*समाधान दिवस में पहुंचे आधा दर्जन फरियादी*

गोरखपुर- दिसंबर माह के दूसरे शनिवार को खजनी थाने में आयोजित माह के पहले समाधान दिवस की अध्यक्षता कर रहे तहसीलदार खजनी कृष्ण गोपाल तिवारी के समक्ष कुल 6 फरियादी अपनी विवादित समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए पहुंचे। जिसमें एक प्रार्थनापत्र पर त्वरित कार्रवाई करते हुए मौके पर ही उसका समाधान करा दिया गया। शेष मामलों में लेखपाल एवं पुलिस की संयुक्त टीम को मौके पर पहुंचकर जांच कराने और समाधान कराने हेतु निर्देशित किया गया।

एक समस्या पुलिस विभाग से संबंधित पाई गई किन्तु शेष सभी राजस्व विभाग से संबंधित मामले मिले। दिवस प्रभारी थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने तहसीलदार के साथ सभी फरियादियों की समस्याओं को गंभीरता से सुनते हुए उनके प्रभावी निस्तारण हेतु टीम बनाने में सहयोग किया। इस दौरान पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारी और राजस्व लेखपालों सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे।

*लखनऊ में आयोजित हुई एसएलक्यूएसी की अहम बैठक, डीडीयूजीयू की कुलपति ने लिया हिस्सा*

लखनऊ- उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की अध्यक्षता में स्टेट लेवल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (SLQAC) की एक महत्वपूर्ण बैठक आज लखनऊ में आयोजित हुई। बैठक का संचालन उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव श्री एम.पी. अग्रवाल ने किया।

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयूजीयू) की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बैठक में भाग लिया। वह एसएलक्यूएसी की सदस्य बनने वाली उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों की एकमात्र कुलपति हैं। डीडीयूजीयू उत्तर प्रदेश का सबसे उच्च-ग्रेड एनएएसी-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है।

एसएलक्यूएसी का उद्देश्य राज्य के शैक्षणिक संस्थानों को राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुरूप बनाकर शैक्षणिक उत्कृष्टता और नेतृत्व को बढ़ावा देना है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के सरकारी, अनुदानित और स्ववित्तपोषित कॉलेजों को एनएएसी (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद) और एनआईआरएफ (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क) जैसे प्रत्यायन और रैंकिंग प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए तैयार करना और प्रोत्साहित करना था।

बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय:

1.क्षेत्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आरक्यूएसी) की स्थापना: विश्वविद्यालय क्षेत्रीय उच्च शिक्षा कार्यालय (आरएचईओ) के समन्वय से आरक्यूएसी का गठन करेंगे, जो संबद्ध कॉलेजों को प्रत्यायन और रैंकिंग प्रक्रियाओं में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

2. क्षमता निर्माण कार्यशालाएँ: एनएएसी और एनआईआरएफ प्रत्यायन के लिए कॉलेजों की तैयारी बढ़ाने हेतु नियमित कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी।

3. प्रत्यायन और रैंकिंग के लिए प्रोत्साहन: प्रत्यायन और रैंकिंग अपनाने वाले कॉलेजों को वित्तीय और अन्य प्रोत्साहन दिए जाएंगे।

4. फैकल्टी के लिए समान अवसर: एनएएसी-प्रत्यायित या एनआईआरएफ-रैंक प्राप्त स्ववित्तपोषित कॉलेजों के प्राध्यापकों को पीएचडी सुपरविजन और परीक्षक जैसे दायित्वों के लिए वही अधिकार मिलेंगे, जो सरकारी और अनुदानित कॉलेजों के प्राध्यापकों को प्राप्त हैं। ऐसे प्राध्यापक राज्य सरकार की अनुसंधान और विकास अनुदान, संगोष्ठी अनुदान और अन्य पहल के लिए पात्र होंगे। एनएएसी-मान्यता प्राप्त और एनआईआरएफ-रैंक वाले सरकारी और अनुदानित कॉलेजों को भी अतिरिक्त लाभ प्रदान किए जाएंगे।

5. अनुदान आवेदन सामर्थ पोर्टल के माध्यम से: राज्य संगोष्ठी अनुदान, अनुसंधान और विकास अनुदान, और संबंधित प्रोत्साहनों के लिए सभी आवेदन सामर्थ पोर्टल के माध्यम से स्वीकार किए जाएंगे।

6. 2027 तक प्रत्यायन अनिवार्य: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 30 जून 2027 तक सभी संस्थानों के लिए एनएएसी/एनआईआरएफ प्रत्यायन को अनिवार्य कर दिया है। यह 12बी दर्जा प्राप्त करने की शर्त है, जो उन्हें पीएम-उषा जैसी केंद्रीय सरकारी योजनाओं के लिए पात्र बनाता है।

प्रो. पूनम टंडन ने इन पहलों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आज की बैठक में प्रस्तावित उपायों से उत्तर प्रदेश के कॉलेज शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनेंगे। इससे न केवल उनकी पहचान बढ़ेगी, बल्कि उन्हें अधिक वित्तीय और सहयोगी अवसर भी मिलेंगे।”

बैठक में राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए गुणवत्ता आश्वासन और नेतृत्व ढांचे को मजबूत करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। एसएलक्यूएसी-यूपी का लक्ष्य सरकारी, अनुदानित और स्ववित्तपोषित कॉलेजों और प्राध्यापकों के लिए 100% एनएएसी प्रत्यायन और एनआईआरएफ रैंकिंग प्राप्त करने हेतु वित्तीय प्रोत्साहन और रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करना है।

*कृषि विभाग की ओर से गांवों में किसान पाठशाला का आयोजन*

गोरखपुर- केंद्र एवं प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार कृषि विभाग द्वारा किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए उनकी कृषि योग्य भूमि का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) आधार कार्ड से किया जा रहा है। अभियान को सफल बनाने के लिए गांवों में किसान पाठशाला का आयोजन करते हुए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

शनिवार को खजनी ब्लॉक क्षेत्र के कुंईंकोल गांव में कृषि विभाग द्वारा किसान पाठशाला का आयोजन किया गया जिसमें मास्टर ट्रेनर रणधीर राय ने कृषि विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं और तकनीकी पर आधारित खेती करने की जानकारियां दी गईं।इस दौरान फार्मर रजिस्ट्रेशन कैंप का आयोजन भी किया गया, जिसमें किसानों की खेती की जमीनों को उनके आधार कार्ड से जोड़ने (लिंक करने) की जानकारी दी गई। साथ ही गांव के कुल 10 कृषकों की फॉर्मर रजिस्ट्रेशन भी किया गया।

किसानों को बताया गया कि सभी जन सेवा केंद्रों पर भी आॅनलाइन फार्मर रजिस्ट्रेशन का कार्य किया जा रहा है। अतः सभी किसान अपने निकट स्थित जन सेवा केंद्र से भी फार्मर रजिस्ट्रेशन करा लें जिन किसानों का आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन नहीं होगा उन्हें पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्त नहीं मिल पाएगी साथ ही खाद, बीज और कृषि उपकरणों की सरकारी सब्सिडी भी नहीं मिल पाएगी। किसान पाठशाला में गांव के दर्जनों किसान और कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

गोरखपुरःखोराबार में किराए के मकान में रहने वाले युवक ने की आत्महत्या

गोरखपुर- खोराबार के मदरहवा टोला के सूबा बाजार में किराए के मकान में रहने वाले संदीप पासवान रस्सी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। 26 साल का संदीप ग्राम वनगाई पोस्ट बजहा बाजार थाना कपिलवस्तु जनपद सिद्धार्थ नगर का रहने वाला था। जो खोराबार के मदरहवा टोला सूबा बाजार मे किराये के रुम में रहकर पढ़ाई करता था। उसके बड़े भाई चौरीचौरा तहसील में लेखपाल है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार युवक का किसी लड़की से प्रेम प्रसंग चल रहा था और उसने बीती रात को आत्मघाती कदम उठाते हुए रस्सी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की छानबीन में जुटी हुई है।
*एसडीएम ने अस्थाई रैन बसेरे का निरीक्षण किया*

खजनी गोरखपुर।तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत कस्बा संग्रामपुर उनवल में ठंड से बचाव के लिए अस्थाई रैन बसेरा बनाया गया। आज उपजिलाधिकारी खजनी कुंवर सचिन सिंह और तहसीलदार कृष्ण गोपाल तिवारी द्वारा तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत कस्बा संग्रामपुर उनवल में ठंड के दृष्टिगत बनाए गए अस्थाई रैन बसेरे का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने ने नगर पंचायत अधिकारियों और कर्मचारियों को ठंड से बचाव के लिए सभी आवश्यक और जरूरी उपाय अपनाने से संबंधित दिशा निर्देश भी दिए।

*सीआरसी: अभिभावक संगोष्ठी का आयोजन*

गोरखपुर। सीआरसी गोरखपुर द्वारा विकासात्मक दिव्यांगता वाले बच्चों हेतु पूर्व पठन कौशल विषय पर एक दिवसीय अभिभावक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विकासात्मक दिव्यांगता वाले बच्चों के पूर्व पठन कौशल विकास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संजय प्रताप ने बताया कि बच्चों में पहले उनकी जान-पहचान की वस्तुओं के माध्यम से पठन कौशल का विकास करना चाहिए। कार्यक्रम के अन्य वक्ता राबिन ने विकासात्मक दिव्यांगता वाले बच्चों के भाषा और वाणी कौशल के विकास की विभिन्न तकनीकों के बारे में विस्तार से चर्चा किया। सीआरसी गोरखपुर के निदेशक जितेंद्र यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अभिभावकों की नियमित संगोष्ठी से उनके बच्चों की प्रगति के बारे में जाना जाता है तथा अभिभावकों के सवालों को इसमें शामिल करके वांछित सुधार किया जाता है। कार्यक्रम का संचालन श्री नागेंद्र पांडे ने किया तथा श्री अरविंद पांडे ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अभिभावकों ने प्रतिभाग किया।

*चोरी की घटनाओं का खुलासा करने में फिसड्डी खजनी पुलिस*

खजनी गोरखपुर।दिसंबर का महीना आधा बीत रहा है कुछ ही दिनों में वर्ष 2024 खत्म हो जाएगा किंतु खजनी थाना क्षेत्र में वर्ष भर में हुई दर्जनों चोरी की घटनाओं में केस तो दर्ज हुए लेकिन उनका खुलासा नहीं किया जा सका। पीड़ितों ने निराश हो कर मान लिया है कि चोरी की घटनाओं का पर्दाफाश करने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम रही है। पुलिस विभाग के लोगों से आम आदमी को न्याय नहीं मिल पा रहा है। खासकर चोरी की घटनाओं में तो बिल्कुल ही नहीं। एक नजर चोरी की घटनाओं पर डाले तो इसकी लंबी फेहरिस्त है।

फरवरी 2024 में कंबल कारखाने के पास स्थित रिहायशी क्षेत्र में रात में खड़ी कस्बे के बर्तन व्यावसाई की पिकअप वैन चोरी हो गई। मुकदमा दर्ज कर ठंडे बस्ते में रह गया। 27 अप्रैल को सतुआभार में स्वर्गीय ऋषिदेव दूबे के पुत्र अश्वनी दुबे के घर में घुसे अज्ञात चोरों ने लगभग 10 लाख के कीमती गहने और नकद रूपए चुराए केस दर्ज हुआ किन्तु खुलासा नहीं हो पाया।

इस प्रकार 6 मई 2024 को थाने से सटे रूद्रपुर गांव में चंद्रभूषण राम त्रिपाठी उर्फ रामधनी तिवारी पुत्र

स्वामीनाथ तिवारी के घर से एक लाख नकद समेत लगभग 50 लाख के गहने चोरी हुए। केस दर्ज होने के बाद पीड़ित आज तक मुख्यमंत्री जनता दरबार से लगायत एसएसपी, आईजी, डीआईजी सहित डीजीपी तक शिकायत दर्ज करा चुके हैं किन्तु कोई हल नहीं निकल पाया दर्जनों बार फरियाद करके थक चुके हताश और निराश पीड़ित चंद्रभूषण उर्फ रामधनी तिवारी का कहना है कि उनके जीवन की सारी कमाई जमा पूंजी लुट गई है।

वे श्रीमद्भागवत महापुराण कथा सुनने की तैयारी कर रहे थे, इस बीच चोरों ने उन्हें कंगाल बना दिया है। उसी रात रूद्रपुर गांव के ही गायघाट मौजे के निवासी जितेन्द्र यादव पुत्र दुर्बल यादव के घर में छत के रास्ते घुसे चोरों ने लगभग 4 लाख रूपए के गहने चुराए। उसी रात कोठां गांव के दयालू तिवारी के घर 16 लाख के गहने चोरी हुए। साथ ही सरयां तिवारी गांव में निर्मल और राम सनेही के घर से लगभग 2 लाख से अधिक की चोरी हुई। चारों घटनाएं एक ही रात में अंजाम दी गईं। केस तो दर्ज हुए किन्तु खुलासा नहीं हो सका। 7 जून को कुंआं गांव में यूपीपी के सिपाही वाराणसी में तैनात संदीप यादव पुत्र श्रीराम यादव के घर से लाखों की चोरी हुई। उसी रात माया देवी पत्नी स्वर्गीय लालचंद यादव तथा रामजीत यादव पुत्र दीनदयाल यादव के घरों में भी लाखों की चोरी हुई। चूंकि संदीप के श्वसुर दारोगा हैं इसलिए सभी को उम्मीद थी कि इस चोरी का खुलासा जरूर होगा और चोर पकड़े जाएंगे, किंतु समय गुजरता रहा इस बीच 2 सितंबर 2024 को आशापार में राम प्रसाद निषाद पुत्र स्वर्गीय सुदामा के घर लगभग 16 लाख की चोरी हुई जो कि बेटी की शादी की तैयारी में थे। फिर 13 सितंबर 2024 को बरपार बरगाह गांव में अब्दुल रहीम के पुत्र मोनू उर्फ जुल्फिकार के घर 4 लाख की चोरी हो गई। फिर 5 अक्टूबर को खजनी कस्बे में हरिनारायण शर्मा के घर से लगभग 4 लाख के गहने और नकद चोरी हुए। बीते 21 नवंबर 2024 छोटेलाल पासवान की दुकान से लाखों रुपए के कम्प्यूटर लैपटॉप इन्वर्टर बैटरी की चोरी हुई। 2 दिसंबर को मऊंधरमंगल गांव में रामसांवर यादव के घर से लगभग एक लाख 65 हजार की चोरी हुई।

सभी मामलों में खजनी थाने में केस तो दर्ज हुए लेकिन चोरी की किसी भी घटना का खुलासा पुलिस नहीं कर पाई। सीसीटीवी कैमरे रात में पुलिस की गश्त के साथ ही गांवों कस्बों में लोगों ने देर रात तक जाग कर चौकसी बढ़ा दी लेकिन चोरी की किसी भी घटना का पर्दाफाश करने में पुलिस नाकाम रही है।

इस संदर्भ में क्षेत्राधिकारी खजनी उदय प्रताप सिंह ने बताया कि चोरी की घटनाओं के खुलासे के लिए पुलिस विभाग की टीमें गठित की गई हैं और सभी को इस पर लगाया गया है।

संत सम्मेलन में आह्वान, धर्म प्रचार के साथ करें जागरूक भी

संतो भरी हूंकार हिंदू समाज को एकजुट कर छुआछूत भेदभाव मिटाकर सनातन की रक्षा के लिए करेगे तैयार

गोरखपुर। विश्व हिंदू परिषद के गोरक्ष प्रांत के धर्माचार्य संपर्क विभाग द्वारा गोरखनाथ मंदिर में विराट संत सम्मेलन का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ पूज्य संत स्वामी जितेंद्रानंद जी महाराज पूज्य संत राम नयन दास जी महाराज पूज्य संत भरत दास जी महाराज एवं विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी द्वारा संयुक्त रूप से भगवान श्री राम के सम्मुख दीप प्रज्वलं कर किया गया।

कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए प्रांत संगठन मंत्री राजेश जी ने कहा कि राष्ट्र विरोधी ताकतों द्वारा भारत को तोड़ने का जो कुचक्र चल रहा है लव जिहाद धर्मांतरण की गतिविधियां अनेक प्रकार के जिहादी इस्लाम के द्वारा संचालित किया जा रहे हैं कम्युनिस्ट के द्वारा भ्रामक लेख सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदू संस्कृति पर लगातार प्रहार किया जा रहा है इन विषयों को पूज्य संतो माध्यम से किस प्रकार से रोका जाए और सामाजिक समरसता हिंदू समाज के अंदर स्थापित हो। इसके लिए पूज्य संतो को समाज का मार्गदर्शन करना चाहिए।

इन सब विषयों पर राजेश जी द्वारा प्रस्तावना रखी गई जिस पर आगे

उपस्थित संतो अपने उद्बोधन में विचार रखे।

उपस्थित को संबोधित करते हुए जितेंद्रानंद जी महाराज ने कहा सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। हम सबको 492 वर्षों से जिसकी प्रतीक्षा थी। लाखों लोगों ने संघर्ष किया बलिदान दिया। वह संघर्ष अब सफल हुआ और यह संतों के मार्गदर्शन में सफल हुआ। संतों की बड़ी जिम्मेदारी है कि आतंकवाद, लव जिहाद जैसे मुद्दे पर लोगों को जागरूक करें। हमको सतर्क रहना होगा ताकि दुर्जन शक्तियां अपने कार्यों में सफल न हो पाए। उन्होंने कहा की प्राचीन काल से ही जब भी सनातन पर खतरा आया है तो संतों ने ही आगे बढ़कर समाज का मार्गदर्शन किया है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार एवं मठ मंदिरों को क्षतिग्रस्त किए जाने के ऊपर भी समाज को जागृत करने की आवश्यकता है। क्योंकि हिंदू वह विश्व में कहीं भी निवास करने वाला हो हमारा भाई है उसके लिए हम सबको चिता करने की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे समाज में छुआछूत जातपात का भेदभाव पुरातन काल में नहीं था यह मुगलों के आने के बाद प्रारंभ हुआ इसका हिंदू समाज में कहीं स्थान नहीं है इसको भी समाप्त करने के लिए संतों को ही आगे आना पड़ेगा।

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए परिषद के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी जी ने संतो से आह्वान किया कि जिस प्रकार प्राचीन काल से ही संत समाज का मार्गदर्शन करते रहे हैं आज भी उन्हें अपने मठों से निकलकर समाज के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कुटुंब प्रबोधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिवारों में जो संस्कारों का क्षरण हो रहा है उसको रोकना और संस्कारों को प्रदान करना में भी पूज्य संतों का योगदान होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हिंदुओं की जनसंख्या घट रही है। और आंकड़ों के अनुसार जिस समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.3 से ज्यादा रहती है वहीं समाज जिंदा रहता है और हिंदू समाज की वर्तमान जनसंख्या वृद्धि दर 1.9 है।

हिंदू समाज से लव जिहाद के हाथ में प्रतिवर्ष लगभग ढाई लाख बहने शिकार होती है। उनके लिए भी संत समाज को चिंता करने और समाज को जागृत करने की आवश्यकता है। हिंदू से मुसलमान या इसाई बने लोगों को वापस लाना चाहिए और वह हिंदू समाज का हिस्सा बने ऐसे समाज को जागृत करना चाहिए।

उन्होंने संतो को छुआछूत भेदभाव लव जिहाद जैसे समाज में व्याप्त समस्याओं का सामना करने के लिए करने के लिए समाज को जागरूक करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राम नयन दास जी महाराज एवं संचालन प्रांत सह मंत्री सगुण श्रीवास्तव ने किया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से काशी दास जी महाराज श्री हरवंश जी महाराज रामेश्वर जी सुदामा दास जी विजय दास भीम दास शंकर दास कामेश्वर दास जयप्रकाश दास रामप्यारी दास महंत अवध बिहारी दास स्वामीनाथ आदि संतों के साथ विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र धर्म प्रसार प्रमुख प्रदीप पांडेय प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख वंशराज पांडेय प्रांत मंत्री नागेंद्र सिंह प्रांत सह संगठन मंत्री दीपेश प्रांत प्रचार प्रमुख दुर्गेश त्रिपाठी विभाग संगठन मंत्री मनीष जी विभाग मंत्री शीतल जिला संगठन मंत्री अभिषेक जिला संगठन मंत्री सोमेश धर्माचार्य प्रमुख सत्य प्रकाश तारकेश्वर दुबे राजेश नारायण जी शनि जी महाराज अतुल शुक्ला जी संजय धर दुबे समेत गोरखपुर प्रांत के 21 जिलों से आए भारी संख्या में संत समाज उपस्थित रहे।

सिविल डिफेंस के 62वें स्थापना दिवस पर एमएसआई इंटर कॉलेज से निकाली जागरूकता रैली

एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह ने सिविल डिफेंस के 62वें स्थापना दिवस पर रूट मार्च/ जागरूकता रैली को एमएसआई इंटर कॉलेज से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

जिसके सम्बध में सिविल डिफेंस के डिप्टी कंट्रोलर सत्यप्रकाश सिंह ने बताया कि आज सिविल डिफेंस के स्थापना दिवस के साप्ताहिक समारोह के अंतिम दिन एक जागरूकता रैली निकाली गई। जिसमें एनसीसी, नागरिक सुरक्षा कोर के वालंटियर द्वारा लोगों को आपातकालीन स्थिति में किस प्रकार से कार्रवाई करें इस संबंध में जागरूक किया गया। रैली में हवाई हमले से लेकर आग लगने, भूकंप आने में बचाव की कौन सी कार्रवाई होती है इसका डेमो भी दिखाया गया।

जटिलताओं का प्रबन्धन कर मां और शिशु को जीवनदान दे रही है पिपराईच सीएचसी

गोरखपुर।समय रहते सही हस्तक्षेप से जटिलताओं का प्रबन्धन कर मां और नवजात शिशु की जान बचाई जा सकती है। पिपराईच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) इस मामले में मिसाल बनने लगा है। बीते तीन माह के दौरान यहां कई जटिल प्रसव के कुशल प्रबन्धन किये गये, जिससे मां और बच्चे दोनों खुशहाल जीवन जी रहे हैं । यह सीएचसी एक प्रथम संदर्भन इकाई भी है । सरकार की पहल पर कुशल चिकित्सकों की तैनाती और स्टॉफ के निरंतर प्रशिक्षण के कारण यहां सुरक्षित प्रसव संभव हो रहा है। सीएचसी पर जटिल प्रसव के मामलों में प्राथमिक हस्तक्षेप और प्रबंधन कर आवश्यकतानुसार जच्चा बच्चा मेडिकल कॉलेज रेफर किये जा रहे हैं।

पिपराईच ब्लॉक के महमूदाबाद उर्फ मोगलापुर से आई चंदा (22) के पहले बच्चे का जन्म सीएचसी पर पांच अक्टूबर को हुआ। यह एक पोस्ट डेटेड डिलेवरी थी, जिसकी वजह से बच्चे के पेट में गंदगी चली गई थी। बच्चे ने जब जन्म लिया तो उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी। चंदा बताती हैं कि अस्पताल के स्टॉफ ने तुरंत बच्चे का इलाज शुरू कर दिया । थोड़ी देर में शरीर में हरकत आ गई लेकिन बच्चा रो नहीं रहा था। एम्बुलेंस की मदद से उन्हें और उनके बच्चे को मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया जहां दो दिन के इलाज से बच्चा ठीक हो गया। उनका बेटा आदित्य (दो माह) अब पूरी तरह से स्वस्थ है।

अस्पताल की स्टॉफ नर्स संध्या मधई का कहना है कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ मणि शेखर की देखरेख में अस्पताल के सभी स्टॉफ का निरंतर क्षमता संवर्धन किया जाता है। हमे प्रशिक्षित किया गया है कि रेफरल करने से पहले वह सभी हस्तक्षेप करने हैं जो जीवन बचाने के लिए जरूरी हैं। चंदा के बच्चे ने जब जन्म लिया तो उन्होंने एनबीएसयू की स्टॉफ नर्स रविना के साथ मिल कर रिसेसिटेशन की प्रक्रिया पूरी की। मुंह और नाक के जरिये बच्चे के भीतर की गंदगी को साफ किया गया । यह हस्तक्षेप जन्म के तीस मिनट के अंदर होना चाहिए।

इसी ब्लॉक की गढ़वा से आईं सीमा देवी का प्रसव तीन अक्टूबर को हुआ। प्रसव के बाद ब्लीडिंग शुरू हो गई और झटके आने लगे। निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार अधीक्षक डॉ मणि शेखर को सूचना दी गई। पूरी टीम ने पीपीएच किट के जरिये इस जटिलता का प्रबंधन किया और महिला की स्थिति सामान्य होने पर उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। अधीक्षक डॉ मणि शेखर बताते हैं कि मां को इस खतरे से बचाने के लिए ही प्रसव के बाद 48 घंटे तक अस्पताल में रहने की ही सलाह दी जाती है। अस्पताल पर प्रसव पूर्व, प्रसवकालीन और प्रसव के बाद की जटिलताओं से निपटने के मुकम्मल इंतजाम हैं।

एनीमिया प्रबंधन कर कराया सुरक्षित प्रसव

पिपराईच ब्लॉक के भगवानपुर भैंसहा गांव की ज्योति इसी वर्ष जनवरी के दूसरे पखवाड़े में गर्भवती हुईं। आशा कार्यकर्ता द्रोपदी की मदद से जब वह प्रसव पूर्व जांच के लिए आईं तो उनका हीमोग्लोबिन 2.16 ग्राम था। उन्हें प्राथमिक इलाज कर तुरंत मेडिकल कॉलेज भेजा गया जहां ब्लड चढ़वाने के बाद वह वापस लौंटी। आशा कार्यकर्ता और सीएचसी ने उनका लगातार फॉलो अप किया। उन्हें अस्पताल से पोषण पोटली दी गयी और आयरन कैल्शियम भी मुहैय्या कराया गया । बीच बीच में हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच की गई और आवश्यकतानुसार आयरन सुक्रोज भी चढ़ाया गया। अक्टूबर तक उनमें खून की मात्रा 9.7 ग्राम हो गई। इसके बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी में सीएचसी पर ही उनकी सुरक्षित प्रसव कराया गया।

हर माह होता है प्रबंधन

सीएचसी के अधीक्षक डॉ मणि शेखर बताते हैं कि उनके यहां औसतन 150-200 संस्थागत प्रसव प्रति माह होते हैं। इनमें से तीस से पैंतिस प्रसव ऑपरेशन से किये जाते हैं। प्रत्येक माह एक से दो प्रसूताओं और दो से तीन शिशुओं में जटिलताओं का प्रबंधन किया जा रहा है। इस कार्य में जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्य प्रकाश का भी निरंतर सहयोग मिल रहा है।

दस फीसदी प्रसव जटिल

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में करीब 4500 प्रसव हर माह सिर्फ सरकारी अस्पतालों में हो रहे हैं। इनमें से दस फीसदी प्रसव जटिल होते हैं, लेकिन अगर 102 नंबर एम्बुलेंस की मदद से समय से प्रसूता को अस्पताल लाया जाए तो शीघ्र हस्तक्षेप से इनका प्रबन्धन हो सकता है। मां और बच्चे को खतरे से बचाने के लिए प्रसव पूर्व जांचें अवश्य कराएं और निरंतर आशा कार्यकर्ता के सम्पर्क में रहें। जिले की पिपराईच, सहजनवां, बांसगांव, कैम्पियरगंज, बड़हलगंज और चौरीचौरा प्रथम संदर्भन इकाई में विशेषज्ञ चिकित्सकों और बाल रोग विशेषज्ञों की मदद से मां और नवजात शिशु को नया जीवन दिया जा रहा है।