चुनावी चकल्लस:लूटने वाले को कोई और लूट ले गया
मिरजापुर। पॉलिटिक्स भी अजीब बला है। जहां हसरतों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बहुत कुछ कुर्बान करने पड़ जातें हैं। कुबार्नी भी ऐसी की सफल हुए तो वाह-वाह, विफल हुए तो हाय-हाय मचने लगती है। इसमें देते वक्त तो कोई नहीं जानता, लेकिन बाद की कहानी को रो-रोकर सुनाया जाता है। इस कहानी को मीडिया के सामने भी रो-रोकर सुनाया जाता है, जिससे कभी मुंह चुराते फिरते रहे होते हैं। लेकिन जब सिर पर ओले (ठगे जाने के बाद) पड़ने लगते हैं तो मीडिया के सामने सर झुकाए चोट दिखाएं फिरते हैं। खैर, पॉलिटिक्स भी अजीब बला है। जहां हसरतों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बहुत कुछ कुर्बान करने पड़ जातें हैं।
वाकया कुछ ऐसा ही इन दिनों मीरजापुर जिले में एक कुनबे के साथ हो रहा है। 'बेगम' को विधायक बनाने का ख्वाब संजोएं मियां जो कभी एक मंत्री के सार्गिध में शिक्षा विभाग को खोखला करने से पीछे नहीं रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक तो दूसरे भाई भी दिव्यांग कोटे से शिक्षक रहे। बेगम साहिबा भी इसी महकमे से जुड़ी रही बताई जाती हैं। सूबे में सरकार थी, शिक्षा वाले मंत्री जी की कृपा भी बनें हुए थे। सो शिक्षा वाले महकमे में सिक्का चल रहा था। क्या मजाल कोई ना कह दें। सबकुछ ठीकठाक चल रहा था। मौज कट रहीं थी। वो कहते हैं न ऊपर वाला देता है तो 'छप्पर फाड़कर और लेता तो पूरी तरह से उजाड़ कर' कुछ ऐसा ही इस कुनबे के साथ हो गया हसरतों और बढ़ते हौसलों के बीच कुछ ऐसा हुआ की सेवा समाप्ति की नौबत आ पड़ी। उधर सरकार भी गई, तो रुतबा भी उतर गया। सो दुबक पड़े।
शिक्षा महकमे से मोह टूटा तो 'पॉलिटिक्स' में बने रहने की हसरतें हिलोरें मारने लगीं। वह इस लिए कि 'पॉलिटिक्स' की रबड़ी-मलाई का सुख भोग चुके थे। सो पॉलिटिक्स में कदम रख 'बेगम' को हाथी की सवारी कराते हुए पॉलिटिक्स में मजबूती से पैर जमाने की जमीन तैयार करने में जुटे हुए थे, लेकिन पैर जमने को कौन कहें उखड़ गए। लेकिन पॉलिटिक्स में जमने की हसरतें हिलोरें मारती रही। अबकी बार स्वजातीय नेता का दामन थाम बेगम के लिए कई महीनों से दौड़ धूप तेज कर समय-समय पर नेग-न्यौछावर से लेकर वर-विदाई और चढ़ावा भी भरपूर चढ़ाते आएं, जैसा की वह इन दिनों गाते फिर रहें हैं। पूरी उम्मीद और विश्वास हो चला था कि अबकी बार टिकट पक्का और जीत भी पक्की सो, लड्डू बांटने की तैयारी भी पूरी कर ली गई, लेकिन जैसे ही बड़की पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की उसकी लिस्ट देखते ही 'मियां' चकरा बैठे। दिल्ली-लखनऊ की भाग दौड़ के बाद अब अपने को लूट लिए जाने का तोहमत मढ़ मीडिया के सम्मुख इन दिनों रो-रोकर दुखड़ा सुनाने फिर रहें हैं। बहरहाल, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, तो वहीं दूसरी ओर लोगों द्वारा यह भी कहते सुना जा रहा है कि काश! उनके बारे में भी जरा सोच लिए होते मियां जिन्हें आप लोगों ने लूटने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ा था।
Oct 29 2024, 09:57