डेंगू से मृत्यु दर एक फीसदी से भी कम, डरने की नहीं, बचने की आवश्यकता है
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गोरखपुर, राष्ट्रीय डेंगू दिवस के उपलक्ष्य में पूरे जनपद में स्वास्थ्य विभाग ने जनजागरूता संबंधी विविध गतिविधियों का आयोजन किया । इनके जरिये संदेश दिया गया कि बेहतर केस प्रबन्धन के कारण राज्य में डेंगू से मृत्यु दर एक फीसदी से भी कम है और यह साल दर साल घटती जा रही है ।
ऐसे में इस बीमारी के प्रसार से लोगों को डरने की बजाय, इससे बचाव के उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। खासतौर से उन लोगों को डेंगू से और अधिक सतर्क रहना चाहिए जो एक बार इसका संक्रमण झेल चुके हैं, क्योंकि ऐसे लोगों में दूसरी बार संक्रमण अधिक गंभीर और लंबा हो सकता है ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने राष्ट्रीय डेंगू दिवस के अवसर पर कैम्पियरंज सीएचसी द्वारा आयोजित ब्लॉक स्तरीय जागरूकता गोष्ठी में हिस्सा लिया । जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह और सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे ने भी उनके साथ गोष्ठी में पहुंच कर लोगों को बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की । वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ राजेश और मलेरिया निरीक्षक प्रवीण पांडेय ने सरदारनगर के प्राथमिक विद्यालय कर्महा के स्कूली रैली में हिस्सा लिया ।
पीएचसी खजनी, पिपरौली सीएचसी, बेलघाट, भटहट और जंगल कौड़िया समेत जिले के सभी ब्लॉक में मलेरिया एवं फाइलेरिया विभाग के स्वास्थ्यकर्मियों की मौजदूगी में जनजागरूकता से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया गया ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि डेंगू एक मच्छर जनित वायरल रोग है । इसका मच्छर दिन में काटता है और यह बीमारी प्रत्येक लिंग और समूह को प्रभावित करती है। डेंगू का एक स्ट्रेन दूसरे स्ट्रेन से प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करता है। मानसून की शुरूआत से पहले ही इस बीमारी से बचाव के उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल सोलह मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। इस बार ‘‘समुदाय से जुड़ें, डेंगू को नियंत्रित करें’’ थीम के साथ यह दिवस मनाया गया। पहले डेंगू सिर्फ बरसात के मौसम में ही होता था लेकिन अब यह वर्ष के किसी भी माह में सामने आने लगा है, क्योंकि इसके मच्छरों को पनपने के लिए घर में कहीं भी एकत्रित एक चम्मच साफ पानी भी पर्याप्त है। लक्षण दिखने पर त्वरित जांच और समय से इलाज का फायदा यह रहा है कि जहां वर्ष 2017 में राज्य में इससे मृत्यु दर 0.91 फीसदी थी, वहीं वर्ष 2023 में यह घट कर 0.10 फीसदी हो गयी है । गोरखपुर जिले में भी डेंगू से वर्ष 2019 में एक मौत हुई थी और उसके बाद मृत्यु का कोई केस रिपोर्ट नहीं हुआ है।
बचाव ही है श्रेष्ठ उपाय
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह का कहना है कि डेंगू के लक्षण दिखते ही यथाशीघ्र प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच और इलाज करवाने पर मरीज घर पर ही ठीक हो जाता है। इलाज में देरी करने और अपने मन से दवाएं खाने से जटिलताएं बढ़ती हैं और कई बार गंभीर अवस्था में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है । इस बीमारी के संक्रमण से बचने के लिए पूरी बांह के कपड़े पहनने चाहिए और अपने घर, कार्यस्थल, दुकान आदि किसी भी जगह पर साफ पानी इकट्ठा न होने दें। कूलर, गमलों, एसी, पशुओं के पात्र, नारियल के खोल आदि की साफ सफाई करते रहें । अगर तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, हड्डियों में दर्द, सुस्ती जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं, क्योंकि ऐसे लक्षण डेंगू के भी हो सकते हैं।

















May 16 2024, 18:16
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