11 इंच के डिस्प्ले और 8300mAh बैटरी के साथ आया नया Honor Pad X8a टैबलेट
डेस्क:– भारतीय मार्केट में स्मार्टफोन्स के साथ ही दमदार टैबलेट की भी काफी डिमांड रहती है। इसी कड़ी में हॉनर (Honor) ने बाजार में अपना एक नया टैबलेट लॉन्च कर दिया है। दरअसल, हॉनर पैड एक्स8ए को कंपनी ने लॉन्च किया है। इस पैड में कंपनी ने 4GB रैम के साथ ही 8300mAh की दमदार बैटरी प्रदान कराई है जो टैबलेट को लंबे समय तक चार्ज रखने में सक्षम है। वहीं इसमें 11 इंच का विशाल डिस्प्ले दिया गया है जो यूजर्स के बेहतरीन एक्सपीरिएंस प्रदान करेगा।

अब इस टैबलेट के स्पेक्स के बारे में बताएं तो HONOR Pad X8a में 11 इंच का FHD TFT एलसीडी डिस्‍प्‍ले उपलब्ध कराया गया है। ये डिस्प्ले 90 हर्त्‍ज तक रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करता है। साथ ही इसमें 400 निट्स का पीक ब्राइटनेस सपोर्ट भी मिलता है। कंपनी के अनुसार, डिस्‍प्‍ले को लो ब्‍लू लाइट सर्टिफिकेशन मिला है। इसका मतलब है कि टैबलेट का डिस्प्ले आंखों को कम नुकसान पहुंचाएगा।

इसके साथ ही डिवाइस को क्‍वालकॉम स्‍नैपड्रैनग 680 प्रोसेसर के साथ उतारा गया है। वहीं ग्राफिक्स के लिए इसमें एड्रिनो 610 जीपीयू दिया गया है। ये डिवाइस 4GB रैम के साथ आता है और इसमें 4GB तक वर्चुअल एक्‍सटेंड रैम भी दिया गया है। डिवाइस की स्टोरेज 128GB की है. वहीं इसमें एसडी कार्ड का स्लॉट दिया गया है जिसकी मदद से डिवाइस की स्टोरेज को 1 टीबी तक बढ़ाया जा सकता है।

HONOR Pad X8a लेटेस्‍ट एंड्रॉयड 14 ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करता है। डिवाइस में 5MP का प्राइमरी कैमरा दिया हुआ है। वहीं वीडियो कॉल के लिए इसमें 5MP का फ्रंट कैमरा प्रदान कराया है। पावर के लिए इसमें 8300mAh की तगड़ी बैटरी दी गई है। इसे यूएसबी टाइप-सी पोर्ट की मदद से फुल चार्ज किया जा सकता है. इस टैबलेट का वजन 495 ग्राम है।


Honor Pad X8a की कीमत कंपनी ने 12,999 रुपये रखी है। वहीं इसे कंपनी ने स्‍पेस ग्रे कलर में लॉन्च किया है। इस डिवाइस को ई-कॉमर्स साइट अमेजन (Amazon) से खरीदा जा सकता है। इसके अलावा इस डिवाइस को खरीदने पर कंपनी Honor Flip कवर फ्री में दे रही है।
अगर आप भी करते हैं जितिया का व्रत तो व्रत के समय सुनें ये कथा, संतान सुखी रहेगी
डेस्क :– अपने बेटे की सलामती के लिए मां निर्जला व्रत रखती है जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत की काफी मान्यता है और ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन सच्चे मन से भगवान की पूजा की जाए तो बच्चों को लंबी उम्र के साथ बेहतर स्वास्थ्य मिलता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से और कथा पढ़ने से कई लाभ मिलते हैं।बता रहे हैं कि जितिया व्रत की पूजा विधि क्या है और इस दिन कौन सी कथा पढ़ने से भक्तों को फल मिलेगा।

*जितिया व्रत की तारीख*

हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया लगता है. इस बार ये दो दिन मनाया जा रहा है। 2024 में 24 सितंबर को 12 बजकर 36 मिनट से जितिया व्रत शुरू हो रहा है जो 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा। शुभ मुहूर्त की बात करें तो 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है। 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी। इसके बाद ओठगन होगा और फिर निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाएगी।

*जितिया व्रत कथा*

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नैमिषारण्य के निवासी ऋषियों ने संसार के कल्याण के लिए सूतजी से पूछा कि भविष्य काल में लोगों के बालक किस तरह दीर्घायु होंगे। सूतजी ने कहा- जब द्वापर का अन्त और कलियुग का आरंभ था, उसी समय बहुत-सी फिक्रमंद महिलाओं ने आपस में सलाह की थी कि क्या इस कलियुग में माता के जीवित रहते पुत्र मर जाएंगे? जब वे आपस में कुछ निर्णय नहीं कर पाईं तो गौतमजी के पास गईं। जब उनके पास पहुंचीं, तो उस समय गौतमजी आनन्द के साथ बैठे थे। उनके सामने जाकर उन्होंने मस्तक झुकाकर नमस्कार किया।महिलाओं ने पूछा कि हे प्रभु, इस कलयुग में लोगों के पुत्र जीवित रहें, किसी आपता का शिकार ना हों, ऐसा कोई उपाय है क्या? इसके लिए कोई व्रत हो या कोई तपस्या हो तो राह दिखाएं।

अपने बेटे की सलामती के लिए मां निर्जला व्रत रखती है जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत की काफी मान्यता है और ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन सच्चे मन से भगवान की पूजा की जाए तो बच्चों को लंबी उम्र के साथ बेहतर स्वास्थ्य मिलता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से और कथा पढ़ने से कई लाभ मिलते हैं. बता रहे हैं कि जितिया व्रत की पूजा विधि क्या है और इस दिन कौन सी कथा पढ़ने से भक्तों को फल मिलेगा.

*जितिया व्रत की तारीख*

हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया लगता है. इस बार ये दो दिन मनाया जा रहा है. 2024 में 24 सितंबर को 12 बजकर 36 मिनट से जितिया व्रत शुरू हो रहा है जो 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा. शुभ मुहूर्त की बात करें तो 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है. 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी. इसके बाद ओठगन होगा और फिर निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाएगी।

*जितिया व्रत कथा*

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नैमिषारण्य के निवासी ऋषियों ने संसार के कल्याण के लिए सूतजी से पूछा कि भविष्य काल में लोगों के बालक किस तरह दीर्घायु होंगे। सूतजी ने कहा- जब द्वापर का अन्त और कलियुग का आरंभ था, उसी समय बहुत-सी फिक्रमंद महिलाओं ने आपस में सलाह की थी कि क्या इस कलियुग में माता के जीवित रहते पुत्र मर जाएंगे? जब वे आपस में कुछ निर्णय नहीं कर पाईं तो गौतमजी के पास गईं. जब उनके पास पहुंचीं, तो उस समय गौतमजी आनन्द के साथ बैठे थे। उनके सामने जाकर उन्होंने मस्तक झुकाकर नमस्कार किया। महिलाओं ने पूछा कि हे प्रभु, इस कलयुग में लोगों के पुत्र जीवित रहें, किसी आपता का शिकार ना हों, ऐसा कोई उपाय है क्या? इसके लिए कोई व्रत हो या कोई तपस्या हो तो राह दिखाएं.

महिलाओं की बात सुनकर गौतमजी बोले- आप सभी को मैं वो बात बताने जा रहा हूं जो मैंने कभी सुनी थी। जब महाभारत युद्ध का अन्त हो गया और द्रोणपुत्र अश्वत्थामा द्वारा अपने बेटों को मरा देखकर सब पाण्डव बड़े दुःखी हुए, तो पुत्र के शोक से व्याकुल होकर द्रौपदी अपनी सखियों के साथ ब्राह्मण-श्रेष्ठ धौम्य के पास गईं और कहा-‘हे विप्रेन्द्र। कौन-सा उपाय करने से बच्चे दीर्घायु हो सकते हैं, कृपया बताएं। धौम्य बोले- सत्ययुग में सत्यवचन बोलने वाला, श्रेष्ठ आचरण वाला, समदर्शी जीमूतवाहन नामक एक राजा हुआ करता था।

*राजा जीमूतवाहन का किस्सा*

एक दफा हालात कुछ ऐसे हुए कि वह अपनी पत्नी के साथ अपने ससुराल गया और वहीं रहने लगा। एक दिन आधी रात के समय पुत्र के शोक से व्याकुल कोई स्त्री रोने लगी, क्योंकि वह अपने बेटे को खोकर निराश थी। वह रोती हुई कहती थी-‘हाय, मुझ बूढ़ी माता के सामने मेरा बेटा मरा जा रहा है।’ उसका रोना सुनकर राजा जीमूतवाहन का निर्मल हृदय मायूस हो गया।

वह उस महिला के पास गए और पूछा- तुम्हारा बेटा कैसे मरा है? बूढ़ी माता ने कहा- गरुड़ प्रतिदिन आकर गांव के लड़कों को खा जाता है। इस पर दयालु राजा ने कहा- माता! अब तू रो मत। आनन्द से बैठो. मैं तुम्हारे बच्चे को बचाने का प्रयास करता हूं। ऐसा कहकर राजा उस स्थान पर गया, जहां गरुड़ रोज आता था और मांस का सेवन करता था। उसी समय गरुड़ भी उस पर टूट पड़ा और मांस खाने लगा। जब अतिशय तेजस्वी गरुड़ ने राजा का बायाँ अंग खा लिया तो झटपट राजा ने अपना दाहिना अंग फेरकर गरुड़ के सामने कर दिया।

यह देखकर गरुड़जी ने कहा- कौन हो तुम? क्या तुम कोई देवता हो? तुम मनुष्य तो नहीं लगते. अच्छा, अपना जन्म और कुल बताओ। पीड़ा से तड़पते राजा ने कहा- हे पक्षिराज. इस तरह के प्रश्न करना व्यर्थ है, तुम अपनी इच्छाभर मेरा मांस खाओ’। यह सुनकर गरुड़ रुक गए और बड़े आदर से राजा के जन्म और कुल की बात पूछने लगे।

राजा ने कहा- मेरी माता का नाम है शैव्या और मेरे पिता का नाम शालिवाहन है। सूर्यवंश में मेरा जन्म हुआ है और जीमूतवाहन मेरा नाम है’। राजा की दयालुता देखकर गरुड़ ने कहा- हे देवपुरुष, तुम्हारे मन में जो अभिलाषा हो वह वर मांगो। राजा ने कहा- हे पक्षिराज। यदि आप मुझे वर दे रहे हैं तो वर दीजिए कि आपने अब तक जिन प्राणियों को खाया है वे सब जीवित हो जाएं। हे स्वामिन्! अबसे आप यहां बालकों को ना खायें और कोई ऐसा उपाय करें कि जहां जो उत्पन्न हों वे लोग बहुत दिनों तक जीवित रहें। धौम्य ने कहा, पक्षीराज गरुड़ राजा को वरदान देकर स्वयं अमृत के लिए नागलोक चले। वहां से अमृत लाकर उन्होंने उन मरे मनुष्यों की हड्डियों पर बरसाया। ऐसा करने से सब लोग जीवित हो गए, जिनको पहले गरुड़ ने खाया था। इस कथा का पाठ करने से और निर्जला व्रत रखने से संतान की सेहत बढ़िया होती है और आयु में वृद्धि होती है।
यूपी के बागपत में जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंदिर,इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं

डेस्क :– यूपी के बागपत में जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंदिर है। यहां स्थित दिगंबर जैन बड़ा मंदिर 650 साल का इतिहास खुद में समेटे हुए है। दीवारों और छतों पर की गई स्वर्णकार नक्काशी इतनी बेजोड़ है कि जिसका कोई दूसरे सा नहीं है। इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं। भारत में अलग-अलग धर्म और सभ्यताओं के लोग प्यार से रहते हैं। यहां अलग अलग धर्म के कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो अपनी मान्यताओं के लिए मशहूर हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बार में बताने जा रहे हैं जो खुद में इतिहास समेटे हुए है। वहीं यहां भक्त अपनी मुराद पूरी करने आते हैं। आज हम आपको बागपत के बड़ौत में दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के बारे में बताएंगे जो 650 साल का इतिहास खुद में समेटे हुए है। मंदिर में दीवारों और छतों पर की गई स्वर्णकार नक्काशी इतनी बेजोड़ है कि जिसका कोई दूसरे सानी नहीं है। इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं। पहली वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। दूसरी वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। इसी प्रतिमा के बराबर में चौथी वेदी पर भगवान नेमिनाथ विराजमान हैं। अगर यदि इस नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा की बात करें तो यह देश भर में मिलने वाली भगवान नेमिनाथ की प्रतिमाओं में सबसे दुर्लभ प्रतिमाएं मानी जाती है। यह प्रतिमा श्याम वर्ण में है। चौथी वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की अति दुर्लभ प्रतिमा विराजमान है यह प्रतिमा बड़ौत में ही खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। इसके पास में रखी दूसरी प्रतिमाएं पन्ना धातु से बनी हुई हैं। पांचवी वेदी पर अरहनाथ भगवान की खड्ग आसन में प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा में भगवान मुस्कुराते हुए प्रतीत होते हैं। छठी वेदी पर चंद्रप्रभु भगवान की मूल प्रतिमा विराजमान हैं। इस अतिशयकारी प्रतिमा के चारों ओर स्वर्ण नक्काशी की गई है। साथ ही चंद्रगुप्त के 16 स्वपन्नों को भी चित्रों के माध्यम से बड़े सुंदर ढंग से दिखाया गया है। सातवीं वेदी पर भी भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के प्रथम तल में हजारों वर्ष प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ मौजूद हैं, जोकि बेहद दुर्लभ हैं। इन सभी दुर्लभ ग्रंथों का संग्रह मंदिर में किया गया है। इस मंदिर में हर वर्ष दशलक्षण पर्व पर 13 दीप महामंडल विधान का आयोजन होता है, जिसके बाद यहां से भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इसे देखने के लिए और पूजा-अर्चना करने के लिए देशभर से श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां पर लगता है। बागपत जनपद के यदि प्राचीन जैन मंदिरों की बात करें तो उन्हें बड़ौत स्थित दिगंबर जैन बड़ा मंदिर का नाम सबसे अग्रणी श्रेणी में आता है। दिगंबर जैन बड़ा मंदिर लगभग 650 साल पुराना है। इस मंदिर की प्राचीनता और यहां विराजमान अतिशयकारी मूर्तियों के कारण यहां पर श्रद्धालुओं के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
एलोवेरा एक अद्भुत औषधीय पौधा है, इसमें 75 से अधिक सक्रिय तत्व पाए जाते हैं , चेहरे के लिए बहुत लाभकारी
डेस्क :– एलोवेरा एक अद्भुत औषधीय पौधा है, जो विशेष रूप से गर्म जलवायु में तेजी से उगता है। इसमें 75 से अधिक सक्रिय तत्व होते हैं, जिनमें एंजाइम, अमीनो एसिड, विटामिन और खनिज शामिल हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर ऐजल पटेल के अनुसार, एलोवेरा त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में बेहद प्रभावी है।

एलोवेरा का ताजा जेल जले या कटे घावों पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है और त्वचा की मरम्मत प्रक्रिया तेजी से होती है। इसके तत्व न केवल जलन को कम करते हैं बल्कि संक्रमण को भी रोकते हैं, जिससे घाव जल्दी भरता है। एलोवेरा त्वचा की सूजन और दर्द को भी कम करने में सहायक है।

एलोवेरा का ताजा जेल फोड़े-फुंसियों के उपचार में भी बेहद उपयोगी होता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की जलन और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। रोजाना सुबह एलोवेरा जेल चेहरे पर लगाने से त्वचा पर निखार आता है और दाग-धब्बों से छुटकारा मिलता है, जिससे चेहरा साफ और चमकदार दिखता है।

*एलोवेरा का उपयोग कैसे करें?*

एलोवेरा के पौधे से एक पत्ती तोड़कर उसे धो लें। ध्यान रखें कि इसे तभी तोड़ें जब इसका उपयोग करना हो। फ्रेश एलोवेरा जेल को फोड़े-फुंसी, घाव, या जले-कटे स्थान पर लगाने से तेजी से राहत मिलती है।

एलोवेरा न केवल घावों और जलन के इलाज में बल्कि त्वचा की अन्य समस्याओं, जैसे फोड़े-फुंसी, के उपचार में भी अत्यधिक प्रभावी है। इसे प्राकृतिक औषधि के रूप में नियमित उपयोग से त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनी रहती है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
कानपुर टेस्‍ट से पहले बांग्‍लादेश को लगा बड़ा झटका,दिग्गज ऑल राउंडर हो सकता है बाहर


डेस्क :– भारत के खिलाफ चेन्नई टेस्ट मैच में हार के बाद बांग्लादेश की टीम अगला मैच कानपुर में खेलने वाली है। कानपुर टेस्ट मैच में बांग्लादेश के लिए एक जीत काफी जरूरी रहेगी। हार का सामना करने पर सीरीज हाथ से चली जाएगी। ड्रॉ होने पर भी सीरीज में हार होगी।

अब एक नई समस्या भी देखने को मिली है। बांग्लादेश की टीम से एक बड़ा खिलाड़ी बाहर हो सकता है। इस मैच में बांग्लादेश को अपनी प्लेइंग इलेवन में परिवर्तन करना पड़ सकता है। ऐसा होता है, तो टीम के लिए एक बड़ा झटका माना जा सकता है।

ऊँगली में चोट के कारण दिग्गज ऑल राउंडर शाकिब अल हसन के खेलने पर संशय बना हुआ है। शाकिब इस मैच में खेलेंगे या नहीं, इस पर फ़िलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड की तरफ से यह जानकारी आई है कि उनका असेसमेंट किया जाना है।

बीसीबी सलेक्शन पैनल के हनन सरकार ने कहा कि मंगलवार को हम कानपुर पहुंचेंगे और इसके बाद दो सेशन होंगे। इस समय हम कोई फैसला नहीं लेना चाहते, कानपुर में शाकिब की उपलब्धता को लेकर स्थिति देखी जाएगी। शाकिब को टीम के फिजियो मोनिटर कर रहे हैं। इसके बाद हम फिजियो से फीडबैक लेंगे।

शाकिब की ऊँगली की चोट की समस्या को नजमुल शान्तो ने नजरअंदाज कर दिया और कहा कि अन्य गेंदबाज अच्छा कर रहे थे इसलिए हमने शाकिब का ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया। इसका मतलब यह है कि शुरुआती टेस्ट मैच से पहले शाकिब अल हसन को कोई परेशानी नहीं थी। ऊँगली में चोट बाद में आई है।

गौरतलब है कि शाकिब अल हसन गेंदबाजी के दौरान लय में नजर नहीं आ रहे थे। उनकी गेंदों को भारतीय बल्लेबाजों ने आसानी से सीमा रेखा से बाहर भेजने में सफलता प्राप्त की। शाकिब बैटिंग में भी अपनी टीम के लिए कुछ खास नहीं कर पाए थे।
ईद मिलादुन्नबी के मौके पर एक ज़लसे का प्रोग्राम किया गया
जिला संभल के ग्राम खग्गुपुरा में ईद मिलादुन्नबी के मौके पर एक ज़लसे का प्रोग्राम किया गया जिसमे औलादे नबी स. हजरत सैय्यद सरफराज़ मियां व सैय्यद गुलफराज मियां मुरादाबाद से तशरीफ़ लाये व जिला संभल से क़ारी राशिद साहब व क़ारी मोअज्जम साहब व क़ारी दानिश साहब तशरीफ़ लाये सायरे इस्लाम हज़रत अय्यूब रजा साहब मवई डोल से तशरीफ़ लाये ये जलसा 17 रविउल अव्वल 21 सितम्बर 2024 को मनाया गया सभी औलामाओ ने क़ुरान ओ हदीस की रौशनी में नबी पाक स. की शान बयान की और आप की पैदाइश पर भी रौशनी डाली इस ज़लसे को गांव की अरकाने कमेटी खग्गुपुरा ने सजाया आदि।

सुबह खाली पेट चबाएं इस पौधे की पांच पत्तियां,  आसपास नहीं भटकेंगी बीमारियां

डेस्क:– करी पत्ता दक्षिण भारतीय व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्वाद और सुगंध के साथ-साथ औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसकी पत्तियां न केवल भोजन में स्वादिष्ट और खुशबूदार होती हैं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं। करी पत्ता में मौजूद औषधीय गुणों के कारण इसे अब विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल किया जाने लगा है। खासकर, खाली पेट इसका सेवन करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।

करी पत्ते में विटामिन बी, विटामिन सी, प्रोटीन, और कई एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। इसका नियमित सेवन बालों की समस्याओं को दूर करता है और स्कैल्प को स्वस्थ रखता है. इसमें मौजूद अमीनो एसिड बालों में चमक लाते हैं और बालों के झड़ने की समस्या को कम करते हैं।

*आंखों और वजन के लिए फायदेमंद*
करी पत्ते में विटामिन ए भी होता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक है। यह दूर की दृष्टि को बेहतर बनाने में मदद करता है। जिन लोगों की आंखों की रोशनी कम हो रही है, उन्हें भोजन के बाद करी पत्ते का सेवन करना चाहिए।

करी पत्ते में एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं, जो मोटापे से लड़ने में मदद करते हैं। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है, जिससे वजन को संतुलित रखने में मदद मिलती है।

करी पत्ते का सेवन कैसे करें?
सुबह खाली पेट 5-6 करी पत्तियां चबाने के बाद हल्का गर्म पानी पीना फायदेमंद होता है। आप इसे शहद के साथ भी ले सकते हैं या फिर भोजन में इसका उपयोग कर सकते हैं। करी पत्ता खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ ही सेहत को भी संवारने में मदद करता है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
इंस्टाग्राम ने 18 साल से कम उम्र के यूजर्स के  अकाउंट्स की बढ़ाई सुरक्षा

डेस्क:– इंस्टाग्राम ने 18 साल से कम उम्र के यूजर्स के लिए नई प्राइवेसी और सुरक्षा सुविधाओं की घोषणा की है, जिसमें अकाउंट्स को 'टीन अकाउंट्स' में बदलने की प्रक्रिया शामिल है। अब से सभी किशोर यूजर्स के अकाउंट डिफॉल्ट रूप से प्राइवेट होंगे, जिससे केवल उन्हीं लोगों को संपर्क करने की अनुमति होगी जिन्हें यूजर फॉलो करता है और परमिशन देता है। Meta की यह पहल किशोरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए की गई है, खासकर उन चिंताओं के बीच जो सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को लेकर बढ़ी हैं।

नए नियमों के तहत, 16 साल से कम उम्र के यूजर्स केवल अपने माता-पिता की अनुमति से अपने अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स में बदलाव कर सकेंगे। इंस्टाग्राम ने एक नया मॉनिटरिंग टूल भी पेश किया है, जिससे माता-पिता अपने बच्चों के अकाउंट पर नज़र रख सकेंगे। इस टूल की मदद से वे देख सकेंगे कि उनके बच्चे कितनी देर तक इंस्टाग्राम का उपयोग कर रहे हैं और किससे बातचीत कर रहे हैं। यह कदम माता-पिता को अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों को बेहतर तरीके से समझने और नियंत्रित करने में मदद करेगा।

*सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंताएं*

मेटा की यह घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है। पहले से ही Meta, TikTok और YouTube के खिलाफ सैकड़ों मुकदमें दायर किए गए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ये प्लेटफार्म बच्चे और किशोरों की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। पिछले साल, अमेरिका के 33 राज्यों ने मेटा पर अपने प्लेटफॉर्म के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया था।

*जानें, क्या है The Kids Online Safety Act ?*

इस साल जुलाई में, अमेरिकी सीनेट ने दो महत्वपूर्ण ऑनलाइन सुरक्षा विधेयकों को आगे बढ़ाया, जिनमें The Kids Online Safety Act और The Children and Teens' Online Privacy Protection Act शामिल हैं। ये विधेयक सोशल मीडिया कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करेंगे कि उनके प्लेटफार्मों का बच्चों और किशोरों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

*18 साल से कम उम्र के इंस्टाग्राम यूजर्स के लिए उपयोग सीमाएँ*

नई सुरक्षा सुविधाओं के तहत, 18 साल से कम उम्र के इंस्टाग्राम यूजर्स को प्रतिदिन 60 मिनट के उपयोग के बाद एप बंद करने की सूचना दी जाएगी। इसके अलावा, डिफॉल्ट स्लीप मोड सक्रिय होगा, जो रात के समय एप को बंद कर देगा। ये सभी उपाय किशोरों के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

बता दें कि इंस्टाग्राम की यह नई पहल न केवल यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाएगी, बल्कि माता-पिता को भी उनके बच्चों के डिजिटल अनुभव को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने का अवसर प्रदान करेगी। यह कदम सामाजिक मीडिया पर बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति एक सकारात्मक दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है।
तिरुपति मंदिर को मिला घी का नया वेंडर, हर रोज बनेगा 7-8 लाख लड्डू का प्रसाद
डेस्क :– आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बनने वाले लड्डू प्रसादम को लेकर काफी विवाद हो रहा है। जिस तरह से मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पूर्व की सरकार के कार्यकाल में यहां बनने वाले लड्डू में एनिमल फैट पाया गया, उसके बाद इसको लेकर काफी हंगामा हो रहा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब यहां एक बार फिर से बेहतर गुणवत्ता के लड्डू बनने जा रहे हैं।

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम जोकि मंदिर के प्रबंधन को देखता है, उसने जानकारी दी है कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन हमारे साथ नए वेंडर के तौर पर जुड़ा है, जोकि यहां घी की सप्लाई करेगा। टीटीडी ने आश्वासन दिया है कि यहां तत्काल प्रभाव से असल गुणवत्ता वाले लड्डू का उत्पादन शुरू होगा।

टीटीडी के एग्जेक्युटिव ऑफिसर जे श्यामला राव ने कहा कि अब यहां लड्डुओं की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा, ना ही घी की गुणवत्ता से कोई समझौता किया जाएगा हालांकि टीटीडी ने शनिवार को मंदिर में अस्थायी प्रभाव से प्रसाद बनाने में घी और दूध से बने उत्पाद का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी।

आगामी 4 से 12 अक्टूबर तक मंदिर में होने वाले ब्रह्मोत्सवम उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। ऐसे में टीटीडी यह सुनिश्चित कर रहा है कि लड्डू बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले घी पर्याप्त मात्रा में यहां उपलब्ध हों।

तकरीबन 7-8 लाख श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं। यह भव्य आयोजन पवित्र प्रसाद के बड़े भंडार को बनाए रखने के महत्व को दर्शाता है।

मंदिर की रसोई जिसे 'पोटू' कहते हैं, उसकी देखरेख रखने वाले मुनि रत्नम ने बताया कि हम उत्सव के दौरान मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिदिन 8-9 लाख लड्डू बनाएंगे।

मंदिर में ब्रह्मोत्सव के दौरान आने वाले तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या के लिए तैयारी की जा रही है। खास तौर पर 8 अक्टूबर को गरुड़ सेवा के दिन यहां भक्तों की काफी भीड़ आती है । इस दौरान लोगों को कोई दिक्कत ना हो इसके लिए ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गई है।
उत्तर प्रदेश के बागपत में एक मंदिर ऐसा भी है जो 1100 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां पर दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
डेस्क :– भगवान शिव का ये मंदिर 1100 साल पुराना है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है और भोलेनाथ की आराधना की जाती है। इस मंदिर के स्थापना से जुड़ी भी मान्यताएं हैं और इसे देश भर में भगवान शिव के चमत्कारी मंदिरों में से एक माना जाता है।

सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनकी कृपा बरसती है और इंसान का जीवन आनंदमय हो जाता है। लोग सोमवार को व्रत भी रखते हैं और भोलेनाथ की प्रार्थना करते हैं। शिवजी के कई सारे प्रसिद्ध मंदिर हैं। कुछ मंदिर तो बहुत पुराने भी हैं। उत्तर प्रदेश के बागपत में एक मंदिर ऐसा भी है जो 1100 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर की स्थापना से जुड़ी भी रोचक मान्यता है।

बागपत के पास स्थित पाबला गांव में ये मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना के बाद ही इस गांव में बसाहट शुरू हुई।कहा जाता है कि पहले इस जगह पर सिर्फ जंगल-झाड़ियां थीं और ज्यादा लोग नहीं रहते थे। लोगों ने देखा कि उन झाड़ियों में एक गाय आती है और एक तय स्थान पर आकर खड़ी हो जाती है। उसे खड़े होते ही उसमें से दूध निकलने लगता था। जब लोगों की नजर पड़ी और पास जाकर देखा तो वहां पर धरती से एक पत्थर निकला हुआ था। तमाम कोशिशों के बाद भी उस पत्थर को नहीं हटाया जा सका।

इसके बाद ही अन्य गांव के लोगों ने मिलकर इस स्थान पर भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया। साधु-संत, महात्मा और नामी-गिरामी लोगों ने मिलकर इस मंदिर को बनवाया।1150 साल होने के बाद भी इस मंदिर में हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ होती है और दर्शन मात्र से लोगों की मन मांगी मुरादें पूरी हो जाती हैं।बागपत का पाबला गांव इस मंदिर की वजह से मशहूर है । सोमवार का दिन शिव जी का दिन होता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से भी फल प्राप्ति होती है. इस दिन नहा-धोकर शिव जी की पूजा करने से फायदा होता है। इस दिन सफेद रंग की वस्तुओं का दान करना भी काफी शुभ माना जाता है। इससे मां लक्ष्मी की कृपा भक्तों पर बरसती है और जीवन में खुशहाली आती है।