*विंध्य क्षेत्र में ही वाल्मीकि ने रामायण की रचना की- डॉ जितेंद्र कुमार सिंह 'संजय'
मीरजापुर। शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर नगर के कवियों ने आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर कवि केदारनाथ सविता के आवास लक्ष्मण प्रसाद की गली , वासलीगंज में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित साहित्यकार, इतिहासवेत्ता और शोधपरक लेखक डॉक्टर जितेन्द्र कुमार सिंह 'संजय' थे। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि भोलानाथ कुशवाहा एवं हिंदी - संस्कृत के मणिकांचन संयोग के साथ गोष्ठी का संचालन कवि एवं समीक्षक अरविंद अवस्थी ने किया।
मुख्य अतिथि जितेन्द्र कुमार सिंह 'संजय' ने अपने सारगर्भित व्याख्यान के माध्यम से आदि कवि के विषय में विभिन्न प्रसंग प्रस्तुत किया।उन्होंने कहा कि विंध्य क्षेत्र में ही महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। अपने कविता पाठ में उन्होंने सुनाया-
'नर क्रौंच को तीर लगा क्षण में,
ऋषि के उर हूक लगी हुई थी'
अध्यक्ष भोलानाथ कुशवाहा ने अपनी नई कविता सुनाई -
'मैं कबीर से अलग, लाखों करोड़ों की तरह सिर झुकाता रहा, पत्थरों और चित्रों में,
मैं कबीर कैसे बनता
मैं कबीर नहीं बन पाया '
नवगीत एवं गज़लकार गणेश गंभीर ने कुंडलियां प्रस्तुत की-
' जीवन में दु:ख हैं कई, सुख भी हैं दो चार। अपनी सबसे पट रही , सबसे है व्यवहार।।'
कवि अरविंद अवस्थी ने वृक्षों का महत्व बताते हुए सुनाया --
होता तो फूलता - फलता, छाँव भी देता,मगर दूर - दूर तक , न एक भी शज़र देखा।।'
प्रसिद्ध भोजपुरी कवि लल्लू तिवारी ने आदिकवि को इस तरह याद किया -'जिन्होंने रामायण लिख हम पर उपकार किया,ऐसे गुरुदेव वाल्मीकि को नमन है।' गुमनाम मिर्ज़ापुरी ने स्त्री की पीड़ा व्यक्त किया--'गिराई, जलाई, दबोची जाती, अबला जीवन जीती है।' कवि केदारनाथ सविता ने आदि कवि को याद करते हुए कहा -'आदिकवि वाल्मीकि ने असहाय सीता को आश्रय प्रदान किया।' युवा कवि श्याम अचल ने संस्कृति को महत्व देते हुए सुनाया -
' मेरी संस्कृति है मेरी मां, मेरा अस्तित्व उससे है।मेरा किरदार ये असली कहाँ जाए कहां जाए।' युवा कवयित्री पूजा यादव ने बेटी को आधार बनाकर कविता प्रस्तुत की--
जिम्मेदारी का दूसरा नाम है
घर की बड़ी बेटी।' कवयित्री नंदिनी वर्मा ने श्रृंगार - गीत प्रस्तुत कर वाहवाही पाई--
'अब टूटा स्वप्न मेरा , मैं जागी '
गोष्ठी के प्रारंभ में जगज्जननी विंध्यवासिनी के चित्र पर अतिथियों ने माल्यार्पण किया तथा पूजा यादव ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
Oct 23 2024, 09:20