पीएम मोदी का कार्टून कटाक्षः इशारों-इशारों में राजीव गांधी पर तंज

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संसद के बजट सत्र के चौथे दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने सरकार की नीतियों का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने पूर्व की सरकारों की भी बात की। पीएम मोदी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी जोरदार कांग्रेस पर तंज कसा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम लिए बगैर उनके कार्यकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, एक प्रधानमंत्री बार-बार 21वीं सदी बोलते थे, ये उनका तकिया कलाम बन गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया में आरके लक्ष्ममण ने बड़ा शानदार कार्टून बनाया था। उसमें एक हवाई जहाज है, एक पायलट है। पायलट उन्होंने पसंद किया, हवाई जहाज पर कुछ पैसंजर्स थे और हवाई जहाज ठेले पर था और जहाज पर 21वीं सदी लिखा था।

पीएम मोदी ने कहा कि उस वक्त ये मजाक लग रहा था, लेकिन आगे चलकर वो सच सिद्ध हो गया। ये कटाक्ष था कि जमीनी सच्चाई से तब के पीएम कितने कटे हुए थे और हवाई बातों में लगे हुए थे, इसका वह जीती जागता प्रदर्शन करने वाला कार्टून था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तब उन्होंने 21वीं सदी की बात की थी, लेकिन वह 20वीं सदी की जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाए थे।

मोदी ने कहा, वह कार्टून इस बात का उदाहरण था कि उस प्रधानमंत्री की बातें हवा हवाई थीं और वास्तविकता से कटी हुई थीं। हम लगभग 40-50 साल पीछे हैं। जो काम 40-50 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वे अब हुए हैं। इसलिए जब जनता ने हमें काम करने का मौका दिया तो हमने युवाओं के विकास और राष्ट्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। हमने युवाओं की आकांक्षाओं पर बल दिया, उनके लिए ज्यादा अवसर बनाए। हमने कई क्षेत्रों को खोल दिया, जिसकी वजह से युवा अपनी सामर्थ्य का परचम लहरा रहे हैं। हमने स्पेस सेक्टर को खोल दिया, डिफेंस सेक्टर को खोला, इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए अनेक नई योजनाओं को आकार दिया। स्टार्टअप इंडिया डेवलप किया।

जब बुखार चढ़ता है तो लोग ज़्यादा बोलने लगते हैं”, पीएम मोदी ने ऐसा क्यों कहा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा पर जवाब दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, पांच दशकों तक हमने गरीबी हटाओ का नारा सुना और अब हमने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और दावा किया कि उनकी सरकार ने 40 लाख करोड़ रुपये सीधे लोगों के खाते में पहुंचाया है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट 1.80 लाख करोड़ था। आज 11 लाख करोड़ रुपया बजट है। सरकारी खजाने में बचत हुई वो तो एक बात है, हमने इस बात पर भी ध्यान रखा कि जन सामान्य को भी बचत का लाभ मिलना चाहिए। आपने देखा होगा कि आयुष्मान भारत योजना, बीमारी के कारण आम आदमी को होने वाला खर्च करीब देश में एक लाख 20 हजार करोड़ रुपए जनता के बचे हैं। जनऔषधि केंद्र में 80 फीसदी डिसकाउंट होता है। जनता के 30 हजार करोड़ रुपए बचे हैं।

पीएम मोजदी ने कहा कि यूनिसेफ का भी अनुमान है कि जिसके घर में शौचालय बना, उस परिवार को करीब करीब 70 हजार की बचत हुई है। पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान बताया कि, डब्ल्यूएचओ का कहना है कि नल से शुद्ध जल मिलने के कारण उन परिवारों में औसतन 40 हजार प्रति परिवार बचा है। ऐसी अनेक योजनाएं हैं जिन्होंने सामान्य आदमी के खर्च में बचत की है, करोड़ों देशवासियों को मुफ्त अनाज से भी परिवार के हजारों रुपये बचते हैं।

इस दौरान विपक्ष की तरफ से उन्हें टोकने की कोशिश गई। विपक्ष की तरफ से हो रहे शोर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी नाराज़ नज़र आए और विपक्षी सांसदों को रोकने की कोशिश करते हुए दिखे। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जब लोगों को बुखार चढ़ जाता है तो वो ज़्यादा बोलते हैं। लोग हताशा और निराशा में भी ज़्यादा बोलते हैं।

गुजरात में समान नागरिक संहिता: समानता की ओर एक बड़ा कदम या सांस्कृतिक चुनौती?

गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए एक समिति का गठन किया है। इस समिति का उद्देश्य राज्य में यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करना और विधेयक का मसौदा तैयार करना है। समिति का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई करेंगी। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया है।

यूसीसी क्या है?

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का उद्देश्य भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून स्थापित करना है, जो धर्म, लिंग या यौन अभिविन्यास के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। यह विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार, और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर समान कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।

समिति का गठन

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, अधिवक्ता, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। समिति को 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। इसके बाद, सरकार यूसीसी के कार्यान्वयन पर निर्णय लेगी।

यूसीसी की आवश्यकता

यूसीसी का उद्देश्य समाज में समानता लाना और नागरिकों को समान कानूनी अधिकार देना है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों के कारण असमानताएँ उत्पन्न होती हैं। यूसीसी इन भेदभावों को समाप्त करके एक समान कानूनी ढांचा स्थापित करेगा।

यूसीसी के लाभ

1.समानता: यूसीसी से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे, जिससे जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव समाप्त होगा।

2. साधारण प्रक्रिया: यूसीसी से कानूनी प्रक्रिया में सरलता आएगी, जिससे न्याय की उपलब्धता तेज होगी।

3. सामाजिक एकता: यह विभिन्न समुदायों को एक समान कानूनी ढांचे में लाकर सामाजिक एकता को बढ़ावा देगा।

यूसीसी के विरोधी विचार

1. धार्मिक स्वतंत्रता: यूसीसी के विरोधी इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण मानते हैं, क्योंकि यह विभिन्न धर्मों की परंपराओं को प्रभावित कर सकता है।

2. सांस्कृतिक विविधता: कुछ लोगों का कहना है कि हर समुदाय की अपनी विशेषताएँ और परंपराएँ हैं, जिनकी रक्षा के लिए अलग-अलग कानूनों की आवश्यकता है।

अन्य राज्यों का यूसीसी पर रुख

1. उत्तराखंड: उत्तराखंड सरकार ने देश का पहला राज्य बनते हुए यूसीसी को लागू किया। यह एक आदर्श मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

2. गोवा: गोवा में 1961 से औपनिवेशिक युग का यूसीसी लागू है, जो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लागू था।

3. झारखंड और आदिवासी समुदाय: केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आदिवासी समुदायों की परंपराओं को संरक्षित करने का आश्वासन देती रही हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि यूसीसी लागू करने से महंगाई और बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस ने यह भी मांग की है कि समिति में मुस्लिम समुदाय के धार्मिक नेताओं को भी शामिल किया जाए।

गुजरात सरकार का यूसीसी के लिए समिति का गठन एक बड़ा कदम है, जो देश में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि, इसका प्रभाव समाज पर कैसे पड़ेगा, यह एक बड़ा सवाल है। यूसीसी के समर्थक इसे सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण मानते हैं, जबकि इसके विरोधी इसे धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। आगामी रिपोर्ट और सरकार का निर्णय इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण होंगे।

घरों में जकूजी, झोपड़ियों में फोटो सेशन', लोकसभा में पीएम मोदी का राहुल-केजरीवाल पर हमला

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी पर जोरदार हमला किया। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के जवाब देते हुए पीएम मोदी ने स्टाइलिश बाथरूम, शीशमहल समेत कई मुद्दों का जिक्र किया। इसके साथ ही गरीबी उन्मूलन पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लिया।

हमने पैसों का इस्तेमाल शीशमहल बनाने में नहीं किया-पीएम मोदी

पीएम ने इशारों ही इशारों में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश में घोटाले न होने से भी देश के लाखों करोड़ रुपए बचे हैं जो जनता जनार्दन की सेवा में लगे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, पहले अखबारों की हेडलाइन हुआ करती थी- इतने लाख के घोटाले..10 साल हो गए, घोटाले न होने से देश के लाखों करोड़ रुपये बचे हैं, जो जनता जनार्दन की सेवा में लगे हैं। हमने जो अलग-अलग कदम उठाए, उनसे लाखों-करोड़ रुपये की बचत हुई, लेकिन उन पैसों का उपयोग हमने 'शीशमहल' बनाने के लिए नहीं किया, उन पैसों का उपयोग हमने देश बनाने के लिए किया है। पीएम मोदी ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा - कुछ लोगों का फोकस आलीशान घरों में जकूजी और शॉवर पर है। पीएम ने कहा कि कुछ नेताओं का फोकस अपने घर के स्टाइलिश बाथरूम पर है। हमारा फोकस तो हर घर नल से जल पहुंचाने पर है। 12 करोड़ लोगों को नल से जल दिया, हमारा फोकस गरीबों के घर बनाने पर है

कुछ लोग गरीबों की झोपड़ियों में फोटो सेशन कराते हैं-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, कुछ विपक्षी नेताओं ने असली गरीबी नहीं देखी है, इसलिए संसद में गरीबों की बात उन्हें बोरिंग लगती है, जो लोग गरीबों की झोपड़ियों में फोटो सेशन कराते हैं, उन्हें गरीबी की समस्या का हल नहीं चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारे देश में एक प्रधानमंत्री हुआ करते थे, जिन्होंने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो गांव तक सिर्फ 15 पैसा ही पहुंचता है। उस समय, पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का राज था। देश ने हमें अवसर दिया, हमने समाधान खोजने का प्रयास किया। हमारा मॉडल है- बचत भी विकास भी, जनता का पैसा, जनता के लिए।

कुंभ में इतना बड़ा कुछ नहीं हुआ था', भगदड़ में मौतों पर बोलीं हेमा मालिनी

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महाकुंभ भगदड़ की घटना पर भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने बड़ा बयान दिया है। हेमा मालिनी ने कहा कि यह कोई बहुत बड़ी घटना नहीं थी। इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। बता दें कि महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर एक ओर विपक्ष यूपी सरकार पर हमलावर है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है।

संसद के बजट सत्र में कुंभ के दौरान हुए हादसे पर जारी हंगामे के बीच बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने कहा है कि कुंभ में इतना बड़ा कुछ नहीं हुआ था। इतना बड़ा है क्या है वो मुझे नहीं मालूम है। इसे ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है। इसे सही तरीके से मैनेज कर लिया गया है। बहुत भीड़ आ रही है, इसलिए उसे मैनेज करना कठिन है।

हेमा मालिनी ने कहा है, वो (विपक्ष) तो बोलेंगे, उनका काम है कहना। उलटा, गलत बोलना। दरअसल, उनसे जब पूछा गया कि अखिलेश यादव कह रहे हैं कि महाकुंभ में सेना लगा देनी चाहिए तो इस पर हेमा मालिनी ने कहा कि उनका तो काम है ऐसा कहना। मैं कुंभ में गई थी, वहां बहुत अच्छा स्नान किया, सबकुछ बहुत अच्छा रहा।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 28 और 29 जनवरी की दरमयानी रात को मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ हो गई थी। उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि इस हादसे में 30 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 60 लोग घायल हुए थे। हालांकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल हादसे में बड़ी संख्या में लोगों की मौत का दावा कर रहे हैं और यूपी सरकार पर सही आंकड़े को छिपाने का आरोप लगा रहे हैं।

क्या महाकुंभ में भगदड़ के दौरान हुई मौतों का आंकड़ा छुपा रही सरकार, क्यों उठ रहे सवाल?

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मौनी अमावस्या पर शाही स्नान से पहले महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर घमासान मचा हुआ है। महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के दौरान हुई मौतों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सरकार और प्रशासन ने मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के आंकड़े जारी कर दिए हैं, लेकिन इसको लेकर कई तरह के सवाल और कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 लोग घायल हुए थे। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि सरकार मृतकों और घायलों के आंकड़े छिपा रही है। महाकुंभ में हुई भगदड़ में हजारों जानें गईं हैं।

मौतों के सही आंकड़े जारी करने की मांग

विपक्षी दल मौतों का आंकड़ा छुपानी का आरोप लगा रहे हैं। संसद के चालू बजट सत्र में भी इसको लेकर हंगामा जारी है। मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने महाकुंभ भगदड़ में हुई मौतों के सही आंकड़े जारी करने की मांग की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसको लेकर सरकार को घेरा है। बड़े आरोप लगाते हुए यादव ने कहा कि सरकार ने सबूत मिटाने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि लोग तीर्थयात्रा के लिए महाकुंभ में पहुंचे, लेकिन अपने प्रियजनों के शवों के साथ लौट आए। उन्होंने कहा, महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो और सच्चाई छिपाने वालों को सजा मिले।अगर कोई दोषी नहीं था तो आंकड़े क्यों दबाए गए, छिपाए गए और मिटाए गए?

खड़गे ने हज़ारों मौतों का किया दावा

इससे पहले संसद के बजट सत्र के तीसरे तीन प्रयागराज कुंभ में हुई भगदड़ के मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ है। दोनों ही सदनों में विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सांकेतिक तौर पर सदन का बहिष्कार भी किया। कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा पर भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, अपनी बात आरंभ करने से पहले मैं महाकुंभ में दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने हज़ारों की संख्या में वहां पर अपनी जान दी है, कुंभ में। खड़गे के इस बयान के बाद सदन में सत्ता पक्ष के सांसदों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। इस पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ये मेरा अंदाज है। ये गलत है तो आप बताइए। अगर ये सच नहीं है तो आप बताइए, क्या सच है।

विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा

वहीं, समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने संसद परिसर में पत्रकारों से कहा है कि सबसे ज़्यादा दूषित पानी इस वक्त कहां है- कुंभ में है। उसके लिए कोई सफाई नहीं दे रहे हैं। लाश जो पानी में डाल दिए गए हैं, उससे पानी दूषित हुआ है।

तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने कहा, कुंभ मेले में क्या हुआ था, हम इसका सच चाहते हैं। सबूत सामने आ रहे हैं कि वहां दूसरी भगदड़ भी हुई थी। खोजी पत्रकार बता रहे हैं कि वहां 30 नहीं बल्कि बहुत ज़्यादा लोगों की मौत हुई। हम इस सरकार से जवाब चाहते हैं। सभी विपक्षी सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया कि हम कुंभ मेले में हुए हादसे पर चर्चा चाहते हैं। सरकार क्यों नहीं बता रही है कि कितने लोग मारे गए हैं। यह अपराध है।

आरजेडी के सांसद मनोज झा ने भी इस मुद्दे पर सराकर पर हमला बोला है। संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीन में मनोज झा ने कहा, सिर्फ़ हमारी बात नहीं है पूरा देश परेशान है, अपने लोगों को ढूंढ रहा है, कुंभ इनसे पहले भी था, कुंभ इनके बाद भी होगा। लोग जवाबदेही चाहते हैं। इतनी जानें जाएं और सदन को अनभिज्ञ रखा जाए, यानी देश को अनभिज्ञ रखने की।

क्यों उठ रहे सवाल?

महाकुंभ में 28 जनवरी को मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले रात करीब 2 बजे भगदड़ मची थी। इसमें कई लोग घायल हुए और भीड़ में दबने के कारण कई लोगों की मौत हो गई। इस घटना के करीब 17 घंटे बाद यूपी सरकार की ओर से आंकड़े जारी किए गए, जिसमें 30 मौतों और 60 लोगों के घायल होने की बात कही गई। इसमें 25 मृतकों की शिनाख्त होने की भी बात कही गई। हालांकि, इन आंकड़ों के बाद पुलिस की ओर से करीब 24 लावारिश लाशों की शिनाख्त के लिए तस्वीरें जारी की गईं। ये तस्वीरें ही सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रही हैं।

वहीं, भगदड़ के बाद सामने आई कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि महाकुंभ में संगम नोज के अलावा दूसरी जगह भी भगदड़ मची थी, लेकिन उसे छिपा लिया गया। इस भगदड़ में भी कई मौतों का दावा किया जा रहा है।

100 करोड़ लोगों की व्यवस्था का था दावा

महाकुंभ की तैयारी के वक्त यूपी की सरकार ने 100 करोड़ लोगों को स्नान कराने की व्यवस्था करने की बात कही थी। यूपी सरकार के मंत्री हर राज्यों में जाकर आमंत्रण पत्र बांट रहे थे, लेकिन मौनी अमावस्या के आसपास स्थिति पूरी तरह चरमरा गई। अखिलेश यादव के मुताबिक पहली बार मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में साधु और संन्यासी स्नान नहीं कर पाए। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इसको लेकर सवाल उठाया। शंकराचार्य का कहना है कि जब 100 करोड़ लोगों की व्यवस्था थी, तब 10-20 करोड़ भी क्यों नहीं संभाल पाए?

उत्तराखंड के बाद इस राज्य में भी लागू होगा यूसीसी, ड्राफ्ट तैयार करने के लिए समिति का गठन

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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू हो चुका है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां यूसीसी लागू किया गया है। उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में भी यूसीसी को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए इसके कार्यान्वयन के लिए एक समिति का गठन किया गया है। समिति द्वारा सभी धर्मों के गुरु से चर्चा करने के बाद ही रिपोर्ट बनाई जाएगी। गुजरात सरकार ने मंगलवार को इसकी घोषणा की है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह मंत्री हर्ष संघवी ने इस मुद्दे को लेकर संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने कहा कि भारत संविधान की 75वीं वर्षगांठ मन रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नागरिक में समान हक के लिए कॉमन सिविल कोड अमल करने का फैसला लिया है। जितने वादे किए थे, वह एक के बाद एक पूरे हुए हैं। उसी दिशा में गुजरात पीएम मोदी के संकल्प को साकार करने की दिशा में कटिबद्ध है। सभी नागरिकों को समान हक मिले, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति के गठन का फैसला किया गया है। यह समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर सरकार निर्णय लेगी। इस समिति में रंजना देसाई के अलावा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सीएल मीणा, वकील आरसी कोडेकर, पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ शामिल हैं।

भारत में सभी धर्मों के अपने-अपने पर्सनल लॉ मौजूद हैं। जैसे, हिंदुओं के लिए शादी और तलाक के नियम हिंदू मैरिज एक्ट के तहत हैं, जबकि मुस्लिमों के लिए ये मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत हैं। इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग-अलग कानून हैं। यूसीसी के जरिए सभी धर्मों के लिए शादी, तलाक और संपत्ति से जुड़े मामलों में समानता लाने की कोशिश की गई है।

अखिलेश ने क्यों कही अपने इस्तीफे की बात? लोकसभा में महाकुंभ हादसे को लेकर सपा अध्यक्ष का बड़ा दावा

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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने संसद में महाकुंभ भगदड़ को लेकर योगी सरकार पर जमकर निशाने साधे। उन्होंने सीएम योगी पर भगदड़ की पूरी हकीकत छिपाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस हादसे को लेकर कुछ दावे भी किए और कहा कि अगर उनके दावे गलत निकले तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।

संसद भवन में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के कन्‍नौज सांसद अखिलेश यादव ने महाकुंभ में हुए भगदड़ हादसे को लेकर सवाल उठाए। पहले तो अखिलेश यादव ने अपने भाषण की शुरुआत में स्‍पीकर ओम बिड़ला से आग्रह किया कि जब चर्चा खत्‍म हो रही होगी तब महाकुंभ हादसे के पीड़‍ितों के प्रति 2 मिनट मौन रखने की इजाजत दी जाए। उन्‍होंने कहा कि हमारा अनुरोध है कि जहां सरकार बजट के आंकड़े दे रही है, उससे पहले महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी दिए जाएं। इस बारे में सर्वदलीय बैठक बुलाया जाए। उन्‍होंने मांग की कि ‘महाकुंभ आपदा प्रबंधन व खोया पाया केंद्र की ज‍िम्‍मेदारी सेना को दी जाए। घायलों का इलाज, दवाइयां, डॉक्‍टर, भोजन-पानी का आंकड़ा सदन में रखा जाए। इस हादसे के लिए जिम्‍मेदार लोगों पर घोर दंडात्‍मक एक्‍शन लिया जाए।

अखिलेश ने कहा, लोग पुण्य कमाने आए थे और अपनों के शव लेकर गए। उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि एक धार्मिक समागम में राजनीतिक प्रचार अशोभनीय, निंदनीय है। जहां उचित व्यवस्था होनी चाहिए थी, वहां राजनीतिक प्रचार किया जा रहा है। धार्मिक आयोजन में राजनीतिक प्रचार करना, खासकर डबल इंजन वाली सरकार में, शर्मनाक और निंदनीय है। अखिलेश ने सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने महाकुंभ का इतना प्रचार किया और मैंने कई टीवी इंटरव्यू और समाचार चैनलों पर ये बात सुनने में आई कि सरकार ने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया है। अगर ये बात गलत है तो मैं इस्तीफा आपको देना चाहता हूं।

सपा प्रमुख ने कहा कि हम डबल इंजन सरकार से पूछते हैं कि अगर अपराध बोध नहीं था तो आंकड़े दबाए, छिपाए और मिटाए क्‍यों गए? सच छिपाना, मिटाना भी तो अपराध है? डबल इंजन सरकार का प्रचार करते अब तो वो होर्डिंग हटा देने चाहिए। महाकुंभ के डिजिटल होने का दावा किया गया, वो लोग अब मृतकों की डिजिट तक नहीं दे पा रहे हैं। खोया पाया केंद्र को भी लोग नहीं ढूंढ पा रहे।

सपा सांसद ने कहा कि कुंभ का आयोजन सदियों से होता आया है। 144 साल बाद महाकुंभ होने जा रहा है, उसका इतना प्रचार किया गया कि सरकार ने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया गया है। जहां तक मेरी समझ और जानकारी कहती है कि जो ज्‍योतिष संबंधी चीजों को की समझते होंगे कि वो ये स्‍वीकार करते होंगे कि जो भी कुंभ होता होगा 144 साल बाद ही होता होगा। लेकिन ये कहा गया कि नक्षत्र ऐसे हैं। मैं सरकार से ये कहना चाहता हूं कि सतयुग से कलियुग तक ये सनातन परंपरा रही है कि संत, महात्‍मा मुहूर्त के हिसाब से शाही स्‍नान करते हैं। लेकिन भाजपा के राज में ये परंपरा टूट गई और हादसे को छिपाकर ये आदेश दिया गया कि अखाड़े शाही स्‍नान करने जाएं। ये सनातन परंपरा तोड़कर अच्‍छा नहीं किया गया।

आर-पार के मूड में चीन, ट्रंप को 10% के जवाब में 15% टैरिफ, अब बढ़ेगा तनाव

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको को बड़ी राहत दी। ट्रंप ने दोनों देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। हालांकि, चीन को किसी भी तरह की राहत नहीं दी। फिर क्या था अमेरिका के टैरिफ से चीन तिलमिला उठा और अमेरिका को जवाब देने की ठानी। इसी का नतीजा है कि अब चीन ने भी अमेरिका से इंपोर्ट होकर आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। चीन ने अमेरिका के कोयला और क्रूड ऑयल समेत कई उत्पादों पर 15 पर्सेंट तक टैरिफ थोप दिया है। चीन की तरफ से लगाए गए ये टैरिफ 10 फरवरी से लागू होंगे।

चीनी वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को अमेरिकी उत्पादों पर 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले की जानकारी दी। बीजिंग के टैरिफ लगाए जाने से चीन में अमेरिका से आने वाले बड़ी कारों, पिक ट्रक, एलएनजी, कच्चा तेल और खेती-बाड़ी की मशीनों के आयात पर असर पड़ेगा। चीन ने कोयले और प्राकृतिक गैस पर 15 प्रतिशत और पेट्रोलियम, कृषि उपकरण, उच्च उत्सर्जन वाले वाहनों और पिकअप ट्रकों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। चीन ने कुछ प्रमुख खनिजों के निर्यात पर नियंत्रण लगाया है। साथ ही गूगल और कुछ अमेरिकी कंपनियों की जांच शुरू कर दी है।

केवल टैरिफ तक नहीं रुका चीन

चीन सिर्फ टैरिफ तक ही नहीं रुका, बल्कि उसने दो अमेरिकी कंपनियों को अपनी अविश्वसनीय संस्थाओं की सूची में डाला है। इसमें बायोटेक कंपनी इलुमिना और केल्विन क्लेन और टॉमी हिलफिगर की मालिकाना हक वाली फैशन रिटेलर कंपनी पीवीएच ग्रुप शामिल है। चीन का कहना है कि उन्होंने सामान्य बाजार व्यापार सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। टैरिफ के अलावा, चीन ने अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल के खिलाफ एक एंटी-मोनोपॉली जांच शुरू करने की भी घोषणा की है।

चीन-अमेरिका में छिड़ा ट्रेड वॉर

अमेरिका और चीन के एक-दूसरे पर टैरिफ लगाने से दोनों मुल्कों में व्यापार के स्तर पर तनाव बढ़ गया है। इससे आने वाले दिनों में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर तेज होने की भी संभावना है। दरअसल, चीन का जवाबी कदम ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित टेलीफोनिक बातचीत से पहले आया है। ट्रंप ने सोमवार को कहा कि शी के साथ बातचीत ‘शायद अगले 24 घंटों में’ होगी। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर चीन के साथ कोई समझौता नहीं हो सका, तो ‘टैरिफ बहुत, बहुत ज्यादा होंगे।

तय हो गया पीएम मोदी का अमेरिका दौरा, 12 फरवरी की तारीख तय, व्हाइट हाउस में खुद डिनर होस्ट करेंगे डोनाल्ड ट्रंप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय (एमईए) के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को इसकी जानकारी दी।ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद यह मोदी की वाशिंगटन की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। उनकी यह पहली यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी की शाम को फ्रांस से एआई सम्मेलन में भाग लेकर अमेरिका पहुंचने की उम्मीद है। पीएम मोदी फ्रांस में 10-11 फरवरी को ग्रैंड पैलेस में एआई एक्शन समिट में भाग लेंगे। फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा के वो 12 फरवरी को अमेरिका पहुंचेंगे। वो 14 फरवरी तक अमेरिकी राजधानी में रहेंगे। इस दौरान पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से 13 फरवरी को मुलाकात होने की संभावना है। ट्रंप पीएम मोदी के दौरे के दौरान उनके लिए एक रात्रिभोज भी आयोजित कर सकते हैं।

हालांकि पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा का आधिकारिक विवरण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन चर्चा व्यापार, रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित रहने की उम्मीद है। बता दें कि ट्रंप ने 20 जनवरी को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उनके शपथ ग्रहण के बाद, पीएम मोदी ने 27 जनवरी को उनसे फोन पर बात की थी।