सेहत को रखना चाहते है दुरुस्त तो अपने किचन से आज ही बाहर करें ये 5 कुकिंग ऑयल

नयी दिल्ली : टेस्‍ट हो या फिर न्‍यूट्र‍िशन, कुकिंग ऑयल हमारे खाने की बेहद अहम जरूरत होते हैं. लेकिन क्‍या ये 5 तेल आपकी भी रसोई में जगह बनाए हुए हैं? अगर हां, तो इन्‍हें आज ही अपनी किच‍िन से बाहर करें.

जानें भारतीय कुकिंग में इस्‍तेमाल होने वाले 5 सबसे वाहियात तेल 

शाही पनीर बनाना हो, बैगन की सब्‍जी या फिर कढ़ी… कोई भी सब्‍जी या करी बनाने के लिए आपको सबसे पहले क्‍या चाहिए…? 2 चम्‍मच तेल. भारतीय खाना हो या फिर व‍िदेशी, कुकिंग में तेल का इस्‍तेमाल सद‍ियों से होता आ रहा है. 

हालांकि ये बात अलग है कि जब भी आप डाइट पर जाने की तैयारी करते हैं, सबसे पहले अपने खाने से ऑयल को ही बाहर करते हैं. स्‍वाद लेकर पोषण तक, कुकिंग ऑयल आपको सबकुछ देते हैं. लेकिन आप अपनी कुंकिंग में कोई ऐसा तेल को इस्‍तेमाल नहीं कर रहे जो आपको पोषण के बजाए कॉलेस्‍ट्रॉल, हार्ट की बीमार‍ियां दे रहा हो? 

कुछ तेल ऐसे हैं, जो आपके भोजन की न्‍यूट्र‍िशस वेल्‍यू डबल कर देते हैं, तो वहीं एक तरफ कुछ तेल आपके खाने को बर्बाद कर देते हैं.जानें भारतीय कुकिंग में इस्‍तेमाल होने वाले 5 सबसे बेकार तेल. अगर आपके घर में भी इनमे से कोई तेल है तो उसे आज ही बाहर कर दें.

क्‍यों जरूरी है खाने में तेल

तेल खाने में स्वाद और खुशबू तो बढ़ाता ही है, इससे आपको कई और फायदे भी म‍िलते हैं. कुछ तेलों में आवश्यक फैटी एसिड होते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं. जैसे, ओमेगा-3 और ओमेगा-6. 

वहीं कई विटामिन (जैसे A, D, E, K) वसा में घुलनशील होते हैं, जिन्हें एब्‍जॉर्ब करने के लि‍ए तेल की जरूरत होती है. कुंकिंग की टेक्‍न‍िक जैसे फ्राई करने या भूनने के लि‍ए तेल जरूरी होता है. ये टेक्‍नीक खाने के स्‍वाद और टैक्‍स्‍चर दोनों को बदल देती हैं. इसके साथ ही तेल एनर्जी का भी अच्‍छा सोर्स है।कई विटामिन वसा में घुल जाते हैं, ज‍िन्‍हें एब्‍जॉर्ब करने के लि‍ए तेल की जरूरत होती है.

ये 5 तेल आज ही करें अपनी रसोई से बाहर

पाम ऑयल : सड़क पर लगी रेहड़ी पर जब भी आप चाट-पापड़ी खाते हैं उसका स्‍वाद गजब का होता है. क्‍या आपको भी ऐसा लगता है. इसकी वजह है पाम ऑयल. दरअसल पाम ऑयल सेचुरेट‍िड फैट लेवल में बहुत हाई होता है, ज‍िसकी वजह से आपका कॉलेस्‍ट्रॉल बहुत तेजी से बढ़ता है. यही वजह है कि ये तेल आपके द‍िल को भी नहीं पसंद. इससे हार्ट ड‍िजीज का भी खतरा बढ़ता है.

वेज‍िटेबल ऑयल के ब्‍लैंड्स :

 इनमें अक्‍सर कॉर्न ऑयल, कनोला ऑयल और पाम ऑयल के ब्‍लैंड्स रहते हैं. ये हाइली प्रोसेस्‍ड और र‍िफाइंड होते हैं और इनमें ओमेगा 6 फैटी ऐस‍िड का कंटेंट बहुत ज्‍यादा हाई होता है. ओमेगा 6 फैटी एस‍िड बॉडी के ल‍िए जरूरी होते हैं, लेकिन इन तेलों में ये मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है और ओमेगा 3 की मात्रा बहुत कम. तेल अगर आप ज्‍यादा खाते हैं तो ये आपके शरीर में इनफ्लेमेशन की श‍िकायत हो सकती है.

कॉर्न ऑयल :

 ये तेल भी आपकी सेहत के लि‍ए ब‍िलकुल अच्‍छा नहीं होता. इसमें पॉलीअनसेचुरेट‍िड फैटी एसिड भरे हुए होते हैं. यही वजह है कि कुकिंग इस तेल का इस्‍तेमाल फायदे नहीं बल्‍कि नुकसान देता है. तो अगर आपके घर में इस तेल का इस्‍तेमाल हो रहा है,

सनफ्लॉवर ऑयल : सनफ्लावर का नाम समझकर आप इसे हेल्‍दी ऑयल न समझें. इस तेल में ओमेगा 6 फैटी की भरमार होती है. ऐसे में जब भी आप इस तेल को ज्‍यादा इस्‍तेमाल करते हैं तो शरीर में इनफ्लेमेशन बढ़ने लगती है.

राइस ब्रान ऑयल :

इस पांचवे तेल का नाम आपको चौंका सकता है. क्‍योंकि बाजार में राइस ब्रान ऑयल को बहुत ही हेल्‍दी बताकर बेचा जाता है. लेकिन इस तेल में भी ओमेगा 6 फैटी एसिड की भरमार होती है. ये तेल भी बहुत ही र‍िफाइंड और प्रोसेस्‍ड होता है. इस तेल को प्रोसेस्‍ड करने के लि‍ए हैक्‍सेन नाम का केमि‍कल इस्‍तेमाल क‍िया जाता है।

नाशपति एक ऐसा सुपरफूड जिसके रोजाना सेवन से मिलते है कई लाभ कैंसर से बचाव के साथ ही दिल का भी रखती है ख्याल

नाशपाती एक ऐसा फल है जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों के लिए फायदेमंद होते हैं। नाशपाती का सेवन न केवल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव कर सकता है, बल्कि यह दिल के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। आइए जानते हैं नाशपाती के रोजाना सेवन से होने वाले कुछ महत्वपूर्ण फायदों के बारे में:

1. कैंसर से बचाव में मददगार

नाशपाती में मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन सी और विटामिन के भी होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और कैंसर के खिलाफ लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं। नियमित रूप से नाशपाती खाने से शरीर के विभिन्न अंगों, विशेष रूप से कोलन, स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम हो सकता है।

2. दिल का रखे ख्याल

नाशपाती में पोटेशियम और फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है, जो दिल के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। यह हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है और रक्त संचार को सुचारू बनाए रखता है। इसके अलावा, नाशपाती में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।

3 पाचन तंत्र को रखे दुरुस्त

नाशपाती में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखते हैं। यह कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। नाशपाती का नियमित सेवन करने से आंतों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी सहायक होती है।

4. वजन घटाने में सहायक

नाशपाती कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च होती है, जिससे यह वजन घटाने के लिए आदर्श फल है। इसका सेवन करने से पेट भरा हुआ महसूस होता है और भूख कम लगती है, जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। यदि आप डाइटिंग कर रहे हैं तो नाशपाती को अपने डाइट में जरूर शामिल करें।

5. इम्यून सिस्टम को करे मजबूत

नाशपाती में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। यह शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में सक्षम बनाता है और मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी-खांसी से बचाता है।

6. हड्डियों को बनाए मजबूत

नाशपाती में मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में सहायक होते हैं। यह हड्डियों के घनत्व को बढ़ाता है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाव करता है। खासतौर पर महिलाओं को नाशपाती का सेवन हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

7. स्किन और बालों के लिए फायदेमंद

नाशपाती में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स स्किन की चमक को बनाए रखने और बालों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन सी और विटामिन ई होते हैं, जो त्वचा को निखारने और उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में सहायक होते हैं।

नाशपाती का सेवन कैसे करें?

नाशपाती को आप सलाद, स्मूदी, या सीधे कच्चा भी खा सकते हैं। यह एक बहुमुखी फल है, जिसे किसी भी रूप में आसानी से खाया जा सकता है। सुबह के नाश्ते में इसे शामिल करना बहुत फायदेमंद होता है।

निष्कर्ष:

नाशपाती का रोजाना सेवन शरीर को कई प्रकार से लाभ पहुंचा सकता है। यह न केवल कैंसर और दिल की बीमारियों से बचाव करता है, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। तो, इसे अपनी डाइट में शामिल करें और इसके अद्भुत फायदों का लाभ उठाएं।

कीवी खाने से सेहत को मिलते कई फायदे डेंगू के अलावा कई बीमारियों में किया जाता हैं कीवी का सेवन

कीवी एक पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसका सेवन कई बीमारियों में फायदेमंद हो सकता है। डेंगू के अलावा, कीवी का सेवन निम्नलिखित स्थितियों में लाभकारी होता है:

1 प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में: कीवी विटामिन C का अच्छा स्रोत है, जो शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।

2 पाचन में सुधार: इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज से राहत देता है।

3 दिल की सेहत के लिए: कीवी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

4 रक्तचाप को नियंत्रित करने में: कीवी के सेवन से रक्तचाप नियंत्रण में मदद मिल सकती है, जिससे हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।

5 त्वचा की सेहत: विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण, कीवी त्वचा की सेहत के लिए फायदेमंद है।

6 सांस संबंधी समस्याएं: कीवी का सेवन अस्थमा और एलर्जी जैसी समस्याओं में भी राहत दे सकता है।

इन सभी स्वास्थ्य लाभों के साथ, कीवी का नियमित सेवन एक संतुलित आहार का हिस्सा बन सकता है।

आंतो को स्वस्थ रखने के लिए इन फाइबर युक्त खाद्य पदार्थो का करे सेवन

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपनी डाइट का सही तरीके से ख्याल नहीं रख पाते हैं। इससे हमारी आंतों पर बुरा असर पड़ता है और पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। आंतों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपने आहार में फाइबर युक्त चीजों को शामिल करें। फाइबर न केवल पाचन तंत्र को सही रखता है, बल्कि कई बीमारियों से बचाव में भी मदद करता है। आइए जानते हैं कुछ फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों के बारे में, जो आपकी आंतों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं:

1. ओट्स (Oats)

ओट्स में घुलनशील फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन में सहायक है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने और आंतों की सफाई में मदद करता है। ओट्स को सुबह के नाश्ते में शामिल करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

2. फल और सब्जियाँ

ताजे फल जैसे सेब, नाशपाती, संतरा और सब्जियाँ जैसे ब्रोकोली, गाजर, शिमला मिर्च में अघुलनशील फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। ये आंतों की गतिशीलता को बढ़ावा देते हैं और कब्ज की समस्या को दूर करते हैं।

3. बीन्स और दालें

राजमा, छोले, मूंग, और अन्य दालें प्रोटीन और फाइबर का बेहतरीन स्रोत हैं। इनका नियमित सेवन न केवल पेट को साफ रखने में मदद करता है, बल्कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी को भी पूरा करता है।

4. अलसी के बीज (Flax Seeds)

अलसी के बीज फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत होते हैं। ये आंतों की सूजन को कम करते हैं और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मददगार होते हैं। आप इन्हें अपनी स्मूदी, दही या सलाद में मिला सकते हैं।

5. चिया बीज (Chia Seeds)

चिया बीज में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पेट की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। ये पेट में पानी को अवशोषित करते हैं, जिससे पेट की सफाई होती है और आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती।

6. नट्स और बीज (Nuts and Seeds)

बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज और कद्दू के बीज फाइबर से भरपूर होते हैं। ये आंतों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ हृदय को भी मजबूती देते हैं। इनका सेवन स्नैक्स के रूप में कर सकते हैं।

7. ब्राउन राइस और साबुत अनाज

साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, जई, और क्विनोआ में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो पाचन क्रिया को सही रखने में मदद करते हैं। ये पेट को हल्का महसूस कराते हैं और आंतों को अच्छे से काम करने में मदद करते हैं।

8. हरी पत्तेदार सब्जियाँ

पालक, मेथी और सरसों जैसी हरी पत्तेदार सब्जियाँ फाइबर और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत होती हैं। इनका सेवन आंतों को मजबूती देता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

9. जई की भूसी (Psyllium Husk)

जई की भूसी या इसबगोल एक प्राकृतिक फाइबर है, जो कब्ज की समस्या को दूर करता है और आंतों को साफ रखता है। इसे पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है।

10. बैरीज़ (Berries)

स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और रसभरी जैसे फलों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। ये एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होते हैं, जो आंतों की सूजन को कम करते हैं और पाचन क्रिया को सुधारते हैं।

फाइबर के सेवन के फायदे

कब्ज से राहत: फाइबर का नियमित सेवन मल को नरम बनाता है और पेट की समस्या जैसे कब्ज से बचाता है।

वजन नियंत्रण: फाइबर युक्त भोजन खाने से पेट भरा रहता है, जिससे अधिक खाने की आदत कम हो जाती है और वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।

शुगर लेवल का नियंत्रण: फाइबर शुगर के अवशोषण को धीमा कर देता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करता है: फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

निष्कर्ष:

आंतों को स्वस्थ रखने के लिए फाइबर युक्त आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी आवश्यक है, ताकि फाइबर सही तरीके से काम कर सके। सही आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप अपनी आंतों को स्वस्थ रख सकते हैं और कई बीमारियों से बच सकते हैं।

हेल्थ टिप्स:बढे हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए इन 6 उपायों को अपनाए जिससे आपके कोलेस्ट्रॉल रहेंगे नियंत्रित


हार्ट अटैक के लिए जिम्‍मेदार फैक्‍टर्स में से एक कोलेस्‍ट्रॉल भी होता है. आज के समय में कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या तमाम लोगों में देखी जाती है।कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व होता है जो हमारी शरीर की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। इसके बावजूद, जब इस तत्व का स्तर अधिक होता है, तब यह हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है:

 LDL (बुरा) कोलेस्ट्रॉल और HDL (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल। LDL कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में अधिक होने पर यह हमारी धमनियों में जमा हो जाता है जो ब्लॉकेज का कारण बनता है जो हृदय पर अधिक दबाव बनाता है। वहीं, HDL कोलेस्ट्रॉल शरीर के अन्य भागों से LDL कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के खतरे को बढ़ा सकती है। यदि आप 30 या 40 की उम्र में हैं और अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल के बारे में चिंतित हैं, तो आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करने के 6 तरीके यहां दिए गए हैं:

कोलेस्ट्रॉल कम करने के आसान उपाय

स्वस्थ आहार खाएं

ऐसा आहार खाने पर ध्यान केंद्रित करें जो फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, दुबले प्रोटीन और स्वस्थ वसा जैसे कि नट्स, बीज और वसायुक्त मछली में पाए जाते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जिनमें संतृप्त और ट्रांस वसा की मात्रा अधिक हो, जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ, प्रसंस्कृत स्नैक्स और वसायुक्त मांस

नियमित व्यायाम करें

नियमित शारीरिक गतिविधि आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती है। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट की मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करने का लक्ष्य रखें, जैसे तेज चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना या तैराकी।

स्वस्थ वजन बनाए रखें

अधिक वजन या मोटापा आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है। यदि आपका वजन अधिक है, तो थोड़ा सा वजन कम करने से भी आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है।

धूम्रपान छोड़ें

धूम्रपान आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है और हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ने से आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

शराब का सेवन सीमित करें

बहुत अधिक शराब पीने से आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। यदि आप शराब पीते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में पीएं, जिसे आम तौर पर महिलाओं के लिए प्रति दिन एक पेय और पुरुषों के लिए प्रति दिन दो पेय तक के रूप में परिभाषित किया गया है।

यदि आवश्यक हो तो दवा लें

कुछ मामलों में, जीवनशैली में बदलाव कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है, और दवा आवश्यक हो सकती है। अपने डॉक्टर से बात करें कि क्या दवा आपके लिए सही है और किस प्रकार की दवा सबसे प्रभावी हो सकती है।

जीवनशैली में ये बदलाव करके और अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रबंधित करने के लिए अपने डॉक्टर के साथ काम करके, आप हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

हेल्थ टिप्स:अगर आप डिप्रेशन या उदासी को दूर भगाना चाहते है तो ट्राई करें ये स्पेशल फूड आइए जानते अवसाद को दूर करने वाले आहार के बारे में ...

डिप्रेशन एक ऐसी अवस्था जब व्यक्ति का मन और दिमाग नैगेटिविटी,चिंता , तनाव और उदासी से घिर जाता है। 

कभी-कभी हमारी लाइफ में कुछ चीजें ऐसी हो जाती है जिन्हें हैंडिल करना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाता है या फिर उस पर टेंशन हावी होने लगती है। ऐसे में इंसान अकेले रहना ही पसंद करता है या यूं कहे कि लोगों के बीच होकर भी खुद में खोया रहता है।

तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे food items के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें खाकर आप अपने डिप्रेशन या फिर टेंशन से छुटकारा पा सकते हैं।

डार्क चॉकलेट

चॉकलेट खाना किसे पसंद नहीं होता लेकिन अगर आप किसी से लड़ाई करने के बाद खाए तो ये आपकी टेंशन को दूर भगा देती है। इसमें cocoa और कम चीनी के साथ serotonin नाम का पदार्थ पाया जाता है। ये anti-oxidants आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं जिस वजह से आपका गुस्सा और स्ट्रेस modulate हो जाता है।  

 

दही

क्या आपको पता है कि दही में पाए जाने वाले बैक्टीरिया भी आपके मूड को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। दही में प्रोटीन और कैल्शियम अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं जो कि आपके डिप्रेशन और गुस्से को कम करने में मदद करते हैं।

अखरोट

टेंशन और डिप्रेशन को छूमंतर करने के लिए अखरोट को सबसे अच्छा और प्राकृतिक तरीका माना गया है। अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। ये एसिड आपके दिमाग में मूड को रिफ्रेश करने वाले रयायन पैदा करता है। यही रसायन मूड को ठीक करने में सहायता करते हैं।

 

केला

डिप्रेशन न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन की मात्रा कम होने पर होता है और केले में सेरोटोनिन की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है। इसे खाने से आपका गुस्सा और डिप्रेशन दोनों ही दूर हो जाते हैं।

रात को अजवाइन का पानी पीने से सेहत को मिलते हैं कई लाभ आईए जाने अजवाइन पानी पीने से होने वाले लाभ के बारे में


अजवाइन एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो भारतीय रसोई में आमतौर पर पाई जाती है। इसके औषधीय गुणों के कारण यह कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में सहायक होती है। खासकर जब इसे पानी में भिगोकर रात को पिया जाता है, तो इसके और भी फायदे होते हैं। आइए जानते हैं अजवाइन का पानी पीने से क्या-क्या लाभ होते हैं:

1. पाचन शक्ति में सुधार

अजवाइन में पाये जाने वाले तत्व पाचन तंत्र को सक्रिय करते हैं। रात को अजवाइन का पानी पीने से पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे गैस, एसिडिटी और कब्ज से राहत मिलती है। यह पेट में गैस की समस्या को कम करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को सही रखने में सहायक है।

2. वजन घटाने में सहायक

अजवाइन का पानी मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है, जिससे कैलोरी तेजी से बर्न होती है। अगर आप वजन कम करने का प्रयास कर रहे हैं, तो रात में अजवाइन का पानी पीना एक अच्छा उपाय हो सकता है। इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पेट को भरा महसूस कराती है और अत्यधिक भूख को कम करती है।

3. सर्दी और खांसी से राहत

अजवाइन में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सर्दी और खांसी से राहत दिलाने में मदद करते हैं। रात में इसे पीने से गले की खराश कम होती है और कफ को बाहर निकालने में भी सहायता मिलती है।

4. नींद में सुधार

रात को अजवाइन का पानी पीने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसमें रिलैक्सिंग गुण होते हैं जो मानसिक तनाव को कम करते हैं और अच्छी नींद लाने में सहायक होते हैं। जो लोग अनिद्रा (Insomnia) से परेशान हैं, उन्हें अजवाइन का पानी पीने से लाभ मिल सकता है।

5. शरीर को डिटॉक्स करता है

अजवाइन का पानी शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और शरीर को साफ रखने में सहायक होता है। इससे स्किन हेल्थ भी बेहतर होती है और आपको ताजगी महसूस होती है।

6. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है

अजवाइन में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक होती है। जो लोग उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) से पीड़ित हैं, उनके लिए यह एक अच्छा घरेलू उपाय हो सकता है।

7. मासिक धर्म की समस्याओं में राहत

महिलाओं के लिए अजवाइन का पानी मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन को कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में भी सहायक होता है।

8. जोड़ों के दर्द में आराम

अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। अगर आपको गठिया या अन्य जोड़ों से जुड़ी समस्याएं हैं, तो अजवाइन का पानी फायदेमंद साबित हो सकता है।

कैसे तैयार करें अजवाइन का पानी?

अजवाइन का पानी बनाना बेहद आसान है। इसके लिए:

एक चम्मच अजवाइन को रातभर एक गिलास पानी में भिगोकर रखें।

सुबह इसे छानकर खाली पेट पीएं।

आप चाहें तो इसे हल्का गर्म भी कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

अजवाइन का पानी रात को पीने से आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। यह पाचन को सुधारने, वजन घटाने, और शरीर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करता है। अगर आप अपनी दिनचर्या में इसे शामिल करते हैं, तो आपको इसके सकारात्मक परिणाम जरूर देखने को मिलेंगे।

ध्यान दें: किसी भी घरेलू उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है, खासकर यदि आप किसी चिकित्सा समस्या से जूझ रहे हैं।

हेल्थ:विटामिन डी की कमी से शरीर में हो सकते है,कई जाने इसके लक्षण और बचाव।

विटामिन-डी एक ऐसा महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यह न केवल हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखता है, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी सक्रिय रखता है। यदि शरीर में विटामिन-डी की कमी हो जाए, तो यह कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए जानें कैसे विटामिन-डी की कमी शरीर में हड़कंप मचा सकती है:

1. हड्डियों की कमजोरी और दर्द

विटामिन-डी का मुख्य काम शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण को बढ़ावा देना है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। यदि शरीर में विटामिन-डी की कमी हो जाए, तो हड्डियों में दर्द, थकान, और कमजोरी महसूस हो सकती है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस और रिकेट्स जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. मांसपेशियों में अकड़न और कमजोरी

विटामिन-डी मांसपेशियों के कामकाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी से मांसपेशियों में अकड़न, कमजोरी, और दर्द महसूस हो सकता है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो व्यक्ति का चलना-फिरना भी कठिन हो सकता है।

3. इम्यून सिस्टम की कमजोरी

विटामिन-डी शरीर के इम्यून सिस्टम को सही ढंग से काम करने में मदद करता है। इसकी कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमारियों का शिकार हो सकता है, जैसे सर्दी, फ्लू, और अन्य संक्रमण।

4. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

शोध से पता चला है कि विटामिन-डी की कमी का मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। यह अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (एंग्जायटी), और मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।

5. दिल की बीमारियों का खतरा

विटामिन-डी की कमी से हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है। अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन-डी का निम्न स्तर दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।

6. थकान और नींद की समस्या

विटामिन-डी की कमी से शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है, जिससे व्यक्ति को लगातार थकान महसूस होती है। इसके अलावा, नींद न आना या बार-बार नींद टूटने की समस्या भी हो सकती है।

विटामिन-डी की कमी से बचाव के उपाय

धूप में समय बिताएं: विटामिन-डी का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत सूरज की रोशनी है। प्रतिदिन सुबह या शाम के समय कम से कम 20-30 मिनट धूप में रहना चाहिए।

संतुलित आहार: विटामिन-डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे कि अंडे, मशरूम, फोर्टिफाइड दूध, और फैटी फिश (सामन, टूना)।

सप्लिमेंट्स: यदि शरीर में विटामिन-डी की कमी है, तो डॉक्टर की सलाह से विटामिन-डी सप्लिमेंट्स लेना चाहिए।

व्यायाम: नियमित शारीरिक व्यायाम से मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती बनी रहती है और विटामिन-डी के लाभ अधिक मिलते हैं।

निष्कर्ष

विटामिन-डी की कमी शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है और इसके दीर्घकालिक प्रभाव गंभीर हो सकते हैं। उचित धूप, संतुलित आहार और समय-समय पर हेल्थ चेकअप से आप इस कमी को दूर कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते हैं।

हेल्थ टिप्स: क्या आप भी आटा गूंथ कर फ्रिज में रखती है तो हो जाइए सावधान हो सकती है 3 गंभीर समस्याएं! जानें कितनी देर रखा आटा हो जाता है जहरीला

दिल्ली:आज कल के इस भागदौड़ वाली जिंदगी में हर कोई कुछ भी काम एक ही बार में निपटा कर रखना चाहता है। सुबह के वक्त की सब्जी बनाने के लिए रात को ही सब्जी काट कर रख लेते हैं या फिर सुबह देर न हो जाए उसके लिए आटा गूंथ कर फ्रिज में रख लेते हैं? अगर ऐसा है तो आप निश्चित ही अपने स्वास्थ्य के लिए एक खतरा पैदा कर रहे हैं। कहीं न कहीं हमारी व्यस्त जीवनशैली ही इसका एक सबसे बड़ा कारण है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहा है।

क्या आपने कभी सोचा है कि रात को ही आटा गूंथ कर रख लेने से और सुबह में उस आटे की रोटियां खाना आपके स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। नहीं तो आपको बता दें कि रात का गूंथा हुआ आटा आपकी सेहत के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है और कितनी देर का रखा आटा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

कितनी देर का रखा आटा न खाएं

ज्यादातर न्यूट्रिशिनिस्ट लोगों को हमेशा ताजे आटे से बनी रोटी ही खाने की सलाह देते हैं क्योंकि आप तभी इसके पौष्टिक गुणों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जब तक आटा ताजा है। लेकिन जब आप आटा गूंथ कर फ्रिज में करीब 6-7 घंटे तक रखकर छोड़ देते हैं तो आटे में रासायनिक पदार्थ बनने लगते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए गूंथे हुए आटेको भूलकर भी इतने घंटे तक फ्रिज में नहीं रखना चाहिए।

क्यों हानिकारक है फ्रिज में आटा रखना

आटे को गूंथ कर फ्रिज में रखने से उसमें फ्रिज के भीतर बनने वाली गैस और हानिकारक किरणें आटे में घुस जाती है, जिससे आटे में विषाक्त गुण पैदा हो जाते हैं। अगर आप आटे को ठीक से स्टोर नहीं करते हैं तो ये आपके स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी परेशानी पैदा कर सकता है। इतना ही नहीं ज्यादा देर तक रखे आटे की रोटी भी खराब बनती है। इसलिए इन सभी जोखिम कारकों से बचने के लिए और आटे के प्राकृतिक स्वाद को बनाए रखने के लिए ताजा गूंथे हुए आटे का ही प्रयोग करें।

आटे में बनने लगते हैं बैक्टीरिया

अगर आपकी ये आदत बन चुकी है कि आप रात को ही आटा गूंथ कर फ्रिज में रख लेते हैं या फिर बाहर ही छोड़ देते हैं तो ऐसी गलती बिल्कुल न करें क्योंकि गर्मियों में ज्यादा देर तक रखे आटे में बैक्टीरिया बनना शुरू हो जाते हैं, जिसकी वजह से फूड प्वाइजनिंग हो सकती है।

पेट संबंधी समस्याएं

गूंथे हुए आटे को फ्रिज में रखने से उसमें हानिकारक रसायनिक रिएक्शन होने लगते हैं, जिसकी वजह से आटे में मायकोटॉक्सिन बढ़ सकते हैं। ये टॉक्सिन्स आपकी आंतों के स्वास्थ्य को बिगाड़ते हैं, जिसकी वजह से आप एसिडिटी, अपच और पेट दर्द की परेशानीका शिकार हो सकते हैं। इतना ही नहीं आटे में लगी फफूंद की वजह से आप फंगल इंफेक्शन का भी शिकार हो सकते हैं।

पोषक तत्वों की कमी

जब भी आप ताजे आटे की रोटी खाएंगे और बासी आटे की रोटी खाएंगे तो आपको स्वाद में फर्क के साथ-साथ पोषक तत्वों में भी अंतर रहेगा। फ्रिज में रखे हुए आटे की रोटी खाने से आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है और ये कमी आगे चलकर आपको बीमार बनाने के लिए काफी है। इसलिए ताजे आटे की रोटी ही खाना फायदेमंद होता है।

शंखपुष्पी: माइग्रेन से राहत, मेमोरी बूस्ट और मानसिक शांति देने वाला करामाती पौधा


प्रकृति में कई ऐसे अद्भुत पौधे पाए जाते हैं जिनमें छिपी होती हैं औषधीय गुणों की भरमार। ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है 'नीले फूल' वाला शंखपुष्पी (Clitoria Ternatea)। यह पौधा सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसका उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जा रहा है। शंखपुष्पी न सिर्फ माइग्रेन के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है, बल्कि यह आपकी याददाश्त को भी तेज करने में सक्षम है। आइए, इस नीले फूल वाले पौधे के गुणों और इसके उपयोग के बारे में विस्तार से जानें।

1. माइग्रेन में राहत देने वाला

माइग्रेन एक ऐसी समस्या है जो सिर में असहनीय दर्द का कारण बनती है। इस दर्द से राहत पाने के लिए कई दवाइयाँ तो हैं, लेकिन प्राकृतिक उपाय भी कारगर होते हैं। शंखपुष्पी में एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गुण होते हैं, जो सिरदर्द, खासकर माइग्रेन में राहत देते हैं। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और रक्त प्रवाह को संतुलित करता है, जिससे सिरदर्द कम होता है।

2. याददाश्त और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद

शंखपुष्पी का उपयोग मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह पौधा 'न्यूरोप्रोटेक्टिव' गुणों से भरपूर होता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं की रक्षा करता है और उन्हें पुनर्जीवित करता है। यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है और आपकी स्मरण शक्ति को तेज करने में मदद करता है। जिन लोगों को भूलने की समस्या होती है, उनके लिए यह पौधा विशेष रूप से लाभकारी है।

3. तनाव और चिंता में आराम

तनाव और चिंता का शरीर पर बुरा असर पड़ता है, और यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। शंखपुष्पी एक प्राकृतिक तनाव निवारक है, जो मानसिक शांति प्रदान करता है और चिंता से निजात दिलाने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से सेवन करने से आप मानसिक रूप से अधिक स्थिर और शांत महसूस कर सकते हैं।

4. नींद की गुणवत्ता में सुधार

शंखपुष्पी का एक और महत्वपूर्ण गुण यह है कि यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है, वे इस पौधे का उपयोग कर सकते हैं। यह तंत्रिका तंत्र को शांत कर नींद को प्रोत्साहित करता है, जिससे आप गहरी और आरामदायक नींद का आनंद ले सकते हैं।

5. शंखपुष्पी का उपयोग और सेवन

शंखपुष्पी का उपयोग चाय, पाउडर या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है। चाय बनाने के लिए इसके सूखे पत्तों का उपयोग करें। नियमित सेवन के लिए किसी विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है, ताकि इसे सही मात्रा में और सही तरीके से लिया जा सके।

निष्कर्ष

नीले फूल वाला शंखपुष्पी पौधा न केवल माइग्रेन और सिरदर्द में राहत देता है, बल्कि याददाश्त को तेज करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। इसके नियमित उपयोग से आप न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत महसूस कर सकते हैं