तबियत खराब होने से जेल वार्डन की मौत, साथियों ने जेल अधीक्षक पर प्रताड़ित करने का लगाया आरोप
फर्रुखाबाद l जिला कारागार में सीने में दर्द की शिकायत के बाद छुट्टी ना देने के बाद अस्पताल पहुंचने से पहले ही जिला जेल के वार्डन की मौत हो गई। साथी की मौत की सूचना पर पहुंचे दो दर्जन से अधिक जेल वार्डनों ने जेल अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा कि जेल अधीक्षक तब तक छुट्टी नहीं देते, जब तक बीमार परिजन की मौत नहीं हो जाती।
जिला जेल फतेहगढ़ में तैनात जेल वार्डन जगदीश प्रसाद पुत्र राम सहाय उम्र 56 वर्ष को शाम के समय सीने में दर्द हुआ। इसके बाद जेल स्टाफ और परिजन निजी अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टर ने जांच के लिए लिखा। जांच कराने के दौरान ही उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें रात को डॉ राम मनोहर लोहिया जिला अस्पताल ले जाया गया । जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
साथी की मौत की सूचना मिलते ही जिला जेल से करीब दो दर्जन से अधिक जेल वार्डन (जेल सिपाही) आवास विकास स्टेट डॉ राम मनोहर लोहिया जिला अस्पताल पहुंच गए। जय सिपाहियों के अंदर जेल अधीक्षक के खिलाफ आक्रोश शुरू हो गया। इसी दौरान कुछ साथियों ने जेल अधीक्षक पर अत्याचार और प्रताड़ित करने का करने का आरोप लगाया।
जेल वार्डन हरीश कुमार व उसके साथियों ने बताया कि कागजों में उसकी ड्यूटी बैरियर पर लगाई जाती है लेकिन उनसे आवास पर ड्यूटी करवाई जा रही थी। हरीश कुमार ने बताया कि बंगले पर ड्यूटी के दौरान बंदर ने फूल तोड़ दिया, तो एक हजार रुपये जुर्माना वसूला और दो दिन तक ड्यूटी पर नहीं लिया। दूसरे वार्डन सचिन कुमार ने कहा कि एक बार उनकी ड्यूटी में बंदर ने एक पेड़ तोड़ा, तो 10 पेड़ मंगवाए गए। जब पेड़ नहीं मिले तो साढ़े तीन हजार रुपये बसूले गए और तीन दिन तक ड्यूटी नहीं कराई गई।
वार्डन पवन ने बताया कि उनकी मां कैंसर पीड़ित थीं। इलाज के लिए अवकाश मांगा, मगर नहीं दिया । पिछले महीने मौत होने पर ही अवकाश दिया गया। जितेंद्र ने कहा कि गंभीर बीमार होने पर भी बहानेबाजी का आरोप लगाया जाता है । जितेंद्र ने बताया कि करीब एक माह तक बीमार बना रहा । अधिकारी जेल अस्पताल से ही दवा दिलबाते रहे। एक दिन मेरी ऑन ड्यूटी तबीयत खराब हो गई। इसके बाद मुझे इतना "द केयर हॉस्पिटल“ में भर्ती कराया गया। जेल वार्डन दीपचंद ने बताया कि सब चुप रहने की हिदायत देकर गए हैं, और जेल के अंदर हम लोगों पर दबाव बनाया जाता है। एक जेल वार्डन ने बताया की परिवार में मां बाप बीमार हो जाए तो छुट्टी नहीं मिलेगी ।उनके मरने के बाद ही छुट्टी मिलेगी ।
इस मामले में जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद का कहना है कि 8 बजे से 12 बजे सिपाही (वार्डन) ड्यूटी पर था।।इसके बाद दिक्कत होने पर जेल में ईसीजी कराया। दो दिन का रेस्ट देकर घर भेज दिया। चार बजे हालचाल लेने सिपाही को भेजा और निजी डॉक्टर के यहां ईसीजी कराया। वहां जांच कराने दूसरी लैब पर ले गए। कुछ लोग चुनाव में अवकाश न मिलने के कारण आरोप लगा रहे हैं।
May 16 2024, 18:26