भारत के साथ तख्त रिश्ते के बीच पहले पाक फिर चीन से संबंध बढ़ा रहा बांग्लादेश, क्या हैं मोहम्मद यूनुस के इरादे
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चीन और भारत के रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे। खासकर दुनियाभर में भारत की बढ़ती ताकत ने चीन को बार-बार “चोट” पहुंचाई है। यही वजह है कि चीन, भारत को कमजोर करने की कोई भी चाल को हाथ से गंवाना नहीं चाहता है। भारत के पड़ोसी देशों में पिछले एक साल में कई बदलाव आए हैं। मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई है। चीन ने इसका फायदा उठाने की कोशिश लगातार की है। चीन अपनी लोन नीति के चलते कई देशों में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है। पाकिस्तान को अपने चंगुल में लेने के बाद चीन अब बांग्लादेश पर नजर रखे हुए है।
हाल के दिनों में भारत-बांग्लादेश के रिश्ते तल्ख हुए हैं। भारत के ससाथ संबंधों में आई गिरावट के साथ ही बांग्लादेश पहले पाकिस्तान अब चीन के करीब आने लगा है। इसी बीच बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन चीन दौरे पर हैं। बांग्लादेश आर्मी के टॉप जनरल कमरुल हसन ने कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान की यात्रा की थी। उन्होंने पाकिस्तान आर्मी चीफ असीम मुनीर से मुलाकात की थी। अब यूनुस ने अपने विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन को बीजिंग भेजा है।
बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार हसन की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन बांग्लादेश के साथ विभिन्न स्तरों पर बातचीत को मजबूत करने, राजनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने, उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट एंड रोड सहयोग और अन्य क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को गहरा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन-बांग्लादेश व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी को बढ़ाया जाएगा।
बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हसन चीन दौरे पर हैं और उनके इस दौरे में चीन से लिए लोन भुगतान की मियाद को बढ़ाना अहम मुद्दों में से एक है। द डेली स्टार के खबर के मुताबिक चीन ने इस पर सहमति भी व्यक्त कर दी है। बीजिंग चीनी लौन भुगतान के लिए समय सीमा बढ़ाने पर राजी हो गया और ढाका को आश्वासन दिया है कि वह बांग्लादेश के विदेशी ऋण भुगतान के दबाव को कम करने के लिए ब्याज दर कम करने के अनुरोध पर विचार करेगा।
हसन ने चीन से ब्याज दर को 2-3 फीसद से घटाकर 1 फीसद करने की मांग की है, साथ ही अनुरोध किया है कि भुगतान करने के अच्छे रिकार्ड को देखते हुए, लोन चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 साल कर दिया जाए। खबरों के मुताबिक चीनी ने दोनों ही मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
हसीन के तख्तापलट के बाद आ रहे करीब
बांग्लादेश में प्रचंड विरोध प्रदर्शन से कुछ दिन पहले शेख हसीना ने आधिकारिक तौर पर चीन का दौरा किया था। वहां से लौटने के बाद उनका तख्ता पलट हो गया था। वहीं, अंतरिम सरकार के गठन के बाद से, सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के दौरे की मेजबानी की, जिसके बाद कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी सहित बांग्लादेशी इस्लामी दलों के प्रतिनिधिमंडल का भी दौरा हुआ।
छोटे देशों को फांसना चीन की चाल
बता दें कि छोटे देशों को लोन देना चीन के लिए कोई नया नहीं है। देशों को अपने लोन की जाल में फंसाना चीन की नीति का पुराना हिस्सा रहा है। श्रीलंका को भी चीन ने बड़े पैमाने पर लोन दिया है और भुगतान करने में विफल रहने पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है। हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन की मौजूदगी भारत के लिए बड़ा खतरा है।
चीन ने अपने नौसैनिक निगरानी और जासूसी जहाजों को हंबनटोटा में खड़ा किया है। पिछले दो सालों में बीजिंग ने कई मौकों पर अपने 25 हजार टन वजनी सैटेलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 5 को हंबनटोटा में तैनात किया है, जो श्रीलंका की भारत से करीबी की वजह से भारत के हितों के लिए हानिकारक है। हालांकि भारत के चिंताओं के बाद श्रीलंका ने आश्वासन दिया है कि वह देश धरती भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा।
9 hours ago