गया में 'ऑनलाइन पिंडदान' पर बढ़ा विरोध, ज्योतिषी और नमो फाउंडेशन ने कहा- "सनातन धर्म पर ही सारे प्रयोग क्यों?"
गया: पितृपक्ष मेला शुरू होने से पहले, बिहार सरकार के पर्यटन विकास विभाग निगम द्वारा शुरू की गई 'ऑनलाइन पिंडदान' सेवा का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। गयापाल पंडा और विभिन्न संगठनों के बाद, अब प्रसिद्ध ज्योतिषी ज्ञानेश मिश्रा भारद्वाज और नमो फाउंडेशन के संदीप मिश्रा ने भी इस कदम को सनातन धर्म की आस्था के खिलाफ बताया है।
'आस्था के साथ खिलवाड़'
प्रसिद्ध ज्योतिषी ज्ञानेश मिश्रा भारद्वाज ने कहा कि गया को 'विष्णु नगरी' के नाम से जाना जाता है और यहां पितृपक्ष में आकर पिंडदान करने का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि गया की भूमि पर आकर पिंडदान करने से ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन 'ऑनलाइन पिंडदान' इस आस्था के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने तर्क दिया कि जब तक कोई व्यक्ति इस मोक्ष भूमि पर आकर इसे स्पर्श नहीं करता, तब तक मोक्ष की कामना पूरी नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम आस्था को व्यापार में बदलने जैसा है, जिसका वे कड़ा विरोध करते हैं।
'ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं'
नमो फाउंडेशन के संदीप मिश्रा ने भी इस पहल का विरोध किया। उन्होंने गया के धार्मिक महत्व को बताते हुए कहा कि गयासुर राक्षस को मिले वरदान के कारण यह भूमि मोक्ष प्रदान करती है और यहां भगवान विष्णु का दाहिना चरण विराजमान है। उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति खुद इस भूमि को स्पर्श नहीं करता, पिंड वेदियों को नहीं छूता और तर्पण नहीं करता, तब तक ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है।
उन्होंने कहा, "आखिर सारे प्रयोग सनातन धर्म के साथ ही क्यों किए जाते हैं?" उन्होंने सरकार, पर्यटन मंत्री और जिला प्रशासन से मांग की कि सनातन धर्म की आस्था के साथ इस तरह का खिलवाड़ बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि धर्म पुराणों में स्पष्ट है कि गया में श्राद्ध करने से ब्रह्म हत्या और गो हत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते हैं, लेकिन यह लाभ तभी मिलता है जब व्यक्ति स्वयं यहां आकर कर्मकांड करे।
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