भारत में घुसने की कोशिश करे रहे हैं बांग्लादेशी, बीएसएफ अलर्ट*
#bangladeshis_trying_to_enter_india पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से हिंदूओं पर भीषण अत्याचार हो रहे हैं। राजनीतिक अराजकता और अशांति के बीच बड़ी संख्या में बांग्लादेशी भारत की सीमा पार करने की कोशिश में लगे हुए हैं। हालांकि, चौकस सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने उन्हें पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करने से रोक दिया। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में भारत बांग्लादेश सीमा पर 1 हजार से ज्यादा बांग्लादेशी हिंदू पहुंच गए हैं। वे बॉर्डर पार कर भारत आना चाहते हैं। भारत में इनके घुसपैठ के प्रयास को बीएसफ ने रोक रखा है। बीएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि भारी संख्या में बांग्लादेशी नागरिकों के एक समूह को रोका है, जो पश्चिम बंगाल में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पार कर भारतीय सीमा में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। बीएसएफ ने उन्हें सतकुरा सीमा पर रोक लिया है। यह घटना जलपाईगुड़ी जिले के दक्षिण बेरूबारी पंचायत की है। बता दें कि बांग्लादेशी नागरिकों का कहना है कि देश में जारी हिंसा के बीच उनके घरों में तोड़फोड़ की गई है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बावजूद अशांति जारी रहने के कारण वे अपनी जान बचाने के लिए भारत में शरण लेना चाहते हैं। इसी क्रम में एक बांग्लादेशी दंपति को उनके बच्चे के साथ मंगलवार शाम को अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास करते हुए पकड़ा गया था और दोनों के पास फर्जी आधार और पैन कार्ड थे। पूछताछ के दौरान, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने इस तरह के फर्जी भारतीय पहचान दस्तावेज तैयार करने के लिए भारी मात्रा में पैसा खर्च किया ताकि उनके बच्चे का इलाज भारतीय अस्पतालों में हो सके। बांग्लादेश के रंगपुर के रहने वाले दो व्यक्ति इनामुल हक सोहेल और संजीदा जीनत इलाही से पूछताछ की गई। उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए, जिसके बाद उन्हें बांग्लादेश वापस भेज दिया गया। दरअसल, बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ छात्रों का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है। छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हो गया। हालात ऐसे हो गये कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। वह इस समय भारत में हैं। उनके भारत आने के बाद बांग्लादेश में दंगाइयों ने खूब उत्पात मचाया। सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। प्रधानमंत्री आवास में घुसकर उन्होंने तोड़-फोड़ की।
*पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन, 80 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

#west_bengal_ex_cm_budhadev_bhattacharya_passes_away 

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य का निधन हो गया है। वह 80 साल के थे और बीते काफी समय से बीमार चल रहे थे।बुद्धदेव भट्टाचार्य को जुलाई महीने के आखिर में सांस की समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भट्टाचार्या ने गुरुवार सुबह करीब 8.20 बजे आखिरी सांस ली। उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, जिसकी वजह से उन्हें जुलाई में अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था। वह काफी समय से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और बुढ़ापे से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित थे।

बुद्धदेव की निधन की खबर उनके बेटे सुचेतन भट्टाचार्य ने गुरुवार सुबह दी।जानकारी के मुताबिक, बुद्धदेव ने सुबह नाश्ता भी किया था। इसके बाद वे अस्वस्थ हुए। सुबह करीब 8.20 बजे पाम एवेन्यू स्थित घर पर ही उन्होंने देह त्याग दिया। 

बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया। सुवेंदु ने ट्वीट कर कहा कि बुद्धदेव भट्टाचार्य अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले। इनके अलावा भी कई नेताओं ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया है।

भट्टाचार्य ने लंबे समय तक बंगाल में शासन किया था। बुद्धदेव भट्टाचार्य नवंबर 2000 से मई 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वरिष्ठ वामपंथी नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, पोलित ब्यूरो के पूर्व सदस्य भी थे। 2011 के राज्य चुनावों में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने वामपंथी शासन का अंत किया था। बुद्धदेव भट्टाचार्य की पार्टी के हारते ही बंगाल में 34 साल का कम्युनिस्ट शासन समाप्त हो गया था।

बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह सीपीआई (एम) से जुड़ गए थे। उन्हें सीपीआई की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव बनाया गया थे, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था। अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर वो तेजी से चमके और बंगाली राजनीति के शिखर तक पहुंचे।

कम होंगी वक्फ बोर्ड की शक्तियां? आज लोकसभा में पेश होगा संशोधन वक्फ बिल, हंगामे के आसार

#wakf_board_amendment_bill_modi_govt_present_in_lok_sabha 

संसद के मानसून सत्र का आज 14वां दिन है। केंद्र सरकार मौजूदा वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधन करने से जुड़ा नया वक्फ बिल आज लोकसभा में पेश कर सकती है। वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाने और बेहतर प्रबंधन व पारदर्शिता के लिए सरकार लोकसभा में गुरुवार को दो विधेयक पेश कर सकती है। 

सूत्रों के मुताबिक वक़्फ़ बोर्ड पर लगाम लगाने के लिए बिल में 40 संशोधन किए गए हैं। वहीं विपक्ष ने वक़्फ़ बोर्ड बिल को स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) को भेजे जाने की मांग की है। यानी अगर आम सहमति नहीं बनी तो फिर सरकार सेलेक्ट कमेटी को बिल भेज सकती है। 

विपक्षी दलों ने बुधवार को सरकार से आग्रह किया कि वक्फ (संशोधन) बिल को पेश किए जाने के बाद इस पर गौर करने के लिए इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। दूसरी तरफ, सरकार ने कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में कहा कि वह सदन की भावना का आकलन करने के बाद इस पर फैसला करेगी। सरकार ने यह भी कहा कि वह बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश होने के बाद विधेयक पर चर्चा और इसे पारित कराने पर जोर नहीं देगी।

इस बात की प्रबल संभावना है कि सरकार इस बिल को संसदीय समिति के पास भेजने पर सहमत हो सकती है। इस विधेयक का कुछ मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि सरकार के एजेंडे का समर्थन करने वाले कुछ दलों ने भी प्रस्तावित कानून पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने समिति की बैठक में कहा कि सरकार बृहस्पतिवार को इस बात पर विचार करेगी कि विधेयक को संसदीय जांच के लिए भेजा जाए या नहीं। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई और तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय उन विपक्षी सदस्यों में शामिल हैं, जिन्होंने बिल पेश होने के बाद इसे संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की। संयोग से अभी लोकसभा की विभाग-संबंधित स्थायी समितियों का गठन नहीं हुआ है। यदि सरकार इस तरह की कार्रवाई पर निर्णय लेती है तो सदन बिल पर विचार के लिए स्थायी समिति की अनुपस्थिति में एक अलग समिति बना सकता है।

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का गठन, शपथ ग्रहण आज

#bangladesh_interim_govt_will_be_formed_muhammad_yunus_take_oath_today 

बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद आज अंतरिम सरकार का गठन होगा। 15 सदस्यीय इस सरकार का नेतृत्व नोबेल प्राइज विजेता मुहम्मद यूनुस करेंगे। रात 8:30 बजे सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। मोहम्मद यूनुस यूरोप में थे और आज बांग्लादेश लौट रहे हैं। जिसके बाद शपथ ग्रहण होगा। 

वहीं, यूनुस ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा, इस नई जीत का बेहतरीन उपयोग करें। अपनी गलतियों से जीत को हाथ से न फिसलने दें। यूनुस ने लोगों से शांति बनाए रखने और हिंसा से दूर रहने की अपील की है। उन्होंने कहा, यदि हम हिंसा का रास्ता चुनेंगे, तो सब कुछ नष्ट हो जाएगा। शांत रहें और देश के पुनर्निर्माण के लिए तैयार रहें। 

मोहम्मद यूनुस ने छात्रों से की शांति बनाए रखने की अपील

मोहम्मद यूनुस ने बयान में कहा कि 'मैं सभी से शांत रहने की अपील करता हूँ। कृपया सभी प्रकार की हिंसा से दूर रहें। मैं सभी छात्रों, सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों और गैर-राजनीतिक लोगों से शांत रहने की अपील करता हूं। यह हमारा खूबसूरत देश है जिसमें बहुत सारी संभावनाएं हैं। हमें इसे सुरक्षित रखना चाहिए और इसे अपने और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अद्भुत देश बनाना चाहिए।'

3 साल का हो सकता है अंतरिम सरकार का कार्यकाल

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में आज अंतरिम सरकार का गठन होगा। इसका कार्यकाल कितना होगा, इसे लेकर बुधवार को राष्ट्रपति से छात्र आंदोलन से जुड़े नेताओं ने चर्चा की। बैठक में वे इस बात पर सहमत हुए कि इस सरकार का कार्यकाल कम से कम 3 साल का होना चाहिए।

छात्र आंदोलन के नेता सरकार में हो सकते हैं शामिल

अंतरिम सरकार में कौन लोग होंगे इस पर अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है। हालांकि अलग-अलग नामों की सूची को लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। बांग्लादेश के अखबार प्रोथोम अलो ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि छात्र आंदोलन के नेता सरकार में अपने दो प्रतिनिधि चाहते हैं। हालांकि वे दो नाम कौन हैं इसका नाम पता नहीं चल पाया है। इसके अलावा राष्ट्रपति शहाबुद्दीन भी चाहते हैं कि उनके 2 लोग सरकार का हिस्सा बनें।

पेरिस ओलिंपिक में डिसक्वालिफाई होने के बाद विनेश फोगाट का बड़ा फैसला, संन्यास का ऐलान, बोलीं-कुश्ती जीत गई, मैं हार गई

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भारतीय रेसलर विनेश फोगाट ने पेरिस ओलिंपिक में डिसक्वालिफाई होने के बाद कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया है। उन्होंने एक्स पर एक भावुक संदेश शेयर किया। विनेश फोगाट ने एक्स पर अपना दुख व्यक्त संन्यास की घोषणा की है। बता दें कि विनेश को ओलंपिक की महिलाओं की 50 किलो कुश्ती स्पर्धा के फाइनल से पहले वजन अधिक पाये जाने के कारण बीते बुधवार को ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

विनेश ने आज गुरुवार तड़के एक्स पर एक पोस्ट किया। 5.17 बजे किए पोस्ट में विनेश ने लिखा कि, “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी माफी।”

विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक की महिलाओं की 50 किलो कुश्ती स्पर्धा के फाइनल से पहले वजन अधिक पाये जाने के कारण बीते बुधवार को ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। जिससे अब वह खाली हाथ ही रह गईं। विनेश ने ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रचा था। बीते सुबह तक उनका कम से कम रजत पदक पक्का लग रहा था लेकिन उनका वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया। इसके बाद 29 वर्ष की विनेश को खेलगांव में पोली क्लीनिक ले जाया गया क्योंकि सुबह उनके शरीर में पानी की कमी हो गई थी।

वहीं, हरियाणा सरकार ने विनेश फोगाट के लिए बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि हरियाणा सरकार विनेश फोगाट का स्वागत और अभिनंदन एक सिल्वर मेडलिस्ट की तरह करेगी। हरियाणा के लिए विनेश चैंपियन हैं। हरियाणा में ओलंपिक पदक विजेता को जो सम्मान मिलता है। वही सम्मान, ईनाम और सुविधाएं राज्य सरकार की ओर से विनेश फोगाट को भी मिलेंगी।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि ‘हरियाणा की हमारी बहादुर बेटी विनेश फोगाट ने ज़बरदस्त प्रदर्शन करके ओलंपिक में फाइनल में प्रवेश किया था। किन्हीं भी कारणों से वो भले ही ओलंपिक का फाइनल नहीं खेल पाई हों, लेकिन हम सबके लिए वो एक चैंपियन हैं। हमारी सरकार ने ये फैसला किया है कि विनेश फोगाट का स्वागत और अभिनंदन एक मेडलिस्ट की तरह ही किया जाएगा। हरियाणा सरकार ओलंपिक रजत पदक विजेता को जो सम्मान, ईनाम और सुविधाएँ देती है, वे सभी विनेश फोगाट को भी कृतज्ञता पूर्वक दी जायेंगी। हमें आप पर गर्व है विनेश!’

अंतिम पंघाल को ओलंपिक से किया गया बाहर,अनुशासन तोड़ने का लगा आरोप

#wrestler_antim_panghal_accused_of_breaking_discipline_ordered_to_leave_paris

पेरिस ओलंपिक से भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के बाहर होने का गम अभी कम नहीं हुआ था कि खेल प्रशंसकों के लिए एक और झटके की खबर है।पेरिस ओलंपिक से अब जल्द ही पहलवान अंतिम पंघाल और उनके सपोर्ट स्टाफ को वापस भेज दिया जाएगा। भारत के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात है कि युवा पहलवान अंतिम पंघाल और उनके पूरे दल को पेरिस से निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है। ओलंपिक के दौरान अंतिम और उनकी टीम पर अनुशासन का उल्लंघन करने के आरोप लगाए गए है। जिसके चलते उन्हें पुलिस कार्रवाई के लिए भी बुलाया गया था।

आईओए के एक बयान में कहा गया, ‘‘भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा आईओए के संज्ञान में अनुशासनात्मक उल्लंघन का मामला लाए जाने के बाद पहलवान अंतिम और उनके सहयोगी स्टाफ को वापस भेजने का फैसला किया है।’’ इस युवा पहलवान ने अपना आधिकारिक मान्यता कार्ड अपनी छोटी बहन को सौंप दिया जिसे सुरक्षाकर्मियों ने खेल गांव से बाहर निकलते हुए पकड़ लिया।

हालांकि आईओए ने अनुशासनात्मक उल्लंघन के बारे में कुछ नहीं बताया लेकिन एक सूत्र ने पीटीआई को विस्तृत जानकारी दी। सूत्र ने कहा, ‘‘खेल गांव जाने के बजाय वह उस होटल में पहुंच गई जहां उसके कोच भगत सिंह और साथी अभ्यास पहलवान विकास, जो वास्तव में उसका कोच है, ठहरे हुए थे। अंतिम ने अपनी बहन को खेल गांव जाने और अपना सामान लेकर वापस आने को कहा। उसकी बहन को किसी ओर के कार्ड पर अंदर जाने के कारण पकड़ा गया और उसे बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन ले जाया गया।’’

इतना ही नहीं अंतिम के निजी सहयोगी स्टाफ विकास और भगत कथित तौर पर नशे की हालत में कैब में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने किराया देने से इनकार कर दिया जिसके बाद ड्राइवर ने पुलिस को बुला लिया।

कैसे डिसक्वालीफाई हो गईं विनेश फोगाट, विपक्ष उठा रहा सवाल, भारत के खिलाफ साजिश की आशंका
#vinesh_phogat_disqualified_big_hateful_conspiracy
ओलंपिक में विनेश फोगाट ने छह अगस्त की रात को महिला कुश्ती के 50 किलोग्राम के भार वर्ग मुकाबले में क्यूबा की पहलवान को शिकस्त दी थी। इसके बाद विनेश की तरफ से गोल्ड या सिल्वर मेडल जीतने की उम्मीद बंध गई थी। मगर 24 घंटे के भीतर ही विनेश और करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। विनेश फोगाट को गोल्ड मेडल मैच के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।  रिपोर्ट्स के मुताबिक वह वेट के दौरान 50 किलोग्राम से लगभग 100 ग्राम अधिक निकलीं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि रातों-रात आखिर विनेश का वजन कैसे बढ़ गया? विपक्षी नेताओं ने इस मामले में कोई बड़ी साजिश होने की आशंका जताई है। मामले की गंभीरता से जांच कराने की मांग हो रही है।

कांग्रेस ने विनेश फोगाट के बाहर होने पर बहुत गंभीर आरोप लगाया है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने एक्‍स पर एक पोस्‍ट लिखते हुए बहुत सारे गंभीर आरोप और सवाल उठाया है, उन्‍होंने लिखा
*''140 करोड़ भारतवासी स्तब्ध हैं, खेल इतिहास का यह “ब्लैक डे” है.ये एक बहुत बड़ा “नफरती षड्यंत्र” है,
*पहले, कुश्ती संघ के अध्यक्ष, भाजपा के उस समय के मोदी जी के चहेते सांसद, बृजभूषण शरण सिंह ने देश की विश्व चैंपियन बेटी को शारीरिक व मानसिक प्रताड़नाओं से सताया,
*फिर भाजपाईयों ने देश की इस बेटी को जंतर मंतर की सड़कों पर पूलिस से घिसटवाया,
*फिर मोदी सरकार ने इस बेटी पर FIR दर्ज करवाया,
*विनेश फोगाट  ने फिर भी कभी साहस, शौर्य व धैर्य नहीं गंवाया,
*पैरिस ओलंपिक में विश्व की अजेय पहलवान यूई सुसाकी व दो और चैंपियन पहलवानो को हराया व देश का तिरंगा लहराया,
पर षड्यंत्रकारियों को ये भी रास नहीं आया।
देश के सीधे सवाल -:
*कौन है जिससे विनेश फोगाट की जीत हज़म नहीं हुई ?
*किसने हरियाणा और देश की बेटी की पीठ में छुरा घोंपा ?
*किसने किया ताक़त का बेज़ा इस्तेमाल ?
*किसका चेहरा बचाने की हुई कोशिश ?
*पर जान लें कि हरियाणा व देश का बच्चा बच्चा उसके साथ है, हमारे लिए वो ओलंपिक गोल्ड मैडल विनर है।
*षड्यंत्र का चक्रव्यूह ज़रूर टूटेगा,
*चेहरे बेनक़ाब ज़रूर होंगे।
*विनेश, देश कह रहा है….
*खूब लड़ी मर्दानी वो तो,
*भारत की बिटिया रानी है।

*अखिलेश यादव ने की जांच की मांग*
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘विनेश फोगाट के फ़ाइनल में न खेल पाने की चर्चा के तकनीकी कारणों की गहरी जांच-पड़ताल हो और सुनिश्चित किया जाए कि सच्चाई क्या है और इसके पीछे की असली वजह क्या है।’

*विजेंदर सिंह ने भी जताई साज़िश की आशंका*
वहीं, पेरिस ओलंपिक से विनेश फोगाट के अयोग्य ठहराए जाने पर विजेंदर सिंह ने साज़िश की आशंका जताई है। 2008 बीजिंग ओलंपिक के पदक विजेता विजेंदर सिंह ने इस स्थिति को भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश क़रार दिया है। इंडिया टुडे से बातचीत में विजेंदर ने उस फैसले की आलोचना की, जिसने फोगाट को संयुक्त राज्य अमेरिका की सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ स्वर्ण पदक मुकाबले में प्रतिस्पर्धा करने से रोक दिया। विजेंदर ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अयोग्य ठहराना भारतीय पहलवानों को कमतर आंकने की एक व्यापक योजना का हिस्सा था। इंडिया टुडे से उन्होंने कहा, 'जिस तरह से उन्होंने प्रदर्शन किया है, वह सराहनीय है। हो सकता है कि कुछ लोग खुशी को पचा न पाएं। हम एक रात में पांच से छह किलोग्राम वजन कम कर सकते हैं, तो 100 ग्राम में क्या समस्या है? मुझे लगता है कि किसी को कुछ समस्या थी, और इसलिए अयोग्य ठहराने का कदम उठाया गया। उन्हें 100 ग्राम वजन कम करने का मौक़ा दिया जाना चाहिए था।'

बता दें कि पहले विनेश फोगाट, 53 किलोग्राम के वेट में खेलती थीं। बाद में वे पचास किलोग्राम पर आई थीं। ओलंपिक में विनेश ने छह अगस्त की रात को महिला कुश्ती के 50 किलोग्राम के भार वर्ग मुकाबले में क्यूबा की पहलवान को शिकस्त दी थी। इसके बाद विनेश की तरफ से गोल्ड या सिल्वर मेडल जीतने की उम्मीद बंध गई थी। कुश्ती के कोच दर्शन पाराशर कहते हैं, ओलंपिक में वजन का बहुत अहम रोल होता है। कई बार खिलाड़ी की लापरवाही की वजह से वजन कम या ज्यादा हो जाता है। हालांकि जो खिलाड़ी, ओलंपिक में गोल्ड/सिल्वर जीतने की दहलीज पर पहुंच गई हो, वहां पर ऐसी लापरवाही/चूक हो, ऐसी संभावना न के बराबर है। खुद पहलवान भी बहुत गंभीर रहता है। यहां पर देखने वाली बात यह है कि आखिर ये चूक किसके स्तर पर हुई है।
बांग्लादेश में तख्तापलट सीआईए की साजिश? जानें क्यों सवालों के घेरे में यूएस
#bangladesh_crisis_america_agenciy_cia
पूरी दुनिया में अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है, जो हर किसी के भी “फटे में टांग अड़ाता” है। इस वक्त बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। जानकार इस बवाल की वजह खोज रहे हैं। एक तरफ तो बांग्लादेश में भारी हिंसा की वजह पाकिस्तान से जोड़ा जा रहा है। वहीं, बांग्‍लादेश के इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब अमेरिका भी सवालों के घेरे में है। कई विश्‍लेषकों का कहना है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने इस तख्‍तापलट में भूमिका निभाई है और वही अब नोबेल विजेता मोहम्‍मद यूनुस को बांग्‍लादेश का पीएम बनाना चाहती है।

दरअसल, बांग्लादेश के तख्तापलट में अमेरिका की भूमिका को लेकर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अमेरिकी उप विदेश मंत्री आफरीन अख्‍तर ने साल 2023 में ही शेख हसीना को खुली धमकी दी थी। नॉर्थ ईस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी मंत्री ने यह धमकी सीधे शेख हसीना को दी थी। आफरीन ने कहा था कि 3 नवंबर को होने वाले चुनाव के बाद शेख हसीना संवैधानिक तरीके से पद से हट जाएं नहीं तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

*अमेरिका ने शेख हसीना को द‍िए थे दो विकल्‍प*
नॉर्थ ईस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उस समय अमेरिकी उप विदेश मंत्री ने शेख हसीना को दो विकल्प दिए थे। पहला विकल्प ये था कि शेख हसीना पद से इस्तीफा दे दें और सत्ता राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को सौंप दें। अमेरिका ने शेख हसीना को दूसरे विकल्प में कहा था कि हसीना संसद के स्‍पीकर शिरिन शर्मिन चौधरी को चुनाव से पहले सत्ता सौंप दें, जिससे बांग्लादेश में निष्पक्ष चुनाव का रास्ता साफ हो सके।

*हसीना ने यूएस की धमकी को किया अनसुना*
हालांकि, शेख हसीना ने अमेरिका की धमकी को दरकिनार कर दिया था और चुनाव में उन्‍हें बड़ी जीत मिली थी। इस चुनाव का विपक्षी दलों ने बहिष्‍कार किया था।

*हसीना ने किया 'व्‍हाइट मैन' के ऑफर का खुलासा*
यही नहीं शेख हसीना ने 'व्‍हाइट मैन' के ऑफर और साजिश का खुलकर जिक्र किया था। इसी साल 2024 के मई महीने में बांग्लादेश के तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने कहा था, "अगर मैंने एक खास देश को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने की अनुमति दी होती, तो मुझे कोई समस्या नहीं होती।" उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव एक "व्हाइट मैन" की ओर से आया था, लेकिन उन्होंने किसी देश का नाम नहीं बताया। उन्होंने आगे कहा था कि ऐसा लग सकता है कि यह केवल एक देश के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है। मुझे पता है कि वे और कहां जाने का इरादा रखते हैं।

*क्या चाहता है अमेरिका?*
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर अमेरिका बांग्‍लादेश को क्‍यों तोड़ना चाहता है। इसका जवाब ये है कि अमेरिका की मंशा एक दम साफ है। एशिया में दादागिरी जमाने के लिए अमेरिका को एक जगह चाहिए। जिससे वह चीन, हिंद महासागर और भारत समेत कई देशों में दखल दे सके।
बता दें कि दुनिया के लगभग 80 देशों में अमेरिका के 175 से अधिक बेस बने हुए हैं। यहां अमेरिकी फोर्स मौजूद हैं। दुनियाभर में अमेरिका के दो लाख सैनिक की मौजूदगी है। अमेरिका दुनिया पर कंट्रोल करने के लिए एक विशेष क्षेत्र में अपना बेस बनाकर छोड़ देता है। लेकिन म्यामांर, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश हो या भारत अमेरिकी बेस की मौजूदगी नहीं है।
ईरान ने रची पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश? यूएस में पाकिस्तानी पत्रकार गिरफ्तार
#pakistani_arrested_in_us_accused_had_come_to_targeting_trump

क्या पाकिस्तान और ईरान डोनाल्ड ट्रंप की हत्या करना चाहते हैं? यह सवाल उठा है अमेरिका के खुलासे से। दरअसल, अमेरिका के न्याय विभाग ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कई दूसरे अमेरिकी राजनेताओं और अधिकारियों की हत्या की साजिश रचने के ईरानी प्लाट का खुलासा किया है। अमेरिका में जस्टिस डिपार्टमेंट ने ईरान से जुड़े एक पाकिस्तानी शख्स को अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप में हिरासत में लिया है। जिसके बाद ट्रंप की हत्या की साजिश रचने के में पाकिस्तान और ईरान का कनेक्शन सामने आया है।

अमेरिकी न्याय विभाग ने पाकिस्तानी व्यक्ति आसिफ रजा मर्चेंट पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक हत्याओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था। उसके ईरानी सरकार से संबंध हैं। उस पाकिस्तानी नागरिक पर ब्रुकलिन की संघीय अदालत में दायर एक शिकायत में आरोप लगाया गया कि उसने अमेरिकी धरती पर किसी राजनेता या अमेरिकी सरकारी अधिकारियों की हत्या की साजिश रची। आसिफ पर पैसे लेकर हत्या करने की साजिश का आरोप है।

सीएनएन ने अदालती दस्तावेज के हवाले से बताया है कि 46 साल के आसिफ मर्चेंट ने 2020 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रची। मर्चेंट के बारे में दावा किया गया है कि वो अमेरिका जाने से पहले वह कई दिनों तक ईरान में रहा। वह इसी साल अप्रैल में अपने प्लान को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से अमेरिका पहुंचा। यहां पहुंचने के बाद उसने न्यूयॉर्क में एक हत्यारे को हायर करने की कोशिश की।

एक अज्ञात शख्स ने पुलिस को मर्चेंट के बारे में सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने 16 जुलाई को उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। गिरफ्तारी के कुछ ही समय पहले उसकी मुलाकात उन कथित हत्यारों से हुई थी, जो दरअसल अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अंडरकवर एजेंट थे।

एफबीआई ने कथित हत्या की साजिश का खुलासा ऐसे समय में किया है, जब कुछ सप्ताह पहले ही पेन्सिलवेनिया में एक 20 वर्षीय युवक ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर एक रैली में गोली चलाई थी। इस हमले में ट्रंप की जान जाते-जाते बची थी। गोली पूर्व राष्ट्रपति के कान को छूते हुए निकली थी। 13 जुलाई को पेन्सिल्वेनिया के बटलर शहर में एक रैली को संबोधित करते वक्त ट्रम्प पर हमला हुआ था।
ईरान ने रची पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश? यूएस में पाकिस्तानी पत्रकार गिरफ्तार
#pakistani_arrested_in_us_accused_had_come_to_targeting_trump

क्या पाकिस्तान और ईरान डोनाल्ड ट्रंप की हत्या करना चाहते हैं? यह सवाल उठा है अमेरिका के खुलासे से। दरअसल, अमेरिका के न्याय विभाग ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कई दूसरे अमेरिकी राजनेताओं और अधिकारियों की हत्या की साजिश रचने के ईरानी प्लाट का खुलासा किया है। अमेरिका में जस्टिस डिपार्टमेंट ने ईरान से जुड़े एक पाकिस्तानी शख्स को अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप में हिरासत में लिया है। जिसके बाद ट्रंप की हत्या की साजिश रचने के में पाकिस्तान और ईरान का कनेक्शन सामने आया है।

अमेरिकी न्याय विभाग ने पाकिस्तानी व्यक्ति आसिफ रजा मर्चेंट पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक हत्याओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था। उसके ईरानी सरकार से संबंध हैं। उस पाकिस्तानी नागरिक पर ब्रुकलिन की संघीय अदालत में दायर एक शिकायत में आरोप लगाया गया कि उसने अमेरिकी धरती पर किसी राजनेता या अमेरिकी सरकारी अधिकारियों की हत्या की साजिश रची। आसिफ पर पैसे लेकर हत्या करने की साजिश का आरोप है।

सीएनएन ने अदालती दस्तावेज के हवाले से बताया है कि 46 साल के आसिफ मर्चेंट ने 2020 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रची। मर्चेंट के बारे में दावा किया गया है कि वो अमेरिका जाने से पहले वह कई दिनों तक ईरान में रहा। वह इसी साल अप्रैल में अपने प्लान को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से अमेरिका पहुंचा। यहां पहुंचने के बाद उसने न्यूयॉर्क में एक हत्यारे को हायर करने की कोशिश की।

एक अज्ञात शख्स ने पुलिस को मर्चेंट के बारे में सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने 16 जुलाई को उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। गिरफ्तारी के कुछ ही समय पहले उसकी मुलाकात उन कथित हत्यारों से हुई थी, जो दरअसल अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अंडरकवर एजेंट थे।

एफबीआई ने कथित हत्या की साजिश का खुलासा ऐसे समय में किया है, जब कुछ सप्ताह पहले ही पेन्सिलवेनिया में एक 20 वर्षीय युवक ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर एक रैली में गोली चलाई थी। इस हमले में ट्रंप की जान जाते-जाते बची थी। गोली पूर्व राष्ट्रपति के कान को छूते हुए निकली थी। 13 जुलाई को पेन्सिल्वेनिया के बटलर शहर में एक रैली को संबोधित करते वक्त ट्रम्प पर हमला हुआ था।