी हुई है। पाकिस्तान के कब्जे वाला बलूचिस्तान प्राकृतिक तौर पर काफी संपन्न इलाका है। यहां की धरती खनिज संपदा से भरी पड़ी है। पाकिस्तान यहां की खनिज संपदा का दोहन करके पैसे बना रहा है लेकिन बलूचिस्तान के विकास की तरफ कभी ध्यान नहीं देता. यहां के लोग अब भी बेहद गरीबी में जी रहे हैं। जबकि यहां तेल, गैस, तांबे और सोने जैसे कुदरती संपदा की भरमार है। बलूच लोग सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पाकिस्तान के बाकी हिस्सों से काफी अलग हैं। वो खुद को पंजाबियों के हाथों शोषित मानते हैं. पाकिस्तान की आर्मी वहां के लोगों को अपना निशाना बनाती रहती है। जिसका बलूच विरोध करते हैं।