विनेश फोगाट को लेकर सामने आया बड़ा अपडेट, सिल्वर मेडल की अपील पर कब आएगा फैसला



डेस्क: ओलंपिक 2024 अब अपने आखिरी दौर में है। 11 अगस्त को पेरिस ओलंपिक की क्लोजिंग सेरेमनी का आयोजन किया जाएगा। इस बार ओलंपिक में भारत ने कुल एक सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। भारतीय एथलीटों ने इस ओलंपिक में उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया है। इसी बीच विनेश फोगाट के सिल्वर मेडल की मांग को लेकर फैसला अभी भी फंसा हुआ है। हालांकि उनके आवेदन को 8 अगस्त को स्वीकार कर लिया गया था। दरअसल महिलाओं की रेसलिंग में 50 किग्रा प्रतियोगिता के गोल्ड मैच से पहले विनेश फोगाट को 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

विनेश फोगाट की CAS  (Court of Arbitration for Sports) ने कथित तौर पर पेरिस ओलंपिक 2024 के अंत से पहले भारतीय पहलवान विनेश फोगट की अयोग्यता के खिलाफ याचिका पर अंतिम फैसला लेने का फैसला किया है। बुधवार को महिलाओं की 50 किग्रा की फाइनल बाउट से कुछ घंटे पहले आयोजकों द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित किए जाने के बाद विनेश ने सीएएस का दरवाजा खटखटाया था।


29 वर्षीय भारतीय स्टार का वजन अमेरिका की सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ स्वर्ण पदक के लिए अपने अंतिम मुकाबले से कुछ घंटे पहले 100 ग्राम अधिक पाया गया। IOC ने विनेश को अयोग्य घोषित कर दिया और उन्हें रजत पदक देने से इनकार करके भारतीय खेमे को और भी हैरान कर दिया। भारतीय फैंस, भारतीय कुश्ती महासंघ और भारतीय ओलंपिक संघ ने विनेश की अयोग्यता पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

वहीं विनेश ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा करके अपने फैंस को चौंका दिया और सीएएस में रजत पदक के लिए अपील की। सीएएस द्वारा जारी मीडिया एडवाइजरी के अनुसार, विनेश ने आईओसी के फैसले को एड हॉक डिवीजन में चुनौती दी और फाइनल मैच से पहले एक और वजन-माप की मांग की, लेकिन तत्काल सुनवाई का अनुरोध नहीं किया।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर विपक्ष की चुप्पी पर अनुराग ठाकुपर ने उठाया सवाल, पूछा-आखिर क्या मजबूरी थी?
#anurag_thakur_on_rahul_gandhi_on_situation_of_minorities_in_bangladesh

बांग्लादेश में हिंसा पर दुनिया के तमाम नेता चिंता जता रहे हैं। वहां अल्पसंख्यकों, हिंदुओं पर हमले की आलोचना कर रहे हैं। भारत के हिंदूवादी संगठनों ने इसे रोकने की अपील की है। हालांकि, विपक्ष के नेताओं का इस मसले पर कोई बयान नहीं आया है। राहुल गांधी समेत इंडिया ब्लॉक के किसी नेता ने बांग्लादेश में हो रही घटनाओं की न तो आलोचना की और न ही किसी तरह का विरोध जताया।शुक्रवार बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में बांग्लादेश का जिक्र किया और जो कुछ वहां चल रहा है उसकी बात की। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को यह कहते हुए घेरने की कोशिश की कि नेता प्रतिपक्ष ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में (कुछ) नहीं बोला है।

उन्होंने कहा, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाला, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई दी, लेकिन साथ ही उन्होंने उनसे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कहा। ठाकुर ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष ने अंतरिम सरकार (बांग्लादेश की) को बधाई दी, लेकिन हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का जिक्र नहीं किया। ठाकुर ने कहा, (आखिर) क्या मजबूरी थी? आपने गाजा के बारे में बात की, लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के बारे में नहीं।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि पीएम मोदी ने ट्वीट कर अंतरिम सरकार के प्रमुख को बधाई दी साथ ही हिंदुओं की सुरक्षा की बात की। अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब नेता प्रतिपक्ष ने ट्वीट किया और बधाई दी तो हिंदुओं की सुरक्षा की कोई बातचीत नहीं थी और ना ही उल्लेख किया। ऐसी कौन सी मजबूरी थी जो हिंदुओं का नाम नहीं लिया। वह गाजा को लेकर बड़ी बड़ी बाते करते हैं लेकिन इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोले

बता दें कि राजनीतिक रूप से अस्थिरता का सामना कर रहे बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने वाले मोहम्मद यूनुस को शुभकामनाएं दीं और देश में जल्द ही स्थिति सामान्य होने तथा हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होने की उम्मीद जताई। मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को मेरी ओर से शुभकामनाएं। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी और हिंदुओं व अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने के बाद गुरुवार को उन्हें बधाई दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने पर प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को बधाई। शांति और सामान्य स्थिति की शीघ्र बहाली समय की मांग है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर विपक्ष की चुप्पी पर अनुराग ठाकुपर ने उठाया सवाल, पूछा-आखिर क्या मजबूरी थी?*
#anurag_thakur_on_rahul_gandhi_on_situation_of_minorities_in_bangladesh बांग्लादेश में हिंसा पर दुनिया के तमाम नेता चिंता जता रहे हैं। वहां अल्पसंख्यकों, हिंदुओं पर हमले की आलोचना कर रहे हैं। भारत के हिंदूवादी संगठनों ने इसे रोकने की अपील की है। हालांकि, विपक्ष के नेताओं का इस मसले पर कोई बयान नहीं आया है। राहुल गांधी समेत इंडिया ब्लॉक के किसी नेता ने बांग्लादेश में हो रही घटनाओं की न तो आलोचना की और न ही किसी तरह का विरोध जताया।शुक्रवार बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में बांग्लादेश का जिक्र किया और जो कुछ वहां चल रहा है उसकी बात की। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को यह कहते हुए घेरने की कोशिश की कि नेता प्रतिपक्ष ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में (कुछ) नहीं बोला है। उन्होंने कहा, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाला, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई दी, लेकिन साथ ही उन्होंने उनसे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कहा। ठाकुर ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष ने अंतरिम सरकार (बांग्लादेश की) को बधाई दी, लेकिन हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का जिक्र नहीं किया। ठाकुर ने कहा, (आखिर) क्या मजबूरी थी? आपने गाजा के बारे में बात की, लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के बारे में नहीं। अनुराग ठाकुर ने कहा कि पीएम मोदी ने ट्वीट कर अंतरिम सरकार के प्रमुख को बधाई दी साथ ही हिंदुओं की सुरक्षा की बात की। अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब नेता प्रतिपक्ष ने ट्वीट किया और बधाई दी तो हिंदुओं की सुरक्षा की कोई बातचीत नहीं थी और ना ही उल्लेख किया। ऐसी कौन सी मजबूरी थी जो हिंदुओं का नाम नहीं लिया। वह गाजा को लेकर बड़ी बड़ी बाते करते हैं लेकिन इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोले बता दें कि राजनीतिक रूप से अस्थिरता का सामना कर रहे बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने वाले मोहम्मद यूनुस को शुभकामनाएं दीं और देश में जल्द ही स्थिति सामान्य होने तथा हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होने की उम्मीद जताई। मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को मेरी ओर से शुभकामनाएं। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी और हिंदुओं व अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने के बाद गुरुवार को उन्हें बधाई दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने पर प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को बधाई। शांति और सामान्य स्थिति की शीघ्र बहाली समय की मांग है।
वक्फ संशोधन विधेयक के लिए जेपीसी की घोषणा, ओवैसी समेत ये सांसद कमिटी में शामिल
#waqf_board_amendment_bill_2024_jpc_31_members

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम बिल 2024 के लिए आज जेपीसी के सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कुल 31 सदस्यों के नाम का ऐलान किया। लोकसभा के 21 सदस्यों के अलावा राज्यसभा के भी 10 सदस्यों के नाम जेपीसी में शामिल किए गए हैं। गुरुवार को लोकसभा में बहस के बाद बिल को जेपीसी को भेजने का फैसला किया गया था। गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया गया और गरमागरम बहस के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया। सरकार ने कहा कि प्रस्तावित कानून का मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं है और विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाना और संविधान पर हमला बताया।

जेपीसी का कोरम कुल सदस्यों का एक तिहाई माना जाएगा। कमिटी इस बारे में अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के आखिरी सप्ताह में सदन को सौंपेगी।

जेपीसी में लोकसभा के सदस्य
1-जगदंबिका पाल
2-निशिकांत दुबे
3-तेजस्वी सूर्या
4-अपराजिता सारंगी
5-संजय जायसवाल
6-दिलीप सैकिया
7-अविजीत गंगोपाध्याय
8-डी के अरुणा
9-गौरव गोगोई
10-इमरान मसूद
11-मोहम्मद जावेद
12-मौलाना मोइबुल्ला
13-कल्याण बनर्जी
14-ए राजा
15-श्रीकृष्णा देवारायलू
16-दिनेश्वर कमायत
17-अरविंद सावंत
18-एम सुरेश गोपीनाथ
19-नरेश गणपत मास्के
20-अरुण भारती
21-असदुद्दीन ओवैसी


जेपीसी में राज्यसभा के सदस्य
1-बृज लाल
2-डॉ. मेधा विसराम कुलकर्णी
3-गुलाम अली
4-डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल
5-सईद नासिर हुसैन
6-मोहम्मद नदीम उल हक
7-वी विजयसाई रेड्डी
8-एम मोहम्मद अब्दुल्ला
9-संजय सिंह
10-डॉ. डी वीरेंद्र हेगड़े
राज्यसभा में विपक्ष के खिलाफ आया निंदा प्रस्ताव, क्या जया बच्चन और सभापति के बीच बहस से है संबंध
#nadda_moves_censure_motion_against_opposition_in_rajya_sabha

राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने सभापति की टोन पर सवाल उठाए। जया बच्चन के इस अंदाज से सभापति जगदीप धनखड़ भी भड़क उठे और मर्यादा में रहने की नसीहत दे डाली।सभापति ने जया बच्चन की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें स्कूली शिक्षा नहीं चाहिए। वह किसी स्क्रिप्ट के अनुसार नहीं चलते हैं और उनकी अपनी स्क्रिप्ट है। इस पर विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा से वाकआउट कर दिया। राज्यसभा में विपक्ष के आचरण को अमर्यादित बताते हुए निंदा प्रस्ताव लाया गया।

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में विपक्ष के व्यवहार की आलोचना की और कहा कि विपक्ष का आचरण अनुचित और निंदनीय है। उन्होंने सदन में विपक्ष के व्यवहार पर निंदा प्रस्ताव पेश किया। नड्डा ने कहा कि विपक्ष चर्चा की दृष्टि से मुद्दा विहीन और मर्यादाहीन हो गया है। प्रजातंत्र के मूल्यों की रक्षा करना सदन की जिम्मेदारी है। सदन सर्वसम्मति से इस घटना की निंदा करता है।

जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष चर्चा की दृष्टि से मुद्दाहीन हो गया है। प्रजातांत्रिक मूल्यों का हनन होना ये सदन कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रजातंत्र के मूल्यों की रक्षा करना ये सदन का कर्तव्य है। इसलिए यह सदन सर्वसम्मति से आज की घटना की सर्वसम्मति से निंदा करता है। प्रस्तावित करता है कि इस घटनाओं की घोर निंदा की जाए। किसी पार्टी का विरोध करते-करते देश का विरोध करना, देश की विघटनकारी शक्तियों का विरोध करना ये अति ही निंदनीय है। इसलिए सर्वसम्मति से आज की घटना की मैं निंदा करता हूं।
एस जयशंकर ने भी माना भारतीयों नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती के लिए किया गया गुमराह, लोकसभा में दिया बयान*
#s_jaishankar_on_indian_civilians_in_russian_army
लोकसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूसी सेना में भर्ती किए गए भारतीयों को लेकर बयान दिया है। जयशंकर के मुताबिक़, 91 भारतीय नागरिक रूसी सेना में शामिल हुए थे। इनमें से आठ नागरिकों की मौत भी हो चुकी है। विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि 14 भारतीयों को सरकारी सहायता से रूसी सेना से बाहर निकाल लिया गया है। जबकि 69 भारतीय अभी भी रूस से वापस भारत आने का इंतज़ार कर रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि कई मामलों में ऐसे संकेत मिले हैं कि भारतीय नागरिकों को गुमराह किया गया। लोकसभा में बोलते हुए मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में नागरिकों की साइबर अपराध तस्करी जैसे मुद्दों को गंभीरता से लिया है। *रूसी सेना से 69 भारतीय नागरिकों की रिहाई का इंतजार* एस जयशंकर ने कहा कि रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती के अब तक कुल 91 मामले सामने आए हैं। इनमें से आठ की मौत हो चुकी है, 14 को छुट्टी दे दी गई है या वापस भेज दिया गया है और 69 नागरिकों की रिहाई का इंतजार है। उन्होंने कहा, 'हम इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। मैंने खुद रूसी विदेश मंत्री के साथ कई बार इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। *हमारे नागरिकों को गुमराह किया गया-जयशंकर* जयशंकर ने बताया कि समस्या यह है कि रूसी अधिकारी यह मानते हैं कि इन भारतीय नागरिकों ने रूसी सेना के साथ सर्विस के लिए क़रार किया था। लेकिन हम ऐसा नहीं मानते, मुझे लगता है कि हमारे नागरिकों को गुमराह किया गया था, उन्हें बताया गया था कि वे किसी अन्य नौकरी के लिए जा रहे हैं और फिर उन्हें रूसी सेना में तैनात किया गया। विदेश मंत्री ने बताया कि सीबीआई ने 19 व्यक्तियों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किया है। उन 14 लोगों की जांच भी हुई है, जो रूस से लौटे हैं। 10 मानव तस्करों के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत सामने आए हैं। इस मामले की जांच के दौरान, 24 अप्रैल को दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया और 7 मई को दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया। सभी चार अभियुक्त अभी में न्यायिक हिरासत में हैं।
ईरान-इजराइल के बीच युद्ध की आशंकाः दो दुश्मनों को ऐसे साध रहा भारत
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ईरान और इजरायल दोनों के बीच इन दिनों तकरार अपने चरम पर है। ईरान और इजराइल के बीच बढ़ती तनातनी के मध्य पूर्व में जंग के से हालात हैं। इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स कहती है ईरान हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत के बाद इजरायल को सबक सिखाने के लिए पूरी तरह तैयार है। दूसरी तरफ ये चर्चा चल रही है कि अगर इन दोनों देशों में युद्ध छिड़ा तो विश्व में शांति का संदेश देने वाला भारत का स्टैंड क्या होगा? युद्ध में भारत आखिर किसका साथ देगा? इसे समझने के लिए ईरान और इजरायल के साथ भारत के रिश्ते को समझना पड़ेगा।

ईरान और इजरायल दोनों के साथ ही भारत के मैत्री संबंध हैं। दोनों देशों से भारत व्यापार करता है जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम हैं। दोनों ही देशों से भारत पहले ही ड‍िप्‍लोमेसी का रास्‍ता अपनाने की बात कह चुका है। वह ब‍िल्‍कुल नहीं चाहता क‍ि उसके दो दोस्‍त आपस में भ‍िड़ जाएं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि भारत के लिए ये स्थिति और परेशानी वाली हो सकती है क्योंकि ईरान और इजराइल दोनों से उसके अच्छे संबंध हैं। तो जानते हैं भारत के इन दोनों देशों के साथ कैसे कारोबारी रिश्‍ते हैं?

*पांच साल में भारत-इजरायल व्यापार दोगुना हुआ*
इजराइल के साथ भारत के राजनयिक संबंधों का इतिहास बहुत लंबा नहीं है। इजराइल 1948 में एक देश के तौर पर अस्तित्व में आया। जिसके बाद भारत ने 1992 में उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। हालांकि, इसके बाद से भारत के इजराइल के साथ संबंध दिनोंदिन मज़बूत होते चले गए। अब इजराइल भारत को हथियार और तकनीकी निर्यात करने वाले शीर्ष देशों में से एक है।
पिछले पांच साल में भारत-इजरायल व्यापार दोगुना हो गया है। भारत ने 1992 में इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। तब से दोनों देशों के बीच ट्रेड काफी बढ़ा है। यह 1992 में लगभग 20 करोड़ डॉलर (मुख्य रूप से डायमंड) से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 10.7 अरब डॉलर (रक्षा को छोड़कर) हो गया है। पिछले चार सालों में यह बढ़ोतरी तेज हुई है। इस दौरान व्यापार दोगुना हो गया। 2018-19 में 5.56 अरब डॉलर से 2022-23 में यह बढ़कर 10.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2021-22 और 2022-23 के बीच व्यापार में 36.90 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह 7.87 अरब डॉलर से 10.77 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

*भारत और इजरायल में गहरा रक्षा संबंध*
भारत और इजरायल विभिन्न रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साझेदारी साझा करते हैं। इजरायल भारत के शीर्ष हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस प्रसिद्ध इजरायली रक्षा दिग्गज और हथियार निर्माता के लिए प्राथमिक विदेशी ग्राहक है। हाल की कई रिपोर्टें इजरायल-गाजा संघर्ष के दौरान इजरायल की गोला-बारूद की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देती हैं। भारत ने इस संकट के दौरान इजरायल को गोला-बारूद उपलब्ध कराकर उसका समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

*ईरान के साथ भारत के पुराने रिश्ते*
इजराइल से उलट ईरान के साथ भारत के पुराने रिश्ते हैं। भारत और ईरान के बीच के संबंध का काफी पुराना इतिहास है। दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, व्यापारिक और कनेक्टिविटी सहयोग, सांस्कृतिक संबंध हैं। 15 मार्च 1950 को भारत और ईरान ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे। ईरान भारत को तेल आपूर्ति करने वाले शीर्ष देशों में से एक था। ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम की वजह से लगे अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधों से पहले भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश ईरान था।

*पिछले पांच साल में भारत-ईरान व्यापार का मूल्य कम हुआ*
पिछले पांच साल में भारत-ईरान व्यापार का मूल्य कम हो गया है। वित्‍त वर्ष 2022-23 में ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। उसके साथ द्विपक्षीय व्यापार 2.33 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ोतरी से पहले ईरान के साथ भारत के व्यापार में कॉन्‍ट्रैक्‍शन देखा गया है। इसमें 2021-22 में 21.77 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। यह 1.94 अरब डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 2.33 अरब डॉलर हो गया था। हालांकि, इसके पिछले तीन वर्षों (2019-20, 2020-21 और 2021-22) में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर साल-दर-साल 9.10 फीसदी से 72 फीसदी तक कॉन्‍ट्रैक्‍शन देखने को मिला। ईरान के साथ व्यापार भी 2018-19 में 17 अरब डॉलर के ऊंचे स्तर से घटकर 2019-20 में 4.77 अरब डॉलर और 2020-21 में 2.11 अरब डॉलर रह गया।

*ईरान के मुकाबले इजराइल से ज्यादा मजबूत संबंध*
इजरायल के साथ भारत के संबंध ईरान के मुकाबले काफी मजबूत हैं। अगर दोनों की तुलना करें तो इजरायल के साथ भारत कई मोर्चों पर डटा हुआ है। चाहे वो दोनों देशों के बीच राजनैतिक संबंध हों, चाहे वो कृषि हो, शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, डिफेंस सेक्टर हो या पानी को लेकर संधि हो, इजरायल और भारत लगभग हर मोर्चे पर एक-दूसरे के साथ हैं।

*दो कट्टर दुश्मनों को ऐसे साध रहा*
हालांकि, इजरायल और ईरान दोनों एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं। इसके बावजूद भारत ने मध्य पूर्व के इन दोनों महत्वपूर्ण देशों का साधते हुए अपनी कूटनीति के दम पर विजय पाई है। भारत ने ईरान और इज़राइल में हितों को संतुलित करने का प्रयास किया है। एक तरफ भारत, ईरान समर्थित हमास के साथ इजराइल के संघर्ष में युद्ध सामग्री के रणनीतिक आपूर्तिकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका स्थापित की है। इस बीच, एक महत्वपूर्ण कदम में, मई 2024 में भारत ने इजरायल के प्रतिद्वंद्वी ईरान के साथ चाबहार के रणनीतिक बंदरगाह को संचालित करने के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
राज्यसभा में जगदीप धनखड़-जया बच्चन में तीखी बहस, विपक्ष का वॉकआउट
#jaya_bacchan_angry_once_again_in_rajya_sabha_jagdeep_dhankhar
राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान आज हंगामा हो गया। दरअसल राज्यसभा में सपा सांसद जया बच्चन और सभापति जगदीप धनखड़ में तीखी बहस हो गई। इसके विरोध में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। सदन में जया बच्चन ने जगदीप धनखड़ के बोलने के तरीके पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि वह अभिनेत्री हैं, कलाकार हैं, टोन समझती हैं और सभापति की टोन या बॉडी लैंग्वेज (हाव-भाव) ठीक नहीं है। इस पर जगदीप धनखड़ ने कहा कि बेशक आप टोन समझती हैं, लेकिन एक अभिनेता को डायरेक्टर की बात सुननी होती है। यहां का डायरेक्टर मैं हूं, इसलिए मेरी बात मानिए, बैठ जाइए। दरअसल, सभापति ने जया बच्चन को जया अमिताभ बच्चन कहकर बुलाया था, जिस पर राज्यसभा सांसद कई बार आपत्ति जता चुकी हैं।

समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के नाम को लेकर राज्यसभा में आज फिर हंगामा हो गया। राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन को अपनी बात रखने के लिए जब आमंत्रित किया, तो उन्होंने जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया। इस बात पर जया बच्चन ने आपत्ति जताई। जया बच्चन ने कहा, "मैं कलाकार हूं, बॉडी लैंग्वेज समझती हूं और एक्सप्रेशन (भाव) समझती हूं। मुझे माफ कीजिएगा सर, लेकिन आपका जो टोन है, वो मुझे स्वीकार नहीं है। हम सहकर्मी हैं, भले ही आप चेयर पर क्यों नहीं बैठे हों।"

इस पर सभापति ने कहा, "ये धारणा नहीं रखें कि सिर्फ आपकी ही प्रतिष्ठा है। एक वरिष्ठ संसद सदस्य के रूप में आपके पास सभापति की प्रतिष्ठा को कम करने का लाइसेंस नहीं है।" सभापति धनखड़ ने कहा, "जया जी, कृपया अपने स्थान पर बैठिए। आपने अपनी एक प्रतिष्ठा बनाई है। आप जानती हैं कि अभिनेता निर्देशक के अनुसार काम करता है। आपने वह चीजें नहीं देखी हैं, जो मैंने यहां इस आसन पर बैठकर देखा हूं। आप मेरे लहजे के बारे में बात कर रही हैं? बस बहुत हुआ। आप होंगे सेलिब्रिटी, लेकिन आपको यहां सदन की गरिमा का ध्यान रखना होगा।"

वहीं, सदन से बाहर आने पर जया बच्चन ने मीडिया से कहा, "मैंने सभापति के टोन को लेकर आपत्ति जताई। हम स्कूल जाने वाले बच्चे नहीं हैं। हममें से कुछ वरिष्ठ नागरिक हैं। मैं उनके बोलने के लहजे से परेशान थी और खासकर जब विपक्ष के नेता बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने माइक बंद कर दिया। आप यह कैसे कर सकते हैं? आपको विपक्ष के नेता को बोलने देना चाहिए।"
जया बच्चन ने आगे कहा, "मेरा मतलब है  कि हर बार असंसदीय शब्दों का प्रयोग करना, जो मैं यहां सबके सामने नहीं कहना चाहती। तुम उपद्रवी हो, 'बुद्धिहीन' हो, ये कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आप सेलिब्रिटी हो सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उनसे परवाह करने के लिए नहीं कह रही हूं। मैं कह रही हूं कि मैं संसद की सदस्य हूं। यह मेरा पांचवां कार्यकाल है। मैं जानती हूं कि मैं क्या कह रही हूं। आजकल संसद में जिस तरह से बातें कही जा रही हैं, पहले कभी किसी ने नहीं बोलीं।मुझे माफी चाहिए।"

जया बच्चन इससे पहले भी राज्यसभा में सभापति से उलझती रही हैं। इसी सत्र में जब उपसभापति हरिवंश सदन का संचालन कर रहे थे तब उन्होंने जया बच्चन को पूरा नाम (जया अमिताभ बच्चन) लेकर संबोधित किया था। इस पर जया बच्चन ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि आज के समय में औरतों को उनके पति के नाम से जाना जाता है, जैसे किसी औरत की खुद की कोई पहचान नहीं है। इस पर हरिवंश ने कहा था कि आपने खुद के दम पर नाम कमाया है।

राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ने अगले दिन इसका जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि हरिवंश की छवि नियमों को मानने वाले सरल और शांत व्यक्ति की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि रिकॉर्ड में जया का नाम जया अमिताभ बच्चन ही है। ऐसे में हरिवंश ने कुछ गलत नहीं किया था। दिलचस्प बात यह है कि जब शुक्रवार को जया को बोलने का मौका मिला तो उन्होंने खुद अपना नाम जया अमिताभ बच्चन ही लिया।
सीएएस में विनेश फोगाट की अपील पर सुनवाई आज, देश के जाने-माने ये वकील करेंगे पैरवी

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पहलवान विनेश फोगाट ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई थी। हर तरफ उनकी जीत का जश्न मनाया जा रहा था, विनेश फोगाट ने क्यूबा की युसनेलिस गुजमैन जैसी उस खिलाड़ी को हराया जिन्हें आज तक कोई हरा पाने में कामयाबी हासिल नहीं कर पाया था।जिसके बाद पूरा भारत उस एक मैच का इंतजार कर रहा था, जिसमें विनेश फोगाट गोल्ड के लिए मुकाबला करने वाली थी। हा लांकि इससे पहले पूरे देश के सपनों पर पानी फिर गया। पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित कर दिया गया। विनेश फोगाट ने महिला रेसलिंग के 50 किग्रा वर्ग के फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ बुधवार को खेल पंचाट (सीएएस) में अपील की और मांग की कि उन्हें संयुक्त सिल्वर मेडल दिया जाए। सीएएस ने विनेश की अपील को स्वीकार कर लिया है और इस मामलें में अब फैसला आज आएगा। 

विनेश फोगाट 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल रेसलिंग कैटगरी के फाइनल मुकाबले में पहुंच गई थी, मैच से कुछ ही देर पहले उन्हें अयोग्य ठहरा दिया गया। उनको अयोग्य ठहराने के पीछे वजह बताई गई कि विनेश फोगाट का वजन नियम से ज्यादा है। उनका वजन करीब 100 ग्राम ज्यादा था, ऐसे में नियम के कारण वह सेमीफाइनल जीतने के बाद भी गोल्ड मेडल से चूक गईं। विनेश फोगाट ने वजन कम करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की लेकिन उनका वजन 100 ग्राम फिर भी ज्यादा पाया गया। विनेश ने इस फैसले पर आपत्ति जताई और सीएएस में संयुक्त सिल्वर मेडल देने की मांग की।

क्या है सीएएस?

जब किसी भी खेल में जब कोई विवाद होता है तो खिलाड़ी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) में अपनी याचिका दायर करता है। विनेश फोगाट ने भी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) में अपनी याचिका दायर की है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) एक स्वतंत्र संस्था है जो खेल जगत में हुए किसी भी विवाद के निपटारे के लिए काम करती है, इस कोर्ट में ही खिलाड़ी, कोच किसी भी तरह की फैसले पर आपत्ति या और भी किसी तरह के विवाद होने पर अपील कर सकते हैं। सीएएस का गठन साल 1984 में किया गया। इस कोर्ट का हेड ऑफिस स्विट्जरलैंड में है।

देश के जाने-माने वकील हरीश साल्वे करेंगे फोगाट की पैरवी

देश के जाने-माने वकील हरीश साल्वे शुक्रवार को पेरिस ओलंपिक से पहलवान विनेश फोगाट की पैरवी करेंगे। भारत सरकार (जीओआई) ने विनेश को सपोर्ट करने के लिए सुनवाई से पहले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को उनका वकील नियुक्त किया है। साल्वे ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उन्हें खेल पंचाट में फोगाट का प्रतिनिधित्व करने के लिए आईओए द्वारा नियुक्त किया गया है।

पेरिस ओलिंपिक 2024 : बला की खूबसूरत होने के कारण पराग्वे की महिला एथलीट को ओलंपिक से वापस भेजा गया घर

पैराग्वे की 20 साल की तैराक लुआना अलोंसो के साथ यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। साथी खिलाड़ियों ने अधिकारियों से यह शिकायत कि अलोंसो की अत्यधिक खूबसूरती से उनका ध्यान भटक रहा है। अलोंसो से ओलंपिक विलेज का कमरा खाली करने को कहा गया है। पेरिस में हो रहे ओलंपिक 2024 में पैराग्वे की 20 साल की तैराक लुआना अलोंसो का ज्यादा सुंदर होना उनके लिए मुश्किल बन गया। उनको ओलंपिक विलेज में कमरा खाली करने कहा गया और ओलंपिक छोड़कर वापस अपने देश लौटने बोल दिया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक ओलंपिक में भाग लेने पहुंचे पैराग्वे के कुछ खिलाड़ियों ने अधिकारियों से लुआना की सुंदरता को लेकर शिकायत की थी। खिलाड़ियों का कहना था कि लुआना इतनी खूबसूरत हैं कि वो खेल पर ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं और उनका ध्यान भटक रहा है। घटना पैराग्वे की 20 की तैराक लुआना अलोंसो के हुई है। लुआना अलोंसो (Luana Alonso) को हद से ज्यादा खूबसूरत होने के चलते ओलंपिक विलेज से वापस उनके देश भेज दिया गया। अन्य खिलाड़ियों के शिकायत दर्ज कराने के बाद जब अधिकारियों ने इस तरफ ध्यान दिया तो उनका भी यही मानना था। अधिकारियों ने पाया कि अलोंसो की सुंदरता ध्यान भटकाने वाली है। पैराग्वे के खिलाड़ियों को साथ मौजूद अधिकारियों को लगा कि लुआना की सुंदरता खिलाड़ियों पर भारी पड़ सकती है और प्रदर्शन खराब हो सकता है। ऐसे में लुआना उनको वापस घर भेज दिया गया।