आज का इतिहास:2006 में 25 सितंबर को ही तिब्बती ‘धर्मगुरु’ दलाई लामा को भारतीय नागरिकता देने की हुई थी मांग

 

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 25 सितंबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2015 में सिंगापुर में प्रदूषण की वजह से स्कूलों को बंद करना पड़ा था।

 2006 में आज ही के दिन दलाई लामा को भारतीय नागरिकता देने की मांग की गई थी।

2015 में आज ही के दिन सिंगापुर में प्रदूषण की वजह से स्कूलों को बंद करना पड़ा था।

2008 में 25 सितंबर के दिन ही चीन ने अंतरिक्ष यान ‘शेंझो 7’ का प्रक्षेपण किया था।

2007 में आज ही के दिन पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्‍व वाली नेपाली कांग्रेस (डेमोक्रेटिक) पार्टी का कांग्रेस में विलय हुआ था।

2006 में 25 सितंबर को ही तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को भारतीय नागरिकता देने की मांग की गई थी।

2006 में आज ही के दिन अंतरिक्ष की सैर पर निकली ईरान की पहली महिला अनुशेह अंसारी ने देश के इतिहास में नया अध्याय रचा दिया था।

2003 में 25 सितंबर के दिन ही गयूम ने मालदीव के राष्ट्रपति का चुनाव छठी बार जीता था।

2001 में आज ही के दिन सऊदी अरब ने तालिबान मिलिशिया से संबंध तोड़ा था।

1999 में 25 सितंबर को ही आठवें सैफ खेलों का काठमांडू में उद्घाटन हुआ था।

1992 में 25 सितंबर को ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ‘मार्स ऑब्जर्वर स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजा था।

1981 में आज ही के दिन मध्य अमेरिकी देश बेलीज संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुआ था।

1955 में 25 सितंबर को ही रॉयल जॉर्डन वायु सेना की स्थापना हुई थी।

1897 में आज ही के दिन ब्रिटेन में पहली बस सेवा की शुरुआत हुई थी।

1846 में 25 सितंबर को ही अमेरिकी सेना ने मेक्सिको के मोंटेरी पर कब्जा किया था।

1654 में आज ही के दिन इंग्लैंड और डेनमार्क ने व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

1639 में 25 सितबंर के दिन ही अमेरिका में पहली ‘प्रिंटिंग प्रेस’ की शुरुआत हुई थी।

1524 में आज ही के दिन वास्कोडिगामा आखिरी बार वायसराय बनकर भारत आए थे।

24 सितंबर का इतिहास को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1914 में आज ही के दिन भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल का जन्म हुआ था।

1920 में 25 सितंबर को ही भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन का जन्म हुआ था।

1939 में 25 सितंबर के दिन प्रसिद्ध अभिनेता एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक फिरोज खान का जन्म हुआ था। 

1977 में आज ही के दिन जानी-मानी अभिनेत्री दिव्या दत्ता का जन्म हुआ था।

25 सितंबर को हुए निधन

1294 में 25 सितंबर के दिन ब्रिटेन के दार्शनिक और रसायनशास्त्री रोजर बेकन का निधन हुआ था।

1955 में आज ही के दिन भारत की प्रथम महिला चिकित्सक रुक्माबाई का निधन हुआ था।

1989 में 25 सितंबर को ही साहित्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी सुदर्शन सिंह चक्र का निधन हुआ था।

2010 में आज ही के दिन हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार कन्हैयालाल नंदन का निधन हुआ था।

हैवान बना पति घर में सो रही पत्नी और 3 साल के बेटे को गंडासे से काट डाला, बच्चे की मौत, पत्नी गंभीर


फिरोजाबाद :- नगला खंगर इलाके में एक सनकी युवक ने घर में सो रही पत्नी और 3 साल के बेटे को गंडासे से काट डाला.चीख-पुकार सुनकर लोगों ने पुलिस को जानकारी दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर गंभीर रूप से घायल मां-बेटे को अस्पताल पहुंचाया. यहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया, जबकि महिला की हालत गंभीर बनी हुई है. वारदात के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया. पुलिस घटना की जांच कर रही है।

नगला खंगर थाना क्षेत्र में जैमतपुर गांव है. यहां का नरेंद्र बाहर नौकरी करता है. वह परिवार को भी साथ ही रखता था. परिवार में पत्नी रेनू (26) और 3 साल का बेटा किट्टू हैं. सोमवार की रात किसी बात को लेकर नरेंद्र का पत्नी से विवाद हो गया. इसके बाद पत्नी बेटे के साथ सोने चली गई. 

रात में किसी समय नरेंद्र हाथ में गंडासा लेकर परिवार पर टूट पड़ा. उसने पहले पत्नी पर हमला किया. गंभीर चोट के कारण पत्नी जमीन पर गिर गई. इसके बाद उसने किट्टू पर भी कई वार कर दिए।

इसके बाद फरार हो गया. चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोगों ने पुलिस को जानकारी दी. कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने गंभीर रूप से घायल मां-बेटे को शिकोहाबाद के संयुक्त चिकित्सालय भिजवाया।

यहां डॉक्टरों ने किट्टू को मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने किट्टू के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. जबकि रेनू का मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.

घटना की जानकारी मिलने के बाद रेनू के मायके वाले भी मौके पर पहुंच गए. घटना के पीछे की असल वजह सामने नहीं आ पाई, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार नरेंद्र शराब पीने का आदी है. 

पत्नी इसका विरोध करती थी, इसे लेकर आए दिन घर में विवाद होता रहता था. थाना प्रभारी नगला खंगर गिरीश कुमार ने बताया कि आरोपी नरेंद्र की तलाश की जा रही है. जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा।

आज का इतिहास: 2014 में आज ही के दिन इसरो के ‘उपग्रह मंगलयान’ ने मंगल ग्रह की कक्षा में किया था प्रवेश


 

नयी दिल्ली : 24 सितंबर का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2014 में आज ही के दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह मंगलयान ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। 

2009 में 24 सितंबर के दिन ही देश के पहले चन्द्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी खोज निकाला था।

2014 में आज ही के दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह मंगलयान ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था।

2009 में 24 सितंबर के दिन ही देश के पहले चन्द्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी खोज निकाला था।

2008 में आज ही के दिन मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी और दो अन्य दोषियों की समय पूर्व रिहाई संबंधित याचिका खारिज की थी।

2008 में 24 सितंबर के दिन ही चीन और नेपाल ने दूरसंचार के क्षेत्र में एक अहम अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किया था।

2005 में आज ही के दिन आई.ए.ई.ए. ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे को सुरक्षा परिषद को सौंपने का निर्णय लिया था।

2003 में 24 सितंबर के दिन ही फ्रांस के राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया था।

1996 में 24 सितंबर के दिन ही अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

1990 में आज ही के दिन पूर्वी जर्मनी ने खुद को वारसा संधि से अलग किया था।

1978 में 24 सितंबर के दिन ही पूर्व सोवियत संघ ने भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था।

1965 में आज ही के दिन यमन को लेकर सऊदी अरब और मिस्र के बीच समझौता हुआ था।

1948 में 24 सितंबर के दिन ही होंडा मोटर कंपनी की स्थापना हुई थी। 

1932 में आज ही के दिन डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच पुणे की यरवडा सेंट्रल जेल में दलितों के लिए विधानसभाओं में सीटें सुरक्षित करने को लेकर एक विशेष समझौता हुआ था।

24 सितंबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1971 में आज ही के दिन भारत के प्रथम प्रसिद्ध तीरंदाज लिम्बा राम का जन्म हुआ था।

1963 में 24 सितंबर के दिन ही वरिष्‍ठ टेलीविज़न पत्रकार पंकज पचौरी का जन्म हुआ था।

1950 में आज ही के दिन भूतपूर्व प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी मोहिन्दर अमरनाथ का जन्म हुआ था।

1940 में 24 सितंबर के दिन ही भारत की प्रसिद्ध महिला तैराक आरती साहा का जन्म हुआ था।

1925 में आज ही के दिन भारतीय, चिकित्साशास्त्र के वैज्ञानिक औतार सिंग पैंटल का जन्म हुआ था।

1861 में 24 सितंबर के दिन ही महिला अधिकारों की बुलंद आवाज भिकाजी कामा का जन्‍म हुआ था।

1856 में आज ही के दिन हिंदी खड़ी बोली और ‘भारतेन्दु युग’ के उन्नायक प्रताप नारायण मिश्र का जन्म हुआ था।

24 सितंबर को हुए निधन

2006 में आज ही के दिन दक्षिण भारतीय अभिनेत्री और मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना, नृत्य की महान् रोशनी (नृत्यापेरोली) के नाम से मशहूर पद्मिनी का निधन हुआ था।

साइकोलॉजी के अनुसार जानिए खुशहाल जीवन के 7 सरल उपाय


मानव मनोविज्ञान यह समझने में मदद करता है कि हम किस तरह से सोचते हैं, महसूस करते हैं और व्यवहार करते हैं। खुशी और संतोष जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं, और साइकोलॉजी के अनुसार, कुछ सरल उपाय हमें खुश और संतुष्ट जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे सात उपाय, जो हमें मानसिक रूप से सशक्त और खुशहाल बना सकते हैं:

1 आभार व्यक्त करें (Practice Gratitude)

आभार का अभ्यास करने से मानसिक संतुलन बना रहता है। जब हम उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनके लिए हम आभारी हैं, तो हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है। रोज़ाना दिन के अंत में कुछ मिनट निकालकर उन चीज़ों के बारे में सोचें जिनके लिए आप आभारी हैं, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हों।

2 सकारात्मक संबंध बनाए रखें (Build Positive Relationships)

स्वस्थ और सकारात्मक रिश्ते जीवन में खुश रहने का मुख्य कारण हैं। दोस्तों और परिवार के साथ अच्छे रिश्ते मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। समय-समय पर अपने प्रियजनों से संपर्क बनाए रखें, उनके साथ समय बिताएं और संवाद करें। इससे अकेलापन और तनाव कम होता है।

3 माइंडफुलनेस का अभ्यास करें (Practice Mindfulness)

माइंडफुलनेस का अर्थ है वर्तमान क्षण में पूरी तरह से उपस्थित रहना। ध्यान और सांस लेने की तकनीकें माइंडफुलनेस को बढ़ाती हैं और चिंता व तनाव को कम करती हैं। दिन में कुछ समय निकालकर ध्यान लगाएं और अपने विचारों को नियंत्रित करें। इससे मानसिक स्पष्टता और शांति मिलती है।

4 स्वास्थ्य का ध्यान रखें

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है। नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन और पर्याप्त नींद जीवन में खुशी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने से मन भी खुश और संतुलित रहता है।

5 लक्ष्य निर्धारित करें और पूरा करें (Set and Achieve Goals)

छोटे और यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करके उन्हें हासिल करना जीवन में संतोष और आत्म-सम्मान को बढ़ाता है। जब हम अपने लक्ष्यों को पूरा करते हैं, तो हमें एक संतोष और उपलब्धि की भावना होती है। ध्यान रखें कि आपके लक्ष्य व्यावहारिक और प्राप्य हों।

6 दूसरों की मदद करें (Help Others)

दूसरों की मदद करने से न केवल उन्हें लाभ होता है, बल्कि हमें भी अंदर से खुशी मिलती है। जब आप किसी की मदद करते हैं, तो आपके अंदर आत्मिक संतोष उत्पन्न होता है। छोटे-छोटे नेक काम, जैसे किसी की परेशानी सुनना या किसी ज़रूरतमंद की सहायता करना, खुशी के स्रोत बन सकते हैं।

7 नकारात्मक सोच से बचें (Avoid Negative Thinking)

नकारात्मक विचार मन को अशांत और बेचैन करते हैं। नकारात्मक सोच की जगह सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से जीवन में खुशी आती है। अपने दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचारों को चुनौती दें और सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करें।

इन सात उपायों का पालन करने से आप न केवल मानसिक रूप से मजबूत बन सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में अधिक खुशी और संतोष भी पा सकते हैं। साइकोलॉजी इस बात पर जोर देती है कि खुश रहने के लिए हमें अपने मन और शरीर दोनों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में जादू टोने के शक में महिला और बुजुर्ग की हत्या, पुलिस ने आरोपियों को किया गिरफ्तार


बैतूल: जिले के मोहदा थाना क्षेत्र में एक 35 वर्षीय महिला और मुलताई थाना क्षेत्र में 56 वर्षीय बुजुर्ग कीहत्या का मामला सामने आया है. पुलिस ने मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जादू-टोने के शक में दो लोगों की हत्या के शक पर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

मोहदा थाना प्रभारी नेपाल सिंह ठाकुर ने बताया कि 'मोहदा थाना क्षेत्र के वनग्राम बेहड़ा के जंगल में एक महिला का खून से सना शव पड़ा हुआ है. जिसकी किसी ने धारदार हथियार से हत्या कर दी है. 

सूचना मिलते ही थाना मोहदा पुलिस मौके पर पहुंची. मृतका का शव सागौन वृक्षारोपण माचना बर्रा के जंगल बेहड़ा में पड़ा मिला. थाना प्रभारी मोहदा नेपाल सिंह ठाकुर ने घटनास्थल पर पहुंचे ग्रामीणों से पूछताछ करने पर दोनों मृतकों की पहचान की. मृतका के पति की रिपोर्ट पर थाना मोहदा में अपराध क्रमांक 147/2024, धारा 103(1) बीएनएस के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू की गई.

धारदार हथियार के पाए गए घाव

प्रभारी सीन ऑफ क्राइम, निरीक्षक आबिद अंसारी, और उनकी टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका के गाल, गर्दन और सीने पर धारदार हथियार के 4-5 गहरे घाव पाए गए. वैज्ञानिक साक्ष्य संकलन के लिए विधिवत फोटोग्राफी कराई गई. विवेचना के दौरान फरियादी और आस-पास के लोगों से पूछताछ की गई.

जादू-टोना करने का था संदेह

पुलिस के मुताबिक मृतका का पूर्व में गांव के ही प्रीतम बैठेकर से विवाद हुआ था. इस संदेह के आधार पर प्रीतम बैठेकर को पुलिस अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई. संदेही प्रीतम बैठेकर उम्र 28 वर्ष ने जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि उसे शक था कि सावित्री उस पर जादू टोना करती थी. इसी शक के चलते उसने बकरी चराते समय कुल्हाड़ी से हमला कर उसकी हत्या कर दी. आरोपी से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी और खून से सने कपड़े बरामद किए गए.

जादू-टोना के संदेह में मारपीट

जिले के मुलताई थाना क्षेत्र के ग्राम मोरण्ड निवासी 4 सितंबर को अपने गांव के हाट बाजार गए थे. अस्पताल के पास पड़ोस में रहने वाले करन कवड़े ने रिंगू पर जादू-टोना की शंका और पुरानी रंजिश को लेकर गाली-गलौच करते हुए सिर पर मुक्कों से हमला किया. हमले के कारण रिंगू धुर्वे मौके पर बेहोश हो गए.

आठनेर अस्पताल लेकर गया बेटा

घटना की जानकारी मिलने पर उनके पुत्र श्यामराव धुर्वे उन्हें घर लेकर गए और बाद में आठनेर अस्पताल व जिला चिकित्सालय बैतूल में इलाज के लिए ले जाया गया. हालत गंभीर होने पर रिंगू को हमीदिया अस्पताल भोपाल रेफर किया गया. 

फरियादी श्यामराव (उम्र 30 वर्ष) की रिपोर्ट पर थाना मुलताई में अपराध दर्ज किया गया. इलाज के दौरान रिंगू की सिर में गंभीर चोटों के कारण 11 सितंबर को मौत हो गई. भोपाल से प्राप्त मर्ग डायरी और पीएम रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण में हत्या से संबंधित धारा जोड़ी गई. आरोपी करन कवडे (उम्र 24 वर्ष) को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया. जहां से उसे जेल भेजा गया।

पंजाब के अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब के बाहर एक अज्ञात श्रद्धालु ने हाई कोर्ट के जज के सुरक्षाकर्मी की पिस्तौल छीनकर खुद को मारी गोली


अमृतसर:- पंजाब के अमृतसर में हरमंदिर साहिब के पास एक अज्ञात श्रद्धालु ने सुरक्षा गार्ड की पिस्तौल छीनकर खुद को गोली मार ली. पुलिस के मुताबिक घायल श्रद्धालु को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भेजा गया है.यह घटना श्री दरबार साहिब में शनि मंदिर के बाहर हुई, जिससे आगंतुकों के बीच अफरा-तफरी और तनाव का माहौल बन गया.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज एनएस शेखावत श्री दरबार साहिब में माथा टेकने आए थे. जज के साथ अमृतसर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की एक पायलट गाड़ी तैनात थी. इस दौरान एक श्रद्धालु ने एएसआई अश्वनी कुमार की पिस्तौल छीन ली और उसने खुद को गोली मार ली।

मौके पर पहुंचे डीएसपी गगनदीप सिंह ने मीडिया को बताया कि फिलहाल घायल व्यक्ति को इलाज के लिए गुरु नानक देव अस्पताल भेज दिया गया है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि श्रद्धालु कौन था और कहां का रहने वाला है. उन्होंने कहा कि फिलहाल इस मामले में कुछ नहीं कहा जा सकता कि इस घटना के पीछे असली वजह क्या थी. हमारी टीमें जांच में लगी हुई हैं.

वहीं, सूत्रों से जानकारी मिली है कि व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई थी.गौरतलब है कि हरमंदिर साहिब के बाहर ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं.घटना ने एक बार फिर अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया है।

बेटे को आधा किमी तक घसीटा, फिर मेरे सामने काट दी गर्दन...', गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर पीड़ित ने बताई नक्सलियों की क्रूरता की कहानी


बस्तर जिले के नक्सल पीड़ितों ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर कहा कि हमारा पुराना बस्तर लौटा दीजिए, जहां शांति और खुशहाली थी। 

नक्सल हिंसा पीड़ितों का 55 सदस्यीय एक दल देश की जनता को अपनी व्यथा बताने बस्तर से दिल्ली पहुंचा है। कोई नक्सलियों के प्लांट किए आइईडी की चपेट में आने से अपना पैर, हाथ तो कोई अपनी आंखों की रोशनी खो चुका है। कुछ ग्रामीण भी हैं, जिनके परिवार वाले नक्सल हिंसा में बुरी तरह प्रभावित हुए।

नई दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब के हाल में बड़ी सी स्क्रीन पर प्रदर्शित हो रही डाक्यूमेंट्री खामोशी से देखते हुए 52 वर्षीय दयालुराम के आंसू छलक आते हैं। वे बस्तर संभाग के कांकेर जिले के कलारपारा के रहने वाले हैं। दयालु बताते हैं कि 16 जून, 2018 की देर शाम करीब 8 बजे वर्दीधारी नक्सलियों का एक दल घर पहुंचा। मेरे बड़े बेटे का कमरा बाहर से बंद कर दिया। छोटे बेटे गेंदा के गले में रस्सी बांधकर उसे घसीटते हुए बाहर ले आए।

उन्होंने मुझे भी बंधक बनाया लिया। उसके बाद दोनों को घर से आधा किलोमीटर दूर ले गए। मेरे सामने ही बेटे के गर्दन को कुल्हाड़ी से काट दिए। उसकी गर्दन लटक रही थी, जिसे मैंने हाथों से पकड़ा तो मुझे भी डंडे और पैर से मारने लगे। मुझे पत्थर मारे। मैं बेहोश हो गया, तो मुझे मरा समझकर चले गए।

पुलिस के लिए काम करने के शक में दी सजा

मुझको बेहोशी की हालत में गांव और घरवालों ने अस्पताल में भर्ती कराया। चार महीने तक इलाज चला। मैं अपने बेटे के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सका। बिना किसी प्रमाण के पुलिस के लिए मुखबिरी के संदेह में बेटे को नक्सलियों ने क्रूरता से मार डाला था।

गृहमंत्री व राष्ट्रपति को सुनाई कहानी

बस्तर शांति समिति के नेतृत्व में आया यह दल 21 सितंबर को राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू से मिला। इससे पहले 19 सितंबर की सुबह दिल्ली के जंतर-मंतर के धरना स्थल पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इसी दिन शाम को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से शासकीय निवास पर मुलाकात की। 

20 सितंबर की सुबह कंस्टीट्यूशन क्लब और शाम को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पहुंचे। दल का उद्देश्य नक्सल हिंसा से मिले दर्द की व्यथा जिम्मेदारों को बताना और बस्तर को नक्सल हिंसा से मुक्त कराने की मांग करना था।

प्रकृति का अद्भुत रहस्य,पेड़ पर सोते हुए पंछी क्यों नहीं गिरते?

प्रकृति ने पक्षियों को बहुत अद्भुत और अनोखी विशेषताएँ प्रदान की हैं। पेड़ पर सोते समय पंछियों का गिरना न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि उनके शारीरिक ढांचे का एक अद्भुत उदाहरण भी है। यहां बताया गया है कि पंछी पेड़ पर सोते समय क्यों नहीं गिरते:

1. टेंडन लॉकिंग मैकेनिज्म 

पक्षियों के पैरों में एक विशेष प्रकार की तंत्रिका प्रणाली होती है जिसे टेंडन लॉकिंग मैकेनिज्म कहा जाता है। जब पंछी एक शाखा पर बैठता है, तो उसकी टांगों के भीतर की मांसपेशियां और टेंडन (ऊतक) स्वतः ही संकुचित हो जाते हैं। इससे उसकी पंजे शाखा को मजबूती से पकड़ लेते हैं। जब तक पंछी अपनी मांसपेशियों को आराम नहीं देता, तब तक उसका यह पकड़ मजबूत रहता है।

यह सिस्टम इतना प्रभावी है कि पंछी आराम से सोते हुए भी शाखा से नहीं गिरते। यह पूरी प्रक्रिया उनके शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है, जिसके लिए उन्हें कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता।

2. शरीर का गुरुत्वाकर्षण केंद्र

पंछियों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र उनके शरीर के बीच में होता है, जिससे जब वे शाखा पर बैठते हैं, उनका वजन पंजों के माध्यम से समान रूप से संतुलित रहता है। यह संतुलन उन्हें स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे वे सोते समय भी नहीं गिरते।

3. मजबूत पंजे और लचीलापन

पंछियों के पंजे बहुत मजबूत और लचीले होते हैं, जिससे वे आसानी से शाखाओं को पकड़ सकते हैं। पंजों का यह लचीलापन उन्हें विभिन्न आकार और प्रकार की शाखाओं पर आराम से बैठने की क्षमता प्रदान करता है।

4. संतुलित नींद का चक्र

पंछियों की नींद का चक्र भी उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करता है। वे एक साथ गहरी नींद में नहीं सोते। उनका मस्तिष्क एक बार में केवल आधा भाग सोता है, जबकि दूसरा भाग सतर्क रहता है। यह सतर्कता उन्हें किसी भी संभावित खतरे से बचाती है और यह सुनिश्चित करती है कि वे सोते हुए भी संतुलन बनाए रखें।

5. प्रकृति की सुरक्षा प्रणाली

प्रकृति ने पंछियों को शिकारियों से बचाने के लिए यह क्षमता दी है। अगर वे पेड़ से गिरने लगते, तो वे आसानी से शिकार बन सकते थे। इसीलिए उनकी संरचना ऐसी है कि वे बिना गिरने के सुरक्षित रूप से सो सकें।

निष्कर्ष

पक्षियों का पेड़ पर सोते हुए नहीं गिरना उनकी अनोखी शारीरिक संरचना और तंत्रिका तंत्र की वजह से संभव हो पाता है। यह प्रकृति की अद्भुत रचना है जो पंछियों को सुरक्षित, संतुलित और आरामदायक नींद लेने की अनुमति देती है।

आज का इतिहास:आज ही के दिन सयुंक्त राष्ट्र की पहल पर भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में हुआ था युद्ध विराम


नयी दिल्ली : 22 सितंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1988 में 22 सितंबर को ही नेशनल ज्‍योग्राफिक मैगजीन का प्रकाशन आज ही के दिन शुरू हुआ था। 

1965 में आज ही के दिन भारत और पाकिस्तान के बीच की लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्ध विराम हुआ था। 

2007 में आज ही के दिन नासा के एअर क्राफ़्ट ने मंगल ग्रह पर गुफाओं जैसी 7 आकृतियों का पता लगाया था।

2008 में आज ही के दिन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अमेरिका और फ्रांस की 10 दिवसीय यात्रा पर गए थे।

2007 में 22 सितंबर को ही नासा के एअर क्राफ्ट ने मंगल ग्रह पर गुफाओं जैसी 7 आकृतियों का पता लगाया था।

2007 में आज ही के दिन ईरान ने 1800 किमी की मारक क्षमता वाली मिसाइल धद्र का प्रदर्शन किया था।

2002 में 22 सितंबर को ही फ्रांस ने आइवरी कोस्ट में अपनी सेना भेजी थी।

1988 में आज ही के दिन नेशनल ज्‍योग्राफिक मैगजीन का प्रकाशन आज ही के दिन वर्ष शुरू हुआ था।

1988 में 22 सितंबर के दिन ही कनाडा की सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान और कनाडा के नागरिकों की नजरबंदी के लिए माफी मांगी और मुआवजा देने का भी वादा किया था।

1980 में आज ही के दिन ईरान और इराक के बीच जारी सीमा संघर्ष युद्ध के रूप में परिवर्तित हुआ था।

1977 में 22 सितंबर के दिन ही अमेरिकी फुटबॉल टीम पेले के नेतृत्व में दो प्रदर्शनी मैच खेलने कलकत्ता (अब कोलकाता) पहुंची थी।

1966 में आज ही के दिन अमेरिकी यान ‘सर्वेयर 2’ चंद्रमा की सतह से टकराया था।

1965 में 22 सितंबर को ही भारत पाकिस्तान के बीच की लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्ध विराम हुआ था।

1949 में आज ही के दिन सोवियत संघ ने पहला न्यूक्लियर टेस्ट सफलतापूर्वक किया था।

1914 में 22 सितंबर को ही मद्रास बंदरगाह पर जर्मन युद्धपोत इम्देन ने बमबारी की थी।

1903 में आज ही के दिन अमेरिकी नागरिक इटालो मार्चिओनी को आइसक्रीम कोन के लिए एक पेटेंट दिया गया था।

1792 में 22 सितंबर को ही फ्रांस गणराज्य की स्थापना की घोषणा हुई थी।

22 सितंबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1922 में आज ही के दिन चीनी भौतिकविद, नोबेल पुरस्कार विजेता चेन निंग यांग का जन्म हुआ था।

1869 में 22 सितंबर के दिन ही भारत के समाज सुधारक वीएस श्रीनिवास शास्त्री का जन्म हुआ था।

22 सितंबर को हुए निधन

1791 में 22 सितंबर को ही भौतिक विज्ञानी और रसासनशास्‍त्री माइकल फैराडे का निधन हुआ था।

1979 में आज ही के दिन जमियत ए इस्लाम के संस्थापक मौलाना अब्दुल अली मौदूदी का निधन हुआ था।

1991 में 22 सितंबर को ही हिंदी व मराठी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री दुर्गा खोटे का निधन हुआ था।

2011 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और पटौदी के नवाब मंसूर अली खान पटौदी का निधन हुआ था।

22 सितंबर पर उत्सव

विश्व गुलाब दिवस।

भारत के इन 5 मंदिरों में मिलता मांसाहारी प्रसाद,कही मटन तो कही चिकन मछली मिलता हैं प्रसाद


नयी दिल्ली : एक तरफ जहां हिंदू धर्म में मांस और शराब को अपवित्र माना जाता है. दूसरी ओर, कुछ हिंदू मंदिरों में यही मांस और शराब प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है।

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां प्रसाद के रूप में मटन, चिकन और मछली बांटी जाती है, जिसके बारे में आज हम बात करेंगे.

कालीघाट मंदिर पश्चिम बंगाल

कालीघाट मंदिर कोलकाता में स्थित है. इस मंदिर में भक्तों द्वारा देवी काली को प्रसाद के रूप में बकरे चढ़ाए जाते हैं. बकरे की बलि देने के बाद उसका मांस भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. मान्यता है कि बकरे का प्रसाद खाने से भक्तों पर मां काली की कृपा बनी रहती है.

 कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर

कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. हर साल यहां हजारों भक्त देवी मां के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1854 में रानी रासमणि ने करवाया था. कुछ लोग कहते हैं कि एक समय स्वामी रामकृष्ण दक्षिणेश्वर काली मंदिर के मुख्य पुजारी हुआ करते थे. इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में मछली दी जाती है.

कामाख्या देवी मंदिर असम

कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किमी दूर कामाख्या में है. इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि यहां माता सती की योनि गिरी थी. यह मंदिर दुनिया भर में तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां भक्तों द्वारा देवी को मांस और मछली का भोग लगाया जाता है. 

भक्तों का मानना है कि मांस और मछली चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में कुछ भक्तों के बीच वितरित किया जाता है.

तमिलनाडु मुनियांदी स्वामी मंदिर

मुनियांदी स्वामी मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में स्थित है. यह मंदिर भगवान मुनियांदी को समर्पित है. सबसे खास बात यह है कि इस वार्षिक मेले में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं और यह प्रसाद सभी भक्तों को मंदिर ट्रस्ट की ओर से दिया जाता है।

पुजारियों का मानना है कि ऐसा करने से मुनियांदी देवता साल भर अपने भक्तों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं. यहां हर साल तीन दिवसीय वार्षिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बिरयानी और चिकन दिया जाता है.

गोरखपुर तरकुलहा देवी मंदिर

गोरखपुर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है. ऐसा कहा जाता है कि यह एरिया पहले घना जंगल हुआ करता था. उस समय राजा बाबू बंधू सिंह ताड़ के पेड़ के नीचे देवी की पिंडी रखकर उनकी पूजा करते थे. जब भी वह किसी अंग्रेज को मंदिर के आसपास देखता तो अपना सिर काटकर देवी के चरणों में चढ़ा देता था. लेकिन देश की आजादी के बाद देवी को बकरे की बलि दी जाने लगी. तभी से इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में मटन दिया जाता हैं।