नसरल्लाह की मौत ने ईरान दे रहा धमकी, क्या इजराइल को अकेले रोक पाएंगे अयातुल्ला खामनेई?
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इजराइल के हमले में लेबानानी गुट हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत से ईरान को बड़ा झटका लगा है। ईरान अब बदले की आग में धधक रहा है। ईरान के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि वह अपने महत्वपूर्ण सहयोगी हिजबुल्लाह को हुए नुकसान की भरपाई कैसे करे और अपने क्षेत्रीय प्रभाव को कैसे बरकरार रखे। दरअसल, ईरान ये भली भांति जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।
करीब एक साल से इजराइल ने पूरे मिडिल ईस्ट की नाक में दम कर रखा है। दुनिया के बड़े बड़े ताकतवर मुल्क इजराइल से युद्ध रोकने की मांग रहे हैं, बावजूद इसके वो अपने एजेंडे को अंजाम देने में जुटा है और हर गुजरते दिन के साथ अपने दुश्मनों का खात्मा कर रहा है। इजराइल ने लेबनान पर ताबड़तोड़ हवाई हमले कर हाल ही में हिजबुल्ला प्रमुख सयैद हसन नसरल्ला का खात्मा कर दिया।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने नसरल्लाह की मौत पर आक्रामक रुख दिखाते हुए कहा है कि उनकी मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। ईरान के आईआरजीसी कमांडर अब्बास निलफोरोशान की मौत भी नसरल्ला के साथ हुई है। अपने सैन्य अफसर की हत्या ईरान के लिए शर्म की वजह बनी है और इससे उस पर इजरायल के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ा है। हालांकि, ये भी सच है कि नसरल्लाह की हत्या से भी इस तथ्य में कोई बदलाव नहीं आया है कि तेहरान संघर्ष में सीधे शामिल नहीं होना चाहता है। क्योंकि ईरान ये अच्छी तरह से जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।
दरअसल, इजरायल के पीछे अमेरिका खड़ा है।अमेरिका हर तरफ फैले अपने सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल दुनिया में कहीं भी बैठे दुश्मनों से निपटने और सहयोगियों की मदद करने के लिए करता है। हाल के सालों में अमेरिका ने मिडिल ईस्ट के साथ-साथ साऊथ एशिया में भी अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है। इस समय अमेरिका के 80 देशों में करीब 750 सैन्य अड्डे हैं, इन देशों में सबसे ज्यादा 120 मिलिट्री बेस जपान में हैं।
अमेरिका ने पूरे मिडिल ईस्ट में मिलिट्री बेस का ऐसा जाल बिछा लिया है। मिडिल ईस्ट के लगभग 19 देशों में अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं, जिनमें से प्रमुख कतर, बहरीन, जॉर्डन, और सऊदी अरब में हैं। मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव में अमेरिका के ये मिलिट्री बेस अहम भूमिका निभा रहे हैं और इजराइल की सुरक्षा के लिए कवच बने हुए हैं। जिसे चाह कर भी अरब देश इसे नहीं तोड़ पा रहे हैं।
इसके अलावा अमेरिका के सैन्य अड्डे तुर्की और जिबूती में भी हैं, ये देश पूरी तरह मिडिल ईस्ट में तो नहीं आते पर कई रणनीतिक तौर से इन देशों में सेना रखने से पूरे मिडिल ईस्ट पर नजर रखने में मदद मिलती है।
अमेरिकी सेना का मजबूती के साथ मिडिल ईस्ट के देशों में बने रहने का एक बड़ा कारण ईरान और क्षेत्रीय मिलिशिया भी हैं जो कट्टर इस्लामी राज को मिडिल ईस्ट में स्थापित करना चाहती हैं। ईरान की शिया विचारधारा को सुन्नी देश अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं और ईरान से सुरक्षा के लिए अमेरिका से मदद की उम्मीद रखते हैं। ज्यादातर अरब देश अमेरिका की सेना की उपस्थिति को अपने देश की स्थिरता के लिए जरूरी मानते हैं। अमेरिका अपना सैन्य बेस बनाने के बदले उन देशों को बाहरी खतरों से सुरक्षा की गारंटी और अंतरराष्ट्रीय स्थर पर कई राणनीतिक लाभ देता है। साथ ही गरीब देशों को भारी सैन्य और आर्थिक मदद भी दी जाती है।
मिडिल ईस्ट में इजराइल अमेरिका का खास अलाय है और दोनों के मजबूत राजनीतिक और सैन्य संबंध हैं। इजराइल चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा एक यहूदी देश है और फिलिस्तीनियों की जमीन पर कब्जे के कारण, ये देश इजराइल से उलझते रहे हैं। इस हालात में मिडिल ईस्ट के चारों तरफ इतनी बड़ी तदाद में अमेरिकी सैन्य अड्डे होने से इजराइल को बड़ा लाभ मिल रहा है।
गाजा लेबनान में अमानवीय कार्रवाई के बावजूद कोई देश भी उसपर सैन्य कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। यहां तक कि ईरान भी अभी तक धमकी ही दे पाया है, लेकिन वे सीधे तौर पर इस जंग में कूदने का साहस नहीं ला पाया है।
यही नहीं हाल के दिनों में इजराइल की ओर से तेज हुए हमलों और हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पैदा हे जंग के हालात के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। इजरायल का साथ देने के लिए अमेरिका ने समूचे पश्चिम एशिया में लड़ाकू विमानों का दस्ता और विमान वाहक पोत तैनात करने का फैसला किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। पेंटागन ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान और उसके सहयोगियों के संभावित हमलों से इजरायल की रक्षा करने और अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम एशिया में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अमेरिकी लड़ाकू विमानों और युद्ध पोत के दस्ते ने इजरायल के चारों ओर उसकी रक्षा के लिए घेरा बनाना शुरू कर दिया है।
Sep 30 2024, 15:18