राज्यसभा में बीजेपी की “बल्ले-बल्ले”, 10 साल में पहली बार एनडीए को बहुमत, 12 में से 11 सीटों पर कब्जा*
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राज्यसभा की 12 सीटों पर उपचुनाव में सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। 12 में से एनडीए को 11 पर जीत मिली है। इनमें भाजपा 9, अजीत पवार गुट और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक सीट मिली हैं। वहीं, कांग्रेस का एक उम्मीदवार जीता है। नौ और सदस्यों के जुड़ने के साथ ही राज्यज्सभा में बीजेपी की संख्या 96 तक पहुंच गई है। वहीं, एनडीए 112 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही उच्च सदन में जहां भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के करीब पहुंच गई है, जबकि एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। इतिहास में पहली बार है कि एनडीए राज्यसभा में आत्मनिर्भर हुई है, जिससे मोदी सरकार को बिल पास करवाने में आसानी होगी। *कौन-कौन निर्विरोध निर्वाचित हुए?* राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए भाजपा उम्मीदवारों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धिर्य शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से भट्टाचार्जी, राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और राजीव शामिल हैं। राकांपा अजित पवार गुट के नितिन पाटिल महाराष्ट्र से निर्वाचित हुए। वहीं, आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा बिहार से उच्च सदन में पहुंचे हैं। तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने गए। *राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा* राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है, जिसमें से आठ सीटें खाली हैं। इसमें 4 जम्मू-कश्मीर और चार मनोनीत सदस्य शामिल हैं। फिलहाल सदन में सदस्यों की संख्या 237 है। बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत है। राज्यसभा में बीजेपी के 9 और उम्मीदवार जीतने के बाद उसकी उच्च में सदस्यों की संख्या 96 पहुंच गई है और उसके सहयोगी दलों के 16 सदस्य हैं। ऐसे में राज्यसभा में एनडीए की संख्या 112 हो गई है। हालांकि वह अभी संपूर्ण रूप से बहुमत तक नहीं पहुंची है, लेकिन 6 मनोनीत और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन से बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। अब एनडीए को कोई जरूरी बिल पास कराने के लिए बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उच्च सदन में बीजेपी के सहयोगी दलों में जेडी(यू), एनसीपी, जेडी(एस), आरपीआई(ए), शिवसेना, आरएलडी, आरएलएम, एनपीपी, पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस और यूपीपीएल शामिल हैं। *सरकार के लिए राज्यसभा में अहम बिल पास कराना होगा आसान* उच्च सदन में बहुमत का यह आंकड़ा विपक्ष के काफी विरोधों को बावजूद सरकार के लिए जरूरी विधेयकों को पास कराना आसान बना देगा। पिछले कुछ वर्षों में, विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को उच्च सदन में रोके रखती थी। उनमें से कुछ को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जैसे गुटनिरपेक्ष दलों की मदद से पास करवाया जा सका है। लेकिन अब ये दोनों पार्टियां अपने-अपने राज्यों में सत्ता खो चुकी हैं।ओडिशा में भाजपा के हाथों बीजद की हार और आंध्र प्रदेश में एनडीए के एक सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के सामने वाईएसआर कांग्रेस हार के बाद उनके समर्थन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद अब भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा। *राज्यसभा में कांग्रेस के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित* इधर, तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने जाने के बाद पार्टी की राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी। राज्यसभा में कांग्रेस की संख्या एक बढ़कर 27 हो गई है। विपक्ष की कुर्सी पर काबिज रहने के लिए 25 सीटों की जरूरत होती है। कांग्रेस के पास दो सदस्य अधिक हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों की संख्या 85 हो गई है।
राज्यसभा में बीजेपी की “बल्ले-बल्ले”, 10 साल में पहली बार एनडीए को बहुमत, 12 में से 11 सीटों पर कब्जा

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राज्यसभा की 12 सीटों पर उपचुनाव में सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। 12 में से एनडीए को 11 पर जीत मिली है। इनमें भाजपा 9, अजीत पवार गुट और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक सीट मिली हैं। वहीं, कांग्रेस का एक उम्मीदवार जीता है। नौ और सदस्यों के जुड़ने के साथ ही राज्यज्सभा में बीजेपी की संख्या 96 तक पहुंच गई है। वहीं, एनडीए 112 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही उच्च सदन में जहां भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के करीब पहुंच गई है, जबकि एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। इतिहास में पहली बार है कि एनडीए राज्यसभा में आत्मनिर्भर हुई है, जिससे मोदी सरकार को बिल पास करवाने में आसानी होगी।

कौन-कौन निर्विरोध निर्वाचित हुए?

राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए भाजपा उम्मीदवारों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धिर्य शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से भट्टाचार्जी, राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और राजीव शामिल हैं। राकांपा अजित पवार गुट के नितिन पाटिल महाराष्ट्र से निर्वाचित हुए। वहीं, आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा बिहार से उच्च सदन में पहुंचे हैं। तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने गए।

राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा

राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है, जिसमें से आठ सीटें खाली हैं। इसमें 4 जम्मू-कश्मीर और चार मनोनीत सदस्य शामिल हैं। फिलहाल सदन में सदस्यों की संख्या 237 है। बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत है।

राज्यसभा में बीजेपी के 9 और उम्मीदवार जीतने के बाद उसकी उच्च में सदस्यों की संख्या 96 पहुंच गई है और उसके सहयोगी दलों के 16 सदस्य हैं। ऐसे में राज्यसभा में एनडीए की संख्या 112 हो गई है। हालांकि वह अभी संपूर्ण रूप से बहुमत तक नहीं पहुंची है, लेकिन 6 मनोनीत और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन से बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। अब एनडीए को कोई जरूरी बिल पास कराने के लिए बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उच्च सदन में बीजेपी के सहयोगी दलों में जेडी(यू), एनसीपी, जेडी(एस), आरपीआई(ए), शिवसेना, आरएलडी, आरएलएम, एनपीपी, पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस और यूपीपीएल शामिल हैं।

सरकार के लिए राज्यसभा में अहम बिल पास कराना होगा आसान

उच्च सदन में बहुमत का यह आंकड़ा विपक्ष के काफी विरोधों को बावजूद सरकार के लिए जरूरी विधेयकों को पास कराना आसान बना देगा। पिछले कुछ वर्षों में, विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को उच्च सदन में रोके रखती थी। उनमें से कुछ को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जैसे गुटनिरपेक्ष दलों की मदद से पास करवाया जा सका है। लेकिन अब ये दोनों पार्टियां अपने-अपने राज्यों में सत्ता खो चुकी हैं।ओडिशा में भाजपा के हाथों बीजद की हार और आंध्र प्रदेश में एनडीए के एक सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के सामने वाईएसआर कांग्रेस हार के बाद उनके समर्थन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद अब भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा।

राज्यसभा में कांग्रेस के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित

इधर, तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने जाने के बाद पार्टी की राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी। राज्यसभा में कांग्रेस की संख्या एक बढ़कर 27 हो गई है। विपक्ष की कुर्सी पर काबिज रहने के लिए 25 सीटों की जरूरत होती है। कांग्रेस के पास दो सदस्य अधिक हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों की संख्या 85 हो गई है।

मोहन भागवत को मिलेगी पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सिक्योरिटी, जानें सुरक्षा Z+ से क्यों बढ़ाई गई*
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केद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा को और मजबूत कर दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुरक्षा प्रोटोकॉल को जेड-प्लस से बढ़ा दिया गया है। उन्हें अब वही सुरक्षा घेरा मिलेगा जो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मिली हुई है।यह सुरक्षा घेरा एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (एएसएल) कहा जाता है।एएसएल सुरक्षा पीएम और गृह मंत्री को मिलती है। *क्यों बढ़ाई गई भागवत की सुरक्षा?* मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर उनको किससे खतरा है कि उनको पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सुरक्षा दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा की समीक्षा के आधार पर एक पखवाड़े पहले सुरक्षा बढ़ाने को अंतिम रूप दिया गया था। कथित तौर पर गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित राज्यों में मोहन भागवत के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा 'ढीली' पाई गई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। *भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं भागवत!* सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय को कुछ राज्यों में भागवत की सुरक्षा में ढिलाई देखने को मिली थी, जिसके बाद नए सुरक्षा प्रोटोकॉल पर काम किया गया और उनकी सुरक्षा को मजबूत किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि वह कई भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं। बढ़ती चिंता और तमाम एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने भागवत को एएसएल सुरक्षा देने का फैसला किया। सुरक्षा बढ़ाए जाने के संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जानकारी दी गई है। *क्या है एएसएल सिक्योरिटी?* सिक्यॉरिटी का यह बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा है। इसमें हेलीकॉप्टर यात्रा भी केवल विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टरों में दी जाती है और तयशुदा प्रोटोकॉल इस पर लागू किया जाता है। नए प्रोटोकॉल के तहत, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय एजेंसियां भागवत की सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगी और सक्रिय भूमिका में होंगी। इस रणनीति में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा, सख्त तोड़फोड़ विरोधी उपाय और किसी भी दौरे से पहले समीक्षा और रिहर्सल शामिल हैं।
मोहन भागवत को मिलेगी पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सिक्योरिटी, जानें सुरक्षा Z+ से क्यों बढ़ाई गई

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केद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा को और मजबूत कर दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुरक्षा प्रोटोकॉल को जेड-प्लस से बढ़ा दिया गया है। उन्हें अब वही सुरक्षा घेरा मिलेगा जो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मिली हुई है।यह सुरक्षा घेरा एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (एएसएल) कहा जाता है।एएसएल सुरक्षा पीएम और गृह मंत्री को मिलती है।

क्यों बढ़ाई गई भागवत की सुरक्षा?

मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर उनको किससे खतरा है कि उनको पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सुरक्षा दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा की समीक्षा के आधार पर एक पखवाड़े पहले सुरक्षा बढ़ाने को अंतिम रूप दिया गया था। कथित तौर पर गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित राज्यों में मोहन भागवत के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा 'ढीली' पाई गई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।

भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं भागवत!

सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय को कुछ राज्यों में भागवत की सुरक्षा में ढिलाई देखने को मिली थी, जिसके बाद नए सुरक्षा प्रोटोकॉल पर काम किया गया और उनकी सुरक्षा को मजबूत किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि वह कई भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं। बढ़ती चिंता और तमाम एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने भागवत को एएसएल सुरक्षा देने का फैसला किया। सुरक्षा बढ़ाए जाने के संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जानकारी दी गई है।

क्या है एएसएल सिक्योरिटी?

सिक्यॉरिटी का यह बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा है। इसमें हेलीकॉप्टर यात्रा भी केवल विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टरों में दी जाती है और तयशुदा प्रोटोकॉल इस पर लागू किया जाता है। नए प्रोटोकॉल के तहत, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय एजेंसियां भागवत की सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगी और सक्रिय भूमिका में होंगी। इस रणनीति में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा, सख्त तोड़फोड़ विरोधी उपाय और किसी भी दौरे से पहले समीक्षा और रिहर्सल शामिल हैं।

बंगाल में छात्रों पर एक्शन से गरमाई सियासत, पुलिस की सख्ती के खिलाफ बीजेपी ने बुलाया बंद*
#kolkata_doctor_rape_murder_case_bjp_bengal_bandh पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में देशभर नाराजगी है। इस बीच मंगलवार यानी 27 अगस्त को राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ तक प्रदर्शनकारियों के पहुंचने के प्रयासों के दौरान कई स्थानों पर पुलिस के साथ झड़पें हुईं। कोलकाता और हावड़ा की सड़कों पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। राज्यभर में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके विरोध में भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने 12 घंटे के 'बंगाल बंद' का आह्वान किया है। बीजेपी ने आज पश्चिम बंगाल में 12 घंटे के लिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक के लिए बंद बुलाया है। बीजेपी का आरोप है कि ममता सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। बंगाल बीजेपी प्रमुख सुकांत मजूमदार ने राज्यपाल को पत्र लिखा है और छात्रों को रिहा करने की मांग की है। राज्य सचिवालय तक मार्च के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में भाजपा द्वारा आहूत 12 घंटे के बंद के कारण बुधवार को पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में जनजीवन कुछ हद तक प्रभावित दिख रहा है। राज्य की राजधानी कोलकाता में, अन्य दिनों की सुबह की तरह सड़कों पर सामान्य चहल-पहल नहीं दिखी, क्योंकि बसें, ऑटो-रिक्शा और टैक्सियां कम संख्या में चल रही थीं। निजी वाहनों की संख्या भी काफी कम थी, जबकि बाजार और दुकानें हमेशा की तरह खुली रहीं। हालांकि, ममता बनर्जी सरकार ने इस बंद की इजाजत देने से साफ इनकार कर दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने लोगों से बीजेपी के बंद में भाग नहीं लेने की अपील की है। सरकार ने नोटिस जारी कर कहा है कि सभी कर्मचारियों को दफ्तर आना है। कोई भी छुट्टी, कैजुअल लीव सैंक्शन नहीं की जाएगी।अगर कोई दफ्तर नहीं आएगा तो उसे कारण बताओं नोटिस जारी किया जाएगा।
जम्मू कश्मीर चुनावः संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का भाई भी मैदान में, जानें और कौन से अलगाववादी ठोंक रहे ताल

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही चुनावी हलचल तेज है। चुनाव के लिए सभी पार्टियां जोर-शोर से तैयारियां कर रही हैं। इस बीच खबर सामने आई है कि संसद पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरू का भाई भी विधानसभा चुनाव लड़ सकता है।

2001 संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का भाई एजाज अहमद गुरु के भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकता है। अफजल को 2001 में हुए संसद हमलों के दो दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। दोषी पाए जाने पर अफजल को फांसी की सजा दी गई थी। अब एजाज ने विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बनाया है।

आतंकी अफजल गुरू का भाई ही अकेले चुनावी मैदान में नहीं है, इस बार अलगाववादी नेता और उनके रिश्तेदार भी चुनावी मैदान में दिखने वाले हैं। बता दें एक अलगाववादी नेता ने हाल ही में राजनीतिक पार्टी 'तहरीक-ए-आवाम' का गठन किया है। ये पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव में हिस्सेदारी करने वाली है। अधिकतर अलगाववादी नेता और उनके रिश्तेदार इस पार्टी के बैनर तले ही चुनाव लड़ने वाले हैं।

अलगाववादी पहले चुनावों का बहिष्कार करते थे, लेकिन अब मुख्यधारा में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। इस समूह में प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर जमात-ए-इस्लामी के पूर्व सदस्य शामिल हैं, जिनमें से कई चुनावी दौड़ में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।

जमाते इस्लामी पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। उसके वरिष्ठ नेता सयार अहमद रेशी ने कुलगाम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उतरने का फैसला किया है। उसने अपना नामांकन जमा कर दिया है। सयार अहमद रेशी ने इस दौरान कहा कि वह कश्मीर में शांति का माहौल बनाना चाहते हैं। वह चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि यहां से बुराईयों को खत्म करना है। इज्जत मिलेगी या नहीं यह सब अल्लाह के हाथ में हैं। मैं शिक्षक रहा हूं। मैंने हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया है।

टीओआई के अनुसार, इन पूर्व अलगाववादियों का यह फैसला अब्दुल रशीद शेख की सफलता से प्रभावित था, जिन्हें इंजीनियर रशीद के नाम से जाना जाता है। अब्दुल रशीद शेख ने जेल में रहने के बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन को लोकसभा चुनावों में हराया था।

अब जापान को डराने की कोशिश कर रहा ड्रैगन! जासूसी करने का लगा आरोप

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चीन हमेशा अपने पड़ोसी देशों के लिए परेशानी खड़ी करने वाला काम करता है। चीन कुछ ना कुछ ऐसा करता रहता है जिससे उसके पड़ोसी देशों की परेशानी बढ़ जाती है। अब मामला जापान से जुड़ा हुआ सामने आया है। एक बार फिर चीन ने ऐसी ही हरकत की है जिसपर जापान ने आपत्ति जताया है। जापान ने आरोप लगाया क‍ि चीन ने उसके इलाके में जासूसी विमान भेजा है। जवाब में जापान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट कर दिया। इसके बाद चीन का स्‍पाई विमान वहां से भाग गया।

जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि एक दिन पहले चीनी सैन्य विमान ने कुछ समय के लिए जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। उन्होंने इस घटना को 'बिल्कुल अस्वीकार्य' क्षेत्रीय उल्लंघन और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि सोमवार को एक चीनी Y-9 टोही विमान कुछ समय के लिए जापान के दक्षिण-पश्चिमी हवाई क्षेत्र में घुस आया था। हवाई क्षेत्र में विमान के घुसते ही सेना को अपने लड़ाकू विमानों को वापस बुलाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्स ने जापान के हवाई क्षेत्र में एक चीनी सैन्य विमान का पता लगाया।

जापान का आरोप-चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा

जापान का आरोप है कि चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में अब ताजा घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। जापान का कहना है कि चीन के विमान पहले भी दक्षिण पूर्व की सीमा के आसपास चक्कर लगाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि किसी विमान ने जापान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। जापान ने कहा कि उन्होंने चीनी विमान के खिलाफ किसी हथियार का प्रयोग नहीं किया। हालांकि चीन की उकसावे वाली कार्रवाई को देखते हुए जापान ने अपनी पूर्वी सीमा पर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है।

चीन ने क्‍या कहा?

कुछ देर बाद चीन ने भी बयान जारी क‍िया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता लिन जियान ने कहा, हम जापान के इस दावे की पुष्‍ट‍ि कर रहे हैं क‍ि क्‍या सच में ऐसा कुछ हुआ है। दोनों देशों के बीच कम्‍युनिकेशन के ल‍िए एक चैनल है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा क‍ि चीन का कभी भी दूसरे देश में घुसपैठ करने का कोई इरादा नहीं है। उधर, जापानी मीडिया ने कहा, चीन का स्‍पाई विमान देखे जाने के बाद उसे चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन फ्लेयर गन जैसे किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया। बाद में वह खुद लौट गया।

साउथ चाइना सी में तनाव

यह घटना ऐसे वक्‍त में हुई है, जब साउथ चाइना सी में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। अमेर‍िका इस इलाके में दखल बढ़ा रहा है। अपने श‍िप भी उतार दिए हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। वह साउथ चाइना सी के ज्‍यादातर इलाके को अपना बताता है। वह फ‍िलीपींस के कई द्वीपों पर भी दावा ठोंकता है। यहां तक क‍ि उनकी नेवी को जाने नहीं देता। अक्‍सर दोनों देशों में इसे लेकर टकराव की नौबत आती है। कुछ महीनों पहले एक चीनी जहाज फ‍िलीपींस के जहाज के बिल्‍कुल पास आ गया। तब दोनों के बीच सिर्फ 5 मीटर की दूरी थी।

हरियाणा चुनाव: जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन, जानें किसको मिले कितनी सीटें?

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हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने गठबंधन का फैसला किया है। दोनों पार्टी ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मंगलवार को दिल्ली में दोनों दलों के मुखिया दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर आजाद के बीच बैठक हुई। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का औपचारिक घोषणा भी कर दी। इस बैठक में दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर डील भी फाइनल हो गई है। 70 सीट पर जेजेपी और 20 पर आजाद समाज पार्टी चुनाव लड़ेगी।

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा के मतदाता बढ़कर जेजेपी और आजाद समाज पार्टी को वोट देंगे। सीएम नायब सिंह सैनी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वो सिर्फ घोषणाएं कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि बीजेपी साथ नहीं जाएंगे। चौटाला ने कहा, "मैं जानता हूं कि बीजेपी अपने सहयोगियों को कैसे तोड़ती है।" अगर हमारे पास नंबर आए तो कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ सरकार बनाएंगे। राज्य में एक स्टेबल सरकार हो, इसलिए हम दोनों ने गठबंधन किया है।

वहीं, चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि अब समय बदल गया है। हरियाणा में इसका असर आपको देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा, जब मैंने इनसे बात कि तो लगा कि इनके दिन में हरियाणा को आगे ले जाने की इच्छा है। मेरा विश्वास है कि हम किसानों की लड़ाई को आगे मजबूती से ले जाएंगे। मैं कहना चाहूंगा कि अभी से कमर कसें और हरियाणा में नया इंकलाब खड़ा करें।

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले तक जेजेपी का बीजेपी के साथ गठबंधन था और सरकार में हिस्सेदारी थी। पार्टी के मुखिया दुष्यंत चौटाला राज्य के डिप्टी सीएम भी थे। आम चुनाव से ठीक पहले सीटों बंटवारे पर अनबन के बाद बीजेपी और जेजेपी के रास्ते अलग हो गए थे। इसके बाद अब जेजेपी ने आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन का फैसला किया है।

इनेलो से अलग होकर बनी नई पार्टी जजपा का किसान वर्ग से कोर वोटर था। हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान जजपा को भाजपा का साथ छोड़ने की किसानों ने मांग की थी, लेकिन पार्टी गठबंधन में बनी रही। जिसका नुकसान लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। कई साक्षात्कार में खुद दुष्यंत चौटाला भी मान चुके हैं कि किसान आंदोलन के दौरान उन्हें पब्लिक सेंटिमेंट को समझने में चुक हुई है। जिसका उनको लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जारी की 32 उम्मीदवारों की लिस्ट, उमर अब्दुल्ला इस सीट से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

#national_conference_32_candidates_list_omar_abdullah_ganderbal_seat

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखें सामने चुकी हैं। सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं और उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर रहे हैं। इस बीच जम्मू -कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 32 उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी की है। इससे पहले पार्टी ने 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। खास बात ये भी है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी चुनाव लड़ेंगे।

नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जारी दूसरी सूची के अनुसार, उमर अब्दुल्ला गांदरबल से, तनवीर सादिक जदीबल से, मियां मेहर अली कंगन से, सलमान सागर हजरतबल से, अली मोहम्मद सागर खानयार से, शमीमा फिरदौस हब्बा कदल से, मुश्ताक गुरु चनापोरा से चुनाव लड़ेंगे। लाल चौक से अहसान परदेसी और ईदगाह से मुबारक गुल चुनाव लडे़ंगे।

गांदरबल सीट काफी दिलचस्प होने वाली है।गंदेरबल को नेशनल कॉन्फ्रेंस का मजबूत गढ़ माना जाता है, क्योंकि इस सीट से अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढ़ियों ने जीत दर्ज की है। 1977 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला यहां से जीते थे। 1983, 1987 और 1996 में उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला और 2008 में उमर अब्दुल्ला ने यहां से जीत दर्ज की। 2014 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर ही शेख इश्फाक जब्बार ने गंदेरबल से सीट जीती थी। इससे पहले वे कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से हार चुके हैं।

कराब 5 साल बाद हो रहे जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। कुल 90 विधानसभा सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस 32 सीटों पर फाइट करेगी, जबकि पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी। इसके अलावा दो सीट सहयोगी दल सीपीआईएम और पैंथर्स के लिए छोड़ी गई है।

दिल्ली शराब घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने के. कविता को दी जमानत, 5 माह से जेल में हैं बंद

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दिल्ली आबकारी नीति मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीआरएस नेता के कविता को जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ दी गई जमानत के साथ कुछ शर्तें भी लगाई हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी से भी कई सवाल उठाए हैं। जमानत का आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को भी फटकार लगाई और उनकी जांच के तरीके पर सवाल उठाए। आपको बताते चलें कि के कविता को 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। कविता तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर की बेटी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें हाईकोर्ट ने के. कविता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने के. कविता को दोनों मामलों में 10-10 लाख रुपये का जमानत बांड भरने, गवाहों से छेड़छाड़ न करने और गवाहों को प्रभावित न करने की शर्त पर जमानत देने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति बीआर गवई, केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों ईडी और सीबीआई से पूछा कि उनके पास के कविता के कथित घोटाले में शामिल होने के क्या सबूत हैं और जो सबूत हैं वो अदालत को दिखाएं।

एडवोकेट मुकुल रोहतगी के. कविता की ओर से पेश हुए।सुनवाई के दौरान एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा कि के. कविता अभी विधायक है, सीबीआई और ईडी मामले में जांच पूरी हो चुकी है। दोनों मामलों में गवाहों की कुल संख्या 493 है और दस्तावेजों की कुल संख्या करीब 50,000 पन्नों की है। वह एक पूर्व सांसद हैं और इस बात की कोई संभावना नहीं है कि वह न्याय से भागकर कहीं चली जाएंगी।

रोहतगी ने आगे कहा कि इस मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत मिल चुकी है। सामान्य तौर पर महिलाओं को जमानत मिल जाती है। इस पर बेंच ने कहा कि आप कोई कमज़ोर महिला नहीं हैं। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप एमएलए हैं या एमएलसी। आरोप है कि साउथ लॉबी से 100 करोड़ रुपये दिल्ली भेजे गए, लेकिन कोई रिकवरी नहीं हुई। मैंने कोई फोन फॉर्मेट नहीं किया है, जैसा आरोप लगाया जा रहा है।

इस पर एएसजी राजू ने अपनी दलील देते हुए कहा कि कविता का व्यवहार सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को धमकाने जैसा रहा है। इनके फोन की जांच करने पर पता चला कि उसमें कोई डेटा नहीं था। इस पर बेंच ने कहा कि लोग मैसेज डिलीट कर देते हैं। मुझे भी डिलीट करने की आदत है। एएसजी राजू ने बेंच से आगे कहा कि लोग मैसेज डिलीट करते हैं, पूरा फ़ोन फ़ॉर्मेट नहीं करते।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फोन फॉर्मेट करना और सबूत मिटाना दोनों अलग-अलग बातें है। आप साबित करिए कि उन्होंने सबूत मिटाए है। जांच पूरी हो चुकी है, आरोपत्र दाखिल हो चुके है। इस मामले में 493 गवाह है। वो महिला हैं। उनको जमानत क्यों नहीं दी जाए? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीआरेस नेता के. कविता को ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में जमानत दे दी।