महाराष्ट्र चुनावः शरद गुट की चौथी लिस्ट जारी, अनिल देशमुख की जगह बेटे को मिला टिकट

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शरद पवार के गुट वाली एनसीपी एसपी ने सात उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी की है। इस नई सूची में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख के बेटे का भी नाम शामिल है। सलिल देशमुख को कटोल से टिकट दिया गया है।

पार्टी की ओर से 24 अक्टूबर को शरद पवार गुट की ओर से 45 उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा की गई. इसके बाद 26 तारीख को 22 उम्मीदवारों की घोषणा की गई। इसके तुरंत बाद 27 अक्टूबर को 9 उम्मीदवारों की तीसरी सूची की घोषणा की गई। इसके बाद आज 7 उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी की गई है। विधानसभा चुनाव के लिए एनसीपी शरद पवार गुट की ओर से अब तक 83 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा हो चुकी है। हालांकि, एक सीट पर उम्मीदवार को बदला गया है।

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिनमें से एक सीट पर प्रत्याशी को बदला गया है। काटोल सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जगह उनके बेटे सलील देशमुख को चुनावी मैदान में उतारा गया है। इससे पहले इस सीट से पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को उम्मीदवार घोषित किया गया था, लेकिन अब इसमें थोड़ा बदलाव किया गया है। अब पार्टी ने अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख को उम्मीदवार बनाया है।

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की ओर से अब तक 266 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें शरद पवार गुट की ओर से 82 तो उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना की ओर से 83 सीटों पर उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। कांग्रेस की ओर से अब तक 4 लिस्ट जारी हुई जिसमें 101 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। हालांकि, महाविकास अघाड़ी में अभी कुछ सीटों को लेकर मतभेद बताया जा रहा है।यही वजह है कि पूरी सीटों पर उम्मीदवार अभी तक नहीं उतारे जा सके हैं।

कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप? जानें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में किसे मिल रहा भारतीयों का समर्थन

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अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। देश की दो सबसे बड़े दलों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की ओर से कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में हैं। जहां पहले भी एक बार ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं तो वहीं कमला हैरिस वर्तमान में उप राष्ट्रपति हैं।चुनावी सर्वेक्षण में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। अभी दो लेटेस्ट सर्वे में दोनों के बीच टाइट फाइट दिख रही है। सीबीसी न्यूज और एबीसी न्यूज के चुनावी सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच 19-20 का ही फर्क दिख रहा है। इस बीच एक नए सर्वे में अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी नागरिकों का डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति झुकाव कम होता दिख रहा है।जबकि रिपब्लिकन पार्टी के प्रति झुकाव रखने वाले मतदाताओं के आंकड़े में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

रिसर्च और एनालिटिक्स फर्म YouGov के साथ मिलकर कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस सेंटर द्वारा एक सर्वे किया गया है, जिसे '2024 इंडियन-अमेरिकन एटीट्यूड्स' नाम दिया गया है।सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इस बार भारतीय अमेरिकी मतदाताओं में रिपब्लिकन पार्टी के लिए समर्थन में भी बढ़ोतरी देखी गई है। कई लोग इस बार ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं। यह सर्वे 18 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच 714 भारतीय-अमेरिकी नागरिकों के साथ किया गया था।

सर्वेक्षण के अनुसार, पंजीकृत भारतीय-अमेरिकी मतदाता उत्तरदाताओं में से 61 प्रतिशत हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं जबकि 32 प्रतिशत ट्रंप को वोट देने का इरादा रखते हैं। इसमें कहा गया है कि 2020 के बाद से ट्रंप को वोट देने के इच्छुक उत्तरदाताओं की हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि देखी गई है।दूसरी ओर, 67 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी महिलाएं हैरिस को वोट देने की योजना बना रही हैं जबकि 53 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि वे हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं। 

बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय मूल के 52 लाख से अधिक लोग रहते हैं। 2022 के आंकड़ों के आधार पर, अमेरिका में लगभग 26 लाख पात्र भारतीय-अमेरिकी मतदाता हैं। भारतीय अमेरिकियों की औसत घरेलू आय लगभग 153,000 अमेरिकी डॉलर है, जो देश के अन्य समुदायों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।भारतीय-अमेरिकी अब संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह हैं। समुदाय की तीव्र जनसांख्यिकीय वृद्धि, राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर और भारतीय अमेरिकियों की उल्लेखनीय व्यावसायिक सफलता के कारण भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक काफी अहम बनकर उभरे हैं।

ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

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इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।

कमला हैरिस की स्वीकारोक्ति से पता चला मतदाताओं के दूर होने का कारण

अमेरिकी चुनाव में दस दिन से भी कम समय बचा है, और कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रम्प की मर्दाना, अप्रवासी विरोधी बयानबाजी का मुकाबला करने के लिए एक सम्मोहक कहानी गढ़ने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिसे एलन मस्क और टकर कार्लसन जैसे लोगों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।

यद्यपि राष्ट्रीय मतदान औसत अभी भी दोनों उम्मीदवारों के बीच बहुत कम अंतर का संकेत देता है, लेकिन अब संभावनाएँ डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में झुक रही हैं। तो, कमला की शुरुआती बढ़त मतदाताओं के बीच कैसे कमज़ोर हो गई? उन्होंने हाल ही में CNN टाउनहॉल में इस सवाल का जवाब दिया है। "आपकी कमज़ोरियाँ क्या हैं?" खुदरा कर्मचारी जो डोनह्यू ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को अपनी कमज़ोरियों को उजागर करने के लिए प्रेरित किया। "कुछ लोग इसे कमज़ोरी कह सकते हैं, खासकर तब जब आप किसी साक्षात्कार में हों या आपसे कोई निश्चित प्रश्न पूछा जा रहा हो, और आपसे तुरंत सही उत्तर देने की अपेक्षा की जाती हो," उन्होंने अपने प्रश्नकर्ता और CNN होस्ट एंडरसन कूपर के बीच अनिर्णायक रूप से कहा। "लेकिन मैं इसी तरह काम करती हूँ।"

हैरिस ने कभी-कभी मौके पर जवाब देने में संघर्ष करने की बात स्वीकार की, आलोचकों का कहना है कि यह उनके अभियान के व्यापक मुद्दों का प्रतीक है।

मतदान के कड़े होने के बाद, हैरिस की चुनौती दोहरी है, खुद को डोनाल्ड ट्रम्प और अपने पूर्व साथी जो बिडेन से अलग करते हुए अपना रास्ता खुद तय करना। बिडेन की नीतियों से अपने अभियान को अलग करने के प्रयासों में किराने की लागत कम करने और संघीय न्यूनतम वेतन बढ़ाने का संकल्प शामिल है। लेकिन ठोस मीडिया रोलआउट के बिना, न्यूनतम वेतन बढ़ाने जैसी उनकी नई पहल भी मुश्किल से ही कोई हलचल पैदा कर पाई है।

मिशिगन और विस्कॉन्सिन जैसे स्विंग राज्यों में, ट्रम्प की गति स्पष्ट है, और हैरिस का खेमा मानता है कि दांव ऊंचे हैं। ट्रम्प के "फासीवादी" झुकाव की तीखी भाषा और तीखी आलोचनाओं के साथ, "झगड़े से ऊपर उठने" की उनकी शुरुआती रणनीति में बदलाव होता दिख रहा है। हालांकि, अंतिम सवाल बना हुआ है कि क्या हैरिस अपनी स्थिति बना पाएंगी और अंतिम चरण में अनिर्णीत मतदाताओं को आकर्षित कर पाएंगी?

जातिगत जनगणना होगी या नहीं? सेंसस कराए जाने की खबर के बीच कांग्रेस ने पूछे बड़े सवाल

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केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अगले साल से जनगणना शुरू होगी। सूत्रों के मुताबिक, 2025 से शुरू होकर 2026 तक चलेगी। इसको लेकर अब कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस जाति जनगणना को लेकर बीजेपी से सवाल पूछ रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करके कहा, जाति जनगणना कराना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

दरअसल, केंद्र सरकार जल्द ही जनगणना कराने जा रही है। सरकार ने इसके लिए रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल को एक्सटेंशन दे दिया है, जिसके लिए अधिसूचित भी जारी कर दी गई है। इसी बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल के एक्सटेंशन को अभी-अभी अधिसूचित किया गया है। इसका मतलब है कि 2021 में होने वाली जनगणना, जो लंबे समय से विलंबित है, अब आख़िरकार जल्द ही करवाई जाएगी। लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है।

इन दो मुद्दों पर उठाए सवाल

-कांग्रेस नेता ने कहा कि 1951 से हर जनगणना में होती आ रही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के अलावा क्या इस नई जनगणना में जातिगत जनगणना भी शामिल होगी? भारत के संविधान के अनुसार ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

-क्या इस जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रावधान है (जो कहता है कि ऐसे किसी पुनर्गठन का वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना और उसके रिजल्ट का प्रकाशन आधार होगा)? क्या इससे उन राज्यों को नुकसान होगा जो परिवार नियोजन में अग्रणी रहे हैं?

साथ ही कांग्रेस नेता ने सरकार से ये भी मांग की की वो इन दो मुद्दों पर स्पष्टता के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाए। उन्होंने कहा इन सवालों का जवाब देने के लिए सबसे सही यही होगा कि जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावः वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे के खिलाफ शिंदे का 'देवड़ा दांव' कितना होगा कामयाब?

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महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को चुनाव होने हैं। असली-नकली शिवसेना की लड़ाई के लिहाज से निर्णायक माने जा रहे महाराष्ट्र चुनाव में वर्ली की फाइट रोचक हो गई है। शिवसेना यूबीटी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच फाइट में किसी सीट की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह है वर्ली सीट। वर्ली सीट अब प्रदेश की हॉट सीट बन चुकी है। इसकी वजह है आदित्य ठाकरे और मिलिंद देवड़ा का चुनाव मैदान में मने सामने होना।वर्ली सीट से आदित्य ठाकरे के खिलाफ शिंदे की शिवसेना ने मिलिंद देवड़ा को उम्मीदवार बनाया है।

शिवसेना यूबीटी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच वैसे तो कई सीटों पर सीधा मुकाबला है, लेकिन वर्ली सीट की फाइट इसलिए भी खास है क्योंकि यहां से उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे खुद चुनाव मैदान में हैं जिनके सामने शिंदे की सेना ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को उतारा है। ऐसे में अब चर्चा इस बात की हो रही है आदित्य ठाकरे के सामने शिंदे गुट ने मिलिंद देवड़ा को प्रत्याशी क्यों बनाया है?

एकनाथ शिंदे का मास्टर स्ट्रोक

बता दें कि मिलिंद देवड़ा दक्षिण मुंबई से सांसद रह चुके हैं। वहीं वर्ली सीट भी दक्षिण मुंबई के अतंर्गत ही आती है, जिसे देवड़ा परिवार का गढ़ माना जाता है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी देवड़ा इस सीट के प्रभारी थे।शिंदे ने मिलिंद देवड़ा को उतारकर पार्टी को परसेप्शन की लड़ाई में सबसे आगे कर दिया है। पार्टी ने लोगों को यह मैसेज देने की कोशिश की है कि वह किसी से कम नहीं है।शिंदे इस कदम के जरिए यह सियासी मैसेज देने में सफल रहे कि उनके पास भी अनुभवी नेताओं की कमी नहीं है।

वर्ली सीट पर शिंदे ने मजबूत उम्मीदवार उतारकर एनसीपी और शिवसना को एक सीट पर उलझाने की रणनीति बनाई है। वर्ली सीट पर अनुभवी और वरिष्ठ नेता को प्रत्याशी बनाए जाने पर अब ठाकरे परिवार का पूरा ध्यान वर्ली सीट पर रहेगा। कोंकण शिवसेना का गढ़ रहा है। इसमें मुंबई और ठाणे भी आते हैं। इसका फायदा शिंदे की पार्टी को अन्य सीटों पर मिलेगा। वह उद्धव की तुलना में और ज्यादा मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी।

वर्ली सीट शिवसेना का गढ़

मुंबई की वर्ली सीट शिवसेना का गढ़ मानी जाती है। मुंबई की इस सीट पर उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे अभी विधायक हैं।2019 के चुनावों में आदित्य ठाकरे बड़े अंतर से जीते थे। तब उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुरेश माने को 67 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया था। देवड़ा की एंट्री से पहले तक आदित्य ठाकरे का पलड़ा भारी था। अब इस सीट रोचक लड़ाई होगी।अब देखना है कि वर्ली सीट जाे शिवसेना का गढ़ है। वहां पर चुनाव में किसे जीत मिलती है? देवड़ा को वर्ली से उतारकर एकनाथ शिंदे ने यह साफ कर दिया है कि वह हर सीट को सीरियसली ले रहे हैं।

वक्फ बोर्ड के लिए बनी जेपीसी की बैठक में फिर विवाद, विपक्षी सांसदों ने किया वॉकआउट, पिछली बार टूटी थी कांच की बोतल

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वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में फिर हंगामा हो गया। विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रेजेंटेशन का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। वॉकआउट करने वाले सदस्यों में आप के संजय सिंह, डीएमके के मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन सहित कई नाम हैं।हालांकि, थोड़ी देर बाद वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक में विपक्ष के सांसद फिर से शामिल हुए। दरअसल, विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुति में कुछ बदलाव किए थे।

संसद भवन परिसर में आज वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक चल रही है।यह बैठक संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में की गई। इस दौरान विपक्षी दलों के सांसद दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रस्तुतिकरण का विरोध करते हुए बैठक से बाहर निकल गए। विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि समिति के समक्ष पेश हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना प्रस्तुतिकरण में बदलाव किया है।

आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह, द्रमुक सांसद मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नसीर हुसैन और मोहम्मद जावेद समेत अन्य कुछ विपक्षी सदस्य बैठक छोड़कर बाहर निकल गए।विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना वक्फ बोर्ड की प्रारंभिक रिपोर्ट को पूरी तरह बदल दिया।

इससे पहले वक्फ बिल के लिए जेपीसी की बैठक में जोरदार झड़प हुई थी। बैठक भाजपा और टीएमसी के बीच ये झड़प हुई थी। इसमें कल्याण बनर्जी घायल हो गए थे। जानकरी के अनुसार, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने वहां रखी एक गिलास पानी की बोतल उठाई और मेज पर दे मारी और दुर्घटनावश खुद को चोट पहुंचा ली थी। इसके बाद कल्याण बनर्जी को संस्पेंड कर दिया गया था। बीजेपी ने आरोप लगे था कि गुस्से में कल्याण बनर्जी ने पानी की बोतल को मेज पर पटक दिया था। इसके उन्होंने इसे चेयरमैन की तरफ उछाला था। इस वजह से उन्हें ये चोट लग गई थी। वहीं, विपक्ष ने इस घटना के लिए बीजेपी सांसदों को जिम्मेदार बताया था।

भारत में पहली बार बनेंगे C-295 मिलिट्री एयरक्राफ्ट, रफ्तार देख थम जाएगी दुश्मनों की सांस, जानें इसकी खासियत

#whyc295aircraftimportantforindia

अब एयरबस के C-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भारत में ही बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) परिसर में C-295 एयरक्राफ्ट के निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी के साथ स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भी मौजूद रहे। भारत के C-295 कार्यक्रम में कुल 56 एयरक्राफ्ट होंगे जिनमें से 16 सीधे एयरबस डिलीवर करेगा और बाकी 40 भारत में बनाए जाएंगे। इन 40 C-295 विमानों को बनाने की जिम्मेदारी 'टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड' की होगी। इसके साथ ही भारत के रक्षा क्षेत्र में बड़ा कायाकप्ल होगा।

यह प्रोजेक्ट अहम इसलिए भी है, क्योंकि पहली बार देश में कोई निजी कंपनी सेना के लिए प्लेन बनाएगी। यह पहली बार है जब कोई निजी कंपनी भारत में पूरा का पूरा मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगी। साल 2021 में 56 C-295 एयरक्राफ्ट के लिए 21हजार 935 करोड़ रुपये की टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट के तहत डील हुई थी। इस डील के तहत भारत को पिछले साल सितंबर के पहला C-295 एयरक्राफ्ट मिल गया था। डील में 56 विमानों में से पहले 16 विमान स्पेन और बाकी भारत में बनाए जाएंगे। 40 C-295 एयरक्राफ्ट के निर्माण के लिए वडोदरा में टाटा ने एयरबस के साथ मिलकर मैनुफैक्चरिंग कॉम्लेक्स बनाया है।

यह विमान सैनिकों को ध्यान में रखकर खास डिजाइन किया गया है। इसे कार्गो से लेकर जवानों तक को ट्रांसपोर्ट करने के लिए यूज किया जा सकता है। एयरक्राफ्ट को कई तरह के मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें ट्रांसपोर्ट, पैराशूट ड्रॉपिंग, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस (ELINT), मेडिकल निकासी (MEDEVAC), और समुद्री गश्त शामिल हैं। बाकी कार्गो विमानों की तुलना में इस विमान का टेकऑफ टाइम कम है।सी-295 एक मीडियम साइज का विमान जो किसी भी तरह की हवाई पट्टी पर उतारा जा सकता है।

कम वजन के ट्रांस्पोर्टेशन के लिए अहम C-295 एयरक्राफ्ट

यह कॉम्प्लेक्स देश का पहला निजी फाइनल असेंबली लाइन है, जो मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगा। भारतीय वायुसेना, के लिए ट्रांसपोर्ट विमान भारत के लिए बेहद जरूरी है, जिससे सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को जगह से दूसरी जगह पहुंचा सकें। C-295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारतीय सेना केलिए अहम साबित होने वाला है।

C-295 एयरक्राफ्ट की कितनी है क्षमता?

सी-295 एयरक्राफ्ट की फंक्शनिंग की बात करें तो इसे दो पायलट्स उड़ाते हैं। इसमें एक साथ 73 सैनिक, 48 पैराट्रूपर्स, 12 स्ट्रेचर इंटेसिंव केयर मेडवैक, या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मिडिकल अटेंडेंट सफर कर सकते हैं। डायमेंशंस का उल्लेख करें तो यह C-295 एयरक्राफ्ट 9250 KG का वजन उठा सकता है। इसकी लंबाई 80.3 फीट, विंगस्पैन 84.8 फीट, ऊंचाई 28.5 फीट है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने 37 लाख लोगों को दिया दिवाली गिफ्ट, कर दिया बड़ा ऐलान

एशिया के दिग्गज कारोबारी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने 37 लाख लोगों को आज दिवाली गिफ्ट दे दिया है. दरअसल, रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी 7 साल बाद फिर से बोनस शेयर दे रहे हैं. उन्होंने आज यानि 28 अक्टूबर को रिकॉर्ड डेट तय की है. मुकेश अंबानी इस साल हुई AGM में कहा था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज एक शेयर पर एक बोनस शेयर योग्य निवेशकों को देगी.

आज है रिकॉर्ड डेट

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शेयर बाजार को बताया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के शरहोल्डर्स को एक शेयर पर एक शेयर बोनस दिया जाएगा. योग्यता तय करने के लिए कंपनी ने 28 अक्टूबर 2024, दिन सोमवार को रिकॉर्ड डेट घोषित किया था. यानी जिन निवेशकों का नाम कंपनी के रिकॉर्ड बुक में रहेगा उन्हें ही एक शेयर पर एक शेयर फ्री मिलेगा. ऐसे में अगर आपके पास भी रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर है तो ये खबर आपके लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है. क्योंकि बोनस शेयर मिलने से शेयर डबल हो जायेंगे.

7 साल पहले भी दिया बोनस शेयर

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 7 साल पहले भी शरहोल्डर्स को बोनस शेयर का तोहफा दिया था. बीएसई पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, कंपनी ने 2017 में बोनस शेयर दिया था. तब भी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक शेयर पर एक शेयर बोनस के तौर पर दिया था. 2009 में भी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक शेयर पर एक शेयर बोनस दिया था.

शेयर का हाल

रिलायंस के शेयर के हाल की बात करें तो बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन कंपनी का शेयर 2,656.30 पर बंद हुआ था. शेयर के परफॉरमेंस की बात करें तो एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने RIL पर अपनी ADD रेटिंग के साथ 3,350 रुपये का टार्गेट प्राइस तय किया है. नोमुरा ने RIL को 3,450 रुपये का टारगेट दिया है और इसे बाय रेटिंग भी दी है.

लॉरेंस बिश्नोई की हत्या के लिए 1 करोड़ का इनाम रखने वाले करणी सेना के अध्यक्ष ने कर दिया एक और बड़ा ऐलान

क्षत्रिय करणी सेना के अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने एक और घोषणा की है कि वे लॉरेंस बिश्नोई का एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मी को 1 करोड़ 11 लाख 11 हजार और 111 रुपए देंगे. शेखावत ने कहा कि उनका यह ऑफर अब साबरमती जेल में बंद कैदियों के लिए भी है. शेखावत ने लॉरेंस बिश्नोई को हत्या करने के लिए उकसाया है और कहा कि यदि कोई कैदी लॉरेंस की हत्या कर दे तो उसे भी एनकाउंटर के लिए रखा गया इनाम मिलेगा.

पिछले दिनों, क्षत्रिय करणी सेना के प्रमुख राज शेखावत ने लॉरेंस बिश्नोई के एनकाउंटर पर इनाम की घोषणा की, जो राजपूत करणी सेना के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या का बदला लेने के लिए था. गुजरात के वडोदरा से आने वाले शेखावत ने कहा कि उनका संगठन एनकाउंटर पर इनाम देगा, और अगर कोई कैदी जेल में हत्या कर दे तो उसे 1 करोड़ 11 लाख 11 हजार और 111 रुपये का इनाम मिलेगा.

शेखावत ने अपने X हैंडल पर एक वीडियो किया पोस्ट “मैंने जो पुरस्कार राशि की घोषणा की है वह एनकाउंटर पर पुलिसकर्मियों को जरूर दी जाएगी. साथ ही साथ एक और घोषणा करता हूं कि साबरमती जेल में बंद कोई भी कैदी, योद्धा लॉरेंस को ठोकेगा, उसको भी यही पुरस्कार राशि पुरस्कार में क्षत्रिय सेना से दी जाएगी”

राज शेखावत ने मीडिया रिपोर्ट का भी खंडन किया जिसमें कहा गया था कि वह महादेव के अलावा किसी के बाप से नहीं डरते हैं. शेखावत ने पहले कहा था कि उनके चमचों ने उनके खिलाफ 1.50 करोड़ रुपए की सुपरी दी थी, लेकिन जिस लड़के को हत्या करने का काम सौंपा गया था, उसका अनुयायी निकला और आकर सारी बात उन्हें बता दी.