फिर काला गंदा बदबूदार प्रदूषित हुआ आमी नदी का पानी,मर रहे जलीय जीव,पशुओं ने नदी का पानी पीना छोड़ा
खजनी गोरखपुर।क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लिए वरदान मानी जाने वाली आमी नदी का पानी एक बार फिर गंदा काला, बदबूदार हो कर प्रदूषित हो चुका है। नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों के लोगों के लिए पानी से उठती तीखी गंदी दुर्गंध ने जीना मुहाल कर दिया है। गंदे पानी के कारण छुट्टा पशुओं ने नदी का पानी पीना छोड़ दिया है। नदी की मछलियां मर कर नदी के किनारों पर आ जाती हैं,जिसे कुछ लोग लोभ में फंस कर बाजार में बेच दे रहे हैं।
पानी से उठती तेज दुर्गंध के कारण गांवों के लोग नदी के किनारे नहीं जाना चाहते, पानी से उठती बदबू के कारण परेशान हैं, इलाके में मच्छरों का प्रकोप भी तेजी बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में नदी का पानी पूरी तरह से साफ हो गया था। पशुओं ने नदी का पानी पीना शुरू कर दिया था किन्तु एक बार फिर गीडा की कंपनियों के गंदे पानी ने नदी के पानी को प्रदूषित कर दिया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि प्रशासन को कोसते हुए गांव के लोग नदी के गंदे पानी को देख कर भयभीत हैं।
संत कबीर दास की जन्मस्थली मगहर और जिले की सहजनवां खजनी बांसगांव तहसील क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लिए जीवनदायिनी और किसानों के लिए वरदान मानी जाने वाली गांव की गंगा कही जाने वाली आमी नदी प्रदूषित हो गई है। नदी का काला गंदा और बदबूदार पानी उसके किनारे बसे दर्जनों गांवों के लोगों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार 4 वर्ष पहले कटकां गांव के लक्ष्मी सिंह तथा छताईं गांव के विजय कुमार सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मिल कर उन्हें इस गंभीर समस्या से अवगत कराया था। सीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्ती दिखाई थी, जिसके बाद प्रशासनिक सक्रियता बढ़ी थी और नदी का पानी पूरी तरह से साफ हो गया था। किंतु अब एक बार फिर से नदी का पानी पूरी तरह से गंदा हो गया है। जिसे पीना तो दूर फसल की सिंचाई में भी उपयोग नहीं किया जा सकता, नदी के जलीय जीव मरने लगे हैं।
नदी के किनारे बसे गांवों कटकां, धुवहां, विनायका, शहीदाबाद, नैपुरा, कुंईकोल, सोहरां, भरवलियां, भलुआन, कूंड़ा भरत, रतसहीं, बेढ़ा, ढ़़ढौना और उनवल नगर पंचायत के राकेश, मनोज, साजिद, मोहनलाल, माता प्रसाद, कोईल, बेचू, सुरेश, अनिल, सोनू, रामकेश, सूर्यदेव, संतोष, वेदप्रकाश, अर्जुन, अनंत लाल, आलोक, अरविंद, राम खेलावन आदि दर्जनों लोगों ने बताया कि प्रशासन की उदासीनता से एक बार फिर संकट खड़ा हो गया है। गीडा के कारखानों का गंदा पानी नदी के अस्तित्व के लिए बड़ा संकट बन चुका है।
May 21 2024, 17:21