नीलांबर पीतांबर विवि में एमबीए छात्रों के साथ सिस्टम का मजाक, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, वीसी ने दिए जांच के आदेश

झारखंड के नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय (Nilamber Pitamber University - NPU) में एमबीए (MBA) के छात्रों के साथ शिक्षा व्यवस्था का भद्दा मजाक सामने आया है। विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग में एमबीए के छात्रों के लिए न तो नियमित कक्षाएं संचालित हो रही हैं और न ही बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां उपलब्ध हैं। छात्रों को फर्श पर बैठकर या खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता और विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

इस गंभीर समस्या की जानकारी तब सामने आई जब कुछ छात्रों ने अपनी व्यथा विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice-Chancellor - VC) तक पहुंचाई। छात्रों ने बताया कि एमबीए विभाग में शैक्षणिक सत्र शुरू हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन उनकी नियमित कक्षाएं अभी तक शुरू नहीं हो पाई हैं। जो इक्का-दुक्का कक्षाएं आयोजित भी होती हैं, उनमें छात्रों की संख्या के अनुपात में कुर्सियां उपलब्ध नहीं होती हैं। नतीजतन, कई छात्रों को या तो क्लास के बाहर खड़े रहना पड़ता है या फिर फर्श पर बैठकर ही लेक्चर सुनना पड़ता है।

छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों से इस समस्या के बारे में शिकायत की, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस उदासीनता से छात्रों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि जब एक प्रतिष्ठित व्यावसायिक पाठ्यक्रम के छात्रों को बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं, तो विश्वविद्यालय उनसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उम्मीद कैसे कर सकता है।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने तत्काल संज्ञान लिया है और जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे तत्काल इस मामले की विस्तृत जांच करें और रिपोर्ट सौंपें। कुलपति ने यह भी आश्वासन दिया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जांच के आदेश जारी होने के बाद छात्रों में थोड़ी उम्मीद जगी है। उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि कुलपति इस मामले में हस्तक्षेप कर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे और उन्हें जल्द ही नियमित कक्षाएं और बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां उपलब्ध कराई जाएंगी। छात्रों ने यह भी मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन भविष्य में इस तरह की लापरवाही न बरते और छात्रों की मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखे।

यह घटना नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है। एक ऐसे समय में जब उच्च शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ बनाने की बात की जा रही है, विश्वविद्यालय में एमबीए जैसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम के छात्रों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। यह न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है। अब देखना यह है कि कुलपति के जांच के आदेश के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाता है और छात्रों को कब तक उनकी बुनियादी सुविधाएं मिल पाती हैं।

झारखंड के स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव,नए सिलेबस में स्थानीय नायकों और संस्कृति पर जोर


रांची:- झारखंड के स्कूली शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य सरकार ने फैसला किया है कि अब स्कूलों के सिलेबस को बदला जाएगा, जिसमें स्थानीय नायकों और राज्य की संस्कृति को अधिक महत्व दिया जाएगा। 

नए सिलेबस में छात्रों को झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी शिबू सोरेन और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी जैसी शख्सियतों के बारे में विस्तार से जानने का अवसर मिलेगा। 

इसके अलावा, पाठ्यक्रम में झारखंड की समृद्ध कला, संस्कृति, इतिहास और भूगोल से संबंधित अधिक जानकारी शामिल की जाएगी।

सरकार का मानना है कि इससे छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़ने और राज्य के प्रति गर्व की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी। यह नया सिलेबस अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है।

बिरजिया जनजाति के पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान पर होगा शोध, CUJ प्रोफेसर को मिली 18 लाख की ग्रांट

झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUJ) के मानवशास्त्र एवं जनजातीय अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. शमशेर आलम को झारखंड की विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) बिरजिया जनजाति पर शोध करने के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। उन्हें भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) की ओर से इस महत्वपूर्ण शोध परियोजना के लिए 18 लाख रुपये की अनुसंधान ग्रांट स्वीकृत हुई है। यह परियोजना अगले दो वर्षों तक चलेगी और इसका मुख्य ध्यान बिरजिया समुदाय के पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान और चिकित्सा पद्धतियों का गहन अध्ययन करना होगा।

डॉ. शमशेर आलम की इस शोध परियोजना का शीर्षक “Continuity, Challenges and Confluence of Health Policies and Modernization on Indigenous Medicinal Knowledge and Health Practices of Birjias of Jharkhand” है। 

इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य झारखंड के इस अत्यंत संवेदनशील और कम आबादी वाले बिरजिया समुदाय से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझना है। शोध के निष्कर्षों से नीति निर्माताओं को इस विशिष्ट समुदाय की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह शोध बिरजिया समुदाय के सदियों पुराने पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को लिपिबद्ध और संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा, जो आधुनिकता की दौड़ में कहीं खोता जा रहा है।

बिरजिया जनजाति, जो झारखंड की सबसे छोटी जनजातीय आबादी में से एक है, भारत सरकार द्वारा PVTG श्रेणी में शामिल की गई है। यह श्रेणी उन जनजातियों को दी जाती है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से अत्यधिक पिछड़े हुए हैं। ऐसे में, इस समुदाय के स्वास्थ्य और चिकित्सा पद्धतियों पर शोध करना न केवल अकादमिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस समुदाय के समग्र विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

इस शोध परियोजना के अंतर्गत, डॉ. आलम और उनकी शोध टीम बिरजिया समुदाय के पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत दस्तावेजीकरण करेंगे। इसमें उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ, पारंपरिक उपचार विधियाँ और स्वास्थ्य संबंधी मान्यताएँ शामिल होंगी। इसके साथ ही, शोध में बिरजिया समुदाय द्वारा वर्तमान में सामना की जा रही स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का भी विश्लेषण किया जाएगा। आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के बीच समन्वय की संभावनाओं का भी गहन अध्ययन किया जाएगा। शोधकर्ता यह पता लगाने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली में बिरजिया समुदाय के पारंपरिक ज्ञान को शामिल किया जा सकता है, जिससे उन्हें बेहतर और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

डॉ. शमशेर आलम को मिली यह ग्रांट न केवल उनके व्यक्तिगत शोध करियर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के मानवशास्त्र एवं जनजातीय अध्ययन विभाग के लिए भी एक गौरव का विषय है। यह शोध परियोजना विश्वविद्यालय को जनजातीय अध्ययन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।

इस शोध के संभावित परिणामों को लेकर शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है। यह उम्मीद की जा रही है कि इस अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष न केवल बिरजिया समुदाय के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए ठोस कदम उठाने में सहायक होंगे, बल्कि अन्य जनजातीय समुदायों के पारंपरिक ज्ञान को समझने और संरक्षित करने के लिए भी एक मॉडल के रूप में काम करेंगे। यह शोध आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के बीच एक सेतु बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है।

गोड्डा के युवा आजसू प्रभारी डॉ निर्मल कुमार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया

गोड्डा : आजसू पार्टी के केंद्रीय समिति सदस्य सह गोड्डा के युवा आजसू प्रभारी डॉ निर्मल कुमार ने आज रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिखकर निजी कारणों से इस्तीफा देने की बात कही. इसके अलावा उन्होंने पार्टी द्वारा सौंपे दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ होने की भी बात कही.

इस्तीफा पत्र में दिया ये कारण

निर्मल कुमार ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, मैं अपने व्यक्तिगत कारणों से पार्टी द्वारा सौंपे गये दायित्वों को पूरा करने में खुद को असमर्थ पा रहा हूं. आजसू पार्टी के साथ जुड़कर मैंने न केवल राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अनुभव प्राप्त किया बल्कि अनेक प्रेरणादायक क्षण भी जिया है.

डिजिटल क्रांति से सशक्त हुईं झारखंड की आंगनबाड़ी सेविकाएं

रांची: झारखंड में डिजिटल परिवर्तन की लहर अब गांवों तक पहुंच रही है। राज्य सरकार ने हाल ही में 37,810 आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्मार्टफोन वितरित किए हैं, जिससे वे तकनीकी रूप से सशक्त हुई हैं और लाभार्थियों को सेवाएं प्रदान करने में अधिक आत्मनिर्भर बन गई हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पहल को महिला सशक्तिकरण और समाज कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

स्मार्टफोन मिलने से आंगनबाड़ी सेविकाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। कांके प्रखंड की सेविका सरिता कुमारी बताती हैं कि अब वे स्वयं लाभार्थियों की तस्वीरें खींच सकती हैं, आधार प्रमाणीकरण कर सकती हैं और टीएचआर जैसी सेवाएं समय पर दे सकती हैं। इस तकनीकी सशक्तिकरण का सीधा प्रभाव आईसीडीएस सेवाओं की गुणवत्ता पर दिख रहा है। मार्च 2023 में जहां केवल 48.03% लाभार्थियों का आधार सत्यापन हुआ था, वहीं मार्च 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 97.22% हो गया है। वर्तमान में राज्य के 38,523 आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविकाएं डिजिटल माध्यम से सेवाएं दे रही हैं।

स्मार्टफोन के माध्यम से एकत्रित आंकड़ों से योजनाओं की प्रगति की जिला और राज्य स्तर पर निगरानी संभव हो रही है। इससे सेवा वितरण में पारदर्शिता आई है और बुनियादी ढांचे के सुधार तथा संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिल रही है। राज्य सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। 

सभी केंद्रों को आवश्यक बर्तन उपलब्ध कराए गए हैं, और पहले चरण में 16,775 केंद्रों को एलईडी टीवी, आरओ वाटर प्यूरीफायर, बिजली कनेक्शन, पंखे, शौचालय और सुरक्षित पेयजल जैसी सुविधाओं से लैस किया गया है।

सरकार आदिवासी बहुल 1,200 से अधिक गांवों में नए आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित करने जा रही है, जहां जनजातीय समुदायों को पोषण, स्वास्थ्य और प्रारंभिक शिक्षा जैसी सेवाएं मिलेंगी। इन केंद्रों में जल्द ही सेविका और सहायिका की नियुक्तियां भी की जाएंगी। झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्र अब केवल सेवा वितरण केंद्र नहीं रह गए हैं, बल्कि सामुदायिक विकास और महिला सशक्तिकरण के केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। 'अबुआ सरकार' की यह पहल समावेशी विकास का प्रतीक है, जो तकनीक और सेवा के संगम से ग्रामीण झारखंड की तस्वीर बदल रही है।

रांची की बेटी साक्षी जैन ने फोर्ब्स अंडर-30 एशिया लिस्ट में लहराया परचम, सोशल मीडिया पर सिखाती हैं पैसे बनाने के गुर

रांची: झारखंड की राजधानी रांची की एक प्रतिभाशाली बेटी, साक्षी जैन ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंटेंट क्रिएटर साक्षी को प्रतिष्ठित फोर्ब्स मैग्जीन की अंडर-30 एशिया सूची में शामिल किया गया है। यह उपलब्धि उन्हें सोशल मीडिया, मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग कैटेगरी 2025 के लिए मिली है, जिससे न केवल रांची बल्कि पूरे झारखंड में खुशी की लहर दौड़ गई है। अपर बाजार, रांची की निवासी साक्षी ने अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है।

एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होकर भी साक्षी का मीडिया, मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। इंस्टाग्राम पर उनके 1.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं, जबकि यूट्यूब पर उनके सब्सक्राइबर्स की संख्या 6.90 लाख है। प्रोफेशनल नेटवर्किंग साइट लिंक्डइन पर भी उनके 1.50 लाख फॉलोअर्स हैं। इन आंकड़ों से उनकी लोकप्रियता और उनके कंटेंट की पहुंच का अंदाजा लगाया जा सकता है।

साक्षी की प्रारंभिक शिक्षा रांची में ही हुई। उन्होंने नामकुम स्थित बिशप वेस्टकोट गर्ल्स स्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर डीपीएस रांची से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, उन्होंने 2021 में रांची के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल की। अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि को मजबूत करने के बाद, साक्षी ने एक अलग राह चुनी, जिसने उन्हें आज इस प्रतिष्ठित मुकाम पर पहुंचाया है।

साक्षी जैन सोशल मीडिया के माध्यम से वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) पर विशेष रूप से काम कर रही हैं। सरल शब्दों में कहें तो वह आम लोगों को पैसे बनाने के तरीके सिखाती हैं। वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वीडियो बनाती हैं और यह जानकारी साझा करती हैं कि लोग बाजार में किस प्रकार निवेश करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। उनका मानना है कि सही जानकारी के अभाव में बहुत से लोग बाजार की संभावनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। यही कारण है कि उन्होंने इस क्षेत्र को चुना और लोगों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया है।

फोर्ब्स अंडर-30 एशिया सूची में अपना नाम दर्ज होने से साक्षी बेहद उत्साहित हैं। उनका मानना है कि इस पहचान के बाद युवा पीढ़ी का उन पर विश्वास और भी बढ़ेगा। उन्हें उम्मीद है कि इसका लाभ न केवल उन्हें मिलेगा, बल्कि उन सभी लोगों को भी मिलेगा जो बाजार में अपने पैसे को बढ़ाना चाहते हैं। साक्षी का यह प्रयास निश्चित रूप से युवा पीढ़ी को वित्तीय मामलों में अधिक जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

अपनी पेशेवर यात्रा के बारे में बात करते हुए साक्षी ने बताया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित एक बड़ी कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर काम करना शुरू किया था। हालांकि, इस नौकरी में उनका मन अधिक समय तक नहीं रमा और उन्होंने मात्र तीन महीने के भीतर ही कुछ अलग और अपना खुद का करने का निर्णय ले लिया। यह निर्णय उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने उन्हें आज इस सफलता के शिखर पर पहुंचाया है।

साक्षी का यह सफर कई युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो पारंपरिक करियर विकल्पों से हटकर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि यदि आपके पास जुनून और सही दिशा में प्रयास करने का जज्बा हो तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होते हुए भी उन्होंने सोशल मीडिया की ताकत को पहचाना और इसका उपयोग लोगों को वित्तीय रूप से साक्षर बनाने के लिए किया। उनका यह अनूठा दृष्टिकोण उन्हें औरों से अलग बनाता है और उन्हें इस प्रतिष्ठित सूची में जगह दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

फोर्ब्स की इस सूची में शामिल होना साक्षी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन यह उनके काम का अंत नहीं है। वह भविष्य में भी वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक लोगों को पैसे बनाने के सही तरीके सिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका लक्ष्य है कि युवा पीढ़ी वित्तीय रूप से मजबूत हो और देश के विकास में अपना योगदान दे सके।

साक्षी जैन की इस सफलता पर उनके परिवार और रांची के लोगों में गर्व की लहर है। उनकी इस उपलब्धि ने झारखंड का नाम विश्व पटल पर रोशन किया है और यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी विशेष क्षेत्र या पृष्ठभूमि की मोहताज नहीं होती। यदि सही दिशा में प्रयास किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। साक्षी की कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी यात्रा यह सिखाती है कि लीक से हटकर भी सफलता की नई राहें बनाई जा सकती हैं।

यह गर्व की बात है कि रांची की एक बेटी ने अपनी मेहनत और समर्पण से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। साक्षी जैन की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह झारखंड के युवाओं के लिए भी एक संदेश है कि वे भी अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं। फोर्ब्स अंडर-30 एशिया सूची में साक्षी का नाम दर्ज होना निश्चित रूप से उन्हें और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएगा और वित्तीय साक्षरता के क्षेत्र में उनके प्रयासों को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।

झारखंड के 402 निर्वाचन पदाधिकारी IIIDEM में लेंगे प्रशिक्षण, मुख्य चुनाव आयुक्त करेंगे मार्गदर्शन

रांची। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री के. रवि कुमार ने जानकारी दी है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सभी राज्यों के निर्वाचन पदाधिकारियों को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (IIIDEM) में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी क्रम में झारखंड के 402 बीएलओ, वालंटियर और बूथ अवेयरनेस ग्रुप (BAG) सदस्य 19 और 20 मई को IIIDEM में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लेंगे।

श्री के. रवि कुमार ने बताया कि कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों के लिए आवास, भोजन और यात्रा की व्यवस्था की गई है। प्रतिभागियों के साथ समन्वय के लिए लाइजनिंग ऑफिसर भी तैनात किए गए हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपना पहचान पत्र साथ रखने का आग्रह किया।

गुरुवार को निर्वाचन सदन में ऑनलाइन माध्यम से सभी संबंधित जिलों के उप निर्वाचन पदाधिकारियों और प्रतिभागियों के साथ बैठक में श्री के. रवि कुमार ने कार्यशाला के कार्यक्रम की जानकारी दी। 19 मई को योगा, मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार के साथ संवाद, निर्वाचन संबंधी रोल प्ले, राष्ट्रीय प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण और विभिन्न हितधारकों के अनुभव साझा किए जाएंगे। 20 मई को प्रतिभागियों को नई दिल्ली के प्रमुख संस्थानों का भ्रमण कराया जाएगा।

श्री के. रवि कुमार ने बताया कि सभी प्रतिभागियों के लिए IIIDEM में आवास की व्यवस्था की गई है और उन्हें प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार ने झारखंड के वालंटियर और बीएलओ के कार्यों की सराहना की थी। उनके निर्देशानुसार, झारखंड के निर्वाचन संबंधी विभिन्न हितधारकों के अनुभवों को IIIDEM में साझा किया जाएगा, जिसका उपयोग अन्य राज्यों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में किया जाएगा।

बैठक में पलामू के उपायुक्त श्री शशि रंजन, धनबाद की उपायुक्त श्रीमती माधवी मिश्रा, संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के ईआरओ, संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री सुबोध कुमार, उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सह उप सचिव श्री देव दास दत्ता और सभी जिलों के उप निर्वाचन पदाधिकारी उपस्थित थे।

झारखंड कैबिनेट के बड़े फैसले: निजी शिक्षण शुल्क, शिक्षकों की नियुक्ति और जेल नियमावली में बदलाव

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आज झारखंड मंत्रालय में हुई मंत्रिपरिषद की महत्वपूर्ण बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। इन फैसलों में निजी शिक्षण संस्थानों में शुल्क निर्धारण, सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) कैडेटों के भोजन भत्ते में वृद्धि और नई जेल नियमावली का गठन प्रमुख हैं।

कैबिनेट ने Jharkhand Professional Educational Institutions (Regulation of Fee) Bill, 2025 को स्वीकृति प्रदान की है। इस विधेयक के लागू होने से राज्य के निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में शुल्क निर्धारण को विनियमित किया जा सकेगा, जिससे छात्रों और अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है।

इसके अतिरिक्त, मंत्रिपरिषद ने झारखण्ड सरकारी माध्यमिक (Secondary, Class 9-12) आचार्य, प्रधानाचार्य एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्ति एवं सेवाशर्त्त नियमावली, 2025 को भी मंजूरी दे दी है। इस नियमावली के आने से राज्य के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति और उनकी सेवा शर्तों को लेकर स्पष्ट नियम बन सकेंगे।

युवाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, राज्य सरकार ने झारखण्ड राज्य के राष्ट्रीय कैडेट कोर (एन.सी.सी.) के कैडेटो के शिविरों के दौरान भोजन भत्ता में वृद्धि करने का भी निर्णय लिया है। इससे एनसीसी कैडेटों को शिविरों में बेहतर भोजन सुविधा मिल सकेगी।

मंत्रिपरिषद ने एक महत्वपूर्ण अनुशासनात्मक मामले में श्री कानु राम नाग, झा०प्र०से० (द्वितीय बैच) के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई में दिए गए दंड "सेवा से हटाया जाना, जो सरकार के अधीन आगामी नियोजन के लिए निरर्हता नहीं होगी," को यथावत रखने की स्वीकृति दी है।

आधारभूत संरचना को मजबूत करने की दिशा में, कैबिनेट ने मधुपुर शहरी जलापूर्ति योजना के लिए कुल ₹ 76,63,95,178/- के पुनरीक्षित तकनीकी स्वीकृति प्राप्त प्राक्कलन पर पुनरीक्षित प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है। इसके साथ ही, विश्व बैंक संपोषित झारखण्ड म्युनिसिपल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (JMDP) के अंतर्गत राजस्व वृद्धि के लिए सलाहकार चयन योजना की लागत राशि ₹ 10,70,70,160/- (GST सहित) पर भी पुनरीक्षित प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।

न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करते हुए, मंत्रिपरिषद ने माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय के विभिन्न वादों में पारित न्यायादेश के अनुपालन में संबंधित छह (06) सेवानिवृत्त लिपिकों की सेवा नियमित करते हुए उन्हें अनुमान्य वित्तीय लाभ प्रदान करने की स्वीकृति दी है। इसी क्रम में, उच्च न्यायालय के अन्य मामलों में पारित आदेशों के अनुपालन में श्री सुनील कुमार (पिता श्री शिव शंकर प्रसाद) एवं श्री सुनील कुमार (पिता श्री हनुमान सिंह) की सेवा भी नियमित करने की स्वीकृति दी गई है।

राज्य के अति विशिष्ट व्यक्तियों (VIP/VVIPs) के सरकारी उड़ान कार्यक्रम को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए, मंत्रिपरिषद ने वित्त नियमावली के नियम-235 को शिथिल करते हुए नियम-245 के तहत मनोनयन के आधार पर M/s Redbird Airways Pvt. Ltd, New Delhi से ली जा रही विमान सेवा को समान दर एवं शर्तों के साथ छह (06) माह तक विस्तारित करने की स्वीकृति दी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, गिरिडीह जिलान्तर्गत "बड़कीटांड-तीनपलली-डोकीडीह-गिरनिया मोड़ पथ (कुल लंबाई-11.065 कि०मी०)" को ग्रामीण कार्य विभाग से पथ निर्माण विभाग को हस्तांतरित करते हुए पुनर्निर्माण कार्य के लिए ₹ 55,20,63,400/- की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है।

स्वास्थ्य सेवाओं को और सुलभ बनाने के लिए, आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजनान्तर्गत 70 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान वय वंदना योजना से आच्छादित करने की स्वीकृति दी गई है। इसके अतिरिक्त, हजारीबाग, दुमका और पलामू के चिकित्सा महाविद्यालयों में लिफ्टों के वार्षिक रख-रखाव एवं संचालन (AMC) के लिए Schindler India Pvt. Ltd. के मनोनयन को स्वीकृति दी गई है।

राज्य में व्यापार की सुगमता को बढ़ावा देने के लिए, मंत्रिपरिषद ने कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन हेतु कारखाना (झारखण्ड) संशोधन विधेयक, 2025 को स्वीकृति दी है।

केन्द्र प्रायोजित मिशन सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 के तहत पूरक पोषाहार कार्यक्रम के अंतर्गत लाभार्थियों को Take Home Ration (THR) के निर्बाध वितरण को सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान आपूर्तिकर्ता से आपूर्ति की अवधि 31 मई 2025 तक विस्तारित करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई है।

धनबाद में एक महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजना के तहत, NH-32 पर स्थित रेलवे अंडर ब्रिज (RUB) के चौड़ीकरण कार्य की निविदा में निगोशिएटेड राशि को स्वीकृति प्रदान करने के लिए निविदा प्रक्रिया में छूट दी गई है।

शराब के खुदरा बिक्री को विनियमित करने के लिए, मंत्रिपरिषद ने "झारखंड उत्पाद (मदिरा की खुदरा बिक्री हेतु दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) नियमावली, 2025 " के गठन को स्वीकृति दी है।

एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार के तहत, संप्रति लागू बिहार कारा हस्तक (झारखण्ड सरकार द्वारा अंगीकृत) को निरस्त करते हुए नये झारखण्ड कारा हस्तक-2025 (Jharkhand Jail Manual-2025) के प्रारूप को मंत्रिपरिषद् की स्वीकृति दी गई है। यह नई जेल नियमावली राज्य की जेलों के संचालन और कैदियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी।

आज की मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए ये महत्वपूर्ण निर्णय राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विकास और सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।

झारखंड के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए हेमंत सरकार का प्रयास,UNICEF प्रतिनिधि से की मुलाकात

झारखंड सरकार राज्य के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने UNICEF के राज्य प्रतिनिधि नचिकेता चक्रवर्ती से मुलाकात की। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य राज्य के बच्चों के विकास और कल्याण के लिए UNICEF के साथ मिलकर काम करना था।

इस बैठक में, मुख्यमंत्री सोरेन ने राज्य में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने UNICEF के प्रतिनिधियों को राज्य सरकार द्वारा बच्चों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार बच्चों के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू कर रही है।

UNICEF के राज्य प्रतिनिधि नचिकेता चक्रवर्ती ने झारखंड सरकार के प्रयासों की सराहना की और बच्चों के विकास के लिए UNICEF के समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि UNICEF राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सके।

बैठक में, दोनों पक्षों ने बच्चों के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, बाल संरक्षण और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने का निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार बच्चों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि राज्य के सभी बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का समान अवसर मिले।

UNICEF के प्रतिनिधियों ने भी राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि UNICEF बच्चों के विकास के लिए राज्य सरकार को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।

इस बैठक के बाद, झारखंड सरकार और UNICEF ने बच्चों के विकास के लिए एक संयुक्त कार्य योजना तैयार करने का निर्णय लिया। इस कार्य योजना में, दोनों पक्ष बच्चों के विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू करेंगे।

यह बैठक झारखंड के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस बैठक से राज्य सरकार और UNICEF के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और बच्चों के विकास के लिए नए अवसर पैदा होंगे। राज्य सरकार और UNICEF के संयुक्त प्रयासों से, झारखंड के बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सकेगा।

विश्व हिंदू परिषद के बजरंग बागड़ा ने हिंदू कुटुंब प्रणाली और जनसंख्या नीति को लेकर चिंता जताई

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के बजरंग बागड़ा ने हिंदू कुटुंब प्रणाली और जनसंख्या नीति को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हिंदू परिवार प्रणाली और जनसंख्या नीति खतरे में है।

बागड़ा ने कहा कि हिंदू समाज को अपनी जनसंख्या नीति के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू परिवारों में बच्चों की संख्या कम हो रही है, जिससे हिंदू जनसंख्या घट रही है। उन्होंने कहा कि यह हिंदू समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

बागड़ा ने कहा कि वीएचपी हिंदू परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वीएचपी हिंदू परिवारों को बच्चों के पालन-पोषण में मदद करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहा है।

बागड़ा ने कहा कि वीएचपी सरकार से हिंदू जनसंख्या को बढ़ाने के लिए नीतियां बनाने का आग्रह कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को हिंदू परिवारों को बच्चों के पालन-पोषण में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।

बागड़ा ने कहा कि हिंदू समाज को अपनी जनसंख्या नीति के बारे में गंभीरता से विचार करने और हिंदू जनसंख्या को बढ़ाने के लिए काम करने की आवश्यकता है।