गीता वाटिका के सौजन्य से निशुल्क कैंसर जांच शिविर का हुआ आयोजन
गोरखपुर। भारत के सुदूर ग्रामीण इलाको में आम लोगों को अपने को कैंसर के चिकित्सक को दिखाना बहुत मुश्किल होता है। हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका, गोरखपुर, का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रभावी कैंसर निदान और उपचार सेवाएं सभी के लिए सुलभ हों। इसमें न केवल उन्नत कैंसर केंद्रों की स्थापना शामिल है, बल्कि इन सुविधाओं की पहुंच वंचित क्षेत्रों तक बढ़ाने के लिए एक ठोस प्रयास भी शामिल है।
इन्हीं मुश्किलों को दूर करने के लिए उपरोक्त अस्पताल द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी- बस्ती के सहयोग से मुख्य सड़क से काफी दूर *प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, चिलवनिया, बस्ती के प्रांगण में नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में दिखाने आए 93 मरीजों की कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी ने स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं की जांच की। सहायक चिकित्सक डॉ. राकेश श्रीवास्तव की मदद से उनमें कैंसर संबंधित लक्षण की जांच कर उचित परामर्श देकर उन्हें निशुल्क दवाई भी दी। कैंसर के प्रकार एवं उनके लक्षण के दुर्दांत रोग कैंसर के विषय में मरीजों एवं उनके परिजनों को प्रशिक्षण तथा इलाज के बारे में जानकारी दी गई।
कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित स्वास्थ्य कार्यकतार्ओं और आए सभी लोगों को बुलाकर कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इन्हें बताया गया कि लगातार खांसी में खून आना, आंत्र की आदतों में बदलाव, मल में खून आना, अस्पष्टीकृत एनीमिया (कम रक्त गणना), स्तन में गांठ या स्तन से स्राव, अंडकोष में गांठें पेशाब में बदलाव, पेशाब में खून आना, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक गला बैठना, लगातार गांठें या सूजी हुई ग्रंथियां, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक मस्से या तिल में स्पष्ट परिवर्तन, बड़े तिल या बहुरंगी तिल जिनके किनारे अनियमित हों या जिनमें खून बह रहा हो, अपच या निगलने में कठिनाई, असामान्य योनि से रक्तस्राव या स्राव, अप्रत्याशित वजन घटना, रात को पसीना आना, या बुखार, मुंह में ठीक न होने वाले घाव या मसूड़ों, जीभ, या टॉन्सिल पर लगातार सफेद या लाल धब्बे, गंभीर असहनीय सिरदर्द जो सामान्य से अलग महसूस हो, अधिक समय तक पीठ दर्द, पेल्विक दर्द, सूजन, या अपच कैंसर का संकेत हो सकता है ।
स्तन कैंसर बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी के साथ-साथ सामर्थ्य की कमी और शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण अभी भी 50% से 70% मरीज उन्नत चरण में मौजूद हैं। भारत में मौखिक कैंसर की उच्च घटना पान (तंबाकू के साथ या बिना) चबाने, धूम्रपान और शराब के उच्च प्रसार के कारण है। ग्रामीण भारत में कैंसर के इस उच्च प्रसार का कारण लोगों में जागरूकता की कमी, स्वयं की उपेक्षा और देर से प्रस्तुति, चिकित्सकों और स्वास्थ्य कार्यकतार्ओं की जागरूकता की कमी और प्रारंभिक निदान के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी, वैकल्पिक प्रणालियों और नीम-हकीमों का प्रचलन है। ग्रामीण क्षेत्रों में, कई लोग कैंसर को संक्रामक संक्रामक रोग मानते हैं और इसे परिवार के लिए वर्जित मानते हैं जिससे अलगाव होता है।
कैंसर केंद्र से निवास की दूरी भी कैंसर रोगियों में देर से प्रस्तुति और खराब जीवित रहने के लिए जिम्मेदार है। ग्रामीण इलाकों में युवाओं के बीच तंबाकू की लत आग में घी डालने का काम करती है, जो भारतीय आबादी में मौखिक घातकता के प्रमुख कारण के लिए जिम्मेदार है। इसलिए धूम्रपान, तम्बाकू और शराब का सेवन कतई नहीं करना चाहिए। कैंसर होने के थोड़े से भी शक होने पर तुरंत कैंसर के चिकित्सक को जरूर दिखाना चाहिए ताकि पता लगकर अगर कैंसर हो तो उसका तुरंत एवं उचित इलाज हो सके।सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण पुस्तिका आदि वितरित किया गया ताकि वे लोगो को कैंसर के बारे मे जागरुक कर सकें।
शिविर में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. अजीत कुमार कुशवाहा, अजय श्रीवास्तव, अश्विनी मिश्रा, सत्यवती तिवारी, नारद मुनि, कोतवाल, सुनील मिश्रा, रामसूरत सिंह, स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर एवं कर्मचारियों आदि का कार्य विशेष उल्लेखनीय योगदान रहा।
3 hours ago