किताबों का जादू या नींद का बुखार? पढ़ते ही क्यों घिर जाता है आलस!


पढ़ाई के समय नींद आना या आलस महसूस करना एक सामान्य अनुभव है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्या यह किताबों का जादू है या हमारे शरीर की प्रतिक्रिया? आइए इस विषय को गहराई से समझते हैं।

1. मस्तिष्क की थकान

जब हम पढ़ते हैं, तो हमारा मस्तिष्क नई जानकारी को प्रोसेस करता है। यह प्रक्रिया ऊर्जा की खपत करती है, जिससे थकान महसूस हो सकती है। खासकर जब विषय उबाऊ या कठिन हो, तो मस्तिष्क जल्दी थक जाता है और हमें नींद आने लगती है।

2. शरीर की मुद्रा का प्रभाव

पढ़ाई के दौरान यदि आप झुककर या लेटकर पढ़ते हैं, तो यह स्थिति शरीर को आराम का संकेत देती है। आरामदायक मुद्रा में पढ़ने से मस्तिष्क को लगता है कि यह आराम का समय है, और धीरे-धीरे नींद आने लगती है।

3. आंखों की थकावट

लंबे समय तक किताबों या स्क्रीन पर देखने से आंखें थक जाती हैं। आंखों की मांसपेशियों को आराम की जरूरत होती है, और यह थकावट पूरे शरीर में आलस का कारण बनती है।

4. रक्त प्रवाह में कमी

पढ़ाई के दौरान यदि आप लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहते हैं, तो शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इससे ऊर्जा की कमी महसूस होती है, और नींद का अहसास होता है।

5. सामान्य नींद की कमी

यदि आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है, तो पढ़ाई के समय मस्तिष्क आराम की तलाश में होता है। इस वजह से किताब खोलते ही आपको नींद आने लगती है।

6. सामग्री का प्रभाव

यदि पढ़ाई की सामग्री रूचिकर नहीं है, तो मस्तिष्क उसे जल्दी समझने में रुचि नहीं लेता। इसके परिणामस्वरूप आलस और नींद हावी हो जाती है।

उपाय: पढ़ते समय नींद और आलस से बचने के तरीके

1मोटिवेशनल सामग्री से शुरुआत करें:

रुचिकर विषय पढ़ने से मस्तिष्क सक्रिय रहता है।

2 ब्रेक लें:

हर 30-40 मिनट में 5-10 मिनट का ब्रेक लें।

3 अच्छी रोशनी का प्रयोग करें: मंद रोशनी से आंखें जल्दी थकती हैं।

4 शारीरिक मुद्रा बदलें:

पढ़ाई के दौरान सीधा बैठें और हर थोड़ी देर में टहलें।

5 हाइड्रेटेड रहें:

पानी पीने से शरीर ऊर्जावान रहता है।

6 गहरी सांस लें:

ऑक्सीजन की कमी से आलस बढ़ता है, गहरी सांस लेने से मस्तिष्क सतर्क रहता है।

निष्कर्ष*

पढ़ाई के समय आलस या नींद आना कोई जादू नहीं, बल्कि हमारे शरीर और मस्तिष्क की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। सही आदतें अपनाकर आप इस समस्या से बच सकते हैं और पढ़ाई को प्रभावी बना सकते हैं। तो अगली बार जब किताबों के साथ बैठें, तो इन उपायों को अपनाएं और पढ़ाई का आनंद लें!

दुमका : सीएम हेमंत सोरेन ने दुमका में फहराया राष्ट्रीय ध्वज, कहा- सामाजिक भाईचारा को सर्वोच्च स्थान देने की जरूरत


दुमका : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सामाजिक भाईचारा पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत राज्य के निर्माण करने में हम तभी सफल होंगे जब लोगों के बीच जाति, नस्ल और रंग का भेद भुलाकर सामाजिक भाईचारा को सर्वोच्च स्थान दिया जाए और कमजोर से कमजोर व्यक्ति की आवाज़ भी सत्ता के उच्चतम स्तर तक पहुँच सके।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 76 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्य की उपराजधानी दुमका के पुलिस लाइन मैदान में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। सीएम ने कहा कि हमारी सरकर ने हर वर्ग के लिए योजनाएँ और नीतियाँ बनायी है और उन्हें जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया। कहा कि झारखण्ड के गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों में एक नयी ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ है। हर चेहरे पर उम्मीद की नई किरणें दिख रही हैं। हम जनता से किये हर वादे को पूरी संजीदगी से निभाने का प्रयास कर रहे हैं।

दुमका के पुलिस लाइन मैदान में रविवार को आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करने और राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने के बाद अपने संबोधन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार के उपलब्धियों को गिनाया और सरकार द्वारा राज्य के विकास को लेकर किये जा रहे प्रयासों और योजनाओं पर चर्चा भी की। सीएम ने कहा कि अगर नेक नियत, मजबूत ईरादों और बुलंद हौसलों के साथ हम सब मिल-जुल कर प्रयास करें तो एक समृद्ध और खुशहाल झारखण्ड के निर्माण में जरूर सफल होंगे।

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि महिला सशक्तिकरण हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता रही है। आज से लगभग पाँच महीने पहले हमारी सरकार ने झारखण्ड की बहनों-दीदियों की आर्थिक स्वतंत्रता और गरिमा सुनिश्चित करने के व्यापक उद्देश्य से मंईयां सम्मान योजना के रूप में एक क्रांतिकारी योजना की शुरूआत की थी। क्रांतिकारी इसलिए, क्योंकि झारखण्ड की सामाजिक- आर्थिक पृष्ठभूमि एवं ग्रामीण परिवेश में यह योजना व्यापक बदलाव लाने का सामर्थ्य रखती है। उन्होंने कहा कि राज्य में नियुक्ति की प्रक्रिया को तीव्र करते हुए विभिन्न कोटि के लगभग 48 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग को भेज दी गई है, जिसमें से 46 हजार पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है।

सीएम हेमंत सोरेन ने क़ृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और वन क्षेत्र के साथ राज्य में आधारभुत संरचना के निर्माण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को भी गिनाया।

इससे पूर्व गणतंत्र दिवस के अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उपराजधानी दुमका के पुलिस लाइन मैदान में मिलीजुली परेड गारद की सलामी लेने के बाद परेड का निरीक्षण किया और झंडोतोलन करने के बाद राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी। समारोह के अवसर पर विभिन्न विभागों द्वारा झांकी पेश की गयी जो लोगों को कई संदेश देने के साथ सरकार की योजनाओं से भी रूबरू करवा रही थी।

मुख्यमंत्री ने विभागों द्वारा प्रस्तुत झांकियों और परेड में शामिल विभिन्न प्लाटून के टुकड़ियों को सराहा और पुरस्कृत किया। सीएम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सरकारी कर्मियों, स्वयं सेवकों, स्कूली छात्रों एवं छात्रा और खिलाड़ियों को सम्मानित किया। सीएम ने स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को सम्मानित किया। मौके पर जेएमएम विधायक डॉ लुईस मरांडी, जे एम एम विधायक बसंत सोरेन, जे एम एम विधायक आलोक सोरेन सहित अन्य जन प्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

महाकुंभ से लौट रहे धनबाद निवासी एक सेना के अधिकारी और उनकी बेटी समेत 3 की सड़क हादसे में हुई मौत


धनबादः सरायढेला थाना क्षेत्र के खरनागढ़ा के रहने वाले सेना के एक अधिकारी शिवजी सिंह, उनकी बेटी सोनम कुमारी और पड़ोसी राजीव कुमार की सड़क हादसे में मौत हो गई है. ये हादसा यूपी के प्रयागराज-वाराणसी हाइवे के मिर्जा मुराद में हुआ है. वे महाकुंभ स्नान के लिए गये थे और वापस लौट रहे थे.

इस हादसे में वहीं शिवजी सिंह की पत्नी नीरा देवी और राजीव सिंह की पत्नी अलका सिंह की स्थिति नाजुक बनी हुई. जिनका इलाज बनारस के बीएचयू में चल रहा है. घटना की सूचना मिलने बाद उनके परिजन बनारस के लिए रवाना हो गए हैं.

वहीं मृतक राजीव सिंह के पिता शिवदयाल सिंह ने बताया कि उनका बेटा राजीव और बहु नीरा कुंभ स्नान के लिए शुक्रवार को शिवजी सिंह के साथ कार से निकले थे. स्नान के बाद शनिवार को लौट रहे थे. इस दौरान बेटे राजीव सिंह, शिवजी सिंह और उनकी बेटी सोनम कुमारी की मौके पर ही मौत हो गई है.

 उन्होंने कहा कि राजीव अपना व्यवसाय करते थे. राजीव सिंह का एक बेटा है, जिसका नाम प्रिंस सिंह है. वह टाटा में रहकर एमबीए की पढ़ाई कर रहा है.

सेना के अधिकारी शिवजी सिंह के पड़ोसी राजीव सिंह ने बताया कि शुक्रवार को शिवजी सिंह और उनकी पत्नी नीरा देवी देवी, बेटी सोनम कुमारी के साथ पड़ोस के रहने वाले राजीव कुमार व उनकी पत्नी अलका सिंह सभी कार में सवार होकर कुंभ स्नान के लिए निकले थे. कुंभ स्नान के बाद वह सभी कार से वापस लौट रहे थे. यूपी के प्रयागराज-वाराणसी हाईवे के मिर्जा मुराद में उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई. कार की टक्कर एक डंपर से हो गई.

इस हादसे में शिवजी सिंह और उनकी बेटी सोनम कुमारी के साथ ही पड़ोसी राजीव कुमार की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं शिवजी सिंह की पत्नी नीरा देवी और राजीव सिंह की पत्नी अलका सिंह की स्थिति गंभीर बनी हुई है. दोनों का इलाज बीएचयू में चल रहा है. 

शिवजी सिंह खुद कार चला रहे थे, उनकी पत्नी निरा देवी बेटी सोनम कुमारी और पड़ोसी राजीव सिंह व उनकी पत्नी अलका सिंह कार में सवार थीं.

पड़ोसी ने बताया कि शिवजी सिंह मूल रूप से बिहार के आरा जिला के रहने वाले थे. खरनागढ़ा में पहले ही घर बनाए थे लेकिन छह महीने पहले ही शिफ्ट हुए थे. शिवजी सिंह सेना में एक अधिकारी के पद पर थे, उनकी ड्यूटी लेह लद्दाख में थी. छुट्टी में वह अपने घर धनबाद आए थे, उनकी छुट्टी खत्म हो गई थी. उन्हें दिल्ली से फ्लाइट से ड्यूटी पर जाना था लेकिन मौसम खराब होने के कारण अगले समय तक के लिए फ्लाइट रद्द कर दी गई. जिसके कारण वह ड्यूटी पर नहीं जा सके और ड्यूटी पर नहीं जाने के कारण ही उन्होंने महाकुंभ जाने का प्लान बनाया था. जिसके बाद वह महाकुंभ के लिए परिवार के साथ निकले थे.

धनबाद पुलिस ने डकैती की घटना को अंजाम देने के फिराक में अपराधी को दबोचा


धनबाद : जिला पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. डकैती की घटना को अंजाम देने के फिराक में जुटे तीन अपराधी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इनके पास पिस्टल, गोली व अपराध में इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य सामान भी पुलिस ने बरामद किए हैं.

 एसएसपी एचपी जनार्दनन ने क्राइम मीटिंग में नाइट पेट्रोलिंग तेज करने के निर्देश दिया था.

नाइट पेट्रोलिंग के दौरान बरवाअड्डा पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. जिले में डकैती की घटना को अंजाम देने के फिराक में जुटे तीन शातिर अपराधी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. सभी को बरवाअड्डा थाना क्षेत्र के मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के समीप से गिरफ्तार किया गया है. 

गिरफ्तार अपराधियों के पास से एक रॉड, एक देसी कट्टा, गोली समेत अन्य सामान बरामद किया गया है. साथ ही पुलिस ने आरोपियों का एक स्कॉर्पियो वाहन भी जब्त किया है.

सिटी एसपी अजीत कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि पकड़े गए तीनों कुख्यात अपराधी हैं. गिरफ्तार सभी अपराधी डकैती के अलावे वाहन चोरी और मवेशी चोरी की घटना में संलिप्त रहे हैं. ये लोग एक गिरोह का हिस्सा हैं. धनबाद के अलावे देवघर, गिरिडीह और जामताड़ा में यह आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया करते थे.

एसपी ने कहा कि सभी अपराधी जामताड़ा जिले के नारायणपुर के रहने वाले हैं. इनके विरुद्ध कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस इनके गिरोह के अन्य साथियों की तलाश में पुलिस जुटी हुई है. जिले में कई स्थानों पर डकैती की वारदात को अंजाम देने की इनकी मंशा थी. लेकिन पुलिस ने इनको कामयाब नहीं होने दिया. उन्होंने बताया कि एसएसपी ने पूरी टीम को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है.

ऐसे हुई गिरफ्तारी

पुलिस गस्ती के क्रम में मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स स्टेडियम से मेमको जाने वाले रास्ते में सूनसान जगह पर संदिग्ध अवस्था में स्कार्पियो गाड़ी देखी. गाड़ी खड़ी देखकर जब पुलिस द्वारा पूछताछ करने का प्रयास किया गया तो पुलिस टीम को देखकर उक्त गाड़ी के चालक द्वारा काफी तेजी से गाड़ी को भगाया जाने लगा. पुलिस टीम द्वारा गाड़ी चालक की संदिग्ध गतिविधि को देखते हुए उसका पीछा किया गया. स्कार्पियो चालक द्वारा कुर्मीडीह गोलंबर के पास बने स्पीड ब्रेकर को भी काफी तेजी से पार किया, जिससे गाड़ी अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकराते हुए पलट गई.

गाड़ी पलटने के पश्चात तीन लोगों को पुलिस द्वारा मौके से गिरफ्तार किया गया, जबकि तीन अंधेरा का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे. तलाशी के क्रम में गिरफ्तार व्यक्तियों के पास से 1 देसी कट्टा, दो जिंदा गोली, 2 मोबाइल और चोरी-डकैती हेतु ताला ग्रिल को तोड़ने, काटने में प्रयुक्त सामग्री तथा एक स्कार्पियो वाहन बरामद किया गया. गिरफ्तार अभियुक्तों द्वारा पूछताछ में डकैती के लिए योजना बनाने की बात स्वीकार की है.

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जिला प्रशासन ने न्यू टाउन हॉल में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का किया आयोजन


झारखंड डेस्क: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या जिला प्रशासन द्वारा न्यू टाउन हॉल में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति के एक से बढ़कर एक प्रस्तुति व नृत्य नाटिका ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन उप विकास आयुक्त श्री सादात अनवर, एडीएम लॉ एंड आर्डर श्री पीयूष सिन्हा, डायरेक्टर डीआरडीए श्री राजीव रंजन, अपर समाहर्ता श्री विनोद कुमार, एसडीएम श्री राजेश कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीमती निशु कुमारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री सुनिल कुमार सिंह व अन्य गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। 

सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्रों ने देशभक्ति पर आधारित ग्रुप सॉन्ग व ग्रुप डांस प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सरस्वती विद्या मंदिर श्यामडीह, डीएवी पब्लिक स्कूल महुदा, के जी बी वी झरिया, के जी बी वी निरसा, के जी बी वी बलियापुर, के जी बी वी तोपचांची, साथी फाउंडेशन, एसएसएलएनटी गर्ल्स हाई स्कूल समेत कई अन्य विभिन्न स्कूल ने अपने अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम के समापन पर सरस्वती विद्या मंदिर श्यामडीह को प्रथम, डीएवी पब्लिक स्कूल महुदा को द्वितीय, के जी बी वी झरिया को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया। इसके अलावा सभी प्रतिभागी को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। वहीं बेहतरीन एंकरिंग के लिए श्री घनश्याम दुबे एवं एमिली बसु को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में उपायुक्त सुश्री माधवी मिश्रा, एसएसपी श्री हृदीप पी जनार्दनन, उप विकास आयुक्त श्री सादात अनवर, एडीएम (विधि व्यवस्था) श्री पीयूष सिन्हा,अपर समाहर्ता श्री बिनोद कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीमती निशु कुमारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री सुनिल सिन्हा, डीआरडीए के श्री मनीष कुमार, श्री घनश्याम दुबे के अलावा बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

वॉकिंग या घरेलू काम जानें किसमें होती हैं ज्यादा कैलोरी बर्न

फिटनेस और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग अक्सर यह सवाल पूछते हैं कि वॉकिंग और घरेलू कामों में से कौन-सी गतिविधि ज्यादा कैलोरी बर्न करती है। दोनों ही एक्टिविटीज़ आपके शरीर को सक्रिय रखने में मदद करती हैं, लेकिन इनमें कैलोरी बर्न करने की क्षमता अलग-अलग होती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

1. वॉकिंग से कैलोरी बर्न

वॉकिंग एक लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज है, जो हर उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है।

औसत कैलोरी बर्न:

30 मिनट की सामान्य गति से (4-5 किमी/घंटा) चलने पर 120-150 कैलोरी बर्न होती है।

तेज वॉकिंग (ब्रिस्क वॉक):

अगर आप तेज़ी से चलते हैं, तो यह आंकड़ा 200 कैलोरी तक पहुंच सकता है।

फायदे:

हृदय स्वास्थ्य में सुधार

वजन घटाने में मदद

मांसपेशियों की मजबूती

2. घरेलू कामों से कैलोरी बर्न

घरेलू काम जैसे झाड़ू-पोंछा, बर्तन धोना, खाना बनाना, या कपड़े धोना भी कैलोरी बर्न करने में सहायक होते हैं।

औसत कैलोरी बर्न:

झाड़ू-पोंछा: 150-200 कैलोरी/घंटा

बर्तन धोना: 100-120 कैलोरी/घंटा

खाना बनाना: 80-100 कैलोरी/घंटा

फायदे:

. पूरे शरीर की गतिविधि होती है

 

. घर साफ-सुथरा रहता है

. मानसिक संतोष मिलता है

3. कौन बेहतर है?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस उद्देश्य से गतिविधि कर रहे हैं।

अगर फिटनेस और वजन घटाना प्राथमिकता है, तो वॉकिंग ज्यादा प्रभावी है।

तेज वॉकिंग या हाइकिंग जैसी गतिविधियां ज्यादा कैलोरी बर्न करती हैं और हृदय को स्वस्थ रखती हैं।

अगर समय की कमी है और मल्टीटास्किंग करना चाहते हैं, तो घरेलू काम बेहतर विकल्प हैं।

ये आपको सक्रिय रखते हैं और साथ ही घर को व्यवस्थित भी करते हैं।

4. दोनों को कैसे संतुलित करें?

सुबह या शाम को 20-30 मिनट की वॉक को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

दिन के दौरान घरेलू काम करते समय खुद को एक्टिव रखें।

झाड़ू-पोंछा जैसे काम करते समय तेज़ी से मूव करें, ताकि अधिक कैलोरी बर्न हो सके।

वॉकिंग और घरेलू काम, दोनों ही अपने-अपने तरीके से फायदेमंद हैं। अगर आप ज्यादा कैलोरी बर्न करना चाहते हैं, तो वॉकिंग को प्राथमिकता दें। लेकिन अगर आप समय का बेहतर उपयोग करना चाहते हैं, तो घरेलू काम भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। दोनों को मिलाकर करने से आप फिट और स्वस्थ रह सकते हैं।

याद रखें: कोई भी गतिविधि तभी असरदार होगी, जब आप इसे नियमित रूप से करेंगे।

पिंगली वेंकैया ने किया तिरंगे का डिजाइन, जानें इसके रंगों और चक्र का रहस्य

भारत का राष्ट्रीय ध्वज न केवल हमारे देश की स्वतंत्रता का प्रतीक है, बल्कि यह देश की एकता, विविधता और सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। आइए जानते हैं इसके डिजाइन, रंगों का अर्थ और इसके इतिहास के बारे में विस्तार से।

1. राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन किसने तैयार किया?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था।

पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक थे।

उन्होंने 1916 में भारतीय ध्वज के लिए कई डिजाइनों पर काम किया।

1931 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उनके डिजाइन को संशोधित रूप में स्वीकार किया।

22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया।

2. ध्वज का स्वरूप और रंगों का रहस्य

राष्ट्रीय ध्वज को "तिरंगा" कहा जाता है क्योंकि इसमें तीन क्षैतिज पट्टियां हैं। हर रंग का अपना विशेष महत्व है:

केसरिया रंग (ऊपरी पट्टी)

यह साहस, बलिदान और शक्ति का प्रतीक है।

यह देशवासियों को निस्वार्थ सेवा और समर्पण का संदेश देता है।

सफेद रंग (मध्य पट्टी)

यह शांति, सच्चाई और पवित्रता का प्रतीक है।

यह देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने का संदेश देता है।

हरा रंग (निचली पट्टी)

यह समृद्धि, हरियाली और प्रगति का प्रतीक है।

यह पर्यावरण और कृषि के महत्व को दर्शाता है।

3. अशोक चक्र का महत्व

सफेद पट्टी के केंद्र में अशोक चक्र स्थित है।

यह सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है।

चक्र में 24 तीलियां हैं, जो समय, प्रगति और सतत विकास का प्रतीक हैं।

यह धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

4. राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

1906: पहला भारतीय ध्वज (वंदे मातरम ध्वज) कोलकाता में फहराया गया।.

1921: महात्मा गांधी ने पिंगली वेंकैया के डिजाइन को कांग्रेस के अधिवेशन में प्रस्तुत किया।

1931: तिरंगे को स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बनाया गया।

1947: भारत के स्वतंत्र होने पर इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया।

5. राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार किया जाना चाहिए।

इसे हमेशा सम्मान के साथ फहराया जाना चाहिए।

ध्वज को जमीन पर गिराना, फाड़ना या किसी अनुचित तरीके से इस्तेमाल करना अपराध है।

इसे केवल खादी या हाथ से बुने कपड़े से बनाया जा सकता है।

6. राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

राष्ट्रीय ध्वज न केवल भारत की आजादी का प्रतीक है, बल्कि यह हर भारतीय के गर्व, एकता और देशभक्ति का प्रतीक भी है। यह हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।

निष्कर्ष:

भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारी आजादी और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। इसके रंग और अशोक चक्र हमें साहस, शांति और सतत विकास की प्रेरणा देते हैं। तिरंगा हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है।

महाकुंभ 2025: बच्चों के साथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए जाने ये 5 जरूरी उपाय


महाकुंभ 2025 जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में लाखों लोग शामिल होते हैं, जिससे भीड़भाड़ का माहौल रहता है। बच्चों के साथ यात्रा करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यहां 5 ऐसे जरूरी कदम बताए गए हैं, जो आपकी यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाएंगे।

1. बच्चों को पहचानने योग्य बनाएं

बच्चों को ऐसे कपड़े पहनाएं जो दूर से पहचान में आ सकें। उनके कपड़ों में एक पहचान पत्र (ID) लगाएं, जिसमें उनका नाम, माता-पिता का नाम, फोन नंबर और पता लिखा हो। यह गुम होने की स्थिति में मददगार साबित होगा।

2. भीड़ से बचने के लिए समय और स्थान का चयन करें

महाकुंभ के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ स्नान पर्व पर होती है। बच्चों के साथ यात्रा के लिए सुबह जल्दी या शाम को कम भीड़भाड़ वाले समय का चयन करें। बच्चों को मुख्य घाटों की भीड़ में ले जाने से बचें।

3. बच्चों को सुरक्षा नियम समझाएं

यात्रा से पहले बच्चों को सिखाएं कि अगर वे गुम हो जाएं तो क्या करें। उन्हें बताएँ कि वे किसी पुलिसकर्मी, सुरक्षा कर्मी या आयोजन स्थल के वॉलंटियर की मदद लें।

4. GPS ट्रैकर या स्मार्टवॉच का इस्तेमाल करें

बच्चों को GPS ट्रैकर या स्मार्टवॉच पहनाएं, जिससे आप उनकी लोकेशन ट्रैक कर सकें। यह तकनीक गुम होने की स्थिति में बहुत उपयोगी होती है।

5. योजना बनाकर यात्रा करें

यात्रा से पहले महाकुंभ के नक्शे का अध्ययन करें। बच्चों के लिए एक निश्चित मिलन स्थल तय करें और उन्हें इसके बारे में जानकारी दें। इसके अलावा, भीड़भाड़ वाले स्थानों में हमेशा बच्चों का हाथ पकड़े रहें।

इन सावधानियों को अपनाकर आप महाकुंभ 2025 की यात्रा को बच्चों के साथ सुरक्षित और यादगार बना सकते हैं।

झारखंड सहित विभिन्न राज्यों के पुलिस और सुरक्षा बलों को मिले गणतंत्र दिवस 2025 पर वीरता, विशिष्ट सेवा और सराहनीय पदक

गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में पुलिस, अग्निशमन, होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा के कार्मिकों को दिए गए पदकों की सूची है, जिसमें वीरता, विशिष्ट सेवा और सराहनीय सेवा के लिए प्राप्त पदकों की संख्या दी गई है। यहाँ राज्यवार विवरण दिया गया है।

अरुणाचल प्रदेश:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 02

असम:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक 

(पीएसएम): 14

बिहार:

वीरता पदक (जीएम): 02

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक

 ;(पीएसएम): 07

छत्तीसगढ़:

वीरता पदक (जीएम): 11

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 01

सराहनीय सेवा के लिए पदक (एमएसएम): 10

दिल्ली:

वीरता पदक (जीएम): 03

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक

 ;(पीएसएम): 17

गोवा:

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 01

गुजरात:

वीरता पदक (जीएम): 02

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 09

हरियाणा:

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 01

सराहनीय सेवा के लिए पदक (एमएसएम): 08

झारखंड:

वीरता पदक (जीएम): 01

कर्नाटका:

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 02

सराहनीय सेवा के लिए पदक (एमएसएम): 19

केरल:

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 01

सराहनीय सेवा के लिए पदक (एमएसएम): 10

मध्य प्रदेश:

वीरता पदक (जीएम): 04

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 17

महाराष्ट्र:

वीरता पदक (जीएम): 04

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 39

मणिपुर:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 07

मेघालय:

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 03

मिजोरम:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 03

नगालैंड:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 03

ओडिशा:

वीरता पदक (जीएम): 06

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 02

सराहनीय सेवा के लिए पदक (एमएसएम): 11

पंजाब:.

वीरता पदक (जीएम): 02

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 15

राजस्थान:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 16

सिक्किम:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 01

तमिलनाडु:

वीरता पदक (जीएम): 02

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 21

तेलंगाना:

वीरता पदक (जीएम): 02

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 12

त्रिपुरा:

वीरता पदक (जीएम): 01

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 06

उत्तर प्रदेश:

वीरता पदक (जीएम): 17

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 05

सराहनीय सेवा के लिए पदक (एमएसएम): 73

उत्तराखंड:

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): 05

पश्चिम बंगाल:

वीरता पदक (जीएम): 02

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति 

पदक (पीएसएम): 20

यह सूची गणतंत्र दिवस के मौके पर पुलिस सेवा के कर्मचारियों को दी जाने वाली विभिन्न श्रेणियों में प्राप्त पदकों के वितरण का विवरण प्रस्तुत करती है.

झारखंड में अगले कुछ दिनों में तापमान में आएगी गिरावट,कई जगहों पर हल्का और मध्यम कोहरा भी छाया रहा


झारखंड डेस्क 

झारखंड में ठंड फिर एक बाऱ बढ़ने वाली है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में तापमान में गिरावट देखी जाएगी। राज्य के उत्तरी हिस्सों में अगले तीन दिनों में तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। बाकी हिस्सों में भी दो दिन बाद तापमान में 3-5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट की संभावना है।25 जनवरी को कई जगहों पर हल्का और मध्यम कोहरा भी छा सकता है।

क्या है मौसम विभाग का आकलन

रांची मौसम केंद्र के प्रमुख अभिषेक आनंद ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में ठंड से थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन अब फिर से सर्दी का सितम बढ़ने के आसार हैं। अभी ज्यादातर जिलों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है। लेकिन मौसम विभाग की चेतावनी के बाद लोगों को ठंड से बचाव के इंतजाम करने की जरूरत है।

 3 से 4 डिग्री तापमान में आएगी कमी

मौसम विभाग ने बताया कि 25 जनवरी से ठंड बढ़ेगी। राज्य के उत्तरी इलाकों में अगले तीन दिनों में न्यूनतम तापमान में 3 से 4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जा सकती है। इन इलाकों में गढ़वा, पलामू, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, देवघर, गोड्डा, दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, और जामताड़ा जिले शामिल हैं। बाकी जिलों में भी दूसरे दिन से अगले तीन दिनों में तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। इसके बाद तापमान में कोई बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है

30 जनवरी तक कुछ जगहों पर रहेगी कोहरा

राज्य के कई हिस्सों में शनिवार सुबह हल्के से मध्यम दर्जे का कोहरा छाया रहा। इसके बाद आसमान साफ हो गया। 26 जनवरी और 30 जनवरी को सुबह के समय कोहरा या धुंध छाई रह सकती है, लेकिन बाद में आसमान साफ रहेगा।

मौसम विभाग ने बुजुर्गों और बच्चों के लिये किया अलर्ट 

मौसम विभाग के अनुसार इस बदलते मौसम में लोगों को खास ध्यान रखने की जरूरत है। ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनें, खासकर सुबह और शाम के समय। गरम पेय पदार्थों का सेवन करें और ठंडी चीजों से परहेज करें। बुजुर्गों और बच्चों का खास ख्याल रखें।