*आपदा में होगी मौत तो मिलेगा चार लाख मुआवजा*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। मानसून सीजन में तमाम तरह की आपदा घटित होती है। मौत होने पर मुआवजा मिलने का प्रावधान है, लेकिन जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग मुआजवा से वंचित रह जाते हैं। बिजली गिरने से या डूबने से किसी की मौत होती है तो पोस्टमार्टम कराने के बाद अन्य प्रकिया होने पर मृतक व्यक्ति के परिजन को मुआवजा मिलता है। शासन की ओर से आपदा से मौत पर चार लाख रुपये, शारीरिक दिव्यांग होने पर 74 हजार से 2.5 लाख रुपये और मकान की क्षति होने पर चार हजार से 1.2 लाख रुपये तक मुआवजा मिलता है। इसके अलावा पशु की मृत्यु होने पर पशुपालक को चार हजार से 37500 रुपये तक मुआवजा मिलते हैं।शासन की ओर से फसल की क्षति होने पर 8500 से 22,500 की धनराशि मुआवजा के रूप में मिलती है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष जिलाधिकारी विशाल सिंह ने बुधवार को कलेक्ट्रट में डूबने से बचाव और सुरक्षा के उपाय विषय को लेकर पोस्टर जारी किया। इसके अलावा उन्होंने समस्त ग्राम प्रधानों और नागरिकों से अपील किया कि नदियों, तालाबों सहित अन्य जल स्त्रोतों के पास बच्चों को न जाने दे। इससे खतरा बना रहता है।
*सावन में मंदिर से निकलने वाले फूल से बनेगी कंपोस्ट खाद*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। श्रावण मास में शिवालयों में महादेव को चढ़ने वाले फूल मालाओं की मदद से खाद बनाई जाएगी। ज्ञानपुर नगर पंचायत में इसकी पहल की है। नगर के सिद्धपीठ हरिहरनाथ मंदिर में निकलने वाले फूल-मालाओं की मदद से वर्मी कंपोस्ट खाद बनेगी। इन खादों का छिड़काव पौधों को रोगमुक्त करने के लिए किया जाएगा। नगर पंचायत ने इसके लिए दो कर्मचारियों की स्पेशल ड्यूटी लगाई है। नगर में सिद्धपीठ बाबा हरिहरनाथ का अति प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर पर लोगों की विशेष आस्था है। हर दिन यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन को पहुंचते हैं। सावन में यहां हर रोज चार से पांच हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर से रोजाना 15 से 20 किलो फूल माला निकलती है। अब इसकी मदद से कंपोजिट खाद बनाया जाएगा। नगर पंचायत इसका उठान करने के लिए दो कर्मचारियों की स्पेशल ड्यूटी भी लगाई है। खाद तैयार होने में 20 से 25 दिन का समय लगता है। तैयार हुई खाद का उपयोग रोपे गए विभिन्न पौधों पर किया जाएगा। ईओ राजेंद्र दूबे ने बताया कि नगर स्थित गांधी पार्क में चार कंपोस्ट में खाद बनाने की प्रक्रिया शुरु किया गया है। बताया कि हरिहर नाथ मंदिर से हर रोज कई किलो माला-फूल निकालते हैं, लेकिन सावन में इसकी मात्रा क्विंटल तक चली जाती है। अभी गड्ढे में प्रायोगिक तौर पर खाद तैयार की जा रही है। इस स्थायी करने की भी कवायद चल रही है। एक कंपोस्ट में खाद तैयार होने में 15 से 20 दिन का समय लगेगा।
*खेल मैदान: कागज में हो गए पूरे, धरातल पर अधूरे*



रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कालीन नगरी में ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने की मुहिम शुरू होने से पहले ही धरातल पर दम तोड़ने लगी है। लाखों की लागत से बनने वाले खेल मैदान कागजों में तो पूरे हो गए, लेकिन हकीकत में अभी या तो शुरू नहीं हुए या आधे-अधूरे ही है, जो खेल मैदान बने हैं। वहां भी खेल सामग्री नहीं होने से वह मार्निंग वॉक, कबड्डी, ऊंची कूद, लंबी कूद तक ही सीमित हो गए हैं। जिससे युवाओं की प्रतिभा निखारने की मुहिम कुंद होती जा रही है। अधिकांश गांव में खेल मैदान नहीं हैं। ऐसे में ग्रामीण परिवेश के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर नहीं पाती है। इसके मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद को प्रोत्साहित करने के लिए गांवों में खेल मैदान विकसित करने की मुहिम शुरू हुई। कोविड महामारी के बाद शुरू हुई पहल पहले तो जमीन के अभाव में दम तोड़ती दिखी, जबकि अब जरूरी उपकरण न होने से भी दिक्कत हो रही है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो 546 ग्राम पंचायतों में 100 गांव में जमीन मिली। 2021 से अब तक 35 खेल मैदान बनकर तैयार हो गए हैं, जबकि 65 बजट के अभाव में अधूरे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ अलग ही नजारा है। अमर उजाला टीम ने रविवार को कई खेल मैदानों की पड़ताल की। जिन खेल मैदानों को कागज में पूर्ण दिखाया गया है। वह हकीकत में या तो अधूरे हैं या शुरू ही नहीं हो सके हैं। अभोली के अमिलहरा और संवरपुर जहां खेल मैदान अधूरा है। वहीं अनेगपुर, सुरहन में अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। ज्ञानपुर ब्लॉक के रायपुर में भी खेल मैदान आधा ही बन सका है। अधिकतम 15 लाख खर्च कर सकती हैं ग्राम पंचायतें ज्ञानपुर। गांव में बनने वाले खेल मैदान पर ग्राम पंचायतें अधिकतम 15 लाख तक खर्च कर सकती हैं। राज्य वित्त एवं मनरेगा से कुछ ही ग्राम पंचायतें 15 लाख तक खर्च की। अधिकतर में सात से 10 लाख रुपये खर्च किया गया, जो खेल मैदान बने हैं। वहां संसाधन की कमी से युवाओं और भावी खिलाड़ियों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभाग का दावा है कि 2021 में छह और 2022 में आठ, 2023 में 16 और 2024 में अब तक पांच खेल मैदान बने हैं। राजस्व विभाग एवं ग्राम प्रधानों के कारण 300 से अधिक गांव में खेल मैदान के लिए जमीन नहीं मिल सकी। कुछ ग्राम पंचायतों में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण है, लेकिन उसे खाली नहीं करवाया जा रहा है। जिसके कारण आला अधिकारियों के निर्देशों का पालन भी नहीं हो पा रहा है। ज्ञानपुर, भदोही और औराई से 214 गांव में खेल मैदान होने की रिपोर्ट दी गई, हालांकि इसमें 100 ऐसी ग्राम पंचायत हैं, जहां पांच से छह बीघे जमीन मिल सकी है। 114 गांव में कहीं एक तो कहीं दो बिस्वा जमीन ही मिली है। 35 खेल मैदान तैयार हो चुके हैं जबकि बजट की कमी से 65 मैदान अधूरे हैं।



300 से अधिक गांव में जमीन की उपलब्धता न होने से यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सका है। जहां-जहां खेल मैदान बन रहे हैंं वहां खेल सामग्री की खरीद के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर उपकरण खरीदे जाएंगे। - दिनेश त्रिपाठी, युवा कल्याण अधिकारी।
*250 केंद्रो पर बच्चों को नहीं मिल रहा है गरमागरम भोजन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले के 250 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को गरमागरम भोजन नहीं मिल रहा है। आठ माह बाद भी केंद्रों पर अब तक हाॅटकुक्ड योजना शुरू नहीं हो सकी है। डीएम और सीडीओ की हिदायत के बाद भी 100 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों को ग्राम प्रधान ने बर्तन और जरूरी उपकरण खरीद कर नहीं दिए हैं। जिले में 1496 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इसमें सवा लाख बच्चे पंजीकृत हैं। कुपोषण उन्मूलन के लिए पांच साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर गरमागरम भोजन दिया जाता था। पांच साल पहले हॉटकुक्ड योजना शासन ने बंद कर दी थी। करीब आठ महीने पूर्व योजना दोबारा शुरू हुई। जिले के अधिकतर गांवों में हाॅटकुक्ड बनाने के लिए पैसा जारी होने के बाद भी प्रधान और कोटेदार सहयोग नहीं कर रहे हैं। वे बर्तन और जरूरी सामान नहीं खरीद रहे हैं। इससे 1496 केंद्रों में से करीब 250 केंद्र पर गरमागरम भोजन नहीं बन पा रहा है। औराई ब्लॉक के जेठूपुर, पुरुषोत्तमपुर, भदोही ब्लॉक के दानूपट्टी, चकभूईधर, चौरीखास, में केंद्रों बच्चों को पोषाहार (कच्चा अनाज) ही दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को गरमागरम भोजन देने के लिए शासन की ओर से प्रति बच्चा सवा 4 रुपये की दर से बजट जारी किया गया है।


12 हजार बच्चे मिले थे कुपोषित बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की तमाम योजनाओं के बाद भी कुपोषण पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। आइसीडीएस विभाग पड़ताल में जिले के सवा लाख बच्चों में से 12 हजार 206 कुपोषण से ग्रसित पाए गए हैं। आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण जरूरमंदो तक सुविधाएं न पहुंचने के कारण कुपोषण का खात्मा नहीं हो पा रहा है। अप्रैल 2024 में विभाग की तरफ से कराए गए वजन में यह आंकड़े आए हैं।



डीएम की हिदायत के बाद काफी ग्राम पंचायतों में बर्तन आदि की खरीदारी की गई। जिससे तीन महीने के अंदर 696 केंद्रो में 450 के करीब पर हाटकुक्ड बनना शुरू हो गया। बच्चों पर मिलने वाला खर्च बिना कुक्ड बनाए नहीं निकाला जा सकेगा। प्रयास है कि 15 अगस्त से पहले शत प्रतिशत केंद्रो पर योजना शुरू हो जाए- मंजू वर्मा, डीपीओ
*जुलाई में 283.1 के सापेक्ष 143 एमएम हुई बारिश, खेत में पड़ीं दरारें*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। मानसून की बेरूखी से किसानों की चिंता बढ़ गई है। बारिश न होने से धान के खेत में दरारें पड़ गई हैं। किसानों का कहना है दो तीन दिन में बारिश नहीं हुई तो रोपी गई फसलें सूख जाएगी। वहीं, मौसम विभाग की ओर से 20 जुलाई के बाद बारिश संभावना जताई जा रही है। जिले में 20 जून से अब तक तीन से चार बार ही बारिश हुई है। बारिश न होने से किसान परेशान किसान है। वे नलकूप और निजी पंप के जरिये धान की रोपाई कर रहे हैं। जिन किसानों ने पहले धान की रोपाई कर दी थी। पानी के अभाव में उनकी फसल सूखने लगी हैं। वहीं, बारिश्क का इंतजार करने वाले किसान पानी के लिए पंप सचालकों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। बारिश न होने से जिले में 27 हजार हेक्टेयर के सापेक्ष मात्र सात हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हो सकी है। मौसम विभाग के आंकड़ों पर गौर करे तो जुलाई में औसत बारिश 283.1 मिली मीटर होती है। इसके सापेक्ष अब तक 143 एमएम बारिश हुई है। हालांकि यह जिले के कुछ क्षेत्रों का आंकड़ा है, कई स्थानों पर 60 से 70 मिमी भी बारिश दर्ज नहीं है। यही हालत आगे भी ही तो रोपी गई धान की फसल भी सूख जाएगी। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के मौसम विशेषज्ञ सर्वेश बरनवाल ने बताया 20 जुलाई के बाद ट्रफ रेखा की दिशा में परिवर्तित होने से बारिश के आसार बनेंगे। अगर जुलाई में बारिश नहीं हुई तो सूखें की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि बारिश नहीं हुई तो धान का बचना मुश्किल भदोही ब्लॉक के अमिलौर के किसान विनय सरोज ने बताया एक बीघा में धान की रोपाई कराता हूं, पिछले सप्ताह जैसे तैसे कर रोपाई किया हूं, लेकिन सिंचाई न होने से धान मुरझाने लगे हैं, खेत में दरारे पड़नी शुरु हो गई है। यहीं हाल किसान भिडिऊरा गांव के किसान सुबाष दूबे, कस्तुरीपुर के रमाशंकर सहित सैकड़ों किसानों का है। बारिश न होने के कारण अब किसानों के सामने संकट मंडराने लगा है। उनका कहना है कि एक सप्ताह और बारिश न हुई तो फसल सूख जाएगी।
*जीटी रोड की उत्तरी लेन आज से हो जाएंगी बंद* *कांवरियों के लिए मार्ग सुरिक्षत, ड्रोन से रखी जाएगी पूरी नजर*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही।‌आज यानी शनिवार की रात 12 बजे से जीटी रोड का उत्तरी लेन शिव भत्तों के लिए सुरिक्षत कर दिया जाएगा। जीटी रोड को दो जोन व पांच सेक्टरों में बांटा गया है। जबकि जिले को तीन व छह सेक्टर में बांटा गया है। अपर पुलिस अधीक्षक डॉ तेजवीर सिंह ने बताया कि जिले को तीन जोन छह सेक्टरों में बांटा गया है। जोन का प्रभार सीओ व सेक्टर का थाना प्रभारियों को दिया गया है। इसके अलावा जीटी रोड पर 42 किलोमीटर लंबे ऊंज बाॅर्डर से लेकर बाबूसराय तक तथा भदोही - मिर्जापुर मार्ग पर धौरहरा से लेकर औराई सीमा बाॅर्डर तक जवानों की तैनाती रहेगी। जिले के नौ मंदिरों जहां पर कांवरिया जलाभिषेक करेंगे, वहां भी फोर्स की तैनाती की जाएगी। कहा कि आज रात जीटी रोड का उत्तरी लेन कांवरियों को सेफ कर दिया जाएगा। भूल से भी उस पर जाने वाले वाहन चालकों को माफ नहीं किया जाएगा। शिव भक्तों की सुरक्षा को लेकर ड्रोन कैमरों से नजर जाएगी। इतना ही नहीं, केवल जीटी रोड पर एक हजार जवानों को तैनात किया जाएगा। पूरी स्थिति पर रहेंगी।


कांवरियों के लिए किए गए विशेष इंतजाम


जीटी रोड पर 39 स्थानों पर डिवाइडर लगाकर बंद कर दिया गया है। जीटी रोड से जुड़े ग्रामीण मार्गों पर बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है। एक माह तक मार्ग पर सभी टीमें सक्रिय रहेगी। गोपीगंज, जंगीगंज, लगाकर तथा औराई में चार चिकित्सा शिविर लगाए जाएंगे। भक्तों को किसी प्रकार की दिक्कतें न हों इसे पांच एंबुलेंस की तैनाती की गई है।
*आरो प्लांट होने से परेशानी*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही।नगर स्थित शीतल पाल तिराहा के पास दो वर्ष से खराब पड़ा आरो प्लांट परेशान का सबब बना हुआ है। आरो प्लांट खराब होने से लोग दुकान से पानी क्रय करने को विवश हैं।
*संपूर्ण समाधान दिवस अब 22 को*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में पौधरोपण अभियान को सफल बनाने के लिए संपर्क समाधान दिवस की तिथि बदल गई। जुलाई में तीसरे शनिवार यानी 20 जुलाई को होने वाला संपूर्ण समाधान दिवस 22 जुलाई को होगा। यह जानकारी जिला सूचना अधिकारी डॉ पंकज कुमार ने दी।
*बिना एचसीपी के चल रह है है 15 हजार वाहन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले में 15 हजार वाहन बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के सड़कों पर चल रहे हैं। जिले में पंजीकृत 20 फीसदी से अधिक वाहनों में एचसीपी प्लेट नहीं लगा है।चोरी और जालसाजी को रोकने के लिए शासन ने साल 2019 में दोपहिया, चार पहिया सहित अन्य वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य कर दिया। 2019 के बाद से एचसीपी प्लेट लगने के बाद ही नए वाहन शोरूम से बाहर निकलते हैं। वहीं, इससे पूर्व के 80 फीसदी वाहनों में ही एचसीपी लगा है। जिले में दो लाख 85 हजार (दोपहिया, चार पहिया और भारी) वाहन पंजीकृत हैं। इनमें 2019 से पहले के एक लाख 52 हजार वाहन हैं। 2022 से लेकर अब तक 1.27 लाख ( 83 फीसदी) पुराने वाहनों में ही एचसीपी प्लेट लग पाया है। 17 फीसदी वाहनों में एचसीपी नहीं लगा है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का अनुमान है कि एक लाख 52 हजार वाहनों में से करीब 25 हजार वाहन 15 साल की अवधि पूर्ण कर चुके हैं। वाहन चालकों ने उसका रजिस्ट्रेशन समाप्त नहीं कराया है।



ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाकर खुद बदलवा सकते हैं नंबर प्लेट

ज्ञानपुर। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करके आसानी से बदलवाया जा सकता है, क्योंकि नियम के उल्लंघन पर पांच से दस हजार रुपये तक जुर्माना लगता है। जानकारों के मुताबिक पुराने नंबर प्लेट को बदलने के लिए बुक माई एचएसआरपी पर लाॅगिग कर नंबर प्लेट बदला जा सकता है। चार पहिया वाहनों के लिए लगभग 1100 से 1200 रुपये तथा दो पहिया वाहनों के लिए लगभग 400 से 500 रुपये किसी भी यूपीआई से ऑनलाइन जमा करना होता है।



वर्जन अप्रैल 2019 से खरीदे वाहनों में एचसीपी लगकर आ रहा है। उसके पूर्व के वाहनों में ज्यादातर खराब हो चुके हैं। 15 हजार वाहन में नंबर प्लेट न लगने का अनुमान है। अब तक बिना एचसीपी प्लेट लगे 10 से 12 हजार वाहनों का चालान किया जा चका है। इसे वाहनों में लगवाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। - राम सिंह, एआरटीओ।
*ज्ञानपुर में नियमित फागिंग न होने से लोगों में बढ़ा रोष* *नालों में कचरा सड़ने से उठ रही दुर्गंध से लोग हो रहे परेशान*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। नगर पंचायत ज्ञानपुर में नियमित फागिंग न होने से नागरिकों में रोष बढ़ता जा रहा है। बारिश के मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। हजारों की लागत के क्रय हुआ फागिंग मशीन कार्यालय की शोभा बढ़ा रहा है। शाम ढलते ही मच्छरों का प्रकोप इतना बढ़ जाता है कि घर के बाहर बैठना तक दुभर हो जाता है। ऐसे में नागरिकों ने नियमित फागिंग कराने की मांग की है। मननाने ढंग से डंप हो रहा कचरा नगर पंचायत ज्ञानपुर से निकला कचरा मनमाने ढंग से डंप किया जा रहा है। जोर‌ई गांव स्थित नगर मार्ग से सटाकर कचरा डंप किया जा रहा है। बारिश और नहर का पानी गड्ढों में भरने से कचरा सड़कर बजबजा रहा है। कचरा से उठने वाला दुर्गंध लोगों का इधर से गुजरना दुभर कर दिया है। डंप कचरा से उठ रहा दुर्गंध संक्रामक बीमारी का कारण बन सकता है।